Quick Summary
वाच्य हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसे जानने से व्याकरण की समझ और बेहतर होती है। “वाच्य किसे कहते हैं” जानना न केवल छात्रों के लिए उपयोगी है, बल्कि लेखकों, शिक्षकों और भाषा के प्रेमियों के लिए भी यह एक मार्गदर्शिका के रूप में काम करता है। यदि आप हिंदी व्याकरण में महारत हासिल करना चाहते हैं, तो वाच्य और इसके प्रकारों को समझना बेहद जरूरी हो जाता है।
इस ब्लॉग में आपको जानने मिलेगा कि वाच्य किसे कहते हैं, वाच्य के भेद कितने होते हैं, कर्तृवाच्य किसे कहते हैं, कर्म वाच्य किसे कहते हैं, भाववाच्य किसे कहते हैं, वाच्य परिवर्तन कैसे करें, इसका क्या महत्व है और कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य में क्या अंतर है।
वाच्य वह क्रियात्मक रूप है जिससे यह पता चलता है कि वाक्य में कर्त्ता, कर्म या भाव में से किसकी प्रधानता है। यह क्रिया के उस परिवर्तन को दर्शाता है जो यह स्पष्ट करता है कि वाक्य में प्रयुक्त क्रिया लिंग, वचन, पुरुष आदि में कर्त्ता, कर्म या भाव में से किसके अनुसार रूप लेती है।
वाच्य एक व्याकरणिक शब्द होता है जो हिंदी भाषा में क्रिया के स्वरूप को दर्शाता है। यह बताता है कि वाक्य में कर्ता और कर्म के बीच क्या संबंध है।
किसी वाक्य में क्रिया के जिस रूप से यह पता चलता है कि उस काम को कौन कर रहा है, कौन करवा रहा है या काम अपने आप हो रहा है, उसे वाच्य कहते हैं।
मान लीजिए आपने एक केक बनाया। अब आप इस बात को कई तरीकों से कह सकते हैं:
इन तीनों वाक्यों में एक ही बात कही गई है, लेकिन कहने का तरीका अलग है। यही अंतर बताता है कि कौन सा वाक्य किस वाच्य में है।
वाच्य जानने के बाद (vachya ke kitne bhed hote hain) वाच्य के भेदों को जानना जरूरी हो जाता है। वाच्य के भेद तीन होते हैं- कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भववाच्या।
कर्तृवाच्य किसे कहते हैं?
अक्सर पूछ जाने वाला सवाल है। कर्तृवाच्य एक ऐसा व्याकरणिक रूप है जिसमें वाक्य का कर्ता (जो काम करता है) मुख्य भूमिका में होता है। इसमें कर्ता सक्रिय और प्रमुख होता है, और क्रिया उसी के अनुसार चलती है। यह हमारी भाषा को अधिक जीवंत, सटीक और अर्थपूर्ण बनाता है।
कर्तृवाच्य के उपयोग
कर्तृवाच्य जानने के बाद कर्तृवाच्य के उपयोगों को जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है। कर्तृवाच्य का उपयोग मुख्य रूप से निम्न जगहों पर होते हैं:
2. साहित्यिक लेखन में:
3. माचार और पत्रकारिता में:
कर्तृवाच्य जानने के बाद कर्म वाच्य किसे कहते हैं, इसके उपयोग और कुछ उदाहरणों के बारे में भी जानना जरूरी हो जाता है।
कर्म वाच्य किसे कहते हैं? | Karm Vachya Kise Kahate Hain
कर्म वाच्य एक ऐसी व्याकरणिक स्थिति है जिसमें वाक्य में कर्म को प्रमुखता दी जाती है, और कर्ता द्वितीय हो जाता है या पूरी तरह से अनुपस्थित हो सकता है।
आसान भाषा में, कर्मवाच्य ऐसा वाक्य है जिसमें काम का प्रभाव किस पर पड़ रहा है, उस पर ज़ोर दिया जाता है। यानी, वाक्य में जो काम हो रहा है, उसका परिणाम किस पर हो रहा है, इस पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
कर्मवाच्य के उपयोग
सामाजिक और औपचारिक लेखन में:
साहित्यिक रचनाओं में:
वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन में:
भाववाच्य की परिभाषा
भाववाच्य हिंदी व्याकरण का एक विशेष प्रकार है जिसमें क्रिया का प्रभाव कर्ता पर पड़ता है। इसमें कर्ता स्वयं क्रिया को करने की बजाय क्रिया के परिणाम को भोगता है।
आसान शब्दों में, भाववाच्य ऐसा वाक्य है जिसमें किसी काम या भावना पर ज़ोर दिया जाता है, न कि किसी व्यक्ति या वस्तु पर। दूसरे शब्दों में, वाक्य में जो काम हो रहा है, उससे पैदा होने वाली भावना या स्थिति पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।
भाववाच्य हमारी भाषा को अधिक संवेदनशील बनाता है, भावनाओं को गहराई से व्यक्त करने में मदद करता है और संप्रेषण को अधिक प्रभावशाली बनाता है।
भाववाच्य के उपयोग
व्यक्तिगत अनुभवों में:
चिकित्सा और स्वास्थ्य संबंधी संदर्भों में:
वाच्य परिवर्तन का मतलब है वाक्य के वाच्य (कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, या भाववाच्य) को बदलना, जिससे वाक्य का अर्थ तो वही रहे लेकिन उसकी संरचना में बदलाव हो। हिंदी व्याकरण में वाच्य परिवर्तन का उपयोग वाक्य को प्रभावी और स्पष्ट बनाने के लिए किया जाता है।
| कर्तृवाच्य | राम ने किताब पढ़ी। | सीता ने गाना गाया। | मोहन ने खाना खाया। |
| कर्मवाच्य | किताब राम द्वारा पढ़ी गई। | गाना सीता द्वारा गाया गया। | खाना मोहन द्वारा खाया गया। |
| भाववाच्य | राम से किताब पढ़ी जाती है। | सीता से गाना गाया जाता है। | मोहन से खाना खाया जाता है। |
वाच्य परिवर्तन के नियम
वाच्य परिवर्तन के कुछ नियमों को जानने से कर्तृवाच्य से कर्मवाच्य में परिवर्तन, कर्मवाच्य से कर्तृवाच्य में परिवर्तन और भाववाच्य से कर्तृवाच्य या कर्मवाच्य में परिवर्तन आसान हो जाता है।
| कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
| राम ने पत्र लिखा। | पत्र राम द्वारा लिखा गया। |
| मोहन ने गाना गाया। | गाना मोहन द्वारा गाया गया। |
| बच्चों ने खेल खेला। | खेल बच्चों द्वारा खेला गया। |
| राम ने खाना खाया। | खाना राम के द्वारा खाया गया। |
| सीता ने पत्र लिखा। | पत्र सीता के द्वारा लिखा गया। |
| कर्तृवाच्य | भाववाच्य |
| मैं सोता हूँ। | मुझसे सोया जाता है। |
| राम दौड़ता है। | राम से दौड़ा जाता है। |
| लड़की नाचती है। | लड़की से नाचा जाता है। |
| बच्चा रोता है। | बच्चे से रोया जाता है। |
| छात्र पढ़ता है। | छात्र से पढ़ा जाता है। |
| कर्मवाच्य | कर्तृवाच्य |
| पुस्तक बच्चों के द्वारा पढ़ी गई। | खाना माँ के द्वारा बनाया गया। |
| बच्चों ने पुस्तक पढ़ी। | माँ ने खाना बनाया। |
| पत्र राम द्वारा लिखा गया। | राम ने पत्र लिखा। |
| खेल बच्चों द्वारा खेला गया। | बच्चों ने खेल खेला। |
| गाना मोहन द्वारा गाया गया। | मोहन ने गाना गाया। |
| कर्मवाच्य | भाववाच्य |
| राम द्वारा पुस्तक पढ़ी जाती है। | राम से पढ़ा जाता है। |
| छात्रों द्वारा परीक्षा दी जाती है। | छात्रों से परीक्षा दी जाती है। |
| माँ द्वारा खाना बनाया जाता है। | माँ से खाना बनाया जाता है। |
| किसान द्वारा खेत जोता जाता है। | किसान से खेत जोता जाता है। |
| शिक्षक द्वारा पाठ पढ़ाया जाता है। | शिक्षक से पाठ पढ़ाया जाता है। |
| भाववाच्य | कर्तृवाच्य |
| मुझसे सोया नहीं जाता। | मैं सो नहीं सकता/सकती। |
| बच्चों से दौड़ा जा रहा है। | बच्चे दौड़ रहे हैं। |
| राम से चला नहीं जाएगा। | राम नहीं चल सकेगा। |
| उससे पढ़ा नहीं जाता था। | वह पढ़ नहीं सकता था। |
| तुमसे खाया नहीं जाएगा। | तुम नहीं खा सकोगे/सकोगी। |
| भाववाच्य | कर्मवाच्य |
| मुझसे सोया नहीं जाता। | मेरे द्वारा नींद नहीं ली जाती। |
| उससे पढ़ा नहीं जाता। | उसके द्वारा पढ़ाई नहीं की जाती। |
| राम से बैठा नहीं जाता। | राम द्वारा बैठा नहीं जाता। |
| मोहन से खेला नहीं जाता। | मोहन द्वारा खेल नहीं खेला जाता। |
| श्याम से दौड़ा नहीं जाता। | श्याम द्वारा दौड़ नहीं लगाई जाती। |
| पहलू | कर्तृवाच्य | कर्मवाच्य |
| परिभाषा | जब वाक्य में कर्ता (कार्य करने वाला) प्रमुख हो, तो उसे कर्तृवाच्य कहते हैं। | जब वाक्य में कर्म (जिस पर कार्य हो रहा है) प्रमुख हो, तो उसे कर्मवाच्य कहते हैं। |
| प्रमुख तत्व | कर्तृवाच्य में कर्ता मुख्य भूमिका में होता है। | कर्मवाच्य में कर्म मुख्य भूमिका में होता है। |
| वाक्य का अर्थ | वाक्य का अर्थ कर्ता के द्वारा किया गया काम निकलता है। | वाक्य का अर्थ काम का प्रभाव निकलता है। |
| क्रिया का रूप | कर्तृवाच्य में क्रिया कर्ता के अनुसार होती है। | कर्मवाच्य क्रिया कर्म के अनुसार होती है और “गया, दी गई, किया गया” आदि शब्दों का प्रयोग होता है। |
| “के द्वारा” का उपयोग | वाक्य में “के द्वारा” का उपयोग नहीं होता। | वाक्य में “के द्वारा” का उपयोग किया जाता है। |
| निपात | ने | द्वारा, से |
| उदाहरण | मैंने कल एक पत्र लिखा। | एक पत्र कल मेरे द्वारा लिखा गया। |
| वाक्य संरचना | [कर्ता] + [ने] + [क्रिया] + [कर्म]। | [कर्म] + [कर्ता का उल्लेख] + [के द्वारा] + [क्रिया]। |
| ध्यान देने योग्य बात | कर्तृवाच्य वाक्य में हमेशा कर्ता को प्रमुखता दी जाती है। | कर्मवाच्य वाक्य में हमेशा कर्म को प्रमुखता दी जाती है। |
| प्रयोग | कर्तृवाच्य का प्रयोग तब किया जाता है जब यह दिखाना हो कि कार्य किसने किया है। | कर्मवाच्य का प्रयोग तब किया जाता है जब यह दिखाना हो कि कार्य किस पर किया गया है। |
वाच्य, हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है। यह किसी वाक्य में कर्ता, कर्म या भाव में से किस पर ज़ोर दिया जा रहा है, यह बताता है। साहित्य और लेखन में, वाच्य का प्रयोग लेखन को अधिक प्रभावी और सटीक बनाने में मदद करता है। आइए जानते हैं कैसे।
वाच्य का साहित्य में महत्व
वाच्य का लेखन में महत्व
वाच्य किसे कहते हैं जानना न केवल आपके वाक्य की संरचना को स्पष्ट करता है, बल्कि आपको यह भी जानने में मदद करता है कि वाक्य में कर्ता और कर्म की भूमिका क्या है। चाहे आप किसी वाक्य को कर्तृवाच्य में रखें, कर्मवाच्य में बदलें, या भाववाच्य के रूप में व्यक्त करें, इसका सही उपयोग आपकी लेखन शैली को प्रभावी और सरल बना सकता है।
वाच्य के भेदों को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि जब कर्ता मुख्य होता है, तो उसे कर्तृवाच्य कहा जाता है। वहीं, जब कर्म को प्राथमिकता दी जाती है, तो वह कर्म वाच्य किसे कहते हैं की परिभाषा में आता है। भाषा की यह गहराई न केवल व्याकरण को मजबूत बनाती है, बल्कि आपके लेखन में भी निखार लाती है।
अंत में, भाषा का सौंदर्य वाक्यों की सही संरचना में है। वाच्य का सही उपयोग न केवल आपकी भाषा को परिष्कृत करता है, बल्कि इसे समझने और समझाने में भी आसान बनाता है।
इस ब्लॉग में माध्यम से आपने जाना कि वाच्य किसे कहते हैं, वाच्य के भेद कितने होते हैं, कर्तृवाच्य किसे कहते हैं, कर्म वाच्य किसे कहते हैं, भाववाच्य किसे कहते हैं, वाच्य परिवर्तन कैसे करें, इसका क्या महत्व है और कर्तृवाच्य और कर्मवाच्य में क्या अंतर है।
वाच्य वह रूप है जो वाक्य में क्रिया के कर्ता, कर्म और उनके आपसी संबंध को दर्शाता है। वाच्य के तीन प्रकार होते हैं: कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य, और भविष्यवाच्य।
वाच्य की पहचान क्रिया के कर्ता, कर्म और उनके आपसी संबंधों से की जाती है। यदि कर्ता सक्रिय रूप से क्रिया कर रहा है तो वह कर्तृवाच्य होता है। यदि क्रिया का प्रभाव कर्म पर है तो वह कर्मवाच्य होता है।
“राम ने खाना खाया” वाक्य कर्मवाच्य (Active Voice) है, क्योंकि इसमें कर्ता (राम) द्वारा क्रिया (खाना खाना) की जा रही है और क्रिया का मुख्य उद्देश्य कर्ता से जुड़ा है।
भाववाच्य वाक्य में क्रिया का प्रभाव कर्म पर होता है, जबकि कर्ता अप्रकट या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा रहता है। इसे पहचानने के लिए वाक्य में कर्ता का स्पष्ट उल्लेख नहीं होता।
कर्मवाच्य में कर्म को प्रमुख स्थान दिया जाता है। इसमें क्रिया का रूप कर्म के लिंग, वचन और पुरुष के अनुसार बदलता है, जबकि कर्त्ता तृतीया विभक्ति में होता है। इस संरचना में वाक्य का जोर इस बात पर होता है कि कार्य किस पर हो रहा है, न कि किसने किया।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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