Quick Summary
भारत को भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, हिन्द, अल-हिन्द, ग्यागर, फग्युल, तियानझू, होडू आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।
हम अक्सर अपने देश के लिए अलग-अलग देशों, सभ्यता और लोगों से कई अलग अलग नामों सुने होगें। यह तक की फिल्मों और इतिहास के पन्नों में भारत के लिए कई नाम है। ऐसे में हर किसी के मन में ये सवाल आता है कि भारत के इन नामों का इतिहास क्या है। इन्हीं सभी सवालों का जवाब इस लेख में विस्तार से मिल जाएगा। यहां हम भारत के 7 नाम, भारत का पुराना नाम क्या है और भारत का नाम इंडिया किसने रखा इस संबंध में पूरी जानकारी दे रहे हैं।
भारत का इतिहास हजारों साल पुराना है, और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता था। पुरानी भारतीय साहित्यिक और ऐतिहासिक स्रोतों में कई ऐसे नाम मिलते हैं जो भारत के विभिन्न हिस्सों और इसके लोगों से संबंधित थे। भारत का पुराना नाम क्या है, इस बारे में आगे जानेंगे:
सबसे पुराना और प्रसिद्ध नाम “भारतवर्ष” था। यह नाम महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। ‘भारत’ शब्द का उल्लेख राजा भरत के नाम से जुड़ा है, जो महाभारत के अनुसार इस क्षेत्र के एक प्रमुख राजा थे। इसलिए, इस देश का नाम “भारतवर्ष” पड़ा, जो इस क्षेत्र की भौगोलिक पहचान को दर्शाता था।
भारत का प्राचीन नाम अजनाभवर्ष था। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र भरत के नाम पर बाद में भारतवर्ष पड़ा।
प्राचीन हिंदू ग्रंथों में भारत को “जंबूद्वीप” कहा गया है। इसे एक महाद्वीप के रूप में वर्णित किया गया था, जो बृहद भारत को सूचित करता है। यह नाम संस्कृत के ‘जंबू’ (एक प्रकार का पेड़) और ‘द्वीप’ (द्वीप) से आया था, और इसे इस देश की भौतिक विशेषताओं से जोड़ा गया था।
मध्यकाल में, विशेषकर मुस्लिम शासकों द्वारा, इस देश को “हिन्दुस्तान” के नाम से जाना गया। यह नाम “सिंधु” नदी से लिया गया था, जो प्राचीन समय में भारत के पश्चिमी हिस्से से बहती थी। इस नाम का प्रयोग मुख्य रूप से उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से के लिए किया जाता था।
हिन्दू धर्मग्रंथों में भारत को “आर्यावर्त” भी कहा गया है, जिसका अर्थ है “आर्य जातियों का क्षेत्र”। यह नाम प्राचीन भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्था को दर्शाता था, जहां आर्य जाति के लोग निवास करते थे।
यह नाम भी प्राचीन ग्रंथों में पाया जाता है। “ब्राह्मवर्त” का मतलब है ब्राह्मणों का क्षेत्र, जो प्राचीन भारतीय सभ्यता के प्रमुख धर्म और समाजिक व्यवस्था के अनुसार था।
“हिंद” शब्द फारसी और अरबी स्रोतों से आया था, और यह सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को सूचित करता था। इसके बाद, यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए प्रयोग किया जाने लगा।
भारत को ‘सोने की चिड़ीया’ कहा जाता था, यह नाम भारत की समृद्धि और ऐतिहासिक रूप से व्यापारिक महानता को दर्शाता है, खासकर जब भारत दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र हुआ करता था।
भारत का इतिहास प्राचीन और विविधताओं से भरा हुआ है, और इस देश को विभिन्न कालों में अलग-अलग नामों से जाना गया। हर नाम का एक विशिष्ट महत्व और सांस्कृतिक या भौगोलिक संदर्भ होता है। यहाँ भारत के 7 नाम और उनके महत्व के बारे में चर्चा की गई है।
भारत के 7 नाम में सबसे पहले भारत के बारे में जानते हैं। “भारत” शब्द का ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है। यह नाम महाभारत के राजा भरत से जुड़ा हुआ है, जिनके नाम पर इस देश का नामकरण हुआ। भरत ने भारतीय उपमहाद्वीप के अधिकांश हिस्सों पर शासन किया था। महाभारत के ग्रंथ में उनका उल्लेख मिलता है, और इसलिए इस क्षेत्र को “भारतवर्ष” कहा जाता है। यह नाम भारतीय सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक है और आज भी हमारे राष्ट्र का आधिकारिक नाम है।
भारत के 7 नाम- “इंडिया” शब्द का मूल “इंडस” नदी से लिया गया है, जो प्राचीन काल में भारत के पश्चिमी हिस्से से बहती थी। फारसी और ग्रीक भाषाओं में सिंधु (Indus) को “इंडस” के रूप में जाना जाता था, और इससे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए “इंडिया” नाम उत्पन्न हुआ। यह नाम पश्चिमी दुनिया में भारत की पहचान बना और आज भी अंतरराष्ट्रीय संदर्भों में भारत को “इंडिया” के रूप में जाना जाता है।
“आर्यावर्त” शब्द संस्कृत से आया है, जिसका अर्थ है “आर्य जातियों का क्षेत्र”। इस नाम का प्रयोग प्राचीन भारतीय ग्रंथों में किया गया था, जैसे वेदों और महाभारत में। यह नाम भारत के उत्तरी हिस्से, विशेष रूप से हिमालय और गंगा-यमुना के क्षेत्रों का संकेत करता था, जहां आर्य संस्कृति और सभ्यता का केंद्र था। आर्यावर्त को भारतीय सभ्यता की उन्नति और संस्कृति का केंद्र माना जाता था।
भारत के 7 नाम में हिंदुस्तान भी शामिल है। “हिंदुस्तान” नाम फारसी शब्द “हिंद” से आया है, जो सिंधु (Indus) नदी के नाम से उत्पन्न हुआ था। यह नाम मध्यकाल में भारत के मुस्लिम शासकों द्वारा प्रचलित हुआ और बाद में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए इस्तेमाल किया गया। “हिंदुस्तान” शब्द ने भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को प्रस्तुत किया, खासकर मुग़ल काल के दौरान। यह नाम आज भी भारतीय उपमहाद्वीप के सांस्कृतिक संदर्भ में उपयोग किया जाता है।
“जम्बूद्वीप” शब्द प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे महाभारत और पुराणों में मिलता है। इसका मतलब है “जम्बू वृक्ष (जम्बू फल वाला वृक्ष)” वाला द्वीप। यह नाम भारत को एक भौगोलिक क्षेत्र के रूप में परिभाषित करता है, जो दुनिया के अन्य हिस्सों से अलग और विशेष है। इसे प्राचीन भारतीय भूगोल का प्रतीक माना जाता है और भारतीय उपमहाद्वीप को एक अद्वितीय स्थान के रूप में प्रस्तुत करता है।
“हिंद” शब्द फारसी और अरबी से आया था, जो “सिंधु” (Indus) नदी का बिगड़ा हुआ रूप था। भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी भाग की पहचान करने के लिए यह शब्द प्रयोग में लाया गया था। यह शब्द इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है, क्योंकि इस नाम का प्रयोग मुस्लिम शासकों और व्यापारी समुदायों द्वारा किया जाता था। “हिंद” शब्द ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के वैश्विक पहचान को स्थापित किया।
भारत के 7 नाम में से एक भारतखंड भी है। “भारतखंड” शब्द का अर्थ है “भारत का भाग” या “भारत का क्षेत्र”। यह शब्द भारत के भौगोलिक विस्तार को दर्शाता है, जिसमें पूरे भारतीय उपमहाद्वीप और आसपास के क्षेत्र शामिल हैं। इसे भारतीय इतिहास में विभिन्न समयों में प्रयोग किया गया, विशेष रूप से जब भारत को विभिन्न क्षेत्रों और प्रांतों में विभाजित किया गया था। “भारतखंड” शब्द का प्रयोग यह दर्शाने के लिए किया जाता था कि यह पूरा क्षेत्र भारतीय सभ्यता और संस्कृति का हिस्सा था।
भारत को प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विभिन्न नामों से जाना गया है। इन नामों ने इस देश की संस्कृति, इतिहास, और भौगोलिक स्थिति को दर्शाया है। आइए जानते हैं bharat ke 5 naam के बारे में:
bharat ke 5 naam का पहला नाम भारत है। भारत का नाम ‘भारत’ प्राचीन भारतीय ग्रंथों और इतिहास से जुड़ा हुआ है। यह नाम राजा भरत के नाम पर पड़ा था, जो महाभारत के अनुसार भारतीय उपमहाद्वीप के एक महान और सम्मानित शासक थे। उनका शासन इस क्षेत्र के व्यापक हिस्से में था, और उन्हें देश के संस्थापक के रूप में सम्मानित किया गया। महाभारत में ‘भारतवर्ष’ शब्द का उल्लेख है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के पूरे क्षेत्र के लिए प्रयुक्त था।
‘इंडिया’ नाम की उत्पत्ति संस्कृत के ‘सिंधु’ शब्द से हुई थी। सिंधु नदी, जो भारत के पश्चिमी हिस्से से बहती थी, का उल्लेख सबसे पहले ग्रीक और रोमनों ने किया। इन संस्कृतियों के लोग ‘सिंधु’ को ‘इंडस’ के रूप में संबोधित करते थे, और इसी से ‘इंडिया’ नाम का जन्म हुआ।
‘हिंदुस्तान’ नाम फारसी और अरबी प्रभाव से उत्पन्न हुआ है। यह शब्द ‘हिंद’ (जो संस्कृत में ‘सिंधु’ से लिया गया) और ‘स्थान’ (जिसका अर्थ है ‘देश’ या ‘स्थान’) से मिलकर बना है।
bharat ke 5 naam में आर्यावर्त भी शामिल है। ‘आर्यावर्त’ नाम प्राचीन भारतीय ग्रंथों, विशेष रूप से वेदों और महाभारत में मिलता है। यह शब्द ‘आर्य’ (जो संस्कृत में महान और सभ्य जाति को दर्शाता है) और ‘वर्त’ (जिसका अर्थ है भूमि या स्थान) से बना है।
‘जम्बूद्वीप’ शब्द प्राचीन भारतीय पुराणों और ग्रंथों से लिया गया है, जिसमें महाभारत, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख है। यह शब्द भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करता था, जो उस समय का ज्ञात भूभाग था।
अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है कि भारत का नाम इंडिया किसने रखा, तो लेख का यह भाग आपके सवाल का जवाब दे देंगे। भारत का नाम ‘इंडिया’ संस्कृत शब्द ‘सिंधु’ से आया है, जो नदी सिंधु (Indus River) के लिए था। प्राचीन काल में सिंधु नदी भारत के पश्चिमी हिस्से में बहती थी और यह भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। जब अरबी और फारसी व्यापारी और यात्री भारत आए, तो उन्होंने ‘सिंधु’ को ‘हिंद’ में बदल दिया। बाद में, यूरोपीय भाषाओं, विशेष रूप से अंग्रेजी में, यह ‘हिंद’ को ‘इंडिया’ के रूप में अपनाया गया।
इंडिया नाम का उपयोग सबसे पहले ग्रीक और रोमन लेखकों द्वारा किया गया था, जिनमें हेरोडोटस और पोटोलेमी जैसे प्रसिद्ध नाम शामिल हैं। यह नाम तब यूरोपीय उपनिवेशवादियों और व्यापारियों द्वारा भारत के बारे में उपयोग किया गया और बाद में इसे पूरी तरह से स्थापित कर दिया गया। इस प्रकार, ‘इंडिया’ नाम का प्रचलन मुख्य रूप से विदेशी व्यापारियों और उपनिवेशी शक्तियों के संपर्क में आया और समय के साथ यह नाम भारत के लिए वैश्विक पहचान बन गया।
भारत का इतिहास बहुत ही प्राचीन और विविधतापूर्ण है, और इसका नाम भी समय-समय पर बदलता रहा है। विभिन्न आक्रमणकारियों, व्यापारीयों, और सांस्कृतिक प्रभावों ने भारतीय उपमहाद्वीप के नाम को प्रभावित किया। भारत के नामों के बदलाव के पीछे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक कारण थे, जो इस क्षेत्र के इतिहास की गहरी जड़ें हैं।
भारत के नामों का इतिहास विविध और गहरा है। हर नाम का अपना ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्व है। भारत, इंडिया, हिंदुस्तान, आर्यावर्त, और जम्बूद्वीप जैसे नाम न केवल भारतीय सभ्यता और संस्कृति की समृद्धि को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि समय और स्थान के अनुसार नामों में कैसे परिवर्तन आए। इन नामों के माध्यम से हम भारत के अद्वितीय इतिहास और विरासत को समझ सकते हैं।
उम्मीद है कि यह लेख आपको भारत के 7 नामों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किया है। साथ ही भारत का पुराना नाम क्या है और भारत का नाम इंडिया किसने रखा यह भी पता चल गया होगा। ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे वेबसाइट के लेख को पढ़ते रहें।
प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंद, हिंदुस्तान और भारत।
अब तक भारत को 9 नामों से जाना जाता रहा है।
भारत का संविधान में उल्लेखित नाम ‘भारत’ ही है। हालांकि, ‘इंडिया’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रचलित है।
भारत शब्द की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं:
भरत चक्रवर्ती: एक कहानी के अनुसार, भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर भारत का नाम पड़ा।
सिंधु नदी: यूनानी शब्द ‘इंडोस’ जो सिंधु नदी को संदर्भित करता है, से ‘इंडिया’ शब्द बना।
आर्य: वैदिक काल में भारत को आर्यों का निवास स्थान होने के कारण आर्यवर्त कहा जाता था।
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