Quick Summary
दशहरा हमें कई सामाजिक और नैतिक संदेश देता है। यह त्योहार बताता है, कि चाहे बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, आखिर में जीत हमेशा अच्छे और सच्चे रास्ते की ही होती है। रावण का अंत हमें सिखाता है, कि अहंकार और बुराई का अंत तय है। भगवान राम की कहानी से हम धैर्य, दया, त्याग और जिम्मेदारी निभाने का महत्व सीखते हैं। यह त्योहार हमें अपनी बुरी आदतें छोड़कर अच्छे गुण अपनाने की सीख भी देता है। साथ ही यह हमें याद दिलाता है, कि हर इंसान को अपने अंदर के रावण यानी गुस्सा, घमंड, लालच और जलन जैसी बुराइयों को खत्म करना चाहिए।
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दशहरा भारत का एक प्रमुख और पावन त्योहार है जिसे बड़े हर्ष और उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और हमें जीवन में सत्य, धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को यह पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण का वध करके अधर्म और अहंकार का अंत किया था। तभी से दशहरा को विजयदशमी के रूप में भी जाना जाता है।

दशहरा भारत का एक प्रसिद्ध और पवित्र त्योहार है। यह पर्व हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इसे विजयदशमी भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध करके बुराई पर अच्छाई की विजय प्राप्त की थी। यह त्योहार हमें सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी शक्तिशाली हो, अंत में जीत हमेशा सत्य और धर्म की होती है।
दशहरा मनाने के कई कारण हैं जो कुछ इस प्रकार हैं:–
दशहरे के दिन जगह-जगह मेलों का आयोजन होता है। बड़े-बड़े मैदानों में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले बनाए जाते हैं। शाम को इन पुतलों का दहन किया जाता है, जिसे देखने के लिए लोग बहुत उत्साह से इकट्ठा होते हैं। रावण दहन का यह दृश्य हमें अहंकार और अधर्म के अंत का संदेश देता है।
दशहरा को लेकर दो पौराणिक घटनाएं हैं, जिसे दशहरा का पौराणिक महत्व भी कहा जा सकता है।
पहली घटना रामायण से जुड़ी है, जिसमें भगवान श्री राम जी ने रावण का वध किया था। रावण, जो लंका का राजा था, ने सीता माता का अपहरण कर लिया था। भगवान श्री राम ने अपनी पत्नी सीता को रावण से मुक्त कराने के लिए वानर सेना के साथ मिलकर एक बड़ा युद्ध लड़ा और अंततः रावण का वध किया। इस दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है, जो दशहरे का एक अन्य नाम है।
दूसरी घटना मां दुर्गा से जुड़ी है, जिसमें देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध किया था। देवी दुर्गा ने नौ दिनों तक युद्ध करके उसे पराजित किया। इस महत्व के कारण भी दसवें दिन को विजयदशमी के रूप में मनाया जाता है।
हिंदी में दशहरा पर निबंध 10 लाइनों में कुछ इस प्रकार है:

हिंदी में दशहरा पर निबंध 20 लाइनों में कुछ इस प्रकार है:
हिंदी में दशहरा पर निबंध 100 शब्दों में कुछ इस प्रकार है:
दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार भगवान राम द्वारा रावण के वध और देवी दुर्गा द्वारा महिषासुर के संहार की याद में मनाया जाता है। देश भर में रामलीला का आयोजन होता है और रावण, मेघनाद, और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। दशहरा हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है, चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो।
दशहरा हिंदू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है जो बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह त्योहार आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण का वध कर माता सीता को मुक्त कराया था। रामलीला के रूप में इस कथा का नाटकीय प्रदर्शन होता है और रावण, मेघनाद, और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है।
दशहरा का महत्व सिर्फ रामायण से ही नहीं जुड़ा है, बल्कि यह देवी दुर्गा की महिषासुर पर विजय को भी दर्शाता है। नवरात्रि के नौ दिनों की पूजा-अर्चना के बाद दसवें दिन देवी दुर्गा की विजय का उत्सव मनाया जाता है।
दशहरा का पर्व हमें सिखाता है कि सत्य और धर्म की हमेशा विजय होती है। यह त्योहार हमें बुराई के खिलाफ संघर्ष करने और सच्चाई की राह पर चलने की प्रेरणा देता है।
दशहरा, भारत के सबसे महत्वपूर्ण और धूमधाम से मनाए जाने वाले त्योहारों में से एक है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की प्रतीकात्मक जीत का उत्सव है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान राम ने 10 दिनों के संघर्ष के बाद रावण का वध किया था और माता सीता को उसके चंगुल से मुक्त कराया था। इसलिए इसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है।
दशहरा का उत्सव पूरे देश में विभिन्न तरीकों से मनाया जाता है। रावण के पुतले का दहन, रामलीला का आयोजन, शस्त्र पूजन और नवरात्रि के उपवास इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं। रावण का पुतला जलाकर लोग बुराई के प्रतीक का नाश करते हैं और अच्छाई की विजय का जश्न मनाते हैं। रामलीला के माध्यम से रामायण की गाथा का जीवंत रूप देखने को मिलता है, जो लोगों को धर्म और कर्तव्य के प्रति जागरूक करता है।
दशहरा का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यंत गहरा है। यह त्योहार हमें हमारे इतिहास और परंपराओं से जोड़ता है। साथ ही, यह एकता, भाईचारा और सामाजिक सद्भाव का संदेश देता है। लोग इस पर्व पर एक-दूसरे के घर जाते हैं, मिठाइयाँ बांटते हैं और खुशी का आदान-प्रदान करते हैं। इस तरह दशहरा न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि सामाजिक जीवन को भी समृद्ध बनाता है।
दशहरा, जिसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह त्योहार विशेष रूप से रामायण के नायक श्रीराम द्वारा रावण, कुम्भकर्ण और मेघनाथ के खिलाफ युद्ध जीतने के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन भगवान राम ने रावण को पराजित कर अपनी पत्नी सीता को रावण के बंदीगृह से मुक्त किया था। दशहरा के प्रमुख आयोजनों के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं:

नीचे तालिका में भारत के अलग-अलग राज्यों में दशहरा मनाने के तरीकों और उनकी विशेषताओं को बताया गया है।
| क्षेत्र/राज्य | दशहरा मनाने का रूप | विशेषताएँ |
|---|---|---|
| उत्तर भारत (दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार) | रावण दहन | बड़े मैदानों में रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं। |
| पश्चिम बंगाल | दुर्गा पूजा का समापन | दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन होता है और विजय दशमी मनाई जाती है। |
| महाराष्ट्र | अपराजिता पूजन, शमी पूजन | लोग शमी वृक्ष की पूजा करते हैं और सोने के पत्ते एक-दूसरे को शुभकामना के रूप में देते हैं। |
| गुजरात | नवरात्रि और गरबा | गरबा और डांडिया की धूम रहती है, विजयदशमी नवरात्रि के अंत का प्रतीक है। |
| कर्नाटक (मैसूर) | मैसूर दशहरा | राजसी शोभायात्रा, हाथियों की सवारी और भव्य जुलूस निकाले जाते हैं। |
| तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश | बॉम्बे हब्बा/गोलू | घरों में देवी-देवताओं और पौराणिक दृश्यों की मूर्तियाँ सजाई जाती हैं। |
| हिमाचल प्रदेश (कुल्लू) | कुल्लू दशहरा | एक सप्ताह से अधिक चलने वाला मेला, जिसमें देवताओं की झाँकियाँ निकाली जाती हैं। |
दशहरा भारत का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है। इसे विजयदशमी भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान राम ने रावण का वध कर बुराई पर अच्छाई की जीत प्राप्त की थी। यह पर्व हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। दशहरा केवल धार्मिक उत्सव नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में सत्य, धर्म और नैतिक मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है।
दशहरा हमें यह सिखाता है कि बुराई चाहे कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अंत में सत्य और धर्म की ही विजय होती है। भगवान राम का जीवन हमें धैर्य, करुणा, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा की सीख देता है। यह पर्व न केवल हमारे धार्मिक विश्वासों को मजबूत करता है, बल्कि समाज में अच्छाई, प्रेम और भाईचारे को बढ़ावा देने का काम भी करता है। बच्चों और युवाओं के लिए यह पर्व जीवन में सही मार्ग चुनने और बुराइयों से लड़ने की प्रेरणा देता है।
इस प्रकार, दशहरा भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह त्योहार अच्छाई की जीत का प्रतीक होने के साथ-साथ हमें नैतिक मूल्यों का पालन करने और समाज में अच्छे संस्कारों को बढ़ावा देने की सीख देता है।
भारत एक विविधताओं से भरा देश है जहाँ अनेक धर्मों और संस्कृतियों के लोग साथ रहते हैं। यहां साल भर अनेक त्योहार मनाए जाते हैं जो न केवल धार्मिक महत्व रखते हैं, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी होते हैं। इन्हीं प्रमुख त्योहारों में से एक है दशहरा, जिसे विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। यह पर्व अच्छाई की बुराई पर जीत का प्रतीक है और इसका भारतीय संस्कृति में एक विशेष स्थान है।
दशहरा का पर्व भगवान राम की रावण पर विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इसे विजयादशमी कहा जाता है, जिसका अर्थ है “विजय प्राप्त करने वाला दसवाँ दिन”। रामायण के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध कर अपनी पत्नी सीता को उसके बंदीगृह से मुक्त कराया था। यह पर्व यह संदेश देता है कि चाहे बुराई कितनी भी शक्तिशाली क्यों न हो, अंत में जीत सत्य और धर्म की ही होती है। यह त्योहार लोगों को नैतिक मूल्यों, सत्य, और कर्तव्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
दशहरे के अवसर पर रामलीला का भव्य आयोजन किया जाता है, जिसमें रामायण की घटनाओं का मंचन किया जाता है। रामलीला में भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण जैसे पात्रों की भूमिकाएं निभाई जाती हैं। यह आयोजन लोगों को भगवान राम के जीवन, उनके संघर्षों और उनके उच्च आदर्शों से परिचित कराता है।
रामलीला अक्सर गांवों, कस्बों और शहरों में खुले मैदानों या मंचों पर आयोजित होती है। इसमें नृत्य, संगीत, संवाद और अभिनय के माध्यम से पूरी रामकथा को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया जाता है। यह कार्यक्रम न केवल मनोरंजन का माध्यम होता है, बल्कि लोगों के भीतर धार्मिक आस्था और नैतिक मूल्यों को भी जागृत करता है।
भगवान राम – वे रामलीला के मुख्य पात्र होते हैं, जो धर्म, सत्य और न्याय के प्रतीक माने जाते हैं।
सीता – उनकी पत्नी, जो स्त्री शक्ति, आदर्श पत्नी और नारी मर्यादा का प्रतीक हैं।
लक्ष्मण – राम के छोटे भाई, जो समर्पण, सेवा और भ्रातृ-प्रेम का आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
हनुमान – भक्ति, वीरता और निःस्वार्थ सेवा के प्रतीक हैं।
रावण – अहंकार और अधर्म का प्रतीक, जिसकी हार हमें यह सिखाती है कि बुराई का अंत निश्चित है।
इस पर्व से पहले ही रामलीला की तैयारियाँ जोरों पर शुरू हो जाती हैं। पात्रों के लिए पोशाकें, मेकअप, मंच सज्जा और संवादों की रिहर्सल की जाती है। स्थानीय कलाकार पूरे समर्पण के साथ अभिनय की तैयारी करते हैं ताकि दर्शकों को कथा का सार्थक अनुभव मिल सके।
दशहरे के दिन रामलीला के अंतिम दृश्य में भगवान राम द्वारा रावण के पुतले का वध किया जाता है। इस अवसर पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण के विशाल पुतलों का दहन किया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक होता है। साथ ही, इस दिन विभिन्न मेलों का आयोजन भी होता है, जहाँ लोग खान-पान, झूले, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और खरीदी का आनंद लेते हैं।
दशहरा का सबसे प्रमुख सांस्कृतिक पहलू है रामलीला। गाँवों और शहरों में मंच सजाकर रामायण की घटनाओं का अभिनय किया जाता है। इसमें भगवान राम के जीवन से लेकर रावण वध तक की कथा बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत की जाती है। इसके साथ ही कठपुतली नाटक, भजन-कीर्तन और लोकगीत भी लोगों को उत्सव से जोड़ते हैं।
ढोल, नगाड़े और लोकनृत्यों से दशहरा के अवसर पर गाँव-गाँव गूंज उठता है। कई स्थानों पर सांस्कृतिक झाँकियाँ और मेलों का आयोजन भी होता है, जो इस त्योहार को और भी खास बना देता है।
दशहरा पर घर-घर में स्वादिष्ट व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
त्योहार का असली स्वाद तब आता है जब पूरा परिवार एक साथ बैठकर भोजन करता है और एक-दूसरे के साथ मिठाइयाँ बाँटता है। यह आपसी प्रेम और भाईचारे को बढ़ाता है।
दशहरा हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार है।
इसे विजयादशमी भी कहा जाता है।
यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था।
नवरात्रि के दसवें दिन यह पर्व मनाया जाता है।
दशहरे पर रावण, मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले जलाए जाते हैं।
लोग बड़े उत्साह से इस दिन रामलीला का आयोजन करते हैं।
दशहरे पर मेले और झांकियों का आयोजन भी किया जाता है।
यह पर्व हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
दशहरे पर लोग अपने घरों और दुकानों में पूजा करते हैं।
इस दिन शस्त्र और उपकरणों की भी पूजा की जाती है।
भारत के विभिन्न राज्यों में दशहरा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
किसान इस दिन नई फसल काटकर भगवान को अर्पित करते हैं।
बच्चों और बड़ों सभी के लिए यह त्यौहार खुशी लेकर आता है।
दशहरा हमें यह संदेश देता है कि अंततः अच्छाई की ही जीत होती है।
दशहरा केवल बुराई पर अच्छाई की जीत का त्योहार नहीं है, बल्कि यह हमें जीवन में सत्य, धर्म और नैतिक मूल्यों का पालन करने की प्रेरणा देता है। भगवान राम और देवी दुर्गा की कथाएँ हमें धैर्य, करुणा, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा की सीख देती हैं। यह पर्व हमें याद दिलाता है कि असत्य चाहे कितनी भी प्रबल क्यों न हो, अंततः सत्य की ही विजय होती है। इसलिए, दशहरे का त्योहार न केवल उत्सव और आनंद का प्रतीक है, बल्कि जीवन में सही मार्ग चुनने और समाज में अच्छाई फैलाने की प्रेरणा भी है।
-आकृति जैन
दशहरा पर निबंध हिंदी में (dussehra par nibandh in hindi) के माध्यम से हमने इस महत्वपूर्ण त्योहार के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास किया। दशहरा न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक जीवन में भी एक विशेष स्थान रखता है। भगवान श्री राम और देवी दुर्गा की विजय की कथाएँ हमें सिखाती हैं कि सत्य और धर्म की हमेशा जीत होती है। इस त्योहार के दौरान रावण दहन और मैसूर दशहरा जैसे भव्य आयोजनों से हमें जो प्रेरणा मिलती है, वह अद्वितीय हैं।
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निबंध लिखने के लिए आप इन बिंदुओं पर ध्यान दे सकते हैं:
प्रस्तावना: दशहरा त्योहार का संक्षिप्त परिचय दें।
रामायण की कहानी: राम और रावण के युद्ध और रावण के वध के बारे में संक्षेप में बताएं।
दशहरे का महत्व: इस त्योहार का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है, इसे विस्तार से बताएं।
दशहरा कैसे मनाया जाता है: भारत के विभिन्न हिस्सों में दशहरा कैसे मनाया जाता है, इसकी जानकारी दें।
दशहरा का मुख्य संदेश: दशहरा हमें क्या सिखाता है, इस पर विस्तार से चर्चा करें।
निष्कर्ष: दशहरा त्योहार की प्रासंगिकता और भविष्य में इसकी प्रासंगिकता पर चर्चा करें।
1. दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
2. इस दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था।
3. दशहरा नवरात्रि के नौ दिनों के उपवास का समापन होता है।
4. इस दिन शमी के पेड़ की पूजा की जाती है।
5. दशहरा विजय का प्रतीक है।
6. इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है।
7. दशहरा भारत के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है।
8. दशहरा हमें बुराई से लड़ने और अच्छाई का मार्ग अपनाने की प्रेरणा देता है।
9. दशहरा एक सांस्कृतिक और धार्मिक त्योहार है।
10. दशहरा हमें एकता और भाईचारे का संदेश देता है।
दशहरा का मुख्य संदेश है बुराई पर अच्छाई की जीत। यह हमें सिखाता है कि हमें हमेशा अच्छाई का मार्ग अपनाना चाहिए और बुराई से लड़ना चाहिए।
दशहरा की कुछ विशेषताएं हैं:
1. रावण दहन
2. शमी पूजन
3. नवरात्रि के उपवास का समापन
4. विजय का प्रतीक
विजयदशमी यानी दशहरा नवरात्रि खत्म होने के अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने से पहले 9 दिनों तक मां दुर्गा की उपासनी की थी और 10वें दिन रावण का वध किया था। विजयदशमी का पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाए जाने वाले मुख्य पर्वों में से है।
दशहरा 2025 में 2 अक्टूबर, गुरुवार के दिन मनाया जाएगा।
यह पर्व हर साल अश्विन माह की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को पड़ता है।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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