पाषाण काल

पाषाण काल: प्रागैतिहासिक कालीन इतिहास

Published on May 29, 2025
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पाषाण काल

Quick Summary

  • पाषाण युग की शुरुआत लगभग 2.6 मिलियन वर्ष पूर्व मानी जाती है, जब वैज्ञानिकों ने उन मानवों के प्रारंभिक प्रमाण खोजे थे जो पत्थर के औजारों का उपयोग कर रहे थे।
  • यह युग लगभग 3,300 ईसा पूर्व तक जारी रहा, जब कांस्य युग का आरंभ हुआ।
  • इस युग को सामान्यतः तीन भिन्न अवधियों में विभाजित किया जाता है:
    • पैलियोलिथिक
    • मेसोलिथिक ,और
    • नियोलिथिक।

Table of Contents

पाषाण काल, जिसे स्टोन एज के नाम से भी जाना जाता है, मानव सभ्यता का सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण काल है। यह काल लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व से शुरू हुआ और लगभग 3,000 ईसा पूर्व तक चला। इस काल में मनुष्यों ने पत्थरों से बने औजारों का उपयोग करना शुरू किया और उनके जीवन में कई महत्वपूर्ण बदलाव आए। पाषाण काल की गहराई से समझ हमें मानव विकास के प्रारंभिक चरणों की पहचान करने में मदद करती है।

पाषाण काल ब्लॉग में हम पाषाण युग किसे कहते हैं, पाषाण युग के औजार, पाषाण काल की विशेषताएं, पाषाण युग का अर्थ और पाषाण युग नोट्स को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे।

पाषाण काल किसे कहते हैं? | pashan kal kise kahteh hain

पाषाण युग किसे कहते हैं यह सवाल तब उठता है जब हम मानव इतिहास के प्राचीनतम काल की बात करते हैं। पाषाण का अर्थ होता है, पत्थर इसलिए पाषाण युग वह अवधि है जब मानव ने पत्थरों से औजार बनाना और उनका उपयोग करना शुरू किया। इस काल की विशेषता यह है कि इसमें मनुष्य ने प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करके अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा किया। पाषाण युग में ही मनुष्य ने प्रारंभिक सभ्यता की नींव रखी थी।

पाषाण काल का अर्थ | Pashan Kal kaa arth

पत्थरों का युग। यह मानव इतिहास का वह प्राचीन काल है जब इंसानों ने पत्थरों के औजारों और हथियारों का उपयोग शुरू किया था।

“पाषाण” का मतलब होता है पत्थर, और “काल” का मतलब होता है समय या युग।
इसलिए पाषाण काल वह समय था जब मनुष्य मुख्य रूप से पत्थर के औजारों का उपयोग करके शिकार करता था, आग जलाना सीख रहा था, और धीरे-धीरे सभ्यता की ओर बढ़ रहा था।

यह काल मानव इतिहास की सबसे लंबी अवधि में से एक है और इसे तीन भागों में बांटा गया है:

  1. पुरापाषाण काल (Old Stone Age) – जब केवल कच्चे पत्थरों के औजार बनाए जाते थे।
  2. मध्यपाषाण काल (Middle Stone Age) – जब पत्थर के औजार थोड़े उन्नत हो गए।
  3. नवपाषाण काल (New Stone Age) – जब इंसान ने खेती करना, पशुपालन और स्थायी बस्तियाँ बसाना शुरू किया।

पाषाण काल की अवधि

कालसमय सीमाविशेषताएँ
पुरापाषाण काल (Paleolithic Age)500,000 – 10,000 ईसा पूर्वमोटे पत्थर के औजार, शिकार और संग्रहण, गुफा चित्रण
मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age)10,000 – 6,000 ईसा पूर्वपरिष्कृत पत्थर के औजार, सूक्ष्म औजारों का उपयोग
नवपाषाण काल (Neolithic Age)6,000 – 1,000 ईसा पूर्वकृषि और पशुपालन की शुरुआत, स्थायी आवास, उन्नत औजार
पाषाण काल की अवधि

भारत में पुरापाषाण काल ​​के पुरातात्विक स्थल

प्रारंभिक पुरापाषाण काल1. पंजाब में सोहन घाटी (अब पाकिस्तान में)
2. कश्मीर और थार रेगिस्तान
3. उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में बेलन घाटी
4. राजस्थान में बिडवाना
5. नर्मदा घाटी
मध्य पुरापाषाण काल1. नर्मदा नदी घाटी
2. तुंगभद्रा नदी घाटी
उच्च पुरापाषाण काल1. आंध्र प्रदेश
2. कर्नाटक
3. एमपी
4. महाराष्ट्र
5. दक्षिणी उत्तर प्रदेश
6. दक्षिण बिहार पठार
भारत में पुरापाषाण काल ​​के पुरातात्विक स्थल

पाषाण युग के तीन चरण | pashan kal kitne prakar ke hote hain

पाषाण युग के तीन चरण मानव सभ्यता के प्रारंभिक विकास की दिशा में महत्वपूर्ण कदम थे। ये चरण—पुरापाषाण युग, मध्यपाषाण युग, और नवपाषाण युग—प्राचीन मानव के औजारों, तकनीकों, और जीवनशैली में बदलावों को दर्शाते हैं। प्रत्येक चरण में मानव ने नए आविष्कार और खोजें कीं, जो उनकी जीवनशैली और समाजिक संरचना को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईं। पाषाण काल ब्लॉग में हम तीनों कालों के पाषाण काल नोट्स जानेंगे।

पुरापाषाण युग (Paleolithic Age)

उप-कालसमय सीमाविशेषताएँ
प्रारंभिक पुरापाषाण (Early Paleolithic)500,000 – 50,000 ईसा पूर्वमोटे और असंसाधित पत्थर के औजार, शिकार और संग्रहण, गुफा चित्रण की शुरुआत
मध्य पुरापाषाण (Middle Paleolithic)50,000 – 40,000 ईसा पूर्वपत्थर के औजारों का परिष्करण, निअंडरथल मानव की उपस्थिति, उन्नत शिकार विधियाँ
उच्च पुरापाषाण (Upper Paleolithic)40,000 – 10,000 ईसा पूर्वउन्नत पत्थर के औजार, सजावटी वस्त्र, जटिल गुफा चित्रण, सामाजिक और सांस्कृतिक विकास
पुरापाषाण युग (Paleolithic Age)

पुरापाषाण युग (लगभग 500,000 – 50,000 ईसा पूर्व) मानव इतिहास का सबसे पुराना चरण है। इस युग में मनुष्य ने पत्थरों के मोटे और भारी औजार बनाए और उनका उपयोग शिकार, मांस काटने और गुफा की सुरक्षा के लिए किया।

  • समय: लगभग 20 लाख वर्ष पूर्व से 10,000 ईसा पूर्व तक
  • विशेषता: पत्थरों के कच्चे औजारों का प्रयोग, शिकारी और भोजन-संग्राहक जीवन शैली
  • प्रमुख स्थल: सोहन (पंजाब), भीमबेटका (मध्य प्रदेश)

मध्यपाषाण युग (Mesolithic Age)

मध्यपाषाण युग (लगभग 10,000 ईसा पूर्व से 8,000 ईसा पूर्व) में पत्थरों के औजारों में सुधार हुआ। इस युग में पत्थरों को और अधिक धारदार और छोटे आकार में बनाया गया। इस समय में मनुष्य ने शिकारी और संग्रहकर्ता के रूप में जीवन व्यतीत किया।

  • समय: लगभग 10,000 ईसा पूर्व से 8,000 ईसा पूर्व तक
  • विशेषता: छोटे औजार (माइक्रोलिथ), आग और पशुपालन का आरंभ, अर्ध-स्थायी निवास
  • प्रमुख स्थल: बागोर (राजस्थान), महदहा (उत्तर प्रदेश)

नवपाषाण युग (Neolithic Age)

नवपाषाण युग (लगभग 8,000 ईसा पूर्व से 3,000 ईसा पूर्व) वह समय है जब मानव ने कृषि करना शुरू किया। इस युग में पत्थरों के औजार और अधिक परिष्कृत और उपयोगी हो गए। मनुष्य ने पशुपालन और खेती शुरू की, जिससे समाजिक जीवन में स्थायित्व आया।

  • समय: लगभग 8,000 ईसा पूर्व से 2,000 ईसा पूर्व तक
  • विशेषता: कृषि की शुरुआत, स्थायी बस्तियाँ, चमकदार औजार, मिट्टी के बर्तन
  • प्रमुख स्थल: बुर्ज़होम (कश्मीर), चिरांद (बिहार), मेहरगढ़ (पाकिस्तान)

पाषाण काल की विशेषताएं | pashan kal kii vishesta

पाषाण युग का अर्थ जानने के बाद अब हम पाषाण युग की विशेषताएं जानेंगे।

  • पुरापाषाण काल ​​में लोगों ने शिकारी-संग्रहकर्ता अर्थव्यवस्था का पालन किया, जो भोजन के लिए जानवरों को मारते थे। इसके अलावा, उन्होंने भोजन, हथियार बनाने के लिए उपकरण, जलाऊ लकड़ी और कपड़े एकत्र किए, जो ज्यादातर जानवरों की खाल से बने होते थे।
  • मानव रचनात्मकता ने पुरापाषाण काल ​​के अंत के करीब कई आभूषणों, शैल चित्रों और गुफा चित्रों को बनाने में अपनी पराकाष्ठा प्राप्त की।
  • धार्मिक प्रथाओं को शुरू करने के साथ-साथ, मानवता ने अंतिम संस्कार की प्रथाओं का भी पालन किया।
  • उनमें से अधिकांश खानाबदोश थे, जिसका अर्थ है कि वे जीविका की तलाश में लगातार घूमते रहते थे। जब मौसम अनुकूल होता था और वे शिकारी पक्षियों से सुरक्षित महसूस करते थे, तो वे उन स्थानों पर शरण लेते थे। नतीजतन, वे मुख्य रूप से झीलों और नदियों के पास शरण लेते थे। वे अस्थायी निवास के लिए हड्डियों, कंकड़ और तिनकों से केवल कमजोर घर बनाते थे या गुफाओं में रहते थे।
  • पुरापाषाण युग की जीवन शैली गुफाओं में अच्छी तरह से प्रलेखित है।
  • जब वे विकसित हुए, जैसे कि ऊपरी पुरापाषाण काल ​​में, मनुष्यों ने गुफाओं का उपयोग केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया था।

इन विशेषताओं के माध्यम से, हम पाषाण काल के जीवन और सामाजिक संरचना को समझ सकते हैं। पाषाण काल नोट्स निम्न है

पाषाण युग और उसका जीवन –

युगकालऔजारअर्थव्यवस्थाशरण स्थलसमाजधर्म
पाषाण युगपुरापाषाण कालहाथ से बने अथवा प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग: भाला, कुल्हाड़ी, धनुष, तीर, सुई, गदाशिकार एवं खाद्य संग्रहअस्थाई जीवन शैली – गुफा, अस्थाई झोपड़ीयां, मुख्यतः नदी एवं झील के किनारे25-100 लोगों का समूह (अधिकांशतः एक ही परिवार के सदस्य)मध्य पुरापाषाण काल के आसपास मृत्यु पश्चात जीवन में विश्वास के साक्ष्य कब्र एवं अन्तिम संस्कार के रूप में मिलते हैं।
मध्यपाषाण कालमध्यपाषाण कालहाथ से बने अथवा प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग: धनुष, तीर, मछली के शिकार एवं भंडारण के औजार, नौकाकबिले एवं परिवार समूह
नवपाषाण कालनवपाषाण कालहाथ से बने अथवा प्राकृतिक वस्तुओं का उपयोग: चिसल (लकड़ी एवं पत्थर छीलने के लिए), खेती में प्रयुक्त होने वाले औजार, मिट्टी के बरतन, हथियारखेती, शिकार, खाद्य संग्रह, मछली का शिकार और पशुपालनखेतों के आस-पास बसी छोटी बस्तियों से लेकर काँस्य युग के नगरों तककबीले से लेकर काँस्य युग के राज्यों तक
पाषाण युग और उसका जीवन

औजारों का उपयोग

पाषाण युग के औजार अत्यंत महत्वपूर्ण थे। इस काल में औजारों का निर्माण पत्थरों से किया जाता था। ये औजार मुख्यतः शिकार, मांस काटने, और दैनिक जीवन की अन्य गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाते थे। शुरुआती औजार मोटे और भारी होते थे, लेकिन समय के साथ इनका डिजाइन और उपयोग में सुधार हुआ।

शिकार और संग्रहण

शिकार और संग्रहणपाषाण युग की महत्वपूर्ण गतिविधियाँ थीं। मनुष्य जानवरों का शिकार करता और वनस्पतियों, फलों, और जड़ों का संग्रह करता था। इस गतिविधि ने उन्हें अपनी भोजन की जरूरतों को पूरा करने में मदद की और उनके जीवन को स्थिरता प्रदान की।

गुफा चित्रण

गुफा चित्रण पाषाण युग की एक महत्वपूर्ण विशेषता थी। मनुष्यों ने गुफाओं की दीवारों पर चित्र बनाए, जो उनके जीवन और शिकार गतिविधियों का चित्रण करते थे। ये चित्रण उस समय की कला और संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं।

आग का उपयोग

आग का उपयोग पाषाण युग की एक क्रांतिकारी खोज थी। आग का उपयोग भोजन पकाने, गर्मी प्राप्त करने, और सुरक्षा के लिए किया जाता था। यह खोज मनुष्यों के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी, जिसने उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार किया।

भाषा

हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि पुरापाषाण युग के सबसे महत्वपूर्ण विकासों में से एक भाषा का विकास था। उस युग के लोग व्यापार में लगे हुए थे, बस्तियाँ बना रहे थे और रीति-रिवाजों और सभ्यताओं का पालन कर रहे थे। यह दर्शाता है कि इन सभी कार्यों को पूरा करने के लिए, व्यक्तियों को संचार कौशल हासिल करना पड़ा। संचार के बिना व्यापार करना या किसी भी संस्कृति का पालन करना कठिन है। इसके अतिरिक्त, खोपड़ी की जांच से भाषण से जुड़े मस्तिष्क क्षेत्रों के विकास को दिखाया गया है। लेकिन इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि मनुष्य कैसे बोलने में सक्षम हुए।

पाषाण काल का महत्व

पाषाण युग का महत्व इस काल के द्वारा किए गए विभिन्न विकासों को उजागर करता है। इस काल में प्रौद्योगिकी के विकास, आधुनिक मानव के उद्भव, और कृषि की शुरुआत जैसी महत्वपूर्ण घटनाएँ हुईं। ये सभी घटनाएँ मानव सभ्यता के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

प्रौद्योगिकी का विकास

प्रौद्योगिकी का विकास पाषाण युग में हुआ जब मनुष्यों ने पत्थरों से औजार बनाए और उनका उपयोग किया। यह विकास उन्हें शिकार, भोजन संग्रहण, और अन्य कार्यों में सहायता प्रदान करता था। प्रौद्योगिकी के इस विकास ने मानव जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने में मदद की।

आधुनिक मानव का उद्भव

आधुनिक मानव का उद्भव पाषाण युग में हुआ। इस काल के दौरान मनुष्यों ने नई तकनीकों और औजारों का विकास किया, जिससे वे अधिक कुशल और सक्षम बन सके। यह काल मानव सभ्यता के विकास में एक महत्वपूर्ण चरण था।

कृषि की शुरुआत

कृषि की शुरुआत नवपाषाण युग में हुई। मनुष्यों ने खेती करना शुरू किया और पशुपालन भी किया, जिससे स्थायी आवास और समाज का विकास हुआ। कृषि की शुरुआत ने मानव जीवन में स्थायित्व और सामाजिक संरचना में महत्वपूर्ण बदलाव किए।

पाषाण काल की महत्वपूर्ण खोजें

पाषाण युग की महत्वपूर्ण खोजें मानव सभ्यता के विकास में मील का पत्थर साबित हुईं। इस काल में लोगों ने विभिन्न तकनीकी और सांस्कृतिक नवाचार किए, जो उनके दैनिक जीवन को सरल और सुरक्षित बनाने में मददगार रहे। ये खोजें न केवल उनके जीवन को सुधारने में सहायक रहीं बल्कि भविष्य की सभ्यताओं की नींव भी रखीं।

आग की खोज

पाषाण युग में आग की खोज मानव इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण खोजों में से एक थी। इस खोज ने न केवल भोजन पकाने और गर्मी प्रदान करने में मदद की, बल्कि जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए भी आग का उपयोग किया गया। आग की मदद से मानव ने रात में प्रकाश प्राप्त किया, ठंड से बचाव किया और सामाजिक गतिविधियाँ विकसित कीं। आग की खोज ने पाषाण युग के मनुष्य के जीवन स्तर को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे वह अधिक सुरक्षित, संगठित और विकसित जीवन जीने की दिशा में बढ़ सका।

पहिया की खोज

हालांकि पहिया की खोज पाषाण युग के अंत में हुई, लेकिन यह एक महत्वपूर्ण खोज थी। पहिए का उपयोग परिवहन और कृषि में क्रांतिकारी बदलाव लाने में सहायक था। इसने मानव सभ्यता को तकनीकी दृष्टिकोण से एक नई दिशा दी।

धातु की खोज

पाषाण युग के अंत में, लोगों ने धातु की खोज की। धातु का उपयोग औजारों और हथियारों के निर्माण में किया गया, जिससे उनकी कार्यक्षमता और प्रभावशीलता में वृद्धि हुई। यह खोज पाषाण युग से धातु युग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।

कृषि का विकास

  1. जलवायु परिवर्तन:
    हिम युग के अंत के बाद वातावरण गर्म और आर्द्र हुआ, जिससे घास और पौधों की भरमार होने लगी।
  2. बीजों का ज्ञान:
    मनुष्य ने देखा कि जब बीज जमीन पर गिरते हैं, तो कुछ समय बाद पौधे उगते हैं। इससे बीज बोने का विचार उत्पन्न हुआ।
  3. स्थायी निवास की आवश्यकता:
    जानवरों को पालने और फसलों की देखभाल के लिए एक ही स्थान पर रहना आवश्यक हो गया, जिससे गाँवों का जन्म हुआ।
  4. उपकरणों का विकास:
    खेती के लिए पत्थर और हड्डी से बने औजार जैसे खुरपी, फावड़ा, दरांती आदि का प्रयोग शुरू हुआ।

पशुपालन की शुरुआत

घुमंतू जीवन से स्थायी जीवन की ओर बढ़ते हुए, मनुष्य ने महसूस किया कि जानवरों को पालतू बनाकर उनके दूध, मांस, खाल और शक्ति का उपयोग किया जा सकता है।

पहले कुत्ते को पालतू बनाया गया, जो शिकार और सुरक्षा में सहायक था।
इसके बाद बकरी, भेड़, गाय, बैल और सूअर को पालतू बनाया गया।

खेती के लिए बैल और परिवहन के लिए घोड़ा, गधा और ऊँट का प्रयोग शुरू हुआ।

पाषाण काल के औजार

पाषाण युग के औजार इस काल की तकनीकी क्षमताओं को दर्शाते हैं। विभिन्न युगों में औजारों का विकास और उनकी उपयोगिता में सुधार हुआ।

पुरापाषाण काल के औजार

पुरापाषाण काल के औजार मोटे और भारी पत्थरों से बनाए जाते थे। ये औजार मुख्यतः शिकार और मांस काटने के लिए उपयोग किए जाते थे। पुरापाषाण काल के औजारों में पत्थर की धारदार धारियाँ, हथियार और औजार शामिल थे।

मध्यपाषाण काल के औजार

मध्यपाषाण काल के औजार अधिक परिष्कृत और छोटे आकार के थे। इन औजारों को विभिन्न कार्यों के लिए उपयोग किया जाता था, जैसे शिकार, लकड़ी काटना, और मांस तैयार करना। पत्थरों को अधिक धारदार और प्रभावी बनाने के लिए नई तकनीकों का विकास किया गया।

नवपाषाण काल के औजार

नवपाषाण काल के औजार और भी अधिक परिष्कृत थे। इस काल में कृषि और पशुपालन के लिए विशेष उपकरण बनाए गए। पत्थरों को चिकना और धारदार बनाया गया, जिससे खेती और निर्माण कार्य में सुविधा हुई। नवपाषाण काल के औजारों में पत्थर की कुल्हाड़ी, रेक, और धारदार चाकू शामिल थे।

भारत में पाषाण काल के प्रमुख साक्ष्य विभिन्न पुरातात्विक स्थल | pashan kal ke pramukh esthal

भारत में पाषाण काल के प्रमुख साक्ष्य विभिन्न पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त हुए हैं। ये स्थल तीनों पाषाण युगों – पुरापाषाण, मध्यपाषाण और नवपाषाण – से जुड़े हुए हैं और भारत के विभिन्न भागों में फैले हुए हैं। नीचे उन्हें काल के अनुसार वर्गीकृत किया गया है:

1. पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थल

स्थानराज्यविशेषताएँ
भीमबेटकामध्य प्रदेशगुफाओं की चित्रकारी, शिकार दृश्यों के भित्ति चित्र।
हुनsgi और बेदिचिक्कनहल्लीकर्नाटकपाषाण औजार और हाथ से बने हथियार।
नर्मदा घाटीमध्य प्रदेशमानव कंकाल, औजार और जानवरों के अवशेष।
सोन घाटीबिहार और मध्य प्रदेशपत्थर के औजार, प्रमुख पुरापाषाण स्थल।
अटीरमपक्कमतमिलनाडुदक्षिण भारत का प्रमुख पुरापाषाण स्थल, आदी मानव के औजार मिले।
खैदराबाद, बेल्लारीतेलंगाना/कर्नाटकविभिन्न प्रकार के औजार मिले हैं।

2. मध्यपाषाण काल के प्रमुख स्थल

स्थानराज्यविशेषताएँ
बागोरराजस्थानजानवरों को पालने के साक्ष्य, सूक्ष्म औजार।
सरायनाहर रायउत्तर प्रदेशसूक्ष्म पत्थर के औजार, मछली पकड़ने के उपकरण।
दमदामाउत्तर प्रदेशहड्डियों के औजार और मानव अवशेष।
लंगहनाजगुजरातपशुपालन के प्रारंभिक प्रमाण।
नवासामहाराष्ट्रमध्यपाषाण युगीन संस्कृति के अवशेष।

3. नवपाषाण काल के प्रमुख स्थल

स्थानराज्यविशेषताएँ
महागरउत्तर प्रदेशकृषि, पशुपालन, मिट्टी के मकान और बर्तन।
चिरांदबिहारधान की खेती, मृदभांड और हड्डियों के औजार।
बुरज़होमजम्मू और कश्मीरखुदे हुए गड्ढों में मकान, पशुपालन, शिकारी जीवन।
हल्लूरकर्नाटककृषि, मिट्टी के बर्तन और उन्नत औजार।
पैयमपल्लीतमिलनाडुनवपाषाण से लौह युग में संक्रमण के प्रमाण।

पाषाण काल के समय स्थिति

पाषाण युग के समय स्थिति सामाजिक, सांस्कृतिक, और आवासीय जीवन को दर्शाती है। इस काल में समाज, कला, धार्मिकता, और आवास की स्थिति ने मानव जीवन की दिशा को आकार दिया।

समाज और संस्कृति

समाज और संस्कृति पाषाण युग में सरल और प्राकृतिक थीं। लोग छोटे-छोटे समूहों में रहते थे और शिकारी-संग्रहकर्ता के रूप में जीवन यापन करते थे। समाज में समानता और सहयोग की भावना प्रमुख थी, और संस्कृति की शुरुआत गुफा चित्रण और अन्य कलात्मक गतिविधियों से हुई।

कला और धार्मिकता

कला और धार्मिकता पाषाण युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। गुफाओं में बने चित्र और मूर्तियाँ उस समय की कला और धार्मिक विश्वासों को दर्शाते हैं। ये चित्रण न केवल शिकार की गतिविधियों को दर्शाते हैं बल्कि धार्मिक अनुष्ठान और सामाजिक परंपराओं का भी प्रतीक होते हैं।

आवासन

आवासन पाषाण युग में मुख्य रूप से गुफाओं में होता था। गुफाएँ प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करती थीं और इन्हें आवास के रूप में उपयोग किया जाता था। नवपाषाण काल के दौरान, लोगों ने मिट्टी और पत्थरों से बने घरों का निर्माण शुरू किया, जिससे स्थायी आवास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया।

पाषाण काल की सामाजिक संरचना

पाषाण युग की सामाजिक संरचना उस समय के समाज की विविधताओं और प्राथमिकताओं को दर्शाती है। समाज का संगठन और उसकी दैनिक गतिविधियाँ इस काल की सामाजिक संरचना को स्पष्ट करती हैं।

परिवार और समुदाय

परिवार और समुदाय पाषाण युग में महत्वपूर्ण थे। लोग छोटे परिवारों में रहते थे और एक-दूसरे की सहायता करते थे। सामूहिक जीवन और सहयोग की भावना समाज की नींव को मजबूत करती थी। परिवार की संरचना और समुदाय की गतिविधियाँ इस काल की सामाजिक संरचना को उजागर करती हैं।

आदिवासी जीवन और परंपराएँ

आदिवासी जीवन और परंपराएँ पाषाण युग में विकसित हुईं। आदिवासी जीवन की आदतें, परंपराएँ और सांस्कृतिक गतिविधियाँ इस काल की सामाजिक पहचान का हिस्सा थीं। ये परंपराएँ आज भी कुछ आदिवासी समुदायों में जीवित हैं और पाषाण काल की सांस्कृतिक धरोहर को बनाए रखती हैं।

पाषाण काल में चिकित्सा और स्वास्थ्य

पाषाण युग में चिकित्सा और स्वास्थ्य की स्थिति भी इस काल के विकास को दर्शाती है।

औषधि का उपयोग

औषधि का उपयोग पाषाण युग में प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और पौधों से किया जाता था। मनुष्यों ने प्राकृतिक चिकित्सा विधियों का उपयोग किया और विभिन्न बीमारियों का इलाज किया। इन औषधियों का उपयोग स्वास्थ्य को बनाए रखने और बीमारियों को दूर करने के लिए किया जाता था।

स्वास्थ्य देखभाल

निष्कर्ष

पाषाण काल ब्लॉग में हमने पाषाण काल किसे कहते हैं, पाषाण काल के औजार, पाषाण काल की विशेषताएं, पाषाण काल का अर्थ और पाषाण काल नोट्स को विस्तार से समझने की कोशिश की।

पाषाण काल मानव इतिहास का एक महत्वपूर्ण और प्राचीन काल है, जो मनुष्यों की विकास यात्रा का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इस काल में पत्थरों से औजारों का निर्माण, शिकार और संग्रहण की गतिविधियाँ, गुफा चित्रण, और आग का उपयोग हुआ। पाषाण काल के औजार, सामाजिक संरचना, और स्वास्थ्य देखभाल इस काल की विविधताओं को उजागर करते हैं, जो आज भी मानव इतिहास के महत्वपूर्ण अध्यायों में शामिल हैं।

और पढ़े: हड़प्पा सभ्यता

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

पाषाण काल का समय कब से कब तक था?

पाषाण युग की शुरुआत लगभग 30,000 ईसा पूर्व हुई और यह 3,000 ईसा पूर्व तक जारी रहा, लेकिन कुछ विद्वानों का दावा है कि पाषाण काल का समय लगभग 2.5 मिलियन वर्ष पूर्व से लेकर लगभग 10,000 वर्ष पूर्व तक है।

पाषाण काल के जनक कौन थे?

रॉबर्ट ब्रूस फूटे 1863 में भारत में पुरापाषाण काल की खोज करने वाले पहले व्यक्ति थे।

पाषाण काल में मानव कहाँ रहता था?

पाषाण काल में मानव गुफाओं, खुले स्थानों, और प्राकृतिक आश्रयों में रहता था। गुफाएँ उनके लिए शरण स्थली का काम करती थीं, जबकि खुले स्थानों पर वे शिकार और संग्रहण के लिए रहते थे।

तीन पाषाण युग क्रम में क्या हैं?

पाषाण युग को तीन मुख्य चरणों में बाँटा जाता है:
1. पूर्वपाषाण काल (Paleolithic Age): इसमें मानव ने मुख्य रूप से कच्चे पत्थरों से औजार बनाए और शिकार करके अपना जीवन यापन किया।
2. मध्यपाषाण काल (Mesolithic Age): इसमें मानव ने उन्नत औजारों का निर्माण किया और मांसाहारी व वनस्पति आधारित आहार को अपनाया।
3. नवपाषाण काल (Neolithic Age): यह कृषि और स्थायी बस्तियों का काल था। इस युग में मनुष्य ने कृषि, पशुपालन, और बुनाई आदि की शुरुआत की।

आग की खोज कैसे हुई?

मानव ने सबसे पहले आग को प्राकृतिक रूप में देखा – जैसे:
जंगलों में बिजली गिरने से आग लगना
ज्वालामुखी से निकलती आग
पेड़ों के आपसी रगड़ से उत्पन्न गर्मी से जलना
धीरे-धीरे मनुष्य ने यह समझा कि दो पत्थरों (फ्लिंट स्टोन) को आपस में घिसने या टकराने से चिंगारी निकलती है, जिसे सूखे पत्तों और लकड़ियों पर गिराकर आग उत्पन्न की जा सकती है।

पाषाण युग के लोग कहाँ रहते थे?

पाषाण युग के लोग शुरुआत में गुफाओं, चट्टानों की दरारों और वृक्षों के नीचे रहते थे। पुरापाषाण काल में वे अस्थायी आवास बनाते थे, जबकि नवपाषाण काल में उन्होंने मिट्टी, लकड़ी और पत्थर से स्थायी घर बनाना शुरू किया। जैसे-जैसे जीवन स्थिर हुआ, लोगों ने गाँवों में बसना शुरू किया। भारत में भीमबेटका (मध्य प्रदेश) और बुर्जहोम (जम्मू-कश्मीर) जैसे स्थलों से उनके आवास के प्रमाण मिले हैं।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.