Quick Summary
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और जब तक उनका इलाज नहीं किया जाता, ये आसपास के ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में उत्पन्न हो सकता है और इसे विभिन्न प्रकारों में बाँटा जाता है, जैसे कि स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर, मस्तिष्क का कैंसर, आदि।
कैंसर के लक्षण उस प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं जहां यह शरीर में उत्पन्न हुआ है। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हो सकते हैं:
कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर की कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होती है। कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती चरणों में पहचान में नहीं आते, जिससे इसका निदान और कैंसर का इलाज कठिन हो जाता है। कैंसर के कुछ सामान्य लक्षणों में अचानक वजन कम होना, अत्यधिक थकान, त्वचा पर गांठ या मस्से का होना, और लगातार खांसी या गले में खराश शामिल हैं। इसके अलावा, पेशाब या मल में रक्त आना, पेट में दर्द या सूजन, और भूख में कमी भी कैंसर के संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों की पहचान और समय पर चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है, ताकि कैंसर का प्रारंभिक चरण में ही निदान और कैंसर का इलाज किया जा सके।
कर्क रोग या कैंसर शरीर के भागों के असंतुलन होने से होती है। सेल्स का इस तरह का असंतुलनीय विकास नॉर्मल सेल्स को खत्म कर देता है। जो शरीर के कार्यों को अस्त-व्यस्त कर देती है। कैंसर के बहुत से प्रकार होते है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जिनमें शामिल है फेफड़े, मस्तिष्क, मानव प्रणाली, पेट, पेट की अंगभंग, स्तन और अन्य अंग।
कैंसर एक गंभीर रोग है, जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और आस-पास के ऊतकों या अंगों पर आक्रमण करने लगती हैं। यदि इनका समय पर इलाज न किया जाए, तो ये कोशिकाएं रक्त या लिम्फ के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती हैं। इस प्रक्रिया को मेटास्टेसिस कहा जाता है।
कर्क रोग या कैंसर में शरीर के सेल्स अनियमित रूप से पैदा होने लगते हैं और अनियंत्रित तरीके से बढ़ते रहते हैं। लम्बे समय तक यह बीमारी बनी रही और उपचार ना किये जाये तो यह बढ़ भी सकती है जिससे किसी तरह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
जब शरीर की सामान्य कोशिकाएं अपना नियंत्रण खोकर अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं, तो वे कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं। ये कोशिकाएं एक जगह इकट्ठा होकर ट्यूमर (गांठ) का निर्माण कर सकती हैं।
कैंसर तब होता है जब शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। सामान्यतः, शरीर में कोशिकाओं का विभाजन एक नियंत्रित प्रक्रिया होती है, लेकिन जब यह प्रक्रिया गड़बड़ होती है, तो कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक ट्यूमर (गांठ) बना सकती हैं। अगर यह असामान्य कोशिकाएँ आसपास की कोशिकाओं में फैल जाती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगती हैं, तो इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।
कैंसर होने के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:
कैंसर की पहचान प्रारंभिक अवस्था में करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण अक्सर आम बीमारियों जैसे लग सकते हैं। लेकिन कुछ संकेत ऐसे होते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।
1. अकारण वजन घटना:
बिना किसी प्रयास या डाइट के अचानक वजन कम होना कैंसर का एक प्रारंभिक संकेत हो सकता है, खासकर पेट, फेफड़े या अग्नाशय के कैंसर में।
2. लगातार थकान और कमजोरी:
शरीर थका-थका महसूस करता है और आराम करने के बाद भी ऊर्जा नहीं लौटती, तो यह ल्यूकेमिया या अन्य कैंसर का लक्षण हो सकता है।
3. भूख में कमी:
भूख लगना कम हो जाना और बिना कारण भोजन से अरुचि हो जाना, पाचन तंत्र से जुड़े कैंसर का संकेत हो सकता है।
4. बुखार और रात को पसीना आना:
लगातार हल्का बुखार या रात में अत्यधिक पसीना आना, विशेषकर जब इसका कोई स्पष्ट कारण न हो, तो यह लसीका या रक्त कैंसर का संकेत हो सकता है।
5. त्वचा में परिवर्तन:
त्वचा के रंग में बदलाव, मोल्स का आकार या रंग बदलना, खुजली, या घाव जो लंबे समय तक न भरें – ये त्वचा कैंसर के संकेत हो सकते हैं।
6. शरीर के किसी हिस्से में गांठ या सूजन:
गर्दन, स्तन, पेट या बगल में कोई कठोर गांठ महसूस होना गंभीर संकेत हो सकता है, जिसे जल्द दिखाना चाहिए।
7. खून आना या असामान्य स्राव:
मूत्र, मल, थूक या योनि से बिना कारण खून आना कैंसर का लक्षण हो सकता है, खासकर कोलन, गर्भाशय या मूत्राशय कैंसर में।
8. मल-मूत्र की आदतों में बदलाव:
कब्ज, दस्त या मूत्र त्याग में परेशानी लंबे समय तक बनी रहे, तो यह पाचन या मूत्र तंत्र से जुड़े कैंसर का संकेत हो सकता है।
9. निगलने में कठिनाई या अपच:
लगातार खाना निगलने में दिक्कत या पेट में जलन, एसिडिटी जैसा महसूस होना, ग्रासनली या पेट के कैंसर से जुड़ा हो सकता है।
10. लगातार खांसी या आवाज में बदलाव:
अगर खांसी हफ्तों तक बनी रहे या आवाज भारी हो जाए, तो यह फेफड़ों या गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है।
आपको यह समझना चाहिए कि दिए गए लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम या किसी अन्य बीमारी के भी हो सकते हैं। इन लक्षणों के आधार पर कभी भी कैंसर का निदान नहीं करना चाहिए, हमेशा डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। दिए गए लक्षण केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।
कैंसर के विभिन्न प्रकारों के विशिष्ट लक्षण अलग-अलग होते हैं, और ये लक्षण कैंसर के प्रकार, आकार, स्थिति और फैलाव के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख कैंसर प्रकार और उनके विशिष्ट लक्षण हैं:
कैंसर का इलाज करने के लिए विभिन्न प्रकार की थेरेपीज़ उपलब्ध हैं। यह थेरेपीज़ रोग के प्रकार, स्थिति और चिकित्सा इतिहास पर निर्भर करती है। यहां कुछ मुख्य कैंसर का इलाज दिए गए हैं:
सर्जरी | कीमोथेरेपी | रेडियोथेरेपी | इम्यूनोथेरपी |
इसमें कैंसर के प्रभावित क्षेत्र को हटा दिया जाता है। | रेडिएशन ऊर्जा का उपयोग करके कैंसर को नष्ट किया जाता है। | इम्यून सिस्टम को मजबूत करके कैंसर को कमजोर करना। | यह इलाज दवाओं का उपयोग कर कैंसर को रोकता है। |
आइये इसे विस्तार से समझते हैं:
कर्क रोग (कैंसर) का पहला इलाज आमतौर पर सर्जरी होता है। इस प्रक्रिया में शरीर के उस हिस्से को हटा दिया जाता है, जो कैंसर से प्रभावित है। सर्जरी का उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को हटा देना है। अगर कैंसर शुरुआती अवस्था में है और किसी एक अंग तक सीमित है, तो सर्जरी प्रभावी हो सकती है। सर्जरी के बाद कभी-कभी कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की जरूरत होती है ताकि कैंसर की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।
कीमोथेरेपी में रोगी को दवाइयाँ दी जाती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने या उनका विस्तार रोकने में मदद करती हैं। ये दवाइयाँ रक्त के जरिए शरीर के हर हिस्से में पहुंचती हैं। कीमोथेरेपी का उपयोग ट्यूमर को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे उल्टी, बालों का झड़ना, और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता।
रेडियोथेरेपी में उच्च ऊर्जा वाले विकिरण का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह सर्जरी के बाद कैंसर की पुनरावृत्ति रोकने या पहले ट्यूमर को छोटा करने के लिए किया जा सकता है। रेडियोथेरेपी स्थानीय रूप से काम करती है, जिससे शरीर के बाकी हिस्सों को कम नुकसान होता है। उपचार के बाद रोगी को थकान और त्वचा पर बदलाव हो सकते हैं।
इम्यूनोथेरपी में रोगी की इम्यून सिस्टम को सशक्त किया जाता है ताकि वह कैंसर की कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट कर सके। इस उपचार में इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करने वाली दवाइयाँ दी जाती हैं। इम्यूनोथेरपी कुछ कैंसर जैसे मेलानोमा और फेफड़ों के कैंसर में प्रभावी है। इसके साइड इफेक्ट्स में सूजन, त्वचा पर बदलाव, और इम्यून सिस्टम के अधिक सक्रिय होने से समस्याएं हो सकती हैं।
कैंसर एक गंभीर रोग है, लेकिन इसकी संभावना को कम किया जा सकता है यदि व्यक्ति समय रहते अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करे। अनेक शोध बताते हैं कि कुछ आदतों और सावधानियों को अपनाकर कई प्रकार के कैंसर से बचाव संभव है।
1. स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम
फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाला आहार कैंसर से बचाव में सहायक होता है। साथ ही, रोजाना कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने से वजन संतुलित रहता है, जिससे मोटापे से जुड़े कैंसर का खतरा कम हो जाता है।
2. धूम्रपान और शराब से परहेज
धूम्रपान फेफड़े, गले, मुंह, ब्लेडर और कई अन्य अंगों के कैंसर का प्रमुख कारण है। इसी तरह, अत्यधिक शराब सेवन लिवर, स्तन और आंतों के कैंसर से जुड़ा हुआ है। इनसे दूरी बनाकर कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
3. सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव
सीधी धूप में अधिक समय बिताना त्वचा कैंसर का कारण बन सकता है, खासकर जब अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों का प्रभाव ज्यादा हो। बाहर निकलते समय सनस्क्रीन का उपयोग, सुरक्षात्मक कपड़े पहनना और दोपहर की तेज धूप से बचना जरूरी है।
4. नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग
कुछ प्रकार के कैंसर जैसे स्तन, सर्वाइकल, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर का समय पर पता लगाना इलाज को आसान और अधिक प्रभावी बनाता है। इसलिए उम्र और पारिवारिक इतिहास के अनुसार डॉक्टर से नियमित जांच और स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए।
5. टीकाकरण
कुछ कैंसर वायरस संक्रमण से होते हैं। उदाहरण के लिए:
कर्क रोग का इलाज बहुत महंगा इलाज है जो हर व्यक्ति और परिवार के बस की बात नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ योजनाओं की शुरुआत की है जिसका लाभ लेकर गरीब परिवार के सदस्य इलाज करा सकते हैं इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:
PM-JAY इस योजना को उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनकी आय कम है। जिसमें आते हैं वंचित ग्रामीण परिवार, गरीब और निर्दिष्ट व्यवसायों के शहरी श्रमिक परिवार। माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रत्येक परिवार को हर साल 5 लाख रुपये तक का इसमें लाभ दिया जाता है। अस्पताल में निर्धारित आईडी जमा करवाना होती है।
कैंसर का इलाज का खर्चा उठाने के लिए सरकारी अस्पतालों में 1,25,000 रुपये और उससे कम पारिवारिक वार्षिक आय वाले मरीजों को एचएमडीजी योजना में 75,000 से 1,25,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है।
यह योजना एयर इंडिया द्वारा उन व्यक्तियों के लिए बनाई गई है जो भारत के निवासी हैं और कैंसर से पीड़ित हैं। जो चिकित्सा जांच/उपचार करवाने के यात्रा लिए कर रहे हैं। इस योजना के तहत इकोनॉमी किराये पर 50% की छूट लागू होगी।
ऐसे बहुत से संगठन है जो कैंसर से निपटने के उद्देश्य से कई योजनाएं चलाते हैं। जिससे कर्क रोग का इलाज करने के लिए उन मरीजों को मदद मिलती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है। यह संगठन इस प्रकार है:
कर्क रोग के साथ जीना जरूर कठिन हो सकता है, लेकिन इससे पीड़ित व्यक्तियों को इसे सकारात्मक और प्रेरणादायक तरीके से देखना चाहिए।
कर्क रोग पर रिसर्च करना जरुरी है क्योंकि इससे उसका रोकथाम करने, बिमारियों का पता लगाने, जांच करने में मदद मिलती है। जितना इसके बारे में रिसर्च करेंगे उतना ही कर्क रोग से निपटने और कर्क रोग का उपचार करने में आसानी होगी।
विदेशों में कैंसर रिसर्च का मुख्य उद्देश्य है कैंसर की उत्पत्ति, उसके लक्षणों की समझ और नए उपचार को विकसित करना। विदेशों में ये सभी क्षेत्र एक समृद्ध और गहराई से अध्ययन कर रहे हैं ताकि नए और प्रभावी उपचार कैंसर के खिलाफ उपलब्ध किए जा सकें।
यहां कुछ विदेशों के रिसर्च संस्थान हैं जो कैंसर रिसर्च में काम कर रहे हैं:
भारत में कैंसर पर विभिन्न रिसर्च और अध्ययन चल रहे हैं जो कैंसर के प्रकोप को समझने और इसके इलाज में सुधार करने के उद्देश्य से किये जाते हैं। यह संस्थान भारत में कैंसर रिसर्च में नवाचार और उपचार के विकास पर गहरा ध्यान देते है।
यहां कुछ प्रमुख भारतीय कैंसर रिसर्च संस्थान हैं:
कर्क रोग विशेषकर कैंसर को कहते हैं। कैंसर त्वचा, फेफड़ों, मस्तिष्क, प्रोस्टेट, स्तन आदि जैसे अंगों में होता है। कर्क रोग बहुत से कारणों से होता है जैसे: आयु, वातावरणीय कारक, आहार और आदतें, रसायनों और इंफेक्शन के कारण। कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत सबसे मुख्य है। जिसे समय पर पहचान लेना बहुत जरुरी है। इसके इलाज की विधियों में सिर्जरी, रेडिएशन, और दवाओं का उपयोग होता है। आज के इस ब्लॉग में आपने जाना कर्क रोग क्या होता है, कर्क रोग का इलाज, कर्क रोग क्यों होता है आदि।
कैंसर के शुरुआती लक्षणों में बिना वजह वजन घटना, लंबे समय तक थकान, भूख में कमी, बुखार या बार-बार पसीना आना, शरीर में गांठ बनना, त्वचा में बदलाव और मल-मूत्र की आदतों में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं।
बायोप्सी, सीटी स्कैन, और एमआरआई जैसे टेस्ट कैंसर के लक्षणों की पहचान में मदद करते हैं।
इलाज के बाद भी कुछ लक्षण बने रह सकते हैं, लेकिन उनका प्रबंधन और राहत संभव हो सकती है।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों में असामान्य योनि रक्तस्राव, दर्द, और योनि स्राव शामिल हो सकते हैं। इसका उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी, और रेडियोथेरेपी से किया जाता है, जो कैंसर की स्टेज और अवस्था पर निर्भर करता है।
फाइब्रॉएड कैंसर के लक्षणों में सामान्यतः पेट में दर्द, गांठें, और अत्यधिक मासिक धर्म स्राव शामिल हो सकते हैं।
नहीं, हर गांठ कैंसर नहीं होती। कुछ गांठें सौम्य (Benign) होती हैं जो नुकसान नहीं करतीं। लेकिन अगर कोई गांठ कठोर हो, आकार में बढ़ रही हो या दर्द कर रही हो, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।
यदि खांसी तीन हफ्तों से अधिक समय तक बनी रहे, खांसी के साथ खून आए या आवाज में लगातार बदलाव हो, तो यह फेफड़ों या गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है और जांच जरूरी है।
यदि ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी 2–3 हफ्तों से अधिक समय तक बना रहे, या शरीर में कोई असामान्य बदलाव महसूस हो, तो बिना देर किए डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor
Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.
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