Quick Summary
भारत को भारतवर्ष, जम्बूद्वीप, भारतखण्ड, आर्यावर्त, हिन्दुस्तान, हिन्द, अल-हिन्द, ग्यागर, फग्युल, तियानझू, होडू आदि अन्य नामों से भी जाना जाता है।
हम अक्सर अपने देश के लिए अलग-अलग देशों, सभ्यता और लोगों से कई अलग अलग नामों सुने होगें। यह तक की फिल्मों और इतिहास के पन्नों में भारत के लिए कई नाम है। ऐसे में हर किसी के मन में ये सवाल आता है कि भारत के इन नामों का इतिहास क्या है। इन्हीं सभी सवालों का जवाब इस लेख में विस्तार से मिल जाएगा। यहां हम भारत के 7 नाम, भारत का पुराना नाम क्या है और भारत का नाम इंडिया किसने रखा इस संबंध में पूरी जानकारी दे रहे हैं।
| क्रमांक | नाम | अर्थ / व्याख्या |
|---|---|---|
| 1. | भारत | राजा भरत के नाम पर रखा गया; संविधान में उल्लिखित आधिकारिक नाम। |
| 2. | इंडिया | सिंधु नदी (Indus) से निकला नाम; यूनानी और अंग्रेज़ों द्वारा प्रचलित। |
| 3. | हिंदुस्तान | “हिंद” (सिंधु क्षेत्र) + “स्थान”; मुस्लिम काल में प्रचलित हुआ नाम। |
| 4. | आर्यावर्त | “आर्यों की भूमि”; वैदिक काल में उत्तर भारत को कहा जाता था। |
| 5. | जम्बूद्वीप | पुराणों में वर्णित; “जामुन के पेड़ों वाला द्वीप”, भारत का पौराणिक नाम। |
| 6. | भारतखण्ड | धार्मिक ग्रंथों में प्रयुक्त; भारतवर्ष का एक भूभाग जहाँ सभ्यता का विकास हुआ। |
| 7. | हिन्द | अरब और मध्य एशिया में भारत के लिए प्रयुक्त नाम; “हिंदुस्तान” शब्द का मूल रूप। |
भारत का इतिहास हजारों साल पुराना है, और इसे विभिन्न नामों से जाना जाता था। पुरानी भारतीय साहित्यिक और ऐतिहासिक स्रोतों में कई ऐसे नाम मिलते हैं जो भारत के विभिन्न हिस्सों और इसके लोगों से संबंधित थे। भारत का पुराना नाम क्या है, इस बारे में आगे जानेंगे:
सबसे प्राचीन और मशहूर नाम “भारतवर्ष” था, जिसे महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में देखा जा सकता है। ‘भारत’ शब्द राजा भरत के नाम से निकला है, जो महाभारत के अनुसार इस क्षेत्र का एक प्रमुख शासक थे। इस प्रकार, इस देश का नाम “भारतवर्ष” पड़ा, जो इस क्षेत्र की भौगोलिक पहचान को वर्णित करता है।
भारत का प्राचीन नाम अजनाभवर्ष था। ऋषभदेव के सौ पुत्रों में सबसे बड़े पुत्र भरत के नाम पर बाद में भारतवर्ष पड़ा।
प्राचीन हिंदू साहित्य में भारत को “जंबूद्वीप” के नाम से संबोधित किया गया है। इसे एक विशाल महाद्वीप के रूप में चित्रित किया गया है, जो बृहद भारत के परिप्रेक्ष्य को स्पष्ट करता है। इस नाम का उद्भव संस्कृत के ‘जंबू’ (जो एक विशेष प्रकार का पेड़ है) और ‘द्वीप’ (जिसका अर्थ द्वीप है) से हुआ है, और यह इस भूमि की भौगोलिक विशेषताओं को दर्शाता है।
मध्यकाल में, विशेषकर मुस्लिम शासकों के दौर में, इस क्षेत्र को “हिन्दुस्तान” के नाम से जाना जाता था। यह नाम “सिंधु” नदी से उत्पन्न हुआ, जो प्राचीन समय में भारत के पश्चिमी हिस्से से होकर बहती थी। इस शब्द का इस्तेमाल मुख्यतः उपमहाद्वीप के बड़े क्षेत्र को संदर्भित करने के लिए होता था।
भारत को हिन्दू धर्मग्रंथों में “आर्यावर्त” कहा गया है, जिसका शाब्दिक अर्थ है “आर्य जनों की भूमि।” यह नाम प्राचीन भारतीय समाज की सामाजिक और सांस्कृतिक व्यवस्था को दर्शाता है, जो आर्य जातियों के निवास के रूप में प्रसिद्ध था।
यह नाम प्राचीन लेखों में भी देखने को मिलता है। “ब्राह्मवर्त” का अर्थ होता है ब्राह्मणों का क्षेत्र, जो प्राचीन भारतीय संस्कृति की प्रमुख धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था के अनुसार था।
“हिंद” शब्द फारसी और अरबी स्रोतों से आया था, और यह सिंधु नदी के आसपास के क्षेत्र को सूचित करता था। इसके बाद, यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के लिए प्रयोग किया जाने लगा।
भारत को ‘सोने की चिड़ीया’ के उपनाम से जाना जाता था, जो इसकी समृद्धि और ऐतिहासिक व्यापारिक महत्ता को दर्शाता है, विशेष रूप से उस समय जब यह देश दुनिया का सबसे बड़ा आर्थिक और सांस्कृतिक केंद्र था।
भारत का इतिहास गहरी जड़ों और विविधताओं से भरा है, और इसे विभिन्न समय पर विविध नामों से पहचाना गया है। हर नाम का अपना विशेष महत्व है, जो सांस्कृतिक या भौगोलिक दृष्टिकोण से जुड़ा हुआ है। आइए भारत के सात प्रमुख नाम और उनके महत्व पर चर्चा करें।
भारत के 7 नाम जानने के लिए सबसे पहले हम इसके नाम की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर ध्यान देते हैं। “भारत” शब्द का गहरा ऐतिहासिक महत्व है, जिसका संबंध महाभारत के राजा भरत से है। राजा भरत ने भारतीय उपमहाद्वीप के बड़े हिस्से पर राज किया था। उनका उल्लेख महाभारत के ग्रंथों में मिलتا है, जिसके कारण इस भूमि को “भारतवर्ष” के नाम से जाना जाता है। यह नाम भारतीय सभ्यता और संस्कृति को दर्शाता है और आज भी हमारे देश का आधिकारिक नाम बना हुआ है।
भारत के कई नामों में से एक “इंडिया” भी है, जिसका उद्भव “इंडस” नदी से हुआ है। यह नदी प्राचीन काल में भारत के पश्चिमी क्षेत्र से बहती थी। फारसी और ग्रीक भाषाओं में इसे “सिंधु” के नाम से जाना जाता था, और इसी नाम से “इंडिया” का निर्माण हुआ। इस नाम ने पश्चिमी देशों में भारत की पहचान बनाई, और आज भी यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करता है।
“आर्यावर्त” शब्द संस्कृत से लिया गया है, जिसका अर्थ है “आर्य लोगों की भूमि”। इस नाम का संदर्भ प्राचीन भारतीय काव्य और साहित्य में देखा जा सकता है, जैसे कि वेद और महाभारत। यह नाम विशेष रूप से भारत के उत्तर भागों, जिसमें हिमालय और गंगा-यमुना क्षेत्र शामिल हैं, का प्रतिनिधित्व करता है, जहां आर्य संस्कृति और सभ्यता का विकास हुआ। आर्यावर्त को भारतीय सभ्यता की प्रगति और संस्कृति के केंद्र के रूप में माना जाता था।
भारत के कई नामों में से एक “हिंदुस्तान” है। यह नाम फारसी के “हिंद” शब्द से आया है, जो सिंधु नदी से जुड़ा हुआ है। मध्यकाल में, भारत के मुस्लिम शासकों ने इस नाम का उपयोग किया, जिससे यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के संदर्भ में स्थापित हुआ। “हिंदुस्तान” ने विशेष रूप से मुग़ल काल में भारत की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक पहचान को उजागर किया। आज के समय में, यह नाम भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक चर्चा में भी सामान्यता से प्रयोग किया जाता है।
“जम्बूद्वीप” का उल्लेख प्राचीन भारतीय ग्रंथों जैसे महाभारत और पुराणों में मिलता है। इस शब्द का अर्थ है “जम्बू वृक्ष (जिसमें जम्बू फल होता है)” से संबंधित द्वीप। यह नाम भारत को एक विशेष भौगोलिक क्षेत्र के रूप में निरूपित करता है, जो अन्य हिस्सों से अलग और खास है। इसे प्राचीन भारतीय भूगोल का एक प्रतीक माना जाता है, जो भारतीय उपमहाद्वीप को एक अद्वितीय स्थान के तौर पर सामने लाता है।
“हिंद” शब्द फारसी और अरबी से आया था, जो “सिंधु” (Indus) नदी का बिगड़ा हुआ रूप था। भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी भाग की पहचान करने के लिए यह शब्द प्रयोग में लाया गया था। यह शब्द इस क्षेत्र के सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व को भी दर्शाता है, क्योंकि इस नाम का प्रयोग मुस्लिम शासकों और व्यापारी समुदायों द्वारा किया जाता था। “हिंद” शब्द ने भारतीय संस्कृति और सभ्यता के वैश्विक पहचान को स्थापित किया।
भारत के कई नामों में से एक “भारतखंड” भी है। इस शब्द का अर्थ है “भारत का एक हिस्सा” या “भारत का क्षेत्र”। यह भारत के भौगोलिक क्षेत्रफल को दर्शाता है, जिसमें समस्त भारतीय उपमहाद्वीप और उसके आस-पास के इलाके शामिल हैं। भारतीय इतिहास में विभिन्न समयों पर इस शब्द का उपयोग किया गया, खासकर जब भारत को विभिन्न क्षेत्रों और प्रांतों में बांटा गया था। “भारतखंड” शब्द का इस्तेमाल यह बताने के लिए किया जाता था कि यह सम्पूर्ण क्षेत्र भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
भारत को प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक विभिन्न नामों से जाना गया है। इन नामों ने इस देश की संस्कृति, इतिहास, और भौगोलिक स्थिति को दर्शाया है। आइए जानते हैं Bharat ke 5 Naam के बारे में:
भारत के विभिन्न नामों में से पहला नाम ‘भारत’ है। यह नाम प्राचीन भारतीय ग्रंथों और इतिहास से गहराई से जुड़ा हुआ है। ‘भारत’ नाम राजा भरत के नाम पर रखा गया, जो महाभारत के अनुसार भारतीय उपमहाद्वीप के एक महान और प्रतिष्ठित शासक थे। उनका शासन इन क्षेत्रों के बड़े हिस्से में फैला हुआ था, और उन्हें देश के संस्थापक के रूप में सम्मानित किया गया। महाभारत में ‘भारतवर्ष’ शब्द का उल्लेख किया गया है, जिसका प्रयोग भारतीय उपमहाद्वीप के पूरे क्षेत्र के लिए किया जाता था।
‘इंडिया’ नाम की उत्पत्ति संस्कृत के ‘सिंधु’ शब्द से हुई थी। सिंधु नदी, जो भारत के पश्चिमी हिस्से से बहती थी, का उल्लेख सबसे पहले ग्रीक और रोमनों ने किया। इन संस्कृतियों के लोग ‘सिंधु’ को ‘इंडस’ के रूप में संबोधित करते थे, और इसी से ‘इंडिया’ नाम का जन्म हुआ।
‘हिंदुस्तान’ नाम फारसी और अरबी प्रभाव से उत्पन्न हुआ है। यह शब्द ‘हिंद’ (जो संस्कृत में ‘सिंधु’ से लिया गया) और ‘स्थान’ (जिसका अर्थ है ‘देश’ या ‘स्थान’) से मिलकर बना है।
आर्यावर्त’ नाम प्राचीन भारतीय ग्रंथों, विशेष रूप से वेदों और महाभारत में मिलता है। यह शब्द ‘आर्य’ (जो संस्कृत में महान और सभ्य जाति को दर्शाता है) और ‘वर्त’ (जिसका अर्थ है भूमि या स्थान) से बना है।
‘जम्बूद्वीप’ शब्द प्राचीन भारतीय पुराणों और ग्रंथों से लिया गया है, जिसमें महाभारत, पुराणों और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख है। यह शब्द भारतीय उपमहाद्वीप को संदर्भित करता था, जो उस समय का ज्ञात भूभाग था।
अगर आपके मन में भी ये सवाल आता है कि भारत का नाम इंडिया किसने रखा, तो लेख का यह भाग आपके सवाल का जवाब दे देंगे। भारत का नाम ‘इंडिया’ संस्कृत शब्द ‘सिंधु’ से आया है, जो नदी सिंधु (Indus River) के लिए था। प्राचीन काल में सिंधु नदी भारत के पश्चिमी हिस्से में बहती थी और यह भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। जब अरबी और फारसी व्यापारी और यात्री भारत आए, तो उन्होंने ‘सिंधु’ को ‘हिंद’ में बदल दिया। बाद में, यूरोपीय भाषाओं, विशेष रूप से अंग्रेजी में, यह ‘हिंद’ को ‘इंडिया’ के रूप में अपनाया गया।
‘इंडिया’ नाम का पहला उपयोग ग्रीक और रोमन लेखकों द्वारा किया गया, जिनमें प्रमुख इतिहासकार हेरोडोटस और पोटोलेमी शामिल थे। यह नाम बाद में यूरोपीय उपनिवेशकों और व्यापारियों द्वारा भारत को संदर्भित करने के लिए अपनाया गया, जिससे यह धीरे-धीरे एक मान्यता प्राप्त नाम में बदल गया। इस प्रकार, ‘इंडिया’ शब्द का प्रसार मुख्य रूप से विदेशी व्यापारियों और उपनिवेशी शक्तियों के प्रभाव से हुआ, और समय के साथ यह भारत की अंतरराष्ट्रीय पहचान बन गया।
“India” नाम किसी शब्दों के संक्षिप्त रूप (acronym) से नहीं बना है, इसलिए इसका आधिकारिक या ऐतिहासिक रूप से कोई “फुल फॉर्म” नहीं होता। यह नाम सिंधु नदी (Indus River) से आया है, जिसे यूनानी और फारसी लोग Indos या Hindos कहने लगे, और बाद में यह “India” बन गया।
हालांकि, शिक्षा या प्रेरणा से जुड़े उद्देश्यों के लिए India के कुछ लोकप्रिय रचनात्मक (creative) फुल फॉर्म भी बनाए गए हैं, जो आधिकारिक नहीं हैं, लेकिन मोटिवेशनल होते हैं। जैसे:
I – Independent
N – Nation
D – Declared
I – In
A – August (स्वतंत्र राष्ट्र जो अगस्त में घोषित हुआ)
| क्रमांक | नाम | अर्थ / व्याख्या |
|---|---|---|
| 1. | भारत | राजा भरत के नाम पर आधारित; आधिकारिक संवैधानिक नाम। |
| 2. | इंडिया | सिंधु (Indus) नदी से निकला नाम; यूनानी व अंग्रेज़ स्रोतों में प्रचलित। |
| 3. | हिंदुस्तान | ‘हिंद’ (सिंधु) + ‘स्थान’ (जगह); मुस्लिम काल में प्रचलित नाम। |
| 4. | आर्यावर्त | आर्यों की भूमि; वैदिक काल में प्रयुक्त नाम। |
| 5. | जम्बूद्वीप | पुराणों में वर्णित; जामुन के वृक्षों से युक्त पौराणिक द्वीप। |
| 6. | भारतखण्ड | धार्मिक ग्रंथों में वर्णित भारतवर्ष का भूभाग। |
| 7. | हिन्द | अरब-फारसी दुनिया में भारत का नाम; हिंदुस्तान का मूल रूप। |
| 8. | नाभिवर्ष | पुराणों में प्रयुक्त एक और नाम; माना जाता है कि यह भगवान विष्णु की नाभि से जुड़ा है। |
| 9. | सप्तसिंधु | सात नदियों की भूमि; ऋग्वेद में उल्लेखित। |
| 10. | द्राविडेश | दक्षिण भारत के लिए प्रयुक्त नाम, लेकिन प्राचीन समय में पूरे भारत को भी दर्शाया गया। |
भारत का इतिहास एक समृद्ध और विविध कथा है, जिसमें समय के साथ इसके नामों में भी अनेक परिवर्तन आए हैं। विभिन्न आक्रमणकर्ताओं, व्यापारियों और सांस्कृतिक प्रभावों ने भारतीय उपमहाद्वीप के नाम को विकसित किया। भारत के नामों में हुए ये बदलाव ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक तत्वों का परिणाम हैं, जो इस क्षेत्र के गहरे इतिहास को उजागर करते हैं।
भारत के विभिन्न नाम सिर्फ भौगोलिक या ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नहीं हैं, बल्कि ये देश की धार्मिक और सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाते हैं:
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1(1) में भारत के नाम का उल्लेख इस प्रकार है:
“India, that is Bharat, shall be a Union of States.”
यह स्पष्ट करता है कि “भारत” और “इंडिया” दोनों ही नाम समान अधिकार से वैध और संवैधानिक हैं।
भारत के नामों का इतिहास अत्यंत विविध और गहन है। हर नाम का एक विशिष्ट ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और भौगोलिक महत्व होता है। जैसे कि ‘भारत’, ‘इंडिया’, ‘हिंदुस्तान’, ‘आर्यावर्त’ और ‘जम्बूद्वीप’—ये सभी नाम भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विलासिता को दर्शाते हैं और यह भी बताते हैं कि कैसे समय और स्थान के अनुसार नामों में परिवर्तन आया है। इन नामों का अध्ययन करते हुए, हम भारत के अद्वितीय इतिहास और उसकी समृद्ध विरासत को बेहतर तरीके से समझ सकते हैं।
उम्मीद है कि यह लेख आपको भारत के 7 नामों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी प्रदान किया है। साथ ही भारत का पुराना नाम क्या है और भारत का नाम इंडिया किसने रखा यह भी पता चल गया होगा। ऐसे ही महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे वेबसाइट के लेख को पढ़ते रहें।
संबंधित पढ़ें:- भारतीय संविधान की प्रस्तावना
प्राचीनकाल से भारतभूमि के अलग-अलग नाम रहे हैं मसलन जम्बूद्वीप, भारतखंड, हिमवर्ष, अजनाभवर्ष, भारतवर्ष, आर्यावर्त, हिंद, हिंदुस्तान और भारत।
अब तक भारत को 9 नामों से जाना जाता रहा है।
भारत का संविधान में उल्लेखित नाम ‘भारत’ ही है। हालांकि, ‘इंडिया’ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अधिक प्रचलित है।
भारत शब्द की उत्पत्ति के बारे में कई कहानियां प्रचलित हैं:
भरत चक्रवर्ती: एक कहानी के अनुसार, भगवान ऋषभदेव के पुत्र भरत चक्रवर्ती के नाम पर भारत का नाम पड़ा।
सिंधु नदी: यूनानी शब्द ‘इंडोस’ जो सिंधु नदी को संदर्भित करता है, से ‘इंडिया’ शब्द बना।
आर्य: वैदिक काल में भारत को आर्यों का निवास स्थान होने के कारण आर्यवर्त कहा जाता था।
वैदिक काल में भारत को आर्य सभ्यता का केंद्र माना जाता था। इसलिए इस भूमि को ‘आर्यों की भूमि’ यानी ‘आर्यावर्त’ कहा गया।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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