Quick Summary
लोकतंत्र, जिसे प्रजातंत्र भी कहा जाता है Loktantra kya hai, Loktantra एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता का अंतिम अधिकार जनता के पास होता है। यह प्रणाली नागरिकों की भागीदारी, समानता और स्वतंत्रता पर आधारित होती है। लोकतंत्र का शाब्दिक अर्थ है “जनता का शासन”। यह शब्द ग्रीक भाषा के ‘डेमोस’ (जनता) और ‘क्रेटोस’ (शक्ति) से मिलकर बना है। लोकतंत्र का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है जहाँ हर व्यक्ति की आवाज सुनी जाए और सभी को समान अवसर मिले।
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता का नियंत्रण जनता के हाथों में होता है। इसमें नागरिक अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के माध्यम से सरकार का संचालन करते हैं और नीतियों को आकार देने में भागीदारी निभाते हैं। लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी नागरिकों को बराबरी के अधिकार और अवसर प्राप्त होते हैं, साथ ही उन्हें अपनी राय व्यक्त करने और स्वतंत्र रूप से बोलने की आज़ादी भी होती है।
इस प्रणाली में नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, जो उनके हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकतंत्र न केवल सत्ता के केंद्रीकरण को रोकता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि सरकार जनता के प्रति उत्तरदायी हो और उनके अधिकारों की रक्षा करे।
लोकतंत्र क्या है- लोकतंत्र का अर्थ है “जनता द्वारा किया गया शासन” या “जनता की शक्ति”। यह एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें राजनीतिक सत्ता सीधे तौर पर जनता या राज्य की आबादी के हाथ में होती है। सरल शब्दों में कहें तो, लोकतंत्र में लोग अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं, कानून बनाने की प्रक्रिया में भाग लेते हैं, और सरकार के संचालन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
भारत ने विकास को, अपनी सांस्कृतिक विरासत और मानव विकास में शामिल करने और के मूल मानव अधिकारों सहित आधुनिक विचारों से मिलाने के रूप में नए सिरे से परिभाषित किया है। यह शासन का एक ऐसा रूप है जिसमें शासकों का चुनाव जनता करती है।
लोकतंत्र एक ऐसी राजनीतिक व्यवस्था है जिसमें शासन का असली अधिकार जनता के हाथों में होता है। इस प्रणाली में नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उनके हितों की रक्षा करते हुए सरकार चलाते हैं।
यहाँ लोकतंत्र के मुख्य स्तंभों को विस्तार से समझाया गया है:
लोकतंत्र की सबसे खास बात यह है कि इसमें सत्ता का स्रोत जनता होती है। लोग अपने मताधिकार का प्रयोग करके उन नेताओं को चुनते हैं जो सरकार का संचालन करेंगे। सरकार जनता की इच्छा से बनती है और उसी के प्रति जवाबदेह भी होती है।
लोकतंत्र में हर नागरिक को समान अधिकार प्राप्त होते हैं — चाहे वह किसी भी धर्म, जाति, लिंग, भाषा या सामाजिक वर्ग से संबंधित हो। सबको कानून, शिक्षा, स्वास्थ्य और अवसरों के मामले में समान दर्जा मिलता है।
लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों को अभिव्यक्ति, विचार, धर्म और संगठन की स्वतंत्रता होती है। नागरिक बिना डर के अपनी राय रख सकते हैं, सरकार की आलोचना कर सकते हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा सकते हैं।
लोकतंत्र में चुनाव एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो नियमित अंतराल पर आयोजित होते हैं। ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष होते हैं, ताकि जनता को अपने पसंदीदा प्रतिनिधियों को चुनने का अवसर मिल सके।
चुने गए प्रतिनिधि संसद, विधानसभा और अन्य संस्थाओं में जनता की आवाज बनकर कार्य करते हैं। वे नीतियाँ और कानून बनाते हैं जो आम लोगों के हित में होते हैं। इस तरह, सरकार जनता की इच्छाओं और जरूरतों का प्रतिनिधित्व करती है।
लोकतंत्र में सभी नागरिक — चाहे वे आम हों या विशेष — कानून के सामने बराबर होते हैं। सरकार भी कानून के दायरे में रहती है और उसे भी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होता है। इससे मनमानी नहीं चलती और पारदर्शिता बनी रहती है।
लोकतंत्र क्या है यह इस विचार पर आधारित है कि लोगों के पास कुछ ऐसे अधिकार होते हैं जिन्हें छीना नहीं जा सकता। इनमें सबसे महत्वपूर्ण है मतदान का अधिकार, जो सभी नागरिकों को बिना किसी भेदभाव के मिलता है। यह अधिकार न केवल उन्हें अपने प्रतिनिधि चुनने का अवसर देता है, बल्कि यह सुनिश्चित करता है कि उनका मत समान रूप से गिना जाए।
इसके अतिरिक्त, लोकतंत्र में सभी नागरिकों को समान रूप से भाग लेने और सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक जानकारी प्राप्त करने का अधिकार होता है। मौलिक अधिकारों का सिद्धांत लोकतंत्र की नींव है।
लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है कि सत्ता का अंतिम स्रोत जनता होती है। सरकार जनता की इच्छा से बनती है और उसी के प्रति उत्तरदायी होती है।
लोकतंत्र में नागरिकों को विचार, अभिव्यक्ति, धर्म, शिक्षा, और जीवन जैसे मौलिक अधिकार प्राप्त होते हैं। ये अधिकार संविधान द्वारा सुरक्षित होते हैं।
हर व्यक्ति — चाहे वह आम नागरिक हो या कोई शासक — कानून के अधीन होता है। न्यायपालिका स्वतंत्र होती है और कानून सभी पर समान रूप से लागू होता है।
लोकतंत्र में सभी नागरिकों को जाति, धर्म, लिंग, भाषा या वर्ग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होता। सभी को समान अवसर और अधिकार प्राप्त होते हैं।
नियमित अंतराल पर स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराए जाते हैं, जिससे जनता अपने प्रतिनिधि चुन सके।
निर्णय बहुमत से लिए जाते हैं, लेकिन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की भी पूरी सुरक्षा की जाती है ताकि वे भी सम्मानपूर्वक समाज में रह सकें।
सरकार को अपने कार्यों के लिए जनता के प्रति जवाबदेह होना चाहिए। नीतियाँ और निर्णय पारदर्शिता के साथ लिए जाते हैं।
लोकतंत्र में नागरिकों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक होती है — जैसे मतदान करना, जागरूक रहना, सरकार पर सवाल उठाना, और सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वाह करना।
| क्र. सं. | विशेषता | विवरण |
| 1. | लोगों का शासन | सरकार का संचालन जनता द्वारा या उनके चुने हुए प्रतिनिधियों के माध्यम से होता है। |
| 2. | चुनाव | स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के माध्यम से लोग अपने नेताओं का चयन करते हैं। |
| 3. | राजनीतिक स्वतंत्रता | नागरिकों को अपनी राय व्यक्त करने, सरकार की आलोचना करने और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की स्वतंत्रता होती है। |
| 4. | मानवाधिकारों का संरक्षण | नागरिकों के मौलिक अधिकारों जैसे अभिव्यक्ति, बोलने और धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा की जाती है। |
| 5. | न्याय | सभी नागरिक कानून के सामने समान होते हैं और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाता है। |
| 6. | उत्तरदायित्व | सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होती है और उसे अपने कार्यों तथा नीतियों का उत्तर देना होता है। |
लोकतंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है, जिसमें सत्ता जनता के हाथों में होती है और निर्णय जनता की इच्छाओं के अनुरूप लिए जाते हैं। इसके कुछ प्रमुख सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं-
1. सीले के अनुसार:
सीले के अनुसार लोकतंत्र वह शासन प्रणाली है जिसमें हर व्यक्ति की भागीदारी होती है। इसमें नागरिक केवल शासित नहीं होते, बल्कि नीति-निर्माण और निर्णय प्रक्रिया में भाग लेते हैं। लोकतंत्र का मूल उद्देश्य लोगों को निर्णय लेने की शक्ति देना है, जिससे वे अपनी सरकार में सहभागी बन सकें।
2. डायसी के अनुसार:
डायसी के अनुसार लोकतंत्र एक ऐसा शासन है जिसमें शासक वर्ग राष्ट्र की बहुसंख्यक जनता में से चुना जाता है। इसमें सत्ता कुछ गिने-चुने लोगों तक सीमित न होकर जनता के बहुमत से संबंधित होती है, जिससे शासन में आम नागरिकों की भूमिका और नियंत्रण बना रहता है।
3. अब्राहम लिंकन के अनुसार:
अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए कहा कि यह जनता की, जनता के लिए और जनता द्वारा संचालित सरकार है। इसका अर्थ है कि सरकार का निर्माण, उद्देश्य और संचालन सब कुछ जनता की इच्छाओं के अनुसार होता है। इसमें नागरिकों की इच्छा सर्वोच्च मानी जाती है
4. ब्रायस के अनुसार:
ब्रायस के अनुसार लोकतंत्र का सार यह है कि शासन संपूर्ण जनता का होता है, जो अपने मताधिकार के माध्यम से अपनी संप्रभु इच्छा व्यक्त करते हैं। यह शासन की ऐसी प्रणाली है जिसमें हर व्यक्ति की राय का महत्व होता है और वह देश की दिशा तय करने में भागीदार होता है।
5. मैकलेवर के अनुसार:
मैकलेवर लोकतंत्र को केवल शासन की प्रक्रिया नहीं मानते, बल्कि यह तय करने का तरीका मानते हैं कि कौन शासक होगा और शासन किस दिशा में जाएगा। यह केवल बहुमत का शासन नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रणाली है जो सरकार के गठन और उसके उद्देश्य दोनों को निर्धारित करती है।
6. महात्मा गांधी के अनुसार:
महात्मा गांधी के अनुसार लोकतंत्र एक वैज्ञानिक कला है जिसमें समाज के भौतिक, आर्थिक और आध्यात्मिक संसाधनों को जनहित में संगठित किया जाता है। उनका मानना था कि लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब यह सभी वर्गों के कल्याण हेतु समर्पित हो और सभी को समान अवसर दे।
लोकतंत्र और गणतंत्र दोनों शब्द अक्सर एक दूसरे के स्थान पर प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन इनमें कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:
लोकतंत्र को संरक्षित करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं। फ्रीडम हाउस ने कुछ नीतिगत सिफारिशें की हैं, जिनमें स्थानीय स्तर पर इसकी रक्षा, नागरिक शिक्षा को बढ़ावा देना, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार से लड़ाई शामिल है। स्थापित लोकतंत्रों को वैश्विक स्तर पर मुक्त मीडिया और जमीनी स्तर के लोकतांत्रिक संगठनों का समर्थन और सुरक्षा करने जैसे लोकतांत्रिक मानदंडों के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
स्कूलों, ऑनलाइन पाठ्यक्रमों, मास्टर कार्यक्रमों और अन्य माध्यमों से लोकतंत्र के बारे में शिक्षा प्रदान करना महत्वपूर्ण है। नागरिक शिक्षा से लोग इसके महत्व और इसके सिद्धांतों को समझ सकते हैं, जिससे वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में अधिक सक्रियता से भाग ले सकते हैं।
निजी क्षेत्र को भी व्यापार और मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र के मार्गदर्शक सिद्धांतों का पालन करके और नागरिक समाज संगठनों के साथ बातचीत करके लोकतंत्र की रक्षा में शामिल होना चाहिए। इससे न केवल व्यापारिक नैतिकता में सुधार होगा, बल्कि समाज में लोकतांत्रिक मूल्यों की भी सुरक्षा होगी।
सभी के लिए स्वतंत्रता और समानता ही लोकतंत्र क्या है का सही उत्तर है। यह केवल उतना ही मजबूत है जितना समाज की भागीदारी और इसे संरक्षित करने की इच्छा। इसको स्वस्थ रखने के लिए सभी का योगदान आवश्यक है – व्यक्ति, नागरिक समाज संगठन, व्यवसाय, सरकारें और अंतर-सरकारी संगठन। सभी को मिलकर लोकतंत्र की रक्षा और समर्थन करना चाहिए ताकि यह प्रणाली प्रभावी और सशक्त बनी रहे।
| क्र. सं. | महत्त्वपूर्ण पहलू | विवरण |
| 1. | समानता | लोकतंत्र में सभी नागरिकों को समान अधिकार और अवसर प्राप्त होते हैं। |
| 2. | भागीदारी | नागरिकों को सरकार के कार्यों में भाग लेने और निर्णय प्रक्रिया में सहयोग करने का अधिकार होता है। |
| 3. | स्वतंत्रता | लोगों को अपनी राय रखने, सरकार की आलोचना करने और राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेने की स्वतंत्रता होती है। |
| 4. | उत्तरदायित्व | लोकतांत्रिक प्रणाली में सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह होना होता है। |
| 5. | न्याय | लोकतंत्र में सभी नागरिक कानून के सामने समान होते हैं और उन्हें निष्पक्ष न्याय की गारंटी होती है। |
यह लोकतंत्र की चार स्थायी समितियों में से एक है, जो साल में दो बार मिलती हैं। सभी सदस्य संसद समिति के एजेंडे को आगे बढ़ाने, बहस में अपने दृष्टिकोण रखने और प्रस्तावों का मसौदा तैयार करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सत्ता जनता के हाथों में होती है। नागरिक स्वतंत्र रूप से अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं और सरकार उनके द्वारा संचालित होती है। इसमें समानता, स्वतंत्रता, न्याय, और उत्तरदायित्व जैसे मूल सिद्धांत शामिल होते हैं।
उदाहरण: भारत, अमेरिका, इंग्लैंड आदि।
मुख्य विशेषताएँ:
तानाशाही एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें संपूर्ण सत्ता एक व्यक्ति या एक छोटे समूह के हाथ में केंद्रित होती है। इसमें जनता की भागीदारी नहीं होती और विरोध या असहमति को दबा दिया जाता है।
उदाहरण: हिटलर का जर्मनी, किम जोंग उन का उत्तर कोरिया।
मुख्य विशेषताएँ:
लोकतंत्र को तानाशाही की तुलना में एक बेहतर राजनीतिक व्यवस्था इसलिए माना जाता है क्योंकि यह नागरिकों को मौलिक अधिकार, स्वतंत्रता, समानता, और उत्तरदायित्व प्रदान करता है। लोकतंत्र में जनता की भागीदारी होती है, जिससे शासन पारदर्शी और जवाबदेह बनता है। वहीं तानाशाही में सत्ता एक व्यक्ति या एक समूह के पास केंद्रित होती है, जहाँ न तो जनप्रतिनिधियों का चुनाव होता है और न ही आम नागरिकों की राय का कोई महत्व होता है।
लोकतंत्र क्या है? यह एक ऐसी शासन प्रणाली है जो जनता की भागीदारी, समानता और स्वतंत्रता पर आधारित होती है। इसमें नागरिकों को अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करने का अधिकार होता है, जो उनके हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकतंत्र का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है जहाँ हर व्यक्ति की आवाज सुनी जाए और सभी को समान अवसर मिले। यह प्रणाली न केवल सत्ता के केंद्रीकरण को रोकती है
लोकतंत्र एक ऐसी शासन प्रणाली है जिसमें सर्वोच्च सत्ता जनता के पास होती है। इसमें नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उनके हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। लोकतंत्र का उद्देश्य एक ऐसा समाज बनाना है जहाँ हर व्यक्ति की आवाज सुनी जाए और सभी को समान अवसर मिले।
लोकतंत्र की विशेषताएं हैं: जनता का शासन, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव, कानून का शासन, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, मौलिक अधिकारों का संरक्षण, न्यायपालिका की स्वतंत्रता, निर्वाचित प्रतिनिधियों की जवाबदेही, और अल्पसंख्यकों का संरक्षण।
लोकतंत्र मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं:
प्रत्यक्ष लोकतंत्र: इसमें नागरिक सीधे सभी नीतियों और कानूनों पर निर्णय लेते हैं। उदाहरण के लिए, प्राचीन एथेंस में इस प्रकार का लोकतंत्र था।
प्रतिनिधिक लोकतंत्र: इसमें नागरिक अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करते हैं जो उनके हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। अधिकांश आधुनिक देशों में इस प्रकार का लोकतंत्र प्रचलित है।
लोकतंत्र का दूसरा नाम प्रजातंत्र है। दोनों शब्दों का अर्थ “जनता का शासन” होता है और ये नागरिकों की भागीदारी, समानता और स्वतंत्रता पर आधारित शासन प्रणाली को दर्शाते हैं।
जनता का शासन:
लोकतंत्र में सर्वोच्च शक्ति जनता के पास होती है। सरकार जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों के माध्यम से चलती है।
स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव:
लोकतंत्र में सभी नागरिकों को समान रूप से मतदान का अधिकार होता है, और चुनाव पारदर्शी व निष्पक्ष तरीके से होते हैं।
कानून का शासन:
लोकतंत्र में सभी नागरिक कानून के समक्ष समान होते हैं और सरकार भी कानून के अधीन होती है।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता:
लोकतंत्र में प्रत्येक नागरिक को विचार, भाषण और प्रेस की स्वतंत्रता प्राप्त होती है।
मौलिक अधिकारों का संरक्षण:
लोकतंत्र नागरिकों के मौलिक अधिकारों जैसे – जीवन, स्वतंत्रता, समानता, और धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा करता है।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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