राष्ट्रपति की शक्तियां

राष्ट्रपति की शक्तियां: कर्तव्य,अधिकार और कार्यकाल 

Published on June 9, 2025
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राष्ट्रपति की शक्तियां

Quick Summary

  • राष्ट्रपति की शक्तियाँ भारत के संविधान के तहत महत्वपूर्ण होती हैं।
  • इसमें कार्यकारी, विधायी, न्यायिक, सैन्य और विवेकाधीन शक्तियाँ शामिल हैं।
  • राष्ट्रपति को संसद की बैठक बुलाने, विधेयकों पर हस्ताक्षर करने, न्यायाधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार होता है।
  • वे राष्ट्रीय सुरक्षा और आपातकाल की घोषणाएं भी कर सकते हैं।

Table of Contents

भारत के राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण और व्यापक हैं। राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य के अंतर्गत, वे न केवल देश के संवैधानिक प्रमुख होते हैं, बल्कि अनेक महत्वपूर्ण निर्णयों में उनकी विशेष भागीदारी होती है। यदि आप राष्ट्रपति की शक्तियों के बारे में जानना चाहते है, तो इस ब्लॉग को पूरा पढ़ें।

भारत के राष्ट्रपति के पास कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और वित्तीय जैसी व्यापक शक्तियाँ होती हैं। वे देश के औपचारिक प्रमुख होते हैं और सभी कार्यपालिका शक्तियाँ उनके नाम पर चलती हैं, हालांकि व्यवहार में वे अधिकांश निर्णय प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह से लेते हैं। इस ब्लॉग में आपको राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है, राष्ट्रपति पद की योग्यता, राष्ट्रपति का कार्यकाल, राष्ट्रपति पद की विशेषताएं, राष्ट्रपति की शक्तियां और राष्ट्रपति पद से जुड़ी अन्य पहलुओं से बारे में जानकारी मिलेगी।

राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? | Rashtrapati ka Chunav Kaise Hota Hai?

राष्ट्रपति पद का चुनाव खास प्रक्रियाओं के तहत होता हैं। यह प्रक्रियाएं भारतीय संविधान के अनुच्छेद 54 और 55 में उल्लिखित हैं। 

राष्ट्रपति की योग्यता (Rashtrapati ki Yogyata)

1नागरिकताराष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए भारत का नागरिक होना अनिवार्य है।
2आयुराष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार की आयु कम से कम 35 वर्ष होनी चाहिए।
3शिक्षाराष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार को किसी भी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक होना चाहिए।
4आपराधिक रिकॉर्डराष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार पर कोई आपराधिक मामला नहीं दर्ज होना चाहिए।
5पदराष्ट्रपति पद की योग्यता के लिए उम्मीदवार चुनाव से समय किसी भी लाभ के पद पर नहीं होना चाहिए, जैसे सरकारी नौकरी, संसद सदस्य, विधायक, इत्यादि।
6राजनीतिक अनुभवपिछला राजनीतिक अनुभव होना राष्ट्रपति पद की योग्यता में से एक है नहीं है लेकिन ये उम्मीदवार के लिए लाभकारी हो सकता है, जैसे कि गवर्नर, उपराष्ट्रपति या मंत्री होना।
राष्ट्रपति की योग्यता | (Rashtrapati ki Yogyata)

राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है? (Rashtrapati ka Chunav Kaisa Hota hai?)

  1. निर्वाचन मंडल: राष्ट्रपति का चुनाव एक विशेष निर्वाचन मंडल द्वारा किया जाता है, जिसमें संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) और राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।
  1. नामांकन: उम्मीदवार को राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित होने के लिए 50 प्रस्तावकों और 50 समर्थकों की आवश्यकता होती हैं, जो स्वयं भी निर्वाचन मंडल के सदस्य होने चाहिए।
  1. मतदान: मतदान गुप्त प्रणाली के तहत होता है। इसमें विशेष प्रकार की मतपत्र प्रणाली का उपयोग होता है जिसे ‘ट्रांसफरबल वोट’ कहते हैं। इसमें मतदाता अपनी प्राथमिकताएं दर्शाता है, जैसे पहली, दूसरी, तीसरी पसंद आदि।
  1. गणना: मतों की गिनती करते समय, पहली वरीयता वाले मतों की गणना की जाती हैं। अगर कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों का 50% से अधिक प्राप्त कर लेता है, तो वह राष्ट्रपति चुना जाता है। यदि नहीं, तो सबसे कम वोट पाने वाले उम्मीदवार को हटाकर उसके मत दूसरी वरीयता के अनुसार अन्य उम्मीदवारों में बांटे जाते हैं। यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाती है जब तक किसी उम्मीदवार को आवश्यक बहुमत नहीं मिल जाता।
  1. घोषणा: अंत में, सफल उम्मीदवार का नाम घोषित किया जाता है और उसे राष्ट्रपति के रूप में शपथ दिलाई जाती है।

राष्ट्रपति का कार्यकाल

भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। राष्ट्रपति का कार्यकाल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 56 में निर्धारित किया गया है। राष्ट्रपति अधिकतम दो बार चुनाव लड़ सकते हैं, यानी कुल 10 वर्ष तक पद पर रह सकते हैं। हालांकि, कुछ अपवाद भी हैं। उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति उपराष्ट्रपति के रूप में कार्यरत रहते हुए राष्ट्रपति बनते हैं, तो उनका शेष कार्यकाल राष्ट्रपति का कार्यकाल के रूप में गिना जाता है, मगर नए राष्ट्रपति का कार्यकाल के रूप में नहीं।

राष्ट्रपति पद की विशेषताएं

राष्ट्रपति पद की कई विशेषताएं और महत्व हैं जिन्हें कुछ इस प्रकार समझा जा सकता है:

राष्ट्रपति के कार्य 

  1. राष्ट्रपति संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) को बुलाते हैं, उन्हें संबोधित करते हैं, और उनका स्थगन करते हैं।
  2. वे मंत्रिमंडल का गठन करते हैं और प्रधानमंत्री तथा अन्य मंत्रियों को नियुक्त करवाते हैं।
  3. राष्ट्रपति विभिन्न न्यायाधीशों, राजदूतों, और अन्य महत्वपूर्ण अधिकारियों को नियुक्त करते हैं।
  4. वे संसद के किसी भी सदन को भंग कर सकते हैं।
  5. राष्ट्रपति उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति करते हैं।
  6. राष्ट्रपति मृत्युदंड को क्षमा, निलंबित या कम कर सकते हैं।
  7. वे सशस्त्र बलों के सर्वोच्च सेनापति होते हैं।
  8. वे विभिन्न राष्ट्रीय सम्मान और पुरस्कार प्रदान करते हैं।
  9. वे जरूरत पड़ने पर राष्ट्रपति शासन को लागू करते हैं।

भारत में राष्ट्रपति का महत्व 

  1. संवैधानिक प्रमुख: राष्ट्रपति देश के संविधान की रक्षा और पालन के लिए जिम्मेदार होते हैं। वे सुनिश्चित करते हैं कि सरकार संवैधानिक ढांचे के तहत काम करे।
  2. राष्ट्रीय एकता का प्रतीक: राष्ट्रपति पूरे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं और राष्ट्रीय एकता और अखंडता का प्रतीक होते हैं।
  3. कार्यपालिका का प्रमुख: राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की सलाह पर कार्य करते हैं, लेकिन विशेष परिस्थितियों में स्वतंत्र निर्णय भी ले सकते हैं।
  4. आपातकालीन शक्तियां: संकट की स्थिति में, राष्ट्रपति देश में आपातकाल लगा सकते हैं, जो सरकार को अतिरिक्त शक्तियां देता है।
  5. सेना के सर्वोच्च कमांडर: राष्ट्रपति देश की सेना के सर्वोच्च कमांडर होते हैं और महत्वपूर्ण रक्षा निर्णयों में उनकी भूमिका होती है।

राष्ट्रपति के कार्यों एवं शक्तियों का वर्णन कीजिए | Rashtrapati ke karya

Rashtrapati ki Shaktiyan और कार्य में राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां, कार्यकारी शक्तियां, न्यायिक शक्तियां, आपातकालीन शक्तियां और वित्तीय शक्तियां सामिल हैं।

  • राष्ट्रपति संघ की सभी कार्यपालिका शक्तियों का प्रयोग करता है, जैसा कि संविधान के अनुच्छेद 53 में उल्लेखित है।
  • वे भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं।
  • राष्ट्रपति प्रधानमंत्री और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति करते हैं, जो अनुच्छेद 64 में वर्णित है।
  • वे भारत के महान्यायवादी (Attorney General) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति भी करते हैं।

राष्ट्रपति की विधायी शक्तियां

  • विधेयकों पर स्वीकृति:
    संसद द्वारा पारित किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति आवश्यक होती है। राष्ट्रपति इसे मंजूरी दे सकते हैं, अस्वीकार कर सकते हैं, या पुनर्विचार के लिए संसद को लौटा सकते हैं (सिवाय धन विधेयकों के)।
  • अध्यादेश जारी करना:
    संसद के सत्र में न रहने पर और तत्काल कानून की आवश्यकता होने पर, राष्ट्रपति अध्यादेश जारी कर सकते हैं। ये अध्यादेश संसद द्वारा पारित कानून के समान प्रभावी होते हैं जब तक संसद इन्हें रद्द या पारित नहीं कर देती।
  • संयुक्त सदन को संबोधित करना:
    राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा के संयुक्त सत्र को संबोधित कर सकते हैं, विशेष रूप से संसद के पहले सत्र में। इस अभिभाषण में सरकार की नीतियों और प्राथमिकताओं की रूपरेखा प्रस्तुत की जाती है।
  • लोकसभा को भंग करना:
    असाधारण परिस्थितियों में—जैसे सरकार का बहुमत खोना या राजनीतिक गतिरोध—राष्ट्रपति लोकसभा को भंग कर सकते हैं और नए चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर सकते हैं।
  • राज्य विधानसभा चुनावों में हस्तक्षेप:
    यदि किसी राज्य में निष्पक्ष चुनाव संभव न हो, तो राष्ट्रपति आवश्यक हस्तक्षेप कर सकते हैं। वे राज्यपाल को विधानसभा भंग करने या राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्देश दे सकते हैं।

राष्ट्रपति के अधिकार | Rashtrapati ke Adhikar

राष्ट्रपति के अधिकार मुख्य रूप से चार श्रेणियों में बांटे जा सकते हैं:

1. कार्यकारी अधिकार

  • संघ की सभी कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति के पास होती हैं।
  • प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल की सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति।
  • सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर होना।
  • भारत के महान्यायवादी (Attorney General) और नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति।

2. विधायी अधिकार

  • संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) की बैठक बुलाने का अधिकार।
  • विधेयक को स्वीकृति देना या अस्वीकार करना।
  • संवैधानिक संशोधन प्रस्ताव को मंजूरी देना।
  • संसद के सदस्यों को बुलाने या स्थगित करने का अधिकार।
  • कानून बनाने के लिए आवश्यक निर्देश देना।

3. न्यायिक अधिकार

  • दया और क्षमा की शक्तियाँ (फांसी की सजा में भी)।
  • किसी मामले में पुनर्विचार या क्षमा याचिका पर निर्णय लेना।
  • न्यायालयों द्वारा दिए गए निर्णयों के खिलाफ अंतिम अपील का अधिकार।

4. सैन्य अधिकार

  • सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर।
  • युद्ध घोषित करने या समाप्त करने की सिफारिश।
  • सेना के प्रमुखों की नियुक्ति।
  • सशस्त्र बलों के संचालन के लिए आदेश देना।

5. वित्तीय अधिकार

  • बजट पेश करने और वित्तीय मामलों में निगरानी।
  • धनराशि के वितरण और उपयोग की स्वीकृति।

6. अन्य अधिकार

  • आपातकाल की घोषणा करना।
  • राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू करना।
  • राजदूतों की नियुक्ति और स्वीकार करना।

अगर आप चाहें तो इन अधिकारों पर विस्तार से भी जानकारी दे सकता हूँ।

भारत के राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियाँ – विस्तृत विवरण

भारत के राष्ट्रपति, भारतीय संविधान के अनुसार, देश की सशस्त्र सेनाओं के सर्वोच्च कमांडर होते हैं। उनकी सैन्य शक्तियाँ राष्ट्रीय सुरक्षा, आपातकालीन परिस्थितियों और युद्धकालीन निर्णयों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये शक्तियाँ मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं:

1. सशस्त्र सेनाओं का सर्वोच्च कमांडर (अनुच्छेद 53(2))

राष्ट्रपति भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना के सर्वोच्च कमांडर होते हैं।

  • यह अधिकार उन्हें औपचारिक रूप से तीनों सेनाओं के प्रमुखों (Chiefs of Staff) की नियुक्ति, पदोन्नति और बर्खास्तगी का अधिकार देता है।
  • हालांकि ये निर्णय सामान्यतः रक्षा मंत्रालय और कैबिनेट की सलाह पर लिए जाते हैं, फिर भी राष्ट्रपति का अनुमोदन आवश्यक होता है।

2. युद्ध और शांति की घोषणा

राष्ट्रपति को यह अधिकार है कि वह:

  • युद्ध की घोषणा,
  • शांति संधि, या
  • किसी विदेशी देश के साथ सैन्य समझौते कर सकते हैं,
    लेकिन ये सभी कार्य संसद की मंजूरी के अधीन होते हैं।
    इसका मतलब है कि राष्ट्रपति बिना संसद की अनुमति के कोई युद्ध आरंभ नहीं कर सकते।

3. सैन्य सम्मान और पदवी प्रदान करना

राष्ट्रपति को सैन्य कर्मियों को वीरता पुरस्कार (जैसे परमवीर चक्र, महावीर चक्र आदि) और उच्च सैन्य उपाधियाँ प्रदान करने का भी अधिकार होता है।

4. आपातकालीन स्थिति में सैन्य निर्णय

राष्ट्रपति को राष्ट्रीय आपातकाल या युद्ध की स्थिति में, रक्षा सेवाओं को सक्रिय करने, विशेष शक्तियाँ सौंपने और अतिरिक्त सैन्य प्रावधानों को लागू करने का अधिकार होता है।

राष्ट्रपति की कार्यकारी शक्तियां

  • अनुच्छेद 53 के अनुसार, भारत की समस्त कार्यकारी शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित होती हैं। साथ ही, राष्ट्रपति देश के सभी सशस्त्र बलों का सर्वोच्च सेनापति होता है।
  • नियुक्ति की शक्ति: राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री, मंत्रियों, राज्यपालों, उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों, और अन्य प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति करने की शक्ति होती हैं।
  • सेना का सुप्रीम कमांडर: राष्ट्रपति भारतीय सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं और सेना के प्रमुख अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं।

राष्ट्रपति की न्यायिक शक्तियां

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत, राष्ट्रपति को क्षमादान और दंडात्मक मामलों में कुछ महत्वपूर्ण शक्तियां प्राप्त हैं। राष्ट्रपति निम्नलिखित अपराधों के लिए व्यक्तियों को क्षमादान दे सकते हैं:

  1. सैन्य न्यायालयों द्वारा किए गए अपराध
  2. केंद्र शासित प्रदेशों में किए गए अपराध
  3. सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट द्वारा सजा सुनाए गए अपराध (केवल कुछ मामलों में)

क्षमादान पूर्ण या आंशिक हो सकता है, या सजा को किसी अन्य सजा में बदला जा सकता है। राष्ट्रपति किसी भी मामले में क्षमादान देने से इनकार भी कर सकते हैं। राष्ट्रपति निम्नलिखित मामलों में दंडात्मक शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं:

  1. फांसी की सजा को माफ करना या कम करना
  2. जेल की सजा को कम करना या माफ करना
  3. जुर्माना लगाना
  4. सजा को किसी अन्य सजा में बदलना
  5. राष्ट्रपति मृत्युदंड को माफ या निलंबित कर सकते हैं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाई गई मृत्युदंड को केवल कुछ मामलों में ही माफ कर सकते हैं।

कोई न्यायालय राष्ट्रपति के इस निर्णय को पुनरीक्षण या चुनौती नहीं दे सकता। राष्ट्रपति इन शक्तियों का प्रयोग न्यायिक सलाह और मंत्रिमंडल की सिफारिशों पर करते हैं।

राष्ट्रपति की आपातकालीन शक्तियां

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 352 से 360 के तहत राष्ट्रपति को कुछ विशेष आपातकालीन शक्तियां प्रदान की गई हैं। इन शक्तियों का प्रयोग राष्ट्रपति देश में उत्पन्न गंभीर परिस्थितियों से निपटने के लिए कर सकते हैं।

राष्ट्रपति युद्ध, बाहरी आक्रमण, सशस्त्र विद्रोह या राज्य में संवैधानिक व्यवस्था के टूटने की स्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। यह घोषणा आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित होने के बाद तुरंत प्रभावी हो जाती है। आपातकाल के दौरान राष्ट्रपति की शक्तियां कुछ इस प्रकार हैं:

  • मौलिक अधिकारों को निलंबित करना: आपातकाल के दौरान, राष्ट्रपति अनुच्छेद 19 में वर्णित कुछ मौलिक अधिकारों को निलंबित कर सकते हैं, जैसे भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सभा और संघ बनाने की स्वतंत्रता।
  • कानून बनाना: आपातकाल के दौरान, राष्ट्रपति संसद की सहमति के बिना भी कानून बना सकते हैं।
  • राज्य सरकारों को भंग करना: यदि राष्ट्रपति को यह विश्वास हो जाता है कि कोई राज्य सरकार संविधान का उल्लंघन कर रही है या देश की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रही है, तो वे उस राज्य सरकार को भंग कर सकते हैं और राज्यपाल शासन लागू कर सकते हैं।
  • न्यायपालिका पर नियंत्रण: आपातकाल के दौरान, राष्ट्रपति उच्च न्यायालयों और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति और बर्खास्तगी पर अधिक नियंत्रण रख सकते हैं।

राष्ट्रपति किसी भी समय आपातकाल की समाप्ति की घोषणा कर सकते हैं। यदि संसद आपातकाल की अवधि को बढ़ाने से इनकार करती है, तो आपातकाल स्वतः समाप्त हो जाता है।

राष्ट्रपति की वित्तीय शक्तियां

1. धन विधेयकों पर सहमति: कोई भी धन विधेयक (जो सरकार के खर्च से संबंधित होता है) राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति के बिना लोकसभा में पेश नहीं किया जा सकता है। राष्ट्रपति धन विधेयक को स्वीकार कर सकते हैं, अस्वीकार कर सकते हैं या उस पर संशोधन के लिए वापस भेज सकते हैं।

2. अनुदान की मांग: मंत्रिमंडल राष्ट्रपति से अनुदान की मांग कर सकता है जो सरकार के विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के लिए धन प्रदान करता है। राष्ट्रपति इन मांगों पर विचार करते हैं और उनके अनुसार अनुमोदन करते हैं।

3. आकस्मिक निधि: राष्ट्रपति के पास आकस्मिक निधि होती है, जिसका उपयोग अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाता है। वे इस निधि से एडवांस फंड भी मंजूर कर सकते हैं।

4. वित्तीय आपातकाल: यदि राष्ट्रपति यह मानते हैं कि देश में वित्तीय संकट की स्थिति है, तो वे वित्तीय आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं। इस स्थिति में, वे मौद्रिक नीति से संबंधित कुछ शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं।

5. ऋण और उधार: राष्ट्रपति भारत सरकार की ओर से ऋण लेने और उधार देने के लिए अधिकृत हैं। वे विदेशी सरकारों और अंतरराष्ट्रीय संस्थानों से ऋण प्राप्त करने के लिए समझौते भी कर सकते हैं।

6. लेखा परीक्षा और जवाबदेही: राष्ट्रपति, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति करते हैं, जो सरकारी खर्चों का लेखा परीक्षण करता है। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सरकार वित्तीय मामलों में जवाबदेह हो।

राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियां क्या हैं?

राष्ट्रपति की सैन्य शक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

  1. राष्ट्रपति भारत के सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं।
  2. वे सेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों की नियुक्ति करते हैं।
  3. युद्ध घोषित करने या युद्ध समाप्त करने की सिफारिश राष्ट्रपति के नाम से संसद के समक्ष रखी जाती है।
  4. राष्ट्रपति सेना को युद्ध या शांति की स्थिति में संचालन का अधिकार देते हैं।
  5. वे सशस्त्र बलों के लिए आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं।

ये शक्तियाँ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 53 और 78 के तहत दी गई हैं।

राष्ट्रपति की अन्य विशेषताएं 

प्रमुख राष्ट्रपति की विशेषताओं के अलावा राष्ट्रपति की कई अन्य विशेषताएं और सुविधाएं भी हैं।

राष्ट्रपति पद की उपयोगिता 

वे राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रतीक हैं, जो विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, और भाषाई समूहों के बीच सामंजस्य स्थापित करते हैं। संकट के समय, जैसे कि आपातकाल, राष्ट्रपति की भूमिका और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि वे विशेष शक्तियों का प्रयोग कर सकते हैं। उनके हस्ताक्षर सभी विधेयकों और आदेशों को वैधानिकता प्रदान करते हैं, जिससे सरकार के कार्यों में निरंतरता बनी रहती है।

राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा 

राष्ट्रपति और राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा अत्यधिक कड़ी होती है। राष्ट्रपति की सुरक्षा का जिम्मा राष्ट्रपति अंगरक्षक (PBG) और स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) पर होता है। ये दोनों सुरक्षा बल अत्याधुनिक हथियारों और तकनीकों से लैस होते हैं।

राष्ट्रपति भवन की सुरक्षा के लिए कई चरणों की जांच होती है, जिसमें CCTV, बायोमेट्रिक स्कैन, और अन्य सुरक्षा उपाय शामिल होते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति भवन के आस-पास का क्षेत्र भी हमेशा कड़ी निगरानी में रहता है। इन सुरक्षा प्रबंधों का मुख्य उद्देश्य राष्ट्रपति और उनके आवास को किसी भी प्रकार के खतरे से बचाना है।

राष्ट्रपति को कौन-सी सुविधाएँ मिलती है?

राष्ट्रपति को निम्नलिखित सुविधाएँ मिलती हैं:

  • रहने के लिए निवास स्थान: राष्ट्रपति भवन में रहने की सुविधा, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाएँ उपलब्ध हैं।
  • आधिकारिक वाहन: राष्ट्रपति के लिए विशेष रूप से तैयार किए गए सरकारी वाहन।
  • सुरक्षा: राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए विशेष सुरक्षा बल (SPG) और राष्ट्रपति अंगरक्षक (PBG) की व्यवस्था।
  • स्वास्थ्य सेवाएँ: सर्वोत्तम चिकित्सा सुविधाएँ और सेवाएं।
  • स्वतंत्र स्टाफ: निजी स्टाफ के माध्यम से समुचित प्रशासनिक और कार्यकारी सहयोग।
  • विशेष विमान और हेलिकॉप्टर: देश-विदेश की यात्राओं के लिए विशेष विमान और हेलिकॉप्टर उपलब्ध।
  • सेवानिवृत्ति के बाद सुविधाएँ: सेवानिवृत्ति के बाद भी पेंशन, आवास, और सुरक्षा जैसी सुविधाएँ।
  • संपत्ति और खर्च: सरकारी निधि से वित्तीय प्रबंधन, जिससे राष्ट्रपति अपने कर्तव्यों को निर्बाध रूप से निभा सकें।

निष्कर्ष

राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो सरकार के सुचारू संचालन और देश के विकास में अहम भूमिका निभाती हैं। इन शक्तियों के सही और संतुलित उपयोग से न केवल शासन प्रणाली में स्थिरता बनी रहती है, बल्कि नागरिकों का विश्वास भी कायम रहता है। राष्ट्रपति की कार्यकारी, विधायी, न्यायिक और वित्तीय शक्तियाँ संविधान द्वारा निर्धारित हैं, जो उन्हें देश का सर्वोच्च संवैधानिक पद बनाती हैं।

इस ब्लॉग में आपको राष्ट्रपति पद का चुनाव कैसे होता है, राष्ट्रपति पद की योग्यता, राष्ट्रपति का कार्यकाल, राष्ट्रपति पद की विशेषताएं, राष्ट्रपति की शक्तियां बताइए, राष्ट्रपति के कार्य और राष्ट्रपति की अन्य विशेषताओं के बारे में विस्तार से जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

राष्ट्रपति की शक्तियां कौन-कौन सी होती हैं?

राष्ट्रपति की शक्तियां है कार्यकारी, विधायी, न्यायिक, सैन्य और विवेकाधीश शक्ति शामिल हैं। वह संसद की बैठक बुला सकते हैं, विधेयकों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, न्यायाधीशों की नियुक्ति कर सकते हैं, रक्षा बलों के सर्वोच्च कमांडर होते हैं और कुछ मामलों में दया की शक्ति रखते हैं। इसके अलावा, राष्ट्रपति को अपील पर फैसले करने, आपातकाल की घोषणा करने और विदेशी मामलों में निर्णय लेने का भी अधिकार होता है।

राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों के बारे में निम्नलिखित में से कौन सा सत्य नहीं है?

राष्ट्रपति की विधायी शक्तियों के बारे में यह सत्य नहीं है कि वे किसी बिल को निरस्त कर सकते हैं। राष्ट्रपति के पास केवल बिल को वापस संसद में विचार के लिए भेजने का अधिकार होता है, जिससे संसद फिर से उसे संशोधित या पुनः पारित कर सकती है। राष्ट्रपति को किसी बिल को पूरी तरह से निरस्त करने का अधिकार नहीं है। वे केवल उस पर अपनी सहमति दे सकते हैं, या उसे वापस भेज सकते हैं।

राष्ट्रपति की विवेकाधीन शक्तियां कौन-कौन सी हैं?

राष्ट्रपति की विवेकाधीन शक्तियां:
किसी बिल को वापस करना
प्रधानमंत्री की नियुक्ति
सैन्य बलों का कमांड
राज्यपाल की नियुक्ति

उपराष्ट्रपति की शक्तियां क्या हैं?

उपराष्ट्रपति की शक्तियाँ मुख्य रूप से निम्नलिखित हैं:
– राज्यसभा के सभापति के रूप में कार्य करना और कार्यवाही की अध्यक्षता करना।
– राज्यसभा के चुनावों की देखरेख और सदस्यों की योग्यताओं की समीक्षा करना।
– राष्ट्रपति की अस्थायी भूमिका निभाना यदि राष्ट्रपति की मृत्यु या अयोग्यता हो।
– संसद के दोनों सदनों के बीच समन्वय रखना।

राष्ट्रपति की वीटो पावर क्या है?

राष्ट्रपति की वीटो पावर का मतलब है कि वे संसद द्वारा पारित विधेयकों को अस्वीकार या संशोधित कर सकते हैं। इसके तीन प्रकार होते हैं: सस्पेंशिव, पार्लियामेंट्री, और पोस्टपोनमेंट वीटो। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी विधेयक संविधान के खिलाफ न हो और देशहित में हो।

भारतीय संविधान का प्रारूप 1948,अनुच्छेद 42 क्या है?

अनुच्छेद 42, भारतीय संविधान का प्रारूप 1948
(1) संघ की कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में निहित होगी और वह इसका प्रयोग संविधान तथा कानून के अनुसार कर सकेगा।
(2) पूर्वगामी उपबंध की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, भारत के रक्षा बलों की सर्वोच्च कमान राष्ट्रपति में निहित होगी और उसका प्रयोग विधि द्वारा विनियमित होगा।
(3) इस अनुच्छेद की कोई बात-
(क) किसी राज्य सरकार या अन्य प्राधिकरण को किसी विद्यमान कानून द्वारा प्रदत्त कोई भी कार्य राष्ट्रपति को हस्तांतरित करने वाला समझा जाएगा, या
(ख) संसद को राष्ट्रपति के अलावा अन्य प्राधिकारियों को विधि द्वारा कार्य सौंपने से रोकना।

राष्ट्रपति की पांच न्यायिक शक्तियां क्या हैं?

राष्ट्रपति की पाँच प्रमुख न्यायिक शक्तियाँ निम्नलिखित हैं:
क्षमा (Pardon) देने की शक्ति – राष्ट्रपति किसी अपराधी को पूर्ण क्षमा प्रदान कर सकते हैं।
दंड को निलंबित (Suspension) करने की शक्ति – सज़ा को कुछ समय के लिए स्थगित कर सकते हैं।
दंड में कमी (Commutation) करने की शक्ति – सज़ा की अवधि या प्रकृति को कम कर सकते हैं।
दंड को उपशमन (Remission) करने की शक्ति – सज़ा की अवधि को घटा सकते हैं, बिना सज़ा की प्रकृति बदले।
दंड को स्थगित (Respite) करने की शक्ति – विशेष परिस्थितियों में (जैसे गर्भवती महिला) सज़ा में ढील दे सकते हैं।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.