gdp kya hai

GDP Kya Hai: सकल घरेलू उत्पाद

Published on June 16, 2025
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gdp kya hai

Quick Summary

  • सकल घरेलू उत्पाद या जीडीपी, किसी देश में एक निश्चित अवधि में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य को मापता है।
  • यह आर्थिक गतिविधि का सबसे व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला उपाय है।
  • जीडीपी की गणना तिमाही आधार पर की जाती है, लेकिन वार्षिक जीडीपी का उपयोग किसी देश की अर्थव्यवस्था के आकार को मापने और देशों के बीच तुलना करने के लिए किया जाता है।

Table of Contents

GDP Kya Hai? इसे आसान शब्दों में कहें तो “किसी देश की सीमा के भीतर एक साल में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य ही GDP (सकल घरेलू उत्पाद) कहलाता है।”GDP के जरिए यह पता चलता है कि उसने आर्थिक प्रदर्शन कैसा किया है। GDP से यह भी समझ आता है कि किस क्षेत्र में कितना विकास या गिरावट आई है, जैसे कृषि, उद्योग, या सेवा क्षेत्र। किसी भी सेक्टर में गतिविधियों का प्रभाव GDP पर पड़ता है, जिससे यह अच्छी या कमजोर दिख सकती है।। इस ब्लॉग में GDP Kya Hai, gdp ka full form, भारत की जीडीपी क्या है, sakal gharelu utpad इन सभी विषयों पर चर्चा करेंगे।

GDP ka full form क्या है (gdp kya hai) | gdp full form in hindi

GDP ka full form है “Gross Domestic Product” जिसे हिंदी में “सकल घरेलू उत्पाद” कहा जाता है। यह एक महत्वपूर्ण आर्थिक संकेतक है, जो किसी देश के भीतर एक निर्धारित समय अवधि में उत्पन्न सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य दर्शाता है। GDP से यह पता चलता है कि देश में आर्थिक गतिविधियां किस स्तर पर हैं और आर्थिक विकास की गति कैसी है। यह किसी देश की आंतरिक उत्पादकता को मापता है और बताता है कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है या नहीं। GDP का उपयोग देशों की आपसी तुलना और वैश्विक आर्थिक स्थिति को समझने के लिए भी किया जाता है।

भारत की जीडीपी क्या है?(GDP Kya Hai) | gdp full form hindi

GDP (जीडीपी) का पूरा नाम है Gross Domestic Product यानी सकल घरेलू उत्पाद। यह किसी देश की आर्थिक स्थिति को मापने का सबसे महत्वपूर्ण सूचकांक है

भारत की GDP उसकी आर्थिक संरचना का महत्वपूर्ण आधार है। भारत की GDP Kya Hai इसके लिए लिए देश की उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में GDP का योगदान कैसे अलग अलग सेक्टर्स से होता है ये जान लेते है-

भारत में कृषि का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व है। GDP में कृषि का योगदान महत्वपूर्ण है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय का मुख्य स्रोत होने के कारण। फसल उत्पादन, पशुपालन, मत्स्य पालन आदि कृषि क्षेत्र के मुख्य घटक हैं।

उद्योग क्षेत्र GDP में बड़ा योगदान देता है और इसका उद्देश्य उत्पादन, निर्माण और निर्यात को बढ़ाना है। इस क्षेत्र में भारी उद्योग, विनिर्माण, ऊर्जा उत्पादन, और निर्माण जैसे उप-क्षेत्र शामिल हैं। यह क्षेत्र रोजगार सृजन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और शहरीकरण को बढ़ावा देता है।

सेवा क्षेत्र भारत की GDP का सबसे बड़ा हिस्सा है, जिसमें बैंकिंग, आईटी, शिक्षा, स्वास्थ्य, और परिवहन जैसी सेवाएं शामिल हैं। भारत का सेवा क्षेत्र तेज़ी से बढ़ा है, और इसे वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सेवा क्षेत्र ने भारत को अंतरराष्ट्रीय व्यापार में मजबूती प्रदान की है और इसे वैश्विक स्तर पर एक सेवा आधारित अर्थव्यवस्था के रूप में पहचान दिलाई है।

भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक माना जाता है। सरकार द्वारा लागू की गई नीतियों, उदारीकरण, और वैश्विक व्यापार में भागीदारी ने भारत की GDP को सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ाने में मदद की है।

विदेशी निवेश (FDI) और निर्यात का भी GDP में प्रमुख योगदान होता है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसी योजनाओं ने घरेलू और अंतरराष्ट्रीय निवेश को प्रोत्साहित किया है। इस प्रकार भारत की GDP कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों का संयोजन है, जो मिलकर देश की आर्थिक प्रगति और विकास को दर्शाते हैं।

“ग्रॉस” का क्या अर्थ है?

“ग्रॉस” का अर्थ है “सकल”, और यह संकेत करता है कि सभी उत्पादों को उनके बाद के उपयोग की परवाह किए बिना GDP में गिना जाता है। किसी उत्पाद का उपयोग चाहे उपभोग, निवेश, या किसी परिसंपत्ति को बदलने के लिए किया जाए — हर स्थिति में उस उत्पाद की अंतिम बिक्री से प्राप्त राशि को GDP में जोड़ा जाता है।

इसके विपरीत, “नेट” (Net) GDP में उन उत्पादों को शामिल नहीं किया जाता जो केवल मौजूदा परिसंपत्तियों को बदलने के लिए उपयोग किए जाते हैं, यानी जिनका इस्तेमाल सिर्फ मूल्यह्रास की भरपाई के लिए होता है।
नेट GDP केवल उन्हीं उत्पादों को दर्शाता है जो उपभोग या निवेश के उद्देश्य से प्रयोग किए जाते हैं।

वर्तमान में भारत की जीडीपी कितनी है?

भारत की मौजूदा सकल घरेलू उत्पाद (Nominal GDP) लगभग ₹330‑331 लाख करोड़ (₹330.7 lakh crore) है, जो वित्त वर्ष 2024‑25 में वर्तमान मूल्य पर आंका गया। यह अमेरिकी डॉलर में लगभग $4.19 ट्रिलियन (₹330.68 lakh crore ≈ $4.19 tn) है

  • वित्त वर्ष 2024‑25 की वर्तमान मूल्य जीडीपी: ₹330.68 लाख करोड़
  • इसे अमेरिकी डॉलर में देखा जाए तो अनुमान लगभग $4.19 ट्रिलियन ।

इसके साथ ही खरीद शक्ति समानता (PPP) से समायोजित स्वरूप में भारत की GDP लगभग $17‑17.7 ट्रिलियन है ।

GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को मापने के लिए तीन दृष्टिकोण

1. व्यय दृष्टिकोण:

सभी अंतिम माल और सेवाओं पर कुल व्यय (उपभोग की वस्तुएं और सेवाएं (C) + सकल निवेश (I) + सरकारी खरीद (G) + (निर्यात (X) – आयात (M))

GDP = C + I + G + (X-M)

2. आय दृष्टिकोण (NI = राष्ट्रीय आय)

आय के दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए, GDP (सकल घरेलू उत्पाद) की गणना करने के लिए समाज में उत्पादन के कारकों में कारक आय को जोड़ा जाता है। इनमें शामिल हैं:

कर्मचारी का मुआवजा + कॉर्पोरेट मुनाफा + मालिक की आय + किराये की आय + शुद्ध ब्याज

3. वर्धित मूल्य दृष्टिकोण:

माल की बिक्री का मूल्य – बेचे गए माल के उत्पादन के लिए मध्यवर्ती माल की खरीद।

भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास

भारतीय अर्थव्यवस्था का इतिहास कई महत्वपूर्ण चरणों में विभाजित है, जो इस प्रकार हैं-

प्राचीन भारत में व्यापार और वाणिज्य का उच्च स्तर था, और इसे ‘सोने की चिड़िया’ कहा जाता था। भारत मसाले, रेशम, कपास, और अन्य मूल्यवान वस्त्रों का प्रमुख निर्यातक था। इस समय भारत में कृषि, शिल्प, और व्यापारिक गतिविधियों का महत्वपूर्ण योगदान था।

मध्यकाल में विभिन्न साम्राज्य आए और गए, जिनमें मुगल साम्राज्य ने भारतीय अर्थव्यवस्था को संगठित किया। व्यापारिक मार्गों की स्थापना हुई और देश का विदेशी व्यापार बढ़ा। इस काल में भारत वैश्विक व्यापार का केंद्र बना रहा, विशेषकर रेशम, मसालों और हस्तशिल्पों के लिए।

ब्रिटिश शासन के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था में भारी गिरावट आई। भारतीय संसाधनों का दोहन किया गया, और स्थानीय उद्योगों, विशेषकर कपड़ा उद्योग, को ब्रिटिश उत्पादों के कारण बड़ा नुकसान हुआ। ब्रिटिश शासन के कारण भारत की आर्थिक संरचना बिगड़ गई, जिससे गरीबी और बेरोजगारी में वृद्धि हुई।

स्वतंत्रता के बाद, भारत ने आत्मनिर्भरता की नीति अपनाई और कृषि, उद्योग, और अवसंरचना में सुधार की कोशिश की। पंचवर्षीय योजनाओं के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित किया गया। भारत ने मिश्रित अर्थव्यवस्था का मॉडल अपनाया, जिसमें सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों की भूमिका महत्वपूर्ण थी।

1991 में, भारत में आर्थिक सुधार और उदारीकरण की नीति लागू की गई। इस सुधार का मुख्य उद्देश्य विदेशी निवेश को बढ़ावा देना और आर्थिक ढांचे में बदलाव लाना था। उदारीकरण, निजीकरण, और वैश्वीकरण की नीति के कारण GDP में वृद्धि हुई और भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था का हिस्सा बना।

वर्तमान में, भारत एक तेजी से बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था है और इसे वैश्विक स्तर पर उभरती हुई अर्थव्यवस्था के रूप में देखा जाता है। डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, और स्टार्टअप इंडिया जैसी योजनाओं के माध्यम से नई पीढ़ी को आर्थिक अवसर प्राप्त हो रहे हैं। भारत की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र, उद्योग, और कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है।

GDP Kya Hai? इन चरणों के माध्यम से समझें। भारतीय अर्थव्यवस्था ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं और आज यह वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखती है।

सकल घरेलू उत्पाद का वर्गीकरण

  • नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद: (sakal gharelu utpad) यह एक वर्ष के दौरान किसी देश में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है, वर्तमान कीमतों पर।
  • वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद: यह मुद्रास्फीति के लिए समायोजित नाममात्र सकल घरेलू उत्पाद है।
  • प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद: यह किसी देश की जनसंख्या से विभाजित सकल घरेलू उत्पाद है।
  • सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर: यह एक वर्ष से अगले वर्ष तक सकल घरेलू उत्पाद में प्रतिशत परिवर्तन है।

भारत की GDP का विकास

भारत की GDP का विकास पिछले कुछ दशकों में कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर आधारित रहा है। इसमें विभिन्न आर्थिक सुधारों, वैश्विक व्यापार में भागीदारी, और नई तकनीकों का योगदान शामिल है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:

  • आर्थिक सुधारों का प्रभाव– 1991 में आर्थिक उदारीकरण और सुधारों के बाद भारत की अर्थव्यवस्था में तेजी से बढ़ोतरी हुई। इन सुधारों ने विदेशी निवेश को प्रोत्साहित किया और विभिन्न क्षेत्रों में निजीकरण को बढ़ावा दिया। सरकार की उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (LPG) नीति ने भारत की GDP को तेजी से आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • सेवा क्षेत्र का विकास– सेवा क्षेत्र भारत की GDP का सबसे बड़ा हिस्सा बन चुका है, जिसमें आईटी, बैंकिंग, बीमा, स्वास्थ्य, और शिक्षा जैसी सेवाएँ शामिल हैं। भारत का IT उद्योग वैश्विक स्तर पर प्रसिद्ध है, जिससे विदेशी मुद्रा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र के विकास ने GDP में स्थिरता और निरंतरता को बढ़ावा दिया है।
  • उद्योग और निर्माण क्षेत्र का योगदान– भारत के उद्योग और निर्माण क्षेत्र ने भी GDP में बड़ा योगदान दिया है। विनिर्माण क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए ‘मेक इन इंडिया’ जैसे अभियानों की शुरुआत की गई, जिससे घरेलू उत्पादन में बढ़ोतरी हुई। बुनियादी ढांचे (इन्फ्रास्ट्रक्चर), सड़कों, बंदरगाहों और ऊर्जा क्षेत्रों में निवेश से उद्योग को गति मिली और GDP को सहारा मिला।
  • कृषि क्षेत्र में सुधार– कृषि भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों के लिए। फसलों की उपज बढ़ाने के लिए नई तकनीकों, उर्वरकों, और सिंचाई साधनों का उपयोग किया गया। साथ ही, कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न योजनाएं लागू की गईं, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
  • वैश्विक व्यापार और निवेश– भारत ने पिछले कुछ दशकों में वैश्विक व्यापार में सक्रिय रूप से भाग लिया है, जिससे GDP में तेजी आई है। विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) और निर्यात-आधारित उद्योगों में तेजी से वृद्धि हुई है। भारत का अंतरराष्ट्रीय व्यापार, विशेष रूप से आईटी सेवाओं, फार्मास्युटिकल्स, और टेक्सटाइल्स के क्षेत्र में बढ़ा है, जिससे GDP को मजबूती मिली है।
  • नई तकनीकों और डिजिटलाइजेशन का प्रभाव– डिजिटलाइजेशन और तकनीकी सुधारों के कारण देश की आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे अभियानों ने तकनीकी नवाचार को प्रोत्साहित किया, जिससे देश की GDP में सकारात्मक प्रभाव पड़ा। डिजिटल सेवाओं के बढ़ते उपयोग से ई-कॉमर्स, फिनटेक, और डिजिटल बैंकिंग जैसे क्षेत्रों में भी वृद्धि हुई है।
  • सरकारी योजनाओं और नीतियों का योगदान– सरकार ने ‘आत्मनिर्भर भारत,’ ‘मेक इन इंडिया,’ और ‘स्किल इंडिया’ जैसी योजनाएं चलाई हैं, जिनका उद्देश्य आर्थिक विकास को गति देना और रोजगार के अवसर उत्पन्न करना है। इन योजनाओं ने भारत को एक स्थिर और आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था की दिशा में आगे बढ़ने में मदद की है।

इन सब कारणों के चलते भारत की GDP ने पिछले कुछ दशकों में एक मजबूत और स्थिर वृद्धि दर दर्ज की है। भारत का लक्ष्य 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनना है, और इन विकासकारी पहलों से यह लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

सकल घरेलू उत्पाद (GDP) | sakal gharelu utpad

sakal gharelu utpad, जिसे हम GDP के नाम से जानते हैं, ये GDP Kya Hai? किसी देश की आर्थिक स्थिति का महत्वपूर्ण सूचक है। GDP का मुख्य उद्देश्य यह मापना होता है कि एक निश्चित समयावधि में किसी देश में कुल कितना उत्पादन और सेवाएँ प्रदान की गईं हैं, और इस आधार पर यह समझने का प्रयास किया जाता है कि उस देश की आर्थिक क्षमता कितनी है। sakal gharelu utpad एक ऐसी आर्थिक अवधारणा है, जो अर्थव्यवस्था के विकास को मापने और देश के आर्थिक स्वास्थ्य का आकलन करने में सहायक होती है।

GDP Kya Hai? GDP कैसे मापा जाता है?

GDP Kya Hai? GDP किसी भी देश की आर्थिक गतिविधियों का मुख्य सूचक है और इसे कई तरीकों से मापा जा सकता है। मुख्य रूप से GDP को मापने के तीन तरीके होते हैं:

  • उत्पाद विधि- इस विधि में किसी देश में उत्पादन की गई सभी वस्तुओं और सेवाओं का मूल्य जोड़ा जाता है। इसे “सकल मूल्यवर्धन विधि” भी कहा जाता है। इससे यह समझ में आता है कि अलग-अलग क्षेत्रों में कितना उत्पादन हो रहा है।
  • आय विधि – इस विधि में सभी व्यक्तियों की आय का योग किया जाता है, जिसमें वेतन, लाभ, ब्याज, किराया आदि शामिल होते हैं। इससे यह पता चलता है कि देश में लोगों की आय का स्तर कितना है।
  • व्यय विधि – इसमें सभी खर्चों का मूल्य जोड़ा जाता है, जिसमें उपभोग, निवेश, सरकारी खर्च और निर्यात-आयात शामिल हैं। यह तरीका बताता है कि देश में लोग कितनी और किस प्रकार की वस्तुएं व सेवाएं खरीद रहे हैं।

सकल घरेलू उत्पाद की विशेषताएं |

GDP की मुख्य विशेषताएं इस तरह हैं:

  • यह किसी देश की सीमा के भीतर की सभी आर्थिक गतिविधियों को मापता है।
  • केवल वस्तुओं और सेवाओं का अंतिम मूल्य जोड़ा जाता है, जिससे दोहरी गणना से बचा जा सके।
  • इसका मापन बाजार मूल्य पर होता है, जो उस समय की वस्तुओं और सेवाओं की वास्तविक कीमतों को दर्शाता है।

दो देशों की GDP की तुलना

GDP के जरिए दो देशों की आर्थिक स्थिति और विकास का तुलनात्मक अध्ययन करना संभव है। उदाहरण के लिए, भारत और चीन की GDP की तुलना करके हम जान सकते हैं कि दोनों देशों की आर्थिक प्रगति कैसी है। इससे यह भी पता चलता है कि किस देश की अर्थव्यवस्था अधिक मजबूत और उत्पादक है। अगर चीन की GDP भारत से ज्यादा है, तो इसका मतलब यह नहीं कि केवल उनका उत्पादन ज्यादा है, बल्कि यह भी हो सकता है।

GDP और इसका असर

GDP Kya Hai? GDP किसी भी देश के आर्थिक स्वास्थ्य का प्रमुख मापक है और यह कई महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है।

देश की आर्थिक स्थिति पर प्रभाव

  • GDP में वृद्धि देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती का संकेत देती है।
  • रोजगार के नए अवसर उत्पन्न होते हैं, जिससे बेरोजगारी में कमी आती है।
  • लोगों की क्रय शक्ति में वृद्धि होती है, जिससे बाजार में मांग बढ़ती है।
  • समस्त आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है, जो देश की प्रगति में सहायक होता है।
  • लोगों की जीवनशैली में सुधार होता है, जिससे जीवन स्तर बेहतर होता है।
  • एक सकारात्मक आर्थिक वातावरण बनता है, जो निवेशकों को आकर्षित करता है।
  • यह वृद्धि बड़े शहरों के साथ-साथ छोटे कस्बों और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए भी लाभकारी होती है।
  • देश का समग्र विकास सुनिश्चित होता है, जिससे क्षेत्रीय असमानताएँ कम होती हैं।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर GDP की भूमिका

  • GDP किसी देश की वैश्विक स्थिति और प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को दर्शाती है।
  • विश्व बैंक और IMF जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठन GDP के आधार पर देशों की आर्थिक स्थिति का आकलन करते हैं।
  • GDP के आंकड़े यह बताते हैं कि कोई देश निवेश के लिए कितना आकर्षक है।
  • उच्च GDP वाले देशों में विदेशी निवेशक अधिक निवेश करते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होती है।
  • GDP देशों की वैश्विक रैंकिंग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और कूटनीति को प्रभावित करती है।
  • GDP के आधार पर अंतरराष्ट्रीय नीतियाँ बनाई जाती हैं, जो देशों के विकास को दिशा देती हैं।
  • GDP वैश्विक व्यापार और आर्थिक भागीदारी में देशों की भूमिका को परिभाषित करती है।

निष्कर्ष (Conclusion)

कुल मिलाकर, GDP किसी भी देश के आर्थिक स्वास्थ्य का मुख्य संकेतक है। यह न केवल देश की आंतरिक प्रगति और आर्थिक गतिविधियों को दर्शाता है, बल्कि उसकी अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा और आर्थिक ताकत को भी परिभाषित करता है। इस ब्लॉग में GDP Kya Hai, gdp ka full form, भारत की जीडीपी क्या है के बारे में पूरी जानकारी दी है। भारत जैसे उभरते हुए देश के लिए GDP का बढ़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल रोजगार और समृद्धि का रास्ता दिखाता है, बल्कि देश के नागरिकों को बेहतर जीवन स्तर भी मिलता है। देश की GDP जितनी अधिक होगी, विदेशी निवेशकों का विश्वास उतना ही बढ़ेगा, जो आगे चलकर आर्थिक विकास और सामाजिक कल्याण में सहायक होगा।

जनसंख्या वृद्धि के कारण, समस्या और नियंत्रण के उपाय

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

जीडीपी का मतलब क्या होता है?

जीडीपी का पूरा नाम सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product) होता है।

GDP कितने प्रकार की है?

मुख्य रूप से जीडीपी दो प्रकार की होती है:
नॉमिनल जीडीपी
वास्तविक जीडीपी

जीडीपी कैसे बढ़ती है?

जीडीपी कई कारकों से प्रभावित होती है और इन कारकों में बदलाव के कारण ही जीडीपी बढ़ती है। कुछ प्रमुख कारक इस प्रकार हैं:
उत्पादकता में वृद्धि
निवेश
सरकारी खर्च
घरेलू खपत
निर्यात

GDP का कार्य कौन करता है?

जीडीपी की गणना एक जटिल प्रक्रिया है और इसे विभिन्न सरकारी एजेंसियां करती हैं। भारत में, केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (CSO) जीडीपी की गणना करने का जिम्मा संभालता है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.