भारत अपने अनोखे मौसम के कारण विश्व भर में प्रसिद्ध है। भारत में छह ऋतुएँ होती हैं: वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, और शिशिर। यहां एक ही समय पर विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार के मौसम का अनुभव किया जा सकता है। भारत के मौसम का कृषि कार्यों में महत्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि विभिन्न ऋतुएं फसलों के विकास और उत्पादन को प्रभावित करती हैं। इस लेख में हम ऋतु के नाम (Ritu in Hindi) के बारे में विस्तार से जानकारी दे रहे हैं। साथ ही ग्रीष्म ऋतु कब आती है और शरद ऋतु कब आती है, इसकी भी जानकारी दे रहे हैं।
ऋतु के नाम (Seasons in Hindi)
भारत में 6 प्रमुख ऋतुएं होती हैं, जो अपने विशेष मौसम और जलवायु परिस्थितियों के साथ हमारे जीवन को प्रभावित करती हैं। इन ऋतुओं का समय चक्र विशेष होता है और ये भौगोलिक स्थिति, वातावरण और कृषि पर गहरा असर डालती हैं। यहां ऋतु के नाम और माह बता रहे हैं।
छह ऋतु के नाम और जानकारी | How Many Seasons Are There
क्रम संख्या
ऋतु का नाम (ritu ke naam)
औसत समय चक्र
1
वसंत ऋतु (Spring Season)
मार्च – मई
2
ग्रीष्म ऋतु (Summer Season)
मई – जुलाई
3
वर्षा ऋतु (Monsoon Season)
जून – सितम्बर
4
शरद ऋतु (Autumn Season)
सितम्बर – नवम्बर
5
हेमंत ऋतु (Pre-Winter Season)
नवम्बर – जनवरी
6
शीत ऋतु (Winter Season)
जनवरी – मार्च
ऋतुओं के नाम (rituon ke naam) | छह ऋतु के नाम और जानकारी(six seasons name)
ऋतुओं का चक्र
भारत में ऋतुओं (seasons in hindi) का चक्र भारतीय उपमहाद्वीप के भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों के आधार पर बदलता है। यह चक्र हर वर्ष मौसम के बदलाव के साथ चलता है और कृषि, जलवायु और सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रभावित करता है।
ऋतुएँ और उनका समय चक्र| Seasons Name in Hindi(6 ritu ke naam)
वसंत ऋतु – वसंत ऋतु शीतकाल के बाद आती है और यह आमतौर पर मार्च से मई तक रहती है। यह ऋतु फूलों और ताजगी का समय होती है, जहाँ मौसम न तो बहुत गर्म होता है और न ही ठंडा।
ग्रीष्म ऋतु – ग्रीष्म ऋतु आमतौर पर मई से जुलाई तक रहती है। यह ऋतु उच्च तापमान और गर्मी के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें सूरज की तेज गर्मी से वातावरण गर्म हो जाता है।
वर्षा ऋतु – वर्षा ऋतु जून से सितम्बर तक रहती है और यह ऋतु मानसून की बारिशों के लिए जानी जाती है, जो पूरे भारत में मौसम को ठंडा करती हैं और कृषि के लिए महत्वपूर्ण होती हैं।
शरद ऋतु – शरद ऋतु सितम्बर से नवम्बर तक होती है। यह ऋतु ठंडे और सुखद मौसम का समय होता है, जिसमें आकाश साफ होता है और तापमान सामान्य रहता है।
हेमंत ऋतु – हेमंत ऋतु नवम्बर से जनवरी तक रहती है। इस दौरान हवा ठंडी होने लगती है, लेकिन सर्दी ज्यादा नहीं होती है। यह मौसम हल्का ठंडा और सुखद होता है।
शीत ऋतु – शीत ऋतु जनवरी से मार्च तक होती है और इसमें ठंडक महसूस होती है। यह सबसे ठंडी ऋतु होती है, जिसमें अधिकांश स्थानों पर तापमान कम हो जाता है और सर्दी का असर स्पष्ट रूप से महसूस होता है।
हर ऋतु का औसत समय
भारत में प्रत्येक ऋतु (Seasons in Hindi) का औसत समय लगभग तीन महीने का होता है, जिसमें गर्मी, सर्दी, वर्षा और अन्य ऋतुएँ अपने विशेष मौसम का अनुभव कराती हैं। ये ऋतुएं हमारी कृषि, संस्कृति और जीवनशैली के लिए महत्वपूर्ण हैं।
भारत की भौगोलिक स्थिति और इसका प्रभाव
भारत की भौगोलिक स्थिति विभिन्न प्रकार की जलवायु और मौसम को जन्म देती है। भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न प्रकार की ऋतुएँ अनुभव की जाती हैं। पश्चिमी घाट, हिमालय, और रेगिस्तान जैसी भौगोलिक विशेषताएँ भारत के मौसम चक्र को प्रभावित करती हैं। भारतीय उपमहाद्वीप में उच्च पर्वत, समुद्र तटीय क्षेत्र और नदियाँ ऋतुओं के बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
ऋतुएँ कितनी होती है?| Ritu kitne Prakar ke Hote Hain
ऋतुएँ कुल छह होती हैं।
भारत में पारंपरिक रूप से वर्ष को छह ऋतुओं में बाँटा गया है, जो हर दो महीने में बदलती हैं। ये ऋतुएँ हैं:
वसंत ऋतु – (मार्च और अप्रैल)
ग्रीष्म ऋतु (गर्मी) – (मई और जून)
वर्षा ऋतु (बरसात) – (जुलाई और अगस्त)
शरद ऋतु – (सितंबर और अक्टूबर)
हेमंत ऋतु – (नवंबर और दिसंबर)
शीत ऋतु (सर्दी) – (जनवरी और फरवरी)
ग्रीष्म ऋतु (Summer Season) | Seasons in India
ग्रीष्म ऋतुकब आती है, इसके लक्षण और महत्व के बारे में विस्तार से जानेगें।
ग्रीष्म ऋतु कब आती है?
समय: अप्रैल से जून – ग्रीष्म ऋतु भारत में अप्रैल से जून तक आती है। यह ऋतु गर्मी और ऊष्मा से भरी होती है, जिसमें तापमान अपने उच्चतम स्तर तक पहुंचता है।
सबसे गर्म महीना और तापमान: ग्रीष्म ऋतु के दौरान मई और जून महीने सबसे गर्म होते हैं। इस समय भारत के विभिन्न हिस्सों में तापमान 40°C से 50°C तक पहुंच सकता है, खासकर थार रेगिस्तान और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में।
ग्रीष्म ऋतु के लक्षण
तेज धूप और गर्मी – ग्रीष्म ऋतु में सूर्य की किरणें सबसे तीव्र होती हैं, जिससे दिन के समय अधिक गर्मी का अनुभव होता है। दिन में तेज धूप से वातावरण में गर्मी का स्तर बहुत बढ़ जाता है, जिससे लोग और जानवर गर्मी से बचने के लिए छांव की तलाश करते हैं।
लू चलना और जल स्रोतों का सूखना – ग्रीष्म ऋतु में लू (गर्म हवाएँ) चलने लगती हैं, जो शरीर को अत्यधिक गर्म कर देती हैं। इसके अलावा, पानी के स्रोत जैसे नदियाँ, झीलें और तालाब सूखने लगते हैं, जिससे पानी की कमी होती है।
ग्रीष्म ऋतु का महत्व
फलों का मौसम (आम, तरबूज) – ग्रीष्म ऋतु में कुछ विशेष फलों का मौसम होता है। आम, तरबूज, पपीता, और अंगूर जैसे फल गर्मियों में अत्यधिक उगते हैं। इन फलों का सेवन शरीर को ठंडक और ऊर्जा प्रदान करता है, जो गर्मी से राहत दिलाता है।
गर्मी के कारण मानसून की तैयारी – ग्रीष्म ऋतु मानसून ऋतु से पहले आती है और यह मानसून की तैयारी का संकेत देती है। गर्मी की वजह से वातावरण में नमी और बादल बनने की प्रक्रिया शुरू होती है, जो बाद में बारिश के रूप में बदल जाती है।
वर्षा ऋतु (Rainy Season) | Seasons in India
Monsoon Season कब आती है और इसके लक्षण व महत्व के बारे में जानेगें।
वर्षा ऋतु का समय
समय: जून से सितंबर – वर्षा ऋतु जून से सितंबर तक होती है। इस दौरान मानसून की बारिश भारत के विभिन्न हिस्सों में शुरू होती है, जिससे तापमान में गिरावट आती है और मौसम ठंडा और नम हो जाता है। मानसून की शुरुआत आमतौर पर जून में दक्षिण-पश्चिमी हवाओं के प्रभाव से होती है और यह बारिश की प्रक्रिया सितंबर तक जारी रहती है।
मानसून और इसकी शुरुआत – वर्षा ऋतु आमतौर पर जून से सितंबर तक होती है, जब मानसून की बारिश देश के विभिन्न हिस्सों में शुरू होती है। मानसून की शुरुआत दक्षिण पश्चिम भारत से होती है, और यह धीरे-धीरे देश के अन्य हिस्सों में फैल जाती है।
वर्षा ऋतु के लक्षण
भारी बारिश और हरियाली: वर्षा ऋतु में लगातार भारी बारिश होती है, जिससे भूमि हरी-भरी हो जाती है। फसलों और पेड़-पौधों की वृद्धि तेज़ी से होती है, और पूरी प्रकृति हरी-भरी दिखने लगती है।
नदियों और जल स्रोतों का पुनर्भरण: वर्षा के कारण नदियाँ, झीलें और अन्य जल स्रोत भर जाते हैं। यह जल स्रोतों को पुनः जीवन देते हैं, जिससे पानी की आपूर्ति में वृद्धि होती है और भूमि की नमी भी बढ़ती है।
वर्षा ऋतु का महत्व
कृषि और जल प्रबंधन: वर्षा ऋतु कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान होने वाली बारिश से फसलों की सिंचाई होती है। किसान इस मौसम का लाभ उठाकर अपने खेतों में फसलें उगाते हैं। इसके अलावा, जल प्रबंधन के लिहाज से भी यह समय महत्वपूर्ण है, क्योंकि वर्षा के पानी से जल स्रोतों का पुनर्भरण होता है।
पेड़-पौधों और पर्यावरण के लिए फायदेमंद: वर्षा ऋतु में भारी बारिश के कारण पेड़-पौधों की वृद्धि होती है, जिससे पर्यावरण में हरियाली और ताजगी आती है। यह ऋतु जंगलों, कृषि भूमि और पर्यावरण के लिए जीवनदायिनी होती है, जिससे जैव विविधता को भी बढ़ावा मिलता है।
शरद ऋतु (Autumn Season in India) | Seasons in India
शरद ऋतु कब आती है, इसके लक्षण और महत्व पर आगे प्रकाश डाल रहे हैं।
शरद ऋतु कब आती है?
समय: अक्टूबर से नवंबर – शरद ऋतु अक्टूबर से नवंबर तक होती है। इस दौरान मौसम में ठंडक बढ़ने लगती है, और वर्षा के बाद का समय ठंडा और सुखद होता है। हवा में ताजगी और शांति का अनुभव होता है, और यह ऋतु गर्मी और उमस से राहत देती है।
वर्षा के बाद का ठंडा मौसम – वर्षा ऋतु के बाद शरद ऋतु आती है, जो ठंडे और सुखद मौसम का अनुभव कराती है। इस मौसम में गर्मी और उमस की कमी होती है, और हवा में ताजगी महसूस होती है।
शरद ऋतु के लक्षण
साफ और नीला आसमान: शरद ऋतु में आसमान साफ और नीला दिखाई देता है, क्योंकि इस समय वायुमंडल में नमी कम हो जाती है और धुंआ या धुंध भी नहीं होता। यह मौसम ताजगी और शांति का अनुभव कराता है।
पेड़ों से पत्तों का गिरना: शरद ऋतु में पेड़ों से पत्तों का गिरना शुरू हो जाता है। यह प्राकृतिक बदलाव होता है, जब तापमान में गिरावट होती है और पत्तियाँ पीली या भूरी होकर गिरने लगती हैं।
शरद ऋतु का महत्व
कृषि की कटाई और त्योहारों का मौसम: शरद ऋतु कृषि के लिए महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह फसलों की कटाई का समय होता है। किसान इस मौसम में अपनी मेहनत का फल प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, शरद ऋतु भारत में प्रमुख त्योहारों जैसे दिवाली, दुर्गा पूजा, और विजयदशमी का समय भी होता है, जो इस मौसम को विशेष बनाता है।
स्वास्थ्य के लिए अनुकूल मौसम: शरद ऋतु का मौसम स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है। ठंडी और शीतल हवा के कारण शरीर को आराम मिलता है और विभिन्न मौसमी बीमारियों का खतरा कम होता है। यह ऋतु शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए अनुकूल मानी जाती है।
हेमंत ऋतु (Pre-Winter Season) | Seasons in India
समय: नवंबर से दिसंबर – हेमंत ऋतु नवंबर से दिसंबर तक होती है। यह ऋतु सर्दियों की शुरुआत को दर्शाती है, जब ठंडी हवाएँ और हल्के कोहरे का अनुभव होने लगता है। इस दौरान वातावरण में ठंडक बढ़ने लगती है, और यह मौसम फसलों की कटाई और भंडारण का समय होता है।
ठंडी हवा और कोहरे की शुरुआत – हेमंत ऋतु में ठंडी हवा और कोहरे की शुरुआत होती है। इस समय तापमान में गिरावट आनी शुरू हो जाती है, और सुबह-शाम हल्का कोहरा छा जाता है। हवा में शीतलता और ताजगी का अहसास होता है, जिससे वातावरण ठंडा और आरामदायक बन जाता है।
फसल कटाई और भंडारण का समय – हेमंत ऋतु फसल कटाई और भंडारण का महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान किसानों द्वारा उगाई गई फसलों की कटाई की जाती है, जैसे धान, गेंहू, और अन्य शीतकालीन फसलें। फसलें पकने के बाद उन्हें सुरक्षित रूप से भंडारण किया जाता है, ताकि वे खराब न हों और आने वाले समय में उपयोग के लिए सुरक्षित रहें। यह समय कृषि के लिए समृद्धि और संतोष का होता है।
शीत ऋतु (Winter Season) | Seasons in India
समय: दिसंबर से फरवरी – शीत ऋतु दिसंबर से फरवरी तक होती है। इस दौरान तापमान में काफी गिरावट आ जाती है, और ठंडी हवाएँ चलती हैं। यह मौसम ठंडा और सूखा होता है, जिससे लोग गर्म कपड़े पहनते हैं और आग जलाकर खुद को गर्म रखते हैं। शीत ऋतु में दिन छोटे और रातें लंबी होती हैं।
सबसे ठंडा समय और ठिठुरन – शीत ऋतु का सबसे ठंडा समय आमतौर पर जनवरी और फरवरी के महीने में होता है। इस दौरान तापमान में अत्यधिक गिरावट आती है और ठंडी हवाएँ चलती हैं, जिससे ठिठुरन महसूस होती है। रात के समय ठंड अधिक होती है, और सुबह-शाम कोहरे की परत भी देखी जा सकती है।
गर्म कपड़ों और गर्म पेय का मौसम – शीत ऋतु के दौरान, जब तापमान बहुत कम हो जाता है, तो यह गर्म कपड़े पहनने और गर्म पेय पदार्थों का मौसम होता है। लोग ठंडी से बचने के लिए ऊनी कपड़े, स्वेटर, कोट और शॉल पहनते हैं। साथ ही, गर्म चाय, कॉफी, सूप और अन्य पेय पदार्थों का सेवन करते हैं, ताकि शरीर को गर्म रखा जा सके।
वसंत ऋतु (Spring Season in India) | Seasons in India
समय: मार्च से अप्रैल – वसंत ऋतु मार्च से अप्रैल तक होती है। यह मौसम ठंड और गर्मी के बीच का सामंजस्यपूर्ण समय होता है, जब मौसम न तो बहुत ठंडा होता है और न ही बहुत गर्म। इस दौरान प्रकृति पुनर्जीवित होती है, पेड़-पौधे हरे-भरे होते हैं, और फूलों की खिलावट होती है।
फूलों का खिलना और हरियाली का मौसम – वसंत ऋतु में प्रकृति पूरी तरह से जागृत होती है। यह मौसम फूलों के खिलने और हरियाली का होता है। इस दौरान पेड़-पौधे हरे-भरे होते हैं और विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं, जो वातावरण को सुंदर और खुशबूदार बनाते हैं।
नए फसल का आगमन – वसंत ऋतु में नए फसलों का आगमन होता है, क्योंकि यह कृषि के लिए बहुत महत्वपूर्ण समय होता है। इस दौरान किसानों द्वारा नई फसलें जैसे गेहूं, चावल, जौ, और तिलहन उगाई जाती हैं। यह मौसम कृषि के लिए समृद्धि और विकास का प्रतीक होता है, क्योंकि फसलें ताजगी और समृद्धि का संकेत देती हैं।
ऋतुओं का सांस्कृतिक महत्व
ऋतुएँ और भारतीय त्योहार
भारत में ऋतुएँ न केवल मौसम के बदलाव को दर्शाती हैं, बल्कि इनका सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व है। प्रत्येक ऋतु के साथ भारतीय त्योहार जुड़े हुए हैं, जो जीवन के विभिन्न पहलुओं का जश्न मनाते हैं और समाज के विभिन्न वर्गों को एकत्र करते हैं।
वसंत ऋतु में होली जैसे रंगों और खुशी के त्योहार मनाए जाते हैं, जो प्यार, रंग और खुशी का प्रतीक होते हैं। यह ऋतु किसानों के लिए नई फसल की शुरुआत का भी संकेत होती है।
गर्मी के मौसम में, विशेष रूप से गणेश चतुर्थी और दुर्गा पूजा जैसे त्योहार मनाए जाते हैं, जो गर्मी और तपिश से लड़ने का प्रतीक होते हैं और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं।
वर्षा ऋतु में, रक्षाबंधन और नव रात्रि जैसे त्योहारों का आयोजन होता है, जो रिश्तों की मजबूती और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करते हैं।
शरद ऋतु में, दीवाली और विजयदशमी जैसे प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं, जो अच्छाई की बुराई पर जीत और खुशियों का प्रतीक होते हैं।
हेमंत ऋतु और शीत ऋतु में, मकर संक्रांति और उत्तरायण जैसे त्योहार आते हैं, जो सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी और सर्दी के मौसम की शुरुआत को मानते हैं।
ऋतुओं का साहित्य और कला में प्रभाव
ऋतुओं का वर्णन भारतीय कविता और संगीत में
ऋतुएँ भारतीय साहित्य और कला का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं। भारतीय कविता और संगीत में ऋतुओं का अत्यधिक वर्णन मिलता है, जहां इन्हें प्राकृतिक और मानवीय भावनाओं से जोड़ा जाता है। ऋतुएँ जीवन के विभिन्न पहलुओं, जैसे खुशी, दुख, प्रेम और शांति, को व्यक्त करने का एक माध्यम बनती हैं। उदाहरण के लिए, वसंत ऋतु का कविताओं में रोमांटिकता, गर्मी का संघर्ष, और शरद ऋतु का ताजगी और शांति के प्रतीक के रूप में उपयोग किया जाता है।
ऋतुओं पर आधारित शास्त्रीय नृत्य और राग
भारतीय शास्त्रीय संगीत और नृत्य में भी ऋतुओं का गहरा प्रभाव है। विभिन्न ऋतुओं के अनुसार शास्त्रीय राग और नृत्य प्रस्तुत किए जाते हैं। जैसे कि वसंत राग वसंत ऋतु की खुशी और ऊर्जा को व्यक्त करता है, जबकि मल्हार राग वर्षा ऋतु की बारिश और नमी की भावना को व्यक्त करता है। शास्त्रीय नृत्य शैलियाँ भी ऋतुओं के प्रभाव को महसूस कराती हैं, जैसे कि कथक और भारतनाट्यम में ऋतु आधारित भावनाओं और मुद्राओं का विशेष स्थान होता है।
ऋतु परिवर्तन और पर्यावरण
ऋतु परिवर्तन का पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जब ऋतुएं बदलती हैं, तो यह प्राकृतिक और जैविक चक्रों में बदलाव लाती हैं, जो वनस्पति, जीव-जंतुओं और मौसम की स्थिति पर असर डालते हैं।
प्राकृतिक संसाधनों का पुनः उत्सर्जन: जैसे-जैसे ऋतुएं बदलती हैं, भूमि और जल स्रोतों का व्यवहार भी बदलता है। वर्षा ऋतु में जल स्रोतों का पुनर्भरण होता है, जबकि गर्मी में पानी की कमी हो सकती है। शीत ऋतु में ठंडी हवा और बर्फबारी से वायुमंडल की संरचना बदलती है।
जैव विविधता पर प्रभाव: ऋतु परिवर्तन से वनस्पति और जीव-जंतुओं का जीवन चक्र प्रभावित होता है। वसंत में फूलों का खिलना और नए पत्तों का उगना, जबकि शरद ऋतु में पत्तों का गिरना और ठंडी के मौसम में विभिन्न जीवों का आदान-प्रदान इस परिवर्तन को दर्शाता है।
मौसमी बदलावों के कारण पर्यावरणीय चुनौतियाँ: ऋतुओं के बदलाव के साथ पर्यावरण में होने वाली इन स्थितियों का हमारी कृषि, जलवायु और जीवनशैली पर असर होता है। उदाहरण के लिए, ग्रीष्म ऋतु में जलवायु में अत्यधिक गर्मी और सूखा, जबकि वर्षा ऋतु में बाढ़ और कीटों के हमले हो सकते हैं, जो पर्यावरण और कृषि को प्रभावित करते हैं।
मानव जीवन पर असर: ऋतुओं के बदलाव से मानव जीवन की दिनचर्या भी प्रभावित होती है। ठंडी में हम गर्म कपड़े पहनते हैं, जबकि गर्मी में ठंडे पेय पदार्थों का सेवन करते हैं। पर्यावरणीय बदलावों के साथ मौसम के अनुकूल खानपान और जीवनशैली भी बदलती है।
निष्कर्ष
ऋतुएं न केवल मौसम के परिवर्तन का प्रतीक हैं, बल्कि वे हमारे जीवन को रंगीन, समृद्ध और विविधतापूर्ण बनाती हैं। इनका सही तरीके से सम्मान और संरक्षण करना हमारे लिए आवश्यक है ताकि हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर और पर्यावरण को सुरक्षित रख सकें। उम्मीद है ऋतु के नाम (seasons in hindi) और ग्रीष्म ऋतु कब आती है व शरद ऋतु कब आती है, यह भी पता चल गया होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
भारत में 6 ऋतुएँ कौन सी हैं? How many seasons in India?
भारत में 6 ऋतुएँ हैं: वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शीत। ये ऋतुएँ मौसम के अनुसार तापमान और जलवायु में बदलाव लाती हैं, जिससे जीवन पर प्रभाव पड़ता है।
12 महीने में कितनी ऋतु होती है?
12 महीनों में 6 ऋतुएँ होती हैं: वसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत और शीत। ये ऋतुएँ मौसम के अनुसार बदलती हैं।
4 ऋतुएं कौन सी हैं?
भारत में चार प्रमुख ऋतुएँ होती हैं: वसंत, ग्रीष्म, वर्षा और शरद। ये ऋतुएँ मौसम के बदलाव के अनुसार होती हैं, जिनमें तापमान और जलवायु में परिवर्तन होता है।
शरद ऋतु में कितने महीने होते हैं?
शरद ऋतु भारत में आमतौर पर सितंबर, अक्टूबर और नवम्बर में होती है। यह मौसम गर्मी और सर्दी के बीच का संक्रमणकाल होता है, जिसमें ठंडी और सुखद हवाएँ चलती हैं।
ग्रीष्म ऋतु कब आती है ?
भारत में ग्रीष्म ऋतु आमतौर पर मार्च के अंत से जून तक रहती है। शुरुआत: मार्च के अंतिम सप्ताह चरम गर्मी: मई अंत: जून के अंत तक, इसके बाद वर्षा ऋतु आती है।
हेमंत ऋतु कब आती है?
भारत में हेमंत ऋतु नवंबर और दिसंबर के महीनों में आती है। यह शरद ऋतु के बाद और शीत ऋतु से पहले आती है।
हेमंत ऋतु कौन‑सी ऋतुओं के बीच आती है?
पहले: शरद ऋतु (सितंबर–अक्टूबर) बाद में: शीत ऋतु (जनवरी–फरवरी)
Authored by, Aakriti Jain Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.