aqi क्या है

एयर क्वालिटी इंडेक्स | AQI क्या है?

Published on August 21, 2025
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aqi क्या है

Quick Summary

  • AQI यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक हमारे आसपास की हवा की गुणवत्ता को समझने का एक आसान तरीका है।
  • AQI को 0 से 500 तक के पैमाने पर मापा जाता है।
  • जितना अधिक AQI होगा, उतनी ही खराब होगी हवा की गुणवत्ता।

Table of Contents

Aqi क्या है हमारी सेहत के लिए साफ और शुद्ध हवा कितनी जरूरी है, यह हम सभी जानते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि हवा की क्वालिटी को कैसे मापा जाता है? अक्सर आपने मौसम अनुमानों में हवा की क्वालिटी को AQI के जरिए बताते हुए देखा होगा। ऐसे में, “एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) क्या है” जानना आपके लिए बेहद जरूरी हो जाता है।

इस ब्लॉग में आपको मौसम में aqi क्या है, वायु गुणवत्ता मापने के उपकरण, AQI की श्रेणियाँ, वायु प्रदूषण के कारण और समाधान तथा इसको कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी मिलेगी।

AQI क्या है? | हवा की क्वालिटी

मौसम में aqi क्या है

AQI (Air Quality Index) एक मापदंड है जो वायु प्रदूषण को मापने के लिए उपयोग किया जाता है। यह विभिन्न प्रदूषकों, जैसे पीएम 2.5, पीएम 10, कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2), और ओजोन (O3) की सांद्रता पर आधारित होता है। AQI का मान 0 से लेकर 500 तक हो सकता है, जिसमें 0-50 अच्छे वायु गुणवत्ता को दर्शाता है, जबकि 300 से ऊपर बहुत खराब वायु गुणवत्ता को दिखाता है। उच्च AQI स्तर वायु प्रदूषण के खतरे को बढ़ाता है और स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा जैसी बीमारियों से प्रभावित लोगों पर।

हवेची गुणवत्ता

हवेची गुणवत्ता म्हणजेच हवेमधील स्वच्छता किंवा प्रदूषणाचा स्तर होय. आपण दररोज श्वास घेतो ती हवा जर शुद्ध नसेल, तर ती आपल्या शरीरावर, आरोग्यावर आणि एकूण जीवनशैलीवर गंभीर परिणाम करू शकते. चला, सोप्या भाषेत समजून घेऊया:

हवेची गुणवत्ता = हवा की शुद्धता या प्रदूषण का स्तर।

यानि हम जो हवा सांस लेने के लिए इस्तेमाल करते हैं, उसमें कितनी धूल, धुआँ, गैसें, रसायन या सूक्ष्म कण मौजूद हैं — इसे मापने और समझने को ही “हवा की गुणवत्ता” कहा जाता है।

मौसम में AQI क्या है?

“मौसम में AQI क्या है” ये अक्सर पूछे जाने वाला सवाल है। मौसम में AQI एक सूचकांक है जिसे वायु गुणवत्ता सूचकांक कहा जाता है। इसके ज़रिए हम हवा की साफ-सफाई को मापते हैं। मौसम में AQI 0 से 500 के बीच की संख्या होती है जो अलग अलग श्रेणी में बटी होती हैं।

AQI का क्या महत्त्व है?

  • हमारी सेहत का ख्याल रखना: AQI हमें बताता है कि हम जो हवा सांस ले रहे हैं, वह कितनी साफ या गंदी है। अगर AQI ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि हवा में प्रदूषण का स्तर ज्यादा है और हमारी सेहत को खतरा हो सकता है।
  • बीमारियों से बचाना: प्रदूषित हवा से सांस की बीमारियां, दिल की बीमारियां और यहां तक कि कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। AQI हमें इन बीमारियों से बचने के लिए सतर्क रहने में मदद करता है।
  • दैनिक जीवन में निर्णय लेना: AQI के आधार पर हम यह तय कर सकते हैं कि हमें घर से बाहर निकलना चाहिए या नहीं, क्या हमें मास्क पहनना चाहिए या नहीं, और क्या हमें कुछ खास गतिविधियां करनी चाहिए या नहीं।
  • सरकारों और उद्योगों के लिए: AQI सरकारों और उद्योगों को प्रदूषण कम करने के लिए कदम उठाने में मदद करता है। वे AQI के आंकड़ों का इस्तेमाल यह जानने के लिए करते हैं कि प्रदूषण कहां ज्यादा है और उसे कैसे कम किया जा सकता है।

AQI को मॉनिटर करना क्यों जरूरी है?

AQI (Air Quality Index) को मॉनिटर करना बहुत जरूरी है क्योंकि यह हमें बताता है कि हवा की क्वालिटी कैसी है और यह हमारे स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव डाल सकती है। जब हवा में प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, तो यह सांस संबंधी बीमारियों, हृदय रोग और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। AQI के माध्यम से हम यह जान सकते हैं कि कब बाहर निकलना सुरक्षित है और कब नहीं। इससे हम समय रहते सावधानियाँ बरत सकते हैं, जैसे कि मास्क पहनना या घर के अंदर रहना, ताकि हम और हमारे परिवार स्वस्थ रह सकें।

AQI 100 से ऊपर होने पर क्या करें? | वायु गुणवत्ता सूचकांक क्या है?

मौसम में aqi क्या है

जब AQI 100 से ऊपर हो जाता है, तो वायु प्रदूषण का स्तर आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में सबसे पहले आपको बाहरी गतिविधियों को सीमित करना चाहिए, खासकर सुबह और शाम के समय जब प्रदूषण का स्तर अधिक होता है। घर के अंदर रहें और दरवाजे-खिड़कियाँ बंद रखें ताकि प्रदूषित हवा अंदर न आ सके। अगर बाहर जाना ज़रूरी हो, तो N95 मास्क का इस्तेमाल करें जो हानिकारक कणों को रोकने में सहायक होता है। एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें और अपने घर में पौधे लगाएं जो हवा को शुद्ध करने में मदद करते हैं।

राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के लिए वर्तमान वायु गुणवत्ता सूचकांक

Serial numberशहरAQI (2025 में हालिया)वर्ग
1दिल्ली (Delhi)~139 (Unhealthy for Sensitive Groups)संवेदनशील समूहों के लिए अस्वस्थ (The Indian Express, IQAir)
2गाज़ियाबाद (Ghaziabad)142–136 (Poor–Unhealthy for Sensitive Groups)खराब–संवेदनशील समूहों के लिए अस्वस्थ (AQI, IQAir)
3अररिया (Araria)~134–175 (Unhealthy)अस्वस्थ (AQI, IQAir)
4नोएडा (Noida)~136–137 (Poor–Unhealthy)खराब–अस्वस्थ (AQI, AQI)
5मुंबई (Mumbai)लगभग 67 (Moderate–Satisfactory)संतोषजनक (AQI, IQAir)
6बेंगलुरु (Bangalore)लगभग 58–63 (Moderate)मध्यम (AQI, AQI)
7हैदराबाद (Hyderabad)लगभग 75–80 (Moderate–Poor)मध्यम–खराब (AQI, AQI)
8मुंबई नगर के कुछ क्षेत्र (e.g. Deonar, Sion, BKC)PM2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानदंड से ऊपरक्षेत्रीय प्रदूषण चिंताजनक (The Times of India)
9भोपाल (Bhopal)AQI ~100–108 (Moderate–Poor)संतोषजनक से खराब की ओर बढ़ते हुए (The Times of India)

साथ ही, भरपूर पानी पिएं ताकि शरीर से विषैले तत्व बाहर निकल सकें। सांस या दिल से जुड़ी बीमारियों से ग्रस्त लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। AQI की नियमित जांच करें और स्वास्थ्य से जुड़ी कोई भी समस्या होने पर तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।

वायु प्रदूषण को मापने का उपकरण कौन-सा है?

वायु प्रदूषण को मापने के लिए विभिन्न प्रकार के उपकरणों का उपयोग किया जाता है। प्रमुख उपकरण निम्नलिखित हैं:

  1. PM 2.5 और PM 10 सेंसर्स: ये सेंसर्स हवा में मौजूद छोटे कणों (जिन्हें पार्टिकुलेट मैटर कहा जाता है) की मात्रा मापते हैं। PM 2.5 कण 2.5 माइक्रोमीटर से छोटे होते हैं, जबकि PM 10 कण 10 माइक्रोमीटर से छोटे होते हैं। इन कणों का हवा में उच्च सांद्रता स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है।
  2. ऑक्सीजन सेंसर: यह हवा में ऑक्सीजन की मात्रा मापता है, जो वायु गुणवत्ता के बारे में जानकारी प्रदान करता है।
  3. गैस सेंसर: यह विभिन्न गैसों जैसे कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2), सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) और ओजोन (O3) की मात्रा मापता है, जो वायु प्रदूषण में योगदान करते हैं।
  4. स्पेक्ट्रोफोटोमीटर: यह उपकरण वायुमंडल में मौजूद विभिन्न गैसों की सांद्रता मापने के लिए प्रयोग किया जाता है।

इन उपकरणों के माध्यम से वायु प्रदूषण की निगरानी की जाती है और इसकी गुणवत्ता को मापकर AQI (Air Quality Index) निर्धारित किया जाता है।

वायु गुणवत्ता सूचकांक

वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) एक ऐसा मापदंड है जो हमें हवा की क्वालिटी के बारे में जानकारी देता है। यह सूचकांक हमें बताता है कि हमारी हवा कितनी साफ या प्रदूषित है और इसका हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर हो सकता है। AQI को विभिन्न रंगों और नंबरों में विभाजित किया गया है, जिससे हम आसानी से समझ सकते हैं कि हवा की स्थिति कैसी है।

हवा की क्वालिटी क्या है? | पीएम 2.5 क्या है?

मौसम में aqi क्या है

पीएम 2.5 (PM 2.5) का मतलब है “पार्टिकुलेट मैटर 2.5″। यह वायु में मौजूद सूक्ष्म कण होते हैं जिनका व्यास 2.5 माइक्रोमीटर (μm) या उससे कम होता है। ये कण इतने छोटे होते हैं कि उन्हें आंख से देख पाना मुश्किल होता है और वे सीधे फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं।

पीएम 2.5 कणों का स्रोत प्राकृतिक और मानवजनित दोनों हो सकते हैं, जैसे:

  1. वाहन धुआं
  2. औद्योगिक उत्सर्जन
  3. बायोमास जलाना (जैसे लकड़ी या फसलें जलाना)
  4. धूल, स्मॉग, और ध्वनि प्रदूषण

पीएम 2.5 को कैसे मापा जाता है?

  • पीएम 2.5 (Particulate Matter 2.5) वे छोटे-छोटे कण होते हैं जो हवा में मौजूद होते हैं और हमारे फेफड़ों में आसानी से जा सकते हैं। इन कणों का मापना बहुत जरूरी है ताकि हम हवा की क्वालिटी को समझ सकें।
  • पीएम 2.5 को मापने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग किया जाता है। ये उपकरण हवा में मौजूद कणों को एक फिल्टर पर इकट्ठा करते हैं। फिर, इन कणों का वजन और संख्या मापी जाती है।
  • इसके बाद, इन आंकड़ों को विश्लेषित करके यह पता लगाया जाता है कि हवा में पीएम 2.5 का स्तर कितना है। इस प्रक्रिया से हमें यह जानकारी मिलती है कि हवा में प्रदूषण का स्तर कितना खतरनाक है और हमें किस प्रकार की सावधानियाँ बरतनी चाहिए।

इस प्रकार, पीएम 2.5 को मापकर हम अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं और आवश्यक कदम उठा सकते हैं।

हवा की क्वालिटी की कीमत | Air Quality

“हवा की क्वालिटी की कीमत” केवल पर्यावरण से जुड़ा मुद्दा नहीं है, बल्कि यह मानव जीवन, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था और समाज पर सीधा प्रभाव डालने वाला गंभीर विषय है। आइए इसे आसान भाषा में समझते हैं कि खराब हवा की कितनी और कैसी कीमत चुकानी पड़ती है:

1. स्वास्थ्य पर कीमत

  • खराब हवा खासकर PM2.5 और PM10 जैसे सूक्ष्म कणों से भरपूर होती है, जो फेफड़ों, दिल और दिमाग तक पहुँच जाते हैं।
  • इससे अस्थमा, फेफड़ों का कैंसर, हार्ट अटैक, स्ट्रोक और सांस की बीमारियाँ बढ़ती हैं।
  • WHO के अनुसार, प्रदूषण हर साल दुनिया में लगभग 70 लाख लोगों की जान लेता है।

इसका मतलब: आपका स्वास्थ्य कमजोर होता है, दवाओं पर खर्च बढ़ता है, और जीवन की गुणवत्ता गिरती है।

2. आर्थिक कीमत

  • बीमारियाँ बढ़ने पर स्वास्थ्य खर्च बढ़ता है – जैसे अस्पताल बिल, दवाइयाँ, डॉक्टर फ़ीस।
  • जो लोग काम करने लायक नहीं रहते, उनकी उत्पादकता घटती है, और परिवार की आमदनी पर असर पड़ता है।
  • सरकार को भी हेल्थ केयर सिस्टम पर अधिक खर्च करना पड़ता है।

खराब हवा की वजह से भारत को हर साल GDP का लगभग 1.3% नुकसान होता है (Lancet रिपोर्ट के अनुसार)।

3. समाज और देश पर असर

  • स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति घटती है, पढ़ाई प्रभावित होती है।
  • लोग बाहर निकलने से डरते हैं, जिससे टूरिज़्म, खेल, आउटडोर गतिविधियाँ घटती हैं।
  • सामाजिक जीवन सीमित हो जाता है — लोग बीमार, थके हुए और मानसिक रूप से परेशान रहते हैं।

4. पर्यावरण की कीमत

  • खराब हवा का मतलब यह भी है कि वातावरण में ज्यादा कार्बन, सल्फर और अन्य जहरीली गैसें हैं।
  • इससे ग्लोबल वॉर्मिंग, अम्लीय वर्षा और जलवायु परिवर्तन जैसे संकट बढ़ते हैं।

एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) की श्रेणियाँ | What is AQI in Weather

AQI वैल्यूश्रेणिरंगविवरण
0–50अच्छाहराAQI अच्छा होता है, तो हवा साफ होती है और हमें कोई स्वास्थ्य समस्या नहीं होती है।
51-100मध्यम पीलामध्यम AQI का मतलब है कि हवा थोड़ी प्रदूषित है, लेकिन अधिकांश लोगों के लिए यह हानिकारक नहीं है।
101-150संवेदनशील समूहों के लिए अस्वास्थ्यकरनारंगीकुछ संवेदनशील लोगों को सांस लेने में परेशानी हो सकती है।
151-200खराबलालखराब AQI वाले दिन सभी लोगों को स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे कि खांसी, सांस लेने में तकलीफ और आंखों में जलन।
201-300बहुत खराबबैंगनीबहुत खराब AQI वाले दिन सभी लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।
301-500गंभीरलालगंभीर AQI वाले दिन सभी लोगों को बहुत गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। ऐसे में, बाहर निकलना टालना चाहिए।
वायु गुणवत्ता की कितनी श्रेणियां हैं? | what is aqi in weather

घर की वायु गुणवत्ता कैसे सुधारें?

घर के अंदर की वायु गुणवत्ता (Indoor Air Quality) को बेहतर बनाना स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है, खासकर तब जब बाहरी वायु प्रदूषण (Air Pollution) का स्तर बढ़ा हुआ हो। इंडोर एयर क्वालिटी सुधारने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि घर को नियमित रूप से साफ रखा जाए और धूल-मिट्टी जमने न दी जाए। घर में प्राकृतिक वेंटिलेशन यानी खिड़कियों और दरवाजों से ताजी हवा का प्रवाह बनाए रखें, लेकिन जब बाहर का AQI खराब हो, तब इन्हें बंद रखें। एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल भी एक प्रभावी तरीका है जिससे घर की हवा में मौजूद हानिकारक कणों को हटाया जा सकता है।

इसके अलावा, तुलसी, एलोवेरा, स्नेक प्लांट जैसे वायु शुद्ध करने वाले पौधे घर के अंदर लगाने से न केवल हवा स्वच्छ होती है, बल्कि वातावरण भी सकारात्मक बनता है। रासायनिक क्लीनिंग प्रोडक्ट्स और धूपबत्ती जैसी चीजों के अत्यधिक प्रयोग से बचें क्योंकि ये भी वायु को प्रदूषित कर सकते हैं। अगर आप घर की हवा को शुद्ध कैसे करें या “घर की वायु गुणवत्ता कैसे सुधारें” जैसे विषयों पर जानकारी खोज रहे हैं, तो इन उपायों को अपनाकर आप अपने परिवार के लिए एक सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण बना सकते हैं।

वायु प्रदूषण के कारण और समाधान

वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण मानव जनित हैं तथा इसके कुछ प्राकृतिक कारण भी हैं। इन कारणों के समाधान के लिए सरकारी नीतियां, जागरूकता कार्यक्रम और तकनीकी उपाय उपयोगी हैं।

प्रमुख कारण | मानव जनित और प्राकृतिक कारण

मानव जनित कारण

  • औद्योगिक गतिविधियाँ: फैक्ट्रियां और उद्योग जब प्रोडक्ट्स बनाते हैं, तो वे कई तरह के हानिकारक पदार्थों को हवा में छोड़ते हैं। जैसे धुआं, राख और कई तरह की गैसें।
  • वाहनों का धुआं: कारें, बसें, ट्रक और अन्य वाहन जब ईंधन जलाते हैं, तो वे भी हवा को प्रदूषित करते हैं।
  • ऊर्जा उत्पादन: बिजली बनाने के लिए कोयला या तेल जलाने से भी बहुत प्रदूषण होता है।
  • कचरा जलाना: कई जगहों पर लोग कचरे को जला देते हैं, जिससे हवा में कई तरह के जहरीले पदार्थ मिल जाते हैं।
  • कृषि गतिविधियाँ: खेती में इस्तेमाल होने वाले कुछ रसायन और जब किसान खेतों को जलाते हैं, तो इससे भी हवा प्रदूषित होती है।

प्राकृतिक कारण

  • ज्वालामुखी विस्फोट: जब ज्वालामुखी फटते हैं, तो वे राख, धूल और कई तरह की गैसें निकालते हैं जो हवा को प्रदूषित करती हैं।
  • जंगलों में आग: जंगलों में लगने वाली आग से भी बहुत सारा धुआं और राख निकलता है, जिससे हवा प्रदूषित होती है।
  • धूल के तूफान: रेगिस्तानी इलाकों में धूल के तूफान आते हैं, जिससे हवा में धूल के कण भर जाते हैं।

समाधान: नीतियाँ, जागरूकता कार्यक्रम, तकनीकी उपाय

नीतियां

सरकारें वायु प्रदूषण को कम करने के लिए कई तरह की नीतियां बनानी चाहिए साथ ही ये सुनिश्चित करना चाहिए की ये नीतियां सुचारू रूप से कार्यान्वित हो। इसके कुछ उदाहरण हैं:

  • उत्सर्जन मानक में कमी: सरकार को कारखानों और वाहनों से निकलने वाले प्रदूषण की सीमा और कम करनी चाहिए।
  • प्रदूषण टैक्स: प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर अलग से प्रदूषण टैक्स लगाना चाहिए।
  • सब्सिडी: प्रदूषण कम करने वाली तकनीकों और ईंधन पर सब्सिडी को और बढ़ाना चाहिए।
  • अनुसंधान और विकास: प्रदूषण कम करने के नए तरीकों पर शोध करने के लिए फंड्स दिया जाना चाहिए।

जागरूकता कार्यक्रम

सरकार के साथ-साथ हम सभी को भी वायु प्रदूषण कम करने में योगदान देना चाहिए। जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से लोग प्रदूषण के खतरों के बारे में जानते हैं और प्रदूषण कम करने के तरीके सीखते हैं। कुछ उदाहरण हैं:

  • स्कूलों में शिक्षा: बच्चों को छोटी उम्र से ही प्रदूषण के बारे में बताया जाना चाहिए।
  • मीडिया अभियान: टेलीविजन, रेडियो और अखबारों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाना चाहिए।
  • समुदाय कार्यक्रम: लोगों को प्रदूषण कम करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए।

तकनीकी उपाय

नई तकनीकों का उपयोग करके भी वायु प्रदूषण को कम किया जा सकता है। इसके कुछ उदाहरण हैं:

  • विद्युत वाहन: पेट्रोल और डीजल के बजाय बिजली से चलने वाले वाहन।
  • सौर ऊर्जा: सूर्य की रोशनी से बिजली बनाना।
  • पवन ऊर्जा: हवा से बिजली बनाना।
  • उत्प्रेरक कनवर्टर: वाहनों से निकलने वाले हानिकारक गैसों को कम करने के लिए।

सरकार की पहल और नीतियाँ

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं साथ ही इसे लेकर कई अंतर्राष्ट्रीय नीतियां भी हैं, जिनके बारे में आपको जानकारी होनी चाहिए।

सरकार के कदम

भारत के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 07 दिसंबर 2023 को वायु प्रदूषण को लेकर जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम कुछ इस प्रकार हैं:

  1. राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP): सरकार ने 2019 में NCAP लॉन्च किया था, जिसका उद्देश्य 24 राज्यों के 131 शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार करना है।
    • 2024 तक पीएम 10 में 20-30% की कमी लाने की परिकल्पना की गई है।
    • सरकार द्वारा 2025-26 तक पीएम 10 के स्तर में 40% तक की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
  2. भारत स्टेज (BS) उत्सर्जन मानक: सरकार ने वाहनों के उत्सर्जन को नियंत्रित करने के लिए BS-VI मानकों को लागू किया। ये मानक पेट्रोल और डीजल वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने में मदद करते हैं।
  3. परिवहन के साधनों में सुधार: इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया जा रहा है और सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को सुधारा जा रहा है। 
  4. उद्योगों पर नियंत्रण: उद्योगों से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सख्त नियम लागू किए गए हैं। थर्मल पावर प्लांट्स के लिए SO2 और NOx मानकों को निर्धारित किया गया है।
  5. स्वच्छ ऊर्जा: सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा दिया जा रहा है। 
  6. पराली जलाने पर नियंत्रण: पराली जलाने की समस्या को हल करने के लिए किसानों को जागरूक किया जा रहा है और उन्हें पराली प्रबंधन के बेहतर तरीके सिखाए जा रहे हैं।

अंतर्राष्ट्रीय नीतियां

वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या है, और इसे कम करने के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय नीतियां बनाई गई हैं। आइए, इन नीतियों को सरल भाषा में समझते हैं।

  1. पेरिस समझौता: यह एक वैश्विक समझौता है, जिसका लक्ष्य है ग्लोबल वार्मिंग को 2°C से नीचे रखना। इसमें सभी देशों ने कार्बन उत्सर्जन को कम करने और स्वच्छ ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने का संकल्प लिया है।
  2. संयुक्त राष्ट्र का वायु गुणवत्ता दिशानिर्देश: संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वायु गुणवत्ता के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जो देशों को वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इन दिशानिर्देशों के अनुसार, देशों को अपने वायु गुणवत्ता मानकों को अपडेट करने की सलाह दी जाती है।
  3. क्लीन एयर कोएलिशन (CCAC): यह एक अंतर्राष्ट्रीय पहल है, जो विभिन्न देशों को साथ लाकर वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से निपटने का प्रयास करती है। इसमें नीति निर्माताओं को तकनीकी सहायता और वित्तीय सहयोग प्रदान किया जाता है।

निष्कर्ष

“एयर क्वालिटी इंडेक्स – AQI क्या है” को समझना और इसे मॉनिटर करना आज के समय में बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। यह हमें न केवल हवा की क्वालिटी के बारे में जानकारी देता है, बल्कि हमें सुरक्षित रहने के लिए समय रहते चेतावनी भी देता है। अगर हम AQI को नियमित रूप से ट्रैक करें और इसके अनुसार आवश्यक कदम उठाएं, तो हम न केवल अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं, बल्कि एक स्वच्छ और सुरक्षित पर्यावरण का निर्माण भी कर सकते हैं। 

इस ब्लॉग में आपने मौसम में aqi क्या है, वायु गुणवत्ता मापने के उपकरण, AQI की श्रेणियाँ, वायु प्रदूषण के कारण और समाधान तथा इसको कम करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

Aqi का मतलब क्या होता है?

AQI का मतलब है वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index)। यह एक संख्यात्मक मान है जो हवा की गुणवत्ता को मापता है और बताता है कि हवा सांस लेने के लिए कितनी सुरक्षित है। AQI को विभिन्न प्रदूषकों जैसे कि पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), ओजोन, कार्बन मोनोऑक्साइड आदि के स्तर के आधार पर मापा जाता है।

Aqi कितनी होनी चाहिए?

AQI 50 से कम: अच्छा
AQI 51 से 100: संवेदनशील समूहों के लिए अस्वास्थ्यकर
AQI 101 से 150: अस्वस्थ
AQI 151 से 200: बहुत अस्वस्थ
AQI 200 से अधिक: खतरनाक

एक अच्छा एक्यूआई स्तर क्या है?

100 या उससे कम AQI मान आम तौर पर संतोषजनक माने जाते हैं।

हवा की शुद्धता कैसे चेक करें?

हवा की शुद्धता मापने के लिए AQI का इस्तेमाल किया जाता है। भारत सरकार की केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की वेबसाइट पर आप अपने शहर की हवा की गुणवत्ता की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

दिल्ली में प्रदूषण कितना है?

Delhi का वायु प्रदूषण: वास्तविक समय वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 95 हैं।

हवा की क्वालिटी को मापने का तरीका क्या है?

हवा की गुणवत्ता को AQI (Air Quality Index) के ज़रिए मापा जाता है। यह 0 से 500 तक जाता है – जितना अधिक नंबर, उतनी ज्यादा प्रदूषित हवा।

AQI कैसे मापा जाता है?

AQI की गणना वायु में मौजूद मुख्य 8 प्रदूषकों के स्तर के आधार पर की जाती है:
PM10 (Particulate Matter)
PM2.5
NO₂ (Nitrogen Dioxide)
SO₂ (Sulphur Dioxide)
CO (Carbon Monoxide)
O₃ (Ozone)
NH₃ (Ammonia)
Pb (Lead)

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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