Quick Summary
Manav Adhikar kya Hai- मानवाधिकार (Human Rights) ऐसे मौलिक अधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को केवल इस कारण प्राप्त होते हैं क्योंकि वह एक इंसान है। ये अधिकार किसी सरकार या राष्ट्र द्वारा दिए नहीं जाते, बल्कि ये हर मानव के अस्तित्व के साथ स्वाभाविक रूप से जुड़े होते हैं।
जब भी कहीं युद्ध में मानवता का नुकसान होता है या किसी के साथ अन्याय होता है, चाहे वो अन्याय हमारे क्षेत्र, राज्य, देश या कहीं दूर किसी देश में क्यों ना हो रहा हो एक शब्द की हमेशा गुहार लगाई जाती है और वह शब्द है मानवधिकार। हमेशा से ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार पर बहस अपने चरम पर रही है और इसकी रक्षा के विषय में आए दिन बातें होती है। इस ब्लॉग में आप जानेंगें आख़िर यह मानवाधिकार क्या है और इसका हमारे जीवन में कितना महत्व है? इसकी विशेषताएं क्या है, मानवधिकार आयोग क्या है और मानवधिकार दिवस कब और क्यों मनाया जाता है।
Manvadhikar kya Hai- ‘मानवाधिकार’ शब्द का प्रयोग 20वीं शताब्दी में शुरू हुआ, जबकि इससे पहले इन्हें ‘प्राकृतिक अधिकार’ या ‘व्यक्ति के अधिकार’ कहा जाता था। 17वीं शताब्दी में प्रसिद्ध विचारकों ग्रोशियस, हॉब्स और लॉक ने प्राकृतिक अधिकारों की अवधारणा को प्रस्तुत किया। उनका मानना था कि प्राकृतिक कानून प्रत्येक व्यक्ति को दूसरे के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति का सम्मान करने का निर्देश देते हैं। जॉन लॉक ने अपनी प्रसिद्ध कृति “Two Treatises of Government” में इन अधिकारों का उल्लेख किया।
इसके अतिरिक्त, 1776 में अमेरिकी स्वतंत्रता की घोषणा में कहा गया था कि “सभी मनुष्य समान पैदा होते हैं और सृष्टिकर्ता ने उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और सुख की खोज जैसे कुछ अछिन्न (अविच्छेद्य) अधिकार प्रदान किए हैं।” 1789 में फ्रांस के मानव और नागरिक अधिकारों के घोषणापत्र ने भी इन्हीं विचारों की पुनः पुष्टि की। इन घोषणाओं के अनुसार, ये अधिकार नागरिकों को राज्य के आधार पर नहीं, बल्कि उनके मानव होने के नाते दिए गए थे।
मानवधिकार नैतिक सिद्धान्त और मौलिक अधिकारों का एक ऐसा संग्रह हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके जन्म से ही मिलता है। बिना किसी भेदभाव के हर मानव को यह अधिकार मिलते है, मानव चाहे किसी भी देश, धर्म, संस्कृति, भाषा, लिंग या रंग का हो मानवाधिकार पाने की मूल आवश्यकता बस मनुष्य होना है। न छीने जाने योग्य ये अधिकार व्यक्ति की गरिमा, स्वतंत्रता, समानता और न्याय की रक्षा करने के लिए आवश्यक माने जाते हैं। मानवधिकारों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी व्यक्तियों को एक समान सम्मान और अवसर मिले।
मानवाधिकार उन अधिकारों को कहते हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को उसकी जाति, लिंग, राष्ट्रीयता, धर्म या किसी अन्य स्थिति की परवाह किए बिना प्राप्त होते हैं। ये अधिकार सार्वभौमिक होते हैं, जिन्हें न तो कोई सरकार और न ही कोई व्यक्ति छीन सकता है, और ये सभी को बिना किसी भेदभाव के समान रूप से मिलते हैं। इसके अलावा मानवधिकार क्या है? मानवाधिकार वो कवच है जो मनुष्य को उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ कार्य करवाए जाने पर उसे बचाता है। यह वो दावा है जो नैतिकता से जीने के लिए मनुष्य हक़ से कर सकता है।
विशेषता | विवरण |
---|---|
निहित अधिकार | ये अधिकार जन्म से प्राप्त होते हैं और व्यक्ति की जाति, धर्म, लिंग, भाषा, या राष्ट्रीयता के आधार पर छीने नहीं जा सकते। |
सार्वभौमिक | ये सभी लोगों पर, हर जगह समान रूप से लागू होते हैं, चाहे वे किसी भी देश या परिस्थिति में हों। |
नैतिक और कानूनी | मानवाधिकार नैतिक मूल्यों पर आधारित होते हैं और इन्हें कानून द्वारा भी संरक्षित किया जाता है। |
संरक्षण | मानवाधिकारों की रक्षा स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुनिश्चित की जाती है। |
भारत में 7 प्रमुख मानवाधिकार निम्नलिखित हैं, जिन्हें भारतीय संविधान और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार सिद्धांतों के आधार पर मान्यता प्राप्त है:
मानवधिकारों को मुख्यतः दो प्रमुख श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है:
दोनों श्रेणियां महत्वपूर्ण हैं और मानव की भलाई और समाज के न्यायपूर्ण संचालन के लिए आवश्यक हैं।
नागरिक और राजनीतिक अधिकार किसी भी देश के नागरिकों के उन अधिकारों का समूह माना जाता है जो व्यक्ति की स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा करते हैं, राजनीतिक अधिकार देश की सरकार से भी कई हद तक सम्बंध रखतें है और उन्हें सरकार और अन्य व्यक्तियों के अत्याचार से बचाते हैं। ये अधिकार “पहली पीढ़ी के अधिकार” भी कहलाते हैं और इनमें निम्नलिखित मानवधिकार शामिल होते हैं:
आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार वे अधिकार हैं जो व्यक्ति की भौतिक और सांस्कृतिक भलाई को सुनिश्चित करते हैं। ये “दूसरी पीढ़ी के अधिकार” कहलाते हैं और इनमें निम्नलिखित शामिल होते हैं:
मानवाधिकारों की विशेषताएं मानवीयता में निहित है, मानवधिकार की विशेषता इनके महत्व और प्रभावशीलता को रेखांकित करती हैं। ये विशेषताएं मानवधिकारों का संरक्षण और पालन सुनिश्चित करती हैं। कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
मानवाधिकार के संदर्भ में सार्वभौमिक मानवधिकार अर्थात ये हर मनुष्य को समान रूप से प्राप्त होते हैं, चाहे व्यक्ति किसी भी जाति, धर्म, लिंग, राष्ट्रीयता, का हो या उसकी आर्थिक स्थिति कैसी भी हो, उसे ये अधिकार प्राप्त होते हैं। 1948 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा अपनाए गए मानवधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा इस अवधारणा की पुष्टि करती है कि मानवधिकार सभी मनुष्यों के लिए समान हैं।
मानवाधिकार अविभाज्य होते हैं, अर्थात ये एक दूसरे से अलग नहीं किए जा सकते। नागरिक, राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक अधिकार सभी आपस में जुड़े होते हैं और एक साथ मिलकर व्यक्ति की पूर्ण गरिमा और विकास को सुनिश्चित करते हैं। किसी एक अधिकार का हनन अन्य अधिकारों के प्रभावशीलता को भी कम करता है।
कुछ मानवाधिकार ऐसे होते हैं जो किसी भी परिस्थिति में निलंबित या सीमित नहीं किए जा सकते। जैसे कि जीवन का अधिकार, यातना से मुक्ति का अधिकार, और विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता। ये अधिकार इतने महत्वपूर्ण होते हैं कि इन्हें किसी भी स्थिति में सीमित नहीं किया जा सकता, यहां तक कि आपातकालीन स्थिति में भी नहीं।
मानवाधिकार अविच्छेद्य होते हैं, मानव के जन्म से लेकर मृत्यु तक मानवधिकार उसके साथ रहते है अर्थात इन्हें किसी भी व्यक्ति से छीना नहीं जा सकता। ये अधिकार व्यक्ति को जन्म से ही मिलते हैं और इन्हें न तो बेचा जा सकता है, न ही किसी को हस्तांतरित किया जा सकता है। दास प्रथा इस अधिकार का उल्लंघन करने वाली प्रथा थी जिस पर पूरे विश्व में पाबंदी लगा दी गयी।
हर व्यक्ति को बिना किसी भेदभाव के मानवाधिकारों का समान रूप से लाभ उठाने का अधिकार है।
मानवाधिकार एक-दूसरे से जुड़े होते हैं और एक का उपयोग दूसरे की पूर्ति में सहायक होता है।
हर इंसान के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए, किसी भी आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
मानवाधिकारों का उपयोग करते समय हर व्यक्ति का दायित्व है कि वह दूसरों के अधिकारों का सम्मान करे और उनका उल्लंघन न करे।
मानवाधिकार आयोग– व्यक्तियों को मिले जन्मजात नैतिक और मौलिक अधिकार जिन्हें हम मानवधिकार के रूप में समझतें है, उन मूलभूत अधिकारों के बारे में जागरूकता लाने, उनके संरक्षण करने और पालन के लिए प्रतिबद्ध एक संस्था की स्थापना की गई जिसे हम मानवाधिकार आयोग कहते है। मानवधिकार आयोग क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काम करता है। यह एक ग़ैर लाभकारी संगठन है जो सार्वभौमिक घोषणा को मानव जीवन में लागू करना और मानवधिकारों पर निगरानी रखना है।
मानवधिकार आयोग उन लोगों की आवाज़ बनता है जिनके मूल अधिकारों का हनन हुआ है तथा उन्हें सरकार की नज़र में लाकर इंसाफ दिलाता है, मानवाधिकार आयोग बड़े पैमाने पर हो रहे मानवधिकार उल्लंघन पर अंतर्राष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करता है और एक मशाल वाहक के रूप में शांति का प्रस्ताव रखता है।मानवधिकार आयोग विभिन्न शिकायतों की जांच करता है, मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्ट करता है, और सरकारों को नीतिगत सलाह देता है ताकि मानवधिकारों की सुरक्षा और प्रोत्साहन सुनिश्चित हो सके।
मानवधिकार आयोग की स्थापना राष्ट्रीय स्तर पर होती है, कई देश ऐसे है जहां आज भी मानवाधिकार आयोग नहीं है। भारत में राष्ट्रीय मानवधिकार आयोग के सदस्य मुख्यतः सरकारी सेवानिवृत्त न्यायाधीश होते है। आयोग की अध्यक्षता ऐसा व्यक्ति करता है जो किसी उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश रह चुका हो। अध्यक्ष के साथ एक सक्रिय सदस्य होता है जिसके पास जिला न्यायाधीश के रूप में कम से कम सात वर्ष का अनुभव हो। सभी सदस्यों का चयन सरकार द्वारा किया जाता है। भारत में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को लोक न्यायालय की शक्तियाँ प्रदान की गयी है।
मानवधिकार आयोग की स्थापना और कार्य प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक व्यक्ति को उसके मूलभूत अधिकारों का संरक्षण मिले। मानवधिकार आयोग की आवश्यकता को निम्नलिखित बिंदुओं के माध्यम से समझा जा सकता है:
मानवाधिकार दिवस हर वर्ष 10 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य विश्वभर में मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाना और लोगों को उनके अधिकारों के प्रति सचेत करना है। इस दिवस को मनाने की शुरुआत 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा को अपनाए जाने के उपलक्ष्य में की गई थी।
इस घोषणा पत्र में सभी मनुष्यों के लिए बुनियादी अधिकार और स्वतंत्रता को स्पष्ट किया गया है, जैसे कि जीवन का अधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, समानता का अधिकार, और अत्याचार व उत्पीड़न से मुक्ति का अधिकार। मानवाधिकार दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों, सेमिनारों, प्रदर्शनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, ताकि लोगों में मानवाधिकारों के महत्व और उनकी सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाई जा सके।
मानवाधिकारों का उल्लंघन विभिन्न स्तरों पर हो सकता है, और इसके परिणामस्वरूप लोगों को अनेक प्रकार की कठिनाइयों और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है। यहां हम तीन प्रमुख स्तरों पर मानवाधिकार उल्लंघनों का विवरण प्रस्तुत करेंगे:
राज्य जानबूझकर मानवाधिकारों का उल्लंघन कर सकता है या लापरवाही से ऐसा कर सकता है, इस प्रकार कि नयी चुनौतियां को निचे विस्तार से उजागर है।
मानवाधिकार के बारे में हमने जो भी अभी तक जाना उससे हमें यह ज्ञान होता है कि मानवाधिकारों का महत्व किसी भी समाज के न्यायपूर्ण विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। मानवाधिकार हर व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार है, जो उसे गरिमामय जीवन जीने का अधिकार देता है यह अधिकार सभी को समान रूप से मिलते है।मानवाधिकार का संरक्षण मानवाधिकार का मुख्य लक्ष्य है तथा मानवाधिकार का उल्लंघन एक गंभीर मुद्दा है, जो व्यक्तियों और समुदायों को समान अवसरों से वंचित करता है और समाज में असमानता और असंतोष पैदा करता है।यह मानवाधिकार की विशेषताएं ही है जो मानव को एक बेहतर जीवन की तरफ ले जाती है।
प्रथम मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति रगुनाथ मिश्र थे। उन्होंने 12 अक्टूबर 1993 को इस पद की शपथ ली थी।
2006 में, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग (UNCHR) में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया और इसका नाम बदलकर मानवाधिकार परिषद (HRC) कर दिया गया।
प्रमुख मानवाधिकार संगठनों में “अम्नेस्टी इंटरनेशनल,” “ह्यूमन राइट्स वॉच,” और “फ्रंट लाइन डिफेंडर्स” शामिल हैं।
“मौलिक अधिकार” संविधान द्वारा प्रदान किए गए अधिकार होते हैं, जो किसी देश के नागरिकों को मिलते हैं, जबकि “मानवाधिकार” वे अधिकार हैं जो सभी मानव जाति को स्वाभाविक रूप से मिलते हैं, चाहे वे किसी भी देश के हों।
प्रमुख दस्तावेज़ों में जांच रिपोर्ट, साक्षात्कार ट्रांसक्रिप्ट, और कानूनी दावे शामिल हैं।
मानवाधिकारों की कुल संख्या संयुक्त राष्ट्र की घोषणा के अनुसार 30 है।
Editor's Recommendations
Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.