Quick Summary
अक्सर हम लोगों से यह सुनते हैं कि उनके यहां बादल फट गया है या फट गया था। लेकिन कई बार हम सोच में पड़ जाते हैं कि यह “बादल फटना” क्या होता है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं, तो आइए, हम आपको बताते हैं कि बादल फटना किसे कहते हैं। साथ ही हम यह भी समझेंगे कि बादल कैसे बनते हैं और बादल फटने के कारण क्या होते हैं।
बादल फटना (Cloudburst in Hindi) एक ऐसी प्राकृतिक घटना है जिसमें बेहद कम समय में भारी मात्रा में वर्षा होती है, और यह आमतौर पर स्थानीय और अचानक होती है। यह घटना विशेष रूप से पर्वतीय क्षेत्रों में अधिक देखी जाती है, जहां ऊपरी और निचले वायुमंडल के तापमान में अंतर के कारण क्यूम्यलोनिम्बस बादलों का निर्माण होता है।
बादल कैसे बनते हैं, यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। यह तब बनते हैं जब वायुमंडल में मौजूद जलवाष्प ठंडा होकर तरल रूप में बदलता है। यह प्रक्रिया कंडेन्सेशन (Condensation) के रूप में जानी जाती है। जब सूरज की गर्मी से पानी वाष्पित होता है, तो यह जलवाष्प ऊपर की ओर उठता है।
जब यह वायुमंडल के ठंडे हिस्से में पहुँचता है, तो यह कंडेन्स होकर छोटे-छोटे पानी के बूँदों या बर्फ के कणों में बदल जाता है। ये कण मिलकर बादल बनाते हैं। यदि यह पानी का कण बहुत बड़ा हो जाता है, तो वह पृथ्वी की ओर गिरने लगता है, जिससे बारिश होती है। इस बादल बनने की प्रक्रिया में वायुमंडलीय परिस्थितियाँ जैसे तापमान, ह्यूमिडिटी और हवा की गति प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
बादल फटना एक भू-जल विज्ञान संबंधी खतरनाक प्राकृतिक घटना है, जिसमें बेहद तेज़ और भारी वर्षा अचानक होती है। इसकी तीव्रता और तबाही का स्तर कई बार काफी भयानक होता है।
भारत में यह घटना मुख्यतः दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान, खासकर जून के महीने में देखने को मिलती है।
क्लाउडबर्स्ट की पहले से सटीक भविष्यवाणी करना बेहद कठिन होता है क्योंकि यह अचानक, तीव्र बल के साथ घटित होता है और इसके कारण तेज बाढ़ और ज़मीन के कटाव से भारी नुकसान होता है।
बादल तब फटता है जब उसमें संचित पानी या बर्फ के कण इतनी अधिक मात्रा में इकट्ठा हो जाते हैं कि वे बादल का दबाव बढ़ा देते हैं। यह घटना आमतौर पर तब होती है जब बादल में ह्यूमिडिटी (नमी) अत्यधिक बढ़ जाती है और उसमें ठंडी हवाएँ या तात्कालिक मौसम की स्थिति परिवर्तन होती है। जब बादल के अंदर दबाव इतना बढ़ जाता है कि वह पानी या बर्फ के कणों को नियंत्रित नहीं कर सकता, तो वह अचानक फट जाता है और पानी या बर्फ बूंदों के रूप में गिरने लगता है। इस प्रक्रिया के कारण भारी बारिश या बर्फबारी हो सकती है, जिसे हम बादल फटना कहते हैं।
अगर आप सोच रहे हैं कि बादल फटना किसे कहते हैं? तो बता दें कि यह एक प्राकृतिक घटना है, जब बादल के भीतर संचित जलवाष्प या बर्फ के कण एक सीमा तक इकट्ठा हो जाते हैं, और वायुमंडल की स्थितियाँ उन्हें धरती की ओर गिरने के लिए प्रेरित करती हैं। इस दौरान बादल का दबाव इतना बढ़ जाता है कि वह फट कर बारिश, ओले या बर्फ के रूप में पानी का भारी प्रवाह छोड़ता है। इसे बादल फटना कहते हैं। यह विशेष रूप से मानसून और गर्मी के मौसम में देखा जाता है, जब हवा की गति और तापमान में अचानक परिवर्तन होते हैं, जिससे बादल अचानक फट जाते हैं और बारिश होती है।
बादल फटने की कुछ विशेषताओं पर नीचे चर्चा की गई है:
बादल फटना और बारिश होना दोनों मौसम से संबंधित घटनाएँ हैं, लेकिन इनका अर्थ और प्रक्रिया अलग होती है।
इसका मतलब है कि बादल में मौजूद जलवाष्प के कण इतने अधिक हो जाते हैं कि बादल में अधिक पानी भरने की वजह से वह बादल फट जाता है। यह एक तीव्र और अचानक होने वाली घटना है, जिससे बारिश या बर्फबारी होती है।
बारिश एक सामान्य मौसमीय प्रक्रिया है, जिसमें बादल से पानी के बूँदें धरती पर गिरती हैं। यह तब होता है जब बादल में जलवाष्प संकेंद्रित होकर ठंडा हो जाता है और बूंदों के रूप में बदल जाता है, जो पृथ्वी पर गिरने लगती है।
बादल फटना एक जटिल प्राकृतिक घटना है, जो कई कारणों से हो सकता है। यह हम बादल फटने के कारणों पर एक नजर डाल रहे हैं।
भौगोलिक संरचना भी बादल फटने के कारणों में शामिल होती है। पर्वतीय क्षेत्र और घाटियाँ विशेष रूप से इस घटना के लिए संवेदनशील होती हैं। जब ह्यूमिडिटी हवा पर्वतों की ओर उठती है, तो वह ठंडी होती जाती है और बादल बनने लगते हैं। अगर यह बादल बहुत भारी हो जाते हैं और उनके भीतर पानी के कणों का दबाव बढ़ जाता है, तो वे अचानक फट सकते हैं। इसके परिणामस्वरूप भारी बारिश हो सकती है, विशेषकर उन स्थानों पर जहां नदियाँ और झीलें स्थित हैं।
जलवायु परिवर्तन भी बादल फटने के कारण के रूप में सामने आता है। जब पृथ्वी का औसत तापमान बढ़ता है, तो वायुमंडल में अधिक पानी वाष्पित होता है, जिससे अधिक नमी उत्पन्न होती है। इस नमी के कारण बादल तेजी से बनते हैं और इनका आकार भी बढ़ता है। इन बदलावों के कारण बादल में संचित जलवाष्प बहुत अधिक हो सकता है, जिससे बादल फटने की संभावना बढ़ जाती है।
बादल फटना प्राकृतिक आपदाओं में से एक है, जिसके गंभीर प्रभाव पर्यावरण, मानव जीवन और कृषि पर पड़ सकते हैं। यह घटना जलवायु परिवर्तन, मानसून और अन्य मौसमीय कारकों के साथ जुड़ी होती है। बादल फटने के प्रभाव काफी व्यापक होते हैं और इसके परिणामस्वरूप बहुत सी नकारात्मक स्थितियाँ उत्पन्न हो सकती हैं।
लगातार और हिंसक बारिश के कारण भारी बाढ़ आ सकती है जो खतरनाक हो सकती है। बादल फटने के बाद के प्रभाव इस प्रकार हो सकते हैं-
पहाड़ी इलाकों में बादल फटना विनाशकारी हो सकता है और जान-माल को भारी नुकसान पहुँचा सकता है क्योंकि ज़्यादातर पानी घाटियों और नालों में जमा हो जाता है। इससे उस क्षेत्र की वनस्पतियों और जीवों और सार्वजनिक उपयोगिताओं को नुकसान पहुँच सकता है।
यह कम दबाव वाले क्षेत्रों के बनने के कारण पहाड़ियों और पहाड़ों जैसे उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में होता है। ये कम दबाव वाले क्षेत्र पहाड़ों की चोटी पर बहुत अधिक बल के साथ बादलों को जमा करते हैं और परिणामस्वरूप भूगर्भीय वर्षा होती है। एक निश्चित बादल फटने पर लगभग 5 सेमी की बड़ी बारिश की बूंदें बन सकती हैं।
भारत में, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू और कश्मीर जैसे राज्यों में बादल फटना होता है। हिमालयी क्षेत्रों में यह एक सामान्य घटना है, खासकर गढ़वाल और कुमाऊं हिमालय में। मानसून के दौरान वे सबसे अधिक प्रभावित होते हैं।
बादल फटने जैसी प्राकृतिक आपदाओं को पूरी तरह से रोकना संभव नहीं है, लेकिन इसके प्रभाव को कम करने के लिए वर्तमान में कई उपाय लागू किए गए हैं। इन उपायों का उद्देश्य न केवल आपदा के दौरान बल्कि उसके बाद भी लोगों की सुरक्षा और पुनर्वास सुनिश्चित करना है।
इन उपायों के माध्यम से न केवल बादल फटने के प्रभाव को कम किया जा सकता है, बल्कि आपदा के दौरान और उसके बाद राहत और पुनर्वास को भी सुनिश्चित किया जा सकता है।
भारत में हाल ही में हुए बादल फटने के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
| भारत में हाल के बादल फटने की सूची | |
| तारीख | बादल फटने की घटना |
| 4 मई 2018 | कर्नाटक के बेलगावी में बादल फटने की घटना हुई, जहां मौसम केंद्र ने एक घंटे के भीतर 95 मिमी बारिश दर्ज की। |
| 12 मई 2021 | उत्तराखंड के चमोली और टिहरी जिलों में बादल फटने की खबर आई है। |
| 28 जुलाई 2021 | जम्मू-कश्मीर के किश्वर जिले में एक भीषण बादल फटा। यह एक घातक आपदा थी जिसमें कम से कम 26 लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए। |
| 8 जुलाई 2022 | जम्मू और कश्मीर में श्री अमरनाथ मंदिर के मार्ग पर पहलगाम क्षेत्र में बादल फटने से कम से कम आठ लोग मारे गए। |
| अगस्त 2022 | हिमाचल प्रदेश के विभिन्न जिलों से अचानक बाढ़ और बादल फटने की सूचना मिली है। |
बादल फटना एक प्राकृतिक घटना है, जिसे पूरी तरह से रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन विज्ञान और तकनीकी उपायों की मदद से इसके प्रभावों को कम किया जा सकता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बादल फटने की घटना को समझने और भविष्य में इससे निपटने के लिए नई तकनीकों, जलवायु परिवर्तन की रणनीतियों और सतत विकास पर जोर दिया जा रहा है।
बादल फटना एक गंभीर प्राकृतिक घटना है, जिसका पर्यावरण, मानव जीवन और कृषि पर प्रभाव पड़ता है। ऐसी प्राकृतिक घटनाओं को पूरी तरह से रोकी नहीं जा सकतीं है। लेकिन हम बेहतर तकनीक को अपनाकर इस समस्या से बच सकते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि आपको बादल फटना किसे कहते है, इससे जुड़ी पूरी जानकारी मिल गई होगी। ऐसे ही जानकारी के लिए हमारे लेख को बढ़ते रहें।
बादल फटना (Cloudburst in Hindi) एक स्वतःस्फूर्त और बहुत भारी वर्षा है जो प्रकृति में कम समय अवधि में स्थानीय होती है।
ऐसा तब होता है जब गर्म हवा की धाराएँ बारिश की बूंदों को गिरने से रोकती हैं और पानी जमा होने लगता है। जब ऊपर की ओर बहने वाली धाराएँ कमज़ोर होती हैं, तो अचानक भारी बारिश होती है।
बादल फटने की आशंका वाले क्षेत्रों की पहचान करना, इन क्षेत्रों में नदी के किनारों, नालों और नालों से लोगों को निकालना और अन्य एहतियाती उपाय लागू करने चाहिए।
बिजली प्रकाश की गति से यानी लगभग 3 लाख किलोमीटर प्रति सेकंड की गति से यात्रा करती है।
बादल फटना (Cloudburst) एक प्राकृतिक घटना है जिसमें बहुत ही कम समय में अत्यधिक मात्रा में बारिश होती है। यह बारिश इतनी तेज़ होती है कि कुछ ही मिनटों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं।
बादल फटने की घटना तब होती है जब किसी छोटे से इलाके में बेहद कम समय में भारी बारिश होती है। इसमें बादलों के भीतर जमा जलवाष्प अचानक तेजी से संघनित होकर ज़मीन पर गिरने लगता है। यह बारिश इतनी तेज़ होती है कि कुछ ही मिनटों में सैकड़ों मिलीमीटर पानी गिर सकता है, जिससे बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं।
भारत में 2013 की केदारनाथ आपदा को सबसे बड़ी बादल फटने की घटनाओं में गिना जाता है, जिसमें हजारों लोगों की जान गई और व्यापक तबाही हुई।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
Editor's Recommendations
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.
Chegg India does not ask for money to offer any opportunity with the company. We request you to be vigilant before sharing your personal and financial information with any third party. Beware of fraudulent activities claiming affiliation with our company and promising monetary rewards or benefits. Chegg India shall not be responsible for any losses resulting from such activities.