दीपावली भारत का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण त्योहार है। यह पर्व हमें सकारात्मकता, सच्चाई और अच्छाई अपनाने की प्रेरणा देता है।
यह पर्व भगवान श्रीराम के 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
दीपावली एकता, प्रेम और सामाजिक सौहार्द का संदेश देती है।
दीपावली केवल उत्सव नहीं, बल्कि जीवन में प्रकाश और उम्मीद का प्रतीक है।
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दिवाली भारत का एक महत्वपूर्ण और मनमोहक त्योहार है, जिसे अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक माना जाता है। इसे भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है, जब लोगों ने दीप जलाकर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया था। दीपावली की तैयारियाँ धनतेरस से प्रारंभ होती हैं, जिसमें घर की सफाई, सजावट, नए वस्त्र और स्वादिष्ट मिठाइयों की खरीदारी शामिल होती है। अमावस्या की रात, घरों और गलियों में दीपों की जगमगाहट होती है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति में एकता, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है, जो हमें अपने जीवन में सकारात्मकता, भलाई और खुशियों की रोशनी फैलाने की प्रेरणा देता है।
भारत के सबसे प्रमुख और प्रिय त्योहारों में से एक दीपावली, जिसे दीपों का उत्सव या दीपोत्सव भी कहा जाता है, मनाया जाता है। यह ऐतिहासिक पर्व भगवान राम के चौदह वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की स्मृति में मनाया जाता है। इस खास दिन पर, हिंदू अनुयायी अपने घरों को मिट्टी के दीयों की रोशनी और खूबसूरत रंगों की रंगोली से सजाते हैं।
दीपावली के दिन लोग माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं ताकि घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहे। बच्चे आतिशबाज़ियाँ चलाते हैं, परिवार के सदस्य उपहारों का आदान-प्रदान करते हैं और मिठाइयाँ बाँटते हैं। यह त्योहार केवल भौतिक रोशनी का नहीं, बल्कि आंतरिक प्रकाश और आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक भी है।
इस प्रकार, दीपावली न केवल खुशियों का त्योहार है बल्कि यह हमारे जीवन में नई उम्मीद, नई शुरुआत और सच्चे मानवीय मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा देता है।
दीपावली पर निबंध 2025 | Dipawali Per Nibandh
दिवाली, जो खुशियों का प्रतीक त्योहार है, अंधकार को दूर कर हमारे जीवन में प्रकाश लाता है। यहाँ दीपावली पर कुछ निबंधों के उदाहरण और नमूने प्रस्तुत किए जा रहे हैं, जो आपको निबंध लेखन में मदद करेंगे। ये निबंध दीपावली के ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाते हैं, साथ ही इस पर्व की तैयारी, उत्सव और भारतीय संस्कृति में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करते हैं। इन्हें पढ़कर विद्यार्थी और शिक्षक दोनों अपने लेखन और प्रस्तुति कौशल को सुधार सकते हैं।
दीपावली का अर्थ:-
दीपावली शब्द संस्कृत भाषा से बना है और इसका शाब्दिक अर्थ बहुत ही सीधा और सुंदर है। दीपावली दो शब्दों के मेल से बना है:-
दीप (Deepa): इसका अर्थ होता है दीपक (Diya) या प्रकाश (Light)।
अवली (Avali): इसका अर्थ होता है पंक्ति (Row) या श्रृंखला (Series)।
दिवाली क्यों मनाई जाती है? | दीपावली पर लेख
इस प्रकार, दीपावली का शाब्दिक अर्थ है:-
दीपक+पंक्ति= दीपकों की पंक्ति
इसीलिए इस त्योहार को ‘दीपोत्सव’ (दीपों का उत्सव) भी कहा जाता है, जहाँ लाखों दीपक जलाकर घरों, गलियों और मंदिरों को रोशन किया जाता है।
दीपावली पर निबंध 200 शब्दों में | Diwali Essay in Hindi
दिवाली सिर्फ दीप जलाने का पर्व नहीं, बल्कि दिलों में रोशनी भरने का उत्सव है। यह पर्व भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। जब श्रीरामजी 14 वर्षों के वनवास के बाद लौटे, तो लोगों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया। इसी परंपरा से आज भी दीपावली मनाई जाती है। दीपावली की तैयारियाँ धनतेरस से शुरू होती हैं। लोग घरों की सफाई करते हैं, नए कपड़े और मिठाइयाँ तैयार करते हैं। अमावस्या की रात घर-गली दीपों और रंगोली से जगमगाती हैं। लोग दीये जलाकर माँ लक्ष्मी की पूजा करते हैं, ताकि सुख, समृद्धि और खुशियाँ बनी रहें।
दीपावली केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी है। यह पर्व परिवार और समाज में प्रेम, भाईचारा और सहयोग की भावना को बढ़ाता है। दीपावली यह सिखाती है कि जैसे एक दीप अंधकार मिटा सकता है, वैसे ही एक नेक कार्य से समाज में परिवर्तन लाया जा सकता है। इस प्रकार, दीपावली हमारे जीवन में उल्लास, नैतिकता और सामाजिक सौहार्द का संदेश लेकर आती है।
हिंदू कैलेंडर के कई हिस्सों में, दिवाली के बाद का दिन (गोवर्धन पूजा) नए वित्तीय वर्ष की शुरुआत का प्रतीक होता है। व्यापारी अपने पुराने बही-खाते बंद करके नए खाते शुरू करते हैं।
दीपावली पर निबंध 300 शब्दों में | Deepawali Essay in Hindi
दीपावली, जिसे दीपों का त्यौहार भी कहा जाता है, भारत का सबसे लोकप्रिय और उल्लासपूर्ण पर्व है। यह त्योहार अंधकार पर प्रकाश, बुराई पर अच्छाई और अज्ञान पर ज्ञान की विजय का प्रतीक माना जाता है। दीपावली का अर्थ है- ‘दीपों की पंक्ति’। इस दिन घरों, गलियों और मंदिरों में दीपक जलाए जाते हैं, जिससे चारों ओर रोशनी और खुशियों का वातावरण बन जाता है।
दीपावली हमें यह सिखाती है कि जैसे दीपक अंधकार को दूर करता है, वैसे ही हमें अपने जीवन से अज्ञानता, अहंकार और नकारात्मकता को दूर कर ज्ञान, प्रेम और सच्चाई का प्रकाश फैलाना चाहिए। इस दिन का मुख्य संदेश है- “अंधकार पर प्रकाश की, असत्य पर सत्य की और बुराई पर अच्छाई की विजय।”
कुछ प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, छोटी दिवाली की रात को घर से गरीबी और दुर्भाग्य की देवी ‘अलक्ष्मी’ (जो लक्ष्मी की बड़ी बहन मानी जाती हैं) को बाहर निकाला जाता है और अगले दिन लक्ष्मी जी का आह्वान किया जाता है। घर की सफाई इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है।
दीपावली से कई धार्मिक कथाएँ जुड़ी हुई हैं:-
हिंदू धर्म में यह त्योहार भगवान श्रीराम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
जैन धर्म में यह दिन भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाया जाता है।
सिख धर्म में यह दिन गुरु हरगोबिंद जी की कैद से मुक्ति का प्रतीक है।
दक्षिण भारत में इसे भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध की याद में मनाया जाता है।
नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) के दिन घर का मुखिया मुख्य द्वार पर यमराज के लिए एक विशेष दीपक जलाता है। इसे यम दीपक कहते हैं। यह दीपक परिवार को अकाल मृत्यु से बचाने और यमराज का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए जलाया जाता है।
इस तरह दीपावली का हर धर्म और क्षेत्र में अपना अलग, किंतु समान रूप से पवित्र महत्व है। दिवाली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों का प्रतीक है। यह पर्व केवल खुशियों तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज में प्रेम, एकता और सद्भावना का संदेश भी देता है। दीपावली हमें सिखाती है कि अंधकार और बुराई पर प्रकाश और अच्छाई की हमेशा जीत होती है। यह हमें जीवन में सकारात्मकता फैलाने और खुशियाँ बाँटने की प्रेरणा देती है।
दीपावली पर निबंध 500 शब्दों में | Diwali par Nibandh Hindi Mein
परिचय
दीपावली, जिसे दीपोत्सव भी कहा जाता है, भारत का एक प्रमुख और उल्लासपूर्ण पर्व है। इसे अंधकार से प्रकाश की ओर जाने का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है। 14 वर्षों के वनवास और रावण वध के बाद जब श्रीराम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अयोध्या लौटे, तब अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया तभी से यह पर्व दीपावली के नाम से प्रसिद्ध हुआ। इसके अतिरिक्त, जैन धर्म के अनुयायी भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में भी दीपावली मनाते हैं।
दिवाली का धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक तीनों दृष्टि से विशेष महत्व है। व्यापारी इस दिन अपने नए लेखा-जोखा की शुरुआत करते हैं और इसे नववर्ष आरंभ का प्रतीक मानते हैं। यह पर्व हमें सिखाता है कि जैसे दीपक अंधकार को मिटाता है, वैसे ही हमें अपने भीतर के अंधकार जैसे क्रोध, ईर्ष्या और लालच को दूर करना चाहिए।
दीपावली की तैयारियाँ
दीपावली की तैयारियाँ आमतौर पर धनतेरस से शुरू होती हैं। इस दौरान लोग:
घरों की सफाई और रंगाई-पुताई करते हैं।
घरों और गलियों को सजाते हैं।
नए कपड़े और मिठाइयाँ तैयार करते हैं।
दीप और मोमबत्तियाँ जलाकर घर को रोशन करते हैं।
सिंपल रंगोली डिजाइन (simple rangoli design) बनाकर घर की खूबसूरती बढ़ाते हैं।
अमावस्या की रात, घरों और गलियों में दीपों की जगमगाहट और रंगोली से वातावरण उल्लास और खुशियों से भर जाता है।
धार्मिकऔरसांस्कृतिकमहत्व
धार्मिकमहत्व: भगवान श्रीराम के अयोध्या लौटने और लक्ष्मी पूजन का पर्व।
जैनधर्ममें: भगवान महावीर का निर्वाण दिवस।
सांस्कृतिकमहत्व: मिठाइयाँ, आतिशबाजी, रंगोली और दीयों से सजावट।
दीपावली भारतीय संस्कृति में एकता, प्रेम और सद्भावना का प्रतीक है। लोग एक-दूसरे को शुभकामनाएँ देते हैं और समाज में सौहार्द की भावना फैलाते हैं।
दीपावलीकासामाजिकऔरप्रेरकपहलू
परिवार और मित्रों के साथ मिलकर खुशियाँ बाँटना।
अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने और जीवन में सकारात्मकता बनाए रखने की प्रेरणा देना।
जीवन में अच्छाई और बुराई, सकारात्मकता और नकारात्मकता के बीच संतुलन सिखाना।
दीपावली सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि जीवन को प्रकाश, प्रेम और सकारात्मकता से भरने का संदेश देती है। यह हमें याद दिलाती है कि जब हम अपने भीतर की अच्छाई को जलाते हैं, तभी सच्ची दीपावली मनाई जाती है। इस प्रकार, दीपावली भारत की संस्कृति, परंपरा और आध्यात्मिकता का प्रतीक बनकर हर वर्ष हमारे जीवन में नई उम्मीदें और खुशियाँ लेकर आती है।
दीपावली हमें यह सिखाती है कि हमें अपने भीतर से अज्ञानता, ईर्ष्या और अहंकार के अंधकार को दूर कर ज्ञान, प्रेम और सच्चाई के प्रकाश को फैलाना चाहिए। यह न केवल बाहरी प्रकाश का, बल्कि आंतरिक जागृति और सकारात्मकता का पर्व है। यह हमारी संस्कृति का वह दीप है जो हर साल जीवन में नई आशाएँ और खुशियाँ लेकर आता है।
दिवाली पर निबंध 10 लाइन | Diwali par Anuchchhed 10 Lines
दीपावली भारत का सबसे प्रमुख और पवित्र त्योहार है।
इसे “प्रकाश का पर्व” कहा जाता है क्योंकि इस दिन चारों ओर दीप जलाए जाते हैं।
यह त्योहार भगवान राम के 14 वर्ष के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाया जाता है।
दिवाली के दिन लोग अपने घरों की सफाई और सजावट करते हैं।
इस दिन लोग नई चीज़ें खरीदते हैं और लक्ष्मी-गणेश जी की पूजा करते हैं।
रात में दीपक और पटाखों से पूरा आसमान जगमगा उठता है।
लोग अपने मित्रों और रिश्तेदारों को मिठाइयाँ और उपहार देते हैं।
दिवाली हमें अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश देती है।
इस दिन समाज में प्रेम, भाईचारा और खुशी का माहौल बनता है।
हमें दीपावली को पर्यावरण के अनुकूल और सुरक्षित तरीके से मनाना चाहिए।
दीपावली के पाँच दिन और उनका महत्व
धनतेरस :- धनतेरस दीपावली का पहला दिन होता है। इस दिन धन और स्वास्थ्य की देवी लक्ष्मी माता और आयुर्वेद के देवता धनवंतरि देव की पूजा की जाती है। लोग सोना, चांदी या नए बर्तन खरीदते हैं, क्योंकि इसे शुभ और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इस दिन से दीपावली की तैयारियाँ शुरू होती हैं।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीपावली):- दीपावली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी या छोटी दीपावली कहलाता है। यह दिन बुराई और नकारात्मकता पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने नरकासुर नामक राक्षस का वध करके लोगों को मुक्ति दिलाई थी। इस दिन लोग सुबह स्नान करते हैं और घर की साफ-सफाई करके बुराई दूर करने का प्रतीक करते हैं।
मुख्य दीपावली:- दीपावली का तीसरा दिन मुख्य और सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। घरों और गलियों में दीप जलाए जाते हैं ताकि घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का वास हो। इस दिन विशेष रूप से लोग अपने घरों को सजाते हैं और रात में दियों की जगमगाहट देखते हैं।
गोवर्धन पूजा:- दीपावली के चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है। यह पर्व भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत उठाने की स्मृति में मनाया जाता है। लोग गोवर्धन या पहाड़ी आकार का मिट्टी का ढांचा बनाकर पूजा करते हैं। यह दिन प्रकृति के सम्मान और परोपकार का प्रतीक भी माना जाता है।
भाई दूज:-दीपावली का पाँचवाँ और अंतिम दिन भाई दूजमनाया जाता है। यह भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का पर्व है। बहनें अपने भाइयों की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए तिलक करती हैं और भाई उन्हें उपहार देते हैं। यह पर्व परिवार और रिश्तों में प्रेम और एकता को मजबूत करता है।
दिवाली स्पेशल रंगोली डिज़ाइन – घर सजाने के लिए बेहतरीन आइडियाज़ | New Rangoli Designs Easy
रंगोली भारतीय संस्कृति की एक सुंदर परंपरा है, जो रंगों और कलात्मकता से घर की सुंदरता बढ़ाते हुए शुभता और सकारात्मकता का प्रतीक बनती है। नीचे कुछ नए और आकर्षक रंगोली डिज़ाइन्स दिए गए हैं, जो आपके घर की खूबसूरती और त्योहार की रौनक को और बढ़ा देंगे।
रंगोली घर की खूबसूरती बढ़ाने और त्योहारों में खुशियाँ बिखेरने का एक पारंपरिक तरीका है, जो रंगों से सजे दिलों की अभिव्यक्ति बन जाता है।
दिवाली शुभकामनाएं | Diwali Wishes in Hindi 10 wishes
क्रमसंख्या
शुभकामनासंदेश
1
दीपों से सजा हर एक द्वार हो, खुशियों से भरा आपका संसार हो। शुभ दीपावली!
2
रौशनी लाए नई उम्मीदें और प्यार,हर दिन बने आपके जीवन का त्यौहार।
3
लक्ष्मी का वास हो, गणेश का साथ हो,सफलता हर दिन आपके पास हो। शुभ दीपावली!
4
अंधकार से प्रकाश की ओर चलें,दिल से दिल की दूरियाँ हर पल गलें।
5
दीप जलाएं, दिल मिलाएं,नफ़रत भूलें, प्रेम अपनाएं।
6
मिठास हो रिश्तों में ऐसी,जैसे मिठाई हर दीपावली जैसी। शुभ दीपावली!
7
घर आँगन में दीपों की बारात हो,खुशियों की हर रात साथ हो।
8
यह पर्व लाए सुख समृद्धि अपार,हर ख्वाब हो अब साकार।
9
दीप जलें और दिलों में उजाला हो,हर दुख दूर, हर सपना प्यारा हो।
10
प्रेम और भाईचारे की हो बूँदें,दीपावली लाए सौगातें अनगिनत। शुभ दीपावली!
पर्यावरण अनुकूल दीपावली | Deepawali in Hindi
दीवाली भारत का एक प्रमुख पर्व है जिसे रोशनी, मिठास और उत्साह के साथ मनाया जाता है। परंतु पिछले कुछ वर्षों में परंपरागत पटाखों के कारण वायु और ध्वनि प्रदूषण में भारी वृद्धि देखी गई है, जिससे मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसी चिंता को ध्यान में रखते हुए अब “ग्रीन पटाखों” का चलन बढ़ रहा है, जो पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम हानिकारक होते हैं। ग्रीन पटाखे ऐसे रासायनिक संयोजनों से बनाए जाते हैं जिनसे कम धुआँ, कम आवाज़ और कम प्रदूषण होता है। यह एक सकारात्मक कदम है, जिससे हम अपनी परंपराओं को बनाए रखते हुए पर्यावरण की रक्षा भी कर सकते हैं।
ग्रीन पटाखे
ग्रीन पटाखे वे आतिशबाज़ियाँ होती हैं जिन्हें वैज्ञानिक तरीकों से इस प्रकार डिज़ाइन किया गया है कि ये पारंपरिक पटाखों की तुलना में कम प्रदूषण फैलाएँ। ये पटाखे पर्यावरण के लिए अपेक्षाकृत सुरक्षित होते हैं क्योंकि इनमें हानिकारक रसायनों की मात्रा कम होती है और ये कम ध्वनि और कम धुएँ के साथ जलते हैं।
मुख्य विशेषताएँ:
इनमें सल्फर और नाइट्रेट जैसे हानिकारक रसायनों का उपयोग बहुत कम या नहीं होता।
इनसे निकलने वाला ध्वनि स्तर 110 डेसिबल से कम होता है, जो कानों के लिए सुरक्षित माना जाता है।
इनसे उत्पन्न धूल और हानिकारक गैसें, जैसे PM 2.5 और PM 10, पारंपरिक पटाखों की तुलना में काफी कम होती हैं।
विकास और प्रमाणन:
ग्रीन पटाखों का विकास भारत के वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) की प्रयोगशालाओं जैसे NEERI और CEERI द्वारा किया गया है। इन पटाखों पर एक QR कोड होता है, जिससे उपभोक्ता यह सत्यापित कर सकते हैं कि पटाखा ग्रीन है या नहीं।
उद्देश्य:
इन पटाखों का मुख्य उद्देश्य त्योहारों के उल्लास को बनाए रखते हुए प्रदूषण को कम करना और पर्यावरण के साथ-साथ लोगों के स्वास्थ्य की रक्षा करना है।
दीपावली से जुड़े रोचक तथ्य | Facts About Diwali in Hindi
दीपावली, जिसे ‘दीपों का त्योहार’ भी कहा जाता है, केवल भारत तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दुनिया भर में एक अलग ही अंदाज़ में मनाया जाता है। यहाँ इस त्योहार से जुड़े कुछ रोचक तथ्य दिए गए हैं:-
दीपावली पाँच दिनों तक मनाई जाती है – धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज तक यह त्योहार चलता है।
लक्ष्मी माता और भगवान गणेश की पूजा होती है – इस दिन लोग समृद्धि और ज्ञान की प्राप्ति के लिए पूजा करते हैं।
भारत के अलावा कई देशों में भी मनाई जाती है – जैसे नेपाल, श्रीलंका, मलेशिया, सिंगापुर, फिजी और मॉरीशस।
व्यापारियों के लिए नया वित्तीय वर्ष – दीपावली के दिन कई व्यापारी नया बहीखाता (लेखाजोखा) शुरू करते हैं।
दीपावली पर पर्यावरण अनुकूल उत्सव का महत्व बढ़ा है – अब लोग इको-फ्रेंडली सजावट और कम प्रदूषण वाले दीपोत्सव को बढ़ावा दे रहे हैं।
सिखों के लिए ‘बंदी छोड़ दिवस’ के रूप में प्रसिद्ध – इस दिन गुरु हरगोबिंद सिंह जी ने कई बंदियों को आज़ाद कराया था।
जैन धर्म में भगवान महावीर के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है – इसलिए यह जैन समुदाय के लिए भी पवित्र पर्व है।
बंगाल में देवी काली की पूजा का दिन – पश्चिम बंगाल और असम में दीपावली को ‘काली पूजा’ के रूप में मनाया जाता है।
दीपावली रोशनी और सकारात्मकता का प्रतीक है – यह हमें सिखाती है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर विजय पाती है।
भारत के अलग-अलग राज्यों में दीपावली का अनोखा उत्सव
भारत के विभिन्न क्षेत्रों में दिवाली मनाने के तरीके और इसके पीछे की कहानियाँ अलग-अलग हैं, जो इस त्योहार को बहुआयामी बनाती हैं:-
क्षेत्र
मुख्य पर्व / परंपरा
दीपावली का प्रमुख कारण / विशेषता
उत्तर भारत
भगवान राम की अयोध्या वापसी
यहाँ दिवाली मुख्य रूप से 14 वर्ष के वनवास के बाद भगवान राम की अयोध्या वापसी के रूप में मनाई जाती है। घरों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा, दीप जलाना और भव्य रामलीला का मंचन प्रमुख होता है।
पश्चिम भारत (गुजरात, महाराष्ट्र)
व्यापारिक वर्ष का अंत / चोपड़ा पूजा
यहाँ दिवाली पारंपरिक रूप से वित्तीय वर्ष के अंत के रूप में मनाई जाती है। व्यापारी वर्ग खाता-बही (लेखा-पुस्तकों) की पूजा करते हैं, जिसे चोपड़ा पूजा कहा जाता है। गुजरात में दिवाली के पाँच दिन बाद लाभ पंचम से नए व्यापारिक वर्ष की शुरुआत होती है।
पूर्व भारत (बंगाल, ओडिशा)
काली पूजा / श्यामा पूजा
पश्चिम बंगाल और ओडिशा में दीपावली मुख्य रूप से काली पूजा या श्यामा पूजा के रूप में मनाई जाती है। यह पूजा सूर्यास्त के बाद होती है और काली माता को मिठाइयों के साथ-साथ मांसाहारी भोजन भी चढ़ाया जाता है।
दक्षिण भारत (तमिलनाडु, कर्नाटक)
नरकासुर वध / बाली चतुर्दशी
यहाँ दीपावली को नरक चतुर्दशी के रूप में मनाते हैं। तमिलनाडु में यह भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस के वध का प्रतीक है, जबकि कर्नाटक में इसे बाली चतुर्दशी कहा जाता है। इस दिन उबटन से स्नान, नए कपड़े पहनना और स्वास्थ्य व समृद्धि की कामना करना प्रमुख है।
मध्य भारत (मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़)
यमराज को दीपदान
यहाँ पाँच दिन के इस पर्व में धनतेरस के दिन यमराज के नाम का एक दीया घर के मुख्य द्वार पर लगाने का रिवाज है, ताकि घर में मृत्यु का प्रवेश न हो।
भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर त्यौहार अपनी अलग छटा बिखेरता है। दीपावली भी ऐसा ही एक पर्व है, जिसे देश के हर कोने में अलग-अलग परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। कुछ राज्यों में दीपावली नए साल की शुरुआत का प्रतीक है, तो कुछ स्थानों पर इसे फसल उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यही विविधता भारत की संस्कृति को और भी समृद्ध और अद्भुत बनाती है।
दीपावली पर भाषण (Diwali Speech in Hindi)
नमस्कार! मंच पर उपस्थित सभी शिक्षकगण, अभिभावकगण और मेरे प्यारे साथियों को मेरा सादर नमस्कार।
आज मैं यहाँ भारत के सबसे पवित्र और प्रकाशमय त्योहार दीपावली के विषय में कुछ शब्द कहने के लिए उपस्थित हुआ/हुई हूँ। दीपावली का त्योहार अंधकार पर प्रकाश की, अज्ञान पर ज्ञान की, और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है। यह पर्व हमें सिखाता है, कि चाहे जीवन में कितना भी अंधकार क्यों न हो एक छोटा सा दीपक भी उसे मिटा सकता है।
हम सब जानते हैं, कि जब भगवान श्रीराम 14 वर्ष के वनवास और रावण वध के बाद अयोध्या लौटे थे। तब पूरे नगर को दीपों से सजाया गया था। उसी दिन से हर वर्ष यह पर्व दीयों का त्योहार बन गया। इस दिन लोग अपने घरों को दीपों, रंगोली और मिठाइयों से सजाते हैं और माँ लक्ष्मी एवं भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
दीपावली केवल खुशियों का पर्व नहीं, बल्कि सदाचार, दया, प्रेम और एकता का भी प्रतीक है। हमें इस दिन केवल घर नहीं, बल्कि अपने मन को भी रोशनी से भरना चाहिए मन से ईर्ष्या, क्रोध और नफरत का अंधकार मिटाना चाहिए। आज के समय में हमें यह भी याद रखना चाहिए कि दीपावली का असली आनंद प्रदूषण फैलाने में नहीं, बल्कि प्रेम बाँटने में है। हमें पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली दीपावली मनानी चाहिए।
“दीप जलाओ, दिलों को रोशन करो, हर चेहरे पर मुस्कान का दीप जलाओ।”
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! धन्यवाद।
दीपावली का इतिहास | History of Diwali
दीपावली केवल एक धार्मिक त्योहार नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक भी है। इसके इतिहास में कई कथाएँ और धार्मिक महत्त्व जुड़ी हुई हैं, जो इसे विशेष बनाती हैं।
1. भगवान राम का अयोध्या लौटना
दीपावली सबसे पहले भगवान राम की 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटने की खुशी में मनाई गई थी। लोग घरों और गलियों को दीपकों से सजाकर उनका स्वागत करते थे। यही कारण है कि दीपावली को प्रकाश का पर्व कहा जाता है।
2. भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कथा
हिंदू धर्म में यह माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप राक्षस का वध किया और सृष्टि में धर्म की स्थापना की। इसके अलावा, दीपावली को लक्ष्मी माता का दिन भी माना जाता है। इस दिन लोग लक्ष्मी पूजन करके धन, सुख और समृद्धि की कामना करते हैं।
3. नरक चतुर्दशी और भगवान कृष्ण की कथा
दक्षिण भारत में दिवाली से एक दिन पहले नरक चतुर्दशी मनाई जाती है। इसे भगवान कृष्ण द्वारा नरकासुर राक्षस का वध करने की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन अंधकार पर प्रकाश और बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है।
4. जैन धर्म में दीपावली का महत्व
जैन धर्म में दीपावली महावीर स्वामी के निर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। यह दिन जैन अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र माना जाता है और इस दिन मंदिरों में दीप जलाकर महावीर स्वामी की स्मृति में श्रद्धांजलि दी जाती है।
5. सिख धर्म में दीपावली का महत्व
सिख धर्म में दीपावली गुरु हरगोबिंद जी की रिहाई के अवसर पर मनाई जाती है। जेल से उनके मुक्त होने और सिखों को न्याय और स्वतंत्रता मिलने के प्रतीक के रूप में यह त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।
लेखक का संदेश (Author’s Message):-
प्रिय पाठकों,
दीपावली पर निबंध के माध्यम से मेरा उद्देश्य सिर्फ एक त्यौहार का वर्णन करना नहीं, बल्कि उसके पीछे छिपे सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और सामाजिक संदेश को आप तक पहुँचाना है। दीपावली केवल दीपों का त्यौहार नहीं, बल्कि यह अंधकार पर प्रकाश, असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस लेख के माध्यम से मैं सभी पाठकों से यही आग्रह करना चाहता हूँ कि इस दीपोत्सव पर केवल घर ही नहीं, बल्कि अपने मन और समाज को भी रोशनी से भर दें।
आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ! -आकृति जैन
दीपावली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि प्रकाश, प्रेम, स्वच्छता और सद्भाव का प्रतीक है। दीवाली केवल दीयों की रौशनी नहीं, बल्कि दिलों में खुशियों की रौशनी जलाने का पर्व है। यह हमें याद दिलाती है कि अच्छाई हमेशा बुराई पर जीतती है, और प्यार, भाईचारा और उमंग से ही जीवन सवेरा बनता है। यह दीपावली पर निबंध हमें यह सिखाता है कि उत्सव केवल रोशनी तक सीमित नहीं, बल्कि हमारे व्यवहार और संस्कारों में भी जगमगाहट लाता है। तो आइए, इस दीवाली रोशनी के साथ अपने दिलों को भी जगमगाएँ!
हमें इसे उत्सव के साथ-साथ पर्यावरण और समाज के प्रति जिम्मेदारी निभाते हुए मनाना चाहिए। जब हर व्यक्ति अपने भीतर का अंधकार मिटाकर ज्ञान और प्रेम का दीप जलाएगा, तभी सच्चे अर्थों में दीपावली का संदेश पूरा होगा।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
दीपावली कब मनाई जाती है?
दीपावली का पर्व हिन्दू कैलेंडर के अनुसार कार्तिक माह की अमावस्या को मनाया जाता है, जो अक्टूबर और नवम्बर के बीच आता है। इस वर्ष, दीपावली 2025, 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
दीपावली पर घर में क्यों दीप जलाए जाते हैं?
दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह दीपों की लौ नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है और घर को शुद्ध करती है।
दीपावली पर कौन-कौन से पकवान बनते हैं?
दीपावली पर विभिन्न प्रकार के मिठे पकवान जैसे लड्डू, बर्फी, हलवा, समोसा, कचोरी आदि बनते हैं। इनका आदान-प्रदान रिश्तों को मजबूत करता है।
दिवाली 2025 में कब है?
दीपावली 2025 का पर्व 20 अक्टूबर, सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन कार्तिक माह की अमावस्या तिथि दोपहर 3:44 बजे से आरंभ होकर 21 अक्टूबर को शाम 5:54 बजे तक रहेगी। हालांकि अमावस्या तिथि 21 अक्टूबर तक रहेगी, लेकिन 20 अक्टूबर को ही प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त उपलब्ध है, इसलिए इस दिन दीपावली मनाना शास्त्रसम्मत माना गया है।
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त (20 अक्टूबर 2025)
प्रदोष काल: शाम 5:46 बजे से रात 8:18 बजे तक लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 7:08 बजे से 8:18 बजे तक
दीपावली के दौरान कौन-कौन सी पूजा की जाती है?
दीपावली की रात लक्ष्मी-गणेश पूजा की जाती है। इसके अलावा दक्षिण भारत में कृष्ण और नरकासुर वध, बंगाल में काली पूजा, तथा जैन धर्म में महावीर निर्वाण दिवस मनाया जाता है।
पर्यावरण के अनुकूल दीपावली (Eco-friendly Diwali) क्या होती है?
ऐसी दीपावली जिसमें पटाखों के बजाय मिट्टी के दीये, प्राकृतिक रंग और जैविक सजावट का उपयोग किया जाता है, ताकि प्रदूषण न हो – उसे पर्यावरण-अनुकूल दीपावली कहा जाता है।
Authored by, Aakriti Jain Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.