भगत सिंह के बारे में 20 लाइन

भगत सिंह के बारे में 20 लाइन

Published on June 19, 2025
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भगत सिंह के बारे में 20 लाइन

Quick Summary

भगत सिंह के बारे में 20 लाइन-

  1. शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था।
  2. उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे।
  3. जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला।
  4. उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना में योगदान दिया।

 

Table of Contents

“भगत सिंह के बारे में 20 लाइन”- भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे प्रतिष्ठित और क्रांतिकारी नायकों में से एक थे। उनका नाम देशभक्ति, साहस और बलिदान का प्रतीक है। उन्होंने देश को स्वतंत्रता दिलाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। भगत सिंह का जीवन और उनके विचार आज भी युवाओं को प्रेरणा देते हैं और स्वतंत्रता संग्राम के प्रति उनके योगदान को याद किया जाता है।

यदि आप “भगत सिंह के बारे में 20 लाइन in hindi” पढ़ना चाहते हैं, तो इस लेख में हम भगत सिंह के नारे, भगत सिंह जयंती, भगत सिंह का जन्म कब हुआ था, और शहीद भगत सिंह के जीवन परिचय पर प्रकाश डालेंगे। देश की सरकार भगत सिंह को शहीद का दर्जा नहीं देती है, जबकि आजादी के लिए अपना जीवन न्योछावर करने वाले भगत सिंह हर भारतीय के दिल में अमर हैं।

भगत सिंह के बारे में 20 लाइन | bhagat singh ke bare mein 20 line

भगत सिंह के बारे में 20 लाइन उनके साहस, बलिदान और क्रांतिकारी विचारों को समझने का एक बेहतरीन माध्यम है, जो आज भी हर भारतीय को प्रेरणा देते हैं।

  1. शहीद भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था।
  2. उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे।
  3. जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके मन पर गहरा प्रभाव डाला।
  4. उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) की स्थापना में योगदान दिया।
  5. लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह ने सांडर्स की हत्या की।
  6. भगत सिंह ने 8 अप्रैल 1929 को सेंट्रल असेंबली में बम फेंका।
  7. बम फेंकने के बाद उन्होंने जानबूझकर गिरफ्तारी दी और अदालत में अपने विचार रखे।
  8. उन्होंने अपने मुकदमे को एक मंच की तरह इस्तेमाल कर अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाई।
  9. भगत सिंह ने जेल में रहते हुए कई लेख लिखे और पढ़ाई जारी रखी।
  10. उन्होंने भारत के युवाओं को आजादी के लिए प्रेरित किया।
  11. उनकी अंतिम इच्छा थी कि उन्हें फांसी के बजाय गोली मारी जाए।
  12. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को फांसी दी गई।
  13. भगत सिंह को “शहीदे-आजम” के नाम से जाना जाता है।
  14. उन्होंने साम्राज्यवाद का विरोध करते हुए समाजवाद का समर्थन किया।
  15. उनका नारा “इंकलाब जिंदाबाद” आज भी प्रेरणा का स्रोत है।
  16. भगत सिंह ने धर्म, जाति और संप्रदाय से ऊपर उठकर देश के लिए काम किया।
  17. उनके क्रांतिकारी विचार आज भी भारतीय युवाओं को प्रेरित करते हैं।
  18. उनकी फांसी के दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
  19. भगत सिंह ने अपने जीवन को देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया।
  20. उनकी कुर्बानी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया।

भगत सिंह के बारे में 20 लाइन पाठकों को उनके महान जीवन और विचारों को समझने का एक सुंदर तरीका है।

भगत सिंह का जन्म कब हुआ था?

भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब (अब पाकिस्तान में) के लायलपुर जिले के बंगा गांव में हुआ था।

भगत सिंह का जीवन परिचय

भगत सिंह के पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कई आंदोलनों में हिस्सा लिया। उनका पूरा परिवार देशभक्ति और आजादी के प्रति समर्पित था, जिसका प्रभाव बचपन से ही भगत सिंह पर पड़ा।

बचपन और शिक्षा

बचपन से ही भगत सिंह का झुकाव स्वतंत्रता संग्राम की ओर था। उन्होंने बहुत छोटी उम्र में ही अंग्रेजी हुकूमत के अत्याचारों को समझ लिया था। 1919 में जलियांवाला बाग हत्याकांड ने उनके बाल मन पर गहरा प्रभाव डाला। इस नृशंस हत्याकांड में सैकड़ों निर्दोष भारतीयों की मौत ने उनके मन में अंग्रेजों के प्रति घृणा पैदा कर दी। इस घटना ने उन्हें स्वतंत्रता संग्राम में कूदने के लिए प्रेरित किया।

भगत सिंह ने लाहौर के नेशनल कॉलेज से अपनी पढ़ाई शुरू की, जहां उन्होंने इतिहास, राजनीति और क्रांतिकारी साहित्य का गहन अध्ययन किया। वे महात्मा गांधी के नेतृत्व में चल रहे असहयोग आंदोलन से प्रभावित हुए और उसमें भाग लिया। हालांकि, चौरी-चौरा कांड के बाद गांधी जी द्वारा आंदोलन वापस लेने के फैसले से भगत सिंह निराश हो गए। उन्होंने महसूस किया कि हिंसात्मक क्रांति ही स्वतंत्रता प्राप्त करने का एकमात्र उपाय है।

क्रांतिकारी विचारधारा

भगत सिंह के बारे में 20 लाइन: शिक्षा के दौरान भगत सिंह ने क्रांतिकारी विचारधारा को अपनाया और कई क्रांतिकारी संगठनों से जुड़ गए। उन्होंने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस संगठन का उद्देश्य था, ब्रिटिश साम्राज्य का अंत करना और भारत को एक समाजवादी राष्ट्र के रूप में स्थापित करना।

उनका मानना था कि सिर्फ आजादी ही काफी नहीं है, बल्कि एक ऐसा समाज बनाना भी जरूरी है, जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार और न्याय मिले। उन्होंने “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा देकर क्रांति की लहर पैदा की।

जलियांवाला बाग का प्रभाव और स्वतंत्रता संग्राम में योगदान

जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद, भगत सिंह ने अपने गांव की मिट्टी को एक बोतल में भर लिया और उसे अपने साथ रखा, ताकि वह उस बलिदान को कभी न भूलें। इस घटना ने उन्हें भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया।

उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ दी और पूरी तरह से आजादी के आंदोलन में शामिल हो गए। भगत सिंह ने कई क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, जिसमें लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए अंग्रेज अधिकारी सांडर्स की हत्या और सेंट्रल असेंबली बम कांड जैसी महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं।

भगत सिंह का जीवन न केवल साहस और बलिदान का प्रतीक है, बल्कि उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान की। उनकी विचारधारा और कर्मशीलता आज भी भारत के युवाओं को प्रेरणा देती है।

शहीद भगत सिंह | bhagat singh short note

भगत सिंह को शहीदे-आजम क्यों कहा जाता है?

भगत सिंह को “शहीदे-आजम” यानी “बलिदानों का महानायक” कहा जाता है क्योंकि उन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।

  • लाला लाजपत राय की मौत का बदला- लाला लाजपत राय की मौत के बाद भगत सिंह ने उनके हत्यारे पुलिस अधिकारी सांडर्स को मारकर अंग्रेजी शासन को चुनौती दी।
  • सेंट्रल असेंबली बम कांड- भगत सिंह ने अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों के विरोध में सेंट्रल असेंबली में बम फेंका। यह बम किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं था, बल्कि अंग्रेजों को यह संदेश देने के लिए था कि भारतीय उनकी नीतियों के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं।
  • मृत्युदंड का साहसिक स्वीकार- भगत सिंह को 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई। उन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश के युवाओं में आजादी के प्रति संघर्ष का नया जोश भर दिया।

भगत सिंह के नारे

आपके संदर्भ के लिए भगत सिंह के नारे नीचे दिए गए हैं-

  • “वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को नहीं कुचल पाएंगे।”
  • “दर्शन मानवीय दुर्बलता या ज्ञान की सीमाओं का परिणाम है।”
  • “क्रांति मानव जाति का एक अविभाज्य अधिकार है। स्वतंत्रता सभी का एक अविनाशी जन्मसिद्ध अधिकार है।”
  • “श्रम ही समाज का वास्तविक पोषक है।”
  • “मैं एक मनुष्य हूँ और जो कुछ भी मानव जाति को प्रभावित करता है, वह मुझे चिंतित करता है।”
  • “अगर बहरे को सुनना है तो आवाज़ बहुत तेज़ होनी चाहिए।”
  • “विद्रोह कोई क्रांति नहीं है। यह अंततः उसी लक्ष्य तक ले जा सकता है।”
  • “बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं होती। क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है।”
  • “जो भी व्यक्ति प्रगति के लिए खड़ा है, उसे पुराने विश्वास की हर बात की आलोचना करनी होगी, उस पर अविश्वास करना होगा और उसे चुनौती देनी होगी।”
  • “जीवन का उद्देश्य अब मन को नियंत्रित करना नहीं है, बल्कि इसे सामंजस्यपूर्ण ढंग से विकसित करना है; परलोक में मोक्ष प्राप्त करना नहीं, बल्कि यहीं इसका सर्वोत्तम उपयोग करना है।”
  • “निर्दयी आलोचना और स्वतंत्र सोच क्रांतिकारी सोच के दो आवश्यक लक्षण हैं।”
  • “लेकिन मनुष्य का कर्तव्य है प्रयास करना, सफलता संयोग और वातावरण पर निर्भर करती है।”
  • “व्यक्तियों को कुचलकर वे विचारों को नहीं मार सकते।”
  • “मैं जीवन में महत्वाकांक्षा, आशा और आकर्षण से भरपूर हूँ। लेकिन ज़रूरत पड़ने पर मैं सब कुछ त्याग सकता हूँ।”

भगत सिंह जयंती

भगत सिंह जयंती हर साल 28 सितंबर को मनाई जाती है। यह दिन भारत के महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी नेता शहीद भगत सिंह की जन्मतिथि के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। भगत सिंह का जीवन और उनकी विचारधारा देशभक्ति, साहस, और बलिदान का प्रतीक है। उनकी जयंती न केवल उनके अद्वितीय योगदान को याद करने का अवसर है, बल्कि यह देश के युवाओं को प्रेरित करने और उनकी देशभक्ति की भावना को जागृत करने का भी महत्वपूर्ण दिन है।

भगत सिंह जयंती का उद्देश्य

भगत सिंह जयंती मनाने का मुख्य उद्देश्य उनकी क्रांतिकारी सोच और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करना है। यह दिन हमें उनके बलिदान की याद दिलाता है और हमें उनके सिद्धांतों पर चलने के लिए प्रेरित करता है। उनका जीवन इस बात का संदेश है कि स्वतंत्रता, समानता, और न्याय के लिए निडर होकर संघर्ष करना चाहिए।

भगत सिंह जयंती पर आयोजित कार्यक्रम

  • स्कूल और कॉलेजों में कार्यक्रम- भगत सिंह की जयंती पर स्कूल और कॉलेजों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें भाषण प्रतियोगिता, नाटक, और सांस्कृतिक कार्यक्रम शामिल होते हैं। इन कार्यक्रमों के माध्यम से भगत सिंह के जीवन और उनके योगदान के बारे में छात्रों को जागरूक किया जाता है।
  • स्मारकों पर श्रद्धांजलि- इस दिन भगत सिंह से जुड़े स्मारकों और स्थानों, जैसे कि लाहौर जेल और उनके पैतृक गांव, पर श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। लोग उनकी मूर्तियों पर माल्यार्पण करते हैं और उनके बलिदान को याद करते हैं।
  • देशभक्ति के गीत और नारे- भगत सिंह की जयंती पर “इंकलाब जिंदाबाद” और “साम्राज्यवाद का नाश हो” जैसे उनके प्रसिद्ध नारों को गाया और दोहराया जाता है। ये नारे आज भी हर भारतीय के दिलों में जोश और उत्साह भर देते हैं।
  • सेमिनार और चर्चाएं- भगत सिंह के विचारों और उनके क्रांतिकारी सिद्धांतों पर चर्चा करने के लिए सेमिनार और संगोष्ठियां आयोजित की जाती हैं। इनमें समाज के विभिन्न वर्गों के लोग भाग लेते हैं और उनके विचारों को समझने का प्रयास करते हैं।

भगत सिंह की क्रांतिकारी गतिविधियां

हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA)

भगत सिंह ने हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (HSRA) से जुड़कर स्वतंत्रता संग्राम को एक नई दिशा दी। यह संगठन 1928 में चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में गठित किया गया था, और इसका उद्देश्य समाजवाद के विचारों को बढ़ावा देते हुए ब्रिटिश साम्राज्य का अंत करना था। भगत सिंह इस संगठन के प्रमुख सदस्य थे और उन्होंने इसमें अपने क्रांतिकारी विचारों को स्थान दिया।

HSRA का लक्ष्य केवल भारत को अंग्रेजों से मुक्त कराना नहीं था, बल्कि एक ऐसा समाज बनाना भी था, जहां हर व्यक्ति को समान अधिकार और न्याय मिले। भगत सिंह और उनके साथी “साम्राज्यवाद का नाश हो” और “इंकलाब जिंदाबाद” जैसे नारों के जरिए अपने उद्देश्य को जन-जन तक पहुंचाते थे। इस संगठन ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई क्रांतिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया, जिनमें काकोरी कांड, सांडर्स हत्या कांड और सेंट्रल असेंबली बम कांड प्रमुख थे।

अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष

भगत सिंह का जीवन अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष और क्रांति का प्रतीक है। उनकी कुछ महत्वपूर्ण क्रांतिकारी गतिविधियां इस प्रकार थीं:

  • सांडर्स हत्या कांड- भगत सिंह और उनके साथियों ने 1928 में लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए सहायक पुलिस अधीक्षक जे.पी. सांडर्स की हत्या की। यह घटना अंग्रेजी शासन के खिलाफ एक सशक्त संदेश थी, जिसने भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
  • सेंट्रल असेंबली बम कांड- 8 अप्रैल 1929 को भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली की सेंट्रल असेंबली में बम फेंका। यह बम किसी को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं था, बल्कि अंग्रेजों को यह बताने के लिए था कि भारतीय स्वतंत्रता के लिए संगठित और जागरूक हो चुके हैं। इस घटना का उद्देश्य ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ विरोध दर्ज कराना था।
  • काकोरी कांड- भगत सिंह ने राम प्रसाद बिस्मिल और चंद्रशेखर आजाद जैसे क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काकोरी कांड में भाग लिया। इस घटना में उन्होंने सरकारी खजाने को लूटकर अंग्रेजों के आर्थिक हितों को चोट पहुंचाई।

इन सभी क्रांतिकारी गतिविधियों के माध्यम से भगत सिंह ने यह साबित कर दिया कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने के लिए केवल राजनीतिक चर्चा ही नहीं, बल्कि सशस्त्र संघर्ष भी आवश्यक है। उनका जीवन और बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में अमर है।

भारत के युवाओं के लिए प्रेरणा बने भगत सिंह

  • देशभक्ति और निस्वार्थता- भगत सिंह ने अपने जीवन का बलिदान सिर्फ देश की आजादी के लिए दिया। उन्होंने व्यक्तिगत सुख और परिवार को त्यागकर देश की सेवा को प्राथमिकता दी।
  • विद्रोही सोच और न्याय की लड़ाई- वे अन्याय और असमानता के खिलाफ खड़े हुए। उन्होंने समाज के युवाओं को यह सिखाया कि गलत के सामने झुकना नहीं चाहिए।
  • युवाओं को जागरूक करना- भगत सिंह ने युवाओं को जागरूक किया कि वे सिर्फ अपने जीवन के बारे में न सोचें, बल्कि समाज और देश की भलाई के लिए कदम उठाएं।
  • शिक्षा और विचारधारा- भगत सिंह ने अपनी सोच को मजबूत करने के लिए बहुत पढ़ाई की। उन्होंने क्रांतिकारी विचारधाराओं को समझा और समाज के युवाओं को बदलने की दिशा में काम किया।
  • आत्मविश्वास और साहस- उनका साहस और आत्मविश्वास युवाओं को सिखाता है कि अपने विचारों और उद्देश्यों के लिए दृढ़ रहना चाहिए।
  • बलिदान की मिसाल- फांसी के समय भी वे मुस्कुरा रहे थे। उनका बलिदान युवाओं को सिखाता है कि अपने उद्देश्य के लिए किसी भी सीमा तक जाया जा सकता है।
  • आधुनिक सोच- उन्होंने जाति, धर्म, और वर्गभेद से ऊपर उठकर समानता और स्वतंत्रता की बात की, जो आज भी प्रासंगिक है।

परिवार से मिले देशभक्ति के संस्कार: भगत सिंह की प्रेरणा की कहानी

भगत सिंह का जीवन आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके विचार और कार्य यह सिखाते हैं कि देश और समाज की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।

भगत सिंह को देशभक्ति की भावना विरासत में मिली थी। उनके चाचा सरदार अजित सिंह ने भारतीय देशभक्त संघ की स्थापना की थी और उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ किसानों को संगठित करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी। उनके सहयोगी सैयद हैदर रजा ने भी चिनाब नहर कॉलोनी बिल के विरोध में किसानों का समर्थन किया। अजित सिंह पर 22 मुकदमे दर्ज हुए, जिससे विवश होकर उन्हें ईरान में शरण लेनी पड़ी।

भगत सिंह का परिवार ग़दर पार्टी का समर्थन करता था, और यही कारण था कि बाल्यकाल से ही उनके मन में देशभक्ति की लौ जलने लगी।

उन्होंने प्राथमिक शिक्षा अपने गांव में पूरी की और फिर उनके पिता किशन सिंह ने उन्हें दयानंद एंग्लो वैदिक हाई स्कूल, लाहौर में दाखिल कराया। बेहद कम उम्र में ही भगत सिंह महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए और साहसपूर्वक ब्रिटिश सत्ता को चुनौती दी।

निष्कर्ष (Conclusion)

भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में देशभक्ति और बलिदान का अद्वितीय प्रतीक हैं। उनका जीवन और विचार आज भी युवाओं को प्रेरित करते हैं और उन्हें देश के प्रति निष्ठा और समर्पण का संदेश देते हैं। भगत सिंह ने साम्राज्यवाद के खिलाफ न केवल क्रांति की आवाज उठाई, बल्कि समाजवाद का समर्थन करते हुए समानता और न्याय की बात भी की। उनका अनमोल बलिदान भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा देने वाला ऐतिहासिक कदम था, जिसने भारत के लोगों में आजादी के प्रति संघर्ष और जोश का संचार किया।

भगत सिंह का जीवन और उनकी कुर्बानी भारत के राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक है, जिसे आने वाली पीढ़ियां हमेशा गर्व और सम्मान के साथ याद रखेंगी। ब्लॉक में भगत सिंह के बारे में 20 लाइन, भगत सिंह के नारे, भगत सिंह जयंती, शहीद भगत सिंह, भगत सिंह का जन्म कब हुआ था पर विस्तार से जानकारी दी गई है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

भगत सिंह का डायलॉग क्या है?

भगत सिंह का प्रसिद्ध डायलॉग है, “मैं ना तो किसी से डरता हूँ, और ना ही किसी से उम्मीद करता हूँ। मैं अपनी लडाई खुद लडता हूँ।”

भगत सिंह ने क्या योगदान दिया था?

भगत सिंह ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया, लाहौर षड्यंत्र केस में भाग लिया, और शहीदी का मार्ग अपनाया। उनका आदर्श आज भी प्रेरणास्त्रोत है।

भगत सिंह के दो नारे कौन से हैं?

भगत सिंह के प्रसिद्ध नारे थे: “इंकलाब ज़िंदाबाद” (क्रांति की जय) और “सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है” (स्वतंत्रता की चाह)। ये नारे आज भी प्रेरणा देते हैं।

भगत सिंह क्यों प्रसिद्ध थे?

भगत सिंह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान क्रांतिकारी थे। उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ युद्ध लड़ा और शहीदी दी, उनकी बहादुरी और विचार आज भी प्रेरणा देते हैं।

भगत सिंह के बारे में एक निबंध कैसे लिखें?

भगत सिंह भारत के महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ साहसिक संघर्ष किया। 28 सितंबर 1907 को बंगा (अब पाकिस्तान में) जन्मे, वे आज़ादी के लिए अपने बलिदान और क्रांतिकारी विचारों के लिए याद किए जाते हैं।

भगत सिंह की जन्म तिथि और स्थान क्या थे?

भगत सिंह का जन्म 27 सितंबर 1907 को पंजाब के बंगा गाँव (अब पाकिस्तान में) में हुआ था।

भगत सिंह की शिक्षा कहाँ हुई थी?

उन्होंने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पंजाब के स्थानीय स्कूलों से की और आगे की शिक्षा डयल सिंह कॉलेज, लाहौर से आर्ट्स में प्राप्त की।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.