सूचना का अधिकार

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 और इसका महत्व

Published on May 15, 2025
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सूचना का अधिकार

Quick Summary

  • सूचना का अधिकार, जिसे संविधान के अनुच्छेद 19(1) के अंतर्गत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।
  • अनुच्छेद 19(1) के अनुसार, हर नागरिक को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्राप्त है, साथ ही यह जानने का अधिकार भी है कि सरकार किस प्रकार कार्य करती है, उसकी भूमिका क्या है, और उसके द्वारा किए जाने वाले कार्य क्या हैं आदि।
  • यह अधिकार नागरिकों को सरकार की गतिविधियों और निर्णयों के प्रति जागरूक रहने में मदद करता है, जिससे वे अपने अधिकारों का सही तरीके से उपयोग कर सकें।

Table of Contents

सूचना का अधिकार एक मौलिक मानवाधिकार है जो नागरिकों को सरकार से सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है। यह अधिकार लोकतंत्र के सुचारू संचालन और भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए आवश्यक है। इस लेख में, हम आरटीआई एक्ट क्या है, सूचना के अधिकार का महत्व, और सूचना का अधिकार अधिनियम 2005(RTI Act) के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

आरटीआई एक्ट क्या है?

  • आरटीआई (सूचना का अधिकार) एक्ट, 2005 भारत का एक महत्वपूर्ण कानून है जो नागरिकों को सरकारी सूचना तक पहुँचने का अधिकार देता है। इसका मुख्य उद्देश्य पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देना है।
  • RTI Act का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक नागरिक को सरकारी विभागों, सार्वजनिक प्राधिकरणों और अन्य संस्थानों से आवश्यक सूचना प्राप्त करने का अधिकार है।
  • यह अधिनियम 15 जून 2005 को लागू हुआ और इसके बाद से भारत में नागरिकों को सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया में एक नया मोड़ आया। इस अधिनियम के अंतर्गत सभी सरकारी कार्यालय, सार्वजनिक उपक्रम, और अन्य संस्थाएँ आती हैं जो किसी भी प्रकार की जानकारी रखती हैं।
  • सूचना प्राप्त करने की प्रक्रिया:
    • कोई भी नागरिक लिखित या ऑनलाइन आवेदन देकर सूचना मांग सकता है।
    • आवेदन में जानकारी का स्रोत और आवश्यक सूचना का विवरण देना होता है।
    • सरकारी विभागों को 30 दिनों के भीतर सूचना प्रदान करनी होती है।

सूचना का अधिकार अधिनियम का उद्देश्य

सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाना, सरकार की कार्यशैली में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाना, भ्रष्टाचार को रोकना तथा हमारे लोकतंत्र को सही मायने में लोगों के लिए कार्य करने वाला बनाना है। यह स्पष्ट है कि सूचना प्राप्त नागरिक शासन के साधनों पर आवश्यक नजर रखने के लिए बेहतर रूप से तैयार होता है और सरकार को जनता के लिए और अधिक जवाबदेह बनाता है। यह अधिनियम नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जागरूक करने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005: विशेषताएं

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 का उद्देश्य नागरिकों को सरकार के कार्यों और निर्णयों के बारे में जानकारी प्राप्त करने का अधिकार प्रदान करना है। यह अधिनियम भारत में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

अधिनियम की प्रमुख विशेषताएं:

  • सूचना का अधिकार: अधिनियम के तहत, कोई भी व्यक्ति सरकार के किसी भी कार्यालय से सूचना प्राप्त करने का अधिकार रखता है।
  • आवेदन प्रक्रिया: सूचना प्राप्त करने के लिए किसी भी व्यक्ति को आरटीआई आवेदन पत्र भरकर संबंधित कार्यालय में जमा करना होता है।
  • जवाबदेही: सरकार के कार्यालयों को आरटीआई आवेदनों का जवाब निर्धारित समय सीमा के भीतर देना होता है।
  • अपील प्रक्रिया: यदि सूचना प्राप्त करने में कोई समस्या आती है, तो व्यक्ति अपील कर सकता है।

सूचना के अधिकार के तहत आवेदन कैसे करें?

सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करने के Steps
सूचना के अधिकार के तहत आवेदन करने के Steps
  1. हर सरकारी विभाग में एक जन सूचना अधिकारी नियुक्त होता है। आप अपने आवेदन पत्र को उनके पास जमा करवा सकते हैं। आवेदन पत्र का प्रारूप आप इंटरनेट से डाउनलोड कर सकते हैं या फिर एक साधारण सफेद कागज पर अपना आवेदन (एप्लीकेशन) लिख सकते हैं, जिसमें जन सूचना अधिकारी आपकी सहायता करेंगे।
  2. RTI की एप्लीकेशन आप किसी भी भारतीय भाषा जैसे हिंदी, अंग्रेजी या किसी भी स्थानीय भाषा में प्रस्तुत कर सकते हैं। 
  3. अपने आवेदन पत्र की एक फोटो कॉपी बनवाकर जन सूचना अधिकारी से रिसीविंग लेना न भूलें।
  4. आप https://rtionline.gov.in/ वेबसाइट पर जाकर केंद्र सरकार के किसी भी विभाग से जानकारी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन भी कर सकते हैं।
  5. आवेदन पत्र जमा करने के 30 दिनों के भीतर आपको उत्तर प्राप्त होगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो आप अपील करने का अधिकार रखते हैं। 
  6. किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त करने के लिए आवेदन पत्र के साथ 10/- रुपये की फीस देनी होती है। यह फीस उन लोगों के लिए माफ है जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं।
  7. इस प्रक्रिया के माध्यम से आप अपनी आवश्यक जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं और सरकारी सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं। जन सूचना अधिकारी आपकी मदद के लिए हमेशा उपलब्ध रहते हैं।

जानकारी प्राप्त करने के लिए शुल्क क्या है?

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 6(1) के तहत सूचना के लिए एक आवेदन/अनुरोध दस रुपये (10) के शुल्क के साथ होना चाहिए। शुल्क का भुगतान एनपीएस ट्रस्ट को नकद में एक उचित रसीद के विरुद्ध या एनपीएस ट्रस्ट के पक्ष में डिमांड ड्राफ्ट या बैंकर्स चेक (नई दिल्ली में देय) के माध्यम से या एनपीएस ट्रस्ट के लेखा अधिकारी को देय भारतीय पोस्टल ऑर्डर के माध्यम से किया जा सकता है। या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से।

आवेदन पत्र का प्रारूप

आरटीआई के तहत आवेदन पत्र का प्रारूप सरल होता है। आवेदन पत्र में निम्नलिखित जानकारी शामिल होनी चाहिए:

  • आवेदक का नाम: पूर्ण नाम और संपर्क जानकारी (पता, फोन नंबर, ईमेल आदि)।
  • सूचना की मांग: स्पष्ट रूप से बताएं कि आप किस प्रकार की सूचना मांग रहे हैं। यह जानकारी जितनी स्पष्ट होगी, उतना ही आसान होगा।
  • सूत्र का नाम: जिस सरकारी विभाग या सार्वजनिक प्राधिकरण से आप सूचना मांग रहे हैं, उसका नाम और पता।
  • तारीख: आवेदन की तारीख।
  • हस्ताक्षर: आवेदन पत्र के अंत में आवेदक का हस्ताक्षर।

सूचना का अधिकार के लाभ

  • सूचना के माध्यम से, नागरिक अपनी समस्याओं के समाधान के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं और उनके कार्यों पर नजर रख सकते हैं।
  • सरकार के कामकाज में पारदर्शिता बढ़ती है। इससे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को उजागर करने में मदद मिलती है।
  • सूचना का अधिकार से सरकार और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को अपने कार्यों के लिए जवाबदेह बनाया जा सकता है।
  • सूचना का अधिकार लोकतंत्र को मजबूत बनाता है। इससे नागरिकों की सरकार में भागीदारी बढ़ती है और सरकार जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप काम करने के लिए प्रेरित होती है।

सूचना का अधिकार के अंतर्गत चुनौतियाँ

सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005(आरटीआई) ने भारत में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा दिया है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। यहाँ कुछ प्रमुख चुनौतियाँ दी गई हैं:

1. अवरोध और प्रशासनिक समस्याएँ

  • कई बार सरकारी कार्यालयों में अधिकारियों की अनभिज्ञता या अनिच्छा के कारण आरटीआई आवेदन को सही तरीके से नहीं समझा जाता। यह प्रक्रिया को लंबा और जटिल बना देता है।

2. जानकारी की असंवेदनशीलता

  • कुछ सरकारी संस्थान जानबूझकर सूचना देने में आनाकानी करते हैं, जिससे नागरिकों को आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में कठिनाई होती है। यह अवरोध पारदर्शिता को कमजोर करता है।

3. संवेदनशील जानकारी का दुरुपयोग

  • कभी-कभी, सूचना का दुरुपयोग किया जाता है, विशेषकर व्यक्तिगत या संवेदनशील जानकारी के मामले में। इससे कुछ मामलों में सुरक्षा चिंताएँ उत्पन्न हो सकती हैं।

4. भ्रष्टाचार और प्रतिशोध

  • कई बार आरटीआई आवेदन दायर करने वाले व्यक्तियों को सरकारी अधिकारियों द्वारा प्रतिशोध का सामना करना पड़ता है। उन्हें परेशान करने या दबाने की कोशिश की जाती है, जो उनकी सुरक्षा को खतरे में डाल सकता है।

5. जागरूकता की कमी

  • सभी नागरिकों को आरटीआई अधिनियम और इसके अधिकारों के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती। जागरूकता की कमी के कारण कई लोग इस अधिकार का उपयोग नहीं कर पाते।

सूचना के अधिकार का महत्व

सूचना का अधिकार (आरटीआई) अधिनियम, 2005 ने भारतीय लोकतंत्र में नागरिकों को शक्तिशाली उपकरण प्रदान किया है, जिससे वे सरकारी कार्यों में पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित कर सकते हैं। इसके कई महत्वपूर्ण पहलू हैं:

पारदर्शिता और जवाबदेही में सूचना के अधिकार का महत्व

सूचना का अधिकार सरकारी कामकाज में पारदर्शिता को बढ़ावा देता है। जब नागरिकों को जानकारी प्राप्त होती है, तो सरकारी अधिकारी अपने कार्यों में अधिक जिम्मेदार और जवाबदेह बनते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सरकारी योजनाएँ और नीतियाँ जनता की भलाई के लिए बनाई जाएं और उन पर सही तरीके से कार्यान्वित किया जाए।

नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा

आरटीआई अधिनियम नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है। जब लोग जानते हैं कि उन्हें जानकारी प्राप्त करने का अधिकार है, तो वे अपने अधिकारों का उपयोग कर सकते हैं। यह उन्हें अपने मुद्दों को उठाने और सरकारी संस्थाओं से उत्तरदायित्व की मांग करने में सक्षम बनाता है।

भ्रष्टाचार निवारण में सूचना के अधिकार का महत्व

सूचना का अधिकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक प्रभावी उपाय है। जब सरकारी कार्यों और निर्णयों की जानकारी सार्वजनिक होती है, तो भ्रष्टाचार की संभावना कम होती है। नागरिकों द्वारा जानकारी मांगने पर अधिकारियों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सकती है, जिससे वे भ्रष्टाचार के खिलाफ जिम्मेदार बनते हैं।

सरकारी संस्थाओं में सुधार

आरटीआई अधिनियम के तहत जानकारी प्राप्त करने से सरकारी संस्थाएँ अपनी कार्यप्रणाली में सुधार कर सकती हैं। जब उन्हें पता चलता है कि नागरिक उनके कार्यों की निगरानी कर रहे हैं, तो वे अपने कार्यों को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने की कोशिश करते हैं। इससे न केवल प्रशासनिक सुधार होते हैं, बल्कि सरकारी सेवाओं की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

RTI अधिनियम के मुख्य बिंदु | Right to Information Act in Hindi

RTI अधिनियम (सूचना का अधिकार अधिनियम) 2005 भारत में एक ऐसा कानून है जो आम नागरिकों को सरकारी कार्यों और निर्णयों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए जानकारी प्राप्त करने का अधिकार देता है। नीचे RTI अधिनियम के महत्वपूर्ण बिंदु विस्तार से दिए गए हैं:

1. पारदर्शिता सुनिश्चित करता है

RTI अधिनियम का मुख्य उद्देश्य सरकार और उसके विभागों में पारदर्शिता लाना है। इससे नागरिक सरकारी नीतियों, फैसलों और कार्यप्रणालियों की जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकते हैं।

2. नागरिकों को जानकारी पाने का अधिकार

यह कानून भारत के हर नागरिक को अधिकार देता है कि वह किसी भी सार्वजनिक प्राधिकरण से दस्तावेज, रिकॉर्ड, रिपोर्ट या कोई अन्य सूचना मांग सकता है, जब तक वह गोपनीय नहीं है।

3. जवाबदेही को बढ़ावा देता है

RTI अधिनियम के तहत, सरकारी अधिकारी और संस्थान उत्तरदायी बनते हैं क्योंकि उन्हें निश्चित समय में जानकारी देनी होती है। इससे नागरिकों और सरकार के बीच विश्वास बढ़ता है।

4. भ्रष्टाचार पर नियंत्रण

सरकारी कार्यों की जानकारी सार्वजनिक होने से भ्रष्टाचार पर रोक लगाने में मदद मिलती है। यह अधिनियम नागरिकों को ताकत देता है कि वे सरकारी कार्यों की जांच कर सकें।

5. आवेदन की प्रक्रिया

कोई भी नागरिक एक साधारण आवेदन पत्र में RTI दाखिल कर सकता है, जिसमें उसे किस प्रकार की जानकारी चाहिए, यह स्पष्ट रूप से लिखा होता है।

6. समय सीमा

RTI अधिनियम के अनुसार, संबंधित सार्वजनिक प्राधिकरण को 30 दिनों के भीतर मांगी गई जानकारी उपलब्ध करानी होती है। आपातकालीन मामलों में यह समयसीमा घट सकती है।

7. अपील की सुविधा

यदि किसी नागरिक को समय पर या संतोषजनक उत्तर नहीं मिलता है, तो वह प्रथम अपील अधिकारी (First Appellate Authority) के पास अपील कर सकता है। जरूरत पड़ने पर केंद्रीय या राज्य सूचना आयोग में दूसरी अपील भी की जा सकती है।

8. केवल तथ्यों से जुड़ी जानकारी

RTI के तहत केवल वही जानकारी मांगी जा सकती है जो किसी दस्तावेज या रिकॉर्ड में दर्ज हो। आप सरकारी अधिकारियों के विचार या राय नहीं पूछ सकते।

9. आवेदन शुल्क

RTI आवेदन के लिए आमतौर पर ₹10 का शुल्क लिया जाता है। गरीबी रेखा से नीचे (BPL) के नागरिकों को यह शुल्क नहीं देना होता।

RTI के प्रयोग और इसके फायदे (Right to Information Act – उपयोग और लाभ)

RTI अधिनियम 2005 का उद्देश्य सरकारी व्यवस्था में पारदर्शिता लाना और आम नागरिकों को सरकारी कार्यों की जानकारी पाने का अधिकार देना है। यह कानून नागरिकों को सशक्त बनाता है और प्रशासन को जवाबदेह बनाता है। आइए जानते हैं इसके प्रयोग और लाभ:

RTI का प्रयोग कैसे किया जा सकता है?

  1. किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी प्राप्त की जा सकती है
    कोई भी नागरिक RTI के माध्यम से सरकारी विभागों से जानकारी मांग सकता है, चाहे वह स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, सड़क, या किसी अन्य क्षेत्र से जुड़ी हो।
  2. तथ्य आधारित जानकारी के लिए उपयोग करें
    RTI के तहत केवल तथ्यात्मक जानकारी मांगी जा सकती है, जैसे:
    • किसी सरकारी डिस्पेंसरी में कितनी दवाइयाँ आती हैं?
    • किसी पार्क की सफाई पर कितना खर्च हुआ?
    • सड़क निर्माण के लिए कितने पैसे आवंटित हुए और कहां खर्च हुए?
    • किसी विभाग में कितनी नियुक्तियाँ हुईं?
  3. राय या विचार नहीं मांगे जा सकते
    RTI का उपयोग किसी विभाग या अधिकारी की राय या सुझाव जानने के लिए नहीं किया जा सकता। केवल दस्तावेज़ों, रिकॉर्ड्स या आँकड़ों की जानकारी ही मांगी जा सकती है।

RTI के प्रमुख फायदे

  1. पारदर्शिता बढ़ाता है
    यह अधिनियम सरकार और प्रशासन के कार्यों में पारदर्शिता लाने का माध्यम है।
  2. भ्रष्टाचार के खिलाफ असरदार हथियार
    जब नागरिक सरकारी खर्च और कार्यों की जानकारी हासिल कर सकते हैं, तो इससे भ्रष्टाचार पर अंकुश लगता है।
  3. जनसामान्य की समस्याओं का समाधान
    कई लोगों ने RTI के माध्यम से वो जानकारी पाई है जिससे उनकी व्यक्तिगत या सामूहिक समस्याएं हल हुईं हैं, जैसे बिजली बिल, पेंशन, राशन कार्ड या सरकारी योजनाओं से जुड़ी समस्याएं।
  4. अधिकारों की जागरूकता
    यह कानून नागरिकों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करता है और उन्हें सरकार से जवाब मांगने का अधिकार देता है।
  5. सभी प्रमुख सरकारी संस्थान इसके दायरे में आते हैं
    जैसे प्रधानमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री कार्यालय, सरकारी बैंक, स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, बिजली विभाग, नगर निगम, पुलिस, राष्ट्रपति कार्यालय आदि।

RTI से क्या जानकारी नहीं मिलती?

  • राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा, खुफिया एजेंसियों और गोपनीय दस्तावेज़ों से संबंधित जानकारी RTI के तहत नहीं दी जाती है।
  • किसी व्यक्ति की निजी जानकारी (जब तक वह सार्वजनिक हित से जुड़ी न हो) भी RTI से बाहर है।

RTI के तहत जानकारी कैसे प्राप्त करें?

हर सरकारी विभाग में एक जन सूचना अधिकारी (Public Information Officer – PIO) नियुक्त होता है, जिसके पास आप अपना RTI आवेदन जमा कर सकते हैं। RTI आवेदन किसी भी सादे कागज पर लिखा जा सकता है या आप इसका निर्धारित फॉर्मेट इंटरनेट से डाउनलोड कर सकते हैं।

आप यह आवेदन पत्र हिंदी, अंग्रेज़ी या किसी भी स्थानीय भाषा में लिख सकते हैं। आवेदन जमा करने के बाद, उसकी एक फोटोकॉपी अपने पास रखें और जन सूचना अधिकारी से प्राप्ति रसीद (receiving) जरूर लें।

अगर आप केंद्र सरकार के किसी विभाग से जानकारी लेना चाहते हैं, तो https://rtionline.gov.in/ पर जाकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

RTI अधिनियम के अनुसार, आवेदन पत्र जमा करने के 30 दिनों के भीतर आपको सूचना प्राप्त हो जानी चाहिए। यदि तय समय में जानकारी नहीं मिलती है, तो आप प्रथम अपील अधिकारी (First Appellate Authority) के पास अपील कर सकते हैं और आवश्यकता पड़ने पर दूसरी अपील केंद्रीय या राज्य सूचना आयोग में कर सकते हैं।

RTI आवेदन के साथ 10 रुपये का शुल्क देना होता है। हालांकि, यह शुल्क गरीबी रेखा से नीचे (BPL) वर्ग के लोगों के लिए माफ है।

मौलिक अधिकार क्या है?

निष्कर्ष

सूचना का अधिकार एक ऐसा शक्तिशाली उपकरण है जो न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है बल्कि समाज और राष्ट्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act) ने भारत में इस अधिकार को कानूनी रूप दिया है।

आरटीआई एक्ट क्या है इस प्रश्न का उत्तर हमें बताता है कि यह एक मौलिक मानवाधिकार है जो नागरिकों को सरकार से सूचना प्राप्त करने का अधिकार देता है। सूचना का अधिकार का महत्व इस बात में निहित है कि यह पारदर्शिता, जवाबदेही, भ्रष्टाचार निवारण और विकास में योगदान देता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

सूचना के अधिकार से क्या आता है?

RTI के अंतर्गत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से कोई भी जानकारी ले सकता है बस शर्त यह है की RTI के तहत पूछी जाने वाली जानकारी तथ्यों पर आधारित होनी चाहिए।

सूचना मांगने की क्या प्रक्रिया है?

सूचना मांगने के लिए आवेदन का कोई निर्धारित प्रपत्र नहीं है। आवेदन सादे कागज पर किया जा सकता है। तथापि, आवेदन में आवेदक का नाम तथा डाक का पूरा पता लिखा होना चाहिए। इलैक्ट्रॉनिक माध्यम से मांगी जाने वाली सूचना में भी आवेदक का नाम और डाक का पता होना चाहिए।

सूचना के अधिकार में कौन सी जानकारी नहीं दी जा सकती है?

(क) सूचना, जिसका प्रकटन भारत की सुरक्षा और अखण्डता को प्रभावित करेगा।
(ख) न्यायालय द्वारा प्रकटन से वर्जित सूचना।
(ग) सूचना, जिसका प्रकटन संसद/विधान सभा के विशेषाधिकारों का उल्लंघन करेगा।
(घ) वाणिज्यिक गोपनीयता से सम्बन्धित सूचना।

RTI का जवाब न आने पर क्या करें?

यदि सूचना न मिले या प्राप्त सूचना से आप संतुष्ट न हों तो अपीलीय अधिकारी के पास सूचना का अधिकार अधिनियम के अनुच्छेद 19(1) के तहत एक अपील दायर की जा सकती है।

RTI का जवाब कितने दिन में आता है?

30-45 दिन।

RTI क्या है और इसका उद्देश्य क्या है?

RTI यानी सूचना का अधिकार, एक कानून है जो भारत के नागरिकों को सरकारी विभागों से जानकारी मांगने का अधिकार देता है, जिससे पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है।

RTI आवेदन कैसे करें?

आप RTI आवेदन पत्र को संबंधित सरकारी विभाग में जमा कर सकते हैं, डाक से भेज सकते हैं या कुछ विभागों में ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं।

RTI का जवाब कितने दिनों में आता है?

RTI अधिनियम के अनुसार, सूचना 30 दिनों के भीतर उपलब्ध करानी होती है। अगर जीवन और स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है, तो 48 घंटे में जवाब देना होता है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.