पश्चिमी विक्षोभ

पश्चिमी विक्षोभ(वेस्टर्न डिस्टर्बन्स) : मौसमीय घटना

Published on May 14, 2025
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पश्चिमी विक्षोभ

Quick Summary

  • पश्चिमी विक्षोभ एक मौसम प्रणाली है, जो मुख्य रूप से हिमालय क्षेत्र के पास उत्तरी भारत में प्रभाव डालती है।
  • यह दबाव में बदलाव और वायुमंडलीय अशांति का कारण बनता है।
  • पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव से बारिश, बर्फबारी और सर्दी में वृद्धि होती है।
  • यह प्रणाली मुख्यतः सर्दियों में सक्रिय रहती है और भारतीय मौसम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

Table of Contents

पश्चिमी विक्षोभ या वेस्टर्न डिस्टर्बेंस (Western Disturbance) भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी क्षेत्रों में सर्दियों के दौरान आने वाला एक मौसमी तूफ़ान होता है, जो वायुमंडल की ऊँचाई वाली परतों में भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर और अंध महासागर से नमी लेकर उत्तर भारत, पाकिस्तान और नेपाल के पहाड़ी और मैदानी इलाकों में अचानक वर्षा और बर्फबारी का कारण बनता है।

यह एक महत्वपूर्ण मौसमीय घटना है जो सर्दियों में भारत के उत्तरी हिस्सों में असर डालती है। जो भूमध्य सागर से उठकर पश्चिमी एशिया और पाकिस्तान के रास्ते भारत में प्रवेश करता है। हालांकि, इसके कुछ लाभ भी देखने को मिलते हैं और कुछ हानियां भी जिसके बारे में आपको इस ब्लॉग में जानकारी मिलेगी।

विक्षोभ का अर्थ | Western disturbance

विक्षोभ का अर्थ है कोई गहरी नाराज़गी, उत्तेजना या क्रोध की स्थिति। यह शब्द अक्सर उस मानसिक स्थिति को व्यक्त करता है जब किसी व्यक्ति को किसी बात या घटना से बहुत ज्यादा दुख या आक्रोश होता है, जिससे उसकी भावनाओं में तीव्र परिवर्तन होता है। विक्षोभ में व्यक्ति आमतौर पर गुस्से, असंतोष या विरोध का अनुभव करता है, जिससे वह अपनी सोच और व्यवहार में बदलाव कर सकता है। समाज में विक्षोभ विभिन्न कारणों से उत्पन्न हो सकता है, जैसे अन्याय, असमानता या किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचना।

पश्चिमी विक्षोभ क्या है? | Pashchimi Vikshobh kya Hai

(Western Disturbance) भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर से उठने वाले मध्यम चक्रवाती तूफान हैं जो उत्तर भारत और पाकिस्तान को प्रभावित करते हैं। ये तूफान पश्चिमी हवाओं द्वारा पूर्व की ओर प्रभावित होते हैं और हिमालय से टकराने पर बारिश और बर्फबारी का कारण बनते हैं।

महत्व

  • उत्तर भारत और पाकिस्तान में सर्दियों में बारिश और बर्फबारी: यह विक्षोभ उत्तर भारत और पाकिस्तान में सर्दियों (दिसंबर से फरवरी) के दौरान बारिश और बर्फबारी का मुख्य स्रोत हैं। यह कृषि के लिए जल प्रदान करते हैं और रबी की फसलों के लिए अनुकूल होते हैं।
  • धूल और प्रदूषण में कमी: इसके कारण धूल और प्रदूषण को हवा में ऊपर उठाकर कम करते हैं, जिससे वायु गुणवत्ता में सुधार होता है।
  • तापमान में गिरावट: पश्चिमी विक्षोभ तापमान में गिरावट लाते हैं, जिससे ठंड का मौसम सुहावना होता है।

पश्चिमी विक्षोभ बनाम मानसून: पश्चिमी विक्षोभ और मानसून में अंतर

बिंदुपश्चिमी विक्षोभमानसून
उत्पत्ति का स्थानभूमध्य सागर क्षेत्रहिंद महासागर और अरब सागर
आगमन का समयमुख्यतः सर्दियों में (नवंबर से मार्च)मुख्यतः ग्रीष्म ऋतु के बाद (जून से सितंबर)
दिशापश्चिम से पूर्व की ओरदक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर
प्रभाव क्षेत्रउत्तर-पश्चिम भारत, पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर आदिसम्पूर्ण भारत, विशेषकर पूर्वी, पश्चिमी, मध्य और दक्षिण भारत
लायी जाने वाली नमीसीमित, ठंडी और सूखी हवाएँअत्यधिक आर्द्र, गर्म हवाएँ
वर्षा का प्रकारहल्की से मध्यम वर्षा, कभी-कभी बर्फबारीभारी और लगातार वर्षा
मुख्य प्रभावसर्दियों में रबी फसलों को सिंचाई में मददखरीफ फसलों की वृद्धि के लिए आवश्यक
वायुदाब तंत्रनिम्न वायुदाब पश्चिमी एशिया मेंउच्च वायुदाब दक्षिणी हिंद महासागर में
स्थायित्वकुछ दिन (3-5 दिन)कई सप्ताह (लगातार चरणों में)
Paschimi Vikshobh kya Hai

पश्चिमी विक्षोभ कब आएगा?

समय

Paschimi Vikshobh मुख्य रूप से सर्दियों के मौसम में आता है, यानी दिसंबर से फरवरी के बीच। हालांकि, यह नवंबर और मार्च में भी कभी-कभी सक्रिय हो सकता है। पश्चिमी विक्षोभ मुख्यतः नवंबर से मार्च तक भारत में आते हैं, जब उत्तरी और पश्चिमी भागों में सर्दी का मौसम होता है। इन विक्षोभों का समय निर्धारण मौसम के परिवर्तनों और उच्च वायुदाब के कारण होता है, जो आमतौर पर सर्दियों के दौरान होते हैं।

सर्दियों में, पश्चिमी विक्षोभ उत्तर-पश्चिमी भारत, जैसे जम्मू-कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में अधिक प्रभाव डालते हैं, और कभी-कभी यह भारत के अन्य हिस्सों तक भी पहुंच सकते हैं। अक्सर, दिसंबर से फरवरी के बीच, इन विक्षोभों का प्रभाव अधिक देखा जाता है, जिससे वर्षा, बर्फबारी और ठंड का मौसम बनता है।

पूर्वानुमान

पश्चिमी विक्षोभ का पूर्वानुमान लगाना आसान नहीं है, लेकिन इसके आगमन के कुछ सामान्य पैटर्न होते हैं। यह मुख्य रूप से सर्दियों के महीनों, यानी दिसंबर से फरवरी के बीच सक्रिय होता है। कभी-कभी यह नवंबर के अंत और मार्च के शुरुआत में भी दिख सकता है।

भारतीय मौसम विभाग (IMD) नियमित रूप से मौसम की निगरानी करता है और पश्चिमी विक्षोभ का पूर्वानुमान लगाता है। जब यह भारत के उत्तरी हिस्सों में प्रवेश करता है, तो IMD अपने पूर्वानुमानों के माध्यम से लोगों को सूचित करने का काम करता है। 

पश्चिमी विक्षोभ के आगमन के कुछ संकेत होते हैं, जैसे:

  • पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवाएँ।
  • बादलों का घना होना और आसमान में अचानक बदलाव।
  • तापमान में अचानक गिरावट।

पश्चिमी विक्षोभ की प्रक्रिया

पश्चिमी विक्षोभ एक प्रकार का अतिरिक्त उष्णकटिबंधीय चक्रवात होता है, जो ध्रुवीय और उष्णकटिबंधीय हवाओं की पारस्परिक क्रिया से बनता है। इसके कारण वायुमंडल में निम्न दबाव वाले क्षेत्र विकसित होते हैं। ये विक्षोभ उपोष्णकटिबंधीय पश्चिमी जेट स्ट्रीम के प्रभाव में होते हैं – जो एक ऊँचाई पर बहने वाली तेज गति की हवा है और पश्चिम से पूर्व की दिशा में बहती है, विशेषकर हिमालय और तिब्बती पठार के ऊपर।

पश्चिमी विक्षोभ का निर्माण और विकास

  1. भूमध्य सागर और कैस्पियन सागर क्षेत्र में चक्रवाती तूफान बनते हैं।
  2. इन तूफानों से गर्म और नम हवाएं निकलती हैं।
  3. पच्छमी हवाएं इन हवाओं को पूर्व की ओर ले जाती हैं।
  4. हिमालय से टकराने पर इन हवाओं में मौजूद नमी घने बादल बन जाते हैं।
  5. इन बादलों से बारिश और बर्फ़बारी होती है।

पश्चिमी विक्षोभ की प्रक्रिया में विकास को कई कारक प्रभावित करते हैं, जिनमें शामिल हैं:

  1. चक्रवाती तूफान की तीव्रता: जितना ही तीव्र तूफान होगा, पश्चिमी विक्षोभ उतना ही मजबूत होगा।
  2. पछुआ हवाओं की गति: यदि हवाएं तेज़ होंगी, तो पश्चिमी विक्षोभ जल्दी पूर्व की ओर बढ़ेगा।
  3. हिमालय की ऊंचाई: जितनी ऊँची हिमालय से ये टकराएगा, उतनी ही अधिक नमी घनघटाकर अधिक वर्षा होगी।

पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव

  • बारिश और बर्फबारी: उत्तरी भारत में सर्दियों के दौरान बारिश और बर्फबारी लाते हैं।
  • तूफान: पश्चिमी विक्षोभ तीव्र तूफान और आंधी भी ला सकते हैं, खासकर पहाड़ी इलाकों में।
  • तापमान में गिरावट: पश्चिमी विक्षोभ तापमान में गिरावट लाते हैं, जिससे ठंड बढ़ जाती है।
  • धुंध और कोहरा: लगभग 12 m/s (43 km/h; 27 mph) से भी अधिक की रफ्तार में आते हैं। ये धुंध और कोहरे का कारण भी बन सकते हैं, खासकर उत्तर भारत में।
  • कृषि पर प्रभाव: रबी की फसलों के लिए फायदेमंद होते हैं, क्योंकि ये फसलों को आवश्यक नमी प्रदान करते हैं।
  • स्वास्थ्य पर प्रभाव: लोगों को सर्दी, खांसी, और सांस लेने में तकलीफ जैसी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

आवागमन

यह भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से उठने वाली ठंडी और सुखी हवाओं का समूह है जो ऊपरी वायुमंडल में पश्चिम से पूर्व की ओर बढ़ता है। जब यह हवा का समूह हिमालय से टकराता है, तो यह ऊपर उठ जाता है, जिससे ठंडी हवा और नमी नीचे आ जाती है।

पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति कहां से होती है?

पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति, भूमध्य सागर, कैस्पियन सागर और काला सागर के क्षेत्र में होती हैं। यह क्षेत्र यूरोप, अफ्रीका और एशिया के महाद्वीपों के मिलन बिंदु पर स्थित है। पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति मुख्य रूप से भूमध्य सागर और एटलांटिक महासागर के क्षेत्रों से होती है।

यह एक प्रकार का हवा का तूफान होता है, जो पश्चिमी दिशा से पूर्व की ओर भारत की ओर बढ़ता है। इन विक्षोभों में ठंडी, शुष्क हवाएँ होती हैं जो अधिकतर सर्दियों के दौरान भारत के उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में प्रभाव डालती हैं। पश्चिमी विक्षोभ का मुख्य कारण ऊपरी वायुदाब में परिवर्तन और समुद्रों से आर्द्रता का मिश्रण होता है, जो बाद में भारत के विभिन्न हिस्सों में मौसम बदलाव और वर्षा का कारण बनता है।

पश्चिमी विक्षोभ के कारण

  1. ध्रुवीय वायुमंडल का तापमान कम होना:
    • ध्रुवीय क्षेत्रों में, वायुमंडल में तापमान बहुत कम होता है।
    • यह कम तापमान हवा को घना बनाता है, जिससे यह नीचे की ओर डूब जाता है।
    • इस प्रक्रिया को ध्रुवीय वायु अपवाह कहा जाता है।
    • यह अपवाह भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर जैसे गर्म क्षेत्रों की ओर हवा को धकेलता है।
  2. भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर का तापमान अधिक होना:
    • भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर में, वायुमंडल का तापमान अपेक्षाकृत अधिक होता है।
    • यह गर्म हवा कम घनी होती है, इसलिए यह ऊपर उठती है।
    • इस प्रक्रिया को उष्णकटिबंधीय संवहन कहा जाता है।
    • जैसे-जैसे गर्म हवा ऊपर उठती है, यह ठंडी ध्रुवीय हवा को खींचती है, जिससे यह विक्षोभ बनते हैं।
  3. पश्चिमी विक्षोभ के बनने में योगदान देने वाले अन्य कारक:
    • जेट स्ट्रीम: जेट स्ट्रीम वायुमंडल में तेज हवाओं की धाराएँ हैं जो इस विक्षोभ को पश्चिम से पूर्व की ओर ले जाने में मदद करती हैं।
    • पहाड़: पहाड़ पश्चिमी विक्षोभ को ऊपर उठने और नमी छोड़ने के लिए मजबूर करते हैं, जिससे बारिश और बर्फबारी हो सकती है।

विकास प्रक्रिया

  • उत्पत्ति: भूमध्य सागर और अटलांटिक महासागर से ठंडी और शुष्क हवाएं ऊपर उठती हैं, और पश्चिम से पूर्व की ओर ऊपरी वायुमंडल में बहती हैं।
  • टकराव: ये हवाएं हिमालय से टकराती हैं, जिसके कारण वे ऊपर उठने पर मजबूर होती हैं।
  • ठंडी हवा और नमी का उतरना: ऊपर उठने पर, हवा ठंडी होती है और जलवाष्प संघनित होकर बादल बनाता है।
  • वर्षा और बर्फबारी: बादल भारी बारिश या बर्फबारी (पहाड़ी क्षेत्रों में) करते हैं।
  • तापमान में गिरावट: ठंडी हवा नीचे आने से तापमान में गिरावट आती है।
  • हवाएं: तेज हवाएं चल सकती हैं, जिससे धूल भरी आंधियां और तूफान आ सकते हैं।

पश्चिमी विक्षोभ का असर क्या है?

मौसम पर असर

  • बर्फबारी और बारिश: जब पश्चिमी विक्षोभ हिमालय क्षेत्र में पहुँचता है, तो पश्चिमी विक्षोभ का असर हमे बर्फबारी और बारिश के रूप में देखने को मिलता है। इससे ठंड बढ़ जाती है और सर्दियों में तापमान गिर जाता है। 
  • तापमान में गिरावट: पश्चिमी विक्षोभ का असर उत्तरी भारत के तापमान में अचानक गिरावट के रूप में देखने को मिलता है। इससे वहां ठंड बढ़ जाती है और लोगों को गर्म कपड़े पहनने की जरूरत पड़ती है।
  • सर्दियों का मौसम: पश्चिमी विक्षोभ के कारण सर्दियों में ठंड और अधिक हो जाती है। यह विक्षोभ उत्तर भारत में ठंडे मौसम की लहरें लाता है।

कृषि पर असर

  1. सकारात्मक प्रभाव:
    • वृष्टि: पश्चिमी विक्षोभ से होने वाली बारिश रबी फसलों, जैसे गेहूं, सरसों और जौ, के लिए फायदेमंद होती है। यह फसलों को प्राकृतिक सिंचाई प्रदान करती है, जिससे किसानों को कृत्रिम सिंचाई पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
    • बर्फबारी: हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी के कारण जल संसाधन संचित होते हैं, जो गर्मियों में पिघलकर नदियों को पोषण देते हैं। इससे किसानों को सिचाई के लिए जल की उपलब्धता बढ़ती है।
  2. नकारात्मक प्रभाव:
    • अत्यधिक बारिश और ओलावृष्टि: पश्चिमी विक्षोभ के कारण कभी-कभी अत्यधिक बारिश और ओलावृष्टि होती है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाती है। इससे फसलों का कटाई समय पर नहीं होता, और उत्पादन में कमी आती है।
    • ठंड का प्रभाव: अत्यधिक ठंड रबी फसलों के लिए हानिकारक हो सकती है, जिससे उनकी वृद्धि में रुकावट आती है और पैदावार कम होती है।

सामाजिक और आर्थिक असर

  1. स्वास्थ्य: पश्चिमी विक्षोभ के कारण ठंड और बारिश बढ़ने से सर्दी, जुकाम, और अन्य श्वसन संबंधी बीमारियाँ बढ़ जाती हैं। खासकर बुजुर्ग और बच्चों पर इसका ज्यादा प्रभाव होता है।
  2. जनजीवन: बारिश और बर्फबारी से सड़कें फिसलन भरी हो जाती हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। 2013 में उत्तर भारत में आई पश्चिमी विक्षोभ के कारण 3 दिनों में 5000 से अधिक लोगों की मौत हुई थी। इसके अलावा परिवहन सेवाओं में बाधा भी आम हो जाती है। 
  3. कृषि: इस विक्षोभ से होने वाली बारिश और बर्फबारी रबी फसलों, जैसे गेहूं और सरसों, के लिए फायदेमंद होती है। यह उनकी सिंचाई का प्राकृतिक स्रोत है। लेकिन अगर बारिश अधिक हो जाए तो फसलें खराब भी हो सकती हैं।
  4. पर्यटन: हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और कश्मीर जैसे पर्यटन स्थलों में बर्फबारी से सैलानियों की संख्या बढ़ जाती है, जिससे स्थानीय व्यापार को बढ़ावा मिलता है। लेकिन अत्यधिक बर्फबारी से यातायात बाधित होने पर पर्यटन पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है।
  5. बिजली और ऊर्जा: बारिश और बर्फबारी से हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट्स को पानी मिलता है, जिससे बिजली उत्पादन में बढ़ोतरी होती है। हालांकि, अत्यधिक बर्फबारी से बिजली आपूर्ति में रुकावटें भी आ सकती हैं।
  6. शिक्षा: अत्यधिक ठंड और खराब मौसम के कारण स्कूलों और कॉलेजों में छुट्टियाँ हो जाती हैं, जिससे छात्रों की पढ़ाई प्रभावित होती है।

पश्चिमी विक्षोभ से भारत में कहाँ वर्षा होती है?

  • जम्मू और कश्मीर
  • हिमाचल प्रदेश
  • उत्तराखंड
  • पंजाविक्षोभ का अर्थब
  • हरियाणा
  • दिल्ली-एनसीआर
  • राजस्थान के उत्तरी हिस्से
  • उत्तर प्रदेश के पश्चिमी क्षेत्र
  • बिहार और झारखंड (कभी-कभी)

पश्चिमी विक्षोभ के लाभ और हानि

लाभहानि
कृषि के लिए वरदान: इस विक्षोभ से होने वाली बारिश और बर्फबारी रबी फसलों के लिए फायदेमंद होती है।कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव: अत्यधिक ओलों और बारिश से फसलों को नुकसान होता है, जिससे किसानों की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है।
जल संसाधन: बर्फबारी से हिमालयी क्षेत्रों में जल संचित होता है, जो गर्मियों में नदियों को पोषण देता है।स्वास्थ्य समस्याएं: ठंड बढ़ने से सर्दी, जुकाम और श्वसन संबंधी बीमारियाँ बढ़ जाती हैं।
पर्यटन को बढ़ावा: बर्फबारी से पर्वतीय क्षेत्रों में सैलानियों की संख्या बढ़ती है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को लाभ होता है।यातायात में बाधा: बर्फबारी और बारिश से सड़कों पर फिसलन होती है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ती है।
मौसम का संतुलन: पश्चिमी विक्षोभ से उत्तरी भारत में ठंड बढ़ती है, जो ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव को संतुलित करती है।बिजली आपूर्ति में रुकावट: भारी बर्फबारी से बिजली की तारें टूट जाती हैं, जिससे बिजली आपूर्ति में व्यवधान होता है।
आवासीय समस्याएं: अत्यधिक ठंड और बारिश से मकानों में सीलन और दरारें आती हैं, जिससे मरम्मत पर खर्च होता है।

निष्कर्ष

यह अनोखी मौसमीय घटना “पश्चिमी विक्षोभ” जहां एक तरफ ठंड के मौसम का स्वागत करती है, वहीं दूसरी तरफ हमारे जीवन में संतुलन और सुरक्षा की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। पश्चिमी विक्षोभ की उत्पत्ति के साथ हमे कुछ खतरों का भी सामना करना पड़ता है।

इस ब्लॉग के माध्यम से आपने पश्चिमी विक्षोभ क्या है, यह  कब आएगा, इसकी प्रक्रिया, इसकी उत्पत्ति, इसका असर, इसके लाभ और हानियों के बारे में गहराई से जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पश्चिमी विक्षोभ का अर्थ क्या है?

पश्चिमी विक्षोभ एक मौसम प्रणाली है, जो पश्चिम से नमी लेकर भारत के उत्तरी इलाकों में बारिश या बर्फबारी का कारण बनती है। यह मुख्य रूप से सर्दियों में हिमालय क्षेत्र में मौसम में बदलाव लाता है।

पश्चिमी विक्षोभ कब आता है?

पश्चिमी विक्षोभ मुख्य रूप से दिसंबर से फरवरी के बीच आता है। यह सर्दियों के मौसम में पश्चिमी दिशा से भारत के उत्तरी हिस्सों में आता है, जिससे वहाँ बारिश, बर्फबारी और ठंड में वृद्धि होती है।

पश्चिमी विक्षोभ का कारण क्या है?

पश्चिमी विक्षोभ का कारण पश्चिम से आने वाली नमी से भरी हवाओं का भारत के उत्तरी हिस्सों में टकराना है। ये हवाएँ हिमालय पर्वतों से टकराकर बारिश या बर्फबारी का कारण बनती हैं, जिससे मौसम में बदलाव होता है।

पश्चिमी विक्षोभ कैसे बनते हैं?

यह तब होता है जब पश्चिम से नमी से भरी हवाएं भारत के उत्तरी हिस्सों में आती हैं। ये हवाएं हिमालय से टकराकर वाष्प संघनित होती हैं, जिससे बारिश या बर्फबारी होती है और मौसम में बदलाव होता है।

पश्चिमी विक्षोभ का उत्पत्ति स्थान कौन सा है?

इसकी की उत्पत्ति भूमध्यसागर और कैस्पियन सागर के क्षेत्र से होती है। इनकी हवाएँ पश्चिमी दिशा में बहती हैं और भारत के उत्तरी हिस्सों में आकर हिमालय से टकराती हैं, जिससे मौसम में बदलाव होता है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.