कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी

कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी | Kalpana Chawla Biography In Hindi

Published on May 6, 2025
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कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी

Quick Summary

  • कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च, 1962 को भारत के करनाल में हुआ था।
  • वह पहली भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थीं और अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला के रूप में जानी जाती हैं।
  • उन्होंने 1997 में स्पेस शटल कोलंबिया पर मिशन विशेषज्ञ और मुख्य रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में अपनी पहली उड़ान भरी।
  • उनके अद्वितीय योगदान और साहस ने उन्हें अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व बना दिया।
  • 1 फरवरी, 2003 को एक दुखद घटना में उनका निधन हो गया, लेकिन उनकी उपलब्धियाँ और प्रेरणा आज भी लोगों को प्रेरित करती हैं।

Table of Contents

अंतरिक्ष की बेटी के नाम से मशहूर कल्पना चावला को भला कौन नहीं जानता। कम उम्र में ही उन्होंने अंतरिक्ष जगत में भारत का परचम लहराया और हर भारतीय के दिल में अपनी खास जगह बना ली। विशेष रूप से, अंतरिक्ष में जाने का सपना देखने वाली हर महिला के लिए कल्पना चावला एक आदर्श हैं।

उन्होंने सिर्फ एक बार नहीं, बल्कि दो बार अंतरिक्ष का सफल सफर किया। कल्पना चावला, भारत की वह बेटी थीं जिन्होंने अपने सपनों को साकार करते हुए अंतरिक्ष की ऊँचाइयों को छुआ। कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी नामक इस ब्लॉग में कल्पना चावला का परिवार, कल्पना चावला की मृत्यु कब और कैसे हुई, kalpana chawla death age के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी

कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी में प्रमुख जानकारी नीचे दी गई तालिका में है:

विवरणजानकारी
पूरा नामकल्पना चावला
जन्म तिथि17 मार्च 1962
जन्म स्थानकरनाल, हरियाणा, भारत
पेशाइंजिनियर,टेक्नोलॉजिस्ट
राष्ट्रीयताभारतीय-अमेरिकी
बालों का रंगकाला
आँखों का रंगकाला
पिता का नामबनारसी लाल चावला
माता का नामसंज्योथी चावला
पति का नामजीन पिएरे हैरिसन
प्राथमिक शिक्षाकरनाल से
बीएससीपंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज
एम.एसटेक्सास यूनिवर्सिटी से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग
पीएचडीएयरोस्पेस इंजीनियरिंग में कोलोराडो यूनिवर्सिटी से की
पहली अन्तरिक्ष की यात्रा1996 में STS-87
दूसरी और अंतिम अन्तरिक्ष यात्रा2003 में STS-107 फ्लाइट
मृत्यु का कारणस्पेस शटल का टूटना
अवार्ड्सकांग्रेशनल स्पेस मेडल ऑफ़ ऑनर,नासा अन्तरिक्ष उडान पदक और नासा विशिष्ट सेवा पदक
पेशावैज्ञानिक, अंतरिक्ष यात्री
प्रमुख उपलब्धिअंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला
कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी

कल्पना चावला का परिवार (कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी)

कल्पना चावला एक भारतीय-अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री थीं, जो अंतरिक्ष में यात्रा करने वाली पहली भारतीय महिला बनीं। कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल शहर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता बनारसी लाल चावला और माता संज्योती चावला थे। कल्पना चावला का परिवार चार भाई-बहनों का था, जिसमें कल्पना सबसे छोटी थीं। उनके भाई-बहनों के नाम संजय, दीपक, और सुनीता हैं।

बचपन और परिवार का सहयोग

  • कल्पना का नाम पहले मोंटो था, लेकिन स्कूल में दाखिले के समय उन्होंने अपना नाम “कल्पना” रखने का निर्णय लिया, जिसका अर्थ है “कल्पना करना” या “सपने देखना”।
  • बचपन से ही कल्पना का झुकाव विज्ञान और अंतरिक्ष की ओर था। जब अन्य बच्चे खेल-कूद में समय बिताते थे, कल्पना आसमान में उड़ते विमानों और सितारों को देखकर सपने बुनती थीं।
  • उनके पिता, जो एक व्यवसायी थे, ने शुरू में उनकी वैमानिकी इंजीनियरिंग में रुचि का विरोध किया, लेकिन बाद में उन्होंने कल्पना के सपनों को पूरा करने में उनका पूरा सहयोग किया।

परिवार का शिक्षा के प्रति दृष्टिकोण

  • कल्पना के माता-पिता ने हमेशा शिक्षा को प्राथमिकता दी और अपने बच्चों को बड़े सपने देखने और उन्हें साकार करने के लिए प्रोत्साहित किया।
  • कल्पना की मां ने हमेशा उन्हें आत्मनिर्भर और मेहनती बनने की प्रेरणा दी।
  • परिवार के इस सकारात्मक माहौल और समर्थन ने कल्पना को अपने सपनों को उड़ान देने का साहस दिया।

शिक्षा और करियर की शुरुआत

शिक्षा

कल्पना चावला की शिक्षा ने उनके करियर की नींव रखी। उन्होंने हमेशा अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लिया और अपने क्षेत्र में उत्कृष्टता प्राप्त की।

  1. स्कूल की शिक्षा-
  • उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा करनाल के टैगोर बाल निकेतन स्कूल से पूरी की।
  • स्कूल के दिनों में उनका विज्ञान और गणित के प्रति विशेष रुझान था।
  • उन्होंने अपनी शिक्षकों से हमेशा नए-नए सवाल पूछे, जिनका संबंध अंतरिक्ष, विमान, और सितारों से होता था।
  1. स्नातक की पढ़ाई-
  • कल्पना ने चंडीगढ़ के पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से वैमानिकी इंजीनियरिंग (Aerospace Engineering) में स्नातक की डिग्री हासिल की।
  • यह उनके करियर का पहला बड़ा कदम था, जिसने उनकी अंतरिक्ष यात्रा की दिशा तय की।
  • उस समय, वैमानिकी इंजीनियरिंग को महिलाओं के लिए असामान्य क्षेत्र माना जाता था, लेकिन कल्पना ने इसे चुनौती के रूप में लिया।
  1. उच्च शिक्षा-
  • अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद, उन्होंने उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका का रुख किया।
  • टेक्सास विश्वविद्यालय से उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री प्राप्त की।
  • इसके बाद, उन्होंने कोलोराडो विश्वविद्यालय से इसी क्षेत्र में पीएचडी की डिग्री हासिल की।

करियर की शुरुआत

कल्पना चावला की शिक्षा पूरी होने के बाद, उन्होंने नासा (NASA) में एक वैज्ञानिक के रूप में अपना करियर शुरू किया।

  1. नासा में प्रारंभिक भूमिका-
  • 1988 में, कल्पना ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में बतौर अनुसंधान वैज्ञानिक काम करना शुरू किया।
  • यहाँ उन्होंने एयरोडायनामिक्स (Aerodynamics) और रोटरी विंग एयरक्राफ्ट्स पर काम किया।
  • उनकी गहन अध्ययन और शोध ने नासा में उनकी पहचान बनाई।
  1. अंतरिक्ष यात्री बनने का सफर-
  • नासा में उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन को देखते हुए, उन्हें 1994 में नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम (Astronaut Program) में चुना गया।
  • यह चयन उनके करियर का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें अंतरिक्ष में जाने का अवसर प्रदान किया।
  • इस कार्यक्रम में उन्होंने कठोर प्रशिक्षण लिया, जिसमें अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग करना, यान को नियंत्रित करना, और माइक्रोग्रेविटी में काम करना शामिल था।
  1. वैज्ञानिक के रूप में योगदान-
  • नासा में रहते हुए कल्पना ने विमानन और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए।
  • उनकी शोध और तकनीकी विशेषज्ञता ने उन्हें न केवल नासा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय विज्ञान समुदाय में भी एक प्रतिष्ठित स्थान दिलाया।

चुनौतियाँ और प्रेरणा

  • कल्पना को एक महिला और विदेशी नागरिक होने के नाते कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
  • लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और अपने दृढ़ निश्चय से इन बाधाओं को पार किया।
  • उनका मानना था कि “सपने देखने वालों के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।”

यहाँ हमने जाना कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी अब उनकी आगे की यात्रा के बारे में जान लेते है।

अंतरिक्ष में कल्पना चावला की यात्रा – कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी

कल्पना चावला का अंतरिक्ष में सफर न केवल उनकी कड़ी मेहनत और लगन का परिणाम था, बल्कि यह भारत और महिलाओं के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि भी साबित हुआ। उनका जीवन इस बात का प्रमाण है कि यदि आप अपने सपनों के प्रति समर्पित हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है।

नासा में प्रवेश

कल्पना चावला ने 1988 में नासा में शामिल होकर अपने सपनों को साकार करने की दिशा में कदम बढ़ाया। नासा में उन्होंने एक वैज्ञानिक के रूप में शुरुआत की और अपने ज्ञान और प्रतिभा से सबका ध्यान आकर्षित किया।

अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में चयन

  • 1994 में, उन्हें नासा के अंतरिक्ष यात्री कार्यक्रम में शामिल किया गया।
  • इस चयन के साथ ही कल्पना चावला भारत की उन कुछ महिलाओं में शामिल हो गईं, जिन्होंने विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
  • नासा में प्रवेश उनके जीवन का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने उन्हें अंतरिक्ष में जाने का अवसर दिया।

कल्पना चावला: अंतरिक्ष यात्रा की कहानी

पहला मिशन: STS-87 कोलंबिया

  • मिशन का नाम: STS-87
  • तारीख: 19 नवंबर 1997
  • अवधि: 15 दिन, 16 घंटे, 34 मिनट

मिशन की विशेषताएँ-

  1. इस मिशन का उद्देश्य अंतरिक्ष में वैज्ञानिक प्रयोग करना और पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन करना था।
  2. कल्पना चावला ने रॉबोटिक आर्म का संचालन किया, जो उपग्रहों को अंतरिक्ष में नियंत्रित करने और उन्हें पुनः स्थापित करने के लिए इस्तेमाल किया गया।
  3. उन्होंने कई वैज्ञानिक प्रयोगों में सक्रिय भाग लिया, जिनमें माइक्रोग्रेविटी (शून्य गुरुत्वाकर्षण) के प्रभावों का अध्ययन शामिल था।

प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • STS-87 मिशन में उनकी भूमिका ने यह साबित कर दिया कि वह न केवल एक उत्कृष्ट वैज्ञानिक हैं, बल्कि एक कुशल अंतरिक्ष यात्री भी हैं।
  • यह मिशन उनकी पहली अंतरिक्ष यात्रा थी, जो उनके करियर के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर साबित हुई।

दूसरा मिशन: STS-107 कोलंबिया

  • मिशन का नाम: STS-107
  • तारीख: 16 जनवरी 2003
  • अवधि: 15 दिन, 22 घंटे, 20 मिनट

मिशन की विशेषताएँ-

  1. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य अंतरिक्ष में माइक्रोग्रेविटी के प्रभावों पर गहराई से अनुसंधान करना था।
  2. कल्पना चावला ने इस मिशन में 80 से अधिक प्रयोग किए, जिनमें जैविक विज्ञान, भौतिक विज्ञान और पृथ्वी के पर्यावरण से जुड़े प्रयोग शामिल थे।
  3. उन्होंने अंतरिक्ष में शारीरिक प्रक्रियाओं पर माइक्रोग्रेविटी के प्रभाव का विश्लेषण किया।

प्रमुख उपलब्धियाँ-

  • STS-107 मिशन ने अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
  • इस मिशन में कल्पना ने अपनी उत्कृष्ट वैज्ञानिक क्षमता का प्रदर्शन किया और अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में नासा और भारत के लिए गौरव हासिल किया।

अंतरिक्ष यात्रा का दुखद अंत-

1 फरवरी 2003 को, जब कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर रहा था, तब यान के विंग पर हुई क्षति के कारण यह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

  • इस हादसे में कल्पना चावला सहित सातों अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई।
  • यह घटना न केवल विज्ञान जगत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक गहरा आघात था।

दोनों अभियानों में उनकी भूमिका और उपलब्धियाँ(कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी)

  1. वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान-
  • कल्पना चावला ने दोनों मिशनों में विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों का संचालन किया, जो अंतरिक्ष विज्ञान और पृथ्वी के पर्यावरण को बेहतर समझने में सहायक रहे।
  • उनके शोध का उपयोग अंतरिक्ष में मानव अस्तित्व और माइक्रोग्रेविटी के प्रभावों को समझने के लिए किया गया।
  1. प्रेरणादायक भूमिका-
  • उन्होंने अपने कार्य से यह साबित किया कि महिलाएँ विज्ञान और अंतरिक्ष के क्षेत्र में बड़े से बड़े मुकाम हासिल कर सकती हैं।
  • उनकी उपलब्धियाँ नासा और भारत दोनों के लिए गर्व का विषय बनीं।
  1. वैश्विक पहचान-
  • कल्पना चावला का नाम न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में अंतरिक्ष यात्रा और विज्ञान के क्षेत्र में जाना जाने लगा।
  • उनकी उपलब्धियाँ आज भी लाखों युवाओं को प्रेरित करती हैं।

कल्पना चावला की मृत्यु (कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी)

कल्पना चावला की मृत्यु एक ऐसी दुखद घटना थी, जिसने पूरी दुनिया को झकझोर दिया। अंतरिक्ष में अपने दूसरे मिशन को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद, जब कोलंबिया अंतरिक्ष यान (STS-107) पृथ्वी पर लौट रहा था, तब यह एक भयंकर दुर्घटना का शिकार हो गया। इस हादसे में न केवल कल्पना चावला, बल्कि उनके साथ यान में मौजूद सभी छह अंतरिक्ष यात्रियों की भी मृत्यु हो गई।

कल्पना चावला की मृत्यु कब और कैसे हुई?(कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी)

  • घटना का दिन और समय-
    • यह हादसा 1 फरवरी 2003 को सुबह लगभग 9:00 बजे (स्थानीय समय) हुआ। जब कोलंबिया अंतरिक्ष यान पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश कर रहा था, तब यान का संपर्क नासा के साथ टूट गया।
  • दुर्घटना का कारण-
    • यह दुर्घटना यान के विंग (बाएं पंख) पर हुई क्षति के कारण हुई थी।
    • लॉन्च के समय, यान के ईंधन टैंक से फोम इंसुलेशन का एक बड़ा टुकड़ा टूटकर विंग से टकरा गया था। इस टक्कर से विंग पर एक बड़ा छेद हो गया।
    • पृथ्वी के वायुमंडल में पुनः प्रवेश के दौरान, अत्यधिक गर्मी (लगभग 1600 डिग्री सेल्सियस) और दबाव ने विंग को पूरी तरह से नष्ट कर दिया, जिससे यान बेकाबू होकर टूट गया।
  • घटना का परिणाम-
    • कोलंबिया यान पूरी तरह से नष्ट हो गया, और उसमें मौजूद सभी सात अंतरिक्ष यात्री—कल्पना चावला सहित—मारे गए।
    • यान के टुकड़े अमेरिका के टेक्सास और लुइसियाना राज्यों में फैल गए।

कल्पना चावला की मृत्यु के समय उनकी उम्र ( kalpana chawla death age )

kalpana chawla death age की बात करें तो वो मात्र 40 साल की थी। इतनी कम उम्र में उन्होंने वह ऊँचाई हासिल की, जो हर किसी का सपना होता है। उनका जीवन और करियर उनकी मेहनत, साहस, और दृढ़ निश्चय का प्रतीक था। कल्पना ने यह साबित किया कि एक भारतीय महिला, चाहे वह कितनी भी कठिन परिस्थितियों में क्यों न हो, अपने सपनों को साकार कर सकती है।

नासा की प्रतिक्रिया-

  • नासा ने इस दुर्घटना की गहन जांच की और इसके कारणों को समझने के लिए एक “कोलंबिया एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन बोर्ड” का गठन किया।
  • जांच में पाया गया कि इस दुर्घटना को रोका जा सकता था यदि लॉन्च के समय हुई क्षति पर ध्यान दिया गया होता।
  • नासा ने इस घटना के बाद अपनी सुरक्षा प्रक्रियाओं को सख्त किया और भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए कई सुधार किए।

कल्पना चावला का योगदान और विरासत(कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी)

अंतरिक्ष विज्ञान में योगदान-

  • कल्पना चावला का जीवन और उनकी उपलब्धियाँ अंतरिक्ष विज्ञान में एक अमूल्य योगदान हैं।
  • उन्होंने न केवल वैज्ञानिक अनुसंधान में योगदान दिया, बल्कि यह भी साबित किया कि महिलाएँ इस क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियाँ हासिल कर सकती हैं।

प्रेरणा का स्रोत

  • उनकी मृत्यु के बाद भी, उनका जीवन और कार्य आज भी लाखों युवाओं, खासकर महिलाओं, को प्रेरित करते हैं।
  • भारत में उनके नाम पर कई स्कूल, कॉलेज और संस्थान बनाए गए हैं।
  • नासा ने उनके सम्मान में एक उपग्रह का नाम “कल्पना-1” रखा।

कल्पना चावला की उपलब्धियाँ

कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी और उनकी उपलब्धियाँ न केवल भारत के लिए गर्व का विषय हैं, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत भी हैं। उन्होंने अपने काम और समर्पण से साबित किया कि कोई भी सपना बहुत बड़ा नहीं होता, और हर सपना कड़ी मेहनत और दृढ़ निश्चय से पूरा किया जा सकता है।

भारत और विश्व में सम्मान

भारत में सम्मान-

  • कल्पना चावला को मरणोपरांत भारत सरकार ने “अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला” के रूप में सम्मानित किया।
  • उनके सम्मान में भारत में कई संस्थानों, स्कूलों और पुरस्कारों के नाम रखे गए हैं।
  • हरियाणा सरकार ने उनके सम्मान में कई शैक्षणिक संस्थानों का नाम “कल्पना चावला गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज” और “कल्पना चावला हॉस्टल” रखा।
  • उनके नाम पर चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में एक शोध केंद्र की स्थापना की गई।
  • भारतीय डाक विभाग ने उनकी याद में डाक टिकट जारी किया, जो उनके प्रति देश की श्रद्धा को दर्शाता है।
  • अंतरिक्ष विज्ञान में उनके योगदान के सम्मान में हरियाणा सरकार ने उनकी जन्मस्थली करनाल में एक संग्रहालय बनाया।

वैश्विक सम्मान-

  • नासा ने उनके योगदान को मान्यता देते हुए उनके नाम पर एक उपग्रह का नाम “कल्पना-1” रखा। यह उपग्रह पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए बनाया गया था।
  • अमेरिका में कई स्कूलों और शोध संस्थानों ने उनके नाम पर स्मृति पुरस्कार स्थापित किए हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्हें “ग्लोबल आइकन” के रूप में देखा जाता है, और उनकी उपलब्धियों को अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में मील का पत्थर माना जाता है।

कल्पना चावला पर 10 लाइन (10 Lines on Kalpana Chawla in Hindi)

  1. कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को हरियाणा के करनाल में हुआ।
  2. वह अंतरिक्ष में जाने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
  3. उन्होंने वैमानिकी इंजीनियरिंग में स्नातक किया और उच्च शिक्षा के लिए अमेरिका गईं।
  4. 1997 में उन्होंने अपने पहले अंतरिक्ष मिशन STS-87 कोलंबिया में भाग लिया।
  5. 2003 में उन्होंने अपना दूसरा और अंतिम मिशन STS-107 कोलंबिया पूरा किया।
  6. 1 फरवरी 2003 को उनकी अंतरिक्ष यान दुर्घटना में मृत्यु हो गई।
  7. उनकी मृत्यु के बाद नासा ने उनके नाम पर एक उपग्रह का नाम रखा।
  8. उन्होंने अपने जीवन से महिलाओं को आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत की प्रेरणा दी।
  9. उनकी उपलब्धियों ने भारत और दुनिया भर में अंतरिक्ष विज्ञान में रुचि बढ़ाई।
  10. कल्पना चावला का नाम हमेशा एक प्रेरणा के रूप में याद किया जाएगा।

निष्कर्ष (Conclusion)

कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी उन सभी लोगों के लिए प्रेरणादायक है, जो बड़े सपने देखते हैं। उनका संघर्ष, मेहनत और उपलब्धियाँ यह सिखाती हैं कि यदि आप अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित हैं, तो कुछ भी असंभव नहीं है। कल्पना ने न केवल अपने देश का गौरव बढ़ाया, बल्कि महिलाओं के लिए एक नई राह भी खोली।

उनकी कहानी हर उस व्यक्ति को प्रेरणा देती है जो अपने सपनों को साकार करने का साहस रखता है। इस ब्लॉग में कल्पना चावला जीवनी इन हिंदी, कल्पना चावला का परिवार, कल्पना चावला की मृत्यु कब और कैसे हुई, kalpana chawla death age के बारे में जाना। कल्पना चावला के जीवन की कहानी हमेशा यह सिखाएगी कि सितारे छूने के लिए हमें पहले उड़ना सीखना होगा।

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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कल्पना चावला की मौत चाँद पर कैसे हुई थी?

1 फरवरी 2003 को अंतरिक्ष में 16 दिन बिताने के बाद कल्पना चावला अपने 6 अन्य साथियों के साथ धरती पर लौट रही थीं तो उनका यान क्षतिग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में चावला समेत सभी यात्रियों की मौत हो गई थी।

कल्पना चावला कितनी बार चांद पर गई थी?

कभी नहीं। कल्पना चावला चाँद पर कभी नहीं गई थीं। उन्होंने अंतरिक्ष में दो मिशन पूरे किए थे, लेकिन दोनों ही मिशन पृथ्वी की कक्षा में ही थे।

कल्पना चावला के पति कौन थे?

कल्पना चावला के पति का नाम जीन-पियरे हार्डी था। वे भी एक वैज्ञानिक थे।

चाँद पर कदम रखने वाला पहला भारतीय कौन था?

अभी तक कोई भी भारतीय चाँद पर नहीं गया है। चाँद पर कदम रखने वाले पहले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग थे, जो अमेरिकी थे।

कल्पना चावला ने अपना सपना कैसे पूरा किया?

कल्पना चावला बचपन से ही अंतरिक्ष में जाने का सपना देखती थीं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इस सपने को पूरा किया। उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और नासा में अंतरिक्ष यात्री बन गईं। उन्होंने अंतरिक्ष में दो मिशन पूरे किए और भारत का नाम रोशन किया।

कल्पना चावला अंतरिक्ष में कितने घंटे रही थीं?

कल्पना चावला अपनी पहली अंतरिक्ष यात्रा के दौरान 372 घंटे अंतरिक्ष में रहीं और उनके स्पेसक्राफ्ट ने पृथ्वी के 252 चक्कर लगाए। जबकि उनका पहला मिशन सफल रहा था, उन्होंने 16 जनवरी 2003 को अपनी दूसरी और अंतिम अंतरिक्ष उड़ान भरी थी।

कल्पना चावला चांद पर कितनी बार गई थीं?

कल्पना चावला चांद पर कभी-भी नहीं गई थीं. उन्होंने अंतरिक्ष में दो बार यात्रा की थी, लेकिन दोनों ही बार पृथ्वी की कक्षा में ही रहीं. 

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.