वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है

वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है? बनारस का पुराना नाम और मशहूर चीजे!

Published on June 9, 2025
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वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है

Quick Summary

  1. वाराणसी को ‘काशी’ और ‘बनारस’ के नाम से भी जाना जाता है।
  2. हिन्दू धर्म में इसे सबसे पवित्र शहरों में से एक माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र के रूप में जाना जाता है।
  3. इसके अतिरिक्त, बौद्ध और जैन धर्म में भी इसे पवित्र स्थान माना जाता है।
  4. वाराणसी की संस्कृति गंगा नदी, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और इसके धार्मिक महत्व के साथ गहरे संबंध में है।
  5. यह शहर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि इसकी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत भी इसे विशेष बनाती है।
  6. बनारस में क्या-क्या देखने वाला है?
    1. काशी विश्वनाथ मंदिर
    2. अस्सी घाट
    3. दशाश्वमेध घाट
    4. मणिकर्णिका घाट
    5. रामनगर किला
    6. भारत माता मंदिर
    7. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
    8. संगीत कला केंद्र
    9. तुर्की मोहम्मदी मस्जिद

Table of Contents

वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, भारत की सबसे प्राचीन और पवित्र शहरों में से एक है। Banaras kahan hai? यह शहर गंगा नदी के किनारे स्थित है और हिंदू धर्म के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। वाराणसी का धार्मिक महत्व इतना अधिक है कि इसे “भारत की आध्यात्मिक राजधानी” भी कहा जाता है। इस आर्टिकल में हम जानेंगे कि वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है, बनारस का पुराना नाम क्या है और बनारस की मशहूर चीज क्या है। अगर आप हाल ही में वाराणसी घूमने का प्लान बना रहें है और जानना चाहते है कि Varanasi me ghumne ki jagah कोनसी है तो यह लेख आपके लिए है।

वाराणसी का प्राचीन इतिहास(Varanasi kyon Prasiddh Hai?)

अगर आप सूचते है कि वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है(Varanasi kyon Prasiddh Hai)? तो इसका एक बाद हिस्सा इसके इतिहास में है। वाराणसी, या बनारस, (जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है) दुनिया के सबसे पुराने जीवित शहरों में से एक है। अंग्रेजी लेखक और साहित्य के लेखक मार्क ट्वेन, जो बनारस की किंवदंती और पवित्रता से रोमांचित थे, ने एक बार लिखा था: “बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से पुराना है, किंवदंती से भी पुराना है और सभी के साथ दोगुना दिखता है।”

Banaras kyu famous hai? वाराणसी के इतिहास के बारे में निश्चित रूप से कुछ कहना मुश्किल है, लेकिन माना जाता है कि यह शहर सिंधु घाटी सभ्यता के समय से ही आबाद था। महाभारत के अनुसार, वाराणसी को भगवान शिव का शहर माना जाता है और यहां कई पौराणिक घटनाएं हुईं।

विषयविवरण
नामवाराणसी (काशी / बनारस)
स्थानउत्तर प्रदेश, भारत
प्राचीनतासंसार के सबसे प्राचीन बसे शहरों में एक
धार्मिक महत्वहिंदू, बौद्ध, और जैन धर्मों में पवित्र नगरी; ‘अविमुक्त क्षेत्र’ कहा जाता है
प्रमुख धार्मिक स्थलकाशी विश्वनाथ मंदिर, गंगा नदी, अस्सी घाट
प्रमुख विशेषणमंदिरों का शहर, धार्मिक राजधानी, शिव की नगरी, ज्ञान नगरी
महत्वपूर्ण उद्धरणमार्क ट्वेन: “बनारस इतिहास, परंपरा और किंवदंतियों से भी पुराना है”
सांस्कृतिक धरोहरबनारस घराना (शास्त्रीय संगीत), नृत्य, साहित्य
प्रसिद्ध व्यक्तिकबीर, तुलसीदास, रविदास, प्रेमचंद, जयशंकर प्रसाद, बिस्मिल्लाह खां, पं. रवि शंकर
बौद्ध संबंधसारनाथ में गौतम बुद्ध का प्रथम उपदेश
प्रमुख विश्वविद्यालयबनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU), काशी विद्यापीठ, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइयर टिबेटियन स्टडीज
स्थानीय भाषा / बोलीभोजपुरी (हिन्दी की उपभाषा)

उपनिषद काल में वाराणसी ज्ञान और दर्शन का केंद्र बन गया था। महाजनपद युग में वाराणसी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक केंद्र था।

मध्यकाल:

  • मुगल काल में वाराणसी पर मुगल शासकों का शासन रहा।
  • मुगल शासकों ने वाराणसी में कई मस्जिदें और अन्य इमारतें बनवाईं।

आधुनिक काल:

  • ब्रिटिश शासन के दौरान वाराणसी एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र बन गया।
  • भारत की आजादी के बाद वाराणसी उत्तर प्रदेश राज्य का एक महत्वपूर्ण शहर बन गया।

वर्तमान समय:

वाराणसी भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में गंगा नदी के किनारे एक बेहद ही खूबसूरत शहर है, जो कि आज के समय में हिन्दुओं के लिए एक बहुत ही खास तीर्थ स्थलों में जाना जाता है। वाराणसी कई विशाल मंदिरों के अलावा घाटों और अन्य कई लोकप्रिय स्थानों से हर साल पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। ये जगह न केवल भारतियों को बल्कि विदेशी पर्यटकों को भी काफी पसंद आती है।

बनारस का पुराना नाम | Banaras kahan hai?

  • बनारस का पुराना नाम काशी है। हिंदू धर्म में काशी को बहुत पवित्र माना जाता है और इसे भगवान शिव का शहर कहा जाता है। इसीलिए इसे ‘काशी’ नाम दिया गया था। काशी शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है और इसका अर्थ है ‘चमकने वाला’ या ‘प्रकाशमान’।
  • वाराणसी नाम इस शहर के भौगोलिक स्थिति से जुड़ा हुआ है। यह गंगा और वरुणा नदियों के संगम पर स्थित होने के कारण वाराणसी कहलाया।

जानिए क्यों वाराणसी है भारत का गौरव

वाराणसी को उसकी धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक और ऐतिहासिक विशेषताओं के कारण विशेष प्रसिद्धि प्राप्त है। इसे निम्नलिखित कारणों से जाना जाता है:

1. धार्मिक महत्व:
वाराणसी को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है और इसे अविमुक्त क्षेत्र कहा गया है। यह गंगा नदी के किनारे बसा है और काशी विश्वनाथ मंदिर जैसे प्रमुख तीर्थस्थलों का घर है।

2. सांस्कृतिक महत्व:
यह शहर प्राचीन काल से शिक्षा और संस्कृति का केंद्र रहा है। प्रेमचंद और तुलसीदास जैसे महान साहित्यकारों ने यहीं जन्म लिया और अपना योगदान दिया।

3. गंगा नदी:
गंगा नदी वाराणसी की पहचान का एक अभिन्न हिस्सा है। इसके घाट न केवल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए, बल्कि सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए भी प्रसिद्ध हैं।

4. धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत:
यहाँ की संकरी गलियाँ, ऐतिहासिक घाट, मंदिर और अन्य धार्मिक स्थल प्राचीन सभ्यता और आस्था की झलक प्रस्तुत करते हैं।

5. शिक्षा केंद्र:
शहर में काशी विश्वनाथ मंदिर, रामचरितमानस मंदिर, अस्सी घाट जैसे स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण हैं।

6. सांस्कृतिक गतिविधियाँ:
वाराणसी ने शास्त्रीय संगीत, नृत्य, कला और साहित्य को फलने-फूलने का अवसर दिया है। यह भारतीय संस्कृति का जीवंत केंद्र माना जाता है।

7. विश्वविद्यालय:
यहाँ स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) एशिया के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक है, जो देश-विदेश से छात्रों को आकर्षित करता है।

8. आयुर्वेद:
ऐसा माना जाता है कि आयुर्वेद की जड़ें वाराणसी में ही हैं। यह चिकित्सा पद्धति आधुनिक विज्ञान की नींव रखने में सहायक रही है।

इन सभी विशेषताओं के कारण वाराणसी न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि भारत की संस्कृति और ज्ञान परंपरा का भी जीवंत प्रतीक है।

Banaras me Ghumne ki Jagah(Banaras me kya Famous Hai): Varanasi me Ghumne ki Jagah | बनारस कहां है?

काफ़ी लोग सूचते है कि varanasi kyon prasiddh hai? तो बता दें कि Varanasi के प्रमुख आकर्षण और टुरिस्ट जगह इसका एक बाड़ा कारण है। 

  • काशी विश्वनाथ मंदिर
  • गंगा नदी
  • रामचरितमानस मंदिर
  • अस्सी घाट
  • दशाश्वमेध घाट
  • मणिकर्णिका घाट
  • विश्वेश्वरिया संग्रहालय
  • रामनगर किला

1. काशी विश्वनाथ मंदिर | Kashi Vishwanath Temple in Varanasi

काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर गंगा नदी के किनारे स्थित है और हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है। मंदिर आमतौर पर सुबह 3:00 बजे से शाम 11:00 बजे तक खुला रहता है। यहां प्रवेश के लिए कोई टिकट नहीं है, लेकिन सुरक्षा जांच से गुजरना आवश्यक है। आप वाराणसी रेलवे स्टेशन या बस स्टैंड से ऑटो-रिक्शा या टैक्सी द्वारा मंदिर पहुंच सकते हैं। अगर आप श्रद्धा भाव से बनारस जाना चाहते है तो काशी विश्वनाथ मंदिर Varanasi me Ghumne ki Jagah का पहला और अच्छा ऑप्शन है।

2. गंगा नदी | Ganga River in Varanasi

गंगा नदी भारत की सबसे पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है। यहां पर विभिन्न घाटों पर स्नान और पूजा-पाठ के लिए बड़ी संख्या में लोग आते हैं। गंगा में नाव की सवारी का अनुभव भी अद्भुत होता है, खासकर सुबह और शाम के समय। नाव की सवारी की कीमत लगभग ₹100 से ₹500 तक होती है, निर्भर करता है कि आप कितने समय के लिए और कितनी दूरी तक जाना चाहते हैं। आप किसी भी प्रमुख घाट से नाव की सवारी शुरू कर सकते हैं। गंगा नदी Varanasi me Ghumne ki Jagah के लिए सबसे मशहूर विकल्प है।

3. तुलसी मानस मन्दिर | Tulsi Manas Mandir in Varanasi

तुलसी मानस मन्दिर, तुलसीदास की महान रचना के सम्मान में बनाया गया है। यह मंदिर वाराणसी के दीनदयाल उपाध्याय गंज में स्थित है। मंदिर आमतौर पर सुबह 6:00 बजे से शाम 9:00 बजे तक खुला रहता है और यहां कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। यह स्थान धार्मिकता और भक्ति का प्रतीक है। आप यहां पहुंचने के लिए स्थानीय परिवहन जैसे ऑटो या टैक्सी का उपयोग कर सकते हैं। अगर आप श्रद्धा भाव से बनारस जाना चाहते है तो तुलसी मानस मन्दिरर Varanasi me Ghumne ki Jagah का एक अच्छा ऑप्शन है।

4. अस्सी घाट | Assi Ghat in Varanasi

अस्सी घाट, वाराणसी का एक प्रमुख घाट है, जो गंगा के किनारे स्थित है। यह घाट मुख्यतः सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की गतिविधियों के लिए प्रसिद्ध है। घाट पर कुछ छोटे मंदिर भी हैं और यहां स्नान के लिए लोग आते हैं। अस्सी घाट सुबह से शाम तक खुला रहता है, और यहां कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। आप यहां पहुंचने के लिए स्थानीय ऑटो या रिक्शा ले सकते हैं।

5. दशाश्वमेध घाट | Dashashwamedh Ghat in Varanasi

दशाश्वमेध घाट वाराणसी के सबसे व्यस्त घाटों में से एक है और इसे गंगा आरती के लिए जाना जाता है। यह घाट दिनभर खुला रहता है और गंगा आरती शाम को आयोजित की जाती है, जो एक अद्भुत अनुभव है। यहाँ पर कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। आप वाराणसी के अन्य प्रमुख स्थलों से पैदल चलकर या ऑटो-रिक्शा द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।

6. मणिकर्णिका घाट | Manikarnika Ghat in Varanasi

मणिकर्णिका घाट वाराणसी का सबसे प्रसिद्ध श्मशान घाट है और इसे मोक्ष प्राप्ति का स्थान माना जाता है। यहाँ अंतिम संस्कार की प्रक्रिया का दृश्य देखना एक गहन अनुभव होता है। घाट दिन-रात खुला रहता है और कोई प्रवेश शुल्क नहीं है। यह स्थान सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। आप स्थानीय परिवहन का उपयोग करके आसानी से यहां पहुंच सकते हैं।

7. विश्वेश्वरिया संग्रहालय | Visvesaraya Museum in Varanasi

विश्वेश्वरिया संग्रहालय वाराणसी का एक प्रमुख विज्ञान और प्रौद्योगिकी संग्रहालय है। यहाँ पर विभिन्न प्रदर्शनी और शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध है। संग्रहालय आमतौर पर सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है, और प्रवेश शुल्क लगभग ₹20 है। आप वाराणसी शहर के किसी भी हिस्से से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा द्वारा यहां पहुंच सकते हैं।

8. रामनगर किला | Ramnagar Fort in Varanasi

रामनगर किला, वाराणसी के निकट स्थित एक ऐतिहासिक किला है। यह किला रामनगर राजाओं का निवास स्थान था और यहां एक संग्रहालय भी है, जिसमें पुराने शस्त्र और ऐतिहासिक वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं। किला आमतौर पर सुबह 10:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक खुला रहता है, और प्रवेश शुल्क लगभग ₹15 है। आप किले तक पहुंचने के लिए वाराणसी से टैक्सी या ऑटो-रिक्शा का उपयोग कर सकते हैं।

काशी: आस्था, मोक्ष और पुरातनता की नगरी

भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाली काशी, गंगा के पवित्र तट पर बसी दुनिया की सबसे प्राचीन जीवित नगरी मानी जाती है। जैसे वेटिकन सिटी ईसाइयों के लिए और मक्का मुस्लिमों के लिए आस्था का केंद्र है, वैसे ही हिंदुओं के लिए काशी। लोक विश्वास है कि इस पवित्र भूमि के कण-कण में भगवान शिव का वास है और प्रलयकाल में भी यह नगरी नष्ट नहीं होती।

आइए जानते हैं काशी से जुड़ी 10 रोचक पौराणिक और ऐतिहासिक बातें—

  1. चंद्रवंशी राजाओं की प्राचीन राजधानी
    विष्णु पुराण के अनुसार काशी के पहले राजा चंद्रवंशी वंश के काशी थे, जो राजा काश्य के पुत्र थे।
  2. कश्यप ऋषि ने किया शिवलिंग का स्थापना, ब्रह्मा ने प्रतिष्‍ठा की
    वायुपुराण के अनुसार काशी में स्थित विश्वनाथ शिवलिंग की स्थापना ऋषि कश्यप ने की थी और इसकी प्रतिष्‍ठा स्वयं ब्रह्मा ने की।
  3. भगवान शिव कभी नहीं छोड़ते काशी
    मत्स्य पुराण में शिव माता पार्वती से कहते हैं कि वे इस क्षेत्र को कभी नहीं त्यागते, इसलिए इसे “अविमुक्त क्षेत्र” कहा जाता है।
  4. काशी: शिव का निवास और पापों से मुक्ति का स्थान
    पौराणिक कथा है कि ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति के लिए शिव जब कपाल लेकर तीर्थों में भटके, तब काशी में ही वह कपाल टूटकर गिरा, जिससे उन्हें मोक्ष प्राप्त हुआ।
  5. ब्रह्मा स्वयं करते हैं इस नगरी की रक्षा
    अग्निपुराण के अनुसार, काशी ब्रह्मा द्वारा रक्षित नगरी है और यहां किया गया हर पुण्य कार्य मोक्षदायक होता है।
  6. बौद्ध ग्रंथों में काशी का स्थान
    अंगुत्तर निकाय में बुद्ध के काल के 16 महाजनपदों में काशी प्रथम स्थान पर रहा है।
  7. राजा दिवोदास द्वारा काशी का विस्तार
    दैत्य क्षेमक के आतंक से काशी को मुक्त कर राजा दिवोदास ने नगर का विस्तार किया था। ब्रह्मा ने इनके सहयोग से 10 अश्वमेध यज्ञ कराए।
  8. काशी को कहते हैं महाश्मशान
    यह तीर्थ स्थल मोक्ष प्रदान करता है। कहा जाता है कि यहां यज्ञ करने वाले को फिर संसार में जन्म नहीं लेना पड़ता।
  9. रामायण-महाभारत में भी उल्लेख
    त्रेतायुग में अयोध्या से मित्रता और द्वापरयुग में हस्तिनापुर से शत्रुता—वाल्मीकि रामायण और महाभारत में काशी का उल्लेख मिलता है। कुरुक्षेत्र युद्ध में काशी नरेश पांडवों के पक्ष से लड़े थे।
  10. मुक्त आत्माओं की दृष्टि में ही प्रकट होती है काशी
    कूर्म पुराण के अनुसार केवल मुक्त और आत्मज्ञान से परिपूर्ण व्यक्ति ही काशी को उसकी वास्तविक आध्यात्मिक रूप में देख पाते हैं।

काशी क्यों प्रसिद्ध है, बनारस की मशहूर चीजें: Varanasi Kyon Prasiddh Hai?

  • बनारसी साड़ी
  • बनारसी पान
  • बनारसी मिठाई
  • बनारसी कला और शिल्प

1. बनारसी साड़ी

बनारसी साड़ी, भारतीय कपड़ा उद्योग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे वाराणसी की पहचान माना जाता है। इन साड़ियों का निर्माण बुनाई के अद्भुत कौशल और समृद्ध डिजाइनिंग से होता है। इन पर सोने-चांदी के धागों से बनी बुनाई, जरी काम, और विभिन्न पारंपरिक motifs होते हैं। बनारसी साड़ी विशेष अवसरों जैसे शादी, त्योहारों और समारोहों के लिए पहनी जाती है। इसकी विशेषताएं इसे न केवल सुंदर बनाती हैं, बल्कि इसे एक प्रतिष्ठित वस्त्र भी बनाती हैं। इन साड़ियों की कीमत उनके डिजाइन और बुनाई के आधार पर भिन्न होती है, लेकिन ये हमेशा उच्च गुणवत्ता की होती हैं। यह बनारस की मशहूर चीजों में से एक है।

2. बनारसी पान

बनारसी पान, बनारस की मशहूर चीजों की लिस्ट में सबसे ऊपर आता है, बॉलीवुड के गानों में भी इसका वर्णन है। यह पान, ताजगी और स्वाद का प्रतीक है, जिसे पान के पत्तों में सुपारी, चूना, और विभिन्न सुगंधित मसालों के साथ लपेटा जाता है। बनारसी पान खासतौर पर अपने अनोखे स्वाद और सुगंध के लिए जाना जाता है, जो इसे खाने के बाद एक ताजगी का अनुभव देता है। इसे अक्सर भोजन के बाद या चाय के साथ परोसा जाता है। वाराणसी में कई प्रसिद्ध पान की दुकानें हैं, जहां आप विभिन्न प्रकार के पान का आनंद ले सकते हैं।

3. बनारसी मिठाई

बनारसी मिठाई, खासतौर पर अपनी मिठास और स्वाद के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की सबसे मशहूर मिठाइयों में गुलाब जामुन, रसगुल्ला, और लड्डू शामिल हैं। विशेष रूप से, “बनारसी पेठा” अपनी अनोखी रेसिपी और स्वाद के लिए जाना जाता है। ये मिठाइयाँ त्योहारों और खास अवसरों पर प्रमुखता से बनाई जाती हैं। बनारसी मिठाइयाँ केवल स्वाद में ही नहीं, बल्कि अपनी खूबसूरत प्रस्तुति में भी बेहतरीन होती हैं, जो हर उत्सव का हिस्सा बनती हैं।

4. बनारसी कला और शिल्प

बनारसी कला और शिल्प, वाराणसी की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा हैं। यहाँ की कारीगरों द्वारा बनाई जाने वाली कढ़ाई, बुनाई, और मिट्टी के बर्तन अद्वितीय हैं। बनारसी कारीगर पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके कलाकृतियों को तैयार करते हैं, जिसमें टेराकोटा, हस्तशिल्प और हाथ से बनी चीजें शामिल हैं। इन कला रूपों में न केवल स्थानीय संस्कृति का समावेश है, बल्कि यह वाराणसी के समाज की समृद्धि और जीवंतता को भी दर्शाता है। वाराणसी में आयोजित विभिन्न शिल्प मेले और प्रदर्शनियाँ इन कला रूपों को देखने का एक बेहतरीन अवसर प्रदान करती हैं।

बनारस की मशहूर चीज़ क्या है, वाराणसी में कई प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं:

  • काशी विश्वनाथ मंदिर का मेला: यह मेला भगवान शिव को समर्पित है और हर साल लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं।
  • गंगा स्नान: गंगा नदी में स्नान करना हिंदू धर्म में बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है और वाराणसी में कई त्योहारों के दौरान गंगा स्नान किया जाता है।
  • दीपावली: दीपावली भारत का सबसे बड़ा त्योहार है और वाराणसी में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।
  • महाशिवरात्रि: महाशिवरात्रि भगवान शिव को समर्पित है और वाराणसी में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

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  • कचौरी-सब्जी:
    बनारस की सुबह की शुरुआत अक्सर गरमा-गरम कचौरी और मसालेदार आलू की सब्जी से होती है। बड़ी कचौरी में दाल की पिठ्ठी और छोटी कचौरी में आलू का स्वादिष्ट मिश्रण भरा होता है।
  • छेना दही वड़ा:
    यह मीठे और खट्टे स्वाद का अनोखा कॉम्बिनेशन है। रसमलाई जैसे दिखने वाले नरम छेना वड़े, दही में डुबोकर मसाले के साथ परोसे जाते हैं।
  • लिट्टी-चोखा:
    सत्तू से भरी कुरकुरी बाटी और मसालेदार आलू, बैंगन और टमाटर से बना चोखा — यह बनारसी स्ट्रीट फूड हर उम्र के लोगों को पसंद आता है।
  • दही-चटनी गोलगप्पे:
    छोटे कुरकुरे गोलगप्पों को मसालेदार आलू-छोले से भरकर दही, मीठी व तीखी चटनी और मसालों के साथ परोसा जाता है — एक मजेदार चटपटा स्वाद।
  • टमाटर चाट:
    बनारस की खास चाट जिसमें उबले टमाटर, आलू, हरी मिर्च, प्याज़ और मसालों का जबरदस्त मेल होता है। इसका स्वाद एकदम चटाकेदार होता है।
  • बनारसी ठंडई:
    सौंफ, इलायची, केसर और गुलाब की खुशबू से भरी यह ठंडई कुल्हड़ में परोसी जाती है और गर्मी में राहत देती है। यह बनारस की एक क्लासिक ड्रिंक है।
  • बनारसी पान:
    बनारस की पहचान — मीठा गुलकंद, सुपारी और मसालों से भरा पान, जिसे खाने के बाद चबाना एक पारंपरिक अनुभव है। मीठा और ताज़गी से भरपूर।

वाराणसी का महत्व (वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है)

वाराणसी, जिसे बनारस भी कहा जाता है, भारत के उत्तर प्रदेश राज्य का एक ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण शहर है। यह गंगा नदी के किनारे स्थित है और हिंदू धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल माना जाता है। वाराणसी का महत्व कई दृष्टियों से अत्यधिक है:

1. धार्मिक महत्व:

  • काशी: वाराणसी को काशी भी कहा जाता है, जो संस्कृत शब्द “काश” (आलोक) से आया है। इसे “ज्ञान की नगरी” और “पुण्य भूमि” माना जाता है।
  • विशेष स्थल: यहां स्थित विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है। माना जाता है कि जो भी व्यक्ति यहां मरता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।
  • गंगा आरती: हर शाम गंगा नदी के किनारे होने वाली भव्य गंगा आरती, जिसमें हजारों लोग हिस्सा लेते हैं, विश्वभर में प्रसिद्ध है।

2. सांस्कृतिक महत्व:

  • वाराणसी भारतीय संस्कृति और कला का एक महत्वपूर्ण केंद्र है। यहां की लोक कला, संगीत, नृत्य और साहित्य ने देश और विदेश में महत्वपूर्ण पहचान बनाई है।
  • काशी नृत्य महोत्सव और काशी संगीत महोत्सव जैसे आयोजनों का यहां नियमित रूप से आयोजन होता है, जो कला प्रेमियों के लिए आकर्षण का केंद्र होते हैं।

3. शैक्षिक महत्व:

  • बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU): यह विश्वविद्यालय विश्व के प्रमुख शैक्षिक संस्थानों में गिना जाता है। यहां पर भारतीय संस्कृति, वेद, संस्कृत, दर्शनशास्त्र, विज्ञान, चिकित्सा और कला में अध्ययन होता है।
  • वाराणसी को भारत के प्राचीन ज्ञान और शिक्षा के केंद्र के रूप में देखा जाता है, जहां अनेक महात्मा, संत और आचार्य अपना ज्ञान देने के लिए आए थे।

4. ऐतिहासिक महत्व:

  • वाराणसी का इतिहास हजारों साल पुराना है और इसे “सतयुग से भी पुराना” कहा जाता है। यह शहर ऐतिहासिक और पुरातात्विक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां के कई स्थान प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के गवाह हैं।
  • वाराणसी पर कई राजवंशों ने शासन किया है, जिनमें मौर्य, गुप्त, मुघल और मराठा साम्राज्य प्रमुख हैं।

5. पर्यटन और आर्थ‍िक महत्व:

  • वाराणसी देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख गंतव्य है। यहां के घाट, मंदिर, और सांस्कृतिक अनुभव पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
  • बनारसी साड़ी, शॉल, और अन्य हस्तशिल्प भी विश्वभर में प्रसिद्ध हैं, जिससे वाराणसी की अर्थव्यवस्था को काफी बल मिलता है।

निष्कर्ष

वाराणसी, जिसे बनारस के नाम से भी जाना जाता है, भारत की आध्यात्मिक राजधानी है। यह शहर अपनी प्राचीन संस्कृति, धार्मिक महत्व और गंगा नदी के किनारे स्थित होने के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है। वाराणसी क्यों प्रसिद्ध है इस प्रश्न का उत्तर इन सभी तत्वों में निहित है।

बनारस का पुराना नाम काशी है, जो हिंदू धर्म में बहुत पवित्र माना जाता है। वाराणसी में कई ऐतिहासिक मंदिर, घाट और अन्य धार्मिक स्थल हैं, जिनमें काशी विश्वनाथ मंदिर, गंगा नदी, रामचरितमानस मंदिर और अस्सी घाट शामिल हैं। Varanasi me ghumne ki jagah के रूप में ये स्थान पर्यटकों को बहुत आकर्षित करते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

बनारस में सबसे मशहूर क्या है?

बनारस, जिसे काशी भी कहा जाता है, भारत के सबसे पुराने और पवित्र शहरों में से एक है। यह शहर अपनी धार्मिक विरासत, सांस्कृतिक समृद्धि और गंगा नदी के किनारे बसे होने के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

बनारस की कौन सी चीज़ मशहूर है?

बनारस में पान के अलावा बाटी चोखा, पूरी कचौड़ी, जलेबी, लस्सी, चाट, गोलगप्पे भी मशहूर है।

बनारस में क्या खास है?

वाराणसी अपनी गलियों, गंगा घाट, साड़ी और विश्वनाथ मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।

बनारस में क्या-क्या देखने वाला है?

काशी विश्वनाथ मंदिर
अस्सी घाट
दशाश्वमेध घाट
मणिकर्णिका घाट
रामनगर किला
भारत माता मंदिर
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय
संगीत कला केंद्र
तुर्की मोहम्मदी मस्जिद

बनारस की फेमस मिठाई क्या है?

बनारस की सबसे फेमस मिठाई में मलईयो, कचौड़ी, लिट्टी-चोखा और ठंडाई शामिल हैं। इनके अलावा, यहां की पेड़ा और लड्डू भी बहुत स्वादिष्ट होते हैं।

ऐसा क्यों कहा जाता है कि काशी से गंगाजल नहीं लाना चाहिए?

ऐसा माना जाता है कि काशी से गंगाजल नहीं लाना चाहिए क्योंकि यह स्थान मोक्षभूमि (अविमुक्त क्षेत्र) है और यहां का गंगाजल अत्यंत पवित्र व देवी स्वरूप माना जाता है। इसे बाहर ले जाना अपशकुन या आध्यात्मिक अनादर समझा जाता है। यह मान्यता धार्मिक आस्था और परंपरा पर आधारित ह

ऐसा क्यों कहा जाता है कि भगवान शिव ने काशी को एक समय के लिए छोड़ दिया था?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार राजा दिवोदास ने काशी में धर्म और व्यवस्था स्थापित करने के लिए भगवान शिव से अनुरोध किया कि वे कुछ समय के लिए काशी छोड़ दें। शिव ने सहमति दी और काशी छोड़ दी। बाद में जब धर्म की स्थापना हो गई, तो शिव पुनः काशी लौटे। इस घटना से जुड़ी कथा काशी खंड’ में वर्णित है और यह दर्शाती है कि शिव की अनुपस्थिति भी धर्म की स्थापना का एक चरण थी।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.