Quick Summary
फ्रेंचाइजी बिजनेस वर्तमान समय का एक ऐसा बिजनेस मॉडल है जिसकी मदद से आप अपने शहर में किसी भी नामी कंपनी की फ्रेंचाइजी लेकर हर महीने लाखों रुपए तक आसानी से कमा सकते हैं। आज के समय में हम सबकी चाहत होती है कि हमारा भी एक बिज़नेस या स्टार्टअप हो क्योंकि हर कोई कुछ न कुछ साइड बिज़नेस या अपना खुद का काम कर रहा है|
और गवर्नमेंट भी स्टार्टअप इंडिया, स्टैंडअप इंडिया जैसी योजनाओं से देश में एन्त्रेप्रेंयूर्शिप(उद्यमशीलता) को बढ़ावा दे रही है| लेकिन हमारे मन में बिज़नेस को लेकर एक डर भी रहता है कि अगर नया बिज़नेस फ़ेल हो गया तो क्या होगा क्योकि बिज़नेस में इन्वेस्टमेंट बहुत अधिक होता है और नये बिज़नेस में रिस्क भी अधिक होता है | ऐसे में हमारे लिए फ्रैंचाइजी बिज़नेस एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है|
अगर आप नहीं जानते कि फ्रेंचाइजी बिज़नेस क्या होता है और कैसे काम करता है, तो परेशान होने की जरुरत नहीं है | क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि फ्रेंचाइजी बिज़नेस क्या होता है, कैसे काम करता है, कितने प्रकार की होती है और किसी भी कंपनी की फ्रेंचाइजी कैसे ली जा सकती है, इन सभी टॉपिक को हम आज के इस आर्टिकल में कवर करने वाले हैं|
फ्रेंचाइजी वर्ड बिज़नेस के टर्म में इस्तेमाल किया जाता है| इसका सामान्य मतलब होता है कि आप किसी कंपनी से अपने एक या एक से ज्यादा आउटलेट या शॉप के लिए उस कंपनी का नाम और उसका LOGO यूज़ करने का अधिकार खरीद रहे हैं| आइये इस बात को हम एक उदाहरण से समझते हैं-
चाय सुट्टा बार इंदौर की एक फेमस चाय की कंपनी है| अब कंपनी देश भर या विदेशों में हर जगह अपना आऊटलेट खुद तो खोल नहीं सकती है | ऐसे में कंपनी फ्रेंचाइजी मॉडल को अपनाकर अपना बिज़नेस एक्सपैंड करती है| चाय सुट्टा बार (CSB) दूसरे लोगों को उनके आउटलेट खोलने के लिए अपना नाम और अपने प्रोडक्ट्स देती है और बदले में एक तय की हुई कीमत लेती हैं|
फ्रेंचाइजी बिजनेस (Franchise Business) एक ऐसा बिजनेस मॉडल है, जिसमें एक स्थापित कंपनी (फ्रेंचाइजर) किसी दूसरी व्यक्ति (फ्रेंचाइजी) को अपने ब्रांड नाम, ट्रेडमार्क, बिजनेस प्रोसेस और मार्केटिंग का इस्तेमाल करने का लाइसेंस देती है। आसान शब्दों में कहें तो फ्रेंचाइजी लेने वाला शख्स किसी बड़ी और जानी-मानी कंपनी के नाम पर अपना बिजनेस खोलता है। वो कंपनी के प्रोडक्ट बेचता है और बदले में उन्हें एक निश्चित रकम देता है।
और इस तरह नए बिज़नेस सेट करने में लगने वाली रिस्क बहुत कम हो जाती है क्योंकि इसमें आउटलेट सेटअप, मार्केटिंग, प्रोडक्ट्स और ऑपरेशन ट्रेनिंग कंपनी प्रोवाइड करती है| इसके अलावा हम जिस कंपनी की फ्रेंचाइज़ी लेते है वो पहले से ही फेमस होती है तो प्रोडक्ट्स आसानी से बिकते है ऐसे में लॉस की रिस्क भी नहीं होती है | इन सब फायदों की वजह से फ्रेंचाइजी बिज़नेस को एक अच्छा बिज़नेस ऑप्शन माना जाता है |
इस आर्टिकल में हमने पहले बिज़नेस और फ्रेंचाइजी की मूल बातें समझी थीं। अब हम जानेंगे कि ये कितने प्रकार की होती हैं और आपकी जरूरत के हिसाब से कौन सा मॉडल सबसे फायदेमंद साबित हो सकता है।
बिज़नेस फ़ॉर्मेट मॉडल भारत में सबसे लोकप्रिय और सफल बिज़नेस मॉडल माना जाता है। इस मॉडल में कंपनी, नए पार्टनर को कच्चा माल, उत्पाद, बिक्री और संचालन की ट्रेनिंग जैसी सुविधाएं देती है। इसके साथ ही उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए कंपनी निरंतर ट्रेनिंग और समर्थन प्रदान करती है। इस मॉडल पर अधिकतर फ़ास्ट फ़ूड कंपनियां आधारित होती हैं।
प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूशन फ्रेंचाइजी में नाम से ही ज़ाहिर कि फ्रैंचाइज़र अपनी कंपनी के प्रोडक्ट्स बेचने का अधिकार फ्रेंचाइजी को देता है | लेकिन इस फ्रैंचाइज़ी मॉडल में फ़्रेंचाइज़र, ट्रेनिंग, ऑपरेशन, सेल्स और बिज़नेस को चलाने में फ्रेंचाइजी की किसी प्रकार की कोई हेल्प नहीं करता है|
इस मॉडल का सबसे अच्छा उदाहरण है, इंडियन ऑइल | इंडियन ऑइल कंपनी फ्रैंचाइज़ी लेने वाले पेट्रोल पम्प को केवल पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स प्रोवाइड करती है लेकिन कर्मचारियों को ट्रेनिंग और दूसरी फेसिलिटी प्रोवाइड नहीं करती है |
इस तरह के फ़्रेंचाइज़ मॉडल में फ्रैंचाइज़ी को फ़्रेंचाइज़र कंपनी का लाइसेंस लेकर उसके नाम और ट्रेडमार्ग के साथ उसके प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग और मार्केट में बेचने की अनुमति मिल जाती है |
इस मॉडल में फ़्रेंचाइज़र को फ्रेंचाइज़ी द्वारा, फ्रेंचाइज़ी फीस और बेचे गए प्रोडक्ट्स की रॉयल्टी दी जाती है | मैन्युफैक्चरिंग फ्रेंचाइजी मोडल का उपयोग अधिकतर फ़ूड और ड्रिंक बनाने वाली कम्पनियाँ करती है |
बिजनेस फ्रैंचाइज़ी वेंचर मोडल में फ्रेंचाइजी, फ्रेंचाइजर से प्रोडक्ट्स खरीदकर ग्राहकों को बेचे जाते हैं। ऐसे मामलों में फ्रेंचाइजर द्वारा फ्रेंचाइज़ी को अपना कस्टमर बेस दिया जाता है। इस प्रकार की फ्रेंचाइज़ी का एक प्रमुख उदाहरण वेंडिंग मशीन की फ्रैंचाइज़ी है। पहले फ्रैंचाइज़ी, फ्रेंचाइजर से वेंडिंग मशीन खरीदती है और फिर वे वेंडिंग मशीनें अपने कस्टमर को बेचती है एवं जरूरत पड़ने पर सर्विसिंग भी प्रदान करती है |
आपको किस मॉडल पर, किस इंडस्ट्री और किस कंपनी की फ्रैंचाइज़ी लेनी है, एक बार यह तय हो जाने के बाद सबसे जरुरी प्रश्न उठता है कि फ्रेंचाइजी कैसे लें? इसके लिए किससे संपर्क करना होगा और कौन सी बातों का ध्यान रखना होगा यह सब जानना भी जरुरी है| आइये हम जानते है कि किसी भी कंपनी की फ्रेंचाइज़ी लेने के लिए किस तरह सम्पर्क किया जाता है |
हम चाहे कोई भी बिज़नेस स्टार्ट कर रहे हो लेकिन उसके लिए हमें कुछ डॉक्युमेंट्स की जरुरत पड़ती ही है | इसी तरह फ्रेंचाइज़ी बिज़नेस के लिए भी कुछ डॉक्युमेंट्स की जरूरत लगती है, इनमे से कुछ डॉक्युमेंट्स फ्रेंचाइजी वाले प्लेस के होते हैं और कुछ डॉक्युमेंट्स फ्रेंचाइजी और फ्रेंचाइज़र के बीच एग्रीमेंट्स के होते हैं| आपको फ्रेंचाइजी लेने के लिए जिन डॉक्युमेंट्स की जरुरत होगी उनकी लिस्ट इस प्रकार है –
अगर आप किसी कंपनी या ब्रांड की फ्रेंचाइजी लेना चाहते हैं, तो सबसे पहले यह तय करें कि किस ब्रांड या प्रोडक्ट में आपकी रुचि है और आप किस क्षेत्र में व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं।
एक बार ब्रांड तय हो जाने के बाद, आप उसकी आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर या वहां दिए गए कॉन्टैक्ट डिटेल्स के माध्यम से संपर्क कर सकते हैं। वहां से आपको फ्रेंचाइजी से जुड़ी सभी ज़रूरी जानकारियाँ मिल जाएंगी।
इसके अलावा आप Franchise India जैसी वेबसाइट की मदद भी ले सकते हैं। ये प्लेटफॉर्म आपको अलग-अलग कंपनियों की फ्रेंचाइजी लेने में मार्गदर्शन देते हैं, लेकिन इसके बदले में ये अपनी सर्विस फीस लेते हैं। इनकी सहायता से आप सीधे कंपनी से डील कर सकते हैं।
आप कुछ अन्य वेबसाइटों पर भी ब्रांड्स और कंपनियों के फ्रेंचाइजी ऑफर्स, कॉन्टैक्ट नंबर और ईमेल आईडी आसानी से खोज सकते हैं।
किसी भी कंपनी की फ्रेंचाइजी लेने से पहले आपकों कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत आवश्यक होता है क्योंकि फ्रेंचाइजी में आपका पैसा और समय इन्वेस्ट होता है | ऐसे में कुछ ऐसी बातें जिनका ध्यान रखना आपके लिए ज़रूरी है –
इसके अलावा कोई हिडन चार्जेस अगर हो, कंपनी की सर्विस आदि सभी बातों की जानकारी पहले से किसी फ्रेंचाइजी ओनर से ले लें |
फ्रेंचाइज़ी एक व्यवसाय मॉडल है जो किसी स्थापित ब्रांड के नाम और प्रणाली का उपयोग करके नया व्यवसाय शुरू करने की अनुमति देता है। यह नए उद्यमियों के लिए कई फायदे प्रदान करता है, जैसे कि:
उदाहरण के लिए: यदि आप एक सैंडविच की दुकान शुरू करना चाहते हैं, तो आप सबवे जैसी एक स्थापित फ्रेंचाइज़ी खरीद सकते हैं। इससे आपको ब्रांड पहचान, प्रशिक्षण, और आपूर्ति श्रृंखला जैसी सुविधाएं मिलेंगी।
हालांकि फ्रैंचाइज़ी के कई फायदे हैं , लेकिन इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी हैं। वे हैं –
सरकारी फ्रेंचाइज़ी क्या होती है?
सरकारी फ्रेंचाइज़ी एक ऐसा बिज़नेस मॉडल है जिसमें सरकार निजी कंपनियों या व्यक्तियों को अपने नाम से व्यापार चलाने का अधिकार देती है। इसका मकसद यह सुनिश्चित करना होता है कि जो सेवाएं या उत्पाद आप दे रहे हैं, वे सरकार की गुणवत्ता और भरोसेमंदता के मानकों पर खरे उतरें। ये फ्रेंचाइज़ी कई क्षेत्रों में मिलती हैं — जैसे खुदरा, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और परिवहन।
सरकारी फ्रेंचाइज़ी क्यों चुनें?
सरकारी फ्रेंचाइज़ी लेने के कई फायदे हैं:
सरकारी फ्रेंचाइज़ी एक भरोसेमंद और सुरक्षित विकल्प है, खासकर उन लोगों के लिए जो अपने बिज़नेस की शुरुआत में कम जोखिम लेना चाहते हैं।
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किसी भी कंपनी की शाखा लेने के लिए आप सीधे उस कंपनी के अधिकारी से संपर्क कर सकते हैं या उनकी वेबसाइट पर जाकर आवेदन फॉर्म भर सकते हैं, उसके बाद कंपनी खुद आपसे संपर्क करेगी।
सबसे सस्ती फ्रेंचाइजी के बारे में पता करने के लिए आपको उस बिज़नेस से रिलेटेड सभी फ़्रेंचाइज़र कंपनियों से बात करनी होगी | जैसे यदि आप फ़ूड सेगमेंट में बिज़नेस करना चाहते हैं तो फ़ूड से रिलेटेड सभी कंपनियों से बात करके उनकी फीस के बारे में पता कर सकते हैं| इसके अलावा आप आपकेआसपास स्थित सभी फ्रेंचाइजी ओनर से भी बात करके जानकारी ले सकते हैं|
फ्रैंचाइज़ी लेने का टोटल ख़र्च अमूमन बिज़नेस के टाइप और बिज़नेस के स्केल पर निर्भर करता है | जैसे यदि आप फ़ूड से रिलेटेड फ्रेंचाइजी लेंगे तो कम ख़र्च आयेगा जबकि किसी इलेक्ट्रॉनिक कंपनी की फ्रेंचाइजी लेंगे तो ज़्यादा ख़र्च आयेगा|
इसी तरह यदि आप एक छोटा आउटलेट ओपन करेंगे तो फ्रैंचाइज़ी का ख़र्च कम होगा लेकिन यदि आप मैन्युफैक्चरिंग करने के लिए फ्रेचाइज़ी लेते हैं तो आपको ज्यादा ख़र्च करना होगा|
भारत में कंपनियों के पास अलग-अलग बिज़नेस मॉडल होते हैं जो उनकी फ्रेंचाइजी के प्रकार को निर्धारित करते हैं। यह मॉडल कंपनी और बिज़नेस के प्रकार पर निर्भर करता है। आमतौर पर भारत में चार प्रमुख प्रकार होते हैं –
● बिज़नेस फार्मेट मॉडल
● प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूशन
● मैन्युफैक्चरिंग
● बिज़नेस वेंचर
फ़ायदे–
● पहले से मार्केट में स्टैबलिस्ट कंपनी की फ्रेंचाइजी लेने पर हमें मार्केटिंग करने की जरूरत नहीं होती|
● फ्रेंचाइजर की ओर से ट्रेनिंग, ऑपरेशन गाइड, मार्केटिंग सपोर्ट मिलता है जो कि कंपनी का USP मॉडल होता है।
नुकसान –
● फ्रेंचाइजी का सबसे बड़ा नुकसान है कि हम कभी भी अपने बिजनेस को एक ब्रांड नहीं बना सकते|
● हमारे प्रॉफिट का एक बहुत बड़ा हिस्सा फ्रेंचाइजर को जाता है क्योंकि फ्रेंचाइजर हमसे प्रोडक्ट्स सेलिंग पर रॉयल्टी लेते है।
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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
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