धारा 144 क्या है

धारा 144 क्या है? | Dhara 144 kya hai?

Published on July 3, 2025
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धारा 144 क्या है

Quick Summary

  • धारा 144 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की एक कानूनी धारा है।

  • इसका उद्देश्य सार्वजनिक शांति और व्यवस्था बनाए रखना होता है।

  • यह धारा दंगे, विरोध, हिंसा, आतंकवादी खतरे या किसी भी आपात स्थिति में लगाई जाती है।

  • धारा 144 अधिकतम 2 महीने तक लागू रह सकती है; विशेष स्थिति में 6 महीने तक बढ़ाई जा सकती है।

Table of Contents

धारा 144, जिसे अंग्रेजी में Section 144 कहा जाता है, भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) का एक प्रावधान है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब किसी इलाके में शांति भंग होने की आशंका होती है, जैसे कि दंगे, विरोध प्रदर्शन या किसी अन्य प्रकार की अशांति की संभावना हो। इसका उद्देश्य उस क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखना होता है। भारत में जब भी कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा होता है, तो सरकार कुछ विशेष कानूनी प्रावधानों का सहारा लेती है। इनमें से एक सबसे चर्चित और महत्वपूर्ण कानून है धारा 144।

इस लेख में हम धारा 144 क्या है (Section 144 of CrPC) की पूरी जानकारी सरल शब्दों में देने जा रहे हैं। धारा 144 भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC – Code of Criminal Procedure), 1973 के अंतर्गत आता है। यह एक ऐसा कानूनी प्रावधान है जो किसी क्षेत्र में तुरंत और अस्थायी रूप से सार्वजनिक जमाव, प्रदर्शन, भाषण या विरोध को प्रतिबंधित करने की शक्ति देता है। इसका मुख्य उद्देश्य होता है – शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखना।

धारा 144 क्या है? | Dhara 144 kya hai?

धारा 144 क्या है?- भारत जैसे विविधता-भरे और जनसंख्या-घनत्व वाले देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं जब भीड़ नियंत्रण से बाहर जा सकती है, जिससे दंगे, हिंसा, अफवाह, या सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान होने की आशंका रहती है। ऐसे में सरकार के पास कुछ विशेष कानूनी प्रावधान होते हैं जिनका इस्तेमाल वह स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए करती है।

अगर आप जानना चाहते हैं कि धारा 144 क्या है, तो सरल शब्दों में कहा जा सकता है कि यह कानून प्रशासन को अस्थायी रूप से लोगों की गतिविधियों पर नियंत्रण का अधिकार देता है, ताकि शांति व्यवस्था बनाए रखी जा सके। धारा 144 का प्रयोग भारत में कई बार हुआ है, कभी किसी राजनीतिक प्रदर्शन को रोकने, कभी सांप्रदायिक तनाव को शांत करने, तो कभी संक्रमण फैलने से रोकने के लिए।

Section 144 क्यों चर्चा में रहती है?

हाल के उदाहरण (प्रदर्शन, त्योहार, राजनीतिक कार्यक्रम आदि)

धारा 144 अक्सर समाचारों में इसलिए आती है क्योंकि इसे ज्वलंत सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों से जुड़े मौकों पर लागू किया जाता है। नीचे कुछ प्रमुख उदाहरण दिए जा रहे हैं:

  1. किसान आंदोलन (2020–2021): दिल्ली की सीमाओं पर हजारों किसान प्रदर्शन कर रहे थे। उस दौरान दिल्ली के कई इलाकों में धारा 144 लागू की गई ताकि भीड़ एकत्र न हो और कोई अप्रिय स्थिति न बने।
  2. COVID-19 महामारी (2020): लॉकडाउन के दौरान देश के अधिकांश हिस्सों में धारा 144 लगाई गई। इसका उद्देश्य था लोगों की भीड़ को रोकना ताकि संक्रमण न फैले।
  3. राम नवमी और मोहर्रम जैसे त्योहारों के समय: कई शहरों में प्रशासन पहले से ही धारा 144 लागू कर देता है ताकि किसी भी प्रकार की धार्मिक या सांप्रदायिक झड़प से बचा जा सके।
  4. राजनीतिक रैलियों या VIP मूवमेंट के समय भी यह धारा लागू की जाती है, खासतौर पर चुनावों से पहले या किसी विवादित निर्णय के बाद (जैसे CAA-NRC विरोध, या राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला)।

इन सब उदाहरणों में धारा 144 को एक एहतियाती कदम (Precautionary Measure) के रूप में देखा गया, जिससे बड़ी घटनाओं को नियंत्रण में लाया जा सके।

धारा 144 क्या है? | Article 144 kya hai?

भारत में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए कई तरह के प्रावधान बनाए गए हैं। इनमें से एक बेहद महत्वपूर्ण और अक्सर उपयोग में आने वाला कानून है section 144, जो भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code – CRPC), 1973 के अंतर्गत आता है। धारा 144 क्या है? यह एक ऐसा कानूनी प्रावधान है, जो प्रशासन को यह अधिकार देता है कि वह किसी विशेष क्षेत्र में जनता की गतिविधियों पर अस्थायी रूप से प्रतिबंध लगा सके, ताकि सार्वजनिक शांति और सुरक्षा को बनाए रखा जा सके।

सरल शब्दों में कहा जाए तो जब किसी इलाके में दंगे, हिंसा, धार्मिक तनाव, महामारी, या किसी सार्वजनिक कार्यक्रम के कारण कानून-व्यवस्था बिगड़ने का खतरा होता है, तब प्रशासन धारा 144 लागू करता है। यदि आप जानना चाहते हैं कि वास्तव में धारा 144 क्या है, तो इसे एक ऐसा निवारक उपाय कह सकते हैं जो संभावित खतरे को समय रहते रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

इस धारा का मुख्य उद्देश्य होता है:

  • सार्वजनिक शांति और सुरक्षा बनाए रखना
  • किसी भी प्रकार की हिंसा या अशांति को पहले ही रोकना
  • भीड़-भाड़ और अफवाहों से होने वाले नुक़सान को कम करना

Section 144 को इसलिए “निवारक कानून” (Preventive Law) भी कहा जाता है क्योंकि यह संभावित खतरे को रोकने के लिए पहले से लागू किया जाता है, न कि किसी घटना के बाद।

इस धारा के अंतर्गत क्या-क्या प्रतिबंध हो सकते हैं?

Section 144 के अंतर्गत प्रशासन को व्यापक अधिकार मिलते हैं। यह कोई एक नियम नहीं है, बल्कि परिस्थितियों के अनुसार कई प्रकार के प्रतिबंधात्मक आदेश इसमें दिए जा सकते हैं:

चार या अधिक लोगों का इकट्ठा होना (Unlawful Assembly)

Section 144 लागू होने पर एक निश्चित इलाके में चार या उससे अधिक लोग एक साथ एकत्र नहीं हो सकते।
इस नियम को “unlawful assembly” कहा जाता है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि किसी भी प्रकार की भीड़ या हंगामा न हो सके।

उदाहरण: कोई संगठन अगर बिना अनुमति के सड़क पर प्रदर्शन करना चाहता है, और धारा 144 लागू है, तो उसे रोका जा सकता है।

रैली, जुलूस, और सार्वजनिक सभा पर रोक

Section 144 के दौरान प्रशासन सार्वजनिक रैलियों, जुलूसों, मोर्चों और धार्मिक व राजनीतिक आयोजनों पर भी रोक लगा सकता है।

यह रोक तब विशेष रूप से लगाई जाती है जब प्रशासन को लगता है कि:

  • प्रदर्शन हिंसक हो सकता है
  • भीड़ से शांति भंग होने की आशंका है
  • किसी वर्ग की भावनाएं आहत हो सकती हैं

उदाहरण: चुनाव के दौरान जब दो राजनीतिक दलों के बीच तनाव बढ़ जाता है, तो उनके समर्थकों के जुलूस पर रोक लगाई जा सकती है।

हथियारों का प्रयोग या प्रदर्शन प्रतिबंधित

Section 144 लागू होने पर उस क्षेत्र में हथियार रखना, लहराना या प्रदर्शन करना पूर्णतः प्रतिबंधित होता है। इसमें लाठी, तलवार, बंदूक, या किसी भी प्रकार के हथियार शामिल हो सकते हैं।

यदि कोई व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करता है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

इंटरनेट सेवाओं पर अस्थायी रोक

आधुनिक समय में फेक न्यूज और अफवाहें सोशल मीडिया के जरिए बहुत तेजी से फैलती हैं। इसी वजह से Section 144 के अंतर्गत प्रशासन को यह अधिकार होता है कि वह:

  • इंटरनेट सेवाएं बंद कर दे
  • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म (WhatsApp, Facebook, Twitter आदि) पर रोक लगाए
  • मोबाइल नेटवर्क या SMS सेवा सीमित करे

उदाहरण: जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, या दिल्ली जैसे राज्यों में कई बार अफवाहों को रोकने के लिए इंटरनेट बंद किया गया है।

धारा 144 कब लगती है? | 144 dhara kya hai?

भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में कई बार हालात ऐसे बन जाते हैं जब भीड़ को नियंत्रित करना, शांति बनाए रखना और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है। ऐसे समय में सरकार या स्थानीय प्रशासन धारा 144 को लागू करके स्थिति को नियंत्रित करता है।

लेकिन अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि धारा 144 कब लगती है, यानी किस स्थिति में इसे लागू किया जाता है? इसका उत्तर यह है कि जब किसी क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बिगड़ने की आशंका हो — जैसे दंगा, हिंसा, अफवाह या सार्वजनिक सभा, तो प्रशासन इसे एहतियातन लागू करता है।

किन परिस्थितियों में लागू होती है धारा 144?

धारा 144 को लागू करने का कोई एक तय कारण नहीं होता, बल्कि यह पूरी तरह से स्थिति की गंभीरता और संभावित खतरे पर आधारित होता है। प्रशासन जब यह अनुभव करता है कि किसी क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है, तो यह धारा लागू कर दी जाती है।

नीचे ऐसी प्रमुख परिस्थितियाँ दी गई हैं जहाँ बताया गया है की धारा 144 कब लगती है:

सांप्रदायिक तनाव या दंगा जैसी स्थिति

जब किसी इलाके में धार्मिक, जातीय या सांप्रदायिक तनाव फैलने की आशंका हो – जैसे:

  • दो समुदायों के बीच झड़प
  • धार्मिक जुलूस के दौरान टकराव
  • अफवाह फैलने की संभावना

तो प्रशासन भीड़ पर नियंत्रण और शांति बनाए रखने के लिए धारा 144 लागू कर सकता है।

उदाहरण: राम नवमी या मोहर्रम जैसे पर्वों के समय कुछ संवेदनशील क्षेत्रों में धारा 144 पहले से लागू कर दी जाती है।

किसी क्षेत्र में हिंसा या खतरे की आशंका

जब किसी इलाके में:

  • किसी हत्या या अपराध के बाद तनाव हो
  • कोई आंदोलन हिंसक रूप ले सकता हो
  • लोकल इंटेलिजेंस से खतरे का अंदेशा हो

तब यह धारा प्रशासन को भीड़ को सीमित करने और स्थिति पर काबू पाने का कानूनी अधिकार देती है।

उदाहरण: किसी विरोध प्रदर्शन के उग्र हो जाने की सूचना मिलते ही वहां धारा 144 लागू कर दी जाती है।

● VIP मूवमेंट या राजनीतिक कार्यक्रम

जब किसी क्षेत्र में:

  • प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, या अन्य उच्च अधिकारियों का दौरा हो
  • कोई राजनीतिक रैली या रोड शो हो, जिससे ट्रैफिक या सुरक्षा व्यवस्था पर असर पड़ सकता है

तब प्रशासन एहतियातन धारा 144 लागू करता है ताकि भीड़ और प्रदर्शन पर नियंत्रण रखा जा सके।

उदाहरण: चुनाव प्रचार के दौरान बड़ी संख्या में राजनीतिक समर्थक जमा होते हैं, ऐसे में कई बार कानून-व्यवस्था बनाए रखने हेतु यह धारा लागू की जाती है।

परीक्षा केंद्र, संवेदनशील स्थल या सार्वजनिक समारोह

प्रशासन कई बार महत्वपूर्ण परीक्षा केंद्रों, जैसे कि UPSC, SSC या बोर्ड परीक्षाओं के समय:

  • नकल रोकने
  • शांति बनाए रखने
  • भीड़ को दूर रखने

के लिए धारा 144 लागू करता है।

इसके अलावा:

  • अस्पताल, एयरपोर्ट, रेलवे स्टेशन, या
  • धार्मिक स्थलों पर भीड़ और अव्यवस्था को रोकने के लिए यह धारा प्रभावी मानी जाती है।

उदाहरण: कई जिलों में बोर्ड परीक्षा के दौरान परीक्षा केंद्रों के 200 मीटर के दायरे में धारा 144 लागू कर दी जाती है।

धारा 144 कौन लगाता है?

Section 144 को लागू करने का अधिकार केवल कुछ विशेष अधिकारियों को होता है। धारा 144 लागू करने का अधिकार जिला मजिस्ट्रेट या उप-विभागीय मजिस्ट्रेट के पास होता है। यह आदेश किसी विशेष क्षेत्र, किसी व्यक्ति विशेष या लोगों के किसी समूह पर भी लागू किया जा सकता है।

1. जिला मजिस्ट्रेट (District Magistrate – DM)

हर जिले में नियुक्त जिला मजिस्ट्रेट को धारा 144 लागू करने का अधिकार होता है। यह अधिकारी पूरे जिले की कानून-व्यवस्था का सर्वोच्च ज़िम्मेदार होता है।

2. उप-मंडल दंडाधिकारी (Sub-Divisional Magistrate – SDM)

जिले के अंतर्गत आने वाले अलग-अलग उप-मंडलों में नियुक्त SDM को भी यह अधिकार प्राप्त होता है कि वे अपने उपखंड क्षेत्र में Section 144 लागू कर सकते हैं।

3. अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट (Executive Magistrate)

राज्य सरकार द्वारा नियुक्त अन्य कार्यकारी मजिस्ट्रेट भी, जिनके पास प्रशासनिक शक्तियाँ होती हैं, विशिष्ट क्षेत्रीय हालातों में धारा 144 लागू करने का निर्णय ले सकते हैं।

इस कानून के तहत प्रशासन के पास क्या अधिकार हैं?

धारा 144 लागू होने पर संबंधित मजिस्ट्रेट को कुछ विशेष अधिकार मिलते हैं:

  1. भीड़ को तितर-बितर करने का आदेश देना
  2. आवश्यकतानुसार बल प्रयोग (जैसे पुलिस लाठीचार्ज या गिरफ्तारी)
  3. हथियारों और संदिग्ध वस्तुओं की जांच या ज़ब्ती
  4. सोशल मीडिया, इंटरनेट या दूरसंचार सेवाओं पर अस्थायी रोक

धारा 144 का इतिहास (History of Section 144)

धारा 144 क्या है, यह समझने के लिए उसका इतिहास जानना भी ज़रूरी है। धारा 144 का इतिहास आज जितना महत्वपूर्ण और चर्चित है, इसका इतिहास उतना ही पुराना और रोचक है। यह कानून ब्रिटिश शासनकाल की देन है, जिसे भारत में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए लाया गया था। समय के साथ इसका स्वरूप बदला जरूर है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य आज भी वही है – जनता की सुरक्षा और शांति सुनिश्चित करना।

धारा 144 की शुरुआत कब और कैसे हुई? धारा 144 का इतिहास

यह कानून 1861 में ब्रिटिश काल के दौरान अस्तित्व में आया

  • ब्रिटिश सरकार ने 1861 में भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (Criminal Procedure Code) बनाई थी, जिसके माध्यम से भारतीय उपमहाद्वीप में आपराधिक मामलों को नियंत्रित किया जाता था।
  • उस समय धारा 144 का उद्देश्य था – ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ उठने वाले आंदोलनों और विद्रोहों को रोकना।
  • ब्रिटिश सरकार को डर था कि कोई भी भीड़ या सार्वजनिक सभा उनके शासन के लिए खतरा बन सकती है, इसलिए धारा 144 को एक निवारक हथियार के रूप में तैयार किया गया।

● CRPC के तहत वर्ष 1973 में इसे भारतीय कानून का हिस्सा बनाया गया

  • स्वतंत्र भारत में 1973 में CrPC को नया रूप दिया गया, और उसमें Section 144 को यथावत रखा गया लेकिन लोकतांत्रिक तरीके से लागू करने की व्यवस्था की गई।
  • अब यह कानून भारत सरकार और राज्य प्रशासन को जनता की सुरक्षा के लिए सीमित समय तक लागू करने का अधिकार देता है – यह किसी भी संभावित खतरे को रोकने का संवैधानिक तरीका बन चुका है।

भारत में ऐतिहासिक घटनाएँ जहाँ धारा 144 लगाई गई थी

भारत में धारा 144 कई ऐतिहासिक, राजनीतिक और सामाजिक परिस्थितियों में लागू की जा चुकी है। कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं:

● 1947: भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय

  • देश के विभाजन के समय भारी सांप्रदायिक हिंसा और दंगों की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
  • दिल्ली, लाहौर, कोलकाता और अन्य बड़े शहरों में शांति बनाए रखने के लिए Section 144 का व्यापक स्तर पर उपयोग किया गया।

● 1975: आपातकाल के दौरान

  • तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा 26 जून 1975 को आपातकाल लागू किया गया था।
  • उस समय देशभर में विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए धारा 144 का सहारा लिया गया।
  • यह धारा राजनीतिक असंतोष दबाने का माध्यम भी बनी, जिससे इसे लेकर विवाद भी हुआ।

● 2019–2020: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) विरोध

  • जब केंद्र सरकार ने CAA लागू किया, तो देशभर में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए।
  • दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु और अन्य शहरों में शांति बनाए रखने के लिए धारा 144 लागू की गई थी।
  • इसका उद्देश्य था – भीड़ नियंत्रण और अफवाहों को फैलने से रोकना।

● 2020–2021: किसान आंदोलन

  • तीन कृषि कानूनों के विरोध में लाखों किसान दिल्ली बॉर्डर पर जुटे थे।
  • राजधानी के आसपास के इलाकों में धारा 144 लगाई गई थी ताकि सार्वजनिक व्यवस्था बनी रहे और कोई अप्रिय घटना न हो।

● 2020–2021: कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन

  • कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए पूरे देश में Section 144 लागू की गई थी।
  • इसके तहत लोगों के इकट्ठा होने, अनावश्यक बाहर निकलने और यात्रा करने पर प्रतिबंध लगाया गया।
  • यह पहली बार था जब धारा 144 को एक महामारी नियंत्रण उपाय के रूप में पूरे भारत में लागू किया गया।

धारा 144 के नियम और अवधि (Rules & Duration)

Section 144 एक अस्थायी कानूनी प्रावधान है, जिसे केवल विशेष परिस्थितियों में और सीमित समय के लिए लागू किया जाता है। यह कानून अनिश्चित काल के लिए नहीं लगाया जा सकता, बल्कि इसकी एक तय समय-सीमा और नियम होते हैं। आइए विस्तार से समझते हैं कि यह कितने समय के लिए लागू की जा सकती है और इसके उल्लंघन पर क्या दंड दिए जा सकते हैं।

कितने समय के लिए लागू की जा सकती है धारा 144?

अधिकतम 2 महीने (60 दिन) के लिए

Section 144  को पहली बार जब लागू किया जाता है, तो यह अधिकतम 60 दिनों (2 महीने) तक प्रभावी रहती है।
यह अवधि प्रशासनिक अधिकारी द्वारा तय की जाती है और आदेश में स्पष्ट उल्लेख होता है कि यह कितने समय के लिए लागू होगी।

राज्य सरकार की अनुमति से इसे 6 महीने तक बढ़ाया जा सकता है

यदि परिस्थितियाँ सामान्य नहीं होतीं और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की आवश्यकता बनी रहती है, तो:

  • राज्य सरकार की अनुमति से इस धारा की अवधि को हर दो महीने में एक बार बढ़ाकर अधिकतम 6 महीने तक बढ़ाया जा सकता है।
  • हर बार बढ़ाने के लिए नवीन आदेश (fresh order) देना जरूरी होता है।
  • उसके बाद यदि स्थिति अभी भी गंभीर बनी रहे, तो नए सिरे से समीक्षा करके ही आगे बढ़ाने की प्रक्रिया अपनाई जाती है।

यह नियम यह सुनिश्चित करता है कि धारा 144 का अनुचित या अनावश्यक रूप से लंबे समय तक दुरुपयोग न हो।

उल्लंघन पर क्या होता है?

Section 144 एक कानूनी आदेश होता है, और इसका उल्लंघन करना एक दंडनीय अपराध है। यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर इस आदेश का पालन नहीं करता, तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।

दंड प्रक्रिया: गिरफ्तारी, जुर्माना

Section 144 का उल्लंघन करने पर पुलिस उस व्यक्ति को:

  • गिरफ्तार कर सकती है
  • जुर्माना लगा सकती है
  • या दोनों सज़ाएँ एक साथ भी दी जा सकती हैं

यह कार्रवाई CrPC के तहत वैध मानी जाती है और तुरंत प्रभाव से लागू हो सकती है।

धारा 144 और कर्फ्यू में अंतर (Difference Between Section 144 and Curfew)

धारा 144 और कर्फ्यू दोनों ही प्रशासनिक उपाय हैं, लेकिन धारा 144 एक निवारक कदम है, जबकि कर्फ्यू एक आपातकालीन और गंभीर नियंत्रण का माध्यम होता है।
धारा 144 में जीवन सामान्य रहता है, लेकिन कर्फ्यू में आम जनजीवन लगभग ठप हो जाता है।

बिंदुधारा 144कर्फ्यू
परिभाषायह एक कानूनी आदेश है जो सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाता हैयह एक गंभीर स्थिति में लगाया जाने वाला पूर्ण प्रतिबंध है जिसमें लोगों की आवाजाही पर सख्त नियंत्रण होता है
लक्ष्यभीड़-भाड़ को रोकना और सार्वजनिक शांति बनाए रखनाकानून-व्यवस्था पूरी तरह से बिगड़ने की स्थिति में स्थिति पर काबू पाना
लागू करने वाला अधिकारीजिला मजिस्ट्रेट (DM) या कार्यकारी मजिस्ट्रेटजिला प्रशासन / पुलिस के सहयोग से राज्य सरकार
लागू क्षेत्रकिसी विशेष क्षेत्र, मोहल्ले, चौराहे, या शहर के हिस्से मेंपूरे शहर, जिले या बड़े क्षेत्र में लागू किया जा सकता है
लोगों की आवाजाहीलोग सामान्य रूप से आ-जा सकते हैं, पर 4 से अधिक लोग इकट्ठा नहीं हो सकतेबिना अनुमति के कोई व्यक्ति घर से बाहर नहीं निकल सकता
जनजीवन पर प्रभावबाजार, स्कूल, परिवहन सामान्य रूप से चलते रहते हैं (स्थिति अनुसार)स्कूल, बाजार, दफ्तर, परिवहन सभी बंद रहते हैं
रोक किस पर होती हैरैली, सभा, जुलूस, प्रदर्शन, हथियार ले जानासामान्य गतिविधियों और लोगों की बाहर निकलने पर
सामान्य अनुमतिविशेष अनुमति मिलने पर सभा या आयोजन हो सकते हैंकेवल आवश्यक सेवाओं (पुलिस, डॉक्टर, दूध, दवा) को ही अनुमति होती है
उल्लंघन पर दंडIPC धारा 188 के तहत कार्रवाईकर्फ्यू उल्लंघन पर तुरंत गिरफ्तारी और कठोर दंड संभव
section 144 | धारा 144 क्या है?

धारा 144 की आलोचना और कानूनी पक्ष

धारा 144 का उपयोग अक्सर प्रशासन द्वारा आपात स्थितियों में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए किया जाता है। लेकिन कई बार इसे लेकर यह सवाल उठता है कि क्या यह धारा नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है?
इस भाग में हम इसके कानूनी पक्ष, आलोचना और न्यायिक दृष्टिकोण को समझेंगे।

क्या यह मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है?

जब Section 144  लागू होती है, तो इन गतिविधियों पर प्रतिबंध लग जाता है:

  • लोग सड़कों पर विरोध नहीं कर सकते
  • रैली, जुलूस या सभा आयोजित नहीं की जा सकती
  • कभी-कभी पत्रकारिता और सोशल मीडिया पर भी परोक्ष असर पड़ता है

इसी कारण कई नागरिकों और मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि इस धारा का बार-बार और अनुचित उपयोग नागरिक स्वतंत्रता को दबा सकता है

कोर्ट में चुनौती देने की प्रक्रिया

नागरिक अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं

यदि कोई नागरिक यह मानता है कि:

  • Section 144  का दुरुपयोग किया गया है,
  • उसका बोलने या शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार छीना गया है,
  • या उसे अनुचित रूप से गिरफ्तार या रोका गया है,

तो वह न्यायिक सहायता प्राप्त कर सकता है।

कानूनी विकल्प:

  1. हाई कोर्ट में रिट याचिका (Writ Petition under Article 226)
    • व्यक्ति संबंधित राज्य के हाई कोर्ट में यह याचिका दायर कर सकता है कि धारा 144 का आदेश अवैध है या अधिकारों के विरुद्ध है।
  2. सुप्रीम कोर्ट में याचिका (Writ under Article 32)
    • यदि मामला राष्ट्रीय महत्व का हो या मौलिक अधिकारों का गंभीर उल्लंघन हुआ हो, तो व्यक्ति सीधे सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है।

और पढ़े-

शिमला समझौता

सूचना का अधिकार

निष्कर्ष (Conclusion)

Section 144 भारत में शांति और कानून-व्यवस्था बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान है। इसका उद्देश्य किसी संभावित खतरे को समय रहते नियंत्रित करना होता है, ताकि जनता की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
लेकिन एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में हमारा यह कर्तव्य है कि हम इस कानून से जुड़े नियमों और अपने अधिकारों की सही जानकारी रखें। अक्सर लोग पूछते हैं कि धारा 144 क्या है? और यह आम लोगों को कैसे प्रभावित करती है।

धारा 144 का पालन करें, लेकिन साथ ही यह भी जानें कि संविधान ने आपको क्या अधिकार दिए हैं और प्रशासन उन्हें कब, कैसे सीमित कर सकता है।
आज के समय में जब सोशल मीडिया के ज़रिए अफवाहें तेजी से फैलती हैं, ऐसे में यह और भी जरूरी हो जाता है कि हम केवल आधिकारिक आदेशों और सत्य स्रोतों पर ही भरोसा करें।

धारा 144 कब लागू की जाती है?

जब किसी इलाके में दंगा, विरोध, हिंसा, आतंकवादी खतरा, सांप्रदायिक तनाव या कोई आपातकालीन स्थिति हो, तब सरकार धारा 144 लागू कर सकती है।

धारा 144 कितने समय तक लागू रह सकती है?

आमतौर पर धारा 144 अधिकतम 2 महीने तक लागू रह सकती है। खास परिस्थितियों में राज्य सरकार इसकी अवधि 6 महीने तक बढ़ा सकती है।

धारा 144 कब और क्यों लगाई जाती है?

यह धारा तब लागू की जाती है जब किसी क्षेत्र में दंगे, सांप्रदायिक तनाव, विरोध प्रदर्शन, आतंकवादी खतरा या कोई भी सार्वजनिक संकट की स्थिति बन जाती है।

धारा 144 का उल्लंघन करने पर क्या सज़ा है?

इसका उल्लंघन करने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 188 के तहत व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है, जिसमें जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है।

धारा 144 लागू होने पर क्या-क्या प्रतिबंध होते हैं?

इस धारा के तहत चार या अधिक लोगों का इकट्ठा होना, रैली करना, जुलूस निकालना, हथियार रखना और कई बार इंटरनेट सेवाओं का उपयोग भी प्रतिबंधित किया जा सकता है।

अगर कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता है, तो धारा 144 की सजा क्या है?

यदि कोई व्यक्ति धारा 144 का उल्लंघन करता है, तो उसे अधिकतम छह महीने तक की जेल, जुर्माना, या फिर दोनों सजाएं एक साथ दी जा सकती हैं। यह सजा कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए दी जाती है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.