Quick Summary
हिंदी साहित्य एक व्यापक क्षेत्र है, जिसमें गहराई से समझने के लिए हिंदी भाषा से जुड़ी विभिन्न जानकारियों की आवश्यकता होती है। इनमें से एक महत्वपूर्ण पहलू अलंकार है। अलंकार का उपयोग किसी कविता या काव्य रचना में सौंदर्य और लय को बढ़ाने के लिए किया जाता है। यह शब्दों और उनके अर्थ के सही संयोजन से कविता को और भी प्रभावी बना देता है। अलंकार के माध्यम से काव्य में अर्थ और ध्वनि का योगदान होता है, जो पाठकों और श्रोताओं को आकर्षित करता है।
अलंकार का अर्थ है ‘सजावट’ या ‘आभूषण’। काव्य और साहित्य में जब शब्दों और भावों को विशेष शैली में प्रस्तुत करके रचना को सुंदर, मधुर और प्रभावशाली बनाया जाता है, तो उसे अलंकार कहते हैं। जैसे आभूषण शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, वैसे ही अलंकार साहित्य की सुंदरता और आकर्षण को बढ़ाते हैं और उसे अधिक प्रभावशाली बनाते हैं। यहाँ हम “अलंकार” को किस प्रकार परिभाषित किया जाता है और उसके विभिन्न प्रकारों को उदाहरण सहित प्रस्तुत कर रहे हैं।
लंकार का अर्थ है ‘श्रृंगार’ या ‘सौंदर्य में वृद्धि’। हिंदी साहित्य में अलंकार वे साधन हैं, जिनसे कविता, गद्य या किसी भी साहित्यिक रचना को सुंदर, प्रभावशाली और आकर्षक बनाया जाता है। जैसे गहने शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, वैसे ही अलंकार शब्दों को सजाकर साहित्य को मनमोहक और जीवंत बना देते हैं। अलंकार का मुख्य उद्देश्य शब्दों को सजाना या अलंकरणित करना है, ताकि वे अधिक सुंदर, गहरे और मनोवैज्ञानिक रूप से प्रभावशाली बनें।
यह विभिन्न प्रकार के होते हैं और शब्दों या उनके अर्थों से जुड़कर कविता या गान के प्रभाव को बढ़ाने में मदद करते हैं। सरल शब्दों में, भाषा को मधुर, प्रभावशाली और सुंदर बनाने वाले साधनों को अलंकार कहा जाता है।
अलंकार का शाब्दिक अर्थ है – गहना या आभूषण। जिस प्रकार गहने शरीर की शोभा बढ़ाते हैं, उसी प्रकार अलंकार भाषा और साहित्य की सुंदरता को बढ़ाते हैं।लेकिन अलंकार केवल शब्दों के बाहरी सौंदर्य तक सीमित नहीं रहते, बल्कि उनका उद्देश्य है – विचारों को अधिक स्पष्ट, भावपूर्ण और प्रभावशाली बनाना।
अलंकारों के माध्यम से साहित्यकार अपने भावों को गहराई से प्रकट करता है, जिससे पाठक या श्रोता न केवल अर्थ समझता है बल्कि भावनात्मक रूप से भी उससे जुड़ता है।भारतीय साहित्यिक परंपरा में अलंकार का सांस्कृतिक महत्व भी है – यह कवियों और लेखकों के लिए कल्पना, रचनात्मकता और कलात्मकता का माध्यम है।
अलंकार मुख्य रूप से दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: शब्दालंकार और अर्थालंकार। इसके अतिरिक्त, एक तीसरे प्रकार का उल्लेख किया जा सकता है, जिसे उभयालंकार कहा जाता है, जो शब्द और अर्थ दोनों के संदर्भ में लागू होता है। इस लेख में, हम अलंकार और उनके विभिन्न प्रकारों का उदाहरण सहित गहराई से अध्ययन करेंगे।
| अलंकार का प्रकार | परिभाषा / विशेषता | मुख्य प्रकार / उदाहरण |
|---|---|---|
| शब्दालंकार | ये वे अलंकार हैं जो शब्दों के चुनाव, ध्वनि और उनके प्रयोग से संबंधित होते हैं। कविता के स्वर और लय को और अधिक मधुर और सुंदर बनाते हैं। | अनुप्रास: रूपक यमक: |
| अर्थालंकार | ये वे अलंकार हैं जो शब्दों के अर्थ और भावनाओं से संबंधित होते हैं। इनसे कविता का भाव और भी गहराई से व्यक्त होता है। | उत्कर्ष: व्यतिक्रम: |
| उभयालंकार | ऐसे अलंकार जिनमें शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों की विशेषताएँ पाई जाती हैं। इनमें ध्वनि की सुंदरता और भावनात्मक गहराई दोनों होती हैं। | उदाहरण:– “सूरज की स्वर्णिम किरणें धरती का श्रृंगार कर रही थीं।”(रूपक + भाव)- “तुम चले आओ तो जैसे बहारें लौट आएं,तुम चले जाओ तो जैसे सर्दियाँ लौट आईं।” |
शब्दालंकार वे अलंकार हैं जो शब्दों के चुनाव, ध्वनि और उनके उपयोग से संबंधित होते हैं। ये कविता के स्वर और लय को और भी समृद्ध बनाने का कार्य करते हैं। शब्दालंकार के कुछ मुख्य प्रकार इस प्रकार हैं:
शब्दालंकार के भेद | Shabdalankar ke Bhed
उदाहरण:
“चमकते चाँद की चाँदनी चुराई।”
“सपने संजोते, सोचते सजग सागर।”
अर्थालंकार वह अलंकार होते हैं जो शब्दों के अर्थ से संबंधित होते हैं। इसमें किसी विशेष अर्थ का विशेष रूप से उपयोग किया जाता है, ताकि वह कविता के भाव को और अधिक गहरे तरीके से व्यक्त कर सके। इसके प्रमुख भेद हैं:-
अर्थालंकार के भेद | Arthalankar ke Bhed
उदाहरण:
“भगवान श्री राम का वनवास”
भगवान श्री राम का वनवास केवल एक कथा नहीं है, बल्कि यह मनुष्य के जीवन के संघर्ष, कर्तव्य और सत्य के पालन की प्रतीक है।
“पंचतंत्र” की कथाएँ”
पंचतंत्र की कथाएँ एक प्रकार से जानवरों के माध्यम से मानव जीवन के व्यवहारिक पहलुओं को समझाने का काम करती हैं।
उभयालंकार वे अलंकार हैं जिनमें शब्दालंकार और अर्थालंकार दोनों की विशेषताएँ एक साथ मिलती हैं।
अर्थात् इनमें भाषा की ध्वनि-सौंदर्यता (शब्दालंकार) और भावनात्मक गहराई (अर्थालंकार) दोनों मौजूद रहते हैं।
उदाहरण:
“सूरज की स्वर्णिम किरणें धरती का श्रृंगार कर रही थीं।”
“तुम चले आओ तो जैसे बहारें लौट आएं,
तुम चले जाओ तो जैसे सर्दियाँ लौट आईं।”
रूपक अलंकार वह अलंकार है, जिसमें किसी वस्तु, व्यक्ति, या विचार को सीधे-सीधे किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति, या विचार के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, बिना “जैसा” या “की तरह” जैसे शब्दों का प्रयोग किए। इसका उद्देश्य किसी विशेष गुण या स्थिति को स्पष्ट और प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करना होता है। रूपक अलंकार में तुलना की आवश्यकता नहीं होती, बल्कि एक वस्तु को दूसरी वस्तु के रूप में बिना किसी शर्त के माना जाता है।
यहां हम rupak alankar ke udaharan दे रहे हैं, जो इस अंलकार को समझने में मदद करेगा।
इस वाक्य में “वह” को “चाँद” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जो रूपक अलंकार का उदाहरण है। यहाँ पर “चाँद” शब्द से व्यक्ति की सुंदरता को व्यक्त किया गया है, बिना “जैसा” का प्रयोग किए।
जीवन को यहाँ पर यात्रा के रूप में प्रस्तुत किया गया है। यह रूपक अलंकार है क्योंकि इसमें जीवन को यात्रा की तरह निरूपित किया गया है, और यात्रा के सभी गुण (जैसे यात्रा के विभिन्न चरण और अनुभव) जीवन से जोड़ दिए गए हैं।
यहाँ पर व्यक्ति को “सागर” के रूप में प्रस्तुत किया गया है, जिससे उसकी गहरी सोच या गहराई का संकेत मिलता है। यह रूपक अलंकार है, जिसमें व्यक्ति को सागर के रूप में निरूपित किया गया है।
आलिया के दिल को “सोना” कहा गया है, जो रूपक अलंकार का उदाहरण है। इससे उसकी कोमलता और सौम्यता को व्यक्त किया गया है।
Upma Alankar ki Paribhasha देते हुए यहां इसके कुछ उदाहरण भी बता रहे हैं, जो इस अलंकार को समझने में मदद करेगी।
upma alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी एक वस्तु, व्यक्ति, या विचार की तुलना “जैसा”, “की तरह” जैसे शब्दों से किसी अन्य वस्तु, व्यक्ति या विचार से की जाती है। इसका उद्देश्य एक वस्तु की विशेषता को दूसरी वस्तु के संदर्भ में स्पष्ट और प्रभावशाली रूप से व्यक्त करना होता है। उपमा में दोनों चीजों के बीच समानताएँ या समान गुणों को दर्शाया जाता है, जो तुलना द्वारा दिखाई जाती हैं।
उपमा में हमेशा एक स्पष्ट तुलना होती है, जैसे “जैसा”, “की तरह”, “जैसे” आदि शब्दों के माध्यम से। यह अलंकार कविता और शेरों में प्रभावशाली रूप से प्रयोग किया जाता है ताकि वह अधिक आकर्षक और अर्थपूर्ण बन सके।
इस वाक्य में व्यक्ति की चमक को आसमान के तारों से जोड़ा गया है, जो उपमा अलंकार का उदाहरण है। यहाँ पर “जैसे” शब्द से तुलना की गई है।
इस वाक्य में व्यक्ति की शक्ति और आवाज को शेर की दहाड़ से तुलना किया गया है। “की तरह” शब्द द्वारा यह उपमा अलंकार व्यक्त किया गया है।
यहाँ पर “नीलम” (पत्थर) के रूप में आँखों की सुंदरता की तुलना की गई है, जिससे एक स्पष्ट चित्र उभरता है। यह उपमा अलंकार का उदाहरण है।
इस वाक्य में किसी व्यक्ति की यादों को सपनों से जोड़ा गया है, जो उपमा अलंकार का एक अच्छा उदाहरण है, क्योंकि “की तरह” शब्द से तुलना की गई है।
आगे हम anupras alankar ki paribhasha और उदाहरण पर प्रकाश डाल रहे हैं, जिससे यह अलंकार स्पष्ट हो जाएगा।
anupras alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी कविता या ग़ज़ल में किसी विशेष ध्वनि या ध्वनियों को दोहराना होता है। इसे अंग्रेजी में “Alliteration” कहा जाता है। अनुप्रास अलंकार में किसी विशेष वर्ण (स्वर या व्यंजन) का दोहराव होता है, जिससे कविता में लय, ताल और एक विशिष्ट ध्वनि का प्रभाव पैदा होता है। इसका उद्देश्य काव्य में संगीतात्मकता (musicality) और आकर्षण बढ़ाना होता है।
उदाहरण के तौर पर, किसी कविता में एक ही ध्वनि का कई बार प्रयोग करना, जैसे कि “स” ध्वनि का बार-बार आना, अनुप्रास अलंकार के उदाहरण होते हैं। यह अलंकार कविता को सुनने में मधुर और आकर्षक बनाता है।
यहाँ “स” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है। इससे काव्य में एक लयात्मकता उत्पन्न होती है।
इस वाक्य में “म” ध्वनि का बार-बार प्रयोग किया गया है, जिससे अनुप्रास अलंकार का प्रभाव उत्पन्न होता है। यह वाक्य सुनने में आकर्षक और लयबद्ध लगता है।
यहाँ “क” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का एक और उदाहरण है। इससे कविता में ताल और लय का संचार होता है।
यहाँ पर “झ” ध्वनि का दोहराव की गई है, जो अनुप्रास अलंकार का उदाहरण है और यह कविता में एक संगीतात्मक प्रभाव डालता है।
shlesh alankar ki paribhasha देते हुए श्लेष अलंकार के कुछ उदाहरण बता रहे हैं, जो इस अलंकार को स्पष्ट कर देगा।
shlesh alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें एक ही शब्द या वाक्य का दो या दो से अधिक अर्थों में प्रयोग किया जाता है। यह शब्दों या वाक्यों में संयोग की स्थिति उत्पन्न करता है, जिसमें एक ही शब्द एक से अधिक अर्थ व्यक्त करता है। श्लेष अलंकार का उद्देश्य शब्दों के बहुआयामी अर्थों के माध्यम से गहरी विचारधारा या हास्य उत्पन्न करना होता है। यह अलंकार कविता, ग़ज़ल या शेर में प्रभावशाली ढंग से उपयोग किया जाता है, ताकि पाठक या श्रोता को शब्दों के दोनों अर्थों पर ध्यान केंद्रित किया जा सके।
यहाँ “लड़ाई” शब्द का एक अर्थ शारीरिक संघर्ष हो सकता है, और दूसरा अर्थ मानसिक या आत्मिक संघर्ष। यह श्लेष अलंकार का उदाहरण है, जहां एक ही शब्द दो अलग-अलग अर्थों में उपयोग हुआ है।
उभयालंकार अलंकारों का सबसे संतुलित रूप है, जिसमें शब्द और अर्थ का सामंजस्य पाठक के मन पर गहरी छाप छोड़ता है।
आगे हम utpreksha alankar ki paribhasha और उदाहरण पर प्रकाश डाल रहे हैं, जिससे यह अलंकार स्पष्ट हो जाएगा।
utpreksha alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें किसी वस्तु या व्यक्ति की कल्पना किसी दूसरी वस्तु के समान कर ली जाती है। इसमें कवि किसी वस्तु को दूसरी वस्तु के रूप में मानसिक रूप से देखने की कल्पना करता है।
इसे अंग्रेज़ी में Poetic Comparison with Imagination कहा जाता है।
उत्प्रेक्षा अलंकार में तुलना तो होती है, लेकिन स्पष्ट शब्दों में नहीं लिखी जाती, बल्कि कल्पना के रूप में प्रकट की जाती है।
आगे हम yamak alankar ki paribhasha और उदाहरण पर चर्चा करेंगे।
yamak alankar ki paribhasha वह अलंकार है, जिसमें एक ही शब्द का एक ही पंक्ति या श्लोक में दो या दो से अधिक बार प्रयोग होता है, लेकिन हर बार उसका अर्थ अलग होता है।
इसे अंग्रेज़ी में Pun or Paronomasia कहा जाता है।
Alankar kise kahate hain यह जानने के बात अलंकारों के प्रमुख उपयोग को भी जानना जरूरी होता है। अलंकारों का कई तरह से उपयोग किया जा सकता है, जिसके बारे में हमने ऊपर जाना है। यहां हम अलंकारों के कुछ प्रमुख उपयोग पर नजर डालेंगे।
अलंकार साहित्य में शब्दों और उनके अर्थों का प्रभावशाली तरीके से प्रयोग करने के लिए किया जाता है। इनका उद्देश्य न केवल काव्य के सौंदर्य को बढ़ाना है, बल्कि विचारों और भावनाओं को अधिक गहरे और प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुत करना भी है। साहित्य में अलंकारों का उपयोग विशेष रूप से कवियों और लेखकों द्वारा किया जाता है ताकि पाठक या श्रोता पर गहरा प्रभाव छोड़ा जा सके।
लोकगीतों और भजनों में अलंकार का उपयोग विशेष रूप से भावनाओं, श्रद्धा और आस्था को व्यक्त करने के लिए किया जाता है। इन रचनाओं में अलंकारों का प्रयोग भावनाओं को तेज़ी से और प्रभावशाली तरीके से व्यक्त करने में मदद करता है।
“नमस्कार दोस्तों!
मैं हिंदी साहित्य की गहराई और खूबसूरती से बेहद प्रेरित हूँ। मेरा उद्देश्य है कि मैं साहित्य के माध्यम से आपको न सिर्फ ज्ञान दूँ बल्कि शब्दों की मिठास और भावनाओं की गहराई भी महसूस करा सकूँ।
अलंकार जैसे साहित्यिक तत्वों को सरल भाषा में समझाना मेरे लिए एक प्रयास है ताकि हर पाठक, चाहे छात्र हो या साहित्य प्रेमी, हिंदी भाषा की सुंदरता का आनंद ले सके।
मुझे विश्वास है कि यह सामग्री आपको न केवल जानकारी देगी बल्कि हिंदी साहित्य के प्रति आपका लगाव भी और गहरा करेगी।
आपके विचार और सुझाव मेरे लिए बहुमूल्य हैं। आइए, साथ मिलकर हिंदी साहित्य को और अधिक जीवंत और आकर्षक बनाएँ।
– आकृति जैन”
अलंकार हिंदी साहित्य का अभिन्न हिस्सा हैं, जो किसी भी रचना में सौंदर्य, गहराई और प्रभाव को बढ़ाने का काम करते हैं। ये शब्दों के चयन, उनके ध्वन्यात्मक और अर्थगामी गुणों के माध्यम से कविता, ग़ज़ल, और गीतों को अधिक आकर्षक और अर्थपूर्ण बनाते हैं। अलंकारों का उपयोग काव्य रचनाओं में भावनाओं, विचारों और आस्थाओं को प्रभावशाली और सजीव रूप से प्रस्तुत करने के लिए किया जाता है।
यहां दिए गए alankar kise kahate hain और अलंकार के भेद उदाहरण सहित की सभी जानकारी को विशेष रिसर्च के द्वारा प्राप्त जानकारी के आधार पर दिया गया हैं। आप ऐसे ही जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारे वेबसाइट पर दिए गए आर्टिकस को पढ़ते रहें।
रस किसे कहते हैं?- रस की परिभाषा, प्रकार एवं उदाहरण
अलंकार शब्दों और वाक्यों को सजाने का एक तरीका है, जिससे भाषा अधिक सुंदर और प्रभावशाली बन जाती है। जब हम किसी कविता या कहानी को पढ़ते हैं, तो अलंकारों के कारण हमें वह अधिक रोचक लगती है।
उदाहरण के लिए:
“चाँदनी रात में तारे टिमटिमा रहे हैं।”
इस वाक्य में ‘टिमटिमा रहे हैं’ शब्द चाँदनी रात के दृश्य को और अधिक सुंदर बनाने में मदद करता है।
आचार्य भामह को अलंकार शास्त्र का जनक माना जाता है।
रूपक अलंकार को पहचानने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा:
1. रूपक अलंकार में उपमेय (जिसकी तुलना की जाती है) और उपमान (जिससे तुलना की जाती है) के बीच का अंतर मिट जाता है। दोनों को एक ही समझ लिया जाता है।
2. रूपक अलंकार में ‘जैसा’, ‘सा’, ‘सी’ जैसे वाचक शब्द नहीं होते हैं।
3. रूपक अलंकार में उपमेय का वर्णन किया जाता है, लेकिन उपमान का सीधा उल्लेख नहीं होता है।
उदाहरण के लिए:
“चाँदनी रात में आकाश मोती बिछा हुआ लग रहा है।” यहां ‘आकाश’ (उपमेय) को ‘मोती बिछा हुआ’ (उपमान) कहा गया है।
“जल्दी-जल्दी” वाक्यांश में अनुप्रास अलंकार है।
अनुप्रास अलंकार: जब किसी वाक्य में एक ही वर्ण या वर्ण समूह बार-बार आता है, तो उसे अनुप्रास अलंकार कहते हैं।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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