Quick Summary
मॉब लिंचिंग क्या है?
मॉब लिंचिंग का अर्थ है — किसी व्यक्ति को अपराधी मानते हुए, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के, भीड़ द्वारा मार डाला जाना। इसे “भीड़ द्वारा हत्या” या केवल “लिंचिंग” भी कहा जाता है। ऐसी घटनाओं में अनौपचारिक भीड़ अपने हिसाब से न्याय करने की कोशिश करती है और कानून को हाथ में ले लेती है।
भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बारे में बीते वर्षों में, कई बार सुनने में आया है। मॉब लिंचिंग की घटनाएँ देश में धार्मिक और सामाजिक समुदायों के बीच में तनाव पैदा करती है तथा ड़र का माहौल बनाती है। भारतीय न्याय व्यवस्था और सरकार के लिए शांति भंग करने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाएँ चुनौती बन गई है। भीड़ हत्या की घटनाएँ बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच दूरी का कारण बनी हुई है। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य तथा केंद्र सरकार को अवैध हत्या
पर कड़े क़ानून बनाने के निर्देश दिए थे और मॉब लिंचिंग की घटनाओं को “भीड़तंत्र का भयावह कृत्य” कहा था।
इस ब्लॉग में आप जानेंगे मॉब लिंचिंग क्या है, इसका अर्थ, परिभाषा और इससे सम्बंधित घटनाओं के बारे में आपको विस्तृत जानकारी मिलेगी।
मॉब लिंचिंग एक हिंसक घटना है, जिसमें एक समूह (मॉब) किसी व्यक्ति को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिंसक तरीके से सजा देता है। यह अक्सर अफवाहों, भ्रामक जानकारी, या किसी असहमति के कारण होता है। इसमें पीड़ित को गंभीर शारीरिक या मानसिक चोटें पहुंचाई जाती हैं, और कई बार उसकी जान भी चली जाती है। मॉब लिंचिंग का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत या सामूहिक दुश्मनी का बदला लेना होता है। यह भारत में एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है, जो समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती है।
मॉब लिंचिंग एक ऐसा हिंसक कृत्य है, जिसमें भीड़ कानून की प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए किसी व्यक्ति की जान ले लेती है। अक्सर यह घटना इस सोच से प्रेरित होती है कि कानून या तो नाकाम है या बहुत धीमी गति से काम करता है, इसलिए लोग खुद ही न्याय करने का फैसला कर लेते हैं।
भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी संख्या में वृद्धि हुई है और इन्हें अधिक ध्यान मिला है।भारत में भीड़ हत्या का इतिहास इस प्रकार है:
मॉब लिंचिंग के कई कारण हो सकते है, मॉब लिंचिंग के कारण निम्न तत्वों के आधार पर समझे जा सकते हैं:

मॉब लिंचिंग कानून, मॉब लिंचिंग के खिलाफ भारत में कुछ संवैधानिक प्रावधान, केंद्रीय कानून और राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए विशेष कानून हैं। यह प्रावधान और कानून भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने और प्रभावित व्यक्तियों को न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं।
भारतीय दंड संहिता (IPC) में लिंचिंग जैसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर किसी तरह का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और इन्हें धारा- 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 323 (जान बूझकर घायल करना), 147-148 (दंगा-फसाद), 149 (आज्ञा के विरुद्ध इकट्ठे होना) तथा धारा- 34 (सामान्य आशय) के तहत ही निपटाया जाता है।
भारत का संविधान विभिन्न मौलिक अधिकार प्रदान करता है जो भीड़ हत्या के खिलाफ रक्षा करते हैं:
मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई विशेष केंद्रीय भीड़ हत्या कानून है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत विभिन्न प्रावधान भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति देते हैं:
| धारा | विवरण | सजा |
| धारा 103(2) | पाँच या अधिक व्यक्तियों का समूह नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है। | मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास और अर्थदण्ड |
| धारा 117(4) | पाँच या अधिक व्यक्तियों का समूह किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाता है। | सात वर्ष तक की कारावास और अर्थदण्ड |
| धारा 302 (IPC) | हत्या | मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास |
| धारा 307 (IPC) | हत्या का प्रयास | दस वर्ष तक की कारावास या आजीवन कारावास |
| धारा 147 (IPC) | दंगा | दो वर्ष तक की कारावास या जुर्माना |
| धारा 148 (IPC) | घातक हथियार रखकर दंगा करना | तीन वर्ष तक की कारावास या जुर्माना |
कई राज्यों ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष मॉब लिंचिंग कानून बनाए हैं:
मॉब लिंचिंग की घटनाएं न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक गंभीर सामाजिक समस्या रही हैं। अलग-अलग देशों में इसके कारण और प्रकृति भिन्न हो सकते हैं, लेकिन मूलभूत समस्या अक्सर समान होती है: भीड़ द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर न्याय करने की कोशिश। मॉब लिंचिंग का इतिहास इस प्रकार हैं:
भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाएं कई कारणों से होती हैं और विभिन्न समयों पर देश के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिली हैं। यहाँ कुछ प्रमुख घटनाओं का विवरण दिया गया है जो एक तारह से मॉब लिंचिंग का इतिहास है :
मॉब लिंचिंग के प्रभाव हमेशा से ही नकारात्मक होते है, जो समाज की एकजुटता और विविधता में एकता के विचार को प्रभावित करता है मॉब लिंचिंग भारत जैसे बहुधार्मिक देश में आम लोगों के मध्य असंतोष तथा अशांति की भावना को जन्म देता है। इससे समाज में बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का माहौल पैदा होता है और जाति, वर्ग तथा सांप्रदायिक घृणा को बढ़ावा मिलता है।
मॉब लिंचिंग, यानी भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेकर दंड देना, भारत समेत कई देशों के लिए एक गंभीर सामाजिक और कानूनी चुनौती बन चुका है। यह न केवल मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि समाज में डर और असुरक्षा का माहौल भी पैदा करता है। इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है।
इस ब्लॉग में आपने जाना कि मॉब लिंचिंग एक ऐसी घटना है जिसमें एक अनियंत्रित भीड़ किसी व्यक्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया के स्वयं न्याय करते हुए हिंसा का शिकार बना देती है। यह घटना आमतौर पर किसी आरोप या अफवाह के आधार पर होती है, और भीड़ बिना किसी साक्ष्य या न्यायिक प्रक्रिया के ही व्यक्ति को मारने या उसे गंभीर रूप से चोट पहुँचाने की कोशिश करती है। मॉब लिंचिंग पूरी तरह से ग़ैर कानूनी है तथा देश में अलगाव, सामाजिक तथा धार्मिक अस्थिरता पैदा कर देती है।इस ब्लॉग में आपको मॉब लिंचिंग का अर्थ, परिभाषा और इससे सम्बंधित घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिली।
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धन-शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग): धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002
मॉब लिंचिंग एक हिंसक कृत्य है जिसमें एक भीड़ किसी व्यक्ति या समूह पर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हमला करती है और अक्सर उनकी हत्या कर देती है। यह एक अपराध है जिसमें अक्सर अफवाहें, धार्मिक या सामाजिक तनाव, या व्यक्तिगत दुश्मनी की भूमिका होती है।
भारत में मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए कई कानून हैं, जिनमें शामिल हैं:
1. भारतीय दंड संहिता (IPC): इस संहिता में हत्या, जानलेवा हमला, अपहरण, और दंगा जैसे अपराधों के लिए कानून हैं। मॉब लिंचिंग के मामलों में इन धाराओं के तहत मुकदमे चलाए जाते हैं।
2. कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकारों के कानून: कई राज्यों ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए अपने स्वयं के कानून बनाए हैं।
3. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं, जिनमें पुलिस को त्वरित कार्रवाई करने और दोषियों को दंडित करने के लिए कहा गया है।
लिंचिंग एक समूह द्वारा की गई न्यायेतर हत्या है। इसका इस्तेमाल अक्सर भीड़ द्वारा किसी कथित अपराधी को दंडित करने, दोषी अपराधी को दंडित करने या लोगों को डराने के लिए अनौपचारिक सार्वजनिक निष्पादन को चिह्नित करने के लिए किया जाता है।
भारत में कानून को लागू करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से पुलिस और न्यायपालिका की होती है।
मूल कानून या संविधान एक देश का सर्वोच्च कानून होता है। यह देश के शासन, नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों, और कानून बनाने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है।
लिंचिंग में अक्सर किसी पर आरोप लगाकर उसे बिना कानूनी प्रक्रिया के भीड़ पकड़ती है, शारीरिक यातना देती है और हत्या कर देती है। खासकर अमेरिका में, यह एक सार्वजनिक तमाशा बन गया था जहाँ श्वेत वर्चस्व का जश्न मनाया जाता था। पीड़ितों की तस्वीरें स्मारिका पोस्टकार्ड के रूप में भी बेची जाती थीं, जो उस क्रूरता और अन्याय को दर्शाती हैं।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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