Quick Summary
हड़प्पा सभ्यता, जिस सभ्यता में अबतक के मिले शहर तथा वहां के ढांचे ने विशेषज्ञों को आश्चर्यचकित किया है। पिछले कुछ समय में, कुछ विशेषज्ञों ने ये भी अनुमान लगाया की हड़प्पा सभ्यता, मेसोपोटामिया सभ्यता से भी पुरानी है और विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता है। ऐसे में आपको “हड़प्पा सभ्यता इतिहास क्या है” के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
इस ब्लॉग में आप हड़प्पा सभ्यता इतिहास क्या है, हड़प्पा सभ्यता की खोज किसने की, हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल, हड़प्पा सभ्यता की मुहरें, इसकी विशेषता, प्रमुख स्थल और हड़प्पा सभ्यता से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण चीजों के बारे में विस्तार से जानेंगे।
हड़प्पा सभ्यता, जिसे सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) भी कहा जाता है, प्राचीन भारत की सबसे पुरानी और उन्नत सभ्यताओं में से एक थी। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1800 ईसा पूर्व के बीच विकसित हुई और इसका विकास आज के पाकिस्तान और उत्तर-पश्चिम भारत के क्षेत्र में हुआ था।
हड़प्पा सभ्यता, प्राचीन भारत की सबसे रहस्यमयी और विकसित सभ्यताओं में से एक है। यह सभ्यता 3300 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व तक पनपी थी और इसका विस्तार वर्तमान भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में था।
हड़प्पा सभ्यता की खोज(Harappa Sabhyata ki Khoj) 1921 में हुई थी, जब ब्रिटिश आर्कियोलॉजिस्ट “दयाराम साहनी” ने पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में हड़प्पा नामक स्थान पर खुदाई शुरू की थी। हड़प्पा से मिली कलाकृतियों और अवशेषों ने आर्कियोलॉजिस्ट को एक अज्ञात सभ्यता के बारे में जानकारी दी, जो अपनी उन्नत शहरी नियोजन, जल निकासी प्रणाली, लेखन प्रणाली और कला के लिए प्रसिद्ध थी।
हड़प्पा सभ्यता की खोज के बाद, सिंधु घाटी में कई अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की खुदाई की गई, जिनमें मोहनजोदड़ो, कलीबंगा, लोथल, रखीगढ़ी, अन्य शामिल हैं। इन खुदाईयों ने हड़प्पा सभ्यता के बारे में हमारी समझ को और गहरा किया है।
| मुहर | चित्र | विवरण | |
| 1. | पशुपति मुहर | | इस मुहर में एक योगासन में बैठे सिंग वाले देवता का चित्र है, जिसके चारों ओर जानवर हैं। इसे शिव या पशुपति का प्रारंभिक रूप माना जाता है। |
| 2. | बड़ा यूनिकॉर्न मुहर | ये हड़प्पा सभ्यता के सबसे बड़े मुहरों में से एक है और व्यापारिक लेन-देन में उपयोग होती थी। | |
| 3. | लिपि और यूनिकॉर्न के साथ इंटैग्लियो मुहर | ये मुहर करीब 2200 ईसा पूर्व की है। | |
| 4. | स्टीटाइट बटन सील | इस मुहर में चार संकेंद्रित वृत्त हैं। | |
| 5. | फ़ाइनेस बटन सील | इस मुहर में ज्यामितीय आकृति हैं। | |
| 6. | यूनिकॉर्न मुहरें | ये मुहर हड़प्पा सभ्यता के 3 बी से संबंधित बताई जाती है। | |
| ये अनोखे टाइटिल के साथ ही एक स्टीटाइट मुहर भी है। ये मुहर 2450 – 2200 ईसा पूर्व का बताया जाता है। | |||
| 7. | मोहनजोदड़ो से मिली मुहर | इस मुहर में किसी देवता को दोनों भुजाओं पर चूड़ि पहने, पीपल वृक्ष के नीचे खड़े और घुटनों के बल बैठे एक श्रद्धालु की ओर देख रहे हो ऐसा दिखाया गया है, साथ ही किसी इंसान का सिर एक छोटे से स्टूल जैसी चीज पर रखा हुआ है। | |
| इस मुहर में तीन मुंह वाले एक नग्न पुरुष देवता को दर्शाया गया है जो एक योग मुद्रा में गद्दी पर बैठे हुए हैं। | |||
| इस मुहर में तीन महत्वपूर्ण पशुओं का कुलचिन्ह है, जिसमें गेंडा, बैल और मृग सामिल है। अन्य किसी मुहरों की तरह, इसके ऊपर कुछ अंकित नहीं है। | |||
| 8. | बैल की मुहर | इसमें एक ज़ेबू बैल का चित्र है, जिसके चौड़े, लंबे, घुमावदार सिंग है। विशेषज्ञों का मानना है ज़ेबू बैल हड़प्पा सभ्यता के शक्तिशाली कबीले का प्रतिरूप है। | |
| 9. | बाइसन मुहर | ये चपटी हुई एक दो तरफा मुहर है। इस मुहर के पीछे की ओर एक सलीब के आकार का डिजाइन बना हुआ है, जो घड़ी की दिशा में घूम रहा है। |
हड़प्पा सभ्यता की मुहरें, नदी के तल में पाए जाने वाले नरम पत्थर सेलखड़ी, टेराकोटा, और स्टीटाइट से बनी होती थीं। विशेषज्ञों द्वारा इनके अनुमानिक उपयोग निम्न हैं:
हड़प्पा सभ्यता की खोज(Harappa Sabhyata ki Khoj) 1920 के दशक में दयाराम साहनी और राखालदास बनर्जी ने की थी। दयाराम साहनी ने हड़प्पा स्थल की खुदाई की, जबकि राखालदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो की खोज की। इन आर्कियोलॉजिकल खोजों से इस प्राचीन सभ्यता के बारे में जानकारी मिली, जो सिंधु घाटी में फली-फूली थी।
| तारिक | ख़ोज |
| 1921 | दयाराम साहनी ने हड़प्पा (पाकिस्तान) में खुदाई शुरू की, जो इस सभ्यता की पहली खोज थी। |
| 1922 | राखलदास बनर्जी ने मोहनजोदड़ो (भारत) में खुदाई शुरू की, जो हड़प्पा के बाद खोजा गया दूसरा प्रमुख शहर था। |
| 1930s-1940s | सिंधु घाटी में कई अन्य महत्वपूर्ण स्थलों की खोज हुई, जैसे धोलावीरा, कालीबंगा, और राखीगढ़ी। |
| 1970s | भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने हड़प्पा सभ्यता के व्यापक अध्ययन और उत्खनन का कार्य शुरू किया। |
| 2000s | नई तकनीकों, जैसे कि उपग्रह इमेजरी और भूभौतिकीय सर्वेक्षण का उपयोग करके, सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की गई। |
इस सभ्यता का विकास धीरे-धीरे हुआ। 3300 ईसा पूर्व के आसपास, सिंधु घाटी में कई छोटी-छोटी बस्तियाँ थीं। इन बस्तियों में कृषि, पशुपालन, और शिल्प का विकास हुआ। धीरे-धीरे, ये बस्तियाँ बड़े शहरों में विकसित होने लगीं, जैसे कि हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, धोलावीरा, और कालीबंगा।
1300 ईसा पूर्व के करीब, हड़प्पा सभ्यता का पतन हो गया। इस पतन के कारणों के बारे में कई सिद्धांत हैं, जिनमें जलवायु परिवर्तन, आक्रमण, और व्यापारिक मार्गों में बदलाव शामिल हैं।
स्थल | खोजकर्त्ता | अवस्थिति | महत्त्वपूर्ण खोज |
| मोहनजोदड़ो | राखालदास बनर्जी | सिंधु नदी के तट पर सक्खर जिले में बसा हुआ। | यहाँ ‘Great Bath’ मौजूद है, जो एक विशाल स्नानागार है।मोहनजोदड़ो में ‘Great Stupa’ भी पाया गया था, जो एक बौद्ध स्तूप है। |
| हड़प्पा (पाकिस्तान) | दयाराम साहनी | रावी नदी के तट पर, साहिवाल शहर से लगभग 20 किलोमीटर दूर पश्चिम की ओर में स्थित। | यहाँ विशाल ईंटों से बने भवन, उन्नत जल निकासी प्रणाली, और मुहरों के साथ-साथ मूर्तियों और अन्य कलाकृतियों के अवशेष मिले हैं।महत्वपूर्ण खोजों में ‘Great Granary’ शामिल है, जो एक विशाल भंडारण सुविधा थी। |
| धोलावीरा | धोलावीरा निवासी शंभूदान गढ़वी | कच्छ के रण में मरुभूमि वन्य शरणस्थान के अंदर खादिरबेट द्वीप पर स्थित। | यहाँ ‘Stadium’ मौजूद है, जो एक विशाल खेल का मैदान है।धोलावीरा में ‘Check Dams’ भी पाए जाते हैं, जो जल संरक्षण के लिए बनाए गए थे। |
| कालीबंगन | बीके थापर व बीबी लाल | राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले से 30 किलोमीटर दूर में स्थित। | यहाँ ‘Fire Altars’ मौजूद हैं, जो अग्नि पूजा के लिए बनाए गए थे।कालीबंगा में ‘Copper Hoard’ भी पाया जाता है, जो तांबे के औजारों का एक संग्रह है। |
| राखीगढ़ी | अमरेन्द्र नाथ | हरियाणा के हिसार जिले में सरस्वती तथा दृषद्वती नदियों के सूखे क्षेत्र में बसा हुआ। | यह हड़प्पा सभ्यता का एक विशाल शहर था।यहाँ ‘Largest Brick Structure’ मौजूद है, जो ईंटों से बनी सबसे बड़ी संरचना है।राखीगढ़ी में ‘Stadium’ भी पाया जाता है, जो एक विशाल खेल का मैदान है। |
| चन्हूदड़ो | दलों अर्नेस्ट जॉन हेनरी मैके | पाकिस्तान के सिंध इलाके के मोहेंजोदड़ो से दक्षिण की ओर लगभग 130 किलोमीटर दूर में स्थित। | बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजे के निशान वहां के ईट पर मिले। |
| लोथल | आर एस राव | अहमदाबाद और भावनगर रेल लाइन के स्टेशन लोथल भुरखी से लगभग 6 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व में स्थित। | यह बहुत महत्वपूर्ण बंदरगाह शहर था। |
कृषि और पशुपालन को लेकर हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं उल्लेखनीय थीं। यहाँ के लोग मुख्यतः गेहूं, जौ, चना, और बाजरा उगाते थे। सिंचाई के लिए नदियों और वर्षा जल का उपयोग किया जाता था। पशुपालन में गाय, भैंस, बकरी, और भेड़ पाली जाती थीं। कृषि और पशुपालन के मिश्रण से स्थायी जीवन शैली विकसित हुई, जिससे सभ्यता का आर्थिक आधार मजबूत हुआ।
व्यापार और वाणिज्य को लेकर हड़प्पा सभ्यता की विशेषताएं अत्यंत विकसित थीं। यह सभ्यता स्थानीय और दूरस्थ व्यापार में माहिर थी, जिसमें मोती, धातु, कपड़ा, और मृद्भांड शामिल थे। व्यापारी समुद्री और स्थलीय मार्गों से मेसोपोटामिया और फारस तक व्यापार करते थे। साक्ष्य बताते हैं कि मुहरों का उपयोग व्यापारिक लेन-देन और माल की पहचान के लिए किया जाता था, जो उस समय की उन्नत व्यापार प्रणाली को दर्शाता है।
हड़प्पा सभ्यता का समाज शायद वर्गों में विभाजित था, जिसमें शासक वर्ग, पुजारी वर्ग, व्यापारी वर्ग, कारीगर वर्ग और किसान वर्ग शामिल थे। प्रमाण बताते हैं कि लिंग भेदभाव भी मौजूद था, महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार नहीं थे।
हड़प्पा सभ्यता के धर्म के बारे में हमारी जानकारी सीमित है। प्रमुख देवताओं में मातृ देवी, पशु देवता, और शिव जैसा एक पुरुष देवता शामिल थे। प्रमाण बताते हैं कि इस सभ्यता के निवासी यज्ञ, नृत्य, और संगीत जैसे धार्मिक अनुष्ठान किया करते थे। उनका ये भी मानना है की ‘Great Bath’ जैसे स्नानागारों का उपयोग शायद धार्मिक शुद्धिकरण के लिए किया जाता था।
हड़प्पा सभ्यता के निवासी कृषि, पशुपालन, और व्यापार पर निर्भर थे। वे कपास और ऊन से कपड़े बुने, मिट्टी के बर्तन बनाए, और धातुओं (तांबा, कांस्य, चांदी, सोना) का काम किया। वे मनोरंजन के लिए नृत्य, संगीत, और खेलों का आनंद लेते थे। मुद्रा, लेखन प्रणाली, और मापन प्रणाली का उपयोग भी किया जाता था।
हड़प्पा सभ्यता 1300 ईसा पूर्व तक समाप्त हो चुकी थी और 1900 ईसा पूर्व तक समाज का पतन होने लगा था। “सिंधु घाटी सभ्यता” या “हड़प्पा सभ्यता” का पतन 1800 ईसा पूर्व के आसपास हुआ। हड़प्पा सभ्यता उस समय रोमानियाई सभ्यता की सबसे खूबसूरत सभ्यता थी, जहाँ मूर्तियों, शहरों, जल निकासी प्रणालियों का निर्माण सबसे प्रसिद्ध नवाचार था।
कृषि और पशुपालन
व्यापार और वाणिज्य
शिल्प और निर्माण
नगर नियोजन
मूर्तिकला
मिट्टी की मूर्तियाँ (टेराकोटा)
मुद्राएँ (Seals)
चित्रकला और डिज़ाइन
हड़प्पा सभ्यता यानी सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilisation) के बारे में हमें अभी काफी कम जानकारियां ही मिल पाई है। वर्तमान खोजों के आधार पर भी देखा जाए, तो उस सदी के लोग हमारी उम्मीद से भी ज्यादा विकसित थें। अभी भी हड़प्पा सभ्यता की काफी जानकारियां बाहर आना बांकी है, जिसमे उस समय की लिपि भी सामिल है। भविष्य में होने वाले सर्वेक्षण से हमें इस सभ्यता की नई खोज और अवसेशो के बारे में जानने को मिल सकता है।
इस ब्लॉग में आपने हड़प्पा सभ्यता इतिहास क्या है, इसकी मुहरें, इसकी खोज (Harappa Sabhyata ki Khoj) किसने की, इसकी विशेषता, हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल और हड़प्पा सभ्यता के निवासियों के बारे में विस्तार से जाना।
हड़प्पा सभ्यता की संस्कृति में धार्मिक प्रतीकों और मूर्तियों के कुछ संकेत मिले हैं, जैसे ‘प्रभु शिव की मूर्ति’ और ‘वृषभ की मूर्तियाँ’, जो धार्मिक विश्वासों और पूजा की आदतों को दर्शाते हैं।
मुख्यतः अनाज जैसे गेहूं, जौ, और दलहन का सेवन करते थे। इसके अतिरिक्त, उन्होंने फल, सब्जियाँ, और दूध से बने उत्पादों का भी उपयोग किया।
हड़प्पा सभ्यता की सबसे प्रसिद्ध मूर्तियों में से एक ‘नृत्य करती हुई महिला की मूर्ति’ है, जो एक छोटी कांस्य मूर्ति है और संभवतः पूजा या सांस्कृतिक अनुष्ठानों से संबंधित थी।
नागरिकों ने अपने घरों को सुंदर और व्यवस्थित सजाया था, जिसमें मिट्टी के बर्तन, सजावटी मूर्तियाँ, और रंगीन वस्त्र शामिल थे। दीवारों पर ज्यामितीय डिजाइन और चित्र भी बनाए गए थे।
हड़प्पा सभ्यता की सबसे बड़ी खोजों में से एक मोहनजो-दारो के ‘ग्रेट बाथ’ का खुलासा है, जो एक विशाल सार्वजनिक स्नानघर है और नगर नियोजन की उन्नति को दर्शाता है।
हड़प्पा सभ्यता की खोज 1921 में दयाराम साहनी ने की थी। उन्होंने भारत के पंजाब प्रांत (अब पाकिस्तान में स्थित) के हड़प्पा नामक स्थान पर खुदाई करके इस सभ्यता के अवशेषों का पता लगाया।
हड़प्पा सभ्यता के तीन चरण हैं: पूर्व-हड़प्पा काल (3300–2600 ई.पू.), प्रमुख हड़प्पा काल (2600–1900 ई.पू.) और उत्तर-हड़प्पा काल (1900–1300 ई.पू.)।
कांस्य से बनी “नृत्य करती युवती” (Dancing Girl) सबसे प्रसिद्ध मूर्ति मानी जाती है
क्योंकि लिपि में प्रयुक्त चिन्ह बहुत छोटे और सीमित हैं तथा उनकी तुलना किसी ज्ञात भाषा से नहीं की जा सकी है।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
Editor's Recommendations
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.