योग के प्रकार

योग के प्रकार: योग क्या है? योग के लाभ, प्रकार और योगासन

Published on May 7, 2025
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योग के प्रकार

Quick Summary

योग के प्रमुख प्रकार:

  1. हठ योग (Hatha Yoga)
  2. राज योग (Raja Yoga)
  3. कर्म योग (Karma Yoga)
  4. भक्ति योग (Bhakti Yoga)
  5. ज्ञान योग (Jnana Yoga)
  6. तंत्र योग (Tantra Yoga)
  7. बिक्रम योग (Bikram Yoga)

Table of Contents

योग क्या है? (Yoga kya hai?) यह केवल एक व्यायाम नहीं, बल्कि एक प्राचीन भारतीय जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का कार्य करती है। योग के लाभ अनगिनत हैं, जो न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्रदान करते हैं। योग के प्रकार(yoga ke prakar) भी कई हैं, जैसे हठ योग, अष्टांग योग, और भक्ति योग, जो विभिन्न तरीकों से लाभ पहुंचाते हैं। नियमित योगाभ्यास से वजन कम होता है, तनाव दूर होता है, और प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है।

Yoga ke fayde इतने व्यापक हैं कि यह हर व्यक्ति के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन सकता है। आइए, योग के इन अद्भुत लाभों को और गहराई से समझें और अपने जीवन में शामिल करें।

योग क्या है? | Yoga Kya Hai?

योग क्या है? यह केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि एक प्राचीन भारतीय जीवनशैली है जो शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का कार्य करती है। योग का अर्थ है ‘जुड़ना’ या ‘मिलन’, जो व्यक्तिगत चेतना को सार्वभौमिक चेतना से जोड़ता है। योग के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे हठ योग, अष्टांग योग, और भक्ति योग। योग के अभ्यास से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्राप्त होता है। यह तनाव को कम करता है, प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और जीवन की गुणवत्ता को सुधारता है।

योग का इतिहास | History of Yoga

  • प्राचीन काल:
    • योग की उत्पत्ति हजारों वर्ष पहले प्राचीन भारत में हुई थी।
    • भगवान शिव को “आदि योगी” और “आदि गुरु” माना जाता है।
    • सिंधु घाटी सभ्यता में योग के प्रमाण मिलते हैं।
  • वैदिक काल:
    • वैदिक ऋषि-मुनियों ने योग को विकसित किया।
    • वेदों में योग का उल्लेख मिलता है।
  • महाभारत और भगवद्गीता:
    • महाभारत और भगवद्गीता में योग के विभिन्न प्रकारों का वर्णन है।
    • भगवान कृष्ण ने अर्जुन को कर्म योग, भक्ति योग, और ज्ञान योग का उपदेश दिया।
  • पतंजलि का योगदान:
    • पतंजलि ने योग को सुव्यवस्थित रूप दिया और “योग सूत्र” की रचना की।
    • उन्होंने योग के आठ अंगों का वर्णन किया।
  • अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस:
    • 21 जून को हर साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है।
    • यह दिवस 2014 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित किया गया था।
    • इस दिन का उद्देश्य योग के लाभों के प्रति जागरूकता बढ़ाना है।

योग का इतिहास अत्यंत समृद्ध और विस्तृत है, जो आज भी लोगों को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक लाभ प्रदान करता है।

योग के प्रकार(Yoga ke Prakar) | Types of Yoga

योग के कई प्रकार हैं, और प्रत्येक प्रकार का अपना विशेष उद्देश्य और लाभ होता है। यहाँ योग के प्रमुख प्रकारों का विस्तृत विवरण दिया गया है:

1. हठ योग (Hatha Yoga)

हठ योग पश्चिमी देशों में सबसे लोकप्रिय है। संस्कृत में “ह” का अर्थ है “सूर्य” और “ठ” का अर्थ है “चंद्रमा”। हठ योग का उद्देश्य शरीर और मन के बीच संतुलन स्थापित करना है। इसमें आसन (शारीरिक मुद्राएँ) और प्राणायाम (सांस नियंत्रण) का अभ्यास शामिल है। हठ योग के प्रमुख लाभों में शारीरिक शक्ति, लचीलापन, और मानसिक शांति शामिल हैं।

2. राज योग (Raja Yoga)

राज योग को “राजा का योग” भी कहा जाता है। यह योग का एक उच्चतम रूप है जो ध्यान और मानसिक अनुशासन पर केंद्रित है। राज योग के आठ अंग होते हैं: यम (नैतिक अनुशासन), नियम (आत्म संयम), आसन (मुद्रा), प्राणायाम (सांस नियंत्रण), प्रत्याहार (संवेदी अवरोध), धारणा (एकाग्रता), ध्यान (मेडिटेशन), और समाधि (परमानंद)।

3. कर्म योग (Karma Yoga)

कर्म योग का अर्थ है “निस्वार्थ क्रिया”। यह योग का एक प्रकार है जिसमें व्यक्ति अपने कार्यों को बिना किसी फल की अपेक्षा के करता है। कर्म योग का मुख्य उद्देश्य मन और हृदय को शुद्ध करना है। यह योग भगवद गीता में वर्णित है और इसे शारीरिक से अधिक आध्यात्मिक माना जाता है।

4. भक्ति योग (Bhakti Yoga)

भक्ति योग प्रेम और भक्ति का योग है। इसमें व्यक्ति अपने ईश्वर या किसी उच्च शक्ति के प्रति पूर्ण समर्पण करता है। भक्ति योग के नौ सिद्धांत हैं: श्रवण (सुनना), कीर्तन (गाना), स्मरण (याद करना), पादसेवन (सेवा करना), अर्चन (पूजा), वंदन (नमन), दास्य (सेवक बनना), सख्य (मित्रता), और आत्मनिवेदन (आत्मसमर्पण)।

5. ज्ञान योग (Jnana Yoga)

ज्ञान योग का उद्देश्य आत्मज्ञान प्राप्त करना है। इसमें व्यक्ति अपने वास्तविक स्वरूप को समझने के लिए ध्यान और अध्ययन करता है। ज्ञान योग के तीन मुख्य सिद्धांत हैं: आत्मबोध (स्वयं की पहचान), अहंकार को हटाना, और आत्मानुभूति (आत्मा का अनुभव)।

6. तंत्र योग (Tantra Yoga)

तंत्र योग का उद्देश्य चेतना के सभी स्तरों तक पहुंचना है। यह योग मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को जागृत करने के लिए विभिन्न अनुष्ठानों और तकनीकों का उपयोग करता है। तंत्र योग का एक प्रमुख भाग कुंडलिनी योग है, जो शरीर में स्थित ऊर्जा केंद्रों को सक्रिय करने पर केंद्रित है।

7. बिक्रम योग (Bikram Yoga)

बिक्रम योग हाल ही में लोकप्रिय हुआ है और इसमें 26 विशेष आसनों का अभ्यास किया जाता है। यह योग एक गर्म कमरे में किया जाता है, जिससे शरीर को अधिक लचीलापन और विषहरण में मदद मिलती है।

इन विभिन्न प्रकार के योगों का अभ्यास करने से न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक विकास भी होता है। आप अपनी आवश्यकताओं और रुचियों के अनुसार किसी भी प्रकार के योग का चयन कर सकते हैं।

अष्टांग योग | Ashtanga Yoga

अष्टांग योग, जिसे “आठ अंगों का योग” भी कहा जाता है, पतंजलि द्वारा योग सूत्रों में वर्णित है। यह योग आठ महत्वपूर्ण अंगों में बांटा गया है: यम (नैतिक अनुशासन), नियम (आध्यात्मिक अनुशासन), आसन (शरीर की स्थिति), प्राणायाम (श्वास नियंत्रण), प्रत्याहार (इंद्रियों का निग्रह), धारणा (ध्यान की तैयारी), ध्यान (गहरी एकाग्रता), और समाधि (पूर्ण आत्मज्ञान)। अष्टांग योग का उद्देश्य मानसिक शांति, शारीरिक स्फूर्ति और आत्मा का उन्नति है। यह व्यक्ति को आत्म-ज्ञान और समग्र संतुलन की ओर मार्गदर्शन करता है, जिससे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन और मानसिक स्थिति में सुधार आता है। अष्टांग योग प्राचीन प्रणाली आज भी लोकप्रिय है और हर उम्र के लोगों द्वारा अभ्यास किया जाता है।

अष्टांग योग के प्रकार

अष्टांग योग के प्रकार (आठ अंगों के आधार पर) निम्नलिखित हैं:

  1. यम: यह सामाजिक अनुशासन का प्रतिनिधित्व करता है। इसमें अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (संयम) और अपरिग्रह (अर्थ के लिए मोह न रखना) शामिल हैं।
  2. नियम: यह व्यक्तिगत अनुशासन को दर्शाता है। इसमें शौच (स्वच्छता), संतोष (संतुष्टि), तप (संयम और साधना), स्वाध्याय (आत्म-ज्ञान और अध्ययन), और ईश्वर प्रणिधान (ईश्वर में विश्वास) शामिल हैं।
  3. आसन: यह शारीरिक स्थिति को दर्शाता है। योग आसन शरीर को सशक्त और लचीला बनाते हैं, जिससे मानसिक और शारीरिक संतुलन मिलता है।
  4. प्राणायाम: श्वास को नियंत्रित करने की कला है। यह जीवन शक्ति (प्राण) को संतुलित करता है, जिससे मानसिक शांति और ऊर्जा मिलती है।
  5. प्रत्याहार: इंद्रियों को बाहरी वस्तुओं से हटाना और आत्म के भीतर की ओर ध्यान केंद्रित करना।
  6. धारणा: एकाग्रता की अवस्था, जिसमें मन को एक विशेष बिंदु पर केंद्रित किया जाता है।
  7. ध्यान: गहरी ध्यान अवस्था, जिसमें व्यक्ति अपने भीतर की सच्चाई और शांति का अनुभव करता है।
  8. समाधि: पूर्ण आत्मज्ञान और एकात्मता की अवस्था, जिसमें व्यक्ति अपने अस्तित्व से परे हो जाता है और ब्रह्म के साथ एक हो जाता है।

अष्टांग योग इन आठ अंगों के माध्यम से शारीरिक, मानसिक और आत्मिक उन्नति की दिशा में मार्गदर्शन करता है।

योग आसन के प्रकार – योग के प्रकार

योग आसन के कई प्रकार होते हैं, जो शरीर और मानसिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए किए जाते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख योग आसन के प्रकार दिए गए हैं:

1. ताड़ासन (Tadasana)

यह एक मूल आसन है, जो शरीर को सीधा और संतुलित करने में मदद करता है। यह आसन खड़े होकर किया जाता है और शरीर को लम्बा करने के लिए होता है।

विधि:

  • सीधे खड़े होकर दोनों पैरों को एक साथ रखें।
  • दोनों पैरों के अंगूठे और एड़ी को एक साथ रखें और पंजों को हल्का खोलें।
  • हाथों को शरीर के पास रखें और कंधों को ढीला छोड़ें।
  • अब हाथों को ऊपर की ओर खींचें, उंगलियों को जोड़कर एक रेखा बनाएं।
  • सिर, गर्दन और पीठ को सीधा रखें।
  • श्वास को गहरी और धीमी गति से लें, और शरीर को पूरी तरह से खींचें।
  • इस स्थिति में कुछ समय तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें।

2. वृक्षासन (Vrikshasana)

यह एक संतुलन आसन है, जिसमें एक पैर पर खड़ा होकर दूसरे पैर को दूसरे पैर की जांघ पर रखा जाता है। इससे शरीर में संतुलन और ध्यान की क्षमता बढ़ती है।

विधि:

  • सीधे खड़े होकर एक पैर को उठाएं और उसे दूसरी जांघ या घुटने पर रखें।
  • पैरों को संतुलित रखें, शरीर सीधा रखें।
  • अब दोनों हाथों को ऊपर की ओर उठाएं, उंगलियों को जोड़कर ध्यान लगाएं।
  • ध्यान केंद्रित रखें और श्वास गहरी लें।
  • कुछ समय तक इस स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें।

3. भुजंगासन (Bhujangasana)

इसे “कोबरा आसन” भी कहते हैं। इसमें पेट के बल लेटकर छाती को ऊपर उठाते हैं, जिससे रीढ़ की हड्डी की लचीलापन बढ़ता है।

विधि:

  • पेट के बल लेट जाएं और पैरों को एक साथ रखें।
  • हथेलियों को कंधों के नीचे जमीन पर रखें।
  • श्वास लेते हुए छाती को ऊपर की ओर उठाएं और कोहनी को हल्का मोड़ें।
  • सिर और गर्दन को भी ऊपर की ओर खींचें, पीठ को पूरी तरह से खींचने का प्रयास करें।
  • इस स्थिति में कुछ समय तक रहें, फिर धीरे-धीरे नीचे जाएं।

4. पश्चिमोत्तानासन (Paschimottanasana)

यह एक फॉरवर्ड बेंड आसन है, जिसमें शरीर को आगे की ओर मोड़कर पैरों को पकड़ते हैं। यह पाचन तंत्र को सुधारने में मदद करता है।

विधि:

  • जमीन पर बैठकर दोनों पैरों को सामने सीधा फैलाएं।
  • श्वास लेते हुए, हाथों को ऊपर की ओर उठाएं और फिर सांस छोड़ते हुए अपने शरीर को आगे की ओर झुका कर पैरों को पकड़ने की कोशिश करें।
  • यदि पैरों को पकड़ना मुश्किल हो, तो बस पैरों की दिशा में झुके और गहरी श्वास लें।
  • इस स्थिति में कुछ समय तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें।

5. धनुरासन (Dhanurasana)

इसे “बो न अर्च” भी कहा जाता है। इसमें शरीर को घुमाकर पैरों और हाथों को एक साथ पकड़ते हैं, जिससे शरीर में लचीलापन आता है और पीठ के दर्द में राहत मिलती है।

विधि:

  • पेट के बल लेट जाएं और घुटनों को मोड़ें।
  • दोनों हाथों से पैरों के टखनों को पकड़ें।
  • श्वास लेते हुए, पैरों को ऊपर की ओर उठाते हुए छाती को भी ऊपर की ओर उठाएं।
  • शरीर की पूरी स्थिति धनुष की तरह दिखाई देती है, जिसमें शरीर का हिस्सा बीच से उभरा होता है।
  • कुछ समय तक इस स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे नीचे जाएं।

6. सर्वांगासन (Sarvangasana)

इसे “शोल्डर स्टैंड” भी कहते हैं। इसमें शरीर को उल्टा करके कंधों पर संतुलन बनाने की कोशिश की जाती है। यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है और तनाव कम करता है।

विधि:

  • पीठ के बल लेट जाएं और पैरों को एक साथ रखें।
  • अब धीरे-धीरे पैरों को ऊपर उठाएं, शरीर को कंधों पर संतुलित करके पूरा शरीर सीधा खड़ा करें।
  • दोनों हाथों से पीठ को सहारा दें।
  • इस स्थिति में कुछ समय तक रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें।

7. हठयोग (Hathayoga)

यह एक विस्तृत प्रकार का योग है जिसमें शारीरिक और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए विभिन्न आसनों और प्राणायाम (श्वास अभ्यास) का अभ्यास किया जाता है।

विधि:

  • हठयोग में कई आसनों का अभ्यास किया जाता है, जो शरीर और मन के संतुलन को बनाए रखते हैं।
  • यह आमतौर पर श्वास नियंत्रण, शरीर के लचीलेपन, और मानसिक ध्यान पर केंद्रित होता है।
  • हठयोग के आसनों में मुख्यतः ताड़ासन, वृक्षासन, भुजंगासन, धनुरासन, आदि शामिल होते हैं।

8. अधोमुख श्वानासन (Adho Mukha Svanasana)

इसे “डाउनवर्ड डॉग” भी कहा जाता है। यह एक उल्टा आसन है, जिसमें हाथों और पैरों के सहारे शरीर को ऊपर उठाया जाता है। यह शरीर की लचीलापन और शक्ति बढ़ाता है।

विधि:

  • हाथों और घुटनों पर आकर, श्वास छोड़ते हुए अपने शरीर को ऊपर उठाएं।
  • हाथों को सामने रखें और पैर जमीन पर रखें, अब शरीर को उल्टा त्रिकोण के आकार में बनाएं।
  • सिर को हाथों और पैरों के बीच रखें और कंधों को ढीला छोड़ें।
  • इस स्थिति में कुछ समय तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में लौटें।

9. सुखासन (Sukhasana)

यह एक सरल बैठने का आसन है, जिसमें व्यक्ति अपनी दोनों टांगों को क्रॉस करके आराम से बैठता है। यह मानसिक शांति और ध्यान के लिए किया जाता है।

विधि:

  • जमीन पर बैठें और दोनों पैरों को क्रॉस करके आराम से बैठ जाएं।
  • हाथों को घुटनों पर रखें और आँखें बंद करके गहरी श्वास लें।
  • ध्यान लगाएं और मानसिक शांति के लिए इस स्थिति में कुछ समय बिताएं।

10. नटराजासन (Natarajasana)

यह एक संतुलन आसन है, जिसमें एक पैर के बल खड़े होकर दूसरे पैर को पीछे की ओर उठाया जाता है। यह शरीर की लचीलापन और संतुलन बढ़ाता है।

विधि:

  • सीधे खड़े होकर एक पैर को ऊपर की ओर उठाएं और दूसरे पैर की जांघ पर रखें।
  • अब शरीर को संतुलित रखते हुए, एक हाथ से पैर के पंजे को पकड़ें।
  • शरीर को पीछे की ओर मोड़ते हुए हाथों को ऊपर की ओर उठाएं।
  • ध्यान केंद्रित करें और गहरी श्वास लें।
  • कुछ समय तक इस स्थिति में रहें और फिर धीरे-धीरे सामान्य स्थिति में लौटें।

योग के लाभ(Yoga ke Fayde) | Benefits of Yoga

योग एक प्राचीन अभ्यास है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है। यहाँ योग के कुछ प्रमुख फायदे दिए गए हैं:

  1. शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: योग के नियमित अभ्यास से शरीर की लचीलापन, शक्ति और संतुलन में सुधार होता है। यह मांसपेशियों को मजबूत करता है और जोड़ों को लचीला बनाता है।
  2. मानसिक शांति: योग के अभ्यास से मानसिक तनाव और चिंता में कमी आती है। ध्यान और प्राणायाम के माध्यम से मन को शांत और स्थिर किया जा सकता है।
  3. वजन में कमी: योग के नियमित अभ्यास से वजन को नियंत्रित किया जा सकता है। सूर्य नमस्कार और कपालभाति प्राणायाम जैसे आसनों से वजन कम करने में मदद मिलती है।
  4. प्रतिरोधक क्षमता में सुधार: योग के अभ्यास से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है। यह शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है।
  5. सजगता में वृद्धि: योग के अभ्यास से व्यक्ति की सजगता और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता में सुधार होता है। यह मन को वर्तमान क्षण में लाने में मदद करता है।
  6. संबंधों में सुधार: योग और ध्यान के माध्यम से मन को शांत और प्रसन्न रखा जा सकता है, जिससे संबंधों में सुधार होता है।
  7. ऊर्जा में वृद्धि: योग के अभ्यास से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है। यह थकान को दूर करता है और दिनभर ताजगी बनाए रखता है।
  8. आंतरिक शांति: योग के माध्यम से व्यक्ति आंतरिक शांति का अनुभव कर सकता है। यह मन को शांत और स्थिर बनाता है।

योग के जोखिम और दुष्प्रभाव

कई प्रकार के योग अपेक्षाकृत हल्के होते हैं और इसलिए लोगों के लिए सुरक्षित होते हैं जब एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित प्रशिक्षक अभ्यास का मार्गदर्शन कर रहा हो।

  • योग करते समय गंभीर चोट लगना दुर्लभ है। योग का अभ्यास करने वाले लोगों में सबसे आम चोटें मोच और खिंचाव हैं।
  • हालांकि, लोग योग अभ्यास शुरू करने से पहले कुछ जोखिम कारकों पर विचार करना चाह सकते हैं।
  • जो व्यक्ति गर्भवती है या उसे कोई चल रही चिकित्सा स्थिति है, जैसे कि हड्डी का नुकसान, ग्लूकोमा, या साइटिका, उसे योग शुरू करने से पहले, यदि संभव हो तो, किसी स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से परामर्श करना चाहिए।
  • कुछ लोगों को कुछ योग मुद्राओं को संशोधित करने या उनसे बचने की आवश्यकता हो सकती है जो उनकी विशिष्ट स्थिति को देखते हुए जोखिमपूर्ण हो सकती हैं।
  • शुरुआती लोगों को उन्नत मुद्राओं और कठिन तकनीकों, जैसे कि शीर्षासन, कमल मुद्रा और ज़ोर से साँस लेने से बचना चाहिए।
  • जब किसी स्थिति का प्रबंधन करते हैं, तो लोगों को पारंपरिक चिकित्सा देखभाल को योग से बदलना नहीं चाहिए या दर्द या किसी अन्य चिकित्सा समस्या के बारे में स्वास्थ्य सेवा पेशेवर से मिलने में देरी नहीं करनी चाहिए।

निष्कर्ष

योग एक प्राचीन भारतीय पद्धति है जो शारीरिक, मानसिक और आत्मिक स्वास्थ्य को संतुलित करती है। योग के लाभ अनेक हैं, जैसे तनाव कम करना, शारीरिक लचीलापन बढ़ाना और मानसिक शांति प्राप्त करना। योग क्या है?(yoga kya hai) यह शरीर, मन और आत्मा को जोड़ने की प्रक्रिया है। योग के विभिन्न प्रकार होते हैं, जैसे हठ योग, राज योग, और भक्ति योग। योग के प्रकार(yoga ke prakar) हर व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार अलग-अलग होते हैं। नियमित योगाभ्यास से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।

योग के फायदे(yoga ke fayde) न केवल शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करते हैं, बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन भी प्रदान करते हैं। योग को अपने जीवन में शामिल करके आप संपूर्ण स्वास्थ्य और सुख की प्राप्ति कर सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

योग से क्या लाभ होता है?

योग से शारीरिक लचीलापन और ताकत बढ़ती है, मानसिक तनाव कम होता है, और आंतरिक शांति मिलती है। यह वजन नियंत्रण, रोग प्रतिरोधक क्षमता में सुधार, और सजगता बढ़ाने में भी मदद करता है।

योग का फायदा कितने दिन में होता है?

योग का फायदा देखने के लिए नियमित अभ्यास जरूरी है। आमतौर पर, 30 दिनों के भीतर शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार दिखने लगता है। अनुशासन और दृढ़ संकल्प से यह लाभ और भी बढ़ सकते हैं।

योग का अभ्यास करने से क्या लाभ है?

योग का अभ्यास करने से कई लाभ होते हैं:
1. शारीरिक स्वास्थ्य: यह लचीलापन, ताकत, और संतुलन को बढ़ाता है।
2. मानसिक स्वास्थ्य: तनाव और चिंता को कम करता है, और मानसिक शांति प्रदान करता है।
3. भावनात्मक स्वास्थ्य: आंतरिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।
4. रोग प्रतिरोधक क्षमता: प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिलती है।

सुबह-सुबह योग करने से क्या होता है?

सुबह-सुबह योग करने से ऊर्जा बढ़ती है, मानसिक स्पष्टता मिलती है, मूड बेहतर होता है, और शारीरिक लचीलापन, ताकत और संतुलन में सुधार होता है। यह प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है।

योग से कौन-कौन से रोग ठीक हो सकते हैं?

योग से अस्थमा, मोटापा, डायबिटीज, हाइपरटेंशन, और माइग्रेन जैसे रोगों में सुधार हो सकता है। प्राणायाम, ताड़ासन, कपालभाति, और शीर्षासन जैसे योगासन इन रोगों के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.