Quick Summary
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसम्बर 1887 को तमिलनाडु के इरोड में हुआ। बचपन से ही वे गणित में अद्भुत प्रतिभाशाली थे और 11 साल की उम्र तक कठिन प्रमेयों को हल करने लगे थे। औपचारिक शिक्षा अधूरी रहने के बावजूद उन्होंने गणित पर गहन कार्य जारी रखा और लगभग 3900 से अधिक प्रमेय खोजे। 1913 में उनकी प्रतिभा इंग्लैंड के गणितज्ञ जी.एच. हार्डी की नजर में आई और वे कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय पहुँचे।
वहाँ उन्होंने संख्या सिद्धांत, अनंत श्रेणियाँ और निरंतर भिन्नों पर क्रांतिकारी योगदान दिए। 1918 में वे रॉयल सोसाइटी के सदस्य चुने गए और ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज के फेलो बनने वाले पहले भारतीय बने। कम उम्र में ही स्वास्थ्य समस्याओं के कारण 26 अप्रैल 1920 को मात्र 32 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उनकी खोजें आज भी गणित और आधुनिक विज्ञान में उपयोगी हैं। भारत सरकार ने उनकी स्मृति में 22 दिसम्बर को “राष्ट्रीय गणित दिवस” घोषित किया।

| मुख्य तथ्य | विवरण |
| जन्म तिथि | 22 दिसंबर 1887 |
| जन्म स्थान | इरोड, तमिलनाडु |
| मुख्य क्षेत्र | गणितीय विश्लेषण, संख्या सिद्धांत |
| प्रमुख खोज | हार्डी-रामानुजन संख्या, प्रमेय |
| मृत्यु | 26 अप्रैल 1920 |
| महत्वपूर्ण संबंध | जी.एच. हार्डी (गणितज्ञ) |
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1887 को तमिलनाडु के इरोड नामक स्थान पर हुआ। उनका परिवार आर्थिक रूप से कमजोर था, लेकिन शिक्षा और संस्कारों को हमेशा प्राथमिकता दी जाती थी। बचपन से ही रामानुजन ने अपनी असाधारण गणितीय प्रतिभा से सभी को चौंका दिया। जब उनके साथी खेल-कूद में व्यस्त रहते, रामानुजन गणितीय पहेलियों और सवालों को हल करने में अपना समय बिताते थे उनके मन में गणित के प्रति इतना गहरा जुनून था कि वह दिन-रात इसकी जटिलताओं को सुलझाने में लगे रहते।
रामानुजन का जीवन परिचय उनकी कठिनाइयों और संघर्षों की प्रेरणादायक कहानी है। आर्थिक तंगी के बावजूद, उनके माता-पिता ने उनकी शिक्षा पर ध्यान दिया, लेकिन संसाधनों की कमी ने कई बार उनकी राह में रुकावटें डालीं। फिर भी, रामानुजन ने कभी हार नहीं मानी और अपनी मेहनत और लगन से ऐसा मुकाम हासिल किया, जो आज भी दुनिया भर के गणित प्रेमियों को प्रेरणा देता है।
रामानुजन ने बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के ऐसे गणितीय सिद्धांत दिए जो दुनिया भर के विद्वानों को चकित कर गए। उन्होंने यह साबित किया कि सच्ची प्रतिभा साधनों की मोहताज नहीं होती।
उन्होंने प्रोफेसर हार्डी के साथ मिलकर भारतीय गणित को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी खोजों ने भारत और इंग्लैंड के गणितज्ञों को जोड़ने का कार्य किया।
रामानुजन ने संख्या सिद्धांत, मॉक थेटा फंक्शन, π (पाई) की सटीक गणना, और इन्फिनाइट सीरीज़ जैसे जटिल विषयों में मौलिक योगदान दिया, जिससे कई नई शाखाएँ विकसित हुईं।
आज भी उनकी खोजों का उपयोग ब्लैक होल, क्वांटम फिजिक्स, और क्रिप्टोग्राफी जैसे क्षेत्रों में किया जा रहा है। वे आधुनिक विज्ञान की नींव मजबूत करने वाले वैज्ञानिक बने।
रामानुजन की उपलब्धियाँ भारत की वैज्ञानिक प्रतिभा और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक बन गईं। उन्होंने यह दिखाया कि भारत गणित और ज्ञान की भूमि है।
उनका जीवन आज भी छात्रों, शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों के लिए प्रेरणा है। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने उच्चतम शिखर को छुआ।
भारत सरकार ने उनकी स्मृति में 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस घोषित किया। यह उनकी स्थायी भूमिका को दर्शाता है।
जुलाई 1909 में , उन्होंने जानकीअम्मल से विवाह किया। वे बीमार हो गए और 1910 के आसपास उनकी सर्जरी हुई। अपनी सफल सर्जरी के बाद, उन्होंने नौकरी की तलाश की। उन्होंने मद्रास के प्रेसीडेंसी कॉलेज में छात्रों को ट्यूशन भी दिया, जो अपनी फेलो ऑफ़ आर्ट्स परीक्षा की तैयारी कर रहे थे। 1910 में, उनकी मुलाकात वी. रामास्वामी अय्यर से हुई, जिन्होंने भारतीय गणितीय सोसायटी की स्थापना की। उन्होंने उन्हें मना लिया और किस्मत ने साथ दिया, और परिणामस्वरूप, अय्यर की मदद से, उनका काम भारतीय गणितीय सोसायटी के जर्नल में प्रकाशित हुआ था।
उन्हें 1912 में मद्रास पोर्ट ट्रस्ट के साथ एक लेखा लिपिक के रूप में नौकरी मिल गई और उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ। उनकी बुद्धिमत्ता और प्रतिभा ने धीरे-धीरे पहचान हासिल की और उन्होंने 1913 में ब्रिटिश गणितज्ञ गॉडफ्रे एच. हार्डी के साथ पत्राचार शुरू किया, जिसके कारण उन्हें मद्रास विश्वविद्यालय से विशेष छात्रवृत्ति और कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से अनुदान मिला।
श्रीनिवास रामानुजन का इंग्लैंड में समय, विशेष रूप से कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में, उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण काल था, जो महत्वपूर्ण गणितीय योगदान, सहयोग द्वारा चिह्नित था। यहाँ इंग्लैंड में उनके समय का कालानुक्रमिक विवरण दिया गया है।
1914 में श्रीनिवास रामानुजन इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के ट्रिनिटी कॉलेज पहुँचे, जो ब्रिटेन के सबसे प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों में से एक था। वहाँ उनकी मुलाकात महान गणितज्ञ जी. एच. हार्डी से हुई और दोनों ने मिलकर गणित के क्षेत्र में अनेक क्रांतिकारी योगदान दिए। विशेष रूप से Partition function के लिए Asymptotic formula और कई मौलिक परिणामों ने गणित की नई दिशाएँ खोलीं। उनकी प्रतिभा और खोजों को देखते हुए 1918 में रामानुजन को रॉयल सोसाइटी का फेलो चुना गया, और वे ट्रिनिटी कॉलेज के पहले भारतीय फेलो बने। यह सम्मान न केवल उनकी असाधारण क्षमताओं की मान्यता थी बल्कि इसने उन्हें विश्व गणित जगत में अमर कर दिया।
श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के कई क्षेत्रों में जरूरी योगदान दिया। उनकी खोजें इतनी खास थीं कि उन्हें गणित का जादूगर कहा जाने लगा। उन्होंने गणितीय सूत्र, प्रमेय और संख्या सिद्धांत के कई ऐसे पहलू ढूंढे, जिन्हें समझना आसान नहीं था। रामानुजन ने किसकी खोज की इस सवाल का जवाब आज भी गणितज्ञों के लिए बहुत अहम है। उन्होंने गणित में नई अनंत श्रेणियाँ और विशेष प्रकार की संख्याएँ खोजी , जो गणित के लिए बहुत जरूरी साबित हुईं।
इसके अलावा, उन्होंने कई प्रमेय भी खोजे, जो आज भी गणित के अध्ययन में काम आते हैं। उनकी खोजों ने गणित की दुनिया को एक नई दिशा दी, और रामानुजन का जीवन परिचय इस बात का उदाहरण है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी अद्वितीय सोच और लगन से दुनिया को नया दृष्टिकोण दे सकता है।
| खोज/योगदान | विवरण |
| अनंत श्रेणी सूत्र (Infinite Series Formulas) | रामानुजन ने गणित में अनंत श्रृंखलाओं को लेकर कई अद्भुत सूत्र तैयार किए। इनमें से कुछ हाइपरजियोमेट्रिक श्रृंखला से जुड़े थे, जो उस समय के लिए बिल्कुल नए और चौंकाने वाले थे। |
| रामानुजन-हार्डी संख्या (Ramanujan-Hardy Number) (1729) | 1729 एक ऐसी संख्या है, जिसे दो अलग-अलग तरीकों से दो घनों के योग के रूप में लिखा जा सकता है — यह गणित की दुनिया में खास इसलिए मानी जाती है क्योंकि यह सबसे छोटा ऐसा धनात्मक पूर्णांक है। हार्डी और रामानुजन के बीच हुई प्रसिद्ध बातचीत के कारण यह “रामानुजन-हार्डी संख्या” के रूप में मशहूर हुई। |
| मॉक थीटा फंक्शन्स (Mock Theta Functions) | रामानुजन ने मॉड्यूलर रूपों और संख्या सिद्धांत की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए मॉक थीटा फंक्शन की अवधारणा दी, जो उस समय के गणितज्ञों के लिए बिल्कुल नई और रहस्यमयी थी। |
| विभाजन फ़ंक्शन और सर्वांगसमताएँ (Partition Function and Congruences) | उन्होंने विभाजन फ़ंक्शन की बारीकियाँ उजागर कीं — यह वही फ़ंक्शन है जो बताता है कि किसी संख्या को कितने तरीकों से विभाजित किया जा सकता है। इसके साथ ही, उन्होंने उसमें छुपी कुछ रोचक संख्यात्मक संगतताएँ खोजीं, जो संख्या सिद्धांत में बहुत महत्वपूर्ण साबित हुईं। |
| रामानुजन प्राइम और टौ फंक्शन (Ramanujan Prime and Tau Function) | रामानुजन ने ‘रामानुजन प्राइम’ की धारणा को सामने रखा और मॉड्यूलर रूपों से जुड़े ‘टौ फंक्शन’ में भी उल्लेखनीय योगदान दिया, जिसने गणित की इस शाखा को और समृद्ध किया। |
| थीटा और अण्डाकार फ़ंक्शन (Theta Functions and Elliptic Functions) | उन्होंने थीटा फंक्शन्स और अण्डाकार फंक्शन्स पर गहन अध्ययन किया। उनके काम ने इन जटिल गणितीय अवधारणाओं को बेहतर समझने में दुनिया भर के गणितज्ञों की मदद की। |
| एकीकृत सिद्धांत (Unified Theories) | रामानुजन की सबसे अद्भुत बात यह थी कि वे अलग-अलग गणितीय विचारों को एक साथ जोड़कर देखने की क्षमता रखते थे। उन्होंने गणित को सिर्फ टुकड़ों में नहीं देखा, बल्कि उसे एक समग्र दृष्टिकोण से समझने और समझाने की कोशिश की। |
| जी. एच. हार्डी के साथ सहयोग (Collaboration with G. H. Hardy) | रामानुजन और हार्डी की साझेदारी गणित के इतिहास में बेहद खास मानी जाती है। उनके बीच की मित्रता और बौद्धिक संवाद ने कई शोध पत्रों और नई खोजों को जन्म दिया, जो आज भी गणित की दुनिया में अहम स्थान रखते हैं। |
श्रीनिवास रामानुजन ने कई जटिल गणितीय सूत्र और प्रमेय दिए, जिन्हें आज भी गणित की पढ़ाई में जरूरी स्थान प्राप्त है। उनके कई सूत्र बिना प्रमाण के थे, लेकिन बाद में वैज्ञानिकों ने उन्हें सही साबित किया। उनके द्वारा खोजे गए प्रमेय ज्यादातर संख्या सिद्धांत, अनंत श्रृंखला और गणितीय विश्लेषण से संबंधित थे, जो रामानुजन का जीवन परिचय और उनके कार्यों की महत्वपूर्ण झलक प्रदान करते हैं।

आपने कभी सुना है, हार्डी-रामानुजन संख्या 1729 के बारे में? यह संख्या गणित में बेहद खास है, क्योंकि इसे दो अलग-अलग तरीकों से दो घन संख्याओं के जोड़ के रूप में लिखा जा सकता है। यह सवाल रामानुजन ने किसकी खोज की का जवाब भी देता है, क्योंकि रामानुजन ने ही इस संख्या को गणित में खास रूप से प्रस्तुत किया था।
उनकी गणितीय सोच और अविश्वसनीय खोजों ने इसे एक प्रतिष्ठित संख्या बना दिया। एक दिलचस्प घटना में , जब हार्डी ने रामानुजन को अस्पताल में देखा , तो उन्होंने 1729 को “उबाऊ संख्या” कहा। लेकिन श्रीनिवास रामानुजन ने तुरंत जवाब दिया, “यह तो एक खास संख्या है” इस जवाब से उनकी तेज़ और गहरी सोच का पता चलता है, जो गणित की दुनिया में एक अमूल्य धरोहर बन गई।
संख्या सिद्धांत के क्षेत्र में श्रीनिवास रामानुजन का योगदान बेहद खास है। उन्होंने विभाजन सिद्धांत, मॉड्यूलर फार्म और अनंत श्रृंखला जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण काम किया। यह भी याद रखना जरूरी है कि रामानुजन ने किसकी खोज की इस सवाल का उत्तर इन सभी क्षेत्रों में उनकी महान खोजों के माध्यम से मिलता है। उनकी खोजों ने गणित के इस क्षेत्र को नई दिशा दी और आज भी गणितज्ञ उनके काम का इस्तेमाल कर रहे हैं।
उनके इस शोध ने गणितीय विश्लेषण को पूरी तरह से नया मोड़ दिया और उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। और इन खोजों ने गणित की दुनिया को पूरी तरह से बदलकर रख दिया और आज भी गणितज्ञ उनके काम का उपयोग करते हैं। रामानुजन का जीवन परिचय यह दिखाता है कि कैसे एक व्यक्ति अपनी अद्वितीय सोच और मेहनत से गणित के क्षेत्र में स्थायी बदलाव ला सकता है।
श्रीनिवास रामानुजन के काम को उनकी किताबों और नोटबुक्स में संजोया गया है। श्रीनिवास रामानुजन की किताबें उनके गणितीय योगदान और खोजों का एक महत्वपूर्ण स्रोत हैं, जिन्हें पढ़कर गणितज्ञ आज भी नई प्रेरणा प्राप्त करते हैं।

श्रीनिवास रामानुजन के काम का आधुनिक गणित पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उनके सूत्र और प्रमेय आज भी गणित की कई शाखाओं में इस्तेमाल होते हैं। उनके काम ने भारतीय गणित को विश्व स्तर पर पहचान दिलाई और गणित के क्षेत्र में नए रास्ते खोले। उनके शोध मॉड्यूलर फार्म, गणितीय विश्लेषण और भौतिकी के सिद्धांतों में भी मददगार साबित हुए। रामानुजन का जीवन परिचय उनके इस योगदान की गवाही देता है, जो गणित में नई उम्मीद और नए दृष्टिकोण का कारण बना।
श्रीनिवास रामानुजन को उनके योगदान के लिए कई सम्मान और उपलब्धियाँ प्राप्त हुईं। उन्होंने गणित के क्षेत्र में जो काम किया, वह आज भी सराहनीय है। कुछ प्रमुख सम्मान और उपलब्धियाँ हैं:
| सम्मान/उपलब्धि | विवरण |
| फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी | 1918 में उन्हें यह सम्मान मिला। |
| कैंब्रिज विश्वविद्यालय से डिग्री | हार्डी के साथ उनके शोध के कारण। |
| गणित दिवस | 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस। |
श्रीनिवास रामानुजन, एक महान गणितज्ञ, जिनकी अनमोल खोजें आज भी प्रेरणा का स्रोत हैं, ने बिना औपचारिक शिक्षा के गणित में महारत हासिल की। उनका जीवन संघर्ष और सफलता का प्रतीक था, और उनकी खोजें, जैसे हार्डी-रामानुजन संख्या 1729 गणित के इतिहास में महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में 10 lines on Srinivasa Ramanujan in Hindi के माध्यम से उनके अद्वितीय योगदान पर एक नजर डालेंगे।
इस 10 Lines on Srinivasa Ramanujan in Hindi से हुमने जाना श्रीनिवास रामानुजन जी के बारे में बहुत ही जरूरी बाते जानी।
श्रीनिवास रामानुजन इंग्लैंड में रहते हुए लगातार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना करते रहे। युद्धकालीन खाद्य अभाव, ठंडी जलवायु और सीमित शाकाहारी भोजन ने उनकी सेहत को कमजोर कर दिया। शुरुआती तौर पर उन्हें तपेदिक और विटामिन की कमी बताई गई थी, लेकिन बाद के शोध से पता चला कि उनका वास्तविक रोग हेपेटिक अमीबिआसिस (parasitic liver Infection) था। इस संक्रमण से उनके शरीर में बार-बार बुखार, पेट दर्द और अत्यधिक कमजोरी जैसी समस्याएँ होती रहीं। भारत लौटने के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ और 26 अप्रैल 1920 को केवल 32 वर्ष की आयु में उनका देहांत हो गया।
संक्षेप में, रामानुजन का देहावसान उनके अद्वितीय गणितीय योगदानों के बावजूद असमय हुआ, और यह जीवन इस बात का उदाहरण है कि प्रतिभा और मेहनत के बीच भी स्वास्थ्य का ध्यान अत्यंत आवश्यक है।
श्रीनिवास रामानुजन का स्वास्थ्य हमेशा कमजोर रहा। गणित के क्षेत्र में उनकी अद्वितीय प्रतिभा के बावजूद, उनका शरीर हमेशा ठीक नहीं रहा। इंग्लैंड के ठंडे मौसम ने उनकी स्थिति को और खराब कर दिया, जिससे उनकी सेहत और गिर गई। श्रीनिवास रामानुजन ने बहुत ही कम उम्र में, केवल 33 वर्ष की आयु में, 26 अप्रैल 1920 को इस दुनिया को अलविदा कहा। हालांकि उनका जीवन बहुत छोटा था, लेकिन उनका गणितीय योगदान हमेशा अमर रहेगा।
आज भी उनकी खोजें और प्रमेय गणित के क्षेत्र में महत्वपूर्ण माने जाते हैं, और वह गणित के एक महान जीनियस के रूप में याद किए जाते हैं। रामानुजन का जीवन परिचय यह साबित करता है कि कठिनाइयाँ और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के बावजूद, अगर व्यक्ति के पास अद्वितीय प्रतिभा और लगन हो, तो वह इतिहास में अपना नाम बना सकता है। उनका योगदान न सिर्फ गणित, बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणास्त्रोत है।
यहां पढ़ें ऐसे ही महान लोगो की जीवन की कहानियां जो हमें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं।
प्रिय पाठकों,
जब हम महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन की बात करते हैं, तो हमें केवल गणित की गूढ़ संख्याएँ ही नहीं, बल्कि प्रतिभा, संघर्ष और अटूट विश्वास की प्रेरणा भी मिलती है। रामानुजन का जीवन यह साबित करता है कि सीमित साधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी इंसान अपनी लगन और जिज्ञासा से असंभव को संभव बना सकता है।
मैंने इस लेख को लिखते समय महसूस किया कि रामानुजन का जीवन सिर्फ गणितज्ञों के लिए नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों के लिए मेहनत करना चाहता है। उनकी खोजें आज भी आधुनिक गणित की नींव हैं और उनका आत्मविश्वास हमें यह सिखाता है कि प्रतिभा किसी सीमा, संसाधन या परिस्थिति की मोहताज नहीं होती।
आशा है कि यह लेख आपको रामानुजन के जीवन से जुड़ी केवल कहानियाँ ही नहीं, बल्कि एक ऐसी प्रेरणा भी देगा जो आपके भीतर छुपी क्षमता को जगाने में मदद करेगी।
आपकी शुभचिंतक,
आकृति जैन
श्रीनिवास रामानुजन का जीवन हमें यह जरूरी संदेश देता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति और पूरी लगन से कोई भी कठिनाई आपके रास्ते में नहीं आ सकती। उनका जीवन, जिसे हम रामानुजन का जीवन परिचय के रूप में जानते हैं, इस बात का उदाहरण है कि अगर किसी में सही दिशा और आत्मविश्वास हो, तो वह सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों के बावजूद भी असंभव को संभव बना सकता है।
श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में जो अभूतपूर्व योगदान दिया, वह न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में आज भी सराहा जाता है। उनका काम आज भी गणितज्ञों को प्रेरित करता है और उनके सूत्रों का उपयोग दुनिया भर के गणितीय शोधों में किया जाता है। उनकी जयंती 22 दिसंबर को राष्ट्रीय गणित दिवस के रूप में मनाकर, हम उनके अद्वितीय योगदान और महान सोच को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। रामानुजन का जीवन सदैव एक प्रेरणा बना रहेगा, जो हमें बताता है कि प्रतिभा और मेहनत से कोई भी मुकाम हासिल किया जा सकता है।
1. रामानुजन संख्या: 1729 एक ऐसी संख्या है जिसे रामानुजन संख्या के नाम से जाना जाता है। यह सबसे छोटी संख्या है जिसे दो अलग-अलग तरीकों से दो घनों के योग के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।
2. रामानुजन थीटा फ़ंक्शन: यह एक विशेष प्रकार का गणितीय फलन है जिसका उपयोग संख्या सिद्धांत में किया जाता है।
3. अनंत श्रेणी: उन्होंने अनंत श्रेणियों पर गहन अध्ययन किया और कई नए सूत्रों का विकास किया।
4. विभाजन फलन: यह एक ऐसा फलन है जो किसी संख्या को विभिन्न तरीकों से भागों में विभाजित करने के तरीकों की संख्या को बताता है।
रामानुजन ने अपने जीवनकाल में लगभग 3,900 से अधिक गणितीय सूत्रों और समीकरणों का आविष्कार किया था।
रामानुजन को टीबी नामक एक गंभीर बीमारी थी। इसी बीमारी के कारण 26 अप्रैल, 1920 को 32 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया।
रामानुजन का पूरा नाम श्रीनिवास रामानुजन अयंगर था।
रामानुजन का मास्टर सिद्धांत गणित में एक शक्तिशाली तकनीक है जो किसी फ़ंक्शन के मेलिन रूपांतरण को खोजने का एक तरीका प्रदान करती है।
क्योंकि उन्होंने औपचारिक शिक्षा बहुत कम पाई थी, फिर भी उन्होंने हज़ारों प्रमेय और सूत्र खोज निकाले, जो आज भी वैज्ञानिक शोध में काम आते हैं।
हाँ, उनकी कई खोजें आज भी कंप्यूटर विज्ञान, क्रिप्टोग्राफी, भौतिकी और अंतरिक्ष अनुसंधान में इस्तेमाल हो रही हैं।
हाँ, उन्होंने ज़्यादातर गणित खुद से सीखा। उन्हें किताबों और सूत्रों को देखकर प्रेरणा मिली और उन्होंने अपने तरीकों से नए-नए प्रमेय खोज लिए।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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