समानता का अधिकार

समानता का अधिकार: अनुच्छेद 14 से 18

Published on May 12, 2025
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समानता का अधिकार

Quick Summary

  • समानता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14-18 में प्रदत्त है।
  • यह अधिकार सभी नागरिकों को कानून के सामने बराबरी का अधिकार देता है।
  • इसके तहत किसी भी नागरिक को भेदभाव या भेदभावपूर्ण व्यवहार से बचाया जाता है।
  • समानता का अधिकार रोजगार, शिक्षा, और अन्य अधिकारों में भी समान अवसर प्रदान करता है।

Table of Contents

समानता का अधिकार, जिसे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के तहत संरक्षित किया गया है, हमारे समाज के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है। यह अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता का आश्वासन देता है, चाहे वह जाति, धर्म, लिंग, या आर्थिक स्थिति के आधार पर हो। समानता का अधिकार न केवल न्याय और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता को भी सुदृढ़ करता है।

इस अधिकार के तहत, सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता, सार्वजनिक स्थानों पर समान पहुंच, और रोजगार के अवसरों में समानता का अधिकार प्राप्त होता है। यह अधिकार हमारे लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है और एक समावेशी समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

समानता का अधिकार क्या है? | Samanta ka Adhikar kya hai

समानता का अधिकार भारतीय संविधान के तहत एक महत्वपूर्ण मानवाधिकार है, जो प्रत्येक नागरिक को कानून के समक्ष समानता का हक प्रदान करता है। यह अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों को भेदभाव के बिना समान अवसर मिले, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग, जातीयता या भाषा कुछ भी हो। अनुच्छेद 14 से 18 तक यह अधिकार प्रदान किया गया है, जिसमें अनुच्छेद 14 में समानता का अधिकार और अनुच्छेद 15 में जाति, धर्म, लिंग या निवास स्थान के आधार पर भेदभाव निषेध किया गया है। यह मानवाधिकार सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जो समाज में समानता और निष्पक्षता को बढ़ावा देता है।

समानता क्या है? | Samanta ka Adhikar kya hai

समानता का अर्थ समझना जरुरी है, क्योंकि यह समाज के विकास और समृद्धि के लिए आवश्यक होता है। तो समानता क्या है  “समानता” जिसका अर्थ बराबरी है। इसमें सामाजिक समानता, अधिकारिक समानता, व्यक्तिगत समानता आती है। समानता के माध्यम से समाज में सभी को न्याय से लाभ प्राप्त होने का अवसर मिलना चाहिए। समानता के आधार पर किसी भी व्यक्ति को उसकी व्यक्तिगत या सामाजिक स्थिति के आधार पर भेदभाव किये बिना समान अवसर, समान अधिकार और समान व्यवहार मिले।  

समानता के प्रकार? | Samanta ke Prakar

समानता का अधिकार क्या है यह तो आपने जान लिया। अब समानता के प्रकार के बारे में जानेंगे। समानता को कई प्रकार से समझा जा सकता है। 

ये कुछ मुख्य समानता के विभिन्न प्रकार कौन-कौन से हैं(Samanta ke Vibhinn Prakar kaun-kaun se Hain) जैसे कि:

सामाजिक समानतासामाजिक समानता में लिंग, जाति, धर्म, राजनीतिक समर्थन या अन्य सामाजिक पहचान का कोई भेदभाव नहीं होता।
कानूनी समानतासभी को कानूनी संरक्षण और उनके साथ बराबरी के अवसर मिलना चाहिए।
आर्थिक समानतासभी को अपने आवास, खान-पान, शिक्षा और अन्य सुविधाओं तक पहुँच का समान अधिकार होना चाहिए।
राजनीतिक समानतासभी नागरिकों को राजनीतिक प्रक्रियाओं में समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए।
समानता के प्रकार

अधिकार क्या है?

अधिकार वह विशेषाधिकार या हक होते हैं, जो किसी व्यक्ति को संविधान, कानून या नैतिकता के तहत प्राप्त होते हैं। ये अधिकार किसी व्यक्ति को अपनी स्वतंत्रता, सुरक्षा, समानता और न्याय प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते हैं। अधिकारों का उद्देश्य समाज में व्यक्तियों की गरिमा और स्वतंत्रता की रक्षा करना है, ताकि वे बिना किसी भेदभाव के अपने जीवन को जी सकें। यह व्यक्तिगत और सामाजिक अधिकारों के रूप में हो सकते हैं, जैसे कि मौलिक अधिकार, राजनीतिक अधिकार, और आर्थिक-सामाजिक अधिकार। अधिकारों का पालन और सम्मान समाज में न्याय, समानता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है।

भारतीय संविधान में समानता का अधिकार क्या है?

समानता का अधिकार का मतलब न केवल सामाजिक समृद्धि और समाजिक न्याय से है बल्कि यह समाज के विकास और प्रगति के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह भारतीय समाज की एकता, सामंजस्य और अखंडता के लिए आवश्यक है। संविधान में समानता का अधिकार भारतीय संविधान के महत्वपूर्ण अधिकारों में से एक है। समानता का अधिकार सभी नागरिकों को अवसर प्राप्त करने, उन्नति करने और उनकी स्वतंत्रता और सम्मान की रक्षा करने का अधिकार देता है।

नागरिको के मौलिक अधिकार

नागरिकों के मौलिक अधिकार उन मौलिक और अन्यायिक अधिकारों को बताते हैं जो हर व्यक्ति को जन्म से ही प्राप्त होते हैं और जो हर समाज में उनकी गरिमा और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक होते हैं। इनमें कुछ महत्वपूर्ण अधिकार शामिल हैं जैसे कि:

  • स्‍वतंत्रता का अधिकार
  • मौलिक अधिकार
  • समता का अधिकार 
  • संवैधानिक उपचारों का अधिकार
  • धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार
  • शोषण के विरुद्ध अधिकार
  • संस्कृति और शिक्षा सम्बन्धी अधिकार

समानता के अधिकार की प्रमुख बातें

  1. कानून के समक्ष समानता:
    प्रत्येक व्यक्ति को कानून की दृष्टि में समान माना जाएगा और उसके साथ बिना किसी पक्षपात के व्यवहार किया जाएगा।
  2. भेदभाव का निषेध:
    राज्य किसी भी व्यक्ति के साथ धर्म, जाति, लिंग, नस्ल या जन्म स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं कर सकता।
  3. रोजगार में समान अवसर:
    राज्य के अधीन सभी सार्वजनिक रोजगारों में प्रत्येक नागरिक को समान अवसर प्रदान किए जाएंगे।
  4. अस्पृश्यता का उन्मूलन:
    अस्पृश्यता को एक दंडनीय अपराध माना गया है और इसके आधार पर किसी भी व्यक्ति से भेदभाव करना पूरी तरह वर्जित है।
  5. उपाधियों की समाप्ति:
    राज्य द्वारा किसी भी नागरिक को कोई उपाधि नहीं दी जाएगी, केवल सैन्य और शैक्षणिक उपाधियों को छोड़कर।

संविधान में वर्णित समानता का अधिकार

  • इस अधिकार के तहत सभी नागरिकों को कानूनी और सामाजिक दृष्टिकोण से समान अधिकार और अवसर प्राप्त होने चाहिए।
  • सभी नागरिकों को बिना किसी धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान, या विचारों के आधार पर भेदभाव का सामना ना करना पड़े। 
  • यह अधिकार सभी व्यक्तियों के विकास और उनकी समृद्धि में मदद करने के लिए समाज में होना चाहिए।
  • समानता का अधिकार व्यक्ति की अनुपस्थिति में उसकी पहचान के आधार पर उसे व्यापक रूप से सुरक्षा प्रदान करता है।
  • यह अधिकार भारतीय समाज में समर्थन और सहायता के माध्यम से विभिन्न वर्गों और समुदायों के बीच एकता और समरसता को बढ़ाने का काम करता है।

समानता का अधिकार Article 14-18

Samanta ka Adhikar kis Anuchchhed mein hai तो समानता का अधिकार article 14-18 में है। जिसे मुख्य बिंदुओं में संक्षेप में समझाया गया है। 

1. अनुच्छेद 14: कानून के समक्ष समानता | Article 14

इसके अनुसार, सभी नागरिक कानूनी रूप से समान होना चाहिए। कोई भी व्यक्तिगत या सामाजिक विभेद उनके सामने नहीं आना चाहिए। सभी व्यक्तियों को कानून के समक्ष समानता और राज्य द्वारा समान संरक्षण का अधिकार देता है।

2. अनुच्छेद 15: भेदभाव का निषेध | Article 15

समानता का अधिकार आर्टिकल 15 में राज्य किसी नागरिक के साथ केवल धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकता।

3. अनुच्छेद 16: रोजगार में अवसर की समानता | Article 16

समानता का अधिकार article 14-18 में आर्टिकल 16 की बात करें तो इसमें नागरिकों को स्थानीय प्रशासनिक पदों में समान अवसर देने का प्रावधान है। यह सरकारी सेवाओं में सभी नागरिकों को समान अवसर सुनिश्चित करता है और भेदभाव पर रोक लगाता है।

4. अनुच्छेद 17: छुआछूत के ख़िलाफ़ समानता | Article 17

समानता का अधिकार आर्टिकल 17 में छुआछूत को खत्म करना शामिल है। यह अनुच्छेद अस्पृश्यता (छुआछूत) को समाप्त करता है और उसके अभ्यास को दंडनीय अपराध घोषित करता है।

5. अनुच्छेद 18: उपाधियों का उन्मूलन | Article 18

उपाधियों के प्रति सरकारी संस्थानों और सार्वजनिक जीवन में भेदभाव को समाप्त करना। यह अनुच्छेद राज्य द्वारा किसी भी नागरिक को विरासत में मिलने वाली या गैर-सैन्य उपाधियों को देने पर रोक लगाता है।

तो इस तरह से हम समानता का अधिकार article 14-18 को समझ सकते हैं।

समानता का अधिकार क्यों जरूरी है?

समानता का अधिकार किस अनुच्छेद में है इसकी आपने पूर्ण जानकारी प्राप्त की समानता का अधिकार की जरूरत कई मायनों में होती है खासतौर पर समाज में बराबरी की स्थिति के लिए।

इस कानून की जरूरत क्यों है?

  • समानता का अधिकार न्याय और इंसाफ के द्वारा समाज में न्याय की प्राप्ति को सुनिश्चित करता है। 
  • समानता के द्वारा समाज में सभी लोगों का सामजिक विकास होता है। 
  • एक समान और सम्मानित समाज देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • एक समान और न्यायसंगत समाज में व्यक्ति को प्रगति करने में मदद मिलती है। 
  • बराबरी की स्थिति वाले समाज में सामाजिक और आर्थिक विवादों का समाधान बेहतरीन ढंग से होता है।

समाज में समानता की स्थिति  

वर्तमान समाज में समानता की स्थिति को कई रूपों में देखा जा सकता है यहाँ बहुत सारे पहलुओं को समझाने की जरूरत है।

  • राजनीतिक समानता: राजनीतिक दृष्टि से वर्तमान समाज में लोगों को चुनने, निर्वाचित करने और शासन में भागीदारी में समान अधिकार मिलते हैं। महिलाओं को भी वैसे ही अधिकार होते हैं जैसे कि पुरुषों को।
  • सामाजिक समानता: समाज में सामाजिक वर्ग, जाति, धर्म, लिंग के आधार पर अन्याय से लड़ने की दिशा में कई पहलुओं में सुधार की जरूरत है। जैसे: सरकारी योजनाएं और सामाजिक चेतना की वृद्धि की आवश्यकता है।
  • आर्थिक समानता: आर्थिक दृष्टिकोण से वर्तमान समाज में आय की असमानता को कम करने के लिए कई पहलू हैं, जैसे कि सामाजिक सुरक्षा योजनाएं, रोजगार के अवसरों का वितरण, और अधिक सामान्य लोगों को आर्थिक उपलब्धता देने के उपाय।
  • शैक्षिक समानता: शैक्षिक स्तर पर समाज में समान शिक्षा और अवसर के वितरण की आवश्यकता है।

समानता का अधिकार पर निबंध

प्रस्तावना:
भारत का संविधान प्रत्येक नागरिक को मूल अधिकार प्रदान करता है, जिनमें समानता का अधिकार (Right to Equality) सबसे महत्वपूर्ण है। यह अधिकार व्यक्ति की गरिमा, स्वतंत्रता और न्याय की रक्षा करता है तथा एक समतामूलक समाज की स्थापना में सहायक होता है।

समानता का अधिकार की परिभाषा:
समानता का अधिकार का अर्थ है कि सभी नागरिकों के साथ कानून के समक्ष समान व्यवहार किया जाए और उन्हें बिना किसी भेदभाव के बराबरी का दर्जा प्राप्त हो। यह अधिकार यह सुनिश्चित करता है कि व्यक्ति की जाति, धर्म, लिंग, भाषा, जन्म स्थान या सामाजिक स्थिति के आधार पर कोई भेदभाव न हो।

संविधान में समानता का अधिकार (अनुच्छेद 14 से 18):
भारतीय संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 14 से 18 तक समानता का अधिकार सुनिश्चित किया गया है:

  1. अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता और समान संरक्षण।
  2. अनुच्छेद 15 – धर्म, जाति, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव का निषेध।
  3. अनुच्छेद 16 – सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर।
  4. अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का अंत और उसे दंडनीय अपराध घोषित करना।
  5. अनुच्छेद 18 – उपाधियों का उन्मूलन जिससे सामाजिक असमानता समाप्त हो सके।

महत्त्व:
समानता का अधिकार लोकतंत्र की नींव है। यह नागरिकों के बीच भाईचारा और एकता को बढ़ाता है तथा सामाजिक असमानताओं को समाप्त करने में सहायक होता है। यह अधिकार कमजोर वर्गों को भी मुख्यधारा में लाने के लिए अवसर प्रदान करता है।

समानता और समता में अंतर

समानता | Samanta ka Adhikar
यह सिद्धांत है कि हर व्यक्ति के साथ एक जैसा व्यवहार किया जाए, भले ही उसकी व्यक्तिगत ज़रूरतें अलग क्यों न हों।

समता | Samta ka Adhikar
यह सुनिश्चित करना कि प्रत्येक व्यक्ति को उसकी विशेष आवश्यकताओं के अनुसार समर्थन मिले, ताकि सभी को बराबरी के अवसर मिल सकें।

उदाहरण:
यदि सभी छात्रों को एक जैसी शिक्षा दी जाए तो यह समानता है, लेकिन यदि कमजोर छात्रों को अतिरिक्त सहायता दी जाए ताकि वे भी आगे बढ़ सकें, तो यह समता है।

समानता का अधिकार सभी नागरिकों को न्याय और समान अवसर प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

समानता के अधिकार से संबंधित महत्वपूर्ण केस

समानता के अधिकार संबंधित महत्वपूर्ण केसों के बारे में बात करते हुए, यहां कुछ ऐतिहासिक निर्णय और वर्तमान में कुछ महत्वपूर्ण न्यायिक दृष्टिकोण दिये जा रहे हैं:

1. अरुणाचल प्रदेश बनाम भारत संघ (1985):

मुद्दा:

  • क्या अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 16 (सरकारी रोजगार के मामलों में अवसर की समानता) केवल कानूनी समानता प्रदान करते हैं या वास्तविक समानता भी प्रदान करते हैं?

निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 और 16 केवल कानूनी समानता नहीं, बल्कि वास्तविक समानता भी प्रदान करते हैं।
  • इसका मतलब है कि कानूनों को सभी व्यक्तियों पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए, और समान परिस्थितियों में समान व्यवहार प्रदान किया जाना चाहिए।

2. टी.के. रॉय बनाम भारत संघ (1987):

मुद्दा:

  • क्या अनुच्छेद 19 (अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता) में सरकार द्वारा लगाई गई उचित प्रतिबंधों के अधीन है?
  • क्या अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) केवल शारीरिक जीवन तक सीमित है या इसमें व्यक्ति की गरिमा और सम्मान का अधिकार भी शामिल है?

निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 19 में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार निरपेक्ष नहीं है और सरकार द्वारा उचित प्रतिबंधों के अधीन है। इन प्रतिबंधों को सार्वजनिक व्यवस्था, राष्ट्रीय सुरक्षा और नैतिकता जैसे वैध उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लगाया जाना चाहिए।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुच्छेद 21 केवल शारीरिक जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें व्यक्ति की गरिमा और सम्मान का अधिकार भी शामिल है।

3. इंदिरा गांधी बनाम राजनारायण (1975):

मुद्दा:

  • क्या चुनाव में भ्रष्टाचार चुनाव याचिका दायर करने का आधार हो सकता है?
  • क्या चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया पर निगरानी रखने और उल्लंघनों को रोकने की शक्ति है?

निर्णय:

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चुनाव में भ्रष्टाचार चुनाव याचिका दायर करने का एक वैध आधार है। यदि यह साबित हो जाता है कि चुनाव में भ्रष्टाचार हुआ है, तो चुनाव रद्द किया जा सकता है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि चुनाव आयोग को चुनावी प्रक्रिया पर निगरानी रखने और उल्लंघनों को रोकने की शक्ति है। चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाने चाहिए कि चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष हों।

समानता का अधिकार की चुनौतियाँ और समाधान

समानता का अधिकार एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। जिसका समाज में गहरा प्रभाव पड़ता है। लेकिन इसे प्राप्त करने में अभी भी चुनौतियाँ हैं और इन चुनौतियों को हल करने के लिए नीतियाँ आवश्यक हैं।

वर्तमान में चुनौतियाँ

  • सामाजिक भेदभाव: अभी भी समाज में विभिन्न समुदायों और वर्गों के बीच भेदभाव और असमानता मौजूद हैं। 
  • कानूनी सुरक्षा: समानता के अधिकार की गारंटी के लिए उचित कानूनी सुरक्षा और प्रणालियाँ अभी भी विकसित नहीं हैं।
  • शिक्षा और संचार की समान उपलब्धता: शिक्षा और सूचना पहुँच में असमानता के कारण समान अधिकारों का लाभ नहीं मिल पा रहा है।

सरकारी उपाय और समाधान

  • कानूनी उपाय: समानता के अधिकार को सुनिश्चित करने के लिए कानूनी उपाय विकसित किये जा रहे हैं। जैसे: विभिन्न दलितों और अनुसूचित जातियों के लिए अलग-अलग अधिनियम और समाधान बनाए गए हैं।
  • सामाजिक योजनाएँ: सरकारी स्तर पर समानता के लिए विभिन्न समाजिक योजनाएँ शुरू की गई हैं। इनमें विशेष रूप से महिलाओं, असहाय वर्गों और उपनिवेशियों के लिए विशेष उपाय शामिल हैं।
  • शिक्षा और प्रशिक्षण: समानता के अधिकार को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा और प्रशिक्षण के क्षेत्र में सुधार किए जा रहे हैं।
  • समानता के अधिकार की सुरक्षा: यदि किसी व्यक्ति के समानता के अधिकार का उल्लंघन होता है, तो वह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग या राज्य मानवाधिकार आयोग में शिकायत कर सकता है, अथवा न्यायालय में भी मुकदमा दायर कर सकता है। 

सामाजिक जागरूकता और भूमिका

  • मीडिया और संचार: समानता के मुद्दे को सामाजिक रूप से उठाने में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है।
  • सामाजिक संगठन: विभिन्न सामाजिक संगठन और गैर सरकारी संगठन समानता के लिए जागरूकता फैलाने और अधिकारों की रक्षा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।
  • समानता के अधिकार का उल्लंघन
    जब राज्य या कोई व्यक्ति किसी नागरिक के साथ धर्म, जाति, लिंग, नस्ल या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव करता है, तो इसे समानता के अधिकार का उल्लंघन माना जाता है।

अंतर्निहित सिद्धांत

समानता के अधिकार का मूल उद्देश्य केवल सभी के साथ एक जैसा व्यवहार करना नहीं है, बल्कि समान परिस्थितियों वाले व्यक्तियों के साथ समान व्यवहार और विशेष आवश्यकताओं वाले व्यक्तियों के साथ उपयुक्त व भिन्न व्यवहार करना है, क्योंकि हर व्यक्ति हर दृष्टि से समान नहीं होता। असमानताओं को दूर करने के लिए व्यक्तियों का उपयुक्त वर्गीकरण आवश्यक होता है, जिससे उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को समझकर प्रभावी रणनीतियाँ बनाई जा सकें और असमानताओं को यथासंभव घटाया जा सके।

निष्कर्ष

समानता का अधिकार हमारे समाज की नींव को मजबूत करने वाला एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह अधिकार न केवल सभी नागरिकों को समान अवसर और न्याय की गारंटी देता है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और एकता को भी प्रोत्साहित करता है। समानता का अधिकार हमें एक समावेशी और न्यायपूर्ण समाज की दिशा में अग्रसर करता है, जहां हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के अपने अधिकारों का उपभोग करने का अवसर मिलता है। इस प्रकार, समानता का अधिकार हमारे लोकतंत्र की आत्मा को जीवंत बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और हमें एक बेहतर और अधिक न्यायपूर्ण समाज की ओर प्रेरित करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

समानता का अधिकार अनुच्छेद 14 से 18 क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 के तहत समानता का अधिकार सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के समानता का आश्वासन देता है। इसमें कानून के समक्ष समानता, धर्म, जाति, लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव का निषेध, सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर, अस्पृश्यता का उन्मूलन, और उपाधियों का निषेध शामिल है।

अनुच्छेद 14 में क्या लिखा है?

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता और विधियों के समान संरक्षण का प्रावधान करता है। इसका अर्थ है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के समक्ष समानता या विधियों के समान संरक्षण से वंचित नहीं करेगा। यह प्रावधान सुनिश्चित करता है कि सभी व्यक्तियों के साथ कानून के समक्ष समान व्यवहार किया जाए और किसी भी प्रकार का भेदभाव न हो।

समानता का अधिकार कौन-से अनुच्छेद में है?

समानता का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 से 18 में निहित है। ये अनुच्छेद कानून के समक्ष समानता, भेदभाव का निषेध, सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर, अस्पृश्यता का उन्मूलन, और उपाधियों का निषेध सुनिश्चित करते हैं।

अनुच्छेद 14 15 और 16 क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 समानता के अधिकार से संबंधित हैं। अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है, अनुच्छेद 15 भेदभाव को रोकता है, और अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करता है।

अनुच्छेद 19 से 22 में क्या है?

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 से 22 नागरिकों को मौलिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। इनमें भाषण, सभा, संघ, और पेशे की स्वतंत्रता, अपराध और सजा से सुरक्षा, जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता, मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा, और गिरफ्तारी से संबंधित सुरक्षा शामिल हैं।

kaun sa anuchchhed samanta ke vichar ko badhava deta hai

अनुच्छेद 14 से 18 तक भारतीय संविधान में वे प्रावधान शामिल हैं जो समता के विचार को बढ़ावा देते हैं। विशेष रूप से:
अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता और समान संरक्षण की गारंटी देता है। यह समता के विचार का मूल आधार है।
इनके अलावा, अनुच्छेद 15 और 16 भी सामाजिक और अवसर की समता को सुनिश्चित करते हैं इसका सार यह है कि अनुच्छेद 14 समता के विचार को सबसे स्पष्ट रूप से प्रोत्साहित करता है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.