alankar kise kahate hain

Alankar Kise Kahate Hain- जानिए 2025 में अलंकार के प्रकार और उदाहरण

Published on September 19, 2025
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alankar kise kahate hain

Quick Summary

  • अलंकार का अर्थ है, जो किसी चीज़ को सजाए या भूषित करे। यह शब्द दो भागों से मिलकर बना है, अलम और कार। अलम का अर्थ होता है आभूषण।
  • काव्य में उन शब्दों को अलंकार कहा जाता है, जो कविता की शोभा को बढ़ाते हैं।
  • अलंकार के माध्यम से कविता की सुंदरता में एक विशेष आकर्षण उत्पन्न होता है, जिससे वह और भी प्रभावशाली बन जाती है।
  • इस प्रकार, अलंकार का उपयोग काव्य में उसकी गहराई और आकर्षण को बढ़ाने के लिए किया जाता है।

Table of Contents

हिंदी साहित्य एक व्यापक क्षेत्र है, जिसमें गहराई से समझने के लिए हिंदी भाषा से जुड़ी विभिन्न जानकारियों की आवश्यकता होती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहलू अलंकार है। अलंकार का उपयोग किसी कविता या काव्य रचना में सौंदर्य और लय को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह शब्दों और उनके अर्थ के सही संयोजन से कविता को और भी प्रभावी बना देता है। अलंकार के माध्यम से काव्य में अर्थ और ध्वनि का योगदान होता है, जो पाठकों और श्रोताओं को आकर्षित करता है।

अलंकार का अर्थ है ‘सजावट’ या ‘आभूषण’। काव्य और साहित्य में जब शब्दों और भावों को विशेष शैली में प्रस्तुत करके रचना को सुंदर, मधुर और प्रभावशाली बनाया जाता है, तो उसे अलंकार कहते हैं। जैसे आभूषण शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, वैसे ही अलंकार साहित्य की सुंदरता और आकर्षण को बढ़ाते हैं और उसे अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। यहाँ हम “अलंकार” को किस प्रकार परिभाषित किया जाता है और उसके विभिन्न प्रकारों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कर रहे हैं।

अलंकार किसे कहते हैं? | Alankar kise kahate hain

लंकार का अर्थ है ‘श्रृंगार’ या ‘सौंदर्य में वृद्धि’। हिंदी साहित्य में अलंकार वे साधन हैं, जिनसे कविता, गद्य या किसी भी साहित्यिक रचना को सुंदर, प्रभावशाली और आकर्षक बनाया जाता है। जैसे गहने शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, वैसे ही अलंकार शब्दों को सजाकर साहित्य को मनमोहक और जीवंत बना देते हैं। अलंकार का मुख्य उद्देश्य शब्दों को सजाना या अलंकरणित करना है, ताकि वे अधिक सुंदर, गहरे और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावशाली बनें।

यह विभिन्न प्रकार के होते हैं और शब्दों या उनके अर्थों से जुड़कर कविता या गान के प्रभाव को बढ़ाने में मदद करते हैं। सरल शब्दों में, भाषा को मधुर, प्रभावशाली और सुंदर बनाने वाले साधनों को अलंकार कहा जाता है।

अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित | Alankar Ki Paribhasha Udaharan Sahit

अलंकार का शाब्दिक अर्थ है – गहना या आभूषण। जिस प्रकार गहने शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, उसी प्रकार अलंकार भाषा और साहित्य की सुंदरता को बढ़ाते हैं।लेकिन अलंकार केवल शब्दों के बाहरी सौंदर्य तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उनका उद्देश्य है – विचारों को अधिक स्पष्ट, भावपूर्ण और प्रभावशाली बनाना।
अलंकारों के माध्यम से साहित्यकार अपने भावों को गहराई से प्रकट करता है, जिससे पाठक या श्रोता न केवल अर्थ समझता है बल्कि भावनात्मक रूप से भी उससे जुड़ता है।भारतीय साहित्यिक परंपरा में अलंकार का सांस्कृतिक महत्व भी है – यह कवियों और लेखकों के लिए कल्पना, रचनात्मकता और कलात्मकता का माध्यम है।

अलंकार का महत्व

  • साहित्य में भावों को गहराई और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने का प्रमुख साधन।
  • काव्य, कहानी और निबंध को अधिक सुंदर, मार्मिक और आकर्षक बनाता है।
  • पाठकों और श्रोताओं पर गहरा और यादगार प्रभाव छोड़ता है।
  • भाषा में रोचकता, मधुरता और स्वाभाविक प्रवाह लाता है।
  • हिंदी साहित्य की आत्मा है, जो रचनाओं को जीवंत और प्रभावशाली बना देती है।
  • कुशल कवि या लेखक अलंकारों के प्रयोग से अपने शब्दों को जादुई और असरदार बना सकता है।
  • साहित्य की गहराई समझने और रचनात्मकता को निखारने के लिए अलंकारों का अध्ययन अनिवार्य है।

अलंकार के प्रकार | Alankar ke Bhed

अलंकार मुख्य रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: शब्दालंकार और अर्थालंकार। इसके अतिरिक्त, एक तीसरे प्रकार का उल्लेख किया जा सकता है, जिसे उभयालंकार कहा जाता है, जो शब्द और अर्थ दोनों के संदर्भ में लागू होता है। इस लेख में, हम अलंकार और उनके विभिन्न प्रकारों का उदाहरण सहित गहराई से अध्ययन करेंगे।

अलंकार का प्रकारपरिभाषा / विशेषतामुख्य प्रकार / उदाहरण
शब्दालंकारये वे अलंकार हैं जो शब्दों के चुनाव, ध्वनि और उनके प्रयोग से संबंधित होते हैं। कविता के स्वर और लय को और अधिक मधुर और सुंदर बनाते हैं।अनुप्रास:
रूपक
यमक:
अर्थालंकारये वे अलंकार हैं जो शब्दों के अर्थ और भावनाओं से संबंधित होते हैं। इनसे कविता का भाव और भी गहराई से व्यक्त होता है।उत्कर्ष:
व्यतिक्रम:
उभयालंकारऐसे अलंकार जिनमें शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों की विशेषताएँ पाई जाती हैं। इनमें ध्वनि की सुंदरता और भावनात्मक गहराई दोनों होती हैं।उदाहरण:– “सूरज की स्वर्णिम किरणें धरती का श्रृंगार कर रही थीं।”(रूपक + भाव)- “तुम चले आओ तो जैसे बहारें लौट आएं,तुम चले जाओ तो जैसे सर्दियाँ लौट आईं।”

शब्दालंकार 

शब्दालंकार वे अलंकार हैं जो शब्दों के चुनाव, ध्वनि और उनके उपयोग से संबंधित होते हैं। ये कविता के स्वर और लय को और भी समृद्ध बनाने का कार्य करते हैं। शब्दालंकार के कुछ मुख्य प्रकार इस प्रकार हैं:

शब्दालंकार के भेद | Shabdalankar ke Bhed

  • अनुप्रास: किसी विशेष ध्वनि या वर्ण प्रक्रिया को बारबार दोहराना।
  • रूपक: किसी वस्तु या व्यक्ति की तुलना के बिना उसे उस जैसा मान लेना।
  • यमक: एक ही शब्द का दो या दो से अधिक अर्थों में प्रयोग करना।

उदाहरण:

“चमकते चाँद की चाँदनी चुराई।”

“सपने संजोते, सोचते सजग सागर।”

अर्थालंकार 

अर्थालंकार वह अलंकार होते हैं जो शब्दों के अर्थ से संबंधित होते हैं। इसमें किसी विशेष अर्थ का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है, ताकि वह कविता के भाव को और अधिक गहरे तरीके से व्यक्त कर सके। इसके प्रमुख भेद हैं:-

अर्थालंकार के भेद | Arthalankar ke Bhed

  • उत्कर्ष: किसी बात का अत्यधिक या उच्च रूप में व्यक्त होना।
  • व्यतिक्रम: किसी साधारण अर्थ को उलटकर या विकृत करके प्रस्तुत करना।

उदाहरण:

“भगवान श्री राम का वनवास”

भगवान श्री राम का वनवास केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन के संघर्ष, कर्तव्य और सत्य के पालन की प्रतीक है।

पंचतंत्र” की कथाएँ”

पंचतंत्र की कथाएँ एक प्रकार से जानवरों के माध्यम से मानव जीवन के व्यवहारिक पहलुओं को समझाने का काम करती हैं।

उभयालंकार | Ubhayalankar

उभयालंकार वे अलंकार हैं जिनमें शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों की विशेषताएँ एक साथ मिलती हैं।
अर्थात् इनमें भाषा की ध्वनि-सौंदर्यता (शब्दालंकार) और भावनात्मक गहराई (अर्थालंकार) दोनों मौजूद रहते हैं।

उदाहरण:
“सूरज की स्वर्णिम किरणें धरती का श्रृंगार कर रही थीं।”

  • यहाँ “स्वर्णिम किरणें” शब्दालंकार का रूप है क्योंकि इसमें रूपकात्मक शब्द प्रयोग हुआ है।
  • साथ ही यह धरती की सुंदरता और नए जीवन का भाव प्रकट कर रहा है, जो अर्थालंकार है।

“तुम चले आओ तो जैसे बहारें लौट आएं,

तुम चले जाओ तो जैसे सर्दियाँ लौट आईं।”

रूपक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण | Rupak Alankar kise kahate Hain

रूपक अलंकार की परिभाषा | Rupak Alankar ki Paribhasha

रूपक अलंकार वह अलंकार है, जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति, या विचार को सीधे-सीधे किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति, या विचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, बिना “जैसा” या “की तरह” जैसे शब्दों का प्रयोग किए। इसका उद्देश्य किसी विशेष गुण या स्थिति को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करना होता है। रूपक अलंकार में तुलना की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि एक वस्तु को दूसरी वस्तु के रूप में बिना किसी शर्त के माना जाता है।

रूपक अलंकार के उदाहरण | Rupak Alankar Ke Udaharan

यहां हम rupak alankar ke udaharan दे रहे हैं, जो इस अंलकार को समझने में मदद करेगा। 

  • वह एक चाँद जैसा सुंदर है।

इस वाक्य में “वह” को “चाँद” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो रूपक अलंकार का उदाहरण है। यहाँ पर “चाँद” शब्द से व्यक्ति की सुंदरता को व्यक्त किया गया है, बिना “जैसा” का प्रयोग किए।

  • जीवन एक यात्रा है।

जीवन को यहाँ पर यात्रा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह रूपक अलंकार है क्योंकि इसमें जीवन को यात्रा की तरह निरूपित किया गया है, और यात्रा के सभी गुण (जैसे यात्रा के विभिन्न चरण और अनुभव) जीवन से जोड़ दिए गए हैं।

  • आप सागर के समान गहरे हो।

यहाँ पर व्यक्ति को “सागर” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे उसकी गहरी सोच या गहराई का संकेत मिलता है। यह रूपक अलंकार है, जिसमें व्यक्ति को सागर के रूप में निरूपित किया गया है।

  • आलिया का दिल सोने जैसा नर्म है।

आलिया के दिल को “सोना” कहा गया है, जो रूपक अलंकार का उदाहरण है। इससे उसकी कोमलता और सौम्यता को व्यक्त किया गया है।

अलंकार का उद्देश्य और महत्ता | Alankar kya Hota Hai

  • सौंदर्य-वृद्धि – भाषा को आकर्षक और मधुर बनाते हैं।
  • भावनाओं की तीव्रता – अलंकारों से कविता या गद्य में भावनाओं का प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है।
  • पाठक पर प्रभाव – शब्द पाठक के मन में छाप छोड़ते हैं और उन्हें यादगार बना देते हैं।
  • साहित्यिक परंपरा का संरक्षण – यह भारतीय काव्यशास्त्र की विशिष्टता है, जो हजारों वर्षों से साहित्य की आत्मा मानी जाती है।
  • कलात्मक अभिव्यक्ति – अलंकार कवि की कल्पनाशक्ति और सृजनात्मकता को प्रकट करते हैं।

उपमा अलंकार की परिभाषा और उदाहरण | Upma Alankar kise kahate Hain

Upma Alankar ki Paribhasha देते हुए यहां इसके कुछ उदाहरण भी बता रहे हैं, जो इस अलंकार को समझने में मदद करेगी। 

उपमा अलंकार की परिभाषा

upma alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी एक वस्तु, व्यक्ति, या विचार की तुलना “जैसा”, “की तरह” जैसे शब्दों से किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति या विचार से की जाती है। इसका उद्देश्य एक वस्तु की विशेषता को दूसरी वस्तु के संदर्भ में स्पष्ट और प्रभावशाली रूप से व्यक्त करना होता है। उपमा में दोनों चीजों के बीच समानताएँ या समान गुणों को दर्शाया जाता है, जो तुलना द्वारा दिखाई जाती हैं।

उपमा में हमेशा एक स्पष्ट तुलना होती है, जैसे “जैसा”, “की तरह”, “जैसे” आदि शब्दों के माध्यम से। यह अलंकार कविता और शेरों में प्रभावशाली रूप से प्रयोग किया जाता है ताकि वह अधिक आकर्षक और अर्थपूर्ण बन सके।

उपमा के उदाहरण

  • आप आसमान के तारे जैसे चमकते हो।

इस वाक्य में व्यक्ति की चमक को आसमान के तारों से जोड़ा गया है, जो उपमा अलंकार का उदाहरण है। यहाँ पर “जैसे” शब्द से तुलना की गई है।

  • वह शेर की तरह दहाड़ता है।

इस वाक्य में व्यक्ति की शक्ति और आवाज को शेर की दहाड़ से तुलना किया गया है। “की तरह” शब्द द्वारा यह उपमा अलंकार व्यक्त किया गया है।

  • उसकी आँखें नीलम जैसी सुंदर हैं।

यहाँ पर “नीलम” (पत्थर) के रूप में आँखों की सुंदरता की तुलना की गई है, जिससे एक स्पष्ट चित्र उभरता है। यह उपमा अलंकार का उदाहरण है।

  • सपनों की तरह वह उसकी यादों में बसी हुई है।

इस वाक्य में किसी व्यक्ति की यादों को सपनों से जोड़ा गया है, जो उपमा अलंकार का एक अच्छा उदाहरण है, क्योंकि “की तरह” शब्द से तुलना की गई है।

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा और उदाहरण | Anupras Alankar kya Hota Hai

आगे हम anupras alankar ki paribhasha और उदाहरण पर प्रकाश डाल रहे हैं, जिससे यह अलंकार स्पष्ट हो जाएगा।

अनुप्रास अलंकार किसे कहते हैं? | Anupras Alankar kise kahate hain

anupras alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी कविता या ग़ज़ल में किसी विशेष ध्वनि या ध्वनियों को दोहराना होता है। इसे अंग्रेजी में “Alliteration” कहा जाता है। अनुप्रास अलंकार में किसी विशेष वर्ण (स्वर या व्यंजन) का दोहराव होता है, जिससे कविता में लय, ताल और एक विशिष्ट ध्वनि का प्रभाव पैदा होता है। इसका उद्देश्य काव्य में संगीतात्मकता (musicality) और आकर्षण बढ़ाना होता है।

उदाहरण के तौर पर, किसी कविता में एक ही ध्वनि का कई बार प्रयोग करना, जैसे कि “स” ध्वनि का बार-बार आना, अनुप्रास अलंकार के उदाहरण होते हैं। यह अलंकार कविता को सुनने में मधुर और आकर्षक बनाता है।

अनुप्रास अलंकार के उदाहरण

  • सरस्वती सागर सों सजीव सावन।

यहाँ “स” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है। इससे काव्य में एक लयात्मकता उत्पन्न होती है।

  • मनमोहक मूरत मेरी माँ की।

इस वाक्य में “म” ध्वनि का बार-बार प्रयोग किया गया है, जिससे अनुप्रास अलंकार का प्रभाव उत्पन्न होता है। यह वाक्य सुनने में आकर्षक और लयबद्ध लगता है।

  • कभी कभी लगता है कुछ खो गया है।

यहाँ “क” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का एक और उदाहरण है। इससे कविता में ताल और लय का संचार होता है।

  • झील की झिलमिलाहट जादू जैसी।

यहाँ पर “झ” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है और यह कविता में एक संगीतात्मक प्रभाव डालता है।

श्लेष अलंकार की परिभाषा और उदाहरण

shlesh alankar ki paribhasha देते हुए श्लेष अलंकार के कुछ उदाहरण बता रहे हैं, जो इस अलंकार को स्पष्ट कर देगा।

श्लेष अलंकार की परिभाषा

shlesh alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें एक ही शब्द या वाक्य का दो या दो से अधिक अर्थों में प्रयोग किया जाता है। यह शब्दों या वाक्यों में संयोग की स्थिति उत्पन्न करता है, जिसमें एक ही शब्द एक से अधिक अर्थ व्यक्त करता है। श्लेष अलंकार का उद्देश्य शब्दों के बहुआयामी अर्थों के माध्यम से गहरी विचारधारा या हास्य उत्पन्न करना होता है। यह अलंकार कविता, ग़ज़ल या शेर में प्रभावशाली ढंग से उपयोग किया जाता है, ताकि पाठक या श्रोता को शब्दों के दोनों अर्थों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।

श्लेष अलंकार के 10 उदाहरण

  1. “चंदन विष व्याप्त नहीं, लिपटे रहत भुजंग।”
    • यहाँ “चंदन” का एक अर्थ सुगंधित वृक्ष और दूसरा अर्थ शुभ्रता (पवित्रता) है।
  2. “राजा राम वनवास गए।”
    • “राम” शब्द से भगवान राम भी समझे जा सकते हैं और साधारण पुरुष भी।
  3. “मालिनी बगिया सींचती, मालिन ही है नाम।”
    • “मालिनी” एक ओर नाम है, दूसरी ओर उसका अर्थ माला बनाने वाली है।
  4. “नैनन के तीर चले, हृदय हुआ घायल।”
    • “तीर” का अर्थ यहाँ एक ओर बाण है और दूसरी ओर प्रेम की दृष्टि।
  5. “गंगा की धारा निरंतर बह रही है।”
    • “गंगा” एक ओर नदी है और दूसरी ओर माता स्वरूपा देवी।
  6. “कमल खिला ताल में, कमल ही रहे घर।”
    • “कमल” का अर्थ फूल भी है और व्यक्ति का नाम भी।
  7. “धरती पर गिरा अमृत, लोग दौड़े लेने।”
    • “अमृत” का अर्थ दिव्य रस भी है और एक व्यक्ति का नाम भी।
  8. “शशि मुख पर शोभित है।”
    • “शशि” का अर्थ चंद्रमा भी है और किसी स्त्री का नाम भी।
  9. “सरस्वती बही सरोवर में।”
    • “सरस्वती” का अर्थ नदी भी है और विद्या की देवी भी।
  10. “नील गगन में नील जल भरा।”

यहाँ “लड़ाई” शब्द का एक अर्थ शारीरिक संघर्ष हो सकता है, और दूसरा अर्थ मानसिक या आत्मिक संघर्ष। यह श्लेष अलंकार का उदाहरण है, जहां एक ही शब्द दो अलग-अलग अर्थों में उपयोग हुआ है।

उभयालंकार अलंकारों का सबसे संतुलित रूप है, जिसमें शब्द और अर्थ का सामंजस्य पाठक के मन पर गहरी छाप छोड़ता है।

उत्प्रेक्षा अलंकार की परिभाषा और उदाहरण | Utpreksha Alankar kya Hota Hai

आगे हम utpreksha alankar ki paribhasha और उदाहरण पर प्रकाश डाल रहे हैं, जिससे यह अलंकार स्पष्ट हो जाएगा।

उत्प्रेक्षा अलंकार किसे कहते हैं? | Utpreksha Alankar kise kahate hain

utpreksha alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति की कल्पना किसी दूसरी वस्तु के समान कर ली जाती है। इसमें कवि किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के रूप में मानसिक रूप से देखने की कल्पना करता है।

इसे अंग्रेज़ी में Poetic Comparison with Imagination कहा जाता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार में तुलना तो होती है, लेकिन स्पष्ट शब्दों में नहीं लिखी जाती, बल्कि कल्पना के रूप में प्रकट की जाती है।

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण

  • “चाँद जैसे मुखड़े पर बादल सी जुल्फें हैं।”
    यहाँ कल्पना की गई है कि जुल्फें बादल जैसी हैं।
  • “सूरज हँस पड़ा मानो फूल खिले हों।”
    यहाँ कल्पना की गई है कि सूरज की हँसी फूलों के खिलने जैसी है।

यमक अलंकार की परिभाषा और उदाहरण | Yamak Alankar kya Hota Hai

आगे हम yamak alankar ki paribhasha और उदाहरण पर चर्चा करेंगे।

यमक अलंकार किसे कहते हैं? | Yamak Alankar kise kahate hain

yamak alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें एक ही शब्द का एक ही पंक्ति या श्लोक में दो या दो से अधिक बार प्रयोग होता है, लेकिन हर बार उसका अर्थ अलग होता है।
इसे अंग्रेज़ी में Pun or Paronomasia कहा जाता है।

यमक अलंकार के उदाहरण | Yamak Alankar ke Udaharan

  • “राम नाम में राम बसे हैं।”
    (पहला राम – भगवान राम, दूसरा राम – नाम का अर्थ)
  • “खेल खेल में खेल का अंत हो गया।”
    (पहला खेल – मस्ती, दूसरा खेल – वास्तविक खेल)
  • “सूरज ने सूरजमुखी को मुस्कान दी।”
    (पहला सूरज – आकाश का सूरज, दूसरा सूरज – फूल का नाम)

अलंकारों के प्रमुख उपयोग

Alankar kise kahate hain यह जानने के बात अलंकारों के प्रमुख उपयोग को भी जानना जरूरी होता है। अलंकारों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है, जिसके बारे में हमने ऊपर जाना है। यहां हम अलंकारों के कुछ प्रमुख उपयोग पर नजर डालेंगे। 

साहित्य में अलंकारों का उपयोग

अलंकार साहित्य में शब्दों और उनके अर्थों का प्रभावशाली तरीके से प्रयोग करने के लिए किया जाता है। इनका उद्देश्य न केवल काव्य के सौंदर्य को बढ़ाना है, बल्कि विचारों और भावनाओं को अधिक गहरे और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना भी है। साहित्य में अलंकारों का उपयोग विशेष रूप से कवियों और लेखकों द्वारा किया जाता है ताकि पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव छोड़ा जा सके।

  • काव्य की सुंदरता को बढावा – अलंकारों का मुख्य उद्देश्य काव्य को सुंदर और आकर्षक बनाना है। अनुप्रास, रूपक, उपमा और श्लेष जैसे अलंकार कविता को लयबद्ध और संगीतात्मक बनाते हैं।
  • भावनाओं की गहराई – अलंकार का उपयोग भावनाओं को स्पष्ट और गहरे तरीके से व्यक्त करने के लिए किया जाता है। रूपक और उपमा जैसे अलंकार किसी भावना या विचार को और भी ज्यादा व्यक्तित्व व चित्रात्मकता प्रदान करते हैं।
  • सार्थकता और प्रभाव – अलंकार पाठकों या श्रोताओं को एक नया दृष्टिकोण प्रदान करते हैं, जिससे वे किसी विषय को एक नई रोशनी में देख सकते हैं। श्लेष अलंकार इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि वह एक ही शब्द में कई अर्थों को छिपाए रखता है।

लोकगीतों और भजनों में अलंकार

लोकगीतों और भजनों में अलंकार का उपयोग विशेष रूप से भावनाओं, श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इन रचनाओं में अलंकारों का प्रयोग भावनाओं को तेज़ी से और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने में मदद करता है।

  • आस्था और भक्ति में गहराई – भजनों में रूपक, उपमा और अनुप्रास जैसे अलंकारों का प्रयोग ईश्वर या देवी-देवताओं की महिमा और भक्ति को भावनात्मक रूप से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है। उदाहरण के रूप में, “आप मेरे आँखों का तारा हो” जैसे वाक्य में अनुप्रास और रूपक का मिश्रण होता है।
  • संगीतात्मकता का निर्माण – लोकगीतों में अनुप्रास का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है, जिससे गीतों की ध्वनि और लय को बढ़ावा मिलता है। इस तरह से लोकगीतों का संगीतात्मक प्रभाव और भी बढ़ जाता है।
  • सामाजिक संदेश – लोकगीतों में अलंकार का प्रयोग समाज की समस्याओं और उनके समाधान को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत करने के लिए भी किया जाता है। यहां पर उपमा, रूपक, और श्लेष अलंकार समाजिक और सांस्कृतिक संदर्भों को बेहतर तरीके से दर्शाते हैं।

लेखक का संदेश

“नमस्कार दोस्तों!
मैं हिंदी साहित्य की गहराई और खूबसूरती से बेहद प्रेरित हूँ। मेरा उद्देश्य है कि मैं साहित्य के माध्यम से आपको न सिर्फ ज्ञान दूँ बल्कि शब्दों की मिठास और भावनाओं की गहराई भी महसूस करा सकूँ।
अलंकार जैसे साहित्यिक तत्वों को सरल भाषा में समझाना मेरे लिए एक प्रयास है ताकि हर पाठक, चाहे छात्र हो या साहित्य प्रेमी, हिंदी भाषा की सुंदरता का आनंद ले सके।
मुझे विश्वास है कि यह सामग्री आपको न केवल जानकारी देगी बल्कि हिंदी साहित्य के प्रति आपका लगाव भी और गहरा करेगी।

आपके विचार और सुझाव मेरे लिए बहुमूल्य हैं। आइए, साथ मिलकर हिंदी साहित्य को और अधिक जीवंत और आकर्षक बनाएँ।

आकृति जैन”

निष्कर्ष (Conclusion)

अलंकार हिंदी साहित्य का अभिन्न हिस्सा हैं, जो किसी भी रचना में सौंदर्य, गहराई और प्रभाव को बढ़ाने का काम करते हैं। ये शब्दों के चयन, उनके ध्वन्यात्मक और अर्थगामी गुणों के माध्यम से कविता, ग़ज़ल, और गीतों को अधिक आकर्षक और अर्थपूर्ण बनाते हैं। अलंकारों का उपयोग काव्य रचनाओं में भावनाओं, विचारों और आस्थाओं को प्रभावशाली और सजीव रूप से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।

यहां दिए गए alankar kise kahate hain और अलंकार के भेद उदाहरण सहित की सभी जानकारी को विशेष रिसर्च के द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर दिया गया हैं। आप ऐसे ही जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे वेबसाइट पर दिए गए आर्टिकस को पढ़ते रहें।

यह भी पढ़ें:

रस किसे कहते हैं?- रस की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

अलंकार क्या है class 9th?

अलंकार शब्दों और वाक्यों को सजाने का एक तरीका है, जिससे भाषा अधिक सुंदर और प्रभावशाली बन जाती है। जब हम किसी कविता या कहानी को पढ़ते हैं, तो अलंकारों के कारण हमें वह अधिक रोचक लगती है।
उदाहरण के लिए:
“चाँदनी रात में तारे टिमटिमा रहे हैं।”
इस वाक्य में ‘टिमटिमा रहे हैं’ शब्द चाँदनी रात के दृश्य को और अधिक सुंदर बनाने में मदद करता है।

अलंकार के जनक कौन थे?

आचार्य भामह को अलंकार शास्त्र का जनक माना जाता है।

रूपक अलंकार को कैसे पहचानें?

रूपक अलंकार को पहचानने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा:
1. रूपक अलंकार में उपमेय (जिसकी तुलना की जाती है) और उपमान (जिससे तुलना की जाती है) के बीच का अंतर मिट जाता है। दोनों को एक ही समझ लिया जाता है।
2. रूपक अलंकार में ‘जैसा’, ‘सा’, ‘सी’ जैसे वाचक शब्द नहीं होते हैं।
3. रूपक अलंकार में उपमेय का वर्णन किया जाता है, लेकिन उपमान का सीधा उल्लेख नहीं होता है।
उदाहरण के लिए:
“चाँदनी रात में आकाश मोती बिछा हुआ लग रहा है।” यहां ‘आकाश’ (उपमेय) को ‘मोती बिछा हुआ’ (उपमान) कहा गया है।

जल्दी-जल्दी में कौन सा अलंकार है?

“जल्दी-जल्दी” वाक्यांश में अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार: जब किसी वाक्य में एक ही वर्ण या वर्ण समूह बार-बार आता है, तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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