कैंसर के लक्षण

कैंसर के लक्षण: कैंसर के सामान्य लक्षण, कारण, निदान और उपचार

Published on May 16, 2025
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कैंसर के लक्षण

Quick Summary

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसमें शरीर के कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और जब तक उनका इलाज नहीं किया जाता, ये आसपास के ऊतकों और अंगों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।

कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में उत्पन्न हो सकता है और इसे विभिन्न प्रकारों में बाँटा जाता है, जैसे कि स्तन कैंसर, फेफड़े का कैंसर, पेट का कैंसर, मस्तिष्क का कैंसर, आदि।

कैंसर के लक्षण उस प्रकार और स्थान पर निर्भर करते हैं जहां यह शरीर में उत्पन्न हुआ है। हालांकि, कुछ सामान्य लक्षण हो सकते हैं:

  • किसी हिस्से में गांठ का बनना
  • अचानक वजन घटना
  • लगातार थकान
  • रक्तस्राव या स्राव का असामान्य रूप
  • पेट में दर्द, सूजन या ऐंठन
  • त्वचा पर परिवर्तन (रंग, आकार, आकार में बदलाव)

Table of Contents

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जो शरीर की कोशिकाओं के असामान्य रूप से बढ़ने के कारण होती है। कैंसर के लक्षण अक्सर शुरुआती चरणों में पहचान में नहीं आते, जिससे इसका निदान और कैंसर का इलाज कठिन हो जाता है। कैंसर के कुछ सामान्य लक्षणों में अचानक वजन कम होना, अत्यधिक थकान, त्वचा पर गांठ या मस्से का होना, और लगातार खांसी या गले में खराश शामिल हैं। इसके अलावा, पेशाब या मल में रक्त आना, पेट में दर्द या सूजन, और भूख में कमी भी कैंसर के संकेत हो सकते हैं। इन लक्षणों की पहचान और समय पर चिकित्सा सलाह लेना महत्वपूर्ण है, ताकि कैंसर का प्रारंभिक चरण में ही निदान और कैंसर का इलाज किया जा सके।

कैंसर क्या है?

कर्क रोग या कैंसर शरीर के भागों के असंतुलन होने से होती है। सेल्स का इस तरह का असंतुलनीय विकास नॉर्मल सेल्स को खत्म कर देता है। जो शरीर के कार्यों को अस्त-व्यस्त कर देती है। कैंसर के बहुत से प्रकार होते है जो शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। जिनमें शामिल है फेफड़े, मस्तिष्क, मानव प्रणाली, पेट, पेट की अंगभंग, स्तन और अन्य अंग।

कैंसर एक गंभीर रोग है, जिसमें शरीर की कुछ कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं और आस-पास के ऊतकों या अंगों पर आक्रमण करने लगती हैं। यदि इनका समय पर इलाज न किया जाए, तो ये कोशिकाएं रक्त या लिम्फ के जरिए शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैल सकती हैं। इस प्रक्रिया को मेटास्टेसिस कहा जाता है।

कर्क रोग या कैंसर में शरीर के सेल्स अनियमित रूप से पैदा होने लगते हैं और अनियंत्रित तरीके से बढ़ते रहते हैं। लम्बे समय तक यह बीमारी बनी रही और उपचार ना किये जाये तो यह बढ़ भी सकती है जिससे किसी तरह स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

कैंसर की परिभाषा

जब शरीर की सामान्य कोशिकाएं अपना नियंत्रण खोकर अनियंत्रित रूप से विभाजित होने लगती हैं, तो वे कैंसर कोशिकाएं बन जाती हैं। ये कोशिकाएं एक जगह इकट्ठा होकर ट्यूमर (गांठ) का निर्माण कर सकती हैं।

ट्यूमर के प्रकार: सौम्य और घातक

  1. सौम्य ट्यूमर (Benign Tumor):
    यह ट्यूमर शरीर के एक ही हिस्से तक सीमित रहता है और अन्य अंगों में नहीं फैलता। आमतौर पर यह खतरनाक नहीं होता और आसानी से सर्जरी से हटाया जा सकता है।
  2. घातक ट्यूमर (Malignant Tumor):
    यह ट्यूमर कैंसर से संबंधित होता है और शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल सकता है। अगर समय रहते इलाज न हो तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।

कैंसर कैसे होता है?

कैंसर तब होता है जब शरीर की कोशिकाएँ अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। सामान्यतः, शरीर में कोशिकाओं का विभाजन एक नियंत्रित प्रक्रिया होती है, लेकिन जब यह प्रक्रिया गड़बड़ होती है, तो कोशिकाएँ असामान्य रूप से बढ़ने लगती हैं और एक ट्यूमर (गांठ) बना सकती हैं। अगर यह असामान्य कोशिकाएँ आसपास की कोशिकाओं में फैल जाती हैं और शरीर के अन्य हिस्सों में भी फैलने लगती हैं, तो इसे मेटास्टेसिस कहा जाता है।

कैंसर होने के कुछ सामान्य कारणों में शामिल हैं:

  1. जीन की उत्परिवर्तन (Mutation): कोशिकाओं के जीन में उत्परिवर्तन (mutation) होने के कारण वे अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगती हैं। यह उत्परिवर्तन आनुवंशिक, बाहरी या आंतरिक कारणों से हो सकता है।
  2. पर्यावरणीय कारण: जैसे तंबाकू का सेवन, अधिक शराब पीना, सूर्य की हानिकारक यूवी किरणें, और प्रदूषण, ये सभी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
  3. आनुवंशिकी (Genetics): कुछ लोग अपने माता-पिता से कैंसर के लिए पूर्वनिर्धारित जीन प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें कैंसर का खतरा अधिक हो सकता है।
  4. वायरस और बैक्टीरिया: कुछ वायरस (जैसे हेपेटाइटिस बी और सी वायरस, या ह्यूमन पैपिलोमा वायरस) और बैक्टीरिया (जैसे हेलिकोबैक्टर पायलोरी) कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  5. अस्वस्थ जीवनशैली: जैसे अनुशासनहीन आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, तनाव, और खराब मानसिक स्वास्थ्य भी कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।

कैंसर के मुख्य प्रकार | Cancer kitne prakaar ke hote hai

  1. कार्सिनोमा (Carcinoma):
    यह सबसे सामान्य प्रकार का कैंसर है जो त्वचा या आंतरिक अंगों की बाहरी परत की कोशिकाओं में होता है, जैसे फेफड़े, स्तन या प्रोस्टेट।
  2. सारकोमा (Sarcoma):
    यह कैंसर हड्डियों, मांसपेशियों, वसा या संयोजी ऊतकों में होता है।
  3. ल्यूकेमिया (Leukemia):
    इसे आम भाषा में रक्त कैंसर भी कहा जाता है। यह अस्थि मज्जा (Bone marrow) में होता है और रक्त प्रवाह में फैलता है।
  4. लिंफोमा (Lymphoma):
    यह कैंसर लसीका तंत्र (Lymphatic System) को प्रभावित करता है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का एक अहम हिस्सा होता है।

कैंसर के सामान्य लक्षण | Cancer ke lakshan

कैंसर की पहचान प्रारंभिक अवस्था में करना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसके लक्षण अक्सर आम बीमारियों जैसे लग सकते हैं। लेकिन कुछ संकेत ऐसे होते हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि ये लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो डॉक्टर से परामर्श लेना जरूरी होता है।

1. अकारण वजन घटना:
बिना किसी प्रयास या डाइट के अचानक वजन कम होना कैंसर का एक प्रारंभिक संकेत हो सकता है, खासकर पेट, फेफड़े या अग्नाशय के कैंसर में।

2. लगातार थकान और कमजोरी:
शरीर थका-थका महसूस करता है और आराम करने के बाद भी ऊर्जा नहीं लौटती, तो यह ल्यूकेमिया या अन्य कैंसर का लक्षण हो सकता है।

3. भूख में कमी:
भूख लगना कम हो जाना और बिना कारण भोजन से अरुचि हो जाना, पाचन तंत्र से जुड़े कैंसर का संकेत हो सकता है।

4. बुखार और रात को पसीना आना:
लगातार हल्का बुखार या रात में अत्यधिक पसीना आना, विशेषकर जब इसका कोई स्पष्ट कारण न हो, तो यह लसीका या रक्त कैंसर का संकेत हो सकता है।

5. त्वचा में परिवर्तन:
त्वचा के रंग में बदलाव, मोल्स का आकार या रंग बदलना, खुजली, या घाव जो लंबे समय तक न भरें – ये त्वचा कैंसर के संकेत हो सकते हैं।

6. शरीर के किसी हिस्से में गांठ या सूजन:
गर्दन, स्तन, पेट या बगल में कोई कठोर गांठ महसूस होना गंभीर संकेत हो सकता है, जिसे जल्द दिखाना चाहिए।

7. खून आना या असामान्य स्राव:
मूत्र, मल, थूक या योनि से बिना कारण खून आना कैंसर का लक्षण हो सकता है, खासकर कोलन, गर्भाशय या मूत्राशय कैंसर में।

8. मल-मूत्र की आदतों में बदलाव:
कब्ज, दस्त या मूत्र त्याग में परेशानी लंबे समय तक बनी रहे, तो यह पाचन या मूत्र तंत्र से जुड़े कैंसर का संकेत हो सकता है।

9. निगलने में कठिनाई या अपच:
लगातार खाना निगलने में दिक्कत या पेट में जलन, एसिडिटी जैसा महसूस होना, ग्रासनली या पेट के कैंसर से जुड़ा हो सकता है।

10. लगातार खांसी या आवाज में बदलाव:
अगर खांसी हफ्तों तक बनी रहे या आवाज भारी हो जाए, तो यह फेफड़ों या गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है।

कैंसर के लक्षण क्या हैं?

आपको यह समझना चाहिए कि दिए गए लक्षण सामान्य सर्दी-जुकाम या किसी अन्य बीमारी के भी हो सकते हैं। इन लक्षणों के आधार पर कभी भी कैंसर का निदान नहीं करना चाहिए, हमेशा डॉक्टर या विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। दिए गए लक्षण केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।

कैंसर के विभिन्न प्रकारों के विशिष्ट लक्षण अलग-अलग होते हैं, और ये लक्षण कैंसर के प्रकार, आकार, स्थिति और फैलाव के आधार पर भिन्न हो सकते हैं। निम्नलिखित कुछ प्रमुख कैंसर प्रकार और उनके विशिष्ट लक्षण हैं:

1. स्तन कैंसर के लक्षण (Breast Cancer ke lakshan)

  • गांठ: स्तन में एक नई, कठोर गांठ बनना।
  • त्वचा में बदलाव: स्तन की त्वचा में सिकुड़न, लाली, या खिंचाव।
  • निप्पल में परिवर्तन: निप्पल का उलटना, दर्द या रक्तस्राव।
  • स्तन में दर्द: कभी-कभी स्तन में असामान्य दर्द हो सकता है।

2. फेफड़ों का कैंसर के लक्षण (Lung Cancer ke lakshan)

  • खाँसी: लगातार खाँसी, जो समय के साथ बढ़ती जाती है।
  • रक्तस्राव: खाँसते समय रक्त निकलना।
  • श्वसन समस्या: सांस लेने में कठिनाई या घरघराहट।
  • सीने में दर्द: सीने में लगातार दर्द, जो समय के साथ बढ़ सकता है।
  • वजन में कमी: अचानक वजन घटना।

3. पेट का कैंसर के लक्षण (Stomach Cancer ke lakshan)

  • पेट में दर्द: पेट के ऊपरी हिस्से में असहज या दर्द महसूस होना।
  • उल्टी और nausea: अक्सर उल्टी आना, खासकर भोजन के बाद।
  • भोजन के बाद पेट का भारीपन: भोजन करने के बाद पेट में अत्यधिक भरा हुआ महसूस होना।
  • वजन में कमी: अचानक वजन का गिरना।
  • रक्तस्राव: मल में रक्त या काला मल आना।

4. गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर के लक्षण(Cervical Cancer ke lakshan)

  • असामान्य रक्तस्राव: माहवारी के बीच रक्तस्राव, यौन संबंध के दौरान रक्तस्राव।
  • पेशाब में रक्त: पेशाब में रक्त आना।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द: आमतौर पर पेट के निचले हिस्से में असहजता या दर्द।
  • वजन में कमी: बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन का घटना।

5. प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण (Prostate Cancer ke lakshan)

  • पेशाब में कठिनाई: पेशाब करने में दर्द, कठिनाई, या रुक-रुक कर पेशाब आना।
  • खून आना: पेशाब में या वीर्य में रक्त आना।
  • पीठ, कूल्हों या श्रोणि में दर्द: पीठ और कूल्हों में असहजता या दर्द महसूस होना।
  • यौन समस्याएँ: यौन इच्छा में कमी या इरेक्टाइल डिसफंक्शन।

6. त्वचा का कैंसर के लक्षण (Skin Cancer ke lakshan)

  • नए मस्से या तिल: त्वचा पर नया मस्सा या तिल विकसित होना, जो आकार, रंग या रूप में बदलता है।
  • पुराने तिल में बदलाव: पुराने तिल का आकार बढ़ना या उसका रंग बदलना।
  • घाव का ठीक न होना: त्वचा पर कोई घाव जो ठीक नहीं हो रहा है।
  • खुजली और दर्द: तिल या मस्से में खुजली या दर्द हो सकता है।

7. आंतों का कैंसर के लक्षण (Colon Cancer ke lakshan)

  • असामान्य मल परिवर्तन: दस्त या कब्ज का बढ़ना, या मल में रक्त आना।
  • पेट में दर्द: पेट में ऐंठन या दर्द महसूस होना।
  • वजन में कमी: बिना किसी स्पष्ट कारण के वजन में कमी।
  • थकान: अत्यधिक थकान और कमजोरी महसूस होना।

8. मस्तिष्क का कैंसर के लक्षण(Brain Cancer ke lakshan)

  • सिरदर्द: लगातार सिरदर्द, विशेषकर सुबह उठते समय या नींद के दौरान।
  • दृष्टि में परिवर्तन: दृष्टि में धुंधलापन या दोहरा देखना।
  • मूड में बदलाव: अवसाद, भ्रम या चिड़चिड़ापन।
  • संतुलन में कमी: चलने या संतुलन बनाने में कठिनाई।
  • उल्टी या nausea: विशेष रूप से सुबह के समय।

9. गले का कैंसर के लक्षण (Throat Cancer ke lakshan)

  • गले में दर्द: गले में लगातार दर्द या खराश।
  • बोलने में कठिनाई: आवाज में बदलाव या आवाज टूटना।
  • खाँसी: गले में जलन और खाँसी।
  • खून आना: खाँसते समय खून आना।
  • निगलने में समस्या: निगलने में दर्द या कठिनाई होना।

10. अंडकोष कैंसर के लक्षण(Testicular Cancer ke lakshan)

  • अंडकोष में गांठ: अंडकोष में एक असामान्य गांठ या सूजन।
  • पेट में दर्द: पेट के निचले हिस्से में दर्द या भारीपन।
  • अंडकोष में दर्द: अंडकोष में हल्का या गहरा दर्द।
  • अंडकोष में परिवर्तन: आकार या स्थिरता में बदलाव।

11. अस्थि (हड्डी) का कैंसर के लक्षण (Bone Cancer ke lakshan)

  • हड्डी में दर्द: हड्डी में दर्द, जो समय के साथ बढ़ता जाता है।
  • हड्डी में कमजोरी: असामान्य कमजोरी या हड्डी का टूटना।
  • सूजन: प्रभावित क्षेत्र में सूजन या गांठ बनना।
  • संवेदनशीलता में कमी: प्रभावित क्षेत्र में संवेदनशीलता या महसूस में कमी होना।

12. मुँह के कैंसर के लक्षण (Muh ke cancer ke lakshan)

  • मुंह में छाला: 3 सप्ताह से अधिक समय तक रहता है।
  • लाल या सफेद धब्बा: आपके मुंह के अंदर असामान्य लाल या सफेद धब्बा।
  • बोलने में कठिनाई: बोलने में कठिनाई या कर्कश (खर्राटेदार) आवाज।
  • निगलने में कठिनाई: निगलने में कठिनाई महसूस होना।

12. रक्त कैंसर के लक्षण (Blood cancer ke lakshan)

  • वजन घटना: अस्पष्टीकृत वजन घटना।
  • सांस फूलना: सांस लेने में तकलीफ।
  • दाने या खुजली: त्वचा पर दाने या खुजली होना जिसका कोई कारण न हो।
  • थकान: थकान जो आराम या नींद से ठीक नहीं होती।

कैंसर का इलाज

कैंसर का इलाज करने के लिए विभिन्न प्रकार की थेरेपीज़ उपलब्ध हैं। यह थेरेपीज़ रोग के प्रकार, स्थिति और चिकित्सा इतिहास पर निर्भर करती है। यहां कुछ मुख्य कैंसर का इलाज दिए गए हैं:

सर्जरीकीमोथेरेपीरेडियोथेरेपीइम्यूनोथेरपी
इसमें कैंसर के प्रभावित क्षेत्र को हटा दिया जाता है।रेडिएशन ऊर्जा का उपयोग करके कैंसर को नष्ट किया जाता है।इम्यून सिस्टम को मजबूत करके कैंसर को कमजोर करना।यह इलाज दवाओं का उपयोग कर कैंसर को रोकता है।
कैंसर का इलाज

 आइये इसे विस्तार से समझते हैं:

1. सर्जरी

कर्क रोग (कैंसर) का पहला इलाज आमतौर पर सर्जरी होता है। इस प्रक्रिया में शरीर के उस हिस्से को हटा दिया जाता है, जो कैंसर से प्रभावित है। सर्जरी का उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं को हटा देना है। अगर कैंसर शुरुआती अवस्था में है और किसी एक अंग तक सीमित है, तो सर्जरी प्रभावी हो सकती है। सर्जरी के बाद कभी-कभी कीमोथेरेपी या रेडियोथेरेपी की जरूरत होती है ताकि कैंसर की पुनरावृत्ति को रोका जा सके।

2. कीमोथेरेपी

कीमोथेरेपी में रोगी को दवाइयाँ दी जाती हैं, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने या उनका विस्तार रोकने में मदद करती हैं। ये दवाइयाँ रक्त के जरिए शरीर के हर हिस्से में पहुंचती हैं। कीमोथेरेपी का उपयोग ट्यूमर को सिकोड़ने या नष्ट करने के लिए किया जाता है, लेकिन इसके साथ कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं, जैसे उल्टी, बालों का झड़ना, और संक्रमण के प्रति संवेदनशीलता।

3. रेडियोथेरेपी

रेडियोथेरेपी में उच्च ऊर्जा वाले विकिरण का उपयोग कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए किया जाता है। यह सर्जरी के बाद कैंसर की पुनरावृत्ति रोकने या पहले ट्यूमर को छोटा करने के लिए किया जा सकता है। रेडियोथेरेपी स्थानीय रूप से काम करती है, जिससे शरीर के बाकी हिस्सों को कम नुकसान होता है। उपचार के बाद रोगी को थकान और त्वचा पर बदलाव हो सकते हैं।

4. इम्यूनोथेरपी

इम्यूनोथेरपी में रोगी की इम्यून सिस्टम को सशक्त किया जाता है ताकि वह कैंसर की कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट कर सके। इस उपचार में इम्यून सिस्टम को उत्तेजित करने वाली दवाइयाँ दी जाती हैं। इम्यूनोथेरपी कुछ कैंसर जैसे मेलानोमा और फेफड़ों के कैंसर में प्रभावी है। इसके साइड इफेक्ट्स में सूजन, त्वचा पर बदलाव, और इम्यून सिस्टम के अधिक सक्रिय होने से समस्याएं हो सकती हैं।

कैंसर की रोकथाम और जीवनशैली में बदलाव

कैंसर एक गंभीर रोग है, लेकिन इसकी संभावना को कम किया जा सकता है यदि व्यक्ति समय रहते अपनी जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव करे। अनेक शोध बताते हैं कि कुछ आदतों और सावधानियों को अपनाकर कई प्रकार के कैंसर से बचाव संभव है।

1. स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम
फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाला आहार कैंसर से बचाव में सहायक होता है। साथ ही, रोजाना कम से कम 30 मिनट शारीरिक गतिविधि या व्यायाम करने से वजन संतुलित रहता है, जिससे मोटापे से जुड़े कैंसर का खतरा कम हो जाता है।

2. धूम्रपान और शराब से परहेज
धूम्रपान फेफड़े, गले, मुंह, ब्‍लेडर और कई अन्य अंगों के कैंसर का प्रमुख कारण है। इसी तरह, अत्यधिक शराब सेवन लिवर, स्तन और आंतों के कैंसर से जुड़ा हुआ है। इनसे दूरी बनाकर कैंसर के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

3. सूर्य की हानिकारक किरणों से बचाव
सीधी धूप में अधिक समय बिताना त्वचा कैंसर का कारण बन सकता है, खासकर जब अल्ट्रावायलेट (UV) किरणों का प्रभाव ज्यादा हो। बाहर निकलते समय सनस्क्रीन का उपयोग, सुरक्षात्मक कपड़े पहनना और दोपहर की तेज धूप से बचना जरूरी है।

4. नियमित स्वास्थ्य जांच और स्क्रीनिंग
कुछ प्रकार के कैंसर जैसे स्तन, सर्वाइकल, प्रोस्टेट और कोलन कैंसर का समय पर पता लगाना इलाज को आसान और अधिक प्रभावी बनाता है। इसलिए उम्र और पारिवारिक इतिहास के अनुसार डॉक्टर से नियमित जांच और स्क्रीनिंग कराते रहना चाहिए।

5. टीकाकरण
कुछ कैंसर वायरस संक्रमण से होते हैं। उदाहरण के लिए:

  • HPV वैक्सीन: यह सर्वाइकल कैंसर और कुछ अन्य कैंसर से बचाता है।
  • हेपेटाइटिस B वैक्सीन: यह लिवर कैंसर के जोखिम को कम करता है।

कर्क रोग के रिस्क फैक्टर

  1. तंबाकू का सेवन (Tobacco Use)
    • तंबाकू (सिगरेट, बीड़ी, पान मसाला) का सेवन कर्क रोग, विशेषकर फेफड़ों का कैंसर, मुंह, गले, पेट और गुर्दे के कैंसर का प्रमुख कारण है।
    • तंबाकू में पाए जाने वाले हानिकारक रसायन कोशिकाओं के डीएनए में उत्परिवर्तन (mutation) कर सकते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है।
  2. आनुवंशिक कारण (Genetic Factors)
    • कुछ व्यक्तियों में कर्क रोग का खतरा आनुवंशिक रूप से अधिक हो सकता है।
    • अगर परिवार में कर्क रोग के मामले रहे हों, तो किसी को भी यह जोखिम हो सकता है।
    • कुछ विशेष जीन उत्परिवर्तित होने पर कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जैसे BRCA1 और BRCA2 जीन स्तन और अंडकोष कैंसर से जुड़े होते हैं।
  3. अत्यधिक शराब का सेवन (Excessive Alcohol Consumption)
    • शराब का अत्यधिक सेवन मुंह, गले, यकृत (लिवर), और आंत्र कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है।
    • शराब और तंबाकू का संयोजन इन जोखिमों को और भी अधिक बढ़ा सकता है।
  4. आहार और जीवनशैली (Diet and Lifestyle)
    • अस्वस्थ आहार (ज्यादा फैट, शक्कर, और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन) और शारीरिक गतिविधि की कमी कर्क रोग के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
    • विशेष रूप से, रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का अत्यधिक सेवन कोलोरेक्टल कैंसर (आंत्र कैंसर) के जोखिम को बढ़ा सकता है।
  5. सूर्य की हानिकारक यूवी किरणें (Ultraviolet Radiation)
    • अधिक समय तक सूरज की हानिकारक यूवी किरणों के संपर्क में आना त्वचा कैंसर (विशेष रूप से मेलानोमा) का कारण बन सकता है।
    • सूरज की किरणों से बचाव के उपाय जैसे सनस्क्रीन का उपयोग, धूप से बचाव, और सही कपड़े पहनना जरूरी हैं।
  6. वायरस और बैक्टीरिया (Viruses and Bacteria)
    • कुछ वायरस और बैक्टीरिया कर्क रोग का कारण बन सकते हैं:
      • एचपीवी (HPV): ह्यूमन पैपिलोमा वायरस, जो गर्भाशय ग्रीवा, गला, और अन्य अंगों के कैंसर का कारण बन सकता है।
      • हेपेटाइटिस बी और सी (Hepatitis B and C): यह यकृत (लिवर) कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
      • एच. पायलोरी बैक्टीरिया (Helicobacter pylori): यह पेट के कैंसर का कारण बन सकता है।
  7. वातावरणीय और प्रदूषण (Environmental and Air Pollution)
    • वायु प्रदूषण, रासायनिक पदार्थों का संपर्क (जैसे एस्बेस्टस, बेंजीन, आर्सेनिक), और औद्योगिक रसायन कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
    • कार्यस्थल पर होने वाले रसायनिक प्रदूषण (जैसे आर्सेनिक, बेंजीन, और एसीटोन) भी जोखिम बढ़ाते हैं।
  8. वृद्धावस्था (Age)
    • जैसे-जैसे आयु बढ़ती है, वैसे-वैसे कर्क रोग का खतरा भी बढ़ता है, क्योंकि कोशिकाओं में उत्परिवर्तन (mutation) का जोखिम बढ़ता है और शरीर की प्राकृतिक मरम्मत प्रणाली कमजोर होती है।
  9. हॉर्मोनल असंतुलन (Hormonal Imbalance)
    • महिलाओं में, अधिक एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन हार्मोन का सेवन (जैसे कि हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी) कुछ प्रकार के कैंसर के जोखिम को बढ़ा सकता है, जैसे स्तन और गर्भाशय का कैंसर।
  10. स्ट्रेस और मानसिक स्वास्थ्य (Stress and Mental Health)
    • लंबे समय तक मानसिक तनाव और चिंता भी शारीरिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकते हैं, जो प्रतिरक्षा तंत्र को कमजोर कर सकते हैं और कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

कैंसर उपचार के लिए सरकारी योजनाएं

कर्क रोग का इलाज बहुत महंगा इलाज है जो हर व्यक्ति और परिवार के बस की बात नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने कुछ योजनाओं की शुरुआत की है जिसका लाभ लेकर गरीब परिवार के सदस्य इलाज करा सकते हैं इनमें से कुछ प्रमुख योजनाएं हैं:

1. आयुष्मान भारत – प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY)

PM-JAY इस योजना को उन लोगों के लिए बनाया गया है जिनकी आय कम है। जिसमें आते हैं वंचित ग्रामीण परिवार, गरीब और निर्दिष्ट व्यवसायों के शहरी श्रमिक परिवार। माध्यमिक और तृतीयक देखभाल अस्पताल में भर्ती के लिए प्रत्येक परिवार को हर साल 5 लाख रुपये तक का इसमें लाभ दिया जाता है। अस्पताल में निर्धारित आईडी जमा करवाना होती है।

2. स्वास्थ्य मंत्री का विवेकाधीन अनुदान (एचएमडीजी)

कैंसर का इलाज का खर्चा उठाने के लिए सरकारी अस्पतालों में 1,25,000 रुपये और उससे कम पारिवारिक वार्षिक आय वाले मरीजों को एचएमडीजी योजना में 75,000 से 1,25,000 रुपये तक की वित्तीय सहायता दी जाती है।

3. कैंसर रोगियों को हवाई यात्रा के लिए रियायत

यह योजना एयर इंडिया द्वारा उन व्यक्तियों के लिए बनाई गई है जो भारत के निवासी हैं और कैंसर से पीड़ित हैं। जो चिकित्सा जांच/उपचार करवाने के यात्रा लिए कर रहे हैं। इस योजना के तहत इकोनॉमी किराये पर 50% की छूट लागू होगी।

विभिन्न संगठनों के द्वारा चलाई जा रही योजनाएं

ऐसे बहुत से संगठन है जो कैंसर से निपटने के उद्देश्य से कई योजनाएं चलाते हैं। जिससे कर्क रोग का इलाज करने के लिए उन मरीजों को मदद मिलती है जो आर्थिक रूप से कमजोर है। यह संगठन इस प्रकार है:

  • कैंसर रोगी सहायता एसोसिएशन
  • मुख्यमंत्री राहत कोष
  • स्वास्थ्य मंत्री का कैंसर रोगी कोष
  • इंडियन कैंसर सोसायटी
  • केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (CGHS)
  • कैंसर सहायता और अनुसंधान फाउंडेशन (CARF)
  • प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष
  • वी केयर कैंसर
  • भारतीय कैंसर सोसायटी (ICS) का कैंसर चिकित्सा कोष
  • सर रतन टाटा ट्रस्ट एंड एलाइड ट्रस्ट्स
  • ग्लोबल कैंसर कंसर्न इंडिया (GCCI)
  • कैंसर केयर ट्रस्ट
  • स्वास्थ्य मंत्री के विवेकाधीन अनुदान

कर्क रोग के साथ जीवन

कर्क रोग के साथ जीना जरूर कठिन हो सकता है, लेकिन इससे पीड़ित व्यक्तियों को इसे सकारात्मक और प्रेरणादायक तरीके से देखना चाहिए।

  • आदतें और आहार: आपको स्वस्थ रखने में अच्छी आदत और पोषण आपकी मदद करेगा। नियमित व्यायाम करें और स्वस्थ खानपान आपकी शक्ति बढ़ा सकते हैं।
  • चिकित्सा सलाह: अपने चिकित्सक से जुड़े रहे। उनसे सलाह लें और उसका पालन करें। यदि इलाज के बारे में आपके मन में कोई भी सवाल है तो अपने डॉक्टर से पूछें।
  • जागरूकता और शिक्षा: कर्क रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सही जानकारी होना बहुत जरुरी है। इससे रोग के लक्षणों को पहचानने और समय पर उपचार लेने में मदद मिलती है।
  • आशा और आत्मविश्वास: इस मुश्किल समय में आशा और आत्मविश्वास बनाये रखना बहुत जरुरी है। सकारात्मक रहे अच्छा सोचें, किताबें पढ़े और अपने इलाज पर विश्वास रखें।
  • परिवार और समर्थन: मानसिक स्थिति अच्छी रखने के लिए कर्क रोग के मरीज को अपने परिवार और मित्रों का समर्थन मिलना चाहिए।

कर्क रोग पर रिसर्च

कर्क रोग पर रिसर्च करना जरुरी है क्योंकि इससे उसका रोकथाम करने, बिमारियों का पता लगाने, जांच करने में मदद मिलती है। जितना इसके बारे में रिसर्च करेंगे उतना ही कर्क रोग से निपटने और कर्क रोग का उपचार करने में आसानी होगी।

कर्क रोग पर विदेशों में रिसर्च

विदेशों में कैंसर रिसर्च का मुख्य उद्देश्य है कैंसर की उत्पत्ति, उसके लक्षणों की समझ और नए उपचार को विकसित करना। विदेशों में ये सभी क्षेत्र एक समृद्ध और गहराई से अध्ययन कर रहे हैं ताकि नए और प्रभावी उपचार कैंसर के खिलाफ उपलब्ध किए जा सकें।

यहां कुछ विदेशों के रिसर्च संस्थान हैं जो कैंसर रिसर्च में काम कर रहे हैं:

  1. मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर (Memorial Sloan Kettering Cancer Center),यूएसए
  2. डेन फार्बर कैंसर इंस्टीट्यूट (Dana-Farber Cancer Institute), यूएसए
  3. एंडर्सन कैंसर सेंटर (MD Anderson Cancer Center), यूएसए
  4. इंस्टीट्यूट क्लॉरी रिसर्च सेंटर (Institut Curie Research Center), फ्रांस
  5. रॉयल मार्सडन राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट (Royal Marsden NHS Foundation Trust), यूके

कर्क रोग पर भारत में रिसर्च

भारत में कैंसर पर विभिन्न रिसर्च और अध्ययन चल रहे हैं जो कैंसर के प्रकोप को समझने और इसके इलाज में सुधार करने के उद्देश्य से किये जाते हैं। यह संस्थान भारत में कैंसर रिसर्च में नवाचार और उपचार के विकास पर गहरा ध्यान देते है।

यहां कुछ प्रमुख भारतीय कैंसर रिसर्च संस्थान हैं:

  • भारतीय कैंसर अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली
  • टाटा मेमोरियल कैंसर अनुसंधान संस्थान, मुंबई
  • अड्वांस्ड इंस्टीट्यूट ऑफ कैंसर, पटना

निष्कर्ष

कर्क रोग विशेषकर कैंसर को कहते हैं। कैंसर त्वचा, फेफड़ों, मस्तिष्क, प्रोस्टेट, स्तन आदि जैसे अंगों में होता है। कर्क रोग बहुत से कारणों से होता है जैसे: आयु, वातावरणीय कारक, आहार और आदतें, रसायनों और इंफेक्शन के कारण। कैंसर के 7 चेतावनी के संकेत सबसे मुख्य है। जिसे समय पर पहचान लेना बहुत जरुरी है। इसके इलाज की विधियों में सिर्जरी, रेडिएशन, और दवाओं का उपयोग होता है। आज के इस ब्लॉग में आपने जाना कर्क रोग क्या होता है, कर्क रोग का इलाज, कर्क रोग क्यों होता है आदि।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

कैंसर के शुरुआती लक्षण क्या हो सकते हैं?

कैंसर के शुरुआती लक्षणों में बिना वजह वजन घटना, लंबे समय तक थकान, भूख में कमी, बुखार या बार-बार पसीना आना, शरीर में गांठ बनना, त्वचा में बदलाव और मल-मूत्र की आदतों में परिवर्तन शामिल हो सकते हैं।

कैंसर के लक्षणों की पहचान के लिए कौन-कौन से टेस्ट होते हैं?

बायोप्सी, सीटी स्कैन, और एमआरआई जैसे टेस्ट कैंसर के लक्षणों की पहचान में मदद करते हैं।

क्या कैंसर के लक्षण इलाज के बाद भी बने रह सकते हैं?

इलाज के बाद भी कुछ लक्षण बने रह सकते हैं, लेकिन उनका प्रबंधन और राहत संभव हो सकती है।

सर्वाइकल कैंसर के लक्षण क्या होते हैं और इसका उपचार कैसे किया जाता है?

सर्वाइकल कैंसर के लक्षणों में असामान्य योनि रक्तस्राव, दर्द, और योनि स्राव शामिल हो सकते हैं। इसका उपचार सर्जरी, कीमोथेरेपी, और रेडियोथेरेपी से किया जाता है, जो कैंसर की स्टेज और अवस्था पर निर्भर करता है।

फाइब्रॉएड कैंसर के लक्षण क्या होते हैं?

फाइब्रॉएड कैंसर के लक्षणों में सामान्यतः पेट में दर्द, गांठें, और अत्यधिक मासिक धर्म स्राव शामिल हो सकते हैं।

क्या हर गांठ कैंसर होती है?

नहीं, हर गांठ कैंसर नहीं होती। कुछ गांठें सौम्य (Benign) होती हैं जो नुकसान नहीं करतीं। लेकिन अगर कोई गांठ कठोर हो, आकार में बढ़ रही हो या दर्द कर रही हो, तो डॉक्टर से जांच कराना जरूरी है।

कैंसर में कब खांसी को गंभीर मानना चाहिए?

यदि खांसी तीन हफ्तों से अधिक समय तक बनी रहे, खांसी के साथ खून आए या आवाज में लगातार बदलाव हो, तो यह फेफड़ों या गले के कैंसर का लक्षण हो सकता है और जांच जरूरी है।

कब डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए?

यदि ऊपर बताए गए लक्षणों में से कोई भी 2–3 हफ्तों से अधिक समय तक बना रहे, या शरीर में कोई असामान्य बदलाव महसूस हो, तो बिना देर किए डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.