मॉब लिंचिंग

मॉब लिंचिंग | Mob Lynching Meaning in Hindi

Published on August 12, 2025
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मॉब लिंचिंग

Quick Summary

मॉब लिंचिंग क्या है?

  • जब एक अनियंत्रित भीड़ किसी व्यक्ति को उसके द्वारा किए गए अपराध के लिए या कभी-कभी केवल अफवाहों के आधार पर, बिना किसी वास्तविक अपराध के, तुरंत सजा देती है या उसकी पीट-पीटकर हत्या कर देती है, तो इसे भीड़ द्वारा की गई हिंसा या मॉब लिंचिंग (Mob Lynching) कहा जाता है।
  • यह एक गंभीर सामाजिक समस्या है, जो न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन करती है और समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती है।

Table of Contents

मॉब लिंचिंग का अर्थ है — किसी व्यक्ति को अपराधी मानते हुए, बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के, भीड़ द्वारा मार डाला जाना। इसे “भीड़ द्वारा हत्या” या केवल “लिंचिंग” भी कहा जाता है। ऐसी घटनाओं में अनौपचारिक भीड़ अपने हिसाब से न्याय करने की कोशिश करती है और कानून को हाथ में ले लेती है।

भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाओं के बारे में बीते वर्षों में, कई बार सुनने में आया है। मॉब लिंचिंग की घटनाएँ देश में धार्मिक और सामाजिक समुदायों के बीच में तनाव पैदा करती है तथा ड़र का माहौल बनाती है। भारतीय न्याय व्यवस्था और सरकार के लिए शांति भंग करने वाली मॉब लिंचिंग की घटनाएँ चुनौती बन गई है। भीड़ हत्या की घटनाएँ बहुसंख्यक और अल्पसंख्यक समुदाय के बीच दूरी का कारण बनी हुई है। साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य तथा केंद्र सरकार को अवैध हत्या
पर कड़े क़ानून बनाने के निर्देश दिए थे और मॉब लिंचिंग की घटनाओं को “भीड़तंत्र का भयावह कृत्य” कहा था।

इस ब्लॉग में आप जानेंगे मॉब लिंचिंग क्या है, इसका अर्थ, परिभाषा और इससे सम्बंधित घटनाओं के बारे में आपको विस्तृत जानकारी मिलेगी।

मॉब लिंचिंग किसे कहते हैं? | Mob Lynching kya Hai?

मॉब लिंचिंग एक हिंसक घटना है, जिसमें एक समूह (मॉब) किसी व्यक्ति को बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हिंसक तरीके से सजा देता है। यह अक्सर अफवाहों, भ्रामक जानकारी, या किसी असहमति के कारण होता है। इसमें पीड़ित को गंभीर शारीरिक या मानसिक चोटें पहुंचाई जाती हैं, और कई बार उसकी जान भी चली जाती है। मॉब लिंचिंग का मुख्य उद्देश्य व्यक्तिगत या सामूहिक दुश्मनी का बदला लेना होता है। यह भारत में एक गंभीर सामाजिक समस्या बन चुकी है, जो समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करती है।

मॉब लिंचिंग का इतिहास | Mob Lynching Meaning in Hindi

मॉब लिंचिंग एक ऐसा हिंसक कृत्य है, जिसमें भीड़ कानून की प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए किसी व्यक्ति की जान ले लेती है। अक्सर यह घटना इस सोच से प्रेरित होती है कि कानून या तो नाकाम है या बहुत धीमी गति से काम करता है, इसलिए लोग खुद ही न्याय करने का फैसला कर लेते हैं।

भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाएं कोई नई बात नहीं हैं, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी संख्या में वृद्धि हुई है और इन्हें अधिक ध्यान मिला है।भारत में भीड़ हत्या का इतिहास इस प्रकार है:

प्राचीन और औपनिवेशिक काल:

  • पारंपरिक न्याय प्रणाली: भारत के प्राचीन समाज में, विशेष रूप से ग्रामीण इलाकों में, पारंपरिक न्याय प्रणाली के तहत पंचायतें फैसले करती थीं। कभी-कभी इन फैसलों में सामूहिक दंड भी शामिल होता था, जो भीड़ हत्या जैसा हो सकता था।
  • ब्रिटिश शासन: ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं होती थीं, लेकिन इन पर नियंत्रण रखने के लिए सख्त कानून लागू किए गए थे।

स्वतंत्रता के बाद:

  • सांप्रदायिक हिंसा: भारत की स्वतंत्रता और विभाजन के समय (1947) सांप्रदायिक हिंसा की कई घटनाएं हुईं, जिनमें मॉब लिंचिंग भी शामिल थी। हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव और हिंसा इस दौर में चरम पर थी।
  • जातिगत हिंसा: दलितों और पिछड़े वर्गों के खिलाफ ऊंची जातियों द्वारा किए गए अत्याचारों में भी भीड़ हत्या की घटनाएं देखी गईं।

हाल के वर्षों में:

  • गोरक्षा के नाम पर लिंचिंग: 2015 के बाद, गोरक्षा के नाम पर भीड़ हत्या की घटनाएं बढ़ी हैं। इनमें मुख्यतः मुस्लिम समुदाय के लोग निशाना बने हैं। उदाहरण के लिए, 2015 में दादरी (उत्तर प्रदेश) में मोहम्मद अखलाक की हत्या कर दी गई थी, उन पर गोमांस रखने का आरोप लगाया गया था।
  • बच्चा चोरी की अफवाहें: सोशल मीडिया पर फैलने वाली बच्चा चोरी की अफवाहों के कारण भी कई मॉब लिंचिंग की घटनाएं हुई हैं। 2018 में झारखंड में बच्चा चोरी के शक में सात लोगों की हत्या कर दी गई थी।
  • धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव: धार्मिक और सांप्रदायिक तनाव के कारण भी मॉब लिंचिंग की घटनाएं होती रही हैं। 2019 में झारखंड में तबरेज़ अंसारी की हत्या कर दी गई थी, उन पर चोरी का आरोप लगाया गया था और उनसे धार्मिक नारे लगवाए गए थे। इसी प्रकार कोविड़ के दौरान पालघर में दो साधुओं की भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई।

मॉब लिंचिंग के कारण | Mob Lyching Reasons

मॉब लिंचिंग के कई कारण हो सकते है, मॉब लिंचिंग के कारण निम्न तत्वों के आधार पर समझे जा सकते हैं:

  1. सामाजिक और सांप्रदायिक तनाव
    • भारत में धार्मिक और जातीय विभाजन गहरा है। विभिन्न समुदायों के बीच मौजूद अविश्वास और तनाव हिंसा का कारण बन सकता है।
    • भारत में धर्म और जाति के नाम पर होने वाली हिंसा की जड़ें काफी मज़बूत हैं। वर्तमान में लगातार बढ़ रहीं लिंचिंग की घटनाएँ अधिकांशतः असहिष्णुता और अन्य धर्म तथा जाति के प्रति घृणा का परिणाम है।
    • वर्ष 2002 में हरियाणा के पाँच दलितों की गौ हत्या के आरोप में लिंचिंग कर दी गई थी। वहीं सितंबर 2015 में एक अज्ञात समूह ने मोहम्मद अखलाक और उनके बेटे दानिश पर गाय की हत्या करने और मांस का भंडारण करने का आरोप लगाते हुए पीट कर उनकी हत्या कर दी थी।
  2. अफवाहें और गलतफहमियाँ
    • सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अफवाहें और झूठी खबरें तेजी से फैलती हैं, जिससे भीड़ हिंसा के लिए उकसाई जाती है। जैसे, बच्चा चोरी की अफवाहें कई मॉब लिंचिंग की घटनाओं का कारण बनी हैं।
    • गाँवों और छोटे कस्बों में फैलने वाली स्थानीय अफवाहें भी मॉब लिंचिंग को प्रेरित कर सकती हैं।
  3. कानूनी और न्यायिक व्यवस्था में अविश्वास
    • न्यायिक प्रक्रियाओं में देरी और भ्रष्टाचार के कारण लोग न्याय प्रणाली पर भरोसा नहीं करते और खुद न्याय करने की कोशिश करते हैं।
    • कभी-कभी पुलिस की निष्क्रियता या भ्रष्टाचार के कारण लोग कानून अपने हाथ में ले लेते हैं।
  4. राजनीतिक और सांस्कृतिक कारण
    • कुछ राजनीतिक समूह और नेता सांप्रदायिक तनाव बढ़ाने के लिए भीड़ को उकसाते हैं और इसका फायदा उठाते हैं।
    • कुछ जगहों पर पुरानी सांस्कृतिक परंपराओं और प्रथाओं के कारण भी भीड़ हत्या होती है।
  5. आर्थिक असमानता और बेरोजगारी
    • आर्थिक असमानता, बेरोजगारी, और गरीबी के कारण लोगों में असंतोष बढ़ता है, जिससे वे आसानी से उग्र हो सकते हैं।
    • संसाधनों की कमी और सामाजिक असमानता भी तनाव और हिंसा का कारण बन सकती है।
  6. सामाजिक न्याय और मानवाधिकारों की अज्ञानता
    • लोगों में शिक्षा और सामाजिक न्याय के प्रति जागरूकता की कमी होती है, जिससे वे आसानी से हिंसा में शामिल हो जाते हैं।
    • मानवाधिकारों के प्रति अज्ञानता भी भीड़ हत्या की घटनाओं का एक बड़ा कारण है।
  7. मीडिया का प्रभाव
    • मीडिया में मॉब लिंचिंग की घटनाओं की कवरेज भी लोगों को उकसा सकती है, जिससे वे हिंसा को न्यायसंगत मानने लगते हैं।
  8. समूह मानसिकता
    • अक्सर यह कहा जाता है कि ‘भीड़ का कोई चेहरा नहीं होता’ और शायद इसी कारण से भीड़ में मौजूद लोग सही और गलत के बीच फर्क नहीं करते हैं।
    • भीड़ में शामिल लोग व्यक्तिगत रूप से कुछ नहीं कर सकते, लेकिन समूह में वे अधिक उग्र और हिंसक हो जाते हैं।
    • भीड़ में हर व्यक्ति यह सोचता है कि वह व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार नहीं है, जिससे उनकी हिंसक प्रवृत्तियाँ बढ़ती हैं।

मॉब लिंचिंग के विरुद्ध संवैधानिक प्रावधान

मॉब लिंचिंग को रोकने के उपाय
मॉब लिंचिंग को रोकने के उपाय

मॉब लिंचिंग कानून, मॉब लिंचिंग के खिलाफ भारत में कुछ संवैधानिक प्रावधान, केंद्रीय कानून और राज्य सरकारों द्वारा बनाए गए विशेष कानून हैं। यह प्रावधान और कानून भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा को रोकने और प्रभावित व्यक्तियों को न्याय दिलाने का प्रयास करते हैं।

भारतीय दंड संहिता (IPC) में लिंचिंग जैसी घटनाओं के विरुद्ध कार्रवाई को लेकर किसी तरह का स्पष्ट उल्लेख नहीं है और इन्हें धारा- 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 323 (जान बूझकर घायल करना), 147-148 (दंगा-फसाद), 149 (आज्ञा के विरुद्ध इकट्ठे होना) तथा धारा- 34 (सामान्य आशय) के तहत ही निपटाया जाता है।

भारत का संविधान विभिन्न मौलिक अधिकार प्रदान करता है जो भीड़ हत्या के खिलाफ रक्षा करते हैं:

  • अनुच्छेद 14: विधि के समक्ष समता: यह अनुच्छेद सभी नागरिकों को विधि के समक्ष समानता और कानून के समान संरक्षण का अधिकार देता है।
  • अनुच्छेद 19: अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता: यह अनुच्छेद भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है, लेकिन यह स्वतंत्रता अनुचित हिंसा और अफवाहों को फैलाने के लिए नहीं होनी चाहिए।
  • अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का संरक्षण: यह अनुच्छेद प्रत्येक व्यक्ति के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की गारंटी देता है, जो मॉब लिंचिंग जैसी घटनाओं में उल्लंघित होता है।

मॉब लिंचिंग कानून

मॉब लिंचिंग के खिलाफ कोई विशेष केंद्रीय भीड़ हत्या कानून है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (IPC) और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत विभिन्न प्रावधान भीड़ द्वारा की जाने वाली हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने की अनुमति देते हैं:

धाराविवरणसजा
धारा 103(2)पाँच या अधिक व्यक्तियों का समूह नस्ल, जाति, समुदाय, लिंग, जन्म स्थान, भाषा, व्यक्तिगत विश्वास या किसी अन्य समान आधार पर हत्या करता है।मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास और अर्थदण्ड
धारा 117(4)पाँच या अधिक व्यक्तियों का समूह किसी व्यक्ति को गंभीर चोट पहुँचाता है।सात वर्ष तक की कारावास और अर्थदण्ड
धारा 302 (IPC)हत्यामृत्युदण्ड या आजीवन कारावास
धारा 307 (IPC)हत्या का प्रयासदस वर्ष तक की कारावास या आजीवन कारावास
धारा 147 (IPC)दंगादो वर्ष तक की कारावास या जुर्माना
धारा 148 (IPC)घातक हथियार रखकर दंगा करनातीन वर्ष तक की कारावास या जुर्माना
मॉब लिंचिंग कानून

राज्य सरकार के कानून

कई राज्यों ने मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष मॉब लिंचिंग कानून बनाए हैं:

  • मणिपुर: मणिपुर सरकार ने 2018 में “मणिपुर प्रोटेक्शन फ्रॉम मॉब वायलेंस ऑर्डिनेंस” पारित किया।
  • राजस्थान: राजस्थान ने “राजस्थान प्रोटेक्शन फ्रॉम लिंचिंग बिल, 2019” पारित किया, जिसमें दोषियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है।
  • मध्य प्रदेश: मध्य प्रदेश ने भी मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाया है, जिसमें दोषियों के लिए सख्त सजा का प्रावधान है।

मॉब लिंचिंग की घटनाएं

मॉब लिंचिंग की घटनाएं न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक गंभीर सामाजिक समस्या रही हैं। अलग-अलग देशों में इसके कारण और प्रकृति भिन्न हो सकते हैं, लेकिन मूलभूत समस्या अक्सर समान होती है: भीड़ द्वारा कानून को अपने हाथ में लेकर न्याय करने की कोशिश। मॉब लिंचिंग का इतिहास इस प्रकार हैं:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका
    • जिम क्रो युग: इस युग में, नस्लीय भेदभाव और हिंसा के कारण अफ्रीकी अमेरिकियों के खिलाफ लिंचिंग की घटनाएं बढ़ गईं। 1882 से 1968 के बीच, लगभग 4,743 लोग लिंचिंग का शिकार बने, जिनमें से अधिकतर अफ्रीकी अमेरिकी थे।
  • दक्षिण अफ्रीका
    • सांप्रदायिक और नस्लीय हिंसा: 20वीं सदी के उत्तरार्ध में, अपार्थाइड के दौरान और उसके बाद, दक्षिण अफ्रीका में भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ गईं। इसमें विभिन्न नस्लीय और सांप्रदायिक समूहों के बीच टकराव शामिल थे।
  • ब्राज़ील
    • गैंग हिंसा: गैंग और मादक पदार्थों के व्यापार से जुड़े अपराधों में भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं बढ़ी हैं।

भारत में घटनाएं

भारत में मॉब लिंचिंग की घटनाएं कई कारणों से होती हैं और विभिन्न समयों पर देश के विभिन्न हिस्सों में देखने को मिली हैं। यहाँ कुछ प्रमुख घटनाओं का विवरण दिया गया है जो एक तारह से मॉब लिंचिंग का इतिहास है :

  1. दादरी घटना (2015)
    • स्थान: दादरी, उत्तर प्रदेश
    • विवरण: 28 सितंबर 2015 को, 50 वर्षीय मोहम्मद अखलाक को एक भीड़ ने गोमांस रखने के शक में पीट-पीटकर मार डाला। यह घटना देशभर में चर्चा का विषय बनी और सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा दिया।
  2. झारखंड घटना (2017)
    • स्थान: झारखंड
    • विवरण: मई 2017 में झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले में, बच्चा चोरी के शक में सात लोगों को मॉब लिंचिंग का शिकार बनाया गया। सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों के कारण ये घटनाएं हुईं।
  3. अलवर घटना (2017)
    • स्थान: अलवर, राजस्थान
    • विवरण: अप्रैल 2017 में, पहलू खान नामक व्यक्ति को गोतस्करी के शक में भीड़ ने मार डाला। पहलू खान और उसके बेटे मवेशी खरीदने के बाद लौट रहे थे, जब भीड़ ने उन पर हमला किया।
  4. झारखंड घटना (2019)
    • स्थान: सरायकेला-खरसावां, झारखंड
    • विवरण: जून 2019 में, तबरेज़ अंसारी को चोरी के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला। भीड़ ने उससे धार्मिक नारे भी लगवाए थे। यह घटना मीडिया और समाज में व्यापक चर्चा का विषय बनी।
  5. राजस्थान घटना (2019)
    • स्थान: राजस्थान
    • विवरण: जुलाई 2019 में, लालू राम नामक व्यक्ति को गोतस्करी के शक में भीड़ ने मार डाला। लालू राम अपने परिवार के साथ गायों को लेकर जा रहा था, जब उस पर हमला हुआ।

मॉब लिंचिंग के प्रभाव

मॉब लिंचिंग के प्रभाव हमेशा से ही नकारात्मक होते है, जो समाज की एकजुटता और विविधता में एकता के विचार को प्रभावित करता है मॉब लिंचिंग भारत जैसे बहुधार्मिक देश में आम लोगों के मध्य असंतोष तथा अशांति की भावना को जन्म देता है। इससे समाज में बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक का माहौल पैदा होता है और जाति, वर्ग तथा सांप्रदायिक घृणा को बढ़ावा मिलता है।

समाज पर प्रभाव:

  • मॉब लिंचिंग से समाज में भय और अस्थिरता फैलती है। लोग अपने सुरक्षा को लेकर चिंतित रहते हैं और समाज में अविश्वास का माहौल बनता है।
  • ऐसी घटनाएं अक्सर समुदायों के बीच दरार पैदा करती हैं और धार्मिक, जातीय, या सांस्कृतिक विभाजन को गहरा करती हैं।
  • मॉब लिंचिंग के कारण कानून व्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पुलिस और न्यायिक प्रणाली पर विश्वास घटता है।
  • ऐसे घटनाओं से व्यापार और पर्यटन पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे क्षेत्र की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो सकती है।
  • मॉब लिंचिंग जैसी घटनाएं समाज की नैतिक और सांस्कृतिक मूल्यों में गिरावट को दर्शाती हैं।

व्यक्तिगत प्रभाव:

  • पीड़ितों को गंभीर शारीरिक चोटें हो सकती हैं और इन घटनाओं का गहरा मानसिक आघात पड़ता है।
  • मॉब लिंचिंग के शिकार व्यक्तियों और उनके परिवारों को गहरा मानसिक तनाव और भय होता है।
  • पीड़ित और उनके परिवार को समाज में बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है, जिससे उनका सामाजिक जीवन प्रभावित होता है।
  • मॉब लिंचिंग के कारण व्यक्ति और उनके परिवार की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, विशेषकर यदि पीड़ित परिवार के एकमात्र कमाने वाला व्यक्ति हो।
  • पीड़ित और उनके परिवार को न्याय मिलने में कठिनाई हो सकती है, जिससे उनका न्याय प्रणाली पर विश्वास कमजोर हो सकता है।

मॉब लिंचिंग को रोकने के प्रभावी उपाय | How to Prevent Mob Lynching in India

मॉब लिंचिंग, यानी भीड़ द्वारा किसी व्यक्ति को कानून अपने हाथ में लेकर दंड देना, भारत समेत कई देशों के लिए एक गंभीर सामाजिक और कानूनी चुनौती बन चुका है। यह न केवल मानवाधिकारों का हनन है, बल्कि समाज में डर और असुरक्षा का माहौल भी पैदा करता है। इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाना बेहद जरूरी है।

मॉब लिंचिंग को रोकने के उपाय:

  • कड़े कानून और सख्त सजा
    मॉब लिंचिंग के खिलाफ विशेष कानून बनाए जाएं जिनमें दोषियों के लिए कठोर सज़ा का प्रावधान हो। राज्यों को चाहिए कि वे इसे संगठित अपराध की श्रेणी में रखें।
  • फास्ट-ट्रैक कोर्ट की स्थापना
    ऐसे मामलों के निपटारे के लिए फास्ट-ट्रैक अदालतें बनाई जाएं, ताकि न्याय में देरी न हो और पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सके।
  • फेक न्यूज़ और अफवाहों पर नियंत्रण
    सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहें कई बार मॉब लिंचिंग का कारण बनती हैं। सरकार को फेक न्यूज़ मॉनिटरिंग सेल की स्थापना करनी चाहिए और सोशल मीडिया कंपनियों को जवाबदेह बनाना चाहिए।
  • सामाजिक जागरूकता अभियान
    लोगों में यह समझ बढ़ाई जाए कि किसी भी संदेह की स्थिति में पुलिस को सूचना देना चाहिए, न कि कानून अपने हाथ में लेना। गांव-गांव, स्कूलों और समुदाय केंद्रों में जागरूकता अभियान चलाएं।
  • पुलिस की तत्परता और जवाबदेही
    पुलिस को ऐसी घटनाओं पर तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए जाएं। यदि कोई पुलिस अधिकारी लापरवाही बरते तो उस पर भी प्रशासनिक कार्रवाई होनी चाहिए।
  • राजनीतिक गैर-हस्तक्षेप
    मॉब लिंचिंग के मामलों को राजनीतिक संरक्षण मिलने से न केवल न्याय बाधित होता है, बल्कि यह अपराधियों को बढ़ावा देता है। ऐसी घटनाओं पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी अपनाई जानी चाहिए।
  • सामुदायिक संवाद और मेल-जोल को बढ़ावा देना
    विभिन्न समुदायों के बीच संवाद, आपसी विश्वास और मेल-जोल बढ़ाना बेहद जरूरी है। इससे सामाजिक सद्भाव मजबूत होता है और हिंसा की घटनाएं कम होती हैं।

निष्कर्ष

इस ब्लॉग में आपने जाना कि मॉब लिंचिंग एक ऐसी घटना है जिसमें एक अनियंत्रित भीड़ किसी व्यक्ति को बिना कानूनी प्रक्रिया के स्वयं न्याय करते हुए हिंसा का शिकार बना देती है। यह घटना आमतौर पर किसी आरोप या अफवाह के आधार पर होती है, और भीड़ बिना किसी साक्ष्य या न्यायिक प्रक्रिया के ही व्यक्ति को मारने या उसे गंभीर रूप से चोट पहुँचाने की कोशिश करती है। मॉब लिंचिंग पूरी तरह से ग़ैर कानूनी है तथा देश में अलगाव, सामाजिक तथा धार्मिक अस्थिरता पैदा कर देती है।इस ब्लॉग में आपको मॉब लिंचिंग का अर्थ, परिभाषा और इससे सम्बंधित घटनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी मिली।

धन-शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग): धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA), 2002

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

मॉब लिंचिंग का मतलब क्या होता है?

मॉब लिंचिंग एक हिंसक कृत्य है जिसमें एक भीड़ किसी व्यक्ति या समूह पर बिना किसी कानूनी प्रक्रिया के हमला करती है और अक्सर उनकी हत्या कर देती है। यह एक अपराध है जिसमें अक्सर अफवाहें, धार्मिक या सामाजिक तनाव, या व्यक्तिगत दुश्मनी की भूमिका होती है।

मॉब लिंचिंग का कानून क्या है?

भारत में मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए कई कानून हैं, जिनमें शामिल हैं:

1. भारतीय दंड संहिता (IPC): इस संहिता में हत्या, जानलेवा हमला, अपहरण, और दंगा जैसे अपराधों के लिए कानून हैं। मॉब लिंचिंग के मामलों में इन धाराओं के तहत मुकदमे चलाए जाते हैं।

2. कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए राज्य सरकारों के कानून: कई राज्यों ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए अपने स्वयं के कानून बनाए हैं।

3. सुप्रीम कोर्ट के निर्देश: सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग को रोकने के लिए कई निर्देश जारी किए हैं, जिनमें पुलिस को त्वरित कार्रवाई करने और दोषियों को दंडित करने के लिए कहा गया है।

लिंचिंग का मतलब क्या होता है?

लिंचिंग एक समूह द्वारा की गई न्यायेतर हत्या है। इसका इस्तेमाल अक्सर भीड़ द्वारा किसी कथित अपराधी को दंडित करने, दोषी अपराधी को दंडित करने या लोगों को डराने के लिए अनौपचारिक सार्वजनिक निष्पादन को चिह्नित करने के लिए किया जाता है।

भारत में कानून कौन लागू करता है?

भारत में कानून को लागू करने की जिम्मेदारी मुख्य रूप से पुलिस और न्यायपालिका की होती है।

मूल कानून क्या है?

मूल कानून या संविधान एक देश का सर्वोच्च कानून होता है। यह देश के शासन, नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों, और कानून बनाने की प्रक्रिया को निर्धारित करता है। भारत का संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है।

लीचिंग प्रोसेस क्या है?

लिंचिंग में अक्सर किसी पर आरोप लगाकर उसे बिना कानूनी प्रक्रिया के भीड़ पकड़ती है, शारीरिक यातना देती है और हत्या कर देती है। खासकर अमेरिका में, यह एक सार्वजनिक तमाशा बन गया था जहाँ श्वेत वर्चस्व का जश्न मनाया जाता था। पीड़ितों की तस्वीरें स्मारिका पोस्टकार्ड के रूप में भी बेची जाती थीं, जो उस क्रूरता और अन्याय को दर्शाती हैं।

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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