Quick Summary
Caa kya hai? CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, भारत का एक कानून है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक अत्याचार के चलते भारत आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने की व्यवस्था करता है। यह कानून 11 मार्च 2024 से प्रभावी हुआ। इस अधिनियम का मुख्य उद्देश्य कुछ विशेष देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देना है।
CAA का प्रमुख उद्देश्य उन गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता देना है जो धार्मिक उत्पीड़न के चलते पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हैं। इस कानून के तहत इन समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता पाने के लिए कुछ निर्धारित शर्तें पूरी करनी होती हैं।
CAA ka Full Form? CAA, यानी Citizenship (Amendment) Act 2019, भारत का एक महत्वपूर्ण कानून है जो नागरिकता अधिनियम 1955 में संशोधन करता है। इसका उद्देश्य उन लोगों को भारतीय नागरिकता देना है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए थे।
CAA के तहत, 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है। यह प्रावधान नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन के माध्यम से जोड़ा गया है। CAA किसके लिए है? – यह कानून केवल 6 धर्मों के अल्पसंख्यकों पर लागू होता है: हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई
नागरिकता कानून वह नियम है जो यह तय करता है कि कोई व्यक्ति भारत का नागरिक कैसे बन सकता है। भारत का नागरिक होना यानी उस व्यक्ति को भारत के संविधान में दिए गए सभी अधिकार मिलते हैं।
1) भारत में नागरिकता कैसे मिलती है?
भारत में नागरिकता पाने के पाँच मुख्य तरीके हैं:
2) Nagrikta Sanshodhan Adhiniyam 1955 का संक्षिप्त परिचय
भारत में नागरिकता से जुड़ा मूल कानून नागरिकता अधिनियम 1955 है। इसके जरिए नागरिकता देने, खत्म करने और रद्द करने के नियम तय किए गए हैं। 2019 में इसमें बदलाव करके CAA जोड़ा गया।
CAA kya hai, CAA यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019, भारत सरकार द्वारा लाया गया एक कानून है जिसका उद्देश्य है—पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना। यह कानून नागरिकता अधिनियम, 1955 में संशोधन करके बनाया गया है।
CAA का कुछ राजनीतिक दलों और संगठनों ने विरोध किया है। उनका मानना है कि यह कानून भेदभावपूर्ण है और संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ जाता है। वे यह भी तर्क देते हैं कि नागरिकता देने का आधार धर्म नहीं होना चाहिए।
विषय | विवरण |
CAA का पूरा नाम | Citizenship (Amendment) Act, 2019 |
कब पास हुआ | 11 दिसंबर 2019 (संसद में) |
राष्ट्रपति की मंजूरी | 12 दिसंबर 2019 |
नोटिफिकेशन जारी होने की तारीख | 11 मार्च 2024 |
किस कानून में संशोधन | नागरिकता अधिनियम, 1955 |
CAA का उद्देश्य | तीन पड़ोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना |
CAA केवल तीन पड़ोसी देशों के लोगों के लिए लागू होता है:
इन समुदायों को भारत में अवैध प्रवासी नहीं माना जाएगा, बल्कि उन्हें नागरिकता देने की प्रक्रिया में शामिल किया जाएगा।
1. भारत में आने की तारीख:
व्यक्ति 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत आ चुका हो।
2. निवास अवधि:
वह व्यक्ति भारत में कम से कम 5 साल से रह रहा हो।
(पहले यह अवधि 11 साल थी, लेकिन CAA में इसे घटाकर 5 साल कर दिया गया है।)
3. धार्मिक पहचान:
व्यक्ति उपरोक्त 6 धर्मों में से किसी एक से संबंध रखता हो।
Nagrikta Sanshodhan Adhiniyam, 2019 (CAA) का मुख्य उद्देश्य है — तीन देशों से आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना, जो अपने देश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने आए हैं। यह कानून उन्हें कानूनी मान्यता देता है और भारत में सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार भी।
Nagrikta Sanshodhan Adhiniyam (CAA) 2019 का लाभ सभी को नहीं, बल्कि कुछ खास वर्गों को दिया गया है। यह कानून केवल उन्हीं लोगों के लिए है जो धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने आए थे।
CAA के अनुसार, लंबे समय से भारत में रह रहे शरणार्थियों को यह लाभ मिलेगा जो:
सरकार के अनुसार, CAA धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर राहत देने वाला कानून है, न कि धार्मिक भेदभाव का।
CAA और NRC दो अलग-अलग कानूनी प्रक्रियाएं हैं, लेकिन अक्सर इन्हें एक जैसा समझ लिया जाता है। यह भ्रम लोगों में डर और असमंजस की स्थिति पैदा करता है। आइए जानें इनके बीच मूलभूत अंतर क्या हैं।
बिंदु | CAA (नागरिकता संशोधन अधिनियम) | NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) |
पूरा नाम | Citizenship (Amendment) Act | National Register of Citizens |
लक्ष्य | कुछ शरणार्थियों को नागरिकता देना | नागरिकों की पहचान करना |
आधार | धर्म (6 धर्मों को शामिल किया गया) | दस्तावेज और सबूत |
किस पर लागू होता है? | केवल 3 देशों के 6 धर्मों के लोगों पर | पूरे देश के नागरिकों पर (अगर लागू हो) |
किसे लाभ मिलेगा? | धार्मिक उत्पीड़न से भागे अल्पसंख्यक | वैध दस्तावेज रखने वाले भारतीय |
नागरिकता की स्थिति | नागरिकता देता है | नागरिकता साबित करनी पड़ती है |
भारतीय मुसलमानों पर असर | कोई असर नहीं | दस्तावेज़ के बिना परेशानी हो सकती है |
वर्तमान स्थिति | लागू (मार्च 2024 से) | केवल असम में लागू; पूरे देश में अभी नहीं |
भ्रम:
सच्चाई:
Nagrikta Sanshodhan Adhiniyam (CAA) 2019 के लागू होने के बाद देशभर में इसे लेकर काफी विवाद और मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली। जहां कुछ लोगों ने इसे जरूरी और मानवीय कानून बताया, वहीं कई वर्गों ने इसे संविधान की धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ माना।
“CAA नागरिकता देने के लिए है, छीनने के लिए नहीं।
“भारत के किसी नागरिक को डरने की जरूरत नहीं”
CAA लागू होने के बाद, भारत के कई हिस्सों में जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में छात्र, सामाजिक संगठन, बुद्धिजीवी और आम नागरिक शामिल थे। इन विरोधों की वजह थी — धर्म के आधार पर नागरिकता देने का सिद्धांत, जो भारत के संविधान के धर्मनिरपेक्ष चरित्र से मेल नहीं खाता।
असम और पूर्वोत्तर भारत में CAA का विरोध केवल धार्मिक कारणों से नहीं था, बल्कि वहां की संस्कृति, भाषा और स्थानीय पहचान की रक्षा को लेकर चिंता थी।
CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन की प्रक्रिया ऑनलाइन होती है। इसमें आवेदकों को जरूरी दस्तावेजों के साथ एक आवेदन फॉर्म भरना होता है और अपनी धार्मिक पहचान को प्रमाणित करना होता है।
आधिकारिक पोर्टल:
Indiancitizenshiponline पोर्टल गृह मंत्रालय (Ministry of Home Affairs) द्वारा संचालित है और यहीं से CAA के तहत आवेदन किया जा सकता है।
आवश्यक दस्तावेज़:
CAA के तहत नागरिकता के लिए आवेदन करने वाले व्यक्तियों को निम्नलिखित दस्तावेज़ देने होंगे:
ऑनलाइन आवेदन कैसे करें?
CAA kya Hai? CAA 2019 को समझने के लिए यह जरूरी है कि हम यह जानें कि यह कानून नागरिकता अधिनियम 1955 में कैसे बदलाव करता है और भारत में नागरिकता से जुड़े बाकी नियम कौन-कौन से हैं।
पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के 6 धर्मों (हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, ईसाई) के शरणार्थियों को, अगर वे 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए और 5 साल से भारत में रह रहे हैं, तो वे अब अवैध प्रवासी नहीं माने जाएंगे और उन्हें भारतीय नागरिकता दी जा सकती है।
भारत में नागरिकता से संबंधित कुछ और महत्वपूर्ण कानून और प्रावधान भी हैं, जो CAA से जुड़े या प्रभावित हो सकते हैं:
OCI कार्ड (Overseas Citizen of India)
Foreigners Act, 1946 (विदेशी अधिनियम)
कानून / प्रावधान | उद्देश्य और संबंध |
नागरिकता अधिनियम 1955 | भारत में नागरिकता कैसे मिले, यह तय करता है |
CAA 2019 | विशेष रूप से 3 देशों के शरणार्थियों को नागरिकता देता है |
Foreigners Act 1946 | भारत में विदेशी नागरिकों पर नियंत्रण |
OCI कार्ड योजना | विदेशी भारतीय मूल के नागरिकों के लिए विशेष सुविधा |
Nagrikta Sanshodhan Adhiniyam (CAA) एक सीमित और उद्देश्यपूर्ण कानून है, जिसे खासतौर पर उन लोगों के लिए लाया गया है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने आए। जो लोग अभी भी यह समझना चाहते हैं कि CAA क्या है, उन्हें यह जानना चाहिए कि इसका उद्देश्य केवल उन्हीं अल्पसंख्यकों को राहत देना है जिन्हें वर्षों से नागरिकता की कानूनी मान्यता नहीं मिली थी।
यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इस कानून से किसी भी भारतीय नागरिक की नागरिकता या अधिकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा, चाहे वह किसी भी धर्म का हो। ऐसे में CAA क्या है – इसे सही ढंग से समझना, भ्रम फैलाने से बचना और समाज में सच व संतुलन की भावना को बढ़ावा देना, एक जिम्मेदार नागरिक की भूमिका है।
नहीं, CAA और NRC दो अलग-अलग प्रक्रियाएं हैं।
CAA नागरिकता देने के लिए है।
NRC का उद्देश्य है यह पहचानना कि कौन भारत का वैध नागरिक है। NRC के लिए दस्तावेज़ों की ज़रूरत होती है।
नहीं, भारतीय नागरिकों की नागरिकता पर CAA का कोई असर नहीं है। यह कानून केवल गैर-नागरिकों पर लागू होता है।
11 मार्च 2024 को लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 (CAA) के नियमों की अधिसूचना जारी की। इन नियमों का उद्देश्य पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए गैर-मुस्लिम प्रवासियों — जैसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई — को भारतीय नागरिकता प्रदान करना है। यह कानून उन शरणार्थियों को मानवीय आधार पर नागरिकता देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
CAA कुछ विशेष स्वायत्त क्षेत्रों में लागू नहीं किया जाएगा। इनमें वे क्षेत्र शामिल हैं जहां संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत स्वायत्त परिषदें मौजूद हैं। उदाहरण के तौर पर:
असम के कार्बी आंगलोंग, दिला हसाओ और बोडोलैंड प्रादेशिक परिषद क्षेत्र
मेघालय के गारो हिल्स क्षेत्र
त्रिपुरा के आदिवासी स्वायत्त क्षेत्र
इन क्षेत्रों को संविधान में विशेष अधिकार प्राप्त हैं, इसलिए यहां CAA स्वतः लागू नहीं होगा।
CAA का पूरा नाम है नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019 (Citizenship Amendment Act)। यह भारत का एक कानून है, जो खासतौर पर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न की वजह से भारत आए गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों—जैसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों—को भारतीय नागरिकता देने की सुविधा प्रदान करता है।
केंद्र सरकार ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को 11 मार्च 2024 से देशभर में लागू किया। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत आए गैर-मुस्लिमों को नागरिकता देने का प्रावधान है।
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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
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