अभिलेख किसे कहते हैं

अभिलेख किसे कहते हैं | Abhilekh Kise Kahte Hain?

Published on August 20, 2025
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अभिलेख किसे कहते हैं

Quick Summary

  • अभिलेख प्राचीन काल से ही इतिहास के महत्वपूर्ण साक्ष्य रहे हैं। ये पत्थर, धातु या मिट्टी की पट्टियों पर उत्कीर्ण लेख होते हैं।
  • इन्हें राजा, शासक या धार्मिक संस्थान अपनी उपलब्धियों, आदेशों या किसी विशेष घटना को दर्ज करने के लिए बनाते थे।
  • अभिलेखों से हमें प्राचीन काल के लोगों के जीवन, संस्कृति, धर्म और राजनीति के बारे में जानकारी मिलती है।
  • भारत में अशोक के शिलालेख सबसे प्रसिद्ध अभिलेखों में से हैं। ये अभिलेख हमें मौर्य साम्राज्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं।

Table of Contents

क्या आपने कभी सोचा है कि इतिहास की घटनाओं और पुरानी जानकारियों को कैसे सुरक्षित रखा जाता था? इसका जवाब है “अभिलेख”। लेकिन आख़िर अभिलेख किसे कहते हैं? सरल शब्दों में, अभिलेख वह दस्तावेज़ या रिकॉर्ड होते हैं, जिनमें किसी घटना, जानकारी या तथ्य को स्थायी रूप से दर्ज किया जाता है। ये प्राचीन काल से लेकर आधुनिक समय तक जानकारी को संरक्षित रखने का सबसे विश्वसनीय तरीका रहे हैं। ऐसे में आपको अभिलेख किसे कहते हैं और इससे जुड़े अन्य पहलुओं के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।

इस ब्लॉग में आपको अभिलेख किसे कहते हैं, अभिलेखों के प्रकार, अभिलेखों का क्या महत्व है, प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेख और प्राचीन भारतीय इतिहास में अभिलेखों की क्या भूमिका रही है के बारे में विस्तार से जानने को मिलेगा।

अभिलेख किसे कहते हैं? | Abhilekh kise kahate Hain

अभिलेख किसी भी ऐसे दस्तावेज़ या रिकॉर्ड को कहते हैं जिसमें किसी महत्वपूर्ण जानकारी या घटना का विवरण संरक्षित और सुरक्षित रखा जाता है। ये किसी भी रूप में हो सकते हैं – जैसे कागज़ पर लिखे हुए, पत्थर में किए हुए, डिजिटल फॉर्मेट में, फोटो या वीडियो में।

अभिलेख के कुछ उदाहरण | अभिलेख किसे कहते हैं? :

  • जन्म प्रमाणपत्र
  • स्कूल के सर्टिफिकेट
  • ऐतिहासिक दस्तावेज़
  • सिक्के

इन अभिलेखों का मुख्य उद्देश्य महत्वपूर्ण जानकारी को लंबे समय तक सुरक्षित रखना और भविष्य में उपयोग के लिए संरक्षित करना होता है।

अभिलेख in English:

अभिलेख किसे कहते हैं जानने के बाद अभिलेख in english के बारे में जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है। अभिलेख को इंग्लिश में Inscriptions कहा जाता है।

अभिलेखों के प्रकार | Abhilekhan ke Prakaron ko Likhen

अभिलेख किसे कहते हैं और अभिलेख in English जानने के बाद अभिलेखों के प्रकार के बारे में जानना काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। प्राचीन समय से अभी तक अभिलेखों के प्रकार में पाषाण अभिलेख, ताम्रपत्र अभिलेख, चमड़े के अभिलेख, दीवार अभिलेख, सिल्वर और अन्य धातु के अभिलेख तथा कागज के अभिलेख देखने को मिले हैं।

पाषाण अभिलेख किसे कहते हैं? 

पाषाण अभिलेख प्राचीन काल में पत्थरों पर उत्कीर्ण किए गए लेख होते थे। ये हमारे इतिहास के महत्वपूर्ण साक्ष्य हैं, जो हमें हमारे पूर्वजों के जीवन, संस्कृति, राजनीति और धर्म के बारे में जानकारी देते हैं।

इन अभिलेखों से हमें प्राचीन लिपियों और भाषाओं के विकास का पता चलता है। कुछ अभिलेखों में कलात्मक नक्काशी भी होती है, जिससे हमें उस समय की कला और संस्कृति की झलक मिलती है।

पाषाण अभिलेख बनाने के लिए पत्थर की सतह को साफ किया जाता था। फिर, एक नुकीली औज़ार की मदद से, उस पर लेख उत्कीर्ण किए जाते थे। ये लेख अक्सर राजाओं, शासकों या धार्मिक संस्थाओं द्वारा बनवाए जाते थे। ashok ke shilalekh और हरप्पन सभ्यता के मोहर प्रमुख पाषाण अभिलेख हैं जो प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेखों का उदाहरण हैं।

ताम्रपत्र अभिलेख किसे कहते हैं?

ताम्रपत्र अभिलेख प्राचीन काल में तांबे की पत्तियों पर लिखे गए महत्वपूर्ण दस्तावेज़ होते थे। ये पत्तियां मजबूत और टिकाऊ होती थीं, जिसकी वजह से इन पर लिखी गई बातें सदियों तक सुरक्षित रह पाईं। 

कई ताम्रपत्रों में भूमि दान, गांव दान या अन्य संपत्ति दान करने के बारे में जानकारी होती है। इससे हमें उस समय के दान-पुण्य और समाज सेवा के बारे में पता चलता है। ताम्रपत्रों से हमें विभिन्न राजवंशों के उद्भव, पतन और उनके बीच हुए युद्धों के बारे में पता चलता है।

ताम्रपत्र अभिलेख बनाने के लिए तांबे की पत्तियों को पहले चिकना किया जाता था और फिर उन पर एक नुकीली औज़ार से लेख लिखे जाते थे। इन लेखों को अक्सर राजाओं, शासकों या धार्मिक संस्थाओं द्वारा बनवाया जाता था। ताम्रपत्रों को मोड़कर और सील करके सुरक्षित रखा जाता था, ताकि वे खराब न हों।

भारत में कई जगहों पर ताम्रपत्र अभिलेख मिले हैं। ये अभिलेख हमें गुप्त काल, चालुक्य काल और कई अन्य राजवंशों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं। इन अभिलेखों में संस्कृत भाषा में लिखे हुए लेख मिलते हैं, जो उस समय की भाषा और साहित्य के बारे में भी हमें बताते हैं।

चमड़े के अभिलेख किसे कहते हैं?

चमड़े के अभिलेख वास्तव में इतिहास के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण दस्तावेजों में से एक थे। ये विशेष प्रकार के अभिलेख होते थे। जिन्हें चमड़े पर लिखा और संरक्षित किया जाता था।

प्राचीन काल में इस्तेमाल होने वाले ये अभिलेख बहुत टिकाऊ और मजबूत होते थें। ये नमी और क्षति से बचने की क्षमता रखते थें और कागज से ज्यादा लंबे समय तक चल सकते थें।

ऐतिहासिक रूप से, चमड़े के अभिलेख कई सभ्यताओं में महत्वपूर्ण दस्तावेजों जैसे संधियों, कानूनी अधिकारों और धार्मिक ग्रंथों को लिखने और संरक्षित करने में उपयोग किए जाते थे।

दीवार अभिलेख किसे कहते हैं? 

दीवार के अभिलेख प्राचीन काल से ही इतिहास को दर्ज करने का एक महत्वपूर्ण तरीका रहे हैं। ये अभिलेख मंदिरों, महलों, किलों और अन्य ऐतिहासिक इमारतों की दीवारों पर उत्कीर्ण किए जाते थे।

दीवार के अभिलेख बनाने के लिए दीवार की सतह को पहले साफ किया जाता था। फिर, एक नुकीले औज़ार की मदद से, उस पर लेख उत्कीर्ण किए जाते थे। ये लेख अक्सर राजाओं, शासकों या धार्मिक संस्थाओं द्वारा बनवाए जाते थे। इन अभिलेखों को बनाने में पत्थर, ईंट या अन्य मजबूत सामग्री का उपयोग किया जाता था।

सिल्वर और अन्य धातु के अभिलेख

धातु के अभिलेख किसे कहते हैं? ये अभिलेख चांदी, सोना, तांबा और अन्य धातुओं पर उत्कीर्ण किए जाते थे। धातु के अभिलेख उस समय के समाज के दर्पण की तरह होते हैं। इनसे हमें उस समय के लोगों के जीवन, उनके विचारों और उनकी मान्यताओं के बारे में पता चलता है।

धातु के अभिलेख बनाने के लिए धातु की प्लेट को पहले चिकना किया जाता था। फिर, एक नुकीले औज़ार की मदद से, उस पर लेख उत्कीर्ण किए जाते थे। ये लेख अक्सर राजाओं, शासकों या धार्मिक संस्थाओं द्वारा बनवाए जाते थे। इन अभिलेखों को बनाने में चांदी, सोना, तांबा और अन्य धातुओं का उपयोग किया जाता था।

कागज के अभिलेख किसे कहते हैं?

कागज के अभिलेख हमारे इतिहास को समझने के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण स्रोत हैं। ये अभिलेख विभिन्न प्रकार के कागजों पर लिखे जाते थे और इनमें राजाओं के आदेश, धार्मिक ग्रंथ, साहित्यिक रचनाएं, व्यापारिक लेन-देन के रिकॉर्ड और व्यक्तिगत पत्र आदि शामिल होते थे। इन अभिलेखों में कई प्राचीन साहित्यिक रचनाएं, कविताएं और कहानियां भी मिलती हैं।

कागज के अभिलेख बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के कागजों का उपयोग किया जाता था। ये कागज पेड़ों की छाल, कपड़े के टुकड़ों या अन्य वनस्पति पदार्थों से बनाए जाते थे। इन कागजों पर स्याही या रंगीन पदार्थों से लिखा जाता था। आज भी कागज के अभिलेखों का काफी इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, कागज के अभिलेख समय के साथ खराब हो जाते हैं और कई बार अभिलेख पूरी तरह से नष्ट हो जाते हैं।

अभिलेखों का महत्व

अभिलेख का महत्व कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है जैसे:

  1. इतिहास का संरक्षण: अभिलेख हमें हमारे अतीत से जोड़ते हैं। प्राचीन शिलालेख, ताम्रपत्र, और दस्तावेज़ हमारे इतिहास और संस्कृति को समझने में मदद करते हैं।
  2. कानूनी प्रमाण: अभिलेख कानूनी मामलों में सटीक प्रमाण के रूप में काम करते हैं। जैसे, जन्म प्रमाणपत्र, संपत्ति के कागजात, और अनुबंध।
  3. प्रशासनिक उपयोग: सरकारी और प्रशासनिक कार्यों में अभिलेखों का बड़ा महत्व है। ये योजनाओं को लागू करने और पारदर्शिता बनाए रखने में मदद करते हैं।
  4. शैक्षिक महत्व: स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में छात्रों के रिकॉर्ड रखने के लिए अभिलेखों का उपयोग होता है, जो उनकी शिक्षा और भविष्य की योजनाओं के लिए आवश्यक हैं।
  5. आर्थिक और व्यापारिक क्षेत्र: कंपनियों और व्यवसायों के लिए वित्तीय रिकॉर्ड और लेन-देन के अभिलेख व्यापार को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते हैं।

प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेख 

भारत में कई ऐसे अभिलेख पाएं गए हैं जो उस प्राचीन भारत की भाषा, संस्कृति और जीवन के बारे में जानकारी देते हैं। इसमें से कुछ प्रमुख ashok ke shilalekh, इलाहाबाद स्तंभ लेख, मेहरौली लौह स्तंभ, मंडसौर अभिलेख और अजन्ता अभिलेख हैं।

अशोक के शिलालेख (Ashoka’s Edicts)

Ashok ke Shilalekh प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण अभिलेखों में से एक हैं। ये शिलालेख मौर्य सम्राट अशोक द्वारा विभिन्न स्थानों पर पत्थरों और स्तंभों पर खुदवाए गए थे। इनका मुख्य उद्देश्य अशोक के धर्म, नीतियों और उनके शासन के संदेशों को जनता तक पहुँचाना था।

Ashok ke Shilalekho में बौद्ध धर्म के सिद्धांतों, अहिंसा, सह-अस्तित्व और दया जैसे विषयों पर जोर दिया गया है। इनमें अशोक के धार्मिक दृष्टिकोण और उनके द्वारा किए गए सामाजिक और नैतिक सुधारों का वर्णन मिलता है।

शिलालेखों की विशेषताएँ:

  • भाषा और लिपि: Ashok ke Shilalekh मुख्य रूप से प्राकृत भाषा में ब्राह्मी लिपि में लिखे गए हैं। कुछ शिलालेख खरोष्ठी, ग्रीक और अरामाइक लिपि में भी मिलते हैं।
  • स्थान: ये शिलालेख भारत, नेपाल, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के विभिन्न हिस्सों में पाए गए हैं।
  • संदेश: इनमें धर्म का प्रचार, नैतिकता का महत्व, पशु बलि पर रोक और प्रजा की भलाई के लिए किए गए कार्यों का वर्णन मिलता है।

प्रमुख शिलालेख:

  1. धौली और जौगड़: ओडिशा में स्थित ये शिलालेख अशोक की अहिंसा और धर्म के प्रचार के बारे में जानकारी देते हैं।
  2. सांची और सारनाथ: ये शिलालेख बौद्ध धर्म और स्तूपों के निर्माण से संबंधित हैं।
  3. गिरनार शिलालेख: गुजरात में स्थित, इसमें अशोक की प्रशासनिक नीतियों का वर्णन है।

इलाहाबाद स्तंभ लेख (Allahabad Pillar Inscription)

 इलाहाबाद स्तंभ लेख (जिसे प्रयागराज स्तंभ लेख भी कहा जाता है) भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण शिलालेख है। यह स्तंभ उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (पुराने नाम इलाहाबाद) में स्थित है। यह स्तंभ मौर्य सम्राट अशोक के समय का है और इसे भारतीय पुरातत्व का एक अद्भुत उदाहरण माना जाता है।

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इलाहाबाद स्तंभ की विशेषताएँ

  • प्राचीनता: यह स्तंभ मौर्य काल (3री शताब्दी ईसा पूर्व) का है और इसे सम्राट अशोक ने बनवाया था।
  • शिल्पकला: स्तंभ को एक ही पत्थर से तराशा गया है और इसकी ऊँचाई लगभग 35 फीट है। इसका निर्माण अत्यंत चिकने और चमकदार बलुआ पत्थर से हुआ है।
  • शिलालेखों की विविधता: इस स्तंभ पर केवल अशोक के शिलालेख ही नहीं, बल्कि गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त और मुग़ल सम्राट जहांगीर के भी लेख अंकित हैं।
  • धार्मिक महत्व: यह स्तंभ प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के पास स्थित है, जो हिंदू धर्म में पवित्र स्थान माना जाता है।

प्रमुख शिलालेख:

  1. Ashok ke shilalekh: अशोक ने इस स्तंभ पर अपने धर्मादेश (धम्म लेख) अंकित करवाए थे। अशोक ने इसमें अपनी प्रजा को नैतिक और धार्मिक जीवन जीने की प्रेरणा दी है।
  2. समुद्रगुप्त का प्रशस्ति लेख: गुप्त वंश के महान शासक समुद्रगुप्त ने अपनी विजय अभियानों और उपलब्धियों का वर्णन इस स्तंभ पर अंकित करवाया। इसे “प्रयाग प्रशस्ति” कहा जाता है। इसे हरिषेण नामक कवि ने लिखा था।
  3. जहांगीर का लेख: मुग़ल सम्राट जहांगीर ने इस स्तंभ पर अपने राज्याभिषेक का उल्लेख करवाया। यह लेख फ़ारसी भाषा में लिखा गया है।

मेहरौली लौह स्तंभ (Mehrauli Iron Pillar Inscription)

दिल्ली के कुतुब परिसर में स्थित मेहरौली लौह स्तंभ भारतीय वास्तुकला और विज्ञान का एक अद्वितीय उदाहरण है। यह स्तंभ लगभग 1600 साल पुराना है और इसे गुप्त साम्राज्य के राजा चंद्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के शासनकाल में बनवाया गया था। इसकी ऊंचाई लगभग 7.2 मीटर और वजन 6.5 टन है।

अभिलेख किसे कहते हैं

स्तंभ पर संस्कृत भाषा में ब्राह्मी लिपि में लिखे गए शिलालेख हैं। इनमें राजा चंद्रगुप्त द्वितीय के पराक्रम और उनकी विजय का वर्णन किया गया है। यह शिलालेख उस समय की राजनीति और समाज की जानकारी भी देते हैं।

मेहरौली लौह स्तंभ की विशेषताएँ

  • जंग रहित धातु: यह स्तंभ लोहे से बना है, लेकिन इतने वर्षों के बाद भी इसमें जंग नहीं लगी है। यह प्राचीन भारतीय धातु विज्ञान की उन्नत तकनीक को दर्शाता है।
  • सांस्कृतिक महत्व: स्तंभ पर मौजूद नक्काशी और शिलालेख उस समय की कला और संस्कृति की झलक देते हैं।
  • धार्मिक प्रतीक: इसे भगवान विष्णु को समर्पित किया गया है, जो उस समय की धार्मिक आस्थाओं को दर्शाता है।
  • संस्कृत में अंकित: इस स्तंभ पर संस्कृत भाषा में ब्राह्मी लिपि में शिलालेख अंकित हैं।

मंडसौर अभिलेख किसे कहते हैं? (Mandsaur Inscription)

मध्य प्रदेश के मंडसौर में स्थित यह अभिलेख भारतीय इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। इसे 5वीं शताब्दी में गुप्त साम्राज्य के समय राजा कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल में लिखा गया था। यह अभिलेख भगवान सूर्य को समर्पित एक मंदिर के निर्माण और उस समय की सामाजिक व्यवस्था का वर्णन करता है।

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मंडसौर अभिलेख की विशेषताएँ

  • साहित्यिक उत्कृष्टता: अभिलेख में संस्कृत भाषा और छंदों का अत्यधिक सुंदर प्रयोग किया गया है, जो उस समय की साहित्यिक परंपरा को दर्शाता है।
  • धार्मिक महत्व: इसमें सूर्य मंदिर के निर्माण और उसके लिए किए गए दान का उल्लेख है, जो उस समय की धार्मिक प्रवृत्तियों को उजागर करता है।
  • सामाजिक जानकारी: अभिलेख में स्थानीय समाज, व्यापारियों और शिल्पकारों के योगदान का वर्णन किया गया है, जो उस समय की आर्थिक और सामाजिक संरचना को समझने में मदद करता है।

अजन्ता अभिलेख (Ajanta Inscriptions)

अजन्ता अभिलेख भारतीय इतिहास और कला का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। ये अभिलेख महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित प्रसिद्ध अजन्ता गुफाओं में पाए जाते हैं। ये गुफाएँ 2वीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर 6वीं शताब्दी तक की बौद्ध संस्कृति और वास्तुकला को दर्शाती हैं।

अभिलेख किसे कहते हैं

अजन्ता अभिलेखों में राजा हरिषेण का उल्लेख प्रमुख है, जिन्होंने वाकाटक वंश के दौरान इन गुफाओं के निर्माण में योगदान दिया। इन अभिलेखों में बौद्ध धर्म के महायान और हीनयान संप्रदायों के विकास का भी वर्णन मिलता है।

अजन्ता अभिलेख की विशेषताएँ

  • धार्मिक महत्व: अजन्ता गुफाएँ मुख्यतः बौद्ध धर्म से जुड़ी हैं और अभिलेखों में भगवान बुद्ध के जीवन और उनके उपदेशों का वर्णन मिलता है।
  • चित्रकला और शिल्पकला: यहाँ की दीवारों पर की गई चित्रकारी और मूर्तियाँ अद्वितीय हैं, जो प्राचीन भारतीय कलाकारों की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।
  • संस्कृत और प्राकृत भाषा: अभिलेख संस्कृत और प्राकृत भाषा में लिखे गए हैं, जो उस समय की भाषाई समृद्धि को दर्शाते हैं।

प्राचीन भारतीय इतिहास में अभिलेखों की भूमिका | अभिलेख किसे कहते हैं?

प्राचीन भारतीय इतिहास में अभिलेखों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण रही है। अभिलेखों के कारण ही आज हम प्राचीन भारत की राजनीतिक व्यवस्था, सामाजिक संरचना, आर्थिक व्यवस्था, सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव को समझ पाए हैं।

राजनीतिक व्यवस्था

  • प्राचीन भारतीय इतिहास में अभिलेख राजनीतिक व्यवस्था को समझने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रहे हैं। 
  • ये अभिलेख शासकों के शासन, प्रशासनिक संरचना और राजनीतिक निर्णयों की गहरी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं।
  • मौर्य, गुप्त और चालुक्य जैसे साम्राज्यों के शिलालेख और ताम्रपत्र विभिन्न स्तरों पर शासन प्रणाली का विस्तृत चित्रण करते हैं।
  • इनमें राजाओं के अधिकार, कर व्यवस्था, न्याय प्रणाली और प्रशासनिक संरचना के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं।

सामाजिक संरचना

  • प्राचीन भारतीय इतिहास में अभिलेख समाज की जटिल संरचना को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। 
  • ये दस्तावेज़ वर्ण व्यवस्था, सामाजिक संबंधों, रीति-रिवाजों और लोगों के दैनिक जीवन पर अनमोल प्रकाश डालते हैं।
  • शिलालेख, ताम्रपत्र और अन्य अभिलेख ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र जैसी सामाजिक श्रेणियों के बीच संबंधों को दर्शाते हैं। 
  • इनसे पता चलता है कि किस प्रकार विभिन्न समूह समाज में अपनी भूमिका निभाते थे।
  • धार्मिक ग्रंथों और राजसी अभिलेखों में विवाह, त्योहार, व्यवसाय और सांस्कृतिक परंपराओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलती हैं, जो हमें प्राचीन भारतीय समाज की जीवंत तस्वीर प्रदान करती हैं।

आर्थिक व्यवस्था

  • ताम्रपत्र, शिलालेख और अन्य दस्तावेज़ उस समय के व्यापार, कृषि, कर प्रणाली और आर्थिक गतिविधियों पर अनमोल प्रकाश डालते हैं।
  • गुप्त और चालुक्य साम्राज्य के अभिलेखों में व्यापारिक मार्गों, बाज़ारों और वाणिज्य संबंधों की विस्तृत जानकारी मिलती है। 
  • कृषि संबंधी अभिलेख भूमि अधिकारों, सिंचाई व्यवस्था और कृषि पद्धतियों का विवरण प्रदान करते हैं।
  • मौर्य काल के अभिलेख कर संग्रह, राजस्व व्यवस्था और आर्थिक नीतियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं, जो प्राचीन भारत की जटिल और संगठित आर्थिक व्यवस्था को दर्शाते हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक प्रभाव

  • ये अभिलेख न केवल ऐतिहासिक तथ्य बयान करते हैं, बल्कि उस समय की गहरी आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भावनाओं को भी प्रतिबिंबित करते हैं।
  • विभिन्न धार्मिक परंपराओं के अभिलेख – बौद्ध, हिंदू और जैन ग्रंथों में – हमें उन समय की आध्यात्मिक खोज और दार्शनिक विचारधाराओं की झलक मिलती है। 
  • अशोक के शिलालेख, जो बौद्ध धर्म के मूल्यों और अहिंसा के सिद्धांतों को दर्शाते हैं, इसका एक उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
  • संगम साहित्य, ताम्रपत्र और शिलालेख तत्कालीन सामाजिक रीति-रिवाजों, त्योहारों, कला और संस्कृति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करते हैं। 
  • ये दस्तावेज़ हमें बताते हैं कि कैसे विभिन्न धार्मिक परंपराएँ समाज को आकार देती थीं और लोगों के जीवन में उनका क्या महत्व था।
  • प्राचीन मंदिरों, विहारों और स्तूपों के अभिलेख धार्मिक वास्तुकला और कलात्मक अभिव्यक्ति के अद्भुत उदाहरण हैं, जो हमारी सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक समृद्धि को दर्शाते हैं।

अभिलेख विज्ञान (Epigraphy) क्या है?

अभिलेख विज्ञान, जिसे Epigraphy कहा जाता है, वह विद्या है जिसमें प्राचीन अभिलेखों का अध्ययन, विश्लेषण और व्याख्या की जाती है। यह इतिहास, भाषा, समाज और संस्कृति को समझने का एक वैज्ञानिक तरीका है।

अभिलेख विज्ञान का महत्व:

  • यह हमें प्राचीन शासकों की राजनीतिक नीतियों, प्रशासनिक व्यवस्था और धार्मिक मान्यताओं की जानकारी देता है।
  • भाषा विकास, लिपियों का क्रमिक परिवर्तन और सामाजिक संरचना को समझने में मदद करता है।
  • कई अभिलेखों में तिथियाँ, शासनकाल, विजयों, और दानों का उल्लेख मिलता है, जो इतिहास को प्रमाणिक रूप से सिद्ध करते हैं।

प्रमुख उदाहरण:

अभिलेखस्थानमहत्व
अशोक के शिलालेखभारत के विभिन्न भागों मेंधम्म नीति का प्रचार
प्रयाग प्रशस्तिप्रयाग (अब इलाहाबाद)सम्राट समुद्रगुप्त की विजयगाथा
हथीगुंफा अभिलेखओडिशाखारवेल का उल्लेख

अभिलेख विज्ञान से जुड़े शब्द:

  • शिलालेख (Stone Inscription)
  • ताम्रपत्र (Copper Plate Inscription)
  • लेखन शैली (Brahmi, Kharoshthi, etc.)
  • संवत और तिथि (काल निर्धारण के संकेत)

निष्कर्ष (Conclusion)

अभिलेख हमारे इतिहास, संस्कृति और प्रशासन की अमूल्य धरोहर हैं। ये न केवल प्राचीन समय की घटनाओं और नीतियों का दस्तावेजीकरण करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सीख और संदर्भ का स्रोत भी बनते हैं। “अभिलेख किसे कहते हैं” यह समझना हमें हमारे अतीत से जोड़ता है और वर्तमान में बेहतर निर्णय लेने में मदद करता है। 

इस ब्लॉग में आपने अभिलेख किसे कहते हैं, अभिलेखों के प्रकार, अभिलेखों का क्या महत्व है, प्राचीन भारत के प्रमुख अभिलेख और प्राचीन भारतीय इतिहास में अभिलेखों की क्या भूमिका रही है के बारे में विस्तार से जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

शिलालेख और अभिलेख में क्या अंतर है?

शिलालेख: शिलालेख एक प्रकार का अभिलेख होता है जिसे किसी कठोर सतह जैसे पत्थर, धातु या मिट्टी की पट्टी पर उत्कीर्ण किया जाता है। ये आमतौर पर राजाओं, शासकों या धार्मिक संस्थानों द्वारा अपने कार्यों, आदेशों या उपलब्धियों को दर्ज करने के लिए बनाए जाते थे।

अभिलेख: अभिलेख एक व्यापक शब्द है जो किसी भी प्रकार के लिखित या उत्कीर्ण रिकॉर्ड को संदर्भित करता है। इसमें शिलालेख, ताम्रपत्र, मुद्राएं, और अन्य प्रकार के दस्तावेज शामिल हो सकते हैं।

कुल कितने अभिलेख हैं?

दुनिया भर में लाखों, यदि नहीं करोड़ों, अभिलेख हैं। नए अभिलेख लगातार खोजे जा रहे हैं और पुराने अभिलेखों का अध्ययन किया जा रहा है।

भारत का प्रथम अभिलेख कौन सा था?

अशोक के शिलालेख को भारत के सबसे पुराने और महत्वपूर्ण अभिलेखों में से एक माना जाता है।

भारत का सबसे बड़ा अभिलेख कौन सा है?

अशोक का 13वां शिलालेख सबसे बड़ा शिलालेख है।

अभिलेख के कितने प्रकार होते हैं?

शिलालेख, स्तंभालेख और गुफा अभिलेख। मौर्य सम्राट अशोक ने अपने शासनकाल (269 ई.पू. से 231 ई.पू.) के दौरान कुल 33 अभिलेखों की रचना करवाई, जिन्हें तीन श्रेणियों में बाँटा गया है: शिलालेख, स्तंभलेख और गुफा लेख।

अभिलेख की परिभाषा क्या है?

ऐसे अभिलेख जिन्हें किसी तथ्य, नीति या संस्थागत स्थिति या निर्णय को स्थापित करने के लिए कानूनी मान्यता प्राप्त हो और जो न्यायिक रूप से लागू किए जा सकें, उन्हें अभिलेख कहा जाता है।

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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