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कैलाश पर्वत भारतीय उपमहाद्वीप का एक पवित्र और रहस्यमय पर्वत है। यह पर्वत हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। हिन्दू धर्म में इसे भगवान शिव का निवास स्थान कहा जाता है, जबकि बौद्ध धर्म में इसे ‘कंग रिनपोचे’ कहते हैं, जिसका अर्थ है ‘महान हिमालय पर्वत’। इस पर्वत को लेकर कई धार्मिक और पौराणिक कहानियाँ हैं, जो इसे विशेष बनाती हैं। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि कैलाश पर्वत कहां है, कैलाश पर्वत का रहस्य, ऊंचाई, यात्रा का रास्ता, यात्रा की तैयारी, कैलाश पर्वत की कहानी और इससे जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां।
कैलाश पर्वत तिब्बत में स्थित है, जो चीन के क्षेत्र में आता है। यह पर्वत तिब्बती पठार के दक्षिण-पश्चिम में है और इसकी ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर(21,778 फीट) है। इस पर्वत के पास मानसरोवर झील भी है, जो हिंदू धर्म में बहुत पवित्र मानी जाती है।
कैलाश पर्वत की सही स्थिति के बारे में बात करें तो यह 31°04′13.15″N अक्षांश और 81°18′45.45″E देशांतर पर है। कैलाश तिब्बत के नगारी प्रिफेक्चर के पुर्वांग जिले में है, जो तिब्बत की राजधानी ल्हासा से लगभग 1,200 किलोमीटर पश्चिम में है।
तिब्बत के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित कैलाश पर्वत, हिमालय पर्वत श्रृंखला का एक हिस्सा है। इसका शिखर लगभग 21,778 फुट ऊँचा है और इस शिखर की आकृति विराट शिवलिंग की तरह है। यह इतना ठंडा है कि सर्दियों में यहां का तापमान -20 डिग्री तक पहुंच जाता है और गर्मियों में भी 10 डिग्री से ऊपर नहीं जा पाता है और इसलिए ये साल भर बर्फ से ढका हुआ रहता है।
कैलाश पर्वत की ऊंचाई लगभग 6,638 मीटर (21,778 फीट) है। इसकी ऊंचाई इसे एक चुनौतीपूर्ण पर्वत बनाती है, लेकिन धार्मिक और आध्यात्मिक कारणों से लोग यहाँ की यात्रा करते हैं। इस पर्वत की ऊंचाई और इसके कठिन मार्ग इसे और भी विशेष बनाते हैं। कैलाश पर्वत की ऊंचाई के कारण इसे ‘सृष्टि का केंद्र’ माना जाता है।
अनेको रिसर्च के बाद भी कैलाश पर्वत का रहस्य अभी भी वैज्ञानिको के लिए एक पहेली बना हुआ है। दुनिया भर के कई लोग इस पर्वत पर चढ़ने की कोशिश कर चुके है, लेकिन आज तक कोई सफल नहीं हो पाया। आइये जानते हैं कैलाश पर्वत का रहस्य क्या हैं?
कैलाश पर्वत के बारे में कई रहस्यमयी कहानियाँ हैं। कहा जाता है कि कैलाश पर्वत की ऊंचाई, माउन्ट एवरेस्ट से लगभग 2200 मीटर कम है लेकिन फिर भी इस पर्वत पर चढ़ना लगभग असंभव है और कई लोगों ने इस पर चढ़ने की कोशिश की लेकिन वे असफल रहे। यहाँ कई अद्भुत घटनाएँ होती रहती हैं, जैसे रात के समय रहस्यमय रोशनी, घंटे और शंख की आवाजें।
एक प्रसिद्ध कहानी के अनुसार, रूसी पर्वतारोही निकोलाई रेरिख ने कैलाश पर्वत के ऊपर उड़ते हुए यूएफओ देखा था। इसके अलावा, यह भी कहा जाता है कि इस पर्वत पर समय की गति बहुत तेज़ होती है। यहाँ के पर्यटक बताते हैं कि यहाँ पर समय बहुत तेजी से बीतता है और बाल और नाख़ून तेज़ी से बढ़ते हैं।
कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील क्षेत्र में आने वाले पर्यटक अक्सर आसपास के क्षेत्र में एक हवाई जहाज जैसी निरंतर ध्वनि की सूचना देते हैं। ध्यान से सुनने पर इस ध्वनि की तुलना लयबद्ध ‘डमरू’ या ‘ओम’ से की जाती है। जबकि वैज्ञानिकों का सुझाव है कि इस ध्वनि को बर्फ के पिघलने से जोड़ा जा सकता है, वहीं एक धारणा यह भी है कि प्रकाश और ध्वनि का एक अनूठा परस्पर क्रिया क्षेत्र में सुनाई देने वाली ‘ओम’ ध्वनि के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
कई बार कैलाश पर्वत (Kailash Parvat) के ऊपर आकाश को रोशन करने वाली सात अलग-अलग प्रकार की रोशनी की उपस्थिति का वर्णन किया गया है। नासा के वैज्ञानिकों का सुझाव है कि इन घटनाओं के लिए क्षेत्र में मौजूद मैग्नेटिक पावर को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। यह चुंबकीय बल आकाश के साथ संपर्क कर सकता है, जिससे कई अवसरों पर ऐसी घटनाएं प्रकट हो सकती हैं।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी कैलाश पर्वत का रहस्य बहुत आकर्षक है। कई वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पर्वत के भूगोल और ऊंचाई के कारण यहाँ चढ़ाई करना बहुत कठिन है। इसके अलावा, यहाँ के मौसम और वातावरण भी इस रहस्य को और गहरा बनाते हैं।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि कैलाश पर्वत की आकृति और उसका भौगोलिक स्थान इसे प्राकृतिक रूप से एक महत्वपूर्ण ऊर्जा का केंद्र बनाते हैं। यह पर्वत पृथ्वी की ऊर्जा ग्रिड के केंद्र में स्थित है और यहाँ की ऊर्जा का प्रभाव आसपास के क्षेत्र पर पड़ता है।
कई अध्यात्मिक विशेषज्ञ का मानना हैं कि कैलाश पर्वत पृथ्वी की ऊर्जा रेखाओं (Earth’s power grid) का केंद्र है। इसे ‘Axis Mundi’ यानी सृष्टि का केंद्र भी कहा जाता है।
कहते हैं, कि यह वह बिंदु है जहाँ धरती और आकाश का मिलन होता है और यह स्थान सीधे ब्रह्मांडीय ऊर्जा से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि यहां की आध्यात्मिक शक्ति इतनी प्रबल मानी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि कैलाश, सृष्टि के आरंभ से ही स्थित है और भगवान शंकर का निवास स्थान है। आइये कैलाश पर्वत की कहानी में जानते हैं इस पर्वत का धार्मिक और पौराणिक महत्त्व।
कैलाश-मानसरोवर जाने के अनेक रास्तें हैं लेकिन उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से होकर जाने वाला रास्ता सबसे आसान और सुगम माना जाता है। इस रास्तें की कुल लम्बाई 544 km है। आइये जानते हैं कैलाश-मानसरोवर जाने पर्यटक कौन-कौन से रास्तें से जा सकते हैं।
कैलाश पर्वत जाने का रास्ता बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण है। यहाँ पहुँचने के लिए कई रास्ते हैं, लेकिन लगभग सभी रास्तें बहुत कठिन होते हैं और रास्तें की इन चुनौतियों को पार करके ही भगवान शिव के निवास स्थान तक पहुँचा जा सकता है। आइये हम जानते हैं कि हम कौन-सा कैलाश पर्वत जाने का रास्ता ले सकते हैं।
ल्हासा से यात्रा करते समय यात्री पहले काठमांडू से ल्हासा पहुँचते हैं, फिर वहाँ से कैलाश पर्वत तक की यात्रा करते हैं। यह रास्ता काफी लंबा और कठिन है, लेकिन यहाँ के प्राकृतिक दृश्य बहुत ही सुंदर और मनमोहक होते हैं।
ल्हासा से यात्रा के दौरान पर्यटकों को कई उच्च पर्वतीय क्षेत्रों से होकर गुजरना होता है। यह यात्रा लगभग 3-4 दिनों की होती है और इस दौरान पर्यटकों को तिब्बत के सुंदर दृश्यों का आनंद मिलता है।
गंगोत्री से कैलाश पर्वत जाने का ये रास्ता सबसे प्राथमिक रास्ता है। ये रास्ता चार हिस्से में बंटा हुआ है- गंगोत्री से यमनोत्री, यमनोत्री से धारचूला, धारचूला से लिपुलेख और लिपुलेख से होते हुए कैलाश-मानसरोवर। ये रास्ता उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले और चीन के तिब्बत के बीच एक पुल की तरह काम करता है।
नेपाल के रास्ते यात्रा करते समय यात्री काठमांडू से नेपालगंज, फिर सिमिकोट और हिल्सा होते हुए तिब्बत में प्रवेश करते हैं। यह मार्ग भी कठिन है लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य से भरा हुआ है। नेपाल के रास्ते से यात्रा करने पर पर्यटकों को हुमला जिले के हिल्सा गांव से तिब्बत में प्रवेश करना होता है। यहाँ से दारचेन तक की यात्रा गाड़ियों के माध्यम से की जाती है।
कैलाश पर्वत की यात्रा के लिए आपको सबसे पहले मानसिक और शरीरिक रूप से फ़ीट होना चाहिए। इसके अलावा आपको इस यात्रा पर जाने से पहले कुछ तैयारी करनी जरुरी होती थी। जैसे – रजिस्ट्रेशन, परमिट, कुल खर्च और लगने वाले समय की जानकारी।
कैलाश पर्वत की यात्रा के लिए सही गाइड और परमिट की आवश्यकता होती है। यह यात्रा तिब्बत में होने के कारण यहाँ जाने के लिए चीन सरकार से विशेष अनुमति लेनी पड़ती है। इसके अलावा, एक अनुभवी गाइड की मदद से यात्रा करना सुरक्षित और सुविधाजनक होता है।
यात्रा के दौरान पर्यटकों को तिब्बत ट्रैवल परमिट और एलीन ट्रैवल परमिट की आवश्यकता होती है। इन परमिट को प्राप्त करने के लिए पर्यटकों को अपने पासपोर्ट और वीजा की जानकारी देना आवश्यक होता है।
कैलाश पर्वत, भारत की एक धार्मिक और ऐतिहासिक विरासत है। हिमालय की गोद में समाये हुए भगवान शंकर के इस निवास स्थान का हिन्दू, जैन और बौद्ध धर्म में विशेष महत्व है। कैलाश पर्वत की यात्रा से हमें धार्मिक लाभ तो मिलता ही है साथ में पौराणिक और प्राकृतिक स्थल को देखने और वहां की शांति को महसूस करने का आनंद भी मिलता है।
कैलाश पर्वत की यात्रा बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण होती है। रास्तें की कठिनाई, खराब मौसम और ख़राब हेल्थ इस यात्रा को और भी कठिन बना देते हैं। आइये जानते हैं, इस यात्रा में आपको कौन-कौन से जोखिम उठाने पड़ सकते हैं।
कैलाश यात्रा पर जाने वाले यात्रियों को अपना मेडिकल चेकअप जरूर करवा लेना चाहिए। इसके अलावा किसी भी इमरजेंसी में काम आने वाली मेडिसिन, रजिस्ट्रेशन, डॉक्यूमेंट्स, खाने-पीने और अन्य जरूरतों के सामान का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
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कैलाश पर्वत एक पवित्र और रहस्यमय स्थल है, जो हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्मों के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यहाँ की यात्रा से आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव होता है। हालांकि, यह यात्रा कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकती है, इसलिए सही तैयारी और सावधानी बरतना जरूरी है। कैलाश पर्वत कहाँ है, इसकी कहानी, रहस्य, ऊंचाई और यात्रा के रास्तों के बारे में जानकर हमें इस अद्वितीय स्थल के महत्व का पता चलता है।
हाँ, तकनीकी रूप से इंसान कैलाश पर्वत पर जा सकता है। लेकिन, अधिकांश धर्मों में इस पर्वत को पवित्र माना जाता है और इसे चढ़ना एक पाप माना जाता है। इस कारण से, बहुत कम लोग इस पर्वत पर चढ़ने का प्रयास करते हैं। मिलारेपा नामक बौद्ध भिक्षु कैलाश पर्वत पर जाने वाला एकमात्र व्यक्ति बताया जाता है।
कैलाश पर्वत को आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव का केंद्र माना जाता है। माना जाता है कि यही वह बिंदु है जहां आकाश धरती से आकर मिलता है। यहीं पर आकर दसों दिशाओं का मिलन होता है। एक्सिस मुंडी वह स्थान माना जाता है कि जहां अलौकिक शक्तियों का प्रवाह होता है और यहां आकर आप उन शक्तियों से संपर्क कर सकते हैं।
कैलाश पर्वत अब भी अजेय है, यानी हर कोशिश के बाद भी अभी तक कोई भी कैलाश पर्वत पर नहीं चढ़ पाया है। मिलारेपा नामक बौद्ध भिक्षु कैलाश पर्वत पर जाने वाला एकमात्र व्यक्ति बताया जाता है।
कई बार कैलाश पर्वत पर ” सात तरह के प्रकाश” आसमान में देखें गयें है। इसपर नासा का ऐसा मानना है कि यहाँ चुम्बकीय बल है और आसमान से मिलकर वह कई बार इस तरह की चीजों का निर्माण करता है।
चीन ने कैलाश पर्वत पर चढ़ाई पर प्रतिबंध लगाया है, ताकि इस पवित्र स्थल को संरक्षित किया जा सके। चीन सरकार का मानना है कि बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने से इस पर्वत की प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्व प्रभावित हो सकता है।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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