जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय: जीवन और साहित्य का सफर

Published on June 9, 2025
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जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय

Quick Summary

  • जयशंकर प्रसाद (1889-1937) हिंदी साहित्य के महान कवि, नाटककार, उपन्यासकार और निबंधकार थे।
  • वे छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक थे।
  • उनकी प्रसिद्ध रचनाओं में “कामायनी” और “आंसू” शामिल हैं।
  • उन्होंने हिंदी काव्य में छायावाद की नींव रखी।
  • उन्होंने खड़ी बोली को प्रतिष्ठित किया।

Table of Contents

छायावाद के आधार स्तंभों में से एक माने जाने वाले जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय भी उनकी लेखनी की तरह सरल है| उनका जन्म 30 जनवरी को 1889 में काशी में हुआ था, जिसे आज के वक्त बनारस के नाम से भी जाना जाता है। जयशंकर प्रसाद ने अपने पूरे जीवन काल में हिंदी साहित्य को आगे बढ़ाने की भरपूर कोशिश की। उन्होंने घर पर रहकर ही हिंदी, संस्कृत एवं फ़ारसी भाषा एवं साहित्य की पढ़ाई की।

उनका नजरिया और सोच किसी भी आम लेखक की तुलना में ज्यादा गहरी और दूरगामी थी। जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं पढ़ कर उनकी लेखनी में उनकी साहित्यिक योग्यता देखने को मिलती है। उन्होंने कम उम्र में ही अपना पहला नाटक सज्जन लिखा था, जो बाद में 1910 ई० में प्रकाशित हुआ।

इस ब्लॉग में जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय(Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay) हिंदी में , उनके बाल्यकाल, जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं एवं प्रारंभिक जीवन के बारे में विस्तार से बताया गया है।

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय

विशेषताविवरण
जन्म30 जनवरी, 1889 (वाराणसी, भारत)
मृत्यु15 नवंबर, 1937 (वाराणसी, भारत)
उपनामप्रसाद
अन्य नाम से जाने जाते हैंछायावादी कवि
पेशाकवि, नाटककार, उपन्यासकार, कहानी लेखक
साहित्यिक आंदोलनछायावाद (रूमानीवाद)
भाषाहिंदी (खड़ी बोली, हिंदी)
प्रसिद्ध रचनाएँकविता: कामयानी, कहानी कोन / नाटक: कर्ण कुमारी, स्कंदगुप्त
विरासतहिंदी रूमानीवाद के “चार स्तंभों” में से एक माने जाते हैं। उनकी रचनाओं में प्रेम, राष्ट्रवाद और पौराणिक कथाओं के विषयों को शामिल किया गया।
जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय | jay shankar prasad jeevan parichay

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय: जन्म और परिवार

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय में ये  पता चलता है कि उनका जन्म और प्रारंभिक जीवन के बारे में जानेगे। काशी में जन्मे जयशंकर प्रसाद एक अच्छे घराने से ताल्लुक रखते थे। उनके परिवार के लोग व्यापार करते थे। जयशंकर प्रसाद के परिवार वाले अपने समय में कितने ज्यादा रईस थे इसका अंदाजा यहीं से लगाया जा सकता है कि पुराने समय में उनका परिवार पैसे और संपत्ति के मामले में सिर्फ काशी नरेश से पीछे था।

जानकारों का कहना है कि जयशंकर प्रसाद के पिता और बड़े भाई की समय से पहले मृत्यु हो गई थी। इसी के चलते जयशंकर प्रसाद को अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी थी और वो केवल कक्षा 8 तक ही पढ़ पाए थे। कक्षा 8 में पहुंचते ही उन्हें पढ़ाई छोड़कर ना चाहते हुए भी व्यवसाय में उतरना पड़ा। लेकिन जयशंकर जी को पढ़ाई से बहुत ही ज्यादा लगाव था। इसीलिए उन्होंने ठाना कि उनके हालात कैसे भी हों पर वो किसी भी हालत में अपनी पढ़ाई पूरी करेंगे।

Jaishankar Prasad Jivan Parichay: शिक्षा और प्रारंभिक अध्ययन 

जयशंकर प्रसाद के जीवन परिचय से पता चलता है व्यवसाय की शुरुआत करने के बावजूद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। स्कूल छूट जाने पर उन्होंने खुद से पढ़ना शुरू किया। वो खाली समय में सिर्फ और सिर्फ पढ़ा करते थे। माना जाता है कि जयशंकर प्रसाद ने घर में रहकर ही हिंदी के साथ-साथ संस्कृत और फारसी जैसी भाषाएं सीखी। इतना ही नहीं जयशंकर प्रसाद जी ने घर में रहकर संस्कृत के अलावा फारसी भाषा भी खुद से ही सीखी। भाषा सीखने के साथ-साथ उनकी रुचि हिंदी साहित्य में कब बढ़ी इसका अंदाजा खुद उन्हें भी नहीं हुआ। जयशंकर जी ने साहित्य के साथ-साथ भारतीय दर्शन को भी खूब पढ़ा। 

उनके बारे में कहा जाता है कि वो बचपन से ही बहुत ही प्रतिभाशाली बच्चे थे। और उन्होंने सिर्फ 9 वर्ष की आयु में ही अमरकोश के साथ-साथ लघु कौमुदी कंठस्थ कर लिया था। इतना ही नहीं वह 8 से 9 साल की उम्र में वो लिखने भी लगे थे।दूसरे शब्दों में कहा जाए तो जयशंकर प्रसाद किसी आम बच्चों की तुलना में काफी ज्यादा चतुर, शिक्षित और समझदार थे। और उन्हें बचपन से ही पढ़ने लिखने का शौक रहा। इस शौक के चलते ही उन्होंने आगे चलकर न केवल अपनी बल्कि पूरे हिंदी साहित्य को बदलकर रख दिया।

Jaishankar Prasad ka Sahityik Parichay

Jaishankar Prasad ka Sahityik Parichay और कला के बल पर एक आदर्श और सामाजिक सुधारक का पद हासिल किया था। जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं भारत को एक नया आयाम दिया।  

जयशंकर प्रसाद की रचनाएं: कहानियाँ

जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ
जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएँ | jaishankar prasad ki rachnaen

जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखकों में से एक थे। उन्होंने कई कहानियाँ लिखीं, जो आज भी बहुत लोकप्रिय हैं। यहाँ उनकी कुछ प्रमुख कहानियों की सूची दी गई है:

क्रम संख्याशीर्षक
1छोटा जादूगर
2गुंडा
3ममता
4पुरस्कार
5आकाशदीप
6आंधी
7प्रतिध्वनि
8ग्राम
9जहाँआरा
10मदन मृणालिनी
11पाप की पराजय
12छाया
13संगम
14संध्या
15सुधा
16संग्राम
17संगीत
18सपना
19संध्या
20संध्या दीप
21संध्या राग
22संध्या वंदन
23संध्या वेला
24आकाशदीप
जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक परिचय

जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं: कहानियाँ

जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के प्रमुख लेखक थे, जिन्होंने कई महत्वपूर्ण कहानियाँ लिखी हैं। यहाँ उनकी कुछ प्रमुख कहानियों का विवरण दिया गया है:

  • आकाशदीप:
    • विवरण: यह कहानी एक युवा विधवा के संघर्ष और उसकी आत्मनिर्भरता की कहानी है। इसमें समाज के रूढ़िवादी दृष्टिकोण और महिला सशक्तिकरण को प्रमुखता से दर्शाया गया है।
    • मुख्य पात्र: विधवा महिला, समाज के विभिन्न लोग।
  • मधुआ:
    • विवरण: यह कहानी एक गरीब किसान की है जो अपने जीवन की कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करता है। इसमें ग्रामीण जीवन की सच्चाई और संघर्ष को दर्शाया गया है।
    • मुख्य पात्र: मधुआ, उसकी पत्नी, गाँव के लोग।
  • पुरस्कार:
    • विवरण: इस कहानी में एक शिक्षक और उसके शिष्य के बीच के संबंधों को दर्शाया गया है। इसमें शिक्षा के महत्व और शिक्षक के समर्पण को प्रमुखता से दिखाया गया है।
    • मुख्य पात्र: शिक्षक, शिष्य, गाँव के लोग।
  • ग्राम:
    • विवरण: यह कहानी ग्रामीण जीवन की सच्चाई और वहाँ के लोगों के संघर्षों को दर्शाती है। इसमें गाँव के लोगों की समस्याओं और उनके समाधान की कोशिशों को प्रमुखता से दिखाया गया है।
    • मुख्य पात्र: गाँव के लोग, किसान, महिलाएँ।
  • छोटा जादूगर:
    • विवरण: यह कहानी एक छोटे बच्चे की है जो अपने जादू के खेल से लोगों का मनोरंजन करता है। इसमें बच्चे की मासूमियत और उसकी कठिनाइयों को दर्शाया गया है।
    • मुख्य पात्र: छोटा जादूगर, उसके माता-पिता, गाँव के लोग।

जयशंकर प्रसाद की रचनाएं: कविताएँ 

जयशंकर प्रसाद की कविताएँ हिंदी साहित्य में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। यहाँ उनकी कुछ प्रमुख कविताओं की सूची दी गई है:

  1. कामायनी
  2. आँसू
  3. लहर
  4. झरना
  5. कानन-कुसुम
  6. प्रेम पथिक
  7. अरुण यह मधुमय देश हमारा
  8. हिमाद्रि तुंग शृंग से
  9. आह! वेदना मिली विदाई
  10. बीती विभावरी जाग री
  11. दो बूँदें
  12. प्रयाणगीत
  13. तुम कनक किरन
  14. भारत महिमा
  15. सब जीवन बीता जाता है

उपन्यास 

  • कंकाल 
  • तितली 
  • इरावती (अपूर्ण) 

नाटक 

  • सज्जन 
  • कल्याणी-परिणय 
  • प्रायश्चित्त
  • राज्यश्री
  • विशाख 
  • अज्ञातशत्रु
  • जनमेजय का नागयज्ञ 
  • कामना 
  • स्कंदगुप्त 
  • एक घूँट 
  • चंद्रगुप्त 
  • ध्रुवस्वामिनी।   

कहानी-संग्रह 

  • छाया 
  • प्रतिध्वनि 
  • आकाशदीप 
  • आंधी 
  • इंद्रजाल। 

 निबंध 

  • काव्य और कला तथा अन्य निबंध। 

जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं: कविताएँ 

जयशंकर प्रसाद की कविताएँ अपने सौंदर्य, भावप्रवणता और दार्शनिक गहराई के लिए प्रसिद्ध हैं। यहाँ जयशंकर प्रसाद की कुछ प्रमुख कविताएँ दी गई हैं:

  • कामायनी- यह जयशंकर प्रसाद की सबसे प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण महाकाव्य है, जो मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाती है। इसमें 15 सर्ग हैं, जिनमें श्रद्धा, इड़ा और मनु की कहानी बताई गई है।
  • आँसू- जयशंकर प्रसाद की कविता ‘आँसू  प्रसिद्ध काव्य संग्रह है जिसमें प्रेम, पीड़ा और आत्मिक संघर्ष की कविताएँ शामिल हैं। इस संग्रह की कविताएँ पाठकों को गहरे भावनात्मक स्तर पर छूती हैं।

जयशंकर प्रसाद की कविता आँसू की दो पंक्तियाँ 

“मानव जीवन वेदी पर, परिणय हो विरह मिलन का। सुख दुख दोनों नाचेंगे, है खेल आँख और मन का॥”

  • लहर – यह कविता संग्रह भी प्रसाद की प्रमुख कृतियों में से एक है। इसमें प्रकृति, प्रेम और मानव जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाया गया है।
  • झरना- इस काव्य संग्रह में प्रसाद ने प्राकृतिक सौंदर्य और मानवीय भावनाओं को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है। यह संग्रह भी उनकी प्रमुख कृतियों में शामिल है।
  • आधुनिक कविताएँ- यह संग्रह भी प्रसाद की महत्वपूर्ण रचनाओं में गिना जाता है। इसमें आधुनिक समाज और उसकी समस्याओं पर कविताएँ शामिल हैं।
  • चित्राधार- यह प्रसाद का एक और प्रमुख काव्य संग्रह है जिसमें विविध विषयों पर कविताएँ हैं। यह संग्रह उनकी साहित्यिक प्रतिभा का एक और उदाहरण है।

जयशंकर प्रसाद की रचनाएं: नाटक 

जयशंकर प्रसाद ने कई महत्वपूर्ण नाटक लिखे हैं, जो हिंदी साहित्य में बहुत प्रसिद्ध हैं। यहाँ उनके द्वारा लिखे गए प्रमुख नाटकों की सूची दी गई है:

  1. स्कंदगुप्त
  2. चंद्रगुप्त
  3. ध्रुवस्वामिनी
  4. जन्मेजय का नाग यज्ञ
  5. राज्यश्री
  6. अजातशत्रु
  7. विशाख
  8. एक घूँट
  9. कामना
  10. करुणालय
  11. कल्याणी परिणय
  12. अग्निमित्र
  13. प्रायश्चित
  14. सज्जन

जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं: नाटक 

जयशंकर प्रसाद के नाटक
जयशंकर प्रसाद के नाटक
  • चंद्रगुप्त– यह नाटक मौर्य वंश के संस्थापक चंद्रगुप्त मौर्य के जीवन पर आधारित है। इसमें चंद्रगुप्त के संघर्ष, चाणक्य की राजनीतिक चतुराई और भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण कालखंड को दर्शाया गया है।
  • ध्रुवस्वामिनी– यह नाटक एक राजकुमारी ध्रुवस्वामिनी की कहानी है, जो अपने आत्मसम्मान और साहस के लिए जानी जाती है। नाटक में स्त्री स्वतंत्रता और स्वाभिमान की प्रमुखता दिखाई गई है।
  • स्कंदगुप्त– यह नाटक गुप्त वंश के राजा स्कंदगुप्त के जीवन पर आधारित है। इसमें स्कंदगुप्त के वीरता, कर्तव्यनिष्ठा और संघर्षों को चित्रित किया गया है। यह नाटक देशभक्ति और आत्मबलिदान की भावना को प्रकट करता है।
  • राज्यश्री– यह नाटक हर्षवर्धन की बहन राज्यश्री के जीवन पर आधारित है। इसमें राज्यश्री के संघर्ष और उसकी आत्मबलिदान की भावना को दर्शाया गया है।
  • अजातशत्रु– यह नाटक मगध के राजा अजातशत्रु के जीवन पर आधारित है। इसमें अजातशत्रु के शासनकाल, उनके राजनीतिक और सामाजिक सुधारों को दिखाया गया है।
  • जनमेजय का नाग यज्ञ– यह नाटक महाभारत के पात्र जनमेजय की कथा पर आधारित है। इसमें जनमेजय के नाग यज्ञ की कहानी और उसके पीछे की धार्मिक और सामाजिक मान्यताओं को प्रस्तुत किया गया है।

जब भी हिंदी साहित्य में नाटकों की बात आती है, जयशंकर प्रसाद की रचनाएं अनायास ही सामने आ जाती हैं।  ने अपने पूरे जीवन काल में कई रचनाओं की उन्होंने कई नाटक लिखे। इसमें जयशंकर प्रसाद की रचनाएं स्कंद गुप्त , चंद्रगुप्त जैसे नाटक आज भी मशहूर है। 

जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं: काव्य कृतियाँ और उनका प्रभाव

जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं बहुत ही रोचक हैं । 

  • पेशोला की प्रतिध्वनि, शेरसिंह का शस्त्र समर्पण
  • अंतरिक्ष में अभी सो रही है
  • मधुर माधवी संध्या में 
  • ओ री मानस की गहराई
  • निधरक तूने ठुकराया तब
  • अरे!आ गई है भूली-सी 

अगर बात करें जयशंकर प्रसाद के महाकाव्य की तो प्रेम पथिक के अलावा लहर जैसे काव्य की रचना की। इसके अलावा उन्होंने झरना और आंसू के साथ-साथ कानन कुसुम और कामयानी को बड़ी खूबसूरती से लिखा है।

जयशंकर प्रसाद की कविताएं ही थी जिनके कारण हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना हुई। यहाँ जयशंकर प्रसाद की रचनाएं  सुनने से पता चलता कि वह कितनी दूर की सोचते थे। उनके सामाजिक और ऐतिहासिक नाटकों में मनोवैज्ञानिक तौर पर संघर्ष भी दिखाया जाता था। 

जयशंकर प्रसाद की भाषा शैली

  • सादगी: प्रसाद जी की भाषा सरल और सहज बोधगम्य है।
  • सौंदर्य: प्रसाद जी की भाषा में शब्दों का चयन अत्यंत सावधानी से किया गया है, जो भाषा को मधुर और लयबद्ध बनाते हैं।
  • कल्पनाशक्ति: प्रसाद जी की भाषा कल्पनाशक्ति से भरपूर है।
  • बिंबात्मकता: प्रसाद जी की भाषा में बिम्बों का प्रयोग अत्यंत प्रभावशाली है।
  • अलंकारों का प्रयोग: प्रसाद जी ने अपनी रचनाओं में अलंकारों का कुशलतापूर्वक प्रयोग किया है।
  • भावों की अभिव्यक्ति: प्रसाद जी की भाषा भावों को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करती है।
  • संगीतात्मकता: प्रसाद जी की भाषा में संगीतात्मकता है, जो उनकी रचनाओं को गेय बनाती है।
  • खड़ी बोली हिंदी: प्रसाद जी ने खड़ी बोली हिंदी को साहित्यिक भाषा के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
  • संस्कृत शब्दावली: प्रसाद जी ने अपनी रचनाओं में संस्कृत शब्दावली का भी प्रयोग किया है।
  • भावनाओं की तीव्रता: प्रसाद जी की भाषा भावनाओं की तीव्रता को व्यक्त करने में सक्षम है।

Jaishankar Prasad ka Jivan Parichay समाज में योगदान

राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय में ये  पता चलता है कि वे एक अच्छे कवि होने के साथ-साथ एक जागरूक नागरिक भी थे। और इसके लिए भी उन्होंने अपनी लेखनी का इस्तेमाल किया है। जयशंकर जी राष्ट्रीय गौरव और स्वाभिमान को अपने साहित्य में सबसे पहला स्थान देते थे। उनकी रचनाओं को पढ़कर पाठक के मन में राष्ट्रप्रेम की भावना जाग उठती है। जयशंकर जी को पढ़कर आपके अंदर देशभक्ति की भावना न जागे ऐसा हो ही नहीं सकता। 

जयशंकर प्रसाद का साहित्यिक योगदान

जयशंकर प्रसाद के लेखन की प्रमुख विशेषताएँ और प्रभाव निम्नलिखित बिंदुओं में संक्षेप में:

  • छायावाद की स्थापना:
    • हिंदी काव्य में छायावाद की स्थापना का श्रेय।
    • खड़ी बोली में मधुरता और रस का प्रवाह।
  • प्रेरणादायक कविताएँ:
    • “कामायनी” जैसी रचनाओं तक पहुँच।
    • प्रगतिशील और नई कविता के आलोचकों द्वारा प्रशंसा।
  • खड़ी बोली का महत्व:
    • खड़ी बोली हिंदी काव्य की निर्विवाद भाषा बनी।
  • साहित्यिक प्रभाव:
    • व्यापक और गहरा साहित्यिक प्रभाव।
    • कविताएँ, कहानियाँ और नाटक विचारशीलता, मानवीयता और धार्मिकता को दर्शाते हैं।
    • पाठकों को साहित्यिक आनंद और विचारों में विस्तार।
  • सामाजिक प्रभाव:
    • समाज की समस्याओं, स्वतंत्रता, न्याय, जाति-धर्म और स्त्री सम्मान पर ध्यान।
    • समाज की सोच और संवेदनशीलता में प्रगति।
    • जागरूकता फैलाने और सामाजिक सुधार की अपेक्षा।
  • आध्यात्मिक प्रभाव:
    • आध्यात्मिकता को प्रमुखता।
    • आत्म-विकास, प्रेम, ध्यान और आध्यात्मिक साधनाओं का महत्व।
    • पाठकों को आध्यात्मिक ज्ञान, मन की शांति और अंतरंग सुंदरता का अनुभव।
  • दूरगामी प्रभाव:
    • साहित्यिक, सामाजिक और आध्यात्मिक क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव।
    • समय के साथ भी लोगों को प्रभावित करने वाली रचनाएँ।

जयशंकर प्रसाद के लेखन का दूरगामी प्रभाव

जयशंकर प्रसाद को हिंदी साहित्य में छायावाद की स्थापना का श्रेय प्राप्त है। उन्होंने खड़ी बोली में ऐसे काव्य की रचना की, जिसमें कोमलता, मधुरता और गहन भावनाओं की रसपूर्ण धारा प्रवाहित हुई। उनके काव्य में न केवल सौंदर्य और कल्पनाशीलता का समावेश हुआ, बल्कि जीवन के सूक्ष्म और व्यापक पहलुओं का प्रभावशाली चित्रण भी देखने को मिलता है।

उनकी कविताएं प्रेरणा का स्रोत बन गईं और प्रेरक शक्तिकाव्य के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त की, जिसका चरम उत्कर्ष “कामायनी” में देखा जा सकता है। जयशंकर प्रसाद की साहित्यिक प्रतिभा ने हिंदी काव्य को नई दिशा दी। बाद की प्रगतिशील कविता और नई कविता धाराओं के कई प्रमुख साहित्यकारों और आलोचकों ने उनकी लेखनी की प्रशंसा की है। उनके योगदान के कारण ही खड़ी बोली को हिंदी काव्य की प्रमुख और मान्य भाषा के रूप में स्थापित किया गया।

1. साहित्यिक प्रभाव

जयशंकर प्रसाद के लेखन ने हिंदी साहित्य को गहराई और व्यापकता प्रदान की। उनकी कविताएं, कहानियां और नाटक विचारशीलता, मानवीयता और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण हैं। उनके साहित्य से पाठकों को सौंदर्यबोध, चिंतन और आत्मिक अनुभव का सजीव अहसास होता है। उन्होंने हिंदी साहित्य को न केवल समृद्ध किया, बल्कि उसे एक नई चेतना और संवेदना से भी जोड़ा।

2. सामाजिक प्रभाव

प्रसाद जी की रचनाएं समाज में व्याप्त विषमताओं, अन्याय, स्वतंत्रता, स्त्री सम्मान और धर्म-जाति जैसे विषयों पर गहन दृष्टिकोण प्रस्तुत करती हैं। उनका लेखन समाज में संवेदनशीलता और जागरूकता को प्रोत्साहित करता है। उन्होंने साहित्य के माध्यम से सामाजिक सुधार की भूमिका निभाई और जनमानस में सकारात्मक परिवर्तन की लहर उत्पन्न की।

3. आध्यात्मिक प्रभाव

उनकी रचनाओं में आध्यात्मिक तत्वों की प्रधानता है। कामायनी जैसे ग्रंथों में आत्मबोध, ध्यान, प्रेम और आध्यात्मिक अनुशीलन की झलक मिलती है। उन्होंने मानव अस्तित्व से जुड़े गूढ़ प्रश्नों को उठाया और आत्म-विकास तथा अंतर्मन की शांति का मार्ग प्रशस्त किया। उनके लेखन से पाठकों को आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक सौंदर्य का अनुभव होता है।

जयशंकर प्रसाद का साहित्य आज भी उतना ही प्रासंगिक और प्रभावशाली है जितना उनके समय में था। उनके साहित्यिक योगदान ने हिंदी भाषा और साहित्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया है और उनका प्रभाव साहित्यिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक स्तर पर दीर्घकालीन रूप से अनुभव किया जाता है।

जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय: पुरुस्कार

जयशंकर प्रसाद जी को कामायानी रचना के लिए मंगला पारितोषिक पुरस्कार से नवाजा गया था।

पुरस्कारविवरण
मंगला प्रसाद पारितोषिककामायनी महाकाव्य के लिए हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा 1938 में सम्मानित
पद्म भूषण1954 में साहित्य और शिक्षा के क्षेत्र में योगदान के लिए सम्मानित
जयशंकर प्रसाद को मिले पुरुस्कार | Jaishankar Prasad ji ka Jivan Parichay

बता दें कि कामायनी जयशंकर प्रसाद जी के द्वारा रचा एक महाकाव्य है, जिसे हिंदी साहित्य की सबसे खास और सर्वश्रेष्ठ पुस्तकों में से माना जाता है। इस महाकव्य की रचना जयशंकर प्रसाद जी ने 1936 में की थी। और इस किताब का प्रकाशन 1936 में ही हुआ था। बता दें कि कामयानी कुल 15 वर्गों में विभाजित है, इस महाकव्य को जिस जिसने पढ़ा वो इस किताब की तारीफ करते नहीं थकता।

  • जयशंकर प्रसाद को उनकी प्रसिद्ध काव्य रचना “कामायनी” के लिए वर्ष 1938 में “मंगलाप्रसाद पारितोषिक” से सम्मानित किया गया था।
  • वे केवल एक उत्कृष्ट कवि ही नहीं, बल्कि एक सफल गद्य लेखक भी थे।
  • हिंदी साहित्य के इतिहास में उनके लेखन का अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

Jaishankar Prasad ka Janm kab hua Tha? जयशंकर प्रसाद का जन्म 30 जनवरी को 1889 में काशी में हुआ था,और उनकी मृत्यु 15 नवंबर 1937 को हुई, जिसने भारतीय साहित्य जगत के साथ साथ पूरे देश को हिलाकर रख दिया।

निष्कर्ष

इस लेख के माध्यम से हमने जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय (Jaishankar Prasad ka jivan parichay) और जयशंकर प्रसाद की प्रमुख रचनाएं के बारे में जाना और समझा। जयशंकर प्रसाद जी की अमर कृतियों में उनकी भक्ति, समाज सुधारक दृष्टि और युवा पीढ़ी को देश प्रेम के संदेश हमें आज भी प्रेरित करने जैसी बातें सीखने को मिलती हैं। यही वजह है कि जयशंकर प्रसाद जी को आज भी न केवल देश बल्कि दुनिया भर के सबसे महान लेखकों की श्रेणी में रखा जाता है। 

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

जयशंकर प्रसाद की प्रसिद्ध रचना कौन सी है?

जयशंकर प्रसाद प्रमुख रचनाएँ हैं – झरना, ऑसू, लहर, कामायनी, प्रेम पथिक (काव्य) स्कंदगुप्त चंद्रगुप्त, पुवस्वामिनी जन्मेजय का नागयज्ञ राज्यश्री, अजातशत्रु, विशाख, एक घूँट, कामना, करुणालय, कल्याणी परिणय, अग्निमित्र प्रायश्चित सज्जन (नाटक) छाया, प्रतिध्वनि, आकाशदीप, आँधी. इंद्रजाल(कहानी संग्रह) तथा ककाल, तितली इरावती (उपन्यास)।

जयशंकर प्रसाद की प्रथम कहानी का नाम क्या है?

प्रसाद जी को आधुनिक शैली की कहानियों के क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। उनकी पहली कहानी ‘ग्राम’ सन् 1912 में ‘इन्दु’ पत्रिका में प्रकाशित हुई थी।

जयशंकर प्रसाद को कौन सा पुरस्कार मिला है?

जयशंकर प्रसाद को उनकी रचना ‘कामायानी’ के लिए मंगला पारितोषिक पुरस्कार मिला था। ‘कामायानी’ एक महाकाव्य है, जिसे उन्होंने 1936 में लिखा और उसी वर्ष प्रकाशित किया। यह महाकाव्य 15 वर्गों में विभाजित है।

जयशंकर प्रसाद के कितने नाटक है?

जयशंकर प्रसाद ने आठ ऐतिहासिक, तीन पौराणिक, दो भावनात्मक , इस प्रकार कुल तेरह नाटक लिखे। नाटकों में “कामना” व “एक घूंट” को छोड़कर अन्य सभी इतिहास पर आधारित है। – उनकी पहली रचना 1918 में प्रकाशित हुई जो उन्होंने ब्रज भाषा में लिखी थी।

प्रश्न: जयशंकर प्रसाद का जीवन परिचय कैसे लिखते हैं?

हिंदी साहित्य के महान कवि और लेखक जयशंकर प्रसाद का जन्म सन् 1889 ई. में वाराणसी के एक प्रतिष्ठित और समृद्ध परिवार में हुआ था। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। उनका जीवन कठिनाइयों से अछूता नहीं रहा—बाल्यावस्था में ही उनके पिता का देहांत हो गया, जिससे पारिवारिक जिम्मेदारियों का भार उनके कंधों पर आ गया।
इसके बावजूद उन्होंने साहित्य, कविता, नाटक और कहानी लेखन में असाधारण योगदान दिया। उनकी रचनाओं में संवेदनशीलता, गहराई और आत्मिक अनुभूति की झलक मिलती है। सन् 1937 ई. में उनका निधन हो गया, लेकिन उनका साहित्यिक योगदान आज भी हिंदी साहित्य में अमूल्य धरोहर के रूप में जीवित है।

जयशंकर प्रसाद का कलम नाम क्या था?

जयशंकर प्रसाद, आधुनिक हिंदी साहित्य और रंगमंच की एक प्रतिष्ठित हस्ती थे। उन्हें उनके साहित्यिक कलम नाम प्रसाद” के रूप में भी जाना जाता है। अपने साहित्यिक जीवन की शुरुआत में उन्होंने “कलाधर” नाम से लेखन किया और उस समय उनकी रचनाएँ मुख्यतः ब्रजभाषा में होती थीं।
बाद में उन्होंने अपनी भाषा शैली में बदलाव करते हुए संस्कृतनिष्ठ खड़ी बोली हिंदी को अपनाया और छायावादी आंदोलन के प्रमुख कवि बनकर उभरे। इसी कारण उन्हें “छायावादी कवि” के रूप में भी पहचाना जाता है।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.