Cholesterol Kya Hota Hai? गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल को कैसे नियंत्रित करें

February 19, 2025
cholesterol kya hota hai
Quick Summary

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  • कोलेस्ट्रॉल एक प्रकार का वसा (lipid) है जो शरीर में पाया जाता है।
  • यह शरीर के लिए आवश्यक होता है, खासकर कोशिका झिल्ली बनाने और हॉर्मोन निर्माण में।
  • कोलेस्ट्रॉल दो प्रकार का होता है: LDL (खराब) और HDL (अच्छा)।
  • उच्च कोलेस्ट्रॉल स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

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आइए जानते हैं कि cholesterol kya hota hai? – कोलेस्ट्रॉल एक वसायुक्त पदार्थ है जो हमारे शरीर में प्राकृतिक रूप से पाया जाता है। यह हर कोशिका में मौजूद होता है और शरीर के सही कार्यों के लिए बेहद आवश्यक है। जब शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ जाता है, तो यह दिल की बीमारियों का प्रमुख कारण बन सकता है। इसलिए कोलेस्ट्रॉल के लक्षणों को पहचानना और समय पर उसका इलाज करना बहुत जरूरी है। इस ब्लॉग में हम गुड कोलेस्ट्रॉल, बैड कोलेस्ट्रॉल, कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें, उच्च कोलेस्ट्रॉल लक्षण के बारे में जानकारी साझा करेंगे।

कोलेस्ट्रॉल का कार्य क्या है?

हमने जाना cholesterol kya hota hai? अब जान लेते हैं कोलेस्ट्रॉल का कार्य क्या है-

  • हार्मोन निर्माण में सहायक- कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर में एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन और कोर्टिसोल जैसे महत्वपूर्ण हार्मोन के निर्माण में मदद करता है, जो शरीर में कई महत्वपूर्ण कार्यों का संचालन करते हैं।
  • पाचन में पित्त अम्ल का निर्माण- कोलेस्ट्रॉल से पित्त अम्ल (Bile Acid) का निर्माण होता है, जो लिवर द्वारा बनाया जाता है। यह पित्त अम्ल पाचन में सहायक होता है और विशेष रूप से वसा के पाचन को आसान बनाता है।
  • विटामिन D का उत्पादन- जब त्वचा सूरज की किरणों के संपर्क में आती है, तो कोलेस्ट्रॉल के माध्यम से विटामिन D का निर्माण होता है। विटामिन D हमारी हड्डियों के लिए आवश्यक होता है और शरीर में कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है।
  • कोशिकाओं की संरचना को बनाए रखना- कोलेस्ट्रॉल शरीर की प्रत्येक कोशिका के बाहरी परत (cell membrane) का महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। यह कोशिकाओं को लचीला और मजबूत बनाए रखता है, जिससे वे बाहरी बदलावों को सहन कर पाती हैं।
  • प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन- कोलेस्ट्रॉल हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को भी समर्थन प्रदान करता है, जिससे शरीर संक्रमण से लड़ने में सक्षम होता है।
  • नर्व सेल्स के लिए सुरक्षा- कोलेस्ट्रॉल नर्व कोशिकाओं की संरचना में भी योगदान देता है, जिससे नर्व सिस्टम में संदेशों का संचार सुचारू रूप से होता है। यह मस्तिष्क के विकास और तंत्रिका तंत्र के लिए आवश्यक है।
  • शरीर के तापमान को संतुलित रखना- कोलेस्ट्रॉल कोशिकाओं की झिल्ली में मौजूद रहकर शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में मदद करता है, जिससे कोशिकाओं की कार्यक्षमता बनी रहती है।

कोलेस्ट्रॉल की जांच कब करवाएं?

कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच स्वस्थ जीवनशैली के लिए आवश्यक है, विशेषकर जब हृदय रोगों का खतरा हो या उम्र बढ़ने के साथ इसकी संभावना बढ़ जाए। यहां कुछ स्थितियाँ और कारण दिए गए हैं, जब आपको कोलेस्ट्रॉल की जांच करवानी चाहिए:

  • 30 वर्ष की उम्र के बाद नियमित जांच- 30 वर्ष की उम्र के बाद हर व्यक्ति को नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल की जांच करानी चाहिए। यह विशेष रूप से जरूरी है क्योंकि इस उम्र के बाद शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ने लगता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है। हर 4-6 साल में एक बार कोलेस्ट्रॉल जांच करानी चाहिए, ताकि कोलेस्ट्रॉल स्तर की निगरानी की जा सके और समय रहते किसी भी समस्या को रोका जा सके।
  • परिवार में हृदय रोग का इतिहास- अगर परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, तो कोलेस्ट्रॉल की जांच और भी जरूरी हो जाती है। ऐसे मामलों में, डॉक्टर की सलाह के अनुसार हर 2-3 साल में जांच कराना बेहतर होता है।
  • मोटापा या अधिक वजन- अगर आपका वजन अधिक है या आप मोटापे से ग्रस्त हैं, तो कोलेस्ट्रॉल जांच करवाना बेहद जरूरी है। ऐसे लोगों को साल में कम से कम एक बार कोलेस्ट्रॉल जांच करानी चाहिए।
  • धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन करने वाले लोग- धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन करने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ सकता है और हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे लोगों को नियमित रूप से कोलेस्ट्रॉल जांच करानी चाहिए। 
  • मधुमेह (डायबिटीज) के रोगी- डायबिटीज के रोगियों में उच्च कोलेस्ट्रॉल का खतरा अधिक होता है। मधुमेह से धमनियों में सूजन आ सकती है, जिससे कोलेस्ट्रॉल जमने का खतरा बढ़ जाता है। 
  • हाई ब्लड प्रेशर के रोगी- उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों में भी कोलेस्ट्रॉल की जांच कराना आवश्यक है, क्योंकि हाई ब्लड प्रेशर से हृदय पर दबाव बढ़ जाता है, और यदि कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक हो, तो हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है। ऐसे रोगियों को अपने डॉक्टर के निर्देश के अनुसार हर 1-2 साल में जांच करवानी चाहिए।
  • अस्वस्थ जीवनशैली (ज्यादा जंक फूड, शारीरिक गतिविधि की कमी)- जिन लोगों की जीवनशैली अस्वस्थ है, जैसे कि नियमित व्यायाम न करना, ज्यादा जंक फूड खाना, और अधिक समय तक बैठे रहना, उन्हें कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच करवानी चाहिए। 
  • पुराने लक्षण या स्वास्थ्य संबंधी समस्या महसूस होना- यदि आप छाती में भारीपन, सांस लेने में दिक्कत, हाथों और पैरों में झुनझुनी, थकान या कमजोरी महसूस कर रहे हैं, तो यह कोलेस्ट्रॉल बढ़ने के संकेत हो सकते हैं। ऐसे लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लेकर कोलेस्ट्रॉल की जांच करवानी चाहिए।

कोलेस्ट्रॉल की जांच के प्रकार

कोलेस्ट्रॉल की जांच कोलिपिड प्रोफाइल टेस्ट के माध्यम से होती है, जिसमें चार मुख्य घटक मापे जाते हैं:

  1. टोटल कोलेस्ट्रॉल (Total Cholesterol): यह कुल कोलेस्ट्रॉल का मापन है।
  2. HDL कोलेस्ट्रॉल: जिसे गुड कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है।
  3. LDL कोलेस्ट्रॉल: जिसे बैड कोलेस्ट्रॉल के नाम से जाना जाता है।
  4. ट्राइग्लिसराइड्स: ये वसा का एक अन्य रूप हैं जो ऊर्जा के रूप में शरीर में जमा होते हैं और जिनका उच्च स्तर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।

गुड कोलेस्ट्रॉल (Good Cholesterol – HDL)

एचडीएल (HDL) का अच्छा स्तर शरीर के लिए सुरक्षित माना जाता है और दिल की सेहत के लिए जरूरी होता है। आमतौर पर, एचडीएल का स्तर उच्च होना चाहिए ताकि ये बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम करके दिल की सेहत को सही रख सके सके।

HDL (High-Density Lipoprotein) क्या है?

Cholesterol kya hota hai? यह जानने के लिए HDL यानी “गुड कोलेस्ट्रॉल” को जानना पड़ेगा।  HDL, जिसे “गुड कोलेस्ट्रॉल” भी कहा जाता है, हमारे शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल का एक प्रकार है। यह लिवर से होकर हृदय की धमनियों में जमा हुए अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को वापस लिवर तक पहुँचाता है। इसके कारण, यह शरीर में अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करता है, जिससे हृदय रोग की संभावना घटती है।

गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) के फायदे

  • हृदय रोग के जोखिम को कम करता है- HDL (High-Density Lipoprotein) को “गुड कोलेस्ट्रॉल” कहा जाता है क्योंकि यह हृदय को स्वस्थ रखने में सहायक होता है। यह रक्त प्रवाह को सुचारू बनाए रखने में मदद करता है और हृदय रोग के जोखिम को कम करता है। शरीर में पर्याप्त मात्रा में HDL होने से दिल की धमनियों में ब्लॉकेज बनने का खतरा घट जाता है, जिससे दिल का दौरा पड़ने की संभावना भी कम होती है।
  • बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को निकालने में सहायक- HDL की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह रक्त वाहिकाओं में जमा हो चुके बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) को लिवर तक वापस ले जाने में मदद करता है, जहां इसे शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है। इससे LDL का स्तर कम होता है और रक्त धमनियों में रुकावट बनने की संभावना कम होती है, जो हृदय संबंधी समस्याओं को रोकने में सहायक है।
  • शरीर में सूजन को कम करना- HDL कोलेस्ट्रॉल शरीर में सूजन को कम करने में भी सहायक होता है। यह शरीर के इन्फ्लेमेटरी रिस्पॉन्स को नियंत्रित रखता है, जिससे धमनियों में सूजन का खतरा कम हो जाता है। धमनियों में सूजन बढ़ने से हृदय रोग का खतरा बढ़ सकता है, इसलिए HDL का उच्च स्तर धमनियों को स्वस्थ और सुचारू बनाए रखने में सहायक होता है।
  • हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम करता है- HDL कोलेस्ट्रॉल के उच्च स्तर से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है। यह बैड कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित कर हृदय की धमनियों को साफ रखता है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। स्वस्थ रक्त संचार हृदय को पर्याप्त ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाने में मदद करता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा कम होता है। इसके अलावा, उच्च HDL का स्तर रक्त वाहिकाओं में ब्लॉकेज बनने की संभावना को कम करता है, जो स्ट्रोक से बचाव में सहायक है।

HDL को बढ़ाने के उपाय

  • नियमित शारीरिक गतिविधियाँ जैसे कि तेज़ चलना, दौड़ना, तैरना आदि करना।
  • अधिक वसा युक्त आहार से बचना और संतुलित आहार का सेवन करना।
  • धूम्रपान छोड़ना और शराब का सेवन नियंत्रित रखना।
  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे ओट्स, बीन्स, और सेब खाना।

गुड कोलेस्ट्रॉल क्या खाने से बढ़ता है?

  • ओमेगा-3 फैटी एसिड से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे मछली (साल्मन, टूना), अलसी के बीज, और अखरोट।
  • फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे ओट्स, सेब, और ब्राउन राइस।
  • जैतून का तेल, एवोकाडो, और नट्स जैसे स्वस्थ वसा।

एचडीएल का अच्छा लेवल क्या है? 

लेवल milligrams per deciliter
उच्च स्तर (High level)60 (mg/dL) or more
सामान्य स्तर (Normal level)40 to 60 (mg/dL)
कम स्तर (Low level)Less than 40 (mg/dL)
एचडीएल का अच्छा लेवल

बैड कोलेस्ट्रॉल (Bad Cholesterol – LDL)

LDL (Low-Density Lipoprotein) क्या है?

LDL, जिसे “बैड कोलेस्ट्रॉल” कहा जाता है, शरीर में धमनियों में जमा हो जाता है। इस कारण रक्त प्रवाह में रुकावट आ सकती है, जो हृदय रोग और स्ट्रोक जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है। LDL का उच्च स्तर हृदय के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और इसका स्तर नियंत्रित रखना आवश्यक होता है।

बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) के नुकसान

  • हृदय की धमनियों में रुकावटें उत्पन्न करना- बैड कोलेस्ट्रॉल, जिसे LDL (Low-Density Lipoprotein) के रूप में जाना जाता है, रक्त वाहिकाओं में जमाव बना सकता है। यह जमाव धीरे-धीरे धमनियों में प्लाक के रूप में इकट्ठा होने लगता है, जिससे धमनियों का संकुचन हो जाता है। धमनियों का संकुचित होना रक्त संचार में बाधा उत्पन्न करता है, जिससे हृदय को ऑक्सीजन और पोषक तत्वों की पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो पाती।
  • हृदय की बीमारियों और स्ट्रोक का खतरा बढ़ाना- LDL का उच्च स्तर हृदय की बीमारियों के लिए बड़ा खतरा है। जब LDL धमनियों में जमा हो जाता है, तो यह हृदय तक रक्त के प्रवाह को रोकने का कारण बन सकता है। धमनियों में ब्लॉकेज के कारण हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। इसी प्रकार, मस्तिष्क की धमनियों में जमाव होने पर स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है, जो एक गंभीर स्थिति है और इसे तुरंत चिकित्सा की आवश्यकता होती है।
  • रक्त प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर रक्तचाप बढ़ाना- जब धमनियों में LDL का जमाव होता है, तो यह रक्त प्रवाह को धीमा कर देता है, जिससे रक्तचाप बढ़ जाता है। उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन हृदय पर अतिरिक्त दबाव डालता है और हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। लगातार उच्च रक्तचाप से दिल के दौरे और हृदय संबंधी अन्य गंभीर समस्याओं का जोखिम बढ़ सकता है।
  • शरीर में सूजन और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ाना- LDL का उच्च स्तर शरीर में सूजन और अन्य बीमारियों का कारण बन सकता है। यह सूजन धमनियों की दीवारों में इन्फ्लेमेटरी रिस्पॉन्स को ट्रिगर कर सकती है, जिससे धमनियों को नुकसान पहुंचता है और प्लाक का निर्माण तेज होता है। इस सूजन का प्रभाव न केवल हृदय पर पड़ता है, बल्कि यह शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है, जिससे टाइप 2 डायबिटीज और किडनी की समस्याओं जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

LDL का उच्च स्तर हृदय और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक हो सकता है। इसे नियंत्रित करने के लिए संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना बहुत जरूरी है, ताकि हृदय और शरीर को स्वस्थ रखा जा सके।

LDL को नियंत्रित करने के उपाय

  • संतुलित और वसा रहित आहार लेना।
  • अधिक फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना।
  • ट्रांस-फैट और संतृप्त वसा वाले खाद्य पदार्थों से बचना।
  • शारीरिक गतिविधि को दिनचर्या में शामिल करना।
  • धूम्रपान और अत्यधिक शराब के सेवन से बचना।

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की सामान्य सीमा क्या है?

ऐसा कहा जाता है कि ज्यादातर जवान लोगों को अपना एलडीएल कोलेस्ट्रॉल 100 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर से नीचे रखना चाहिए। अगर आपको कभी एथेरोस्क्लेरोसिस की समस्या रही है, तो आपका एलडीएल 70 मिलीग्राम/डीएल से कम होना चाहिए। यहां हम एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की सामान्य सीमा के बारे में बता रहे हैं।

एलडीएल कोलेस्ट्रॉल लेवलकैटेगरी 
100 mg/dL से कमनॉर्मल
100-129 mg/dLनॉर्मल से थोड़ा ऊपर
130-159 mg/dLनॉर्मल से थोड़ा ज्यादा
160-189 mg/dLअधिक
190 mg/dL और उससे अधिकबहुत अधिक
एलडीएल कोलेस्ट्रॉल की सामान्य सीमा

कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें? (How to Lower Cholesterol?) 

अब तक जाना cholesterol kya hota hai? अब जान लेते हैं कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें? कोलेस्ट्रॉल को कम करने के कई तरीके होते हैं, जो कि इस प्रकार हैं –

  1. संतुलित आहार- संतुलित आहार में हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, और फाइबर युक्त आहार शामिल होना चाहिए। जंक फूड और तले हुए खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। कम चीनी और कम वसा वाले आहार को अपनाकर LDL को नियंत्रित किया जा सकता है और HDL को बढ़ाया जा सकता है।
  2. व्यायाम का महत्त्व- नियमित व्यायाम शरीर में HDL के स्तर को बढ़ाने में मदद करता है और LDL के स्तर को कम करने में सहायक होता है। तेज चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना, और योग आदि व्यायाम से हृदय को स्वस्थ बनाए रखा जा सकता है।
  3. शरीर का वजन नियंत्रण- वजन बढ़ने से कोलेस्ट्रॉल का स्तर भी बढ़ता है। इसलिए अपने वजन को नियंत्रण में रखना आवश्यक है। वजन घटाने से LDL में कमी और HDL में वृद्धि हो सकती है, जिससे हृदय रोगों का खतरा घटता है।
  4. धूम्रपान और शराब का त्याग- धूम्रपान और शराब का अत्यधिक सेवन कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा सकता है। धूम्रपान छोड़ने से HDL के स्तर में वृद्धि हो सकती है और हृदय रोग का खतरा कम हो सकता है। शराब का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए, जिससे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव न पड़े।
  5. फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ- फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि ओट्स, सेब, नाशपाती, और साबुत अनाज LDL के स्तर को कम करने में सहायक होते हैं। फाइबर हमारे पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में भी सहायक होता है और कोलेस्ट्रॉल का स्तर संतुलित रखता है।

उच्च कोलेस्ट्रॉल लक्षण

उच्च कोलेस्ट्रॉल लक्षण हमेशा स्पष्ट नहीं होते, लेकिन कुछ संकेत हैं जिनसे इसे पहचाना जा सकता है:

  • छाती में दर्द या भारीपन, जिसे एंजाइना कहा जाता है।
  • थकान और कमजोरी महसूस होना।
  • हाथों और पैरों में झुनझुनी होना।
  • सांस लेने में कठिनाई।

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निष्कर्ष

कोलेस्ट्रॉल हमारे शरीर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन इसका स्तर संतुलित होना अत्यंत आवश्यक है। गुड कोलेस्ट्रॉल (HDL) हमारे हृदय और संपूर्ण स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है, जबकि बैड कोलेस्ट्रॉल (LDL) हानिकारक हो सकता है। कोलेस्ट्रॉल का सही संतुलन बनाए रखने के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रण और जीवनशैली में सुधार जरूरी है। इस लेख में cholesterol kya hota hai?, गुड कोलेस्ट्रॉल, बैड कोलेस्ट्रॉल कैसे कम करें, उच्च कोलेस्ट्रॉल लक्षण  के बारे में विस्तार से जाना। 

कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित रखने से हम हृदय संबंधी बीमारियों और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बच सकते हैं। उच्च कोलेस्ट्रॉल को कम करने के उपायों को अपनाकर, हम अपने जीवन को लंबा और स्वस्थ बना सकते हैं।

1. कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से क्या परेशानी होती है?

कोलेस्ट्रॉल बढ़ने से दिल की बीमारियाँ, हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक और हृदयाघात जैसी गंभीर समस्याएँ हो सकती हैं। यह रक्त वाहिकाओं में प्लाक जमा होने के कारण रक्त संचार में रुकावट उत्पन्न करता है।

2. कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए क्या खाना चाहिए?

कोलेस्ट्रॉल कम करने के लिए ओट्स, फल, सब्जियाँ, नट्स, मछली (विशेषकर साल्मन), एवोकाडो, और जैतून का तेल जैसे खाद्य पदार्थ फायदेमंद होते हैं। इनसे अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ावा मिलता है और खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) घटता है।

3. कोलेस्ट्रॉल का लेवल कितना होना चाहिए?

स्वस्थ कोलेस्ट्रॉल स्तर के लिए कुल कोलेस्ट्रॉल 200 मिलीग्राम प्रति डेसीलिटर (mg/dL) से कम होना चाहिए। LDL (खराब कोलेस्ट्रॉल) 100 mg/dL से कम और HDL (अच्छा कोलेस्ट्रॉल) 40-60 mg/dL के बीच होना चाहिए।

4. गर्म पानी पीने से कोलेस्ट्रॉल कम होता है क्या?

हां, गर्म पानी पीने से शरीर में रक्त संचार बेहतर होता है, जिससे कोलेस्ट्रॉल का स्तर नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, इसके लिए संतुलित आहार और नियमित व्यायाम भी जरूरी हैं।

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