छोटे संस्कृत श्लोक

Top 10 छोटे संस्कृत श्लोक- जो देंगे जीवन को नई दिशा और सकारात्मक सोच

Published on September 19, 2025
|
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छोटे संस्कृत श्लोक

Quick Summary

छोटे संस्कृत श्लोक:

  • “अहिंसा परमो धर्मः”
  • “सत्यमेव जयते”
  • “वसुधैव कुटुम्बकम्”
  • “आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च”
  • “योगः कर्मसु कौशलम्”

Table of Contents

इस दुनिया की सबसे पुरानी पुस्तकें ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद, अथर्ववेद, भारत की देन है। लेकिन आश्चर्य की बात है कि इन चारों ग्रंथों में श्लोक ही श्लोक लिखे हुए हैं। वह भी देव लिपि संस्कृत में। इससे यह तो पता चलता है कि संस्कृत करोड़ों साल पुरानी भाषा है।

भारत में संस्कृत भाषा में लिखे गए श्लोक की संख्या करोड़ों में है चाहे वो श्लोक महापुराण से हो या गीता से। लेकिन इन सभी श्लोक का मकसद एक है, लोगों के बीच मानव धर्म को जिंदा रखना। आज इस ब्लॉग में हम ऐसे ही कुछ छोटे संस्कृत श्लोक पेश करेंगे और 10 श्लोक संस्कृत में, प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक, धैर्य पर संस्कृत श्लोक पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

10 छोटे संस्कृत श्लोक | Motivational Sanskrit Shlok

अगर आप गीता या पुराण को खोलकर देखेंगे तो उसमें ऐसे कई श्लोक हैं जो इंसान को प्रेरणा देने के लिए लिखे गए हैं। वैसे तो इन शोक की संख्या बहुत ज्यादा है और एक-एक श्लोक काफी लंबे हो सकते हैं लेकिन हम आपके लिए लेकर आए हैं 10 श्लोक संस्कृत में जो न सिर्फ छोटे हैं बल्कि उनके पाठ से आपके मन में भक्ति भाव, आत्मविश्वास और समर्पण का भाव जागृत होगा।

ज्ञान और शिक्षा पर छोटे संस्कृत श्लोक

निम्नलिखित छोटे संस्कृत श्लोक आपके मन में ज्ञान का स्रोत और शिक्षा के प्रति निष्ठा जागने में प्रबल है। इन श्लोक का अर्थ भी दिया गया है:

न चोरहार्य न राजहार्य न भ्रतृभाज्यं न च भारकारि।
व्यये कृते वर्धति एव नित्यं विद्याधनं सर्वधनप्रधानम्॥

  • अर्थात इस ना चोर चुरा सकता है, ना राजा छीन सकता है, ना तो इसका बटवारा भाइयों के बीच हो सकता है, और ना ही इसे संभालना मुश्किल है। यह तो है खर्च करने से बढ़ाने वाली विद्या रूपी मुद्रा जो सभी धरो में सबसे श्रेष्ठ है।

क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत्।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्॥

  • अर्थात एक भी क्षण गवाए बिन विद्या की प्राप्ति करनी चाहिए, और कण कण बचा करके धन इकट्ठा करना चाहिए। क्योंकि क्षण दबाने वाले को विद्या नहीं मिलती और और कण को कमतर समझने वाले को धन नहीं मिलता।

नहि ज्ञानेन सदृशं।

  • अर्थात इस संसार में ज्ञान के समान और कोई वस्तु नहीं है।

कर्म पर छोटे संस्कृत श्लोक

कहते हैं कि कामकाज मैं व्यस्त रहने वाला इंसान कभी दुखी नहीं होता है। काम करने की प्रेरणा जगाने के लिए छोटे संस्कृत श्लोक निम्नलिखित हैं जिनके अर्थ भी साथ में दिए गए हैं:

आलस्यं हि मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपु:।
नास्त्युद्यमसमो बन्धुः कृत्वा यं नावसीदति।।

  • अर्थात मनुष्य के शरीर में स्थित आलस्य ही उसका सबसे बड़ा शत्रु है। परंतु मेहनत के समान दूसरा उसका कोई मित्र हो ही नहीं सकता क्योंकि परिश्रम करने वाले कभी दुखी नहीं होते हैं।

कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि॥

  • अर्थात जीवन में कर्म करते रहना चाहिए फल या किसी चीज की आशा किए बगैर। तुम स्वयं अपने कामों के लिए अपना फल निर्धारित नहीं कर सकते हो और ना ही तुम्हें अकर्मण्य रहना चाहिए।

अलसस्य कुतः विद्या अविद्यस्य कुतः धनम्।
अधनस्य कुतः मित्रम् अमित्रस्य कुतः सुखम्।।

  • अर्थात जिस प्रकार आलसी व्यक्ति को विद्या की प्राप्ति नहीं होती, उसी प्रकार अनपढ़ या मूर्ख व्यक्ति को धन लाभ नहीं होता, दरिद्र मनुष्य को मित्र की प्राप्ति नहीं होती, और अमृत को सुख की प्राप्ति नहीं होती।

आत्मविश्वास पर छोटे संस्कृत श्लोक

आत्मविश्वास किसी भी मनुष्य के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। एक आत्मविश्वास से मनुष्य को खुद पर भरोसा होता है और वह नकारात्मक विचारों से दूर रहता है। आत्मविश्वास पर कुछ छोटे संस्कृत श्लोक निम्नलिखित है:

यथा द्यौश्च पृथिवी च न बिभीतो न रिष्यतः।
एवा मे प्राण मा विभेः।।

  • अर्थात जिस प्रकार आकाश और पृथ्वी ना भाई से ग्रस्त हो सकती है और ना ही नष्ट हो सकती है, ठीक उसी प्रकार है मेरी आत्मा! तुम भी इस भाई से मुक्त रहो।

स्वावलम्बनमेव शूरस्य बलं न अन्यस्य।।

  • अर्थात आत्मनिर्भर या स्वावलंबी गुण ही वीरों का बाल है। जो व्यक्ति आत्मनिर्भर है वही सच्चा वीर कहलाता है।

नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः।
विक्रमार्जितसत्त्वस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥

  • अर्थात मृग द्वारा सिंह का राज्य अभिषेक या किसी भी प्रकार का संस्कार नहीं किया जाता है। लेकिन इसके बावजूद वो अपने पराक्रम के बलबूते पर मृगेंद्र कहलाया जाता है। इस प्रकार राजा बनने के लिए भी किसी पर निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है उसके लिए पराक्रम की आवश्यकता है।

उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।
क्षुरासन्नधारा निशिता दुरत्यद्दुर्गं पथस्तत्कवयो वदन्ति॥

  • अर्थात तुम्हारे रास्ते कठिनाइयों से भरे हुए होंगे। अति दुर्गम रास्ता का भी सामना तुम्हें करना पड़ सकता है। लेकिन लोग कहते हैं कि कठिन रास्ते चलने के लिए ही बने हैं। इसलिए उठो जागो और अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अग्रसर हो।

तो यह थे 10 श्लोक संस्कृत में जो आपके जीवन के हर पद में सहायक का काम करेंगे।

छोटे संस्कृत श्लोक
छोटे संस्कृत श्लोक

संस्कृत में श्लोक | Short Sanskrit Quotes for Instagram Bio

कार्य पुरुषकारेण लक्ष्यं सम्पद्यते।

जो व्यक्ति अपने प्रयासों और मेहनत से काम करता है, वही अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है।

भवत: लक्ष्यं भवत: जीवनम् अस्ति।

आपका जीवन वही है जो आपका लक्ष्य है; लक्ष्य ही जीवन को दिशा देता है।

कालवित् कार्यं साधयेत्।

जो व्यक्ति समय का सही उपयोग करता है, वह अपने कार्यों में निश्चित सफलता प्राप्त करता है।

आत्मायत्तौ वृद्धिविनाशौ।

आत्म-नियंत्रण में वृद्धि और जीवन में स्थिरता होती है, वहीं आलस्य और असंयम विनाश की ओर ले जाते हैं।

छोटे संस्कृत श्लोक one line | Sanskrit Mein Suvichar

संस्कृत श्लोकअर्थ
सत्यमेव जयते नानृतम्केवल सत्य की ही विजय होती है, असत्य कभी सफल नहीं होता।
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचनतुम्हारा केवल कर्म करने में अधिकार है, उसके फल में कभी नहीं।
धैर्यं सर्वत्र साधनम्धैर्य हर कार्य में सफलता पाने का माध्यम है।
विद्या ददाति विनयंज्ञान व्यक्ति को विनम्रता प्रदान करता है।
सर्वे भवन्तु सुखिनःसभी लोग सुखी और शांत रहें।
inspirational sanskrit quotes with meaning | small easy sanskrit shlok

गुरु पर छोटे संस्कृत श्लोक

भारतीय समाज में गुरु का स्थान भगवान के समान माना जाता है। किसी भी कला या विद्या में पारंगत होने के लिए गुरु का आशीर्वाद आवश्यक है। गुरु की इस महिमा की अभिव्यक्ति छोटे संस्कृत श्लोक के तहत निम्नलिखित की गई है:

गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः।।

  • अर्थात गुरु ही ब्रह्म है गुरु ही विष्णु है और गुरु ही साक्षात परम शिव है। गुरु ही साक्षात परम ब्रह्म भी है, और इन्हें मैं प्रणाम करता हूं। इस श्लोक में गुरु की तुलना तीनों लोगों के स्वामी ब्रह्मा विष्णु महेश और परम सत्ता ब्रह्मा से की गई है।

त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देव देव॥

  • अर्थात हे गुरु आप ही मेरी माता और आप ही मेरे पिता हो। आप ही मेरे भाई और आप ही मेरे मित्र हो। आप ही मेरी विद्या और आप ही मेरा धन हो। हसा प्रभु आप ही मेरे सर्विस हो। इस श्लोक में एक छात्र अपने गुरु को उसका सब कुछ मानकर संबोधित कर रहा है।

माता-पिता पर छोटे संस्कृत श्लोक

कहते हैं की माता-पिता के चरणों में ही स्वर्ग का सुख है। और इस बात की पुष्टि हजारों सालों से संस्कृत श्लोक द्वारा की जा रही है। इनमें से कुछ श्लोक निम्नलिखित है:

पिता धर्मः पिता स्वर्गः पिता हि परमं तपः।
पितरि प्रीतिमापन्ने प्रीयन्ते सर्वदेवताः॥

  • अर्थात मेरे लिए मेरे पिता ही धर्म है। मेरे लिए मेरे पिता ही स्वर्ग है। मेरे लिए मेरे पिता ही परम तपस्वी है। जो कोई अपने पिता को प्रसन्न कर पाया तो उसने देवता को प्रसन्न कर दिया।

सर्वतीर्थमयी माता सर्वदेवमयः पिता।
मातरं पितरं तस्मात् सर्वयत्नेन पूजयेत्॥

  • अर्थात मां का स्थान सभी तीर्थ स्थलों के समान है और पिता का स्थान देवताओं के अनुकूल है। इसीलिए प्रत्येक मनुष्य को अपने माता-पिता का सम्मान सत्कार और सेवा करना चाहिए। यही उनका परम कर्तव्य है।

प्रेरणादायक छोटे संस्कृत श्लोक | Motivational Shlok in Sanskrit

जीवन में प्रेरणा की कमी सभी मनुष्य को एक न एक समय पर महसूस होती है। ऐसे समय में कई लोग प्रेरणा का स्रोत अपने अंदर ढूंढने का प्रयास करते हैं तो कुछ लोग पुराने संस्कृत ग्रंथों को पढ़कर अपनी प्रेरणा की तलाश करते हैं। अब प्रेरणा कई सारी चीजों के लिए इकट्ठी की जा सकती है जैसे शांति, धैर्य, सदाचारी आदि। इनमें से कुछ चीजों को लक्षित करके श्लोक नीचे दिए गए हैं।

सकारात्मक सोच | Sanskrit Quotes on Life

जीवन में जब तक मनुष्य सकारात्मक तरीके से नहीं सोचेगा तब तक उसकी उन्नति नहीं हो सकती। और इसी सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने के लिए कुछ निम्नलिखित छोटे संस्कृत श्लोक दिए गए हैं:

हतो वा प्राप्यसि स्वर्गम्, जित्वा वा भोक्ष्यसे महिम्।
तस्मात् उत्तिष्ठ कौन्तेय युद्धाय कृतनिश्चय:॥

  • अर्थात यदि आप युद्ध में पराजित होते हैं या मृत्यु को प्राप्त होते हैं, तो आपको स्वर्ग मिलेगा और यदि आप विजई होते हैं तो आपको पृथ्वी पर सुख की प्राप्ति होगी। इसीलिए उठो अर्जुन और निश्चिंत होकर युद्ध लाडो। यह संस्कृत श्लोक कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युद्ध के शुरुआत में सुनाया था। कृष्ण कहना चाहते हैं कि हमें परिणाम की चिंता ना करके कर्म, विचार, व्यवहार पर ध्यान देना चाहिए।

चिन्तया जायते दुःखं नान्यथेहेति निश्चयी।
तया हीनः सुखी शान्तः सर्वत्र गलितस्पृहः॥

  • अर्थात चिंता से ही दुख की उत्पत्ति होती है, किसी अन्य कारण से नहीं। और इस सत्य को जानने वाला चिंता से मुक्त होकर सुख, शांति और सभी इच्छाओं के लाभ से मुक्त हो जाता है।

सदाचार | Sanskrit Mein Shlok

दूसरों के प्रति सदाचार का भाव रखने से न सिर्फ सामने वाले के साथ आपके रिश्ते सुधारते हैं बल्कि दूसरों की नजरों में आपका सम्मान भी बढ़ता है। सदाचार से जुड़े कुछ छोटे संस्कृत श्लोक कुछ इस प्रकार है:

परो अपि हितवान् बन्धुः बन्धुः अपि अहितः परः।
अहितः देहजः व्याधिः हितम् आरण्यं औषधम्॥

  • अर्थात अगर कोई अनजान व्यक्ति आपकी सहायता करता है तो आपको उसे अपने परिवार के सदस्य जितना महत्व देना चाहिए। लेकिन अगर परिवार का ही कोई सदस्य आपको पीड़ा पहुंचने लगे तो उसे महत्व देना बंद करें। जिस प्रकार शरीर का कोई अंग बीमारी से ग्रसित होकर पीड़ा देता है लेकिन जंगल में उगने वाली औषधि हमें लाभ पहुंचती है।

यथा चित्तं तथा वाचो यथा वाचस्तथा क्रियाः।
चित्ते वाचि क्रियायांच साधुनामेक्रूपता॥

  • अर्थात एक अच्छा व्यक्ति मन में जो आता है वही बोलता है और वही करता है। ऐसे सज्जन पुरुषों के मन, उनके विचार और उनके कम एकरूप होते हैं।
छोटे संस्कृत श्लोक
छोटे संस्कृत श्लोक

धैर्य और दृढ़ता

जिंदगी में किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए संघर्ष और विद्या जितनी जरूरी है उतना ही जरूरी है धैर्य और दृढ़ता। और इस धैर्य को अपने जिंदगी में कायम रखने के लिए धैर्य पर छोटे संस्कृत श्लोक नीचे दिए गए हैं:

धैर्यं सर्वत्र साधनम् विनयं सर्वत्र रक्षणम्॥
ज्ञानं सर्वत्र पूज्यते।

  • धैर्य जीवन के हर क्षेत्र में सफलता का माध्यम है, और विनम्रता हर परिस्थिति में हमारी रक्षा करती है ज्ञान हर जगह पूजनीय है।यह श्लोक इस बात पर जोर देता है कि असफलताओं और विपरीत परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए, बल्कि दृढ़ता और धैर्य के साथ अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ते रहना चाहिए।

उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः।
न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगाः॥

  • अर्थात कोई भी कार्य कठोर परिश्रम के बिना पूरा करना असंभव है। सिर्फ चाहने भर से कार्य नहीं होते उसके लिए प्रयत्न करना पड़ता है। जैसे सोए हुए शेर के मुंह में हिरण अपने आप नहीं आ जाती, उसे भी शिकार करना पड़ता है।

धैर्य पर छोटे संस्कृत श्लोक | Sanskrit Thought

आज के समय में धैर्य बहुत ही दुर्लभ चीज है। हमारे आसपास हमेशा एक अस्थिरता और जल्दबाजी का माहौल बना रहता है जिसकी वजह से हमारे धैर्य में बाधा पड़ती है। धैर्य के गुण को अपने अंदर समाहित करने के लिए निम्नलिखित श्लोक दिए गए हैं:

शनैः पन्थाः शनैः कन्था शनैः पर्वत लंघनम्।
शनैर्विद्या शनैर्वित्तं पञ्चतानि शनैः शनैः॥

  • अर्थात धैर्य के साथ अपना रास्ता चुनना चाहिए, धैर्य के साथ ही चादर सिलना और धैर्य के साथ ही पहाड़ चढ़ना चाहिए। धैर्य के साथ ही विद्या अर्जित करनी चाहिए और धैर्य के साथ ही धन उपार्जन करना चाहिए। इन पांच कार्यों को हमेशा धैर्य के साथ करना चाहिए।

निन्दन्तु नीति निपुणाः यदि वा स्तुवन्तु, लक्ष्मीः समाविशतु गच्छतु वा यथेष्टम्।
अद्यैव वा मरणमस्तु युगान्तरे वा, न्याय्यात्पथः प्रविचलन्ति पदं न धीराः।

  • अर्थात नीति से चलने वाला इंसान चाहे निंदा करें या तारीफ, उसके पास से लक्ष्मी आए या जाए। उसकी मृत्यु आज हो जाए या बाद में, लेकिन धर्मवान पुरुष के कम कभी भी न्याय के पद से नहीं हटते हैं।

10 सुभाषित श्लोक अर्थ सहित | Sanskrit Motivational Shlok

“क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत्।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम्॥”

समय का एक भी क्षण व्यर्थ नहीं करना चाहिए। हर पल का सदुपयोग करके ज्ञान अर्जित करना चाहिए और धन संचय करना चाहिए।

“स जातो येन जातेन याति वंशः समुन्नतिम्।
परिवर्तिनि संसारे मृतः को वा न जायते।।”

जिसका जन्म कुल और समाज के उन्नति के लिए होता है, वही जन्म सफल होता है। अन्यथा सब जन्म और मृत्यु के चक्र में आते हैं।

“अकामां कामयानस्य शरीरमुपतप्यते।
इच्छतीं कामयानस्य प्रीतिर्भवति शोभना।।”

कार्य वह करना चाहिए जिसमें रुचि हो। जो काम पसंदीदा हो वही आनंद और सफलता देता है


“सन्मार्गेण गन्तव्यं लक्ष्यं भवतु दूरंगम्।
स्वे कुटुम्बे सदा स्थेयं वैरं भवतु यादृशम्।।”

सही मार्ग पर चलो। चाहे लक्ष्य दूर हो, और चाहे कितनी भी मुश्किलें हों, परिवार के साथ स्थिर रहो और शत्रुता से बचो

“निन्दाभयात् मा गच्छतु यतः।
ये निन्दन्ति लक्ष्यं प्राप्तमात्रेण मतम् परिवर्तते।।”

निंदा से भयभीत होकर अपने लक्ष्य से भटकना नहीं चाहिए। आलोचना करने वालों की राय समय के साथ बदल जाती है।

संस्कृत श्लोक का जीवन में महत्व

वैसे तो वेद और पुराणों में लिखे गए संस्कृत श्लोक का महत्व काफी हद तक धर्म से जुड़े कर्मकांड और अनुष्ठानों तक सीमित रह गया है। लेकिन अभी भी ऐसे कुछ ग्रंथ मौजूद है जैसे गीत जो छोटे संस्कृत श्लोक को इंसान के जीवनी से जोड़कर उन्हें एक नए मायने देने का प्रयास करती आ रही है। इसीलिए आपने अक्सर अपने घर में अपनी माताओं को या समृद्ध से समृद्ध लोगों को श्लोक का पाठ करते हुए देखा होगा।

ज्ञान और प्रेरणा

ज्ञान और प्रेरणादायक छोटे संस्कृत श्लोक हर व्यक्ति को कंठस्थ होना चाहिए। ऐसा क्यों इसके निम्नलिखित कारण दिए गए हैं:

  • ताकि जब भी विपदा की घड़ी सामने आए तब इंसान अपने अंदर इन श्लोक को दोहराते हुए साहस बांध सके।
  • वैज्ञानिकों का मानना है कि बाहर से मिलने वाली प्रेरणा जैसे पैसा, गाड़ी या अच्छी जिंदगी ज्यादा लंबे समय, तक, साथ नहीं रहती है। लेकिन इंसान के आंतरिक हिस्से से जो प्रेरणा उजागर होती है वही हमें सफल बना सकती हैं।
  • धैर्य से जुड़े संस्कृत श्लोक का पाठ हर रोज करेंगे तो आप भी खुद को बेचैनी की घड़ी में स्थिर रखकर जरूरी और मानव मूल्य से जुड़े निर्णय ले पाएंगे।

धार्मिक और नैतिक मूल्यों का विकास

महाभारत के युद्ध के बीच भी कृष्ण अर्जुन को छोटे संस्कृत श्लोक के माध्यम से धार्मिक और नैतिक मूल्य का ज्ञान दे रहे हैं। और इस कलयुग में तो हमारा एक नहीं बल्कि कई सारे शत्रु है जो हमें हमारे लक्ष्य से भटकने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ऐसी स्थिति में धार्मिक और नैतिक मूल्यों से जुड़े छोटे संस्कृत श्लोक का पाठ करने से आपको:

  • मानव धर्म का ज्ञान होगा।
  • आप में सही निर्णय लेने की क्षमता विकसित होगी।
  • आप अच्छे बुरे का अंतर कर पाएंगे।

आध्यात्मिक जागरूकता

हजारों वर्षों से यह श्लोक सिर्फ याद करने की वस्तु नहीं है, तभी तो इन्हें ग्रहण करते हुए लोगों ने आध्यात्मिक ज्ञान भी प्राप्त किया है। आपको ऐसे कई संस्कृत श्लोक मिल जाएंगे जहां शिक्षा, योग, गुरु की महिमा, भक्ति और आदि की महत्ता का गुणगान किया गया है। इनके लाभ यह है कि:

  • वैज्ञानिकों के अनुसार अगर आप हर दिन नियम अनुसार 5 से 6 श्लोक का पाठ करते हैं तो यह आपके आध्यात्मिक जागरूकता में बहुत मददगार हो सकता है।
  • मेडिटेशन के दौरान इन श्लोक का उच्चारण आपके इंद्रिय ज्ञान को स्पष्ट रूप से बढ़ावा देने का काम करेगा।

छोटे संस्कृत श्लोक याद करने के सुझाव

यह कहना गलत नहीं होगा कि आज के समय में संस्कृत बहुत ही कम लोग जानते हैं। और जो लोग जानते हैं वह भी धीरे-धीरे इससे कट रहे हैं और इसका गहन अध्ययन कोई नहीं कर रहा है। यही कारण है कि जब संस्कृत श्लोक याद करने की बड़ी आती है तो लोग अक्सर डर जाते हैं। लेकिन इन लोगों को समझना पूर्वक याद करने के लिए कई सारे नुस्खे भी मौजूद हैं।

श्लोक को रोजाना दोहराइये

अगर आप जिस भी श्लोक को कंठस्थ करना चाहते हैं तो इसके लिए आपको:

  • उसे शुरुआत में 5 से 10 बार पढ़िए।
  • फिर उसके बाद उसे देख-देख कर 5 से 10 बार लिखे।
  • इसके बाद आप उसे खुद से याद करके बोलने का और लिखने का प्रयास करें।
  • शुरुआत में अवश्य गलतियां होगी लेकिन अगर आप यह प्रणाली एक हफ्ते तक आसमान आएंगे तो आपको सारी जिंदगी के लिए कोई भी श्लोक याद हो जाएगा।

अर्थ समझ कर याद करें

अब संस्कृत में संस्कृत श्लोक का अर्थ समझना सबके बस की बात नहीं। इसलिए आपको क्या करना है कि:

  • आपको जो भी भाषा आती है उस भाषा में पहले तो श्लोक का अनुवाद कर लीजिए।
  • आप चाहे तो इसके लिए किसी पुस्तक या इंटरनेट की मदद ले सकते हैं।
  • ढूंढते हुए अर्थ को शब्द के साथ लिखते जाइए।
  • एक बार आपको अर्थ समझ में आ गया तब आपको एक-एक शब्द को समझने में और आसानी होगी और इससे आप उस श्लोक को जल्दी से याद कर पाएंगे।

श्लोक को प्रेरणादायक कहानी से जोड़ियां

लोग को प्रेरणादायक कहानी से जोड़ने के लिए आपको:

  • पंचतंत्र की कहानियों का सहारा लेना चाहिए। हम सभी बचपन से पंचतंत्र की कहानी सुनते हुए ही बड़े होते हैं। जिस प्रकार पंचतंत्र की कहानियों के अंत में नीति दायक सीख दी जाती है इस प्रकार आप भी श्लोक के अर्थ को किसी ऐसी ही अनुकूल कहानी से जोड़कर उसे और अच्छे से समझ सकते हैं।
  • पंचतंत्र के अलावा आपकी से दूसरी कहानी या उपन्यास का उदाहरण भी ले सकते हैं। ऐसे उदाहरण के साथ पढ़ने से आपको मजा भी आएगा और आपको लंबे समय तक चीज याद भी रहेंगे।

समूह में अभ्यास करें

किसी भी चीज को सीखने के लिए समूह में अभ्यास करना सबसे अच्छा उपाय है। ऐसा इसलिए क्योंकि:

  • जब आप किसी समूह से जुड़ते हैं तब आपके अंदर दायित्व बौद्ध बढ़ जाता है।
  • आप चाहे तो समूह के हर एक सदस्य से नए-नए श्लोक सीख सकते हैं और उनके सामने श्लोक का पाठ करके अपनी गलतियों को भी सुधर सकते हैं।
  • समूह में काम करने से लोग आपको प्रेरणा ही देंगे और मेहनत करने के लिए।

संस्कृत के कुछ छोटे और प्रसिद्ध श्लोक

  1. सत्यं वद, धर्मं चर
    अर्थ: सत्य बोलो, धर्म का पालन करो।
    उपदेश: नैतिक जीवन की शिक्षा।
  2. विद्या ददाति विनयं
    अर्थ: विद्या से विनम्रता आती है।
    भाव: शिक्षा का सही उद्देश्य चरित्र निर्माण है।
  3. मातृदेवो भव, पितृदेवो भव
    अर्थ: माता और पिता को देवता के समान मानो।
    स्रोत: तैत्तिरीयोपनिषद्
  4. शिवाय नमः
    अर्थ: भगवान शिव को नमस्कार।
    उपयोग: दैनिक जप और ध्यान में।
  5. कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
    अर्थ: कर्म करो, फल की चिंता मत करो।
    स्रोत: भगवद्गीता

निष्कर्ष

कहते हैं जब लिखने की कला का आविष्कार नहीं हुआ था तब इसी तरह बोल-बोलकर चीज याद करवाई जाती थी। और इस कार्य में संस्कृत श्लोक ने अपना पूरा योगदान निभाया है। हमारा आज का समाज भी इससे नैतिक सीख ले सकता है। जैसे कि इस ब्लॉग से प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक, धैर्य पर संस्कृत श्लोक, गुरु, माता पिता, धैर्य से जुड़ी कितनी ही अच्छी बातें सीखें। इसके अलावा हमने 10 श्लोक संस्कृत में भी सीखें। अगर आप इन प्रेरणादायक संस्कृत श्लोक को जरूरत के समय पढ़ेंगे तो आपके लिए यह बहुत फायदेमंद साबित होगा।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. जीवन पर संस्कृत श्लोक क्या है?

    येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः। ते मृत्युलोके भुवि भारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति।।
    अर्थ : जिसके पास विद्या, तप, ज्ञान, शील, गुण और धर्म में से कुछ नहीं वह मनुष्य ऐसा जीवन व्यतीत करते हैं जैसे एक मृग।

  2. बहुत छोटा संस्कृत भाव क्या है?

    “अहिंसा परमो धर्मः”
    अर्थ – अहिंसा सर्वोच्च गुण है।

  3. प्रेरणा के लिए संस्कृत श्लोक क्या है?

    प्रेरणा के लिए संस्कृत श्लोक:
    “उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रविशन्ति मुखे मृगा:।”

  4. वेद का पहला श्लोक क्या है?

    “अग्निमीळे पुरोहितं यज्ञस्य देवम् रत्नधातमम्।”
    इसका सामान्य अर्थ है: मैं यज्ञ के पुरोहित, देवता अग्नि को प्रणाम करता हूँ, जो धन का दाता है।

  5. गीता का मुख्य श्लोक क्या है?

    “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि।।”
    इस श्लोक का अर्थ है: कर्म पर ही तुम्हारा अधिकार है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं। इसलिए कर्म करो, फल की चिंता मत करो।

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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