अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग एक विशेष दर्जा प्रदान करता था।
जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान, ध्वज और कानून बनाने का अधिकार था।
भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर पर पूरी तरह लागू नहीं होता था।
अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे।
केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के मामलों में सीमित अधिकार रखती थी।
Table of Contents
आर्टिकल 370 क्या है? 370 Kab Hata? 5 अगस्त 2019 को भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया, जिससे जम्मू और कश्मीर को मिलने वाला विशेष दर्जा समाप्त हो गया और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। इस विशेष स्थिति के परिणामस्वरूप, जम्मू और कश्मीर की अपनी अलग संविधान, धारा 370 के तहत विशेष अधिकार, और भारतीय संविधान की कुछ धाराएँ राज्य में लागू नहीं होती थीं।
इस अनुच्छेद का उद्देश्य जम्मू और कश्मीर को भारतीय संघ में विलीन होने के बाद भी अपनी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को बनाए रखने में मदद करना था। राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया। इस लेख में हम अनुच्छेद 370, धारा 370 कब हटाई गई (370 Kab Hata), आर्टिकल 370 क्या हैऔर धारा 370 हटने के फायदे के बाद के प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
अनुच्छेद 370 | Dhara 370 kya hai?
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 370 एक ऐसा प्रावधान था, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष स्वायत्तता प्रदान करता था। संविधान के 21वें भाग में इस अनुच्छेद को “अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष प्रावधान” के रूप में वर्णित किया गया था। जम्मू और कश्मीर की संविधान सभा को यह अधिकार दिया गया था कि वह भारतीय संविधान के उन अनुच्छेदों को राज्य में लागू करने की सिफारिश करें, या अनुच्छेद 370 को पूरी तरह से समाप्त कर दे। बाद में, जम्मू और कश्मीर संविधान सभा ने राज्य का संविधान तैयार किया और अनुच्छेद 370 को हटाने की सिफारिश किए बिना खुद को भंग कर दिया, जिससे इसे भारतीय संविधान का एक स्थायी हिस्सा माना गया।
भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में एक ऐतिहासिक जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 पेश किया, जिसमें जम्मू और कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित क्षेत्रों—जम्मू और कश्मीर, तथा लद्दाख में विभाजित करने का प्रस्ताव रखा गया। जम्मू और कश्मीर केंद्र शासित क्षेत्र में अपनी विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र-शासित क्षेत्र होगा।
आइये जान लेते हैं आर्टिकल 370 क्या है और अनुच्छेद 370 का इतिहास क्या हैं, धारा 370 कब हटाई गई (370 Kab Hata):
अनुच्छेद 370 का इतिहास
प्रारंभिक उद्देश्य- अनुच्छेद 370 को भारतीय संविधान में उस समय जोड़ा गया जब संविधान का निर्माण हो रहा था, और इसका मुख्य मकसद था जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच खास रिश्ते को ध्यान में रखते हुए कुछ प्रावधान तय करना।
भारतीय संघ में शामिल होने का निर्णय- 1947 में जब भारत आज़ाद हुआ, तब जम्मू और कश्मीर की रियासत ने भारत के साथ जुड़ने का फैसला लिया, जो उस समय एक अहम निर्णय था।
शर्तों के साथ विलय- जम्मू और कश्मीर भारत में शामिल तो हुए, लेकिन इस शर्त पर कि उनकी कुछ स्वायत्तता बरकरार रखी जाएगी। उन्होंने कुछ विशेष अधिकारों की मांग की जिससे उनकी अलग पहचान बनी रहे।
Instrument of Accession पर हस्ताक्षर- जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने 1947 में “Instrument of Accession” नाम के दस्तावेज़ पर दस्तखत किए, जिसके जरिए राज्य आधिकारिक रूप से भारत का हिस्सा बना।
अनुच्छेद 370 का संविधान में शामिल होना- महाराजा के इस फैसले के बाद, भारतीय संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़ा गया, जो जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाला प्रावधान था।
विशेष अधिकार और स्वायत्तता- इस अनुच्छेद के तहत, जम्मू-कश्मीर को अपना अलग संविधान बनाने की आज़ादी थी, और भारतीय संविधान की अधिकतर धाराएं उन पर लागू नहीं होती थीं।
सीमित केंद्रीय अधिकार- केंद्र सरकार को केवल तीन विषयों में अधिकार था: रक्षा, विदेश नीति और संचार। बाकी सभी मामलों में राज्य को खुद निर्णय लेने की आज़ादी थी।
भारतीय संसद के कानूनों की सीमित पहुंच- भारतीय संसद जो कानून बनाती थी, वो तभी जम्मू-कश्मीर में लागू होते थे जब राज्य की विधानसभा उन्हें मंज़ूरी देती।
अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान- संविधान में इसे अस्थायी प्रावधान कहा गया था, लेकिन यह दशकों तक बना रहा और राज्य की विशेष स्थिति को कायम रखा।
जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा
भारतीय संविधान के अनुच्छेद आर्टिकल 370 क्या है जिसमें जम्मू-कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त था, जिससे उसे अन्य राज्यों की तुलना में अधिक निर्णय और स्वतंत्रता का अधिकार मिली।
अलग संविधान- जम्मू-कश्मीर को अपना खुद का संविधान बनाने का विशेष अधिकार मिला हुआ था। यह देश का एकमात्र राज्य था जिसका अपना संविधान था, जिसे 1957 में लागू किया गया था।
स्वतंत्र संविधान सभा- जम्मू-कश्मीर के पास अपनी खुद की संविधान सभा थी, जो राज्य के आंतरिक मामलों और कानूनों को तय करती थी।
भारतीय कानूनों की सीमित पहुंच- भारतीय संसद के ज़्यादातर कानून जम्मू-कश्मीर पर तभी लागू होते थे जब राज्य की विधानसभा उन्हें स्वीकार करती। इसलिए, संसद की शक्ति वहां सीमित थी।
धारा 35A का प्रावधान- अनुच्छेद 370 के साथ-साथ धारा 35A भी लागू की गई थी, जो राज्य के स्थायी निवासियों को खास अधिकार देती थी, जैसे संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और छात्रवृत्ति में प्राथमिकता।
तीन क्षेत्रों में सीमित केंद्रीय अधिकार- केंद्र सरकार को सिर्फ तीन मामलों – रक्षा, विदेश नीति और संचार – में हस्तक्षेप की इजाज़त थी। बाकी मामलों में राज्य को खुद फैसले लेने का हक था।
दोहरी नागरिकता का अधिकार नहीं- अनुच्छेद 370 की वजह से जम्मू-कश्मीर के लोग भारतीय नागरिक होने के साथ-साथ राज्य के नागरिक भी माने जाते थे, लेकिन संपत्ति और नौकरियों के अधिकार सिर्फ स्थायी निवासियों को मिलते थे।
भारत के राष्ट्रध्वज के साथ राज्य का अपना ध्वज- जम्मू-कश्मीर का एक अलग राज्यध्वज था, जो भारत के तिरंगे के साथ-साथ फहराया जाता था। ऐसा कोई अधिकार भारत के किसी और राज्य को नहीं था।
अधिकारों में सीमितता- भारतीय संविधान में दिए गए कुछ मूलभूत अधिकार जम्मू-कश्मीर में सीधे तौर पर लागू नहीं होते थे। इन्हें लागू करने के लिए राज्य को अपने संविधान में संशोधन करना होता था।
आर्थिक नीतियों पर स्वतंत्रता- जम्मू-कश्मीर को आर्थिक मामलों में भी काफी हद तक आज़ादी मिली हुई थी। वह निवेश जैसे मामलों में अपनी नीतियां खुद तय कर सकता था।
इन सभी विशेषाधिकारों के कारण, जम्मू-कश्मीर का दर्जा अन्य राज्यों से अलग और विशेष था, जम्मू और कश्मीर के राज्यपाल को राज्य के मामलों में केंद्र सरकार से अधिक स्वतंत्रता प्राप्त थी।
धारा 370 कब हटाई गई? | 370 Kab Hataya Gyaa thaa
5 अगस्त 2019 को भारतीय सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया।
इस निर्णय से जम्मू और कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त कर दिया गया।
राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया:
जम्मू और कश्मीर
लद्दाख
इस कदम का उद्देश्य था जम्मू और कश्मीर में आतंकवाद, अलगाववाद और अस्थिरता को समाप्त करना। इस क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देना।
राज्य के विशेष अधिकार समाप्त कर दिए गए और इसे भारतीय संविधान के तहत पूर्ण अधिकार प्रदान किए गए।
भारतीय संविधान की सभी धाराएं जम्मू और कश्मीर में भी लागू होंगी।
जम्मू और कश्मीर के नागरिकों को भारतीय नागरिकता के समान अधिकार प्राप्त हुए।
अनुच्छेद 370 को खत्म करना क्यों ज़रूरी था?
5 अगस्त 2019 को संसद ने अनुच्छेद 370 और 35ए के जरिए जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जे को खत्म करने को मंजूरी दी थी।
तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे – ‘ऐतिहासिक गलती को सुधारने का ऐतिहासिक कदम’ बताया था।
नरेंद्र मोदी सरकार की इसी दूरगामी सोच का नतीजा है कि आज कश्मीर भी देश के साथ-साथ विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है।
बाल विवाह अधिनियम, शिक्षा का अधिकार और भूमि सुधार जैसे कानून अब यहां भी प्रभावी हैं। दशकों से राज्य में रह रहे वाल्मीकि, दलित और गोरखा को भी राज्य के अन्य निवासियों की तरह समान अधिकार मिल रहे हैं।
15वें वित्त आयोग की वर्ष 2020-21 की सिफारिशों के अनुसार जम्मू-कश्मीर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख का बजट क्रमश: 30757 करोड़ रुपये है। और 5959 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया है।
प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में 5300 किलोमीटर सड़क बनाई जा रही है। ग्लोबल इन्वेस्टमेंट समिट के जरिए 13,732 करोड़ रुपये के एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर हस्ताक्षर किए गए हैं। 7 नवंबर 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और विकास के लिए करीब 80,000 करोड़ रुपये की पुनर्निर्माण योजना की घोषणा की थी। पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर के लिए 58,477 करोड़ रुपये की 53 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जबकि लद्दाख के लिए 21,441 करोड़ रुपये की 9 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है।
सरकार ने अनुच्छेद 370 को किस प्रकार निरस्त किया?
राष्ट्रपति का आदेश (Presidential Order)– 5 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संविधान के अनुच्छेद 370 के खंड 1 के तहत एक नया आदेश जारी किया, जिसे ‘The Constitution (Application to Jammu and Kashmir) Order, 2019’ कहा गया। इस आदेश ने संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने का रास्ता खोला।
अनुच्छेद 367 में संशोधन- इस नए आदेश के जरिए अनुच्छेद 367 में एक संशोधन किया गया, जिसमें अनुच्छेद 370 की व्याख्या बदल दी गई। इस संशोधन में कहा गया कि “जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा” का मतलब “जम्मू-कश्मीर की विधान सभा” होगा। इस बदलाव के कारण, राज्य की विधानसभा के बिना भी अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की प्रक्रिया संभव हो गई।
संसद में प्रस्ताव पारित- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अनुच्छेद 370 को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में प्रस्तुत किया, जो 5 अगस्त 2019 को पारित हुआ। इसके बाद इसे लोकसभा में भी पेश किया गया, जहाँ 6 अगस्त 2019 को बहुमत से इसे पारित कर दिया गया।
अनुच्छेद 35A का निष्कासन- अनुच्छेद 370 हटने के साथ ही अनुच्छेद 35A भी स्वतः निरस्त हो गया। अनुच्छेद 35A जम्मू-कश्मीर के स्थायी निवासियों को विशेष अधिकार देता था, जो अब समाप्त हो गए।
राज्य का पुनर्गठन- संसद में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 पारित किया गया, जिसके तहत जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों – जम्मू-कश्मीर (विधानसभा के साथ) और लद्दाख (विधानसभा के बिना) – में विभाजित कर दिया गया।
अनुच्छेद 370 का अस्थायी प्रावधान होना- चूंकि अनुच्छेद 370 को संविधान में एक अस्थायी प्रावधान के रूप में शामिल किया गया था, इसलिए इसे हटाना संभव था। सरकार ने इसे “अस्थायी” मानकर निरस्त करने का निर्णय लिया।
नए आदेश का तुरंत प्रभाव- राष्ट्रपति द्वारा जारी किए गए आदेश का तुरंत प्रभाव हुआ, जिससे जम्मू-कश्मीर में भारतीय संविधान के सभी प्रावधान पूरी तरह लागू हो गए और राज्य की विशेष स्थिति समाप्त हो गई।
राष्ट्रीय एकीकरण का उद्देश्य- अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के पीछे मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को पूरी तरह भारत का अभिन्न अंग बनाना और वहां समान कानून, अधिकार, और विकास की संभावनाओं को बढ़ावा देना था।
धारा 370 के फायदे और नुकसान
आर्टिकल 370 क्या है इसके फायदे और नुकसान क्या हैं जान लेते है:
धारा 370 हटने के फायदे:
राष्ट्रीय एकीकरण- अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को भारत के साथ एकीकृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। विशेष स्थिति के बावजूद, यह अनुच्छेद भारतीय संघ का हिस्सा बने रहने में जम्मू और कश्मीर की मदद करता था, ताकि राज्य की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित किया जा सके, जबकि भारतीय संघ का हिस्सा बने रहने से राष्ट्रीय एकता बनी रहती थी।
विकास और निवेश- जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 लागू रहने के कारण राज्य में बाहरी निवेश में कमी थी। इससे राज्य का आर्थिक विकास धीमा हो गया। हालांकि, अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, सरकार ने राज्य में अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं बनाई हैं, जिससे राज्य के विकास को बढ़ावा मिल सकता है।
सुरक्षा और स्थिरता- अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर में सुरक्षा स्थिति को जटिल बना दिया था, विशेष रूप से आतंकवाद और अलगाववाद के कारण। इसके निरस्त होने से राज्य में सुरक्षा की स्थिति को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है, क्योंकि अब राज्य के नीति-निर्माण में केंद्र सरकार का अधिक प्रभाव रहेगा।
नागरिक अधिकार- जम्मू और कश्मीर में विशेष अधिकारों के कारण, अन्य भारतीय नागरिकों को वहां के संपत्ति और नौकरी के अधिकारों में सीमितता थी। अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद, अन्य भारतीय नागरिकों को भी समान अधिकार मिल गए हैं।
संघीय कानूनों का विस्तार- धारा 370 हटने के बाद भारतीय संसद द्वारा पारित सभी संघीय कानून अब जम्मू-कश्मीर में भी लागू हो गए हैं। इससे लोगों को विभिन्न योजनाओं, अधिकारों और न्यायिक संरक्षण का लाभ मिल रहा है।
महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा- पहले, जम्मू-कश्मीर की महिला अगर राज्य के बाहर किसी से शादी करती थी, तो उसके संपत्ति के अधिकार खत्म हो जाते थे। धारा 370 हटने के बाद, अब महिलाओं के संपत्ति के अधिकार सुरक्षित हो गए हैं और उन्हें समान अधिकार मिल रहे हैं।
शिक्षा और रोजगार में अवसरों का विस्तार- अनुच्छेद 370 हटने के बाद, केंद्र सरकार की योजनाओं और स्कीमों का लाभ जम्मू-कश्मीर में भी आसानी से पहुंच सकता है। इससे छात्रों और युवाओं के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर बढ़े हैं।
भ्रष्टाचार पर नियंत्रण- धारा 370 हटने से राज्य में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ी है। अब केंद्र सरकार की सीधी निगरानी में जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक कार्य किए जा रहे हैं, जिससे भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने में मदद मिल रही है।
इन सभी फायदों के साथ, धारा 370 के हटने से जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के साथ एकीकृत करने और वहां विकास के नए रास्ते खोलने में मदद मिली है।
धारा 370 के नुकसान:
राष्ट्रीय एकीकरण में बाधा– अनुच्छेद 370 ने जहां एक ओर राज्य के भारत से जुड़ाव को सुरक्षित रखा, वहीं दूसरी ओर इसने जम्मू-कश्मीर और भारत के बाकी हिस्सों के बीच एक दूरी भी बनाए रखी। बहुत से लोग मानते थे कि यह विशेष दर्जा राष्ट्रीय एकता और अखंडता के रास्ते में एक रुकावट बन गया था।
आर्थिक विकास की कमी– राज्य को विशेष दर्जा मिलने की वजह से वहां औद्योगिक विकास काफी सीमित रह गया। बाहरी निवेशक राज्य में निवेश करने से हिचकिचाते थे। अब अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उम्मीद की जा रही है कि राज्य में आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और विकास के नए द्वार खुलेंगे।
भ्रष्टाचार और अलगाववाद– विशेष अधिकारों के चलते राज्य को काफी हद तक स्वायत्तता मिली हुई थी, जिसका कुछ नेताओं ने दुरुपयोग किया। इससे भ्रष्टाचार और अलगाववाद को बढ़ावा मिला। अनुच्छेद 370 हटने के बाद अब उम्मीद है कि राज्य में राजनीतिक स्थिरता आएगी और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई संभव हो सकेगी।
संवेदनशीलता और सुरक्षा खतरे– धारा 370 को हटाने के तुरंत बाद राज्य में कुछ जगहों पर विरोध और हिंसा की खबरें सामने आईं। इससे सुरक्षा व्यवस्था को लेकर चिंता बढ़ गई। अलगाववादी और उग्रवादी समूहों ने इसका विरोध किया, जिससे शुरुआत में राज्य में तनाव का माहौल बन गया।
सांस्कृतिक पहचान की चिंता- कुछ स्थानीय लोगों को यह डर सताने लगा कि अनुच्छेद 370 के हटने के बाद उनकी संस्कृति और परंपराएं कमजोर पड़ सकती हैं। उन्हें लगता है कि बाहरी लोगों के आने से उनकी सांस्कृतिक पहचान और पारंपरिक जीवनशैली पर असर पड़ सकता है।
स्थानीय राजनीतिक नेतृत्व पर प्रभाव– धारा 370 के हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की स्थानीय पार्टियों के पास पहले जैसी ताकत और अधिकार नहीं रहे। इससे स्थानीय नेताओं का प्रभाव घटा है और अब राज्य के मामलों में केंद्र सरकार की भूमिका कहीं अधिक मजबूत हो गई है।
अंतर्राष्ट्रीय आलोचना- भारत के इस फैसले को लेकर कुछ अंतरराष्ट्रीय संगठनों और देशों ने चिंता जाहिर की है। पाकिस्तान ने भी इसे वैश्विक मंचों पर उठाने की कोशिश की। भारत को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस फैसले को सही ठहराने के लिए अपने दृष्टिकोण को स्पष्ट रूप से पेश करना पड़ रहा है।
आर्थिक असंतुलन- राज्य में पहले व्यापार और उद्यमों को कई विशेष रियायतें और सब्सिडी मिलती थीं, जो अब खत्म हो गई हैं। इससे स्थानीय व्यापारियों को नुकसान का डर है, क्योंकि अब उन्हें बाहरी प्रतिस्पर्धियों से सीधा मुकाबला करना पड़ रहा है।
पर्यावरण और संसाधन प्रबंधन- राज्य में बाहरी निवेश और भूमि की खरीद-फरोख्त बढ़ने से स्थानीय पर्यावरण पर दबाव बढ़ सकता है। इससे जल, जंगल और जमीन से जुड़े संसाधनों का दोहन तेज़ी से हो सकता है, जिससे पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ने का खतरा रहेगा।
धारा 370 के हटने के बाद इन सभी नुकसानों को ध्यान में रखते हुए, राज्य में स्थिरता और विकास के लिए समुचित योजना और सतर्कता की आवश्यकता है।
वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर ने कई क्षेत्रों में धीरे-धीरे बदलाव देखे हैं। फिलहाल प्रदेश का प्रशासन केंद्र सरकार के प्रत्यक्ष नियंत्रण में है और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में बांट दिया गया है।
वर्तमान स्थिति
राजनीतिक माहौल: अनुच्छेद 370 के निरसन के बाद से राज्य में क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की गतिविधियाँ सीमित रही हैं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा को भंग किया जा चुका है और यहाँ प्रत्यक्ष राष्ट्रपति शासन लागू है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया है कि 2024 के अंत तक विधानसभा चुनाव कराए जाएँ, जिससे लोकतांत्रिक प्रक्रिया फिर बहाल हो सके।
आर्थिक और सामाजिक विकास: प्रदेश में निवेश के नए रास्ते खुले हैं। इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं—नई सड़कें, स्कूल एवं अस्पताल बन रहे हैं। पर्यटन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है; 2022-23 में रिकॉर्ड 1.8 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर आए। सरकारी योजनाओं और कल्याणकारी नीतियों का लाभ अब सीधे लोगों तक पहुँच रहा है। शिक्षा, स्वास्थ्य और महिलाओं के उत्थान के कई कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।
सुरक्षा परिदृश्य: सुरक्षा की स्थिति में भी सकारात्मक बदलाव देखा गया है; आतंकी घटनाओं और पत्थरबाजी के मामलों में गिरावट आई है। सेना और सुरक्षा बल अब राज्य पुलिस के साथ मिलकर स्थिति को नियंत्रण में रखने में सक्षम हैं।
भविष्य की दिशा
लोकसभा व विधानसभा चुनाव: सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि जल्द ही यहाँ विधायिका की बहाली होगी। इससे स्थानीय नेतृत्व को वापस अपनी भूमिका निभाने का अवसर मिलेगा।
स्थानीय लोगों की भूमिका और रोजगार: राज्य में अब बाहरी निवेशकों के आ सकने से रोजगार के नए अवसर बन रहे हैं, लेकिन इससे स्थानीय युवाओं में प्रतिस्पर्धा और चिंता भी स्वाभाविक रूप से देखी जा रही है। सरकार का प्रयास है कि यहाँ की युवा शक्ति को स्किल डवलपमेंट और स्वरोजगार योजनाओं से जोड़ा जाए।
संस्कृति और पहचान: अनेक लोगों की यह भी आशंका है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद उनकी सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को खतरा हो सकता है। परंतु सरकार बार-बार यह आश्वासन देती रही है कि राज्य की भाषा, रीति-रिवाज और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जाएगा।
दीर्घकालिक संभावना: आने वाले वर्षों में जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे की बहाली, स्थायी राजनीतिक स्थिरता और सभी वर्गों के सहयोग से यह क्षेत्र विकास की नई ऊँचाइयों को छू सकता है।
निष्कर्ष
अनुच्छेद 370 ने जम्मू और कश्मीर को एक विशेष स्थिति दी थी, लेकिन इसके निरस्त होने के बाद राज्य में कई बदलाव आ सकते हैं। यह निर्णय भारतीय एकता, सुरक्षा और विकास को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, लेकिन इसके परिणाम भी समय के साथ स्पष्ट होंगे।
अंत में, अनुच्छेद 370 की निरस्तीकरण की प्रक्रिया एक जटिल और संवेदनशील मुद्दा था, जिसे देश के लिए जरूरी समझा गया। हालांकि, इसने जम्मू और कश्मीर के लोगों और अन्य भारतीय नागरिकों के अधिकारों को सुनिश्चित किया, और राज्य में विकास और शांति की दिशा में कदम उठाए गए। इस ब्लॉग में आर्टिकल 370 क्या है? धारा 370 कब हटाई गई (370 Kab Hata), धारा 370 हटने के फायदे के बारे में विस्तार से जाना।
अनुच्छेद 370 भारत के संविधान का एक विशेष प्रावधान था, जो जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करता था। यह अनुच्छेद भारत के अन्य राज्यों की तुलना में जम्मू-कश्मीर को अधिक स्वायत्तता प्रदान करता था। जम्मू-कश्मीर को अपने स्वयं के संविधान, ध्वज और कानून बनाने का अधिकार था।
आर्टिकल 370 हटाने से क्या होता है?
1. अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों से अलग एक विशेष दर्जा प्रदान करता था। इसे हटाने से यह दर्जा समाप्त हो गया है और अब जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न अंग बन गया है। 2. अनुच्छेद 370 के कारण भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर पर पूरी तरह से लागू नहीं होता था। अब यह लागू हो गया है, जिसका मतलब है कि जम्मू-कश्मीर के लोग भी अन्य भारतीय नागरिकों की तरह ही अधिकारों और कर्तव्यों का आनंद लेंगे। 3. जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित किया गया है। 4. पहले केवल स्थायी निवासी ही जम्मू-कश्मीर में संपत्ति खरीद सकते थे। अब अन्य राज्यों के लोग भी यहां संपत्ति खरीद सकते हैं।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 370 में क्या है?
अनुच्छेद 370 के प्रमुख बिंदु:
1. स्वायत्तता: जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान, ध्वज और कानून बनाने का अधिकार था। 2. भारतीय संविधान की सीमितता: भारत के संविधान का अधिकांश भाग जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता था। 3. अन्य राज्यों के नागरिकों के लिए प्रतिबंध: अन्य राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में संपत्ति नहीं खरीद सकते थे और वहां के स्थायी निवासी ही राज्य की विधानसभा के चुनाव में भाग ले सकते थे। 4. केंद्र सरकार का सीमित अधिकार: केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर के मामलों में सीमित अधिकार रखती थी।
भारत में कितने राज्यों में धारा 370 है?
केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया है। गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को राज्यसभा में अनुच्छेद 370 हटाए जाने की जानकारी दी। लेकिन देश के 11 राज्यों में एक ऐसी ही धारा लागू है जो केंद्र सरकार को विशेष अधिकार देती है।
Authored by, Aakriti Jain Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.