धारा 506 क्या है

धारा 506 क्या है? | Jaan se Marne ki Dhamki ki Dhara

Published on August 11, 2025
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1 Min read time
धारा 506 क्या है

Quick Summary

  • धारा 506 भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत एक अपराध है।
  • यह आपराधिक धमकी से संबंधित है, जिसमें किसी व्यक्ति को सताने या नुकसान पहुँचाने की धमकी दी जाती है।
  • यदि धमकी गंभीर होती है, तो दो साल तक की सजा या जुर्माना हो सकता है।
  • धारा 506 में सजा और जमानत दोनों का प्रावधान है।

Table of Contents

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 आपराधिक धमकियों से संबंधित है। यह प्रावधान उन स्थितियों पर केंद्रित है जब एक व्यक्ति दूसरे को हत्या, संपत्ति को नुकसान पहुँचाने या किसी महिला की गरिमा को हानि पहुँचाने की धमकी देता है। यदि किसी व्यक्ति को इस धारा के तहत दोषी ठहराया जाता है, तो उसे अधिकतम दो साल की कठोर जेल, आर्थिक दंड, या फिर दोनों सज़ाएँ मिल सकती हैं। धारा 506 का प्रमुख उद्देश्य समाज में डर और असुरक्षा फैलाने वाली गतिविधियों को रोकना है।

506 Dhara kya hai? धारा 506 भारतीय दंड संहिता का एक प्रावधान है, जो किसी व्यक्ति को मानसिक प्रताड़ना देने के उद्देश्य से धमकी देने से संबंधित है। यह धारा उन हालात पर लागू होती है, जब किसी व्यक्ति को उसके जीवन या उसकी संपत्ति को नुकसान पहुँचाने की धमकी दी जाती है। इस लेख में, हम धारा 506 के विविध पहलुओं, इसके कानूनी प्रावधानों और इससे जुड़े महत्वपूर्ण मामलों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

इस ब्लॉग में आप जानेंगे भारतीय दंड संहिता की धारा 506 क्या है, साथ ही आप जानेंगे वो आपराधिक मामलें जिनमें धारा 506 के अनुसार कार्यवाई होती है। आपको इस ब्लॉग में आईपीसी के अंतर्गत धारा 504 506 क्या है, धारा 294 506 क्या है और धारा 323 506 क्या है की भी जानकारी मिलेगी।

धारा 506 क्या है? IPC Section 506 in Hindi | 506 IPC in Hindi

भारतीय दण्ड संहिता (IPC) की धारा 506, आपराधिक धमकी से संबंधित है।

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जान से मारने, उसकी संपत्ति को जलाने की या किसी महिला के सम्मान को नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है, तो इसे “आपराधिक धमकी” (Criminal Intimidation) कहा जाता है।

उदाहरण के लिए, कई बार लोग गुस्से में आकर धमकियां दे देते हैं। ऐसे मामलों में, धारा 506 के तहत अपराध दर्ज किया जा सकता है। यह धारा यह सुनिश्चित करती है कि किसी व्यक्ति द्वारा दी गई धमकी को गंभीरता से लिया जाए, खासकर जब बात किसी की जान, संपत्ति या सम्मान की होती है।

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 सभी भारतीय राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों पर लागू होती है।

अपराधों का वर्गीकरण: इस धारा में विभिन्न प्रकार के अपराधों को उनकी गंभीरता के अनुसार वर्गीकृत किया गया है। इनमें शामिल हैं:

  • हत्या
  • चोरी
  • डकैती
  • बलात्कार
  • धोखाधड़ी
  • हत्या का प्रयास
  • जान से मारने की धमकी
  • मानहानि
  • दंगा
  • चोट पहुँचाना
  • सजा के प्रावधान:
  • अलग-अलग अपराधों के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान दिया गया है। इनमें मृत्युदंड, आजीवन कारावास, अन्य कारावास की अवधि, जुर्माना, और दंडात्मक अपमान जैसी सजाएँ शामिल हो सकती हैं।
  • न्याय प्रक्रिया:
  • भारतीय दंड संहिता की धारा 506 के तहत अपराधों की गहन जांच की जाती है।

इसीलिए कई मामलों में हमें धारा 504 506 क्या है ये जानना जरूरी हो जाता है।

आईपीसी की धारा 506 के तत्व | Dhara 506 in Hindi

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 506 आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation) से संबंधित है। इस धारा के अंतर्गत अपराध को सिद्ध करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्व होते हैं:

  1. धमकी का उद्देश्य (Intention to Threaten): धारा 506 के तहत सबसे महत्वपूर्ण तत्व धमकी देने वाले का उद्देश्य है। आरोपी का इरादा किसी व्यक्ति को डराने, धमकाने या उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करने का होना चाहिए। यह इरादा स्पष्ट और प्रमाणित होना चाहिए, ताकि साबित हो सके कि आरोपी का उद्देश्य वास्तव में पीड़ित को हानि पहुँचाना था।
  2. धमकी का साधन (Means of Threat): धमकी किसी भी माध्यम से दी जा सकती है, चाहे वह मौखिक हो, लिखित हो, या किसी अन्य रूप में हो। धमकी के साधन का उपयोग ऐसा होना चाहिए कि वह पीड़ित पर वास्तविक भय उत्पन्न कर सके। इसका मतलब यह है कि धमकी देने वाले के शब्द, व्यवहार, या क्रियाएँ ऐसी होनी चाहिए जो पीड़ित को डराने के लिए पर्याप्त हों।
  3. पीड़ित पर प्रभाव (Effect on the Victim): धमकी का ऐसा प्रभाव होना चाहिए कि पीड़ित व्यक्ति वास्तव में डरे और उसे हानि की संभावना महसूस हो। धमकी का वास्तविक प्रभाव पीड़ित के मानसिक और भावनात्मक स्थिति पर पड़ना चाहिए। इसका मतलब यह है कि धमकी केवल शब्दों तक सीमित न हो, बल्कि उसका प्रभाव पीड़ित के जीवन पर दिखाई दे।
  4. प्रयास और इरादा (Effort and Intention): धमकी देने वाले का इरादा और प्रयास यह सिद्ध करने के लिए पर्याप्त होना चाहिए कि वह वास्तव में हानि पहुंचाना चाहता था। इसके लिए, धमकी देने वाले के पिछले रिकॉर्ड, उसकी गतिविधियाँ, और अन्य संदर्भ महत्वपूर्ण हो सकते हैं।

धारा 506 के अंतर्गत आने वाले अपराध | Jaan se Marne ki Dhamki ki Dhara

आपराधिक धमकी क्या है?

आपराधिक धमकी का अर्थ है किसी व्यक्ति को ऐसी हानि पहुंचाने की धमकी देना जो उसे या उसके निकट के व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक या आर्थिक नुकसान पहुंचा सके। यह धमकी मौखिक, लिखित या किसी अन्य रूप में दी जा सकती है। उदाहरण के लिए, किसी को जान से मारने की धमकी देना, किसी की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की धमकी देना आदि आपराधिक धमकी के अंतर्गत आते हैं। कई बार दो धाराएँ साथ में सुनने में आती है जैसे धारा 323 506 क्या है तो  इसका जवाब है कि धारा 323 स्वेच्छा से चोट पहुँचाने के लिए दंड से संबंधित है और एक तरह से धारा 506 भी इसी से संबंध रखती हैं

आपराधिक धमकी के मामले

आपराधिक धमकी के मामलों में विभिन्न प्रकार की घटनाएँ शामिल हो सकती हैं। यह घरेलू हिंसा, व्यावसायिक प्रतिद्वंद्विता, राजनीतिक द्वेष, या व्यक्तिगत दुश्मनी के परिणामस्वरूप हो सकता है। कई बार, यह धमकी व्यक्तिगत नहीं होकर सामूहिक रूप से भी दी जाती है, जैसे कि किसी समुदाय को डराने के उद्देश्य से।

धारा 506 के अंतर्गत मामले दर्ज करने की प्रक्रिया

धारा 506 के अंतर्गत मामले दर्ज करने की प्रक्रिया तीन स्तर पर होती है-

शिकायत कैसे दर्ज करें? | एफआईआर दर्ज करने की प्रक्रिया

आपराधिक धमकी के मामले में पीड़ित व्यक्ति  पुलिस स्टेशन में एफआईआर (प्रथम सूचना रिपोर्ट) दर्ज करा सकता है। किसी के द्वारा भी दी गई धमकी के बाद पीड़ित को एफआईआर दर्ज करने के लिए घटना का पूरा विवरण और धमकी देने वाले व्यक्ति का नाम और पहचान बतानी होती है, कई मामलों में धमकी देने वाले की अधिक जानकारी पीड़ित को नहीं होती है ऐसे में पुलिस को बाक़ी जानकारी इकट्ठा करनी पड़ती है। एफआईआर दर्ज करने के बाद पुलिस उस मामले की जांच शुरू करती है।

धारा 506 के अंतर्गत दी जाने वाली सजा

धारा 506 में सजा कितनी होती है? | धारा 506 कब लगती है?

धारा 506 के तहत सजा दो प्रकार की होती है जो अपराध पर निर्भर करती है:

  1. साधारण आपराधिक धमकी के लिए: इसमें दो साल तक की सजा, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। 
  2. गंभीर आपराधिक धमकी के लिए: अगर धमकी किसी जानलेवा हमला, अपहरण, आगजनी या अन्य गंभीर अपराध से संबंधित हो, तो इसमें सात साल तक की सजा, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।

जमानत के प्रावधान

धारा 506 के तहत जमानत के प्रावधान आरोप की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। साधारण आपराधिक धमकी के मामलों में आमतौर पर जमानत मिल सकती है, जबकि गंभीर आपराधिक धमकी के मामलों में जमानत पाना कठिन होता है और कोर्ट द्वारा विभिन्न शर्तों के साथ जमानत दी जाती है।

धारा 506 के तहत जमानत पाने के लिए आरोपी को अदालत में आवेदन करना होता है। जमानत मिलने के लिए अदालत निम्नलिखित बातों पर विचार करती है:

  1. अपराध की प्रकृति और गंभीरता
  2. आरोपी का पूर्व आपराधिक रिकॉर्ड
  3. आरोपी की सामाजिक और आर्थिक स्थिति
  4. गवाहों को प्रभावित करने की संभावना
  5. न्यायिक प्रक्रिया से भागने की संभावना

धारा 504, 506 क्या है? | 504 Dhara kya Hai?

भारतीय दंड संहिता के तहत धारा 504 और 506 दोनों ही ऐसे अपराधों से संबंधित हैं जो लोगों को धमकाने और डराने के संदर्भ में आते हैं। धारा 504 के अंतर्गत, जानबूझकर किसी व्यक्ति का अपमान करना या उसे उकसाना एवं इसके परिणामस्वरूप शांति भंग करना अपराध माना जाता है। इसके विपरीत, धारा 506 उस व्यक्ति को दंडित करती है जो किसी अन्य व्यक्ति को किसी भी प्रकार की आपराधिक धमकी प्रदान करता है।

आपराधिक धमकी का मतलब होता है कि कोई व्यक्ति दूसरे को जान से मारने, उसकी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, या किसी अन्य प्रकार का नुकसान पहुंचाने की धमकी देता है। धारा 504 में निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

  • जानबूझकर अपमान: किसी व्यक्ति को जानबूझकर अपमानित करना।
  • उकसाने का इरादा: इस अपमान का उद्देश्य उस व्यक्ति को उकसाना है ताकि वह शांति भंग कर सके।
  • शांति भंग होना: अपमान के कारण शांति भंग होनी चाहिए या इसकी संभावना होनी चाहिए।

धारा 504 506 के तहत मामले | IPC 504 in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 504 और धारा 506 क्रमशः शांति भंग करने के उद्देश्य से अपमान और आपराधिक धमकी से संबंधित हैं। इन धाराओं के तहत दर्ज पांच उल्लेखनीय मामलों के सारांश यहाँ दिए गए हैं:

महाराष्ट्र राज्य बनाम डॉ. बुधिकोटा सुब्बाराव (1993):

  • मामले का सारांश: वैज्ञानिक डॉ. बुधिकोटा सुब्बाराव पर धारा 506 IPC के तहत एक अन्य वैज्ञानिक को जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाया गया था। इस मामले में जासूसी और आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के उल्लंघन के आरोप भी शामिल थे।
  • परिणाम: सबूतों की कमी के कारण डॉ. सुब्बाराव को बरी कर दिया गया।

राकेश कुमार बनाम पंजाब राज्य (2014):

  • मामले का सारांश: राकेश कुमार पर भूमि विवाद के दौरान एक सरकारी अधिकारी को धमकी देने और अपमानजनक भाषा का उपयोग करने के लिए धारा 504 और 506 IPC के तहत आरोप लगाया गया था।
  • परिणाम: अदालत ने राकेश कुमार को दोषी पाया और उन पर जुर्माना और संक्षिप्त कारावास की सजा लगाई।

एस. खुशबू बनाम कन्नियाम्मल और अन्य (2010):

  • मामले का सारांश: अभिनेत्री खुशबू पर विवाह पूर्व सेक्स पर उनकी टिप्पणियों के लिए धारा 504 और 506 IPC के तहत आरोप लगाया गया था, जिसे कुछ समूहों ने अपमानजनक और उत्तेजक माना।
  • परिणाम: सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उनकी टिप्पणियां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में थीं।

टी. नागप्पा बनाम वाई.आर. मुरलीधर (2008):

  • मामले का सारांश: संपत्ति विवाद में, नागप्पा पर मुरलीधर को गंभीर परिणामों की धमकी देने का आरोप लगाया गया, जिसके परिणामस्वरूप धारा 504 और 506 IPC के तहत आरोप लगाए गए।
  • परिणाम: उच्च न्यायालय ने एफआईआर को खारिज कर दिया।

धारा 294, 506 क्या है?

धारा 294: अश्लील कार्य और गाने

धारा 294 के तहत, कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर अश्लील कार्य करता है या अश्लील गाने, शब्द, या संकेत गाता है या कहता है जिससे दूसरों को असुविधा होती है। इस धारा के अंतर्गत निम्नलिखित बातें शामिल हैं:

  1. अश्लील कार्य: सार्वजनिक स्थान पर ऐसा कोई कार्य करना जो अश्लील हो और जिसे देखकर या सुनकर सामान्य लोगों को असुविधा हो।
  2. अश्लील गाने या शब्द: सार्वजनिक स्थान पर अश्लील गाने गाना, या ऐसे शब्द या संकेत कहना जिससे दूसरों को असुविधा हो।

सजा

धारा 294 के तहत दोषी पाए जाने पर व्यक्ति को तीन महीने तक की कैद, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। धारा 506 के बारे में जानकारी इस ब्लॉग में पहले से ही स्पष्ट की गई है।

 धारा 294, 506 के तहत मामले 

यहां भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 294 और धारा 506 से संबंधित पाँच मामलों की जानकारी दी गई है:

  1. मोहम्मद साजिद खान बनाम मध्यप्रदेश राज्य (2017)
    इस मामले में धारा 294 (अश्लीलता) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत आरोप लगाए गए थे।
  2. कर्नाटक राज्य बनाम आर. राजेंद्र (2014)
    इस मामले में आरोपी पर धारा 294 (अश्लील कृत्य) और धारा 506 (आपराधिक धमकी) के आरोप लगाए गए थे।
  3. रमेश कुमार बनाम हरियाणा राज्य (2015)
    इस मामले में सार्वजनिक स्थान पर अश्लील भाषा का प्रयोग करने और धमकियों के आरोप लगाए गए थे।
  4. जगदीश शर्मा बनाम उत्तर प्रदेश राज्य (2018)
    इस मामले में अश्लील भाषा के प्रयोग और धमकियों के आरोप लगाए गए थे।
  5. संदीप कुमार बनाम पंजाब राज्य (2016)
    आरोपी पर सार्वजनिक स्थान पर अश्लील भाषा का प्रयोग और धमकियों के आरोप लगाए गए थे।

 धारा 323, 506 क्या है?

धारा 323: स्वेच्छा से चोट पहुँचाना यह धारा उस व्यक्ति के लिए लागू होती है जो किसी अन्य व्यक्ति को स्वेच्छा से चोट पहुँचाता है। इसके तहत:

  • अपराध: स्वेच्छा से किसी को चोट पहुँचाना।
  • सजा: एक साल तक का साधारण कारावास, या 1,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों।

 धारा 323, 506 के तहत मामले

यहाँ भारत में आईपीसी की धारा 323 और धारा 506 से संबंधित कुछ प्रमुख मामलों का विवरण है:

  1. दिनेश तिवारी S/O गंगा प्रसाद  तिवारी बनाम  उत्तर प्रदेश राज्य और महेंद्र प्रसाद (2007): इस मामले में धारा 323 और 506 के तहत आरोप लगाए गए थे। विवाद दो व्यक्तियों के बीच था जिसमें शारीरिक हमला और धमकियां देने का आरोप था।
  2. जगदीश चंद बनाम हरयाणा राज्य  (2011): इस मामले में जगदीश चंद शर्मा पर धारा 323 और 506 के तहत आरोप लगाए गए थे। इसमें हमला करने और धमकियां देने का मामला था, और अदालत ने हमले और धमकियों के सबूतों पर ध्यान केंद्रित किया।
  3. रामेश्वर प्रसाद बनाम बिहार राज्य(2013): इस मामले में रमेश्वर प्रसाद पर धारा 323 और 506 के तहत आरोप थे। इसमें शारीरिक हमला और धमकियां देने का मामला था, और अदालत ने चोटों और धमकियों की प्रकृति पर ध्यान केंद्रित किया।
  4. राजेश कुमार बनाम दिल्ली राज्य (2014): राजेश कुमार पर धारा 323 और 506 के तहत आरोप थे। इस मामले में हमले और धमकियों के आरोप थे, और अदालत ने दोनों पक्षों द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों की समीक्षा की।

कानून में सुधार की जरूरत

धारा 506 के प्रावधानों में समय-समय पर सुधार की जरूरत होती है ताकि यह अधिक प्रभावी हो सके। निम्नलिखित सुधार सुझाव किए जा सकते हैं:

  1. संवेदनशील मामलों में त्वरित कार्रवाई: आपराधिक धमकी के संवेदनशील मामलों में पुलिस और न्यायालय को त्वरित कार्रवाई करनी चाहिए।
  2. प्रौद्योगिकी का उपयोग: डिजिटल साक्ष्यों को सुरक्षित और वैध बनाने के लिए उचित प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए।
  3. सख्त सजा: गंभीर आपराधिक धमकी के मामलों में सजा को और सख्त बनाने की आवश्यकता है ताकि यह एक निवारक प्रभाव पैदा कर सके।

भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 506 – आपराधिक धमकी के लिए दंड | IPC 506 in Hindi

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 के तहत, किसी भी व्यक्ति द्वारा आपराधिक धमकी देने पर उसे दंडित किया जा सकता है। इस धारा के तहत, यदि कोई व्यक्ति आपराधिक धमकी देता है, तो उसे अधिकतम दो वर्षों तक की कारावास या जुर्माने, या दोनों में से किसी एक दंड का सामना करना पड़ सकता है।

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निष्कर्ष

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो समाज में शांति और व्यवस्था बनाए रखने में सहायक है। यह धारा लोगों को आपराधिक धमकी से बचाने और उन्हें न्याय दिलाने का एक प्रभावी साधन है। हालांकि, इसके प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कानून में समय-समय पर सुधार की आवश्यकता है ताकि यह बदलते समय और परिस्थितियों के अनुसार प्रासंगिक रह सके। । इस ब्लॉग में आपने जाना कि भारतीय दंड संहिता की धारा 506 क्या है, साथ ही आपने  वो आपराधिक मामलें जाने जिनमें धारा 506 के अनुसार कार्यवाई होती है। आपको इस ब्लॉग में आईपीसी के अंतर्गत धारा 506 क्या है, धारा 294 506 क्या है और धारा 323 506 क्या है की भी जानकारी मिली।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

506 धारा कब लगती है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 506 तब लगती है जब कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को जान से मारने, गंभीर चोट पहुंचाने, या संपत्ति नष्ट करने की धमकी देता है। दोषी पाए जाने पर दो साल तक की सजा हो सकती है।

धारा 323, 504, 506 में क्या सजा है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 323, 504, और 506 के अंतर्गत निम्नलिखित दंडों का प्रावधान किया गया है: –
धारा 323: जानबूझकर चोट पहुंचाने के मामले में एक वर्ष तक की कैद, 1,000 रुपये तक का जुर्माना, या दोनों लग सकते हैं।
धारा 504: जानबूझकर किसी का अपमान करने और शांति भंग करने के लिए दो वर्ष तक की सजा, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं।
धारा 506: आपराधिक धमकी देने के लिए दो वर्ष तक की सजा, जुर्माना, या दोनों लगाए जा सकते हैं। अगर धमकी जान से मारने की है, तो सजा सात साल तक बढ़ाई जा सकती है।

मैं धारा 506 का बचाव कैसे करूं?

धारा 506 के तहत बचाव के लिए सबूत की कमी, झूठे आरोप, गवाहों के बयान, और आरोपी की मानसिक स्थिति का उपयोग किया जा सकता है। यह साबित करना कि धमकी नहीं दी गई थी या आरोप व्यक्तिगत दुश्मनी से लगाए गए हैं, भी मददगार हो सकता है।

504 धारा कब लगती है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 504 तब लागू होती है जब कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी अन्य व्यक्ति का अपमान करता है और इस अपमान से उस व्यक्ति को उकसाने का इरादा रखता है, जिससे सार्वजनिक शांति भंग हो सकती है। उदाहरण के लिए, किसी को गाली देना या उसकी जाति या धर्म पर टिप्पणी करना, जिससे वह व्यक्ति उत्तेजित हो जाए और कोई अपराध कर बैठे।

धारा 406, 504, 506 क्या है?

भारतीय दंड संहिता की धारा 406, 504, और 506 के अंतर्गत निम्नलिखित प्रावधान हैं:
धारा 406: यह धारा विश्वासघात और आपराधिक हनन से जुड़ी हुई है। यदि किसी व्यक्ति का किसी अन्य व्यक्ति की संपत्ति का गलत उपयोग करना या उसे बिना अनुमति बेच देना सिद्ध होता है, तो उस व्यक्ति को तीन साल तक की कारावास, जुर्माना, या दोनों मिल सकते हैं।
धारा 504: यह धारा जानबूझकर अपमान करने और शांति को भंग करने से संबंधित है। यदि किसी को दोषी ठहराया जाता है, तो उसे दो साल तक की सजा, जुर्माना, या दोनों की सजा मिल सकती है। धारा 506: यह धारा आपराधिक धमकी देने के लिए लागू होती है। यदि किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया जाता है, तो उसे दो साल तक की सजा, जुर्माना, या दोनों हो सकते हैं। यदि धमकी विशेष रूप से जान से मारने की होती है, तो सजा सात साल तक बढ़ सकती है।

जान से मारने की धमकी देने पर कौन सी धारा लगती है?

भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 506 लगती है, जो आपराधिक धमकी (Criminal Intimidation) से संबंधित है।

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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