संधि किसे कहते हैं

संधि किसे कहते हैं?- 2025 में छात्रों के लिए सीखने का आसान तरीका

Published on October 14, 2025
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संधि किसे कहते हैं

Quick Summary

  • संधि शब्द का अर्थ है ‘जोड़’, जिसमें दो वर्णों के मिलन से एक नया वर्ण उत्पन्न होता है।
  • संधि का अध्ययन भाषा की गहराई और सौंदर्य को समझने में सहायक होता है।
  • संधि के विभिन्न प्रकार हैं:
    • स्वर संधि
    • व्यंजन संधि
    • विसर्ग संधि
  • संधि के माध्यम से भाषा की सुंदरता, शब्दों का निर्माण, व्याकरण की सरलता और विशेषताओं में वृद्धि होती है। यह प्रक्रिया भाषा को और भी आकर्षक और प्रभावी बनाती है।

Table of Contents

संधि किसे कहते हैं? संधि व्याकरण का एक महत्वपूर्ण अंग है, जो शब्दों की रचना और उनके सही अर्थ को समझने में सहायक होता है। सन्धि’ (सम् + धा + कि) का अर्थ है ‘मेल’ या ‘जोड़’। जब दो निकटवर्ती वर्ण आपस में मिलते हैं और उनके मेल से कोई परिवर्तन उत्पन्न होता है, तो उसे सन्धि कहते हैं। संस्कृत, हिन्दी तथा अन्य भाषाओं में स्वरों या वर्णों के परस्पर मिलन से जो विकार उत्पन्न होता है, वही सन्धि कहलाता है। उदाहरणस्वरूप – सम् + तोष = संतोष, देव + इंद्र = देवेंद्र, भानु + उदय = भानूदय।

संधि किसे कहते हैं? | Sandhi kya hai?

संधि का मतलब है जोड़ या मेल। हिंदी व्याकरण में, जब दो या दो से अधिक पास-पास के वर्ण आपस में मिलते हैं और उनके मिलने से ध्वनि या रूप में परिवर्तन होता है, तो उसे संधि कहा जाता है।

Sandhi kya Hai? संधि शब्द का अर्थ होता है “मिलन” या “जोड़”।
संस्कृत व्याकरण में, संधि उस प्रक्रिया को कहते हैं जिसमें दो अक्षरों (अक्षर = स्वर या व्यंजन) के मेल से उच्चारण में परिवर्तन होता है।

  • उदाहरण:
  • राम + उवाच = रामोवाच
  • (यहाँ ‘अ + उ’ मिलकर ‘ओ’ बन गया)
  • मत + अनुसार = मतानुसार
  • आशी: + वचन = आशीर्वचन
  • राम + ईश्वर = रामेश्वर
  • नयन + अभिराम = नयनाभिराम

संधि की परिभाषा(Sandhi ki Paribhasha) | संधि किसे कहते हैं?

Sandhi Kise Kahate Hain – संधि शब्द संस्कृत के “सम्” और “धा” से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है “मिलना” या “जोड़ना”। Sandhi ki Paribhasha likhen संधि दो या दो से अधिक वर्णों (स्वर या व्यंजन) के मिलने से उत्पन्न परिवर्तन को कहते हैं। अक्सर प्रतियोगी परीक्षा में पूछा जाता है कि संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए। इसलिए सबसे पहले हम समझेंगे कि संधि किसे कहते हैं इसके प्रकार कितने होते हैं?

उदाहरण:

दो या दो से अधिक वर्ण जब पास-पास आते हैं, तो उनके मेल से जो बदलाव या विकार उत्पन्न होता है, उसे संधि कहा जाता है।
‘संधि’ शब्द ‘सम् + धि’ से बना है, जिसका अर्थ होता है मेल या जोड़।

  • मत + अनुसार → मतानुसार
  • अभय + अरण्य → अभयारण्य
  • राम + ईश्वर → रामेश्वर
  • जगत् + जननी → जगज्जननी
  • आशी: + वचन → आशीर्वचन

जब दो वर्ण पास-पास आते हैं, तो उनके उच्चारण में कुछ बदलाव हो सकता है। यह बदलाव स्वरों और व्यंजनों के आधार पर भिन्न होता है।

संधि के उदाहरण | Sandhi ke Udaharan

संधि के उदाहरण हमें यह समझने में मदद करते हैं कि किस प्रकार से दो या दो से अधिक वर्ण मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं। यहां कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं:

  • राम + इन्द्र = रामेन्द्र
  • विद्या + आलय = विद्यालय
  • लोक + उन्नति = लोकोन्नति
  • जल + अंश = जलांश
  • दिव + आलोक = दिवालोक

संधि का महत्व | Sandhi in Hindi

भाषा की सुंदरता

संधि का प्रयोग भाषा को सुंदर और प्रभावी बनाता है। यह शब्दों के मेल से नए शब्द और ध्वनियों का निर्माण करता है, जो भाषा को समृद्ध बनाते हैं। संधि के माध्यम से भाषा की ध्वन्यात्मकता बढ़ती है और यह सुनने में मधुर लगती है।

शब्द निर्माण

संधि के माध्यम से नए शब्दों का निर्माण होता है। यह प्रक्रिया भाषा में नए शब्द जोड़ती है, जिससे भाषा की शब्दावली बढ़ती है। संधि के द्वारा बने शब्द अधिक प्रभावी और अर्थपूर्ण होते हैं।

व्याकरण की सरलता

संधि का सही प्रयोग व्याकरण को सरल और समझने योग्य बनाता है। यह शब्दों के मेल से बने नए शब्दों के प्रयोग को आसान बनाता है। संधि के माध्यम से शब्दों का मेल और उनके प्रयोग का सही तरीका समझ में आता है।

संधि की विशेषताएं | Sandhi in Hindi

संधि की विशेषताएं निम्न है-

ध्वनि परिवर्तन: संधि में शब्दों के जोड़ने के दौरान ध्वनि का परिवर्तन होता है, जिससे नए शब्द का निर्माण होता है। उदाहरण के लिए, ‘राम’ और ‘आलय’ के संधि से ‘रामालय’ बनता है।

स्वरों का मेल: संधि में अक्सर स्वर ध्वनियों का मेल होता है। जैसे ‘अ’ और ‘अ’ के मेल से ‘आ’ बनता है। यह प्रक्रिया विभिन्न स्वर संधियों में देखी जाती है।

व्यंजन संधि: संधि में केवल स्वर ही नहीं, बल्कि व्यंजन भी परिवर्तन करते हैं। जैसे ‘तत्’ और ‘एव’ के संधि से ‘तदेव’ बनता है।

शब्दों की अर्थवत्ता: संधि के कारण बने नए शब्द का अर्थ मूल शब्दों से संबंधित होता है। यह शब्द को अधिक संक्षिप्त और प्रभावी बनाता है।

संधि के प्रकार(Sandhi ke Bhed) | Sandhi Kitne Prakar ke Hote Hain

sandhi ke bhed
संधि के प्रकार | sandhi kitne prakar ki hoti hain

संधि कितने प्रकार की होती है? | Sandhi ke kitne Prakar Hote Hain?

संधि के कितने भेद होते हैं(Sandhi ke kitne Bhed Hain) – संधि के तीन मुख्य भेद होते हैं, जो संस्कृत और हिंदी व्याकरण में वर्णों के मेल (जुड़ने) के आधार पर बनाए गए हैं। ये इस प्रकार हैं:

  1. स्वर संधि – जब दो स्वरों के मिलने से एक नया स्वर उत्पन्न होता है।
    उदाहरण: राम + ईश्वर = रामेश्वर
  2. व्यंजन संधि – जब एक स्वर और एक व्यंजन या दो व्यंजन आपस में मिलते हैं और उनका रूप बदल जाता है।
    उदाहरण: सत् + चित् = सच्चित
  3. विसर्ग संधि – जब किसी शब्द के अंत में विसर्ग (ः) आता है और अगले शब्द से मिलकर उसका रूप बदलता है।
    उदाहरण: दुः + ख = दुःख

स्वर संधि किसे कहते हैं? | Swar Sandhi kise kahate Hain

Swar Sandhi ki Paribhasha – जब स्वर के साथ स्वर का मेल होता है तब जो परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते हैं। हिंदी में स्वरों की संख्या ग्यारह होती है। जब दो स्वर मिलते हैं जब उससे जो तीसरा स्वर बनता है उसे स्वर संधि कहते हैं।

स्वर संधि के उदाहरण(Swar Sandhi ke Udaharan)

  • राम+अवतार = रामावतार (अ + अ = आ)
  • सीता+आलय = सीतालय (आ + आ = आ)
  • ऋषि+इन्द्र = ऋषीन्द्र (इ + इ = ई)
  • देवी+ईश = देवेश (ई + ई = ई)
  • गुरु+उपनिषद = गुरुपनिषद (उ + उ = ऊ)

स्वर संधि के प्रकार | Swar Sandhi ke kitne Bhed Hote Hain

स्वर संधि के पाँच भेद हैं:

  • दीर्घ संधि
  • गुण संधि
  • वृद्धि संधि
  • यण संधि
  • अयादि संधि

1. दीर्घ संधि किसे कहते हैं | Dirgha Sandhi kise kahate Hain

जब दो समान स्वरों के मिलन से दीर्घ स्वर बनता है। इस संधि को हस्व संधि भी कहा जाता है। इसमें हस्व या दीर्घ ‘आ’, ‘इ’, ‘उ’, के पश्चात क्रमशः हस्व या दीर्घ ‘आ’, ‘इ’, ‘उ’ स्वर आएं तो दोनों को मिलाकर दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते है। जैसे-

उदाहरण –

मूल रूपसन्धिमूल रूपसन्धि
अ + अ =आधर्म + अर्थ = धर्मार्थ
मत + अनुसार = मतानुसार
वीर + अगंना = विरांगना
ई + ई = ईरजनी + ईश = रजनीश
योगी + इन्द्र = योगीन्द्र
जानकी + ईश = जानकीश
नारी + र्दश्वर = नारीश्वर
आ + आ = आविद्या + आलय = विद्यालय
महा + आत्मा = महात्मा
महा + आनन्द =महानन्द
उ + उ = ऊभानु + उदय = भानूदय
आ + अ =आपरीक्षा + अर्थी = परीक्षार्थी
रेखा + अंश = रेखांश
सीमा + अन्त = सीमान्त
उ + ऊ = ऊघातु + ऊष्मा = धातूष्मा
गुरु + उपदेश = गुरूपदेश
सिंघु + ऊर्मि = सिंघूर्मि
लघु + उत्तर = लघूत्तर
इ + इ = ईअति + इव = अतीव
कवि + इन्द्र = कवीन्द्र
रवि + इन्द्र = रवीन्द्र
कपि + इन्द्र = कपिन्द्र
ऊ + उ = ऊवधू + उत्सव = वधूत्सव
इ + ई = ईगिरि + ईश = गिरीश
परि + ईक्षा = परीक्षा
हरि + ईश = हरीश
ऊ + ऊ = ऊभू + ऊर्जा = भूर्जा
भू + उद्धार = भूद्वार
भू + ऊष्मा = भूष्मा
ई + इ = ईमही + इन्द्र = महीन्द्र
दीर्घ संधि के उदाहरण | dirgha sandhi ke udaharan
संधि का नियमउदाहरणपरिणाम
अ/आ + अ/आ = आधर्म + अर्थधर्मार्थ
हिम + आलयहिमालय
पुस्तक + आलयपुस्तकालय
विद्या + अर्थीविद्यार्थी
विद्या + आलयविद्यालय
इ + इ = ईरवि + इंद्ररवींद्र
मुनि + इंद्रमुनींद्र
इ + ई = ईगिरि + ईशगिरीश
मुनि + ईशमुनीश
ई + इ = ईमही + इंद्रमहींद्र
नारी + इंदुनारींदु
ई + ई = ईनदी + ईशनदीश
मही + ईशमहीश
उ + उ = ऊभानु + उदयभानूदय
विधु + उदयविधूदय
उ + ऊ = ऊलघु + ऊर्मिलघूर्मि
सिधु + ऊर्मिसिंधूर्मि
ऊ + उ = ऊवधू + उत्सववधूत्सव
वधू + उल्लेखवधूल्लेख
ऊ + ऊ = ऊभू + ऊर्ध्वभूर्ध्व
वधू + ऊर्जावधूर्जा
sandhi ke kitne bhed hote hain | swar sandhi ke bhed

2. गुण संधि किसे कहते हैं:

जब अ, आ और ए के मेल से अन्य स्वर बनते हैं, तब गन संधि बनती है। दूसरे शब्दों में यदि अ और आ के बाद इ या ई, उ या ऊ तथा ऋ स्वर आए तो दोनों के मिलने के क्रमशः ए, ओ और अर हो जाते है, जैसे या, ऊ, तथा, ऋ।

उदाहरण | Gun Sandhi ke Udaharan –

मूल रूपसन्धि
आ + इ = एनर + इन्द्र = नरेन्द्र
अ + ई = एनर + ईश = नरेश
सुर + इन्द्र = सुरेन्द्र
सोम + ईश्वर = सोमेश्वर
आ + इ = एरमा + इन्द्र = रमेन्द्र
आ + ई + एमहा + ईश = महेश
महा + इन्द्र = महेन्द्र
राका + ईका = राकेश
राजा + इन्द्र = राजेन्द्र
रमा + ईश = रमेश
अ + उ = ओवीर + उचित = वीरोचित
अ + ऊ = ओपर + उपकार = परोपकार
नव + ऊढ़ा = नवोढ़ा
हित + उपदेश = हितोपदेश
आ + उ = ओमहा + उदय = महोदय
आ + ऊ = ओमहा + ऊष्मा = महोष्मा
महा + उत्सव = महोत्सव
महा + ऊर्जा = महोर्जा
अ + ऋ = अरदेव + ऋषि = देवर्षि
सप्त + ऋषि = सप्तर्षि
राज + ऋषि = राजर्षि
गुण संधि के उदाहरण | sandhi ke kitne bhed hote hain

(क) अ + इ = ए ; नर + इंद्र = नरेंद्रअ + ई = ए ;

नर + ईश= नरेशआ + इ = ए ;

महा + इंद्र = महेंद्रआ + ई = ए महा + ईश = महेश

(ख) अ + उ = ओ ; ज्ञान + उपदेश = ज्ञानोपदेश ;

आ + उ = ओ महा + उत्सव = महोत्सवअ + ऊ = ओ जल + ऊर्मि = जलोर्मि ;

आ + ऊ = ओ महा + ऊर्मि = महोर्मि।

(ग) अ + ऋ = अर् देव + ऋषि = देवर्षि

(घ) आ + ऋ = अर् महा + ऋषि = महर्षि

3. वृद्धि संधि किसे कहते हैं:

जब ( अ, आ ) के साथ ( ए, ऐ ) हो तो ‘ ऐ ‘ बनता है और जब ( अ, आ ) के साथ ( ओ, औ )हो तो ‘ औ ‘ बनता है। उसे वृधि संधि कहते हैं।

उदाहरण –

मूल रूपसन्धि
अ + ए = ऐएक + एक = एकैक
लोक + एषणा = लोकैषणा
वित + एषणा = वितैषणा
अ + ऐ = ऐनव + ऐश्वर्य = नवैश्वर्य
भाव + ऐक्य = भवैक्य
मत + ऐक्य = मतैक्य
आ + ए = ऐतथा + एव = तथैव
सदा + एव = सदैव
अ + ओ = औजल + ओघ = जलौघ
दंत + ओष्ठ = दंतौष्ठ
परम + ओज = परमौज
वन + ओषधि = वनौषधि
अ + औ = औदेव + औदार्य = देवौदार्य
परम + औदार्य = परमौदार्य
परम + औषध = परमौषध
आ + ओ = औमहा + ओज = महौज
महा + ओजस्वी = महौजस्वी
वृद्धि संधि के उदाहरण | sandhi ke kitne bhed hote hain

(क) अ + ए = ऐ ; एक + एक = एकैक ;अ + ऐ = ऐ मत + ऐक्य = मतैक्यआ + ए = ऐ ; सदा + एव = सदैवआ + ऐ = ऐ ; महा + ऐश्वर्य = महैश्वर्य

(ख) अ + ओ = औ वन + औषधि = वनौषधि ; आ + ओ = औ महा + औषधि = महौषधि ;अ + औ = औ परम + औषध = परमौषध ; आ + औ = औ महा + औषध = महौषध

4. यण संधि किसे कहते हैं:

जब ( इ, ई ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ य ‘ बन जाता है, जब ( उ, ऊ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ व् ‘ बन जाता है, जब ( ऋ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ र ‘ बन जाता है।

उदाहरण 

मूल रूपसन्धि
इ + अ = यअति + अधिक = अत्यधिक
अति + अन्त = अत्यन्त
अति + अल्प = अत्यल्प
यदि + अपि = यद्यपि
ई + अ = यनदी + अम्बु = नद्यम्बु
इ + आ = याअति + आचार = अत्याचार
अति + आनंद = अत्यानंद
अति + आवश्यक = अत्यावश्यक
अभि + आगत = अभ्यागत
इति + आदि = इत्यादि
परि + आवरण = पर्यावरण
वि + आप्त = व्याप्त
ई + आ = यासखी + आगमन = सख्यागमन
देवी + आगम = देव्यागमन
नदी + आगम = नद्यागमन
नदी + आमुख = नद्यामुख
इ + उ = युअति + उत्तम = अत्युत्तम
उपरि + युक्त = उपर्युक्त
प्रति + उपकार = प्रत्युपकार
इ + ऊ = यूअति + ऊष्ण = अत्यूष्ण
अति + ऊर्ध्व = अत्यूर्ध्व
नि + ऊन = न्यून
वि + ऊह = व्यूह
यण संधि के उदाहरण | sandhi ke kitne bhed hote hain

(क) इ, ई के आगे कोई विजातीय (असमान) स्वर होने पर इ ई को ‘य्’ हो जाता है।

(ख) उ, ऊ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर उ ऊ को ‘व्’ हो जाता है।

(ग) ‘ऋ’ के आगे किसी विजातीय स्वर के आने पर ऋ को ‘र्’ हो जाता है। इन्हें यण-संधि कहते हैं।इ + अ = य् + अ ; यदि + अपि = यद्यपिई + आ = य् + आ ; इति + आदि = इत्यादि।ई + अ = य् + अ ; नदी + अर्पण = नद्यर्पणई + आ = य् + आ ; देवी + आगमन = देव्यागमन

(घ)उ + अ = व् + अ ; अनु + अय = अन्वयउ + आ = व् + आ ; सु + आगत = स्वागतउ + ए = व् + ए ; अनु + एषण = अन्वेषणऋ + अ = र् + आ ; पितृ + आज्ञा = पित्राज्ञा

5. अयादि संधि किसे कहते हैं:

जब ( ए, ऐ, ओ, औ ) के साथ कोई अन्य स्वर हो तो ‘ ए – अय ‘ में, ‘ ऐ – आय ‘ में, ‘ ओ – अव ‘ में, ‘ औ – आव ‘ ण जाता है। य, व् से पहले व्यंजन पर अ, आ की मात्रा हो तो अयादि संधि हो सकती है लेकिन अगर और कोई विच्छेद न निकलता हो तो + के बाद वाले भाग को वैसा का वैसा लिखना होगा। उसे अयादि संधि कहते हैं।

उदहरण –

मूल रूपसन्धि
ए + अ = अयशे + अन = शयन
ने + अन = नयन
चे + अन = चयन
ऐ + अ = आयगै + अक = गायक
नै + अक = नायक
ओ + अ = अव्भो + अन = भवन
पो + अन = पवन
श्रो + अन = श्रवण
औ + अ = आव्
श्रौ + अन = श्रावण
पौ + अन = पावन
पौ + अक = पावक
औ + इ = आविपौ + इत्र = पवित्र
नौ + इक = नाविक
अयादि संधि के उदाहरण | sandhi ke kitne bhed hote hain

(क) ए + अ = अय् + अ ; ने + अन = नयन

(ख) ऐ + अ = आय् + अ ; गै + अक = गायक

(ग) ओ + अ = अव् + अ ; पो + अन = पवन

(घ) औ + अ = आव् + अ ; पौ + अक = पावक

औ + इ = आव् + इ ; नौ + इक = नाविक

व्यंजन संधि किसे कहते हैं? | Vyanjan Sandhi kise kahate Hain

जब किसी शब्द का अंत व्यंजन से और अगले शब्द की शुरुआत स्वर से होती है, और दोनों के मिलने से ध्वनियों में परिवर्तन होकर नया रूप बनता है, तो उसे व्यंजन संधि कहते हैं।

व्यंजन संधि तब होती है जब दो व्यंजनों के मिलने से एक नई ध्वनि का निर्माण होता है। इसमें स्वर का परिवर्तन नहीं होता, केवल व्यंजन बदलते हैं।

Vyanjan Sandhi ke Udaharan निम्नलिखित हैं:

  1. जस संधि: जब स और श का मेल होता है।
    • उदाहरण: दस + शतम = दशशतम
  2. सवर्ण व्यंजन संधि: जब समान व्यंजनों का मेल होता है।
    • उदाहरण: लोक + क = लोको
  3. व्यंजन संधि: जब विभिन्न व्यंजनों का मेल होता है।
    • उदाहरण: मनस + क = मनस्क

अन्य उदाहरण

  • जगत्+नाथ = जगन्नाथ (त्+न = न्न)
  • सत्+जन = सज्जन (त्+ज = ज्ज)
  • उत्+हार = उद्धार (त्+ह =द्ध)
  • सत्+धर्म = सद्धर्म (त्+ध =द्ध)
  • आ+छादन = आच्छादन (आ+छा = च्छा)

व्यंजन संधि के नियम

1. क् के ग् में बदलने के उदाहरण

  • दिक् + अम्बर = दिगम्बर
  • दिक् + गज = दिग्गज
  • वाक् +ईश = वागीश

2. च् के ज् में बदलने के उदाहरण

  • अच् +अन्त = अजन्त
  • अच् + आदि =अजादी

3. ट् के ड् में बदलन के उदाहरण

  • षट् + आनन = षडानन
  • षट् + यन्त्र = षड्यन्त्र
  • षड्दर्शन = षट् + दर्शन
  • षड्विकार = षट् + विकार
  • षडंग = षट् + अंग

यदि किसी वर्ग के पहले वर्ण (क्, च्, ट्, त्, प्) का मिलन न या म वर्ण ( ङ,ञ ज, ण, न, म) के साथ हो तो क् को ङ्, च् को ज्, ट् को ण्, त् को न्, तथा प् को म् में बदल दिया जाता है। उदाहरण-

4. क् के ङ् में बदलने के उदाहरण:

  • वाक् + मय = वाङ्मय
  • दिङ्मण्डल = दिक् + मण्डल
  • प्राङ्मुख = प्राक् + मुख

5. ट् के ण् में बदलने के उदाहरण:

  • षट् + मास = षण्मास
  • षट् + मूर्ति = षण्मूर्ति
  • षण्मुख = षट् + मुख

जब त् का मिलन ग, घ, द, ध, ब, भ, य, र, व से या किसी स्वर से हो तो द् बन जाता है। म के साथ क से म तक के किसी भी वर्ण के मिलन पर ‘ म ‘ की जगह पर मिलन वाले वर्ण का अंतिम नासिक वर्ण बन जायेगा। उदाहरण:

6. म् + क ख ग घ ङ के उदाहरण:

  • सम् + कल्प = संकल्प/सटड्ढन्ल्प
  • सम् + ख्या = संख्या
  • सम् + गम = संगम
  • शंकर = शम् + कर

7. म् + च, छ, ज, झ, ञ के उदाहरण:

  • सम् + चय = संचय
  • किम् + चित् = किंचित
  • सम् + जीवन = संजीवन

8. म् + ट, ठ, ड, ढ, ण के उदाहरण:

  • दम् + ड = दण्ड/दंड
  • खम् + ड = खण्ड/खंड

विसर्ग संधि किसे कहते हैं? | Visarg Sandhi kise kahate Hain

विसर्ग संधि तब होती है जब विसर्ग (:) के बाद स्वर या व्यंजन आता है और इससे एक नई ध्वनि का निर्माण होता है। विसर्ग संधि के उदाहरण(Visarg Sandhi ke Udaharan) निम्नलिखित हैं:

  1. विसर्ग + क:
    • उदाहरण: आः + क = आक
  2. विसर्ग + प:
    • उदाहरण: आः + प = आप
  3. विसर्ग + त:
    • उदाहरण: आः + त = आत

विसर्ग के साथ च या छ के मिलन से विसर्ग के जगह पर ‘श्’ बन जाता है। विसर्ग के पहले अगर ‘अ’और बाद में भी ‘अ’ अथवा वर्गों के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण, अथवा य, र, ल, व हो तो विसर्ग का ‘ओ‘ हो जाता है। उदाहरण:

  • मनः + अनुकूल = मनोनुकूल
  • अधः + गति = अधोगति
  • मनः + बल = मनोबल
  • निः + चय = निश्चय
  • दुः + चरित्र = दुश्चरित्र
  • ज्योतिः + चक्र = ज्योतिश्चक्र
  • निः + छल = निश्छल
  • तपः + चर्या = तपश्चर्या
  • अन्तः + चेतना = अन्तश्चेतना
  • हरिः + चन्द्र = हरिश्चन्द्र
  • अन्तः + चक्षु = अन्तश्चक्षु

विसर्ग से पहले अ, आ को छोड़कर कोई स्वर हो और बाद में कोई स्वर हो, वर्ग के तीसरे, चौथे, पाँचवें वर्ण अथवा य्, र, ल, व, ह में से कोई हो तो विसर्ग का र या र् हो जाता ह। विसर्ग के साथ ‘श’ के मेल पर विसर्ग के स्थान पर भी ‘श्’ बन जाता है।

  • दुः + शासन = दुश्शासन
  • यशः + शरीर = यशश्शरीर
  • निः + शुल्क = निश्शुल्क
  • निः + आहार = निराहार
  • निः + आशा = निराशा
  • निः + धन = निर्धन
  • निः + श्वास = निश्श्वास
  • चतुः + श्लोकी = चतुश्श्लोकी
  • निः + शंक = निश्शंक

विसर्ग से पहले कोई स्वर हो और बाद में च, छ या श हो तो विसर्ग का श हो जाता है। विसर्ग के साथ ट, ठ या ष के मेल पर विसर्ग के स्थान पर ‘ष्’ बन जाता है।

  • धनुः + टंकार = धनुष्टंकार
  • चतुः + टीका = चतुष्टीका
  • चतुः + षष्टि = चतुष्षष्टि
  • निः + चल = निश्चल
  • निः + छल = निश्छल
  • दुः + शासन = दुश्शासन

विसर्ग संधि के 100 उदाहरण PDF

विसर्ग संधि के भेद

  1. उत्व विसर्ग संधि
  2. रुत्व विसर्ग संधि
  3. सत्व विसर्ग संधि

विसर्ग संधि के नियम

1. सस्-स्य नियम

जब विसर्ग (ः) के बाद स, श, ष आते हैं तो विसर्ग बदलकर स हो जाता है।

  • उदाहरण:
    दुः + ख → दु:ख (दुख)
    दुः + शील → दुशील

2. ओर्-र नियम

विसर्ग (ः) के बाद र आने पर विसर्ग बदलकर र हो जाता है।

  • उदाहरण:
    गुरुः + राम → गुरुराम
    ईशः + रथ → ईशरथ

3. ओः + क/ख/प/फ नियम

जब विसर्ग के बाद क, ख, प, फ आते हैं तो विसर्ग बदलकर उनके पहले का ओ हो जाता है।

  • उदाहरण:
    लोकः + पाल → लोकोपाल
    दुः + ख → दुख

4. विसर्ग लोप नियम

कुछ स्थानों पर विसर्ग का लोप (हट जाना) हो जाता है।

  • उदाहरण:
    नमः + ते → नमस्ते
    नमः + शिवाय → नमःशिवाय

संधि विच्छेद किसे कहते हैं? | Sandhi Viched in Hindi

संधि विच्छेद का अर्थ है – एक ऐसे संयुक्त शब्द को उसके मूल शब्दों में विभाजित करना, जो संधि द्वारा बना हो। सरल शब्दों में, जब दो वर्ण (स्वर या व्यंजन) आपस में मिलकर एक नया शब्द बनाते हैं, तो उस जोड़ को तोड़कर मूल रूप में वापस लाने की प्रक्रिया को संधि विच्छेद कहा जाता है। यह प्रक्रिया संधि से बने शब्दों को अलग-अलग कर उनके मूल रूप को स्पष्ट करती है।

संधि विच्छेद के उदाहरण | संधि किसे कहते हैं?

संधि विच्छेद का मतलब होता है, किसी शब्द को उसके मूल स्वरूप में तोड़ना। यानी संधि वाले शब्द को दो या दो से अधिक शब्दों में विभाजित करना।

  • उद्धत – उत् + हत (व्यंजन सन्धि)
  • कंठोष्ठ्य – कंठ + ओष्ठ्य (गुण सन्धि)
  • अन्वय – अनु + अय (यण् सन्धि)
  • किंचित् – किम् + चित् (व्यंजन सन्धि)
  • घनानंद – घन + आनन्द (दीर्घ सन्धि)
  • एकैक – एक + एक (वृद्धि सन्धि)
  • अधीश्वर – अधि + ईश्वर (दीर्घ सन्धि)
  • अभ्यागत – अभि + आगत (यण् सन्धि)
  • उच्छ्वास – उत् + श्वास (व्यंजन सन्धि)
  • जगद्बन्धु – जगत् + बन्धु (व्यंजन सन्धि)
  • तपोवन – तपः + वन (विसर्ग सन्धि)
  • अब्ज – अप् + ज (व्यंजन सन्धि)
  • दृष्टान्त – दृष्ट + अंत (दीर्घ सन्धि)
  • दुर्बल – दुः + बल (विसर्ग सन्धि)
  • तल्लय – तत् + लय (व्यंजन सन्धि)

संधि अभ्यास प्रश्न | Sandhi practice questions  

भाग 1: संधि विच्छेद करें (Sandhi Vichchhed)

  • विद्यार्थी → __________

    उत्तर-विद्या + अर्थी
  • देवालय → __________

    उत्तर-देव + आलय
  • महोदय → __________

    उत्तर-महा + उदय
  • आत्मज्ञान → __________

    उत्तर-आत्मा + ज्ञान
  • गृहकार्य → __________

    उत्तर-गृह + कार्य
  • लोकप्रिय → __________

    उत्तर-लोक + प्रिय
  • जलपान → __________

    उत्तर-जल + पान
  • दुर्जन → __________

    उत्तर-दुस् + जन
  • सुरेश → __________

    उत्तर-सुर + ईश
  • परोपकार → __________

    उत्तर-पर + उपकार

भाग 2: सही विकल्प चुनिए (MCQ Based Sandhi Questions)

  • ‘रामायण’ शब्द में कौन-सी संधि है?
    a) स्वर संधि
    b) व्यंजन संधि
    c) यण संधि
    d) विसर्ग संधि

    उत्तर-स्वर संधि
  • ‘राजेन्द्र’ शब्द में कौन-सी संधि है?
    a) गुण संधि
    b) यण संधि
    c) दीर्घ संधि
    d) वृद्धि संधि

    उत्तर-यण संधि
  • ‘प्रत्युत्तर’ शब्द का संधि विच्छेद क्या है?
    a) प्रति + उत्तर
    b) प्रत + युत्तर
    c) प्र + त्युत्तर
    d) प्रतु + उत्तर

    उत्तर-प्रति + उत्तर
  • ‘लोकप्रिय’ में कौन-सी संधि है?
    a) गुण संधि
    b) यण संधि
    c) विसर्ग संधि
    d) व्यंजन संधि

    उत्तर-व्यंजन संधि
  • ‘संगीत’ का सही संधि विच्छेद क्या होगा?
    a) सम् + गीत
    b) सं + गीत
    c) संग + इत
    d) संगी + त

    उत्तर-सम् + गीत

भाग 3: रिक्त स्थान भरिए (Fill in the blanks)

  • ‘अत्याचार’ = ______ + ______
  • ‘प्रकाश’ = ______ + ______
  • ‘शब्दार्थ’ = ______ + ______
  • ‘राजा’ + ‘इंद्र’ = ______
  • ‘सुर’ + ‘ईश’ = ______

    उत्तर-भाग 3:
  • अति + आचार
  • प्र + काश
  • शब्द + अर्थ
  • राजेन्द्र
  • सुरेश

भाग 4: अधिक संधि MCQ प्रश्न उत्तर सहित | More Sandhi MCQs with Answers

1. ‘राजेन्द्र’ शब्द में कौन‑सी संधि है?

a) गुण संधि
b) यण संधि
c) दीर्घ संधि
d) वृद्धि संधि
उत्तर: b) यण संधि

2. ‘लोकप्रिय’ शब्द में कौन‑सी संधि है?

a) स्वर संधि
b) यण संधि
c) व्यंजन संधि
d) विसर्ग संधि
उत्तर: c) व्यंजन संधि

3. ‘विद्या+अर्थी’ से कौन‑सा शब्द बनता है?

a) विद्यार्थी
b) विद्यार्थी
c) विद्यारती
d) विद्याधी
उत्तर: b) विद्यार्थी

4. ‘गृह + आलय’ का सही रूप क्या है?

a) ग्रालय
b) गृहालय
c) ग्रहालय
d) ग्रहाल
उत्तर: b) गृहालय

5. ‘सुर + ईश’ का सही संधि रूप क्या है?

a) सुरीश
b) सुरीष
c) सुरेश
d) सुरास
उत्तर: c) सुरेश

6. ‘महा + उदय’ से क्या बनेगा?

a) महोदय
b) महदय
c) महोदय्य
d) महाउदय
उत्तर: a) महोदय

7. ‘धर्म + अर्थ’ का संधि रूप क्या है?

a) धर्मार्थ
b) धर्मर्थ
c) धर्मरथ
d) धर्माथ
उत्तर: a) धर्मार्थ

8. ‘निः + शेष’ का सही रूप क्या है?

a) निशेष
b) निसेष
c) निषेष
d) निसशेष
उत्तर: a) निशेष

9. ‘नर + ईश्वर’ का संधि रूप क्या है?

a) नरश्वर
b) नरेश्वर
c) नरेश
d) नरेश्वर्य
उत्तर: b) नरेश्वर

a) दुशात्मा
b) दुषात्मा
c) दुष्टात्मा
d) दुषआत्मा
उत्तर: b) दुषात्मा

11. ‘प्र + इति’ से कौन‑सा शब्द बनता है?

a) प्रिति
b) प्रीति
c) प्रएति
d) परिति
उत्तर: b) प्रीति

12. ‘सत्य + अर्थ’ का संधि रूप क्या होगा?

a) सत्यर्थ
b) सत्यारथ
c) सतार्थ
d) सत्यार्थ
उत्तर: d) सत्यार्थ

13. ‘निः + कारण’ का संधि रूप है—

a) निःकारण
b) निसकारण
c) निष्कारण
d) निःकार
उत्तर: c) निष्कारण

14. ‘अति + इन्द्र’ का संधि रूप क्या है?

a) अतिेन्द्र
b) अतीन्द्र
c) अतिन्द्र
d) अतींद्र
उत्तर: b) अतीन्द्र

15. ‘शिव + आलय’ का संधि रूप क्या होगा?

a) शिवालय
b) शिवारालय
c) शिवालयं
d) शिवाल
उत्तर: a) शिवालय

16. ‘राजा + ऋषि’ का संधि रूप क्या होगा?

a) राजर्षि
b) राजरिषि
c) राजार्षि
d) राजृषि
उत्तर: a) राजर्षि

17. ‘प्र + उत्तम’ का सही संधि रूप क्या है?

a) प्रत्तम
b) प्रत्युत्तम
c) प्रउत्तम
d) प्रु्त्तम
उत्तर: b) प्रत्युत्तम

18. ‘महान् + आत्मा’ का संधि रूप क्या है?

a) महात्मा
b) महाआत्मा
c) महोनात्मा
d) महात्मन
उत्तर: a) महात्मा

19. ‘शुभ + इच्छा’ का संधि रूप क्या होगा?

a) शुभेच्छा
b) शुभच्छा
c) शुइच्छा
d) शुभिच्छा
उत्तर: a) शुभेच्छा

20. ‘सत्य + इन’ का सही संधि रूप क्या है?

a) सतिन
b) सत्तिन
c) सत्त्यिन
d) सत्यिन
उत्तर: b) सत्तिन

21. ‘मन + उपाय’ का संधि रूप क्या है?

a) मनुपाय
b) मनोपराय
c) मनोदय
d) मनोपाय
उत्तर: d) मनोपाय

22. ‘निः + अस्ति’ का संधि रूप क्या है?

a) नास्ति
b) निअस्ति
c) निस्स्ति
d) निह्स्ति
उत्तर: a) नास्ति

23. ‘दुष् + व्यवहार’ का संधि रूप क्या है?

a) दुव्यवहार
b) दुर्व्यवहार
c) दुःव्यवहार
d) दुर्वहार
उत्तर: b) दुर्व्यवहार

24. ‘दुः + ख’ का संधि रूप क्या है?

a) दुख
b) दुःख
c) दुष्ख
d) दुक्ष
उत्तर: b) दुःख

25. ‘सत्य + लोक’ का संधि रूप क्या है?

a) सत्यलोक
b) सत्त्यलोक
c) सत्लोक
d) सत्यालोक
उत्तर: a) सत्यलोक

26. ‘गुरु + इन्द्र’ का संधि रूप क्या है?

a) गुरुन्द्र
b) गुरीन्द्र
c) गुरेन्द्र
d) गुरु+इन्द्र
उत्तर: c) गुरेन्द्र

27. ‘नर + उत्तम’ का संधि रूप क्या होगा?

a) नरोत्तम
b) नरुत्तम
c) नरउत्तम
d) नरत्तम
उत्तर: a) नरोत्तम

28. ‘धर्म + अष्ट’ का संधि रूप क्या होगा?

a) धर्माष्ट
b) धर्माष्टक
c) धर्माष्टमी
d) धर्माष्टो
उत्तर: b) धर्माष्टक

29. ‘दुः + संयोग’ का संधि रूप क्या है?

a) दुस्संयोग
b) दु:संयोग
c) दु:सयोग
d) दुःसंयोग
उत्तर: d) दुःसंयोग

30. ‘शिव + अनुज्ञा’ का संधि रूप क्या होगा?

a) शिवारुज्ञा
b) शिवानुज्ञा
c) शिवुज्ञा
d) शिव्नुज्ञा
उत्तर: b) शिवानुज्ञा

वर्णों के आधार पर संधि के कितने भेद हैं? | Varnon ke Aadhar par sandhi ke kitne bhed hain

वर्णों के आधार पर संधि के तीन भेद होते हैं।

वे इस प्रकार हैं —

  1. स्वर संधि (Swar Sandhi)
    जब दो स्वरों (vowels) के मिलने से संधि होती है, उसे स्वर संधि कहते हैं।
    उदाहरण:
    • राम + ईश = रामेश
    • सुर + इश्वर = सुरेश
  2. व्यंजन संधि (Vyanjan Sandhi)
    जब दो व्यंजनों (consonants) के मिलने से संधि होती है, उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
    उदाहरण:
    • तत्त्व = तत् + तत्व
    • जगत् + जन = जगज्जन
  3. विसर्ग संधि (Visarga Sandhi)
    जब विसर्ग (ः) के बाद कोई अक्षर आता है और उसमें परिवर्तन होता है, तो उसे विसर्ग संधि कहते हैं।
    उदाहरण:
    • दुः + ख = दुःख
    • मनः + इच्छा = मनेच्छा

Author’s Message

“संधि किसे कहते हैं” विषय पर यह लेख मैंने इसलिए लिखा है ताकि छात्र और भाषा के प्रेमी सरल और स्पष्ट तरीके से समझ सकें कि संधि क्या होती है और इसे कैसे पहचाना जाता है। संधि हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो शब्दों को जोड़ने और उनका उच्चारण सरल बनाने में मदद करती है।

इस लेख में संधि के प्रकार, नियम और उदाहरणों को आसान भाषा में समझाया गया है ताकि पाठक बिना कठिनाई के इसे याद कर सकें और व्याकरण में मजबूत पकड़ बना सकें। मेरी कोशिश है कि यह सामग्री विद्यार्थियों के लिए उपयोगी, रोचक और व्यावहारिक हो, ताकि वे न सिर्फ परीक्षा में बल्कि भाषा के सही प्रयोग में भी इसे आसानी से लागू कर सकें।

आइए, हम सभी हिंदी भाषा के इस सुंदर नियम को समझें और अपने लेखन व बोलचाल में सही तरीके से इस्तेमाल करें।

– आकृति जैन

संधि किसे कहते हैं?

संज्ञा के 10 उदाहरण

विलोम शब्द

पुल्लिंग स्त्रीलिंग शब्द 100

150+ समानार्थी शब्द

स्वर और व्यंजन

निष्कर्ष

इस ब्लॉग में हमने संधि किसे कहते हैं उदाहरण सहित लिखिए, संधि के प्रकार, संधि की परिभाषा, संधि के उदाहरण और संधि किसे कहते हैं इसके प्रकार के बारे में विस्तार से चर्चा की।

संधि हिंदी व्याकरण का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसके माध्यम से भाषा को सुंदर, प्रभावी और समझने योग्य बनाया जा सकता है। संधि के विभिन्न प्रकार और उनके उदाहरण हमें यह समझने में मदद करते हैं कि किस प्रकार से शब्दों का मेल और उनका सही प्रयोग किया जा सकता है। संधि के माध्यम से भाषा की ध्वन्यात्मकता और शब्दावली बढ़ती है, जो भाषा को अधिक प्रभावी और अर्थपूर्ण बनाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

संधि किसे कहते हैं, कितने प्रकार की होती है?

संधि दो या दो से अधिक वर्णों के मेल से होने वाले विकार को कहते हैं। जब दो शब्दों को जोड़ा जाता है, तो उनके अंतिम वर्ण और शुरुआती वर्ण में परिवर्तन हो सकता है। इस परिवर्तन को ही संधि कहते हैं। संधि ‘तीन’ प्रकार की होती हैं – स्वर संधि, व्यंजन संधि तथा विसर्ग संधि।

स्वर संधि किसे कहते हैं, इसके कितने भेद होते हैं?

स्वर संधि में स्वर वर्णों के मेल से होने वाले परिवर्तन को देखा जाता है। इसके मुख्य भेद निम्न हैं:
दीर्घ संधि: जब दो समान स्वर मिलते हैं, तो एक दीर्घ स्वर बनता है।
गुण संधि: अ + इ = ए, अ + उ = ओ
वृद्धि संधि: अ + ऐ = ऐ, अ + औ = औ
यण संधि: इ, उ, ऋ के बाद कोई अन्य स्वर आने पर य, व, र बनते हैं।
अयादि संधि: ऋ, ऋ, लृ के बाद कोई अन्य स्वर आने पर अय, अव, अर बनते हैं।

व्यंजन संधि के भेद कितने होते हैं?

व्यंजन संधि के दो भेद होते हैं: सरल व्यंजन संधि, विसर्ग संधि।

स्वर संधि की पहचान कैसे करें?

स्वर संधि की पहचान करने के लिए आप शब्दों के अंतिम और शुरुआती वर्णों पर ध्यान दें। यदि इन वर्णों में कोई परिवर्तन हुआ है और वह परिवर्तन स्वर वर्णों में हुआ है, तो यह स्वर संधि है। उदाहरण के लिए, “देव + ऋषि” = “देवर्षि” में ‘अ’ और ‘ऋ’ के मेल से ‘ऋ’ बना है, यह स्वर संधि का उदाहरण है।

संधि के कितने अंग होते हैं?

संधि के दो अंग होते हैं:
पूर्व पद: जो शब्द पहले आता है।
उत्तर पद: जो शब्द बाद में आता है।

व्यंजन संधि किसे कहते हैं, कितने प्रकार की होती है?

जब दो व्यंजन मिलकर अपने रूप में परिवर्तन कर लेते हैं और नया शब्द बनता है, तो उसे व्यंजन संधि कहते हैं।
व्यंजन संधि के चार प्रकार होते हैं
परसवर्ण संधि
जसत्व संधि
छत्व संधि
षत्व संधि

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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