जैविक खेती क्या है

जैविक खेती क्या है?- 2025 में कम लागत, ज़्यादा उपज, टिकाऊ समाधान!

Published on October 10, 2025
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जैविक खेती क्या है

Quick Summary

  • जैविक खेती वह कृषि पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता।
  • इसमें प्राकृतिक उपायों का उपयोग करके मृदा की उर्वरता और फसलों की सुरक्षा की जाती है।
  • यह पारिस्थितिकी तंत्र के साथ सामंजस्यपूर्ण तरीके से काम करती है।
  • जैविक उत्पाद स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं और पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते।

Table of Contents

आज के समय में, जब हम पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति अधिक जागरूक हो रहे हैं, ऑर्गेनिक फार्मिंग या जैसा कि हिंदी में कहा जाता है। जैविक खेती, एक महत्वपूर्ण विकल्प के रूप में सामने आ रही है। जैविक खेती क्या है? ये एक ऐसी कृषि पद्धति है, जो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हुए, रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बिना, गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पादन पर केंद्रित है।

जैविक खेती एक ऐसी प्रणाली है, जो पूरी तरह से प्राकृतिक प्रक्रियाओं और संसाधनों पर आधारित होती है, जिसमें रासायनिक या कृत्रिम पदार्थों का कोई उपयोग नहीं किया जाता। इसका उद्देश्य मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखना, जैव विविधता को बढ़ावा देना और एक संतुलित व स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित रखना है। जैविक खेती का मूल लक्ष्य है – पौष्टिक और रसायन-मुक्त खाद्य पदार्थों का उत्पादन।

जैविक खेती क्या होती है? | Organic Kheti Kya Hoti hai?

जैविक खेती ऐसी कृषि पद्धति है (Jaivik krishi kise kahate hain) जिसमें फसलों की खेती बिना रासायनिक उर्वरकों (fertilizers), कीटनाशकों (pesticides) और हानिकारक रसायनों के की जाती है। इसमें केवल प्राकृतिक खाद जैसे गोबर की खाद, कम्पोस्ट, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, नीम की खली और प्राकृतिक कीटनाशक का प्रयोग किया जाता है।

ऑर्गेनिक खेती की मुख्य विशेषताएँ:

  1. प्राकृतिक खाद का उपयोग – मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद की बजाय जैविक खाद का प्रयोग।
  2. कीट नियंत्रण – नीम तेल, गोमूत्र, लहसुन-अदरक का घोल आदि से कीटों को नियंत्रित करना।
  3. फसल चक्र (Crop Rotation) – एक ही खेत में बार-बार अलग-अलग फसलें उगाना ताकि मिट्टी की ताकत बनी रहे।
  4. जैव विविधता – खेत में पेड़-पौधों और प्राकृतिक जीव-जंतुओं का संतुलन बनाए रखना।
  5. जल व मिट्टी संरक्षण – मिट्टी का कटाव रोकना और जल का सही उपयोग।

जैविक खेती की परिभाषा | Jaivik Kheti ki Paribhasha | Jaivik krishi se Aap kya Samajhte Hain

ऑर्गेनिक फार्मिंग को jaivik kheti हिंदी में कहा जाता है। जैविक खेती क्या है? | Jaivik kheti kya Hai, ये एक ऐसी कृषि प्रणाली है जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों और आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (GMOs) का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके बजाय, ये प्राकृतिक प्रक्रियाओं, जैविक खाद, और पारिस्थितिक संतुलन पर निर्भर करती है। जैविक खेती का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के अनुकूल तरीके से स्वस्थ और पोषक खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना है।

  • जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय हरित (प्राकृतिक) उर्वरकों और कीटनाशकों का प्रयोग किया जाता है।
  • यह खेती बिना किसी अकार्बनिक रसायन या आनुवंशिक रूप से संशोधित जीव (GMO) के की जाती है।
  • जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरता बढ़ती है और जैव विविधता संरक्षित रहती है।
  • यह पर्यावरण के लिए अनुकूल है क्योंकि इसमें हानिकारक रसायनों का उपयोग नहीं होता।
  • जैविक उपज मानव और पशु स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित और पौष्टिक होती है।
  • यह मिट्टी के कटाव और क्षरण को रोकती है, जिससे खेती लंबे समय तक टिकाऊ रहती है।
  • जैविक खेती प्रदूषण को कम करने में मदद करती है और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भर रहने की दिशा में कदम बढ़ाती है।
  • यह मिट्टी के रासायनिक और भौतिक गुणों में सुधार लाकर खेती की गुणवत्ता को बढ़ाती है।

जैविक खेती के प्रकार | Jaivik kheti ke Prakar

क्रम संख्याजैविक खेती का प्रकारपरिभाषा / विवरण
1पारंपरिक जैविक खेतीइसमें स्थानीय संसाधनों और पारंपरिक तकनीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे गोबर, नीम, हरी खाद आदि।
2समन्वित खेती (Integrated Farming)फसल, पशुपालन, मछली पालन आदि को एक साथ मिलाकर किया जाता है ताकि संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सके।
3बायोडायनामिक खेतीयह खेती चंद्रमा और ग्रहों की गति के अनुसार की जाती है और इसमें विशेष बायोडायनामिक तैयारियाँ (जैसे BD-500) उपयोग होती हैं।
4प्राकृतिक खेतीइसमें मानव हस्तक्षेप बहुत कम होता है और खेती पूरी तरह से प्रकृति के नियमों पर आधारित होती है।
5वर्मी कंपोस्ट आधारित खेतीइसमें जैविक कचरे को केंचुओं की सहायता से खाद (वर्मी कंपोस्ट) में बदलकर प्रयोग किया जाता है।
6जैव उर्वरक आधारित खेतीइस पद्धति में रासायनिक उर्वरकों की जगह नाइट्रोजन-फिक्सिंग जीवाणु, फॉस्फेट सॉल्यबिलाइजिंग बैक्टीरिया आदि का प्रयोग होता है।
7कृषिपारिस्थितिक खेती (Agroecology)इसमें पर्यावरण की जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र को ध्यान में रखते हुए खेती की जाती है।
जैविक कृषि क्या है | organic farming in hindi

जैविक खेती के प्रकार जो अलग-अलग परिस्थितियों और आवश्यकताओं के अनुसार अपनाए जाते हैं। जैविक खेती के दो मुख्य प्रकार हैं:

1. शुद्ध जैविक खेती क्या होती है?

शुद्ध जैविक खेती क्या है? शुद्ध जैविक खेती में, कृषि उत्पादन के सभी चरणों में किसी भी प्रकार के सिंथेटिक रसायन का उपयोग नहीं किया जाता है। पौधों को पोषण देने के लिए खाद, वर्मीकम्पोस्ट और अन्य जैविक पदार्थों का उपयोग किया जाता है। कीटों को नियंत्रित करने के लिए जैविक कीटनाशकों, जैसे नीम का तेल, लहसुन का अर्क आदि का उपयोग किया जाता है। वहीँ, खरपतवारों को हटाने के लिए हाथ से निराई या घास काटने जैसी यांत्रिक विधियों का उपयोग किया जाता है।

2. एकीकृत जैविक खेती क्या है?

एकीकृत जैविक खेती क्या है? एकीकृत जैविक खेती में, जैविक और पारंपरिक खेती के सिद्धांतों का संयोजन किया जाता है। यह खेती की एक अधिक लचीली विधि है, जो विभिन्न परिस्थितियों और किसानों की जरूरतों के अनुकूल हो सकती है।

यह खेती कीटों, रोगों और खरपतवारों को नियंत्रित करने के लिए जैविक और रासायनिक दोनों विधियों का उपयोग करती है। यह खेती पारंपरिक खेती की तुलना में अधिक लागत प्रभावी हो सकती है।

जैविक खेती की विशेषताएं | Jaivik Kheti ki Visheshtaen

जैविक खेती की विशेषताएं जैविक खेती को पारंपरिक कृषि पद्धतियों से अलग करती हैं। आइए इन विशेषताओं पर विस्तार से चर्चा करें। जैविक खेती की विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • प्राकृतिक तरीकों का उपयोग
  • रासायनिक इनपुट का कम प्रयोग
  • जैव विविधता को बढ़ावा
  • मिट्टी की गुणवत्ता पर ध्यान
  • पशु कल्याण की प्राथमिकता
  • टिकाऊ कृषि प्रणाली

1. रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करना

जैविक खेती की विशेषताएं में रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करना शामिल है जिसमे रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर कंपोस्ट, हरी खाद, प्राकृतिक जैविक उर्वरक, लाभदायक सूक्ष्मजीवों के जैव उर्वरक, और फसल चक्रीकरण का उपयोग किया जाता है। ये विकल्प मिट्टी की उर्वरता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाते हैं, पर्यावरण के अनुकूल हैं, और दीर्घकालिक मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखते हैं।

2. कीटनाशकों का प्राकृतिक विकल्प

कीटनाशकों का प्राकृतिक विकल्प भी जैविक खेती की विशेषताएं में शामिल है, जिससे जैविक खेती में कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक विधियाँ जैसे जैविक कीटनाशक, परभक्षी कीड़े, फेरोमोन ट्रैप, फसल रोटेशन और अंतर-फसल का उपयोग किया जाता है। ये तरीके पर्यावरण के अनुकूल हैं और हानिकारक कीटों को नियंत्रित करते हुए लाभदायक जीवों की रक्षा करते हैं।

3. मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण

मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण जैविक खेती की विशेषताएं में से एक है जिसमे, जैविक खेती में मिट्टी की उर्वरता बनाए रखने के मुख्य तरीके:

  • 1. नियमित मिट्टी परीक्षण
  • 2. कंपोस्ट और हरी खाद का उपयोग
  • 3. मल्चिंग द्वारा नमी संरक्षण
  • 4. कम जुताई
  • 5. फसल चक्र अपनाना

4. जल संसाधनों का संरक्षण

जैविक खेती में जल संरक्षण के लिए कई प्रभावी तरीके अपनाए जाते हैं। इनमें ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर जैसी कुशल सिंचाई प्रणालियाँ, वर्षा जल संचयन, मिट्टी में जैविक पदार्थों की वृद्धि, सूखा प्रतिरोधी फसलों का चयन, और मल्चिंग शामिल हैं। ये तकनीकें पानी की बर्बादी को कम करते हुए, मिट्टी की जल धारण क्षमता बढ़ाते हैं और कृषि में पानी के कुशल उपयोग को सुनिश्चित करती हैं। जल संसाधनों का संरक्षण भी जैविक खेती की विशेषताएं में से इसकी ख़ास विशेषता है। 

जैविक खेती के लाभ | Benefits of Organic Farming In Hindi

जैविक खेती के लाभ की बात करें तो जैविक खेती के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं जो इसे एक आकर्षक विकल्प बनाते हैं:

पर्यावरण के लिए अनुकूल:
जैविक खेती में रासायनिक उर्वरक और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता, जिससे मिट्टी, जल और वायु प्रदूषित नहीं होते। यह पर्यावरण की सुरक्षा में सहायक है।

स्वस्थ और पौष्टिक भोजन:
जैविक खेती से प्राप्त खाद्य पदार्थ रसायन-मुक्त और पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं।

स्थायी कृषि प्रणाली:
यह खेती मिट्टी की उर्वरता बनाए रखती है और जैव विविधता को बढ़ावा देती है, जिससे लंबे समय तक निरंतर फसल उत्पादन संभव होता है।

आर्थिक रूप से फायदेमंद:
Jaivik kheti की लागत अपेक्षाकृत कम होती है और जैविक उत्पादों की बाजार में मांग अधिक होती है, जिससे किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ मिल सकता है।

जैविक खेती के नुकसान

  • जैविक खेती का मुख्य मुद्दा अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और उत्पाद के विपणन की कमी है।
  • जैविक खेती के माध्यम से प्राप्त उत्पाद शुरुआती वर्षों में रासायनिक उत्पादों की तुलना में कम होते हैं। इसलिए, किसानों को बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए समायोजित करना मुश्किल लगता है।
  • जैविक उत्पादों में रासायनिक उत्पादों की तुलना में अधिक दोष होते हैं और उनकी शेल्फ लाइफ कम होती है।
  • ऑफ-सीजन फ़सलें सीमित होती हैं और जैविक खेती में विकल्प कम होते हैं।

जैविक खेती के सिद्धांत 

जैविक खेती के सिद्धांत कुछ इस प्रकार है:

  • जैविक खेती के सिद्धांत में से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है प्राकृतिक चक्र का सम्मान करना।
    • पर्यावरण के साथ सामंजस्य में काम करना
    • प्राकृतिक प्रक्रियाओं का उपयोग
  • जैविक खेती के सिद्धांत में एक प्रमुख सिद्धांत है जैव विविधता का संरक्षण।
    • विभिन्न फसलों और प्रजातियों को बढ़ावा देना
    • पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना
  • मिट्टी का स्वास्थ्य भी जैविक खेती के सिद्धांत है।
    • जैविक पदार्थों द्वारा मिट्टी को पोषण देना
    • मिट्टी के जीवों की रक्षा करना
  • रासायनिक मुक्त खेती का अभ्यास जैविक खेती के सिद्धांत में से एक महत्वपूर्ण सिद्धांत है
    • कृत्रिम उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग न करना
    • प्राकृतिक समाधानों पर निर्भर रहना
  • जैविक खेती के सिद्धांत में एक अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्धांत है पशु कल्याण पर ध्यान देना।
    • पशुओं के लिए प्राकृतिक वातावरण प्रदान करना
    • मानवीय तरीके से पशुपालन
  • स्थानीय संसाधनों का अधिकतम उपयोग करना भी जैविक खेती के सिद्धांत का जरूरी हिस्सा है।
    • स्थानीय बीजों और प्रजातियों को प्राथमिकता देना
    • स्थानीय ज्ञान का उपयोग करना

जैविक खेती के उद्देश्य

जैविक खेती के उद्देश्य इस कृषि पद्धति के मूल दर्शन को प्रतिबिंबित करते हैं। आइए इन उद्देश्यों पर विस्तार से चर्चा करें। जैविक खेती के उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

  • पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखना
  • जैव विविधता को बढ़ावा देना
  • मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार
  • रासायनिक प्रदूषण को कम करना
  • स्थानीय संसाधनों का उपयोग

1. स्वस्थ और सुरक्षित खाद्य उत्पादन

जैविक खेती के उद्देश्य में स्वास्थ्यवर्धक और सुरक्षित खाद्य पदार्थों का उत्पादन करना शामिल है:

  • रासायनिक अवशेषों से मुक्त: जैविक उत्पादों में हानिकारक रसायनों के अवशेष नहीं होते, जो उन्हें अधिक सुरक्षित बनाता है।
  • पोषक तत्वों की उच्च मात्रा: कुछ अध्ययनों से पता चला है कि जैविक उत्पादों में कुछ पोषक तत्वों की मात्रा अधिक हो सकती है।
  • एंटीबायोटिक मुक्त: जैविक पशुपालन में एंटीबायोटिक्स का रोटीन उपयोग नहीं किया जाता, जो एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खतरे को कम करता है।
  • GMO मुक्त: जैविक खेती में आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (GMOs) का उपयोग नहीं किया जाता।
  • स्वाद और गुणवत्ता: कई लोगों का मानना है कि जैविक उत्पादों का स्वाद बेहतर होता है और वे अधिक ताजे होते हैं।

2. पर्यावरण संरक्षण

जैविक खेती पर्यावरण संरक्षण को एक जैविक खेती के उद्देश्य के रूप में रखती है:

  • मिट्टी का संरक्षण: जैविक खेती मिट्टी की संरचना और जैविक पदार्थों को बढ़ाती है, जो मिट्टी के कटाव को रोकता है।
  • जल संरक्षण: कुशल सिंचाई प्रणालियों और जल प्रबंधन तकनीकों का उपयोग किया जाता है।
  • जैव विविधता का संरक्षण: रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग न करने से कीड़े और अन्य जीवों की विविधता बनी रहती है।
  • वायु प्रदूषण में कमी: रासायनिक स्प्रे के उपयोग न करने से वायु प्रदूषण कम होता है।
  • कार्बन पदचिह्न में कमी: जैविक खेती में कम ऊर्जा और संसाधनों का उपयोग होता है, जो ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करता है।

3. स्थायी कृषि प्रणाली का विकास

जैविक खेती के उद्देश्य में जैविक खेती का एक महत्वपूर्ण उद्देश्य है, एक ऐसी कृषि प्रणाली विकसित करना जो लंबे समय तक चल सके:

  • प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण: जैविक खेती मिट्टी, जल और जैव विविधता जैसे प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करती है।
  • ऊर्जा दक्षता: स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके और कम इनपुट वाली प्रणालियों को अपनाकर ऊर्जा की खपत को कम किया जाता है।
  • आर्थिक स्थिरता: जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग किसानों को लंबे समय तक स्थिर आय प्रदान कर सकती है।
  • सामाजिक न्याय: जैविक खेती छोटे और सीमांत किसानों को सशक्त बनाने का प्रयास करती है।
  • भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधनों का संरक्षण: जैविक खेती वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लिए प्राकृतिक संसाधनों को संरक्षित करने का प्रयास करती है।

इन जैविक खेती के उद्देश्य के माध्यम से, जैविक खेती न केवल गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पादन सुनिश्चित करती है, बल्कि एक व्यापक दृष्टिकोण अपनाती है जो पर्यावरण, समाज और अर्थव्यवस्था के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है। यह एक ऐसी कृषि प्रणाली है जो वर्तमान की जरूरतों को पूरा करते हुए भविष्य की पीढ़ियों के लिए भी संसाधनों को सुरक्षित रखती है।

प्रति किलो जैविक खाद की क्या कीमत होती है?

जैविक खाद का प्रकारअनुमानित कीमत (₹ प्रति किलो)विशेषताएँ
वर्मी कम्पोस्ट₹5 – ₹15केंचुओं से बनी, पोषक तत्वों से भरपूर
गोबर की खाद (सूखी/सड़ी)₹2 – ₹6आसानी से उपलब्ध, मिट्टी की संरचना सुधारती
हरी खाद₹1 – ₹3खेत में ही उगाई जाती है, सस्ती और उपयोगी
जैव उर्वरक (राइजोबियम आदि)₹10 – ₹30सूक्ष्म जीवाणुओं पर आधारित, फसल-विशेष प्रभाव
बायोगैस स्लरी₹1 – ₹4बायोगैस संयंत्र से प्राप्त, तरल रूप में भी उपलब्ध
पंचगव्य₹20 – ₹40देसी गाय के उत्पादों से बनी, जैविक शक्ति बढ़ाती
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जैविक खेती की तकनीक

नीचे जैविक खेती की तकनीकों को संक्षेप में तालिका-रूप में प्रस्तुत किया गया है। प्रत्येक बिंदु टिकाऊ/जैविक कृषि सिद्धांतों से संरेखित है।

श्रेणीतकनीक/कदमसंक्षिप्त विवरण
मिट्टी प्रबंधनजैविक पदार्थ बढ़ाएँगोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट, नाडेप/घना कम्पोस्ट से कार्बनिक पदार्थ व सूक्ष्मजीव सक्रियता बढ़ाएँ।
कवर क्रॉप/हरी खादढैंचा, सनै, क्लोवर, अल्फाल्फा जैसी नाइट्रोजन-फिक्सिंग फसलें बोकर जुताई से मिलाएँ।
मल्चिंगसूखी घास/फसल-अवशेष से नमी-संरक्षण, खरपतवार दमन और कटाव में कमी।
फसल विविधताफसल चक्रदलहन–अनाज–तिलहनी का रोटेशन कर कीट/रोग दबाव घटाएँ और पोषण संतुलन रखें।
मिश्रित/अंतरवर्तीय खेतीसहफसली संयोजनों से संसाधन-उपयोग व जोखिम-वितरण बेहतर करें।
उर्वरककम्पोस्ट/खादअच्छी तरह सड़ी खाद का प्रयोग; कच्चे गोबर का सीधा प्रयोग सीमित रखें।
जैव उर्वरकराइजोबियम, पीएसबी, एज़ोटोबैक्टर/एज़ोस्पिरिलम से बीज/मृदा उपचार करें।
बीज व उपचारप्रमाणित/देशी बीजरसायन-मुक्त/जैविक स्रोत के बीज; स्थानीय अनुकूलन वाली किस्में चुनें।
जैव/प्राकृतिक बीजोपचारट्राइकोडर्मा, पीएसबी, नीम-लहसुन अर्क, छाछ आधारित घोल का उपयोग।
कीट-रोग प्रबंधनजैविक कीटनाशकनीम तेल/खली, Bt, पाइरेथ्रम; लक्ष्यित और कम-आवृत्ति स्प्रे।
जैव नियंत्रणलेडीबर्ड बीटल जैसे परभक्षी, ट्राइकोग्रामा जैसे परजीवी ततैया का उपयोग/संरक्षण।
सांस्कृतिक उपायसमय पर बुवाई, प्रतिरोधी किस्में, फेरोमोन/स्टिकी ट्रैप, साफ़ खेत सीमाएँ।
खरपतवारनिराई-गुड़ाईशुरुआती 30–45 दिनों में नियमित मैनुअल/यांत्रिक निराई।
मल्च/स्मदर क्रॉपमल्च व तेज़ बढ़वार वाली कवर/स्मदर फसलों से खरपतवार दबाएँ।
जल प्रबंधनसूक्ष्म सिंचाईड्रिप/स्प्रिंकलर से जल-बचत व सटीक पोषण (जैव घोल फर्टिगेशन)।
वर्षाजल-संचयनखेत-तालाब, कंटूर बंडिंग, गली-प्लग से नमी व रिचार्ज बढ़ाएँ।
जुताई/संरक्षणकम जुताई/नॉटिलमिट्टी संरचना व कार्बन संरक्षण; कटाव घटाएँ, जैविकता बढ़ाएँ।
अवशेष प्रबंधनफसल-अवशेष लौटाकर कार्बनिक पदार्थ/नमी धारण क्षमता बढ़ाएँ।
पशुपालन एकीकरणफार्म-लूप पोषणगोबर-गोमूत्र, बायोगैस स्लरी, पोल्ट्री लीद को खाद/कम्पोस्ट में बदलें।
रोटेशनल ग्रेज़िंगनियंत्रित चराई से चरागाह पुनर्जनन व मिट्टी स्वास्थ्य बेहतर करें।
पोस्ट-हार्वेस्ट/मार्केटस्वच्छ हैंडलिंगसफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग से गुणवत्ता व मूल्य-वृद्धि।
प्रमाणन/PGSसमूह प्रमाणन/PGS या तृतीय-पक्ष प्रमाणन से बाज़ार पहुँच बढ़ाएँ।
कम-लागत जैव घोलनीम अर्क/नीम खलीचूसक/काटने वाले कीटों पर प्रभावी; 2–3% घोल सामान्य। पहले छोटे प्लॉट पर परीक्षण।
छाछ/दूध घोलकुछ फफूंद रोगों में सहायक; स्थानीय मानक के अनुसार प्रयोग करें।
आरंभिक कदममृदा परीक्षणपोषण-योजना व फसल चक्र चुनने का आधार; मौसमी SOP तय करें।
चरणबद्ध अपनानाछोटे डेमो-प्लॉट से जैव-इनपुट/प्रथाएँ जाँचकर विस्तार करें।

मृदा प्रबंधन तकनीक | Soil Management Techniques

जैविक खेती में मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने के लिए रासायनिक उर्वरकों के बजाय प्राकृतिक और जैविक उर्वरकों का उपयोग किया जाता है:

  1. कंपोस्ट: यह जैविक अपशिष्ट से तैयार किया गया उच्च गुणवत्ता वाला खाद है। इसमें पौधों के अवशेष, पशु मल, और अन्य जैविक पदार्थ शामिल होते हैं। कंपोस्ट मिट्टी की संरचना सुधारता है और पोषक तत्व प्रदान करता है।
  2. वर्मीकंपोस्ट: यह केंचुओं द्वारा जैविक अपशिष्ट को अपघटित करके बनाया जाता है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ाता है।
  3. हरी खाद: इसमें फसल अवशेषों या विशेष रूप से उगाई गई फसलों को मिट्टी में मिलाया जाता है। यह नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाता है और मिट्टी की संरचना सुधारता है।
  4. जैव उर्वरक: ये लाभदायक सूक्ष्मजीवों का उपयोग करते हैं जो मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं। उदाहरण: राइजोबियम, एजोटोबैक्टर, और फॉस्फेट घुलनशील बैक्टीरिया।
  5. प्राकृतिक खनिज: रॉक फॉस्फेट, डोलोमाइट चूना, और पोटाश रॉक जैसे प्राकृतिक खनिजों का उपयोग किया जाता है।

जैविक कीट नियंत्रण | Organic Pest Control

जैविक खेती में कीट नियंत्रण के लिए प्राकृतिक और जैविक विधियों का उपयोग किया जाता है:

  1. प्राकृतिक कीटनाशक (नीम, लहसुन)
  2. परभक्षी कीड़ों का उपयोग
  3. फेरोमोन ट्रैप
  4. जैविक नियंत्रण एजेंट (जैसे Bt)
  5. भौतिक बाधाएँ (जाल, मल्च)

फसल विविधता तकनीकें | Maintaining Crop Diversity

फसल चक्रीकरण और मिश्रित फसल प्रणाली दो महत्वपूर्ण तकनीकें हैं जो जैविक खेती में फसल विविधता बनाये रखने के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं:

1. फसल चक्रीकरण

  • इसमें एक ही खेत में अलग-अलग मौसमों में विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं।
  • लाभ:
    • मिट्टी के पोषक तत्वों का संतुलन बनाए रखता है।
    • कीट और रोग चक्र को तोड़ता है।
    • मिट्टी की संरचना में सुधार करता है।
  • उदाहरण: दलहन फसलों को अनाज फसलों के साथ रोटेट करना।

2. मिश्रित फसल प्रणाली

  • इसमें एक ही खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाई जाती हैं।
  • लाभ:
    • भूमि का अधिकतम उपयोग।
    • कीट नियंत्रण में मदद करता है।
    • फसल विफलता का जोखिम कम करता है।
  • उदाहरण: मक्का के साथ फलियाँ उगाना, या गेहूं के साथ सरसों।

खरपतवार प्रबंधन | Weed Management

खरपतवार प्रबंधन जैविक खेती में एक महत्वपूर्ण चुनौती है। खरपतवार उन पौधों को कहा जाता है जो बिना बुलाए उग जाते हैं और फसलों के साथ पोषक तत्वों, पानी और सूर्य के प्रकाश के लिए प्रतिस्पर्धा करते हैं।

जैविक खेती में रासायनिक खरपतवारनाशकों का उपयोग प्रतिबंधित है, इसलिए खरपतवार प्रबंधन के लिए प्राकृतिक और यांत्रिक विधियों का उपयोग किया जाता है।जैसे कि:

  • खरपतवारों को हाथ से खींचकर या काटकर हटाना।
  • खुरपी या अन्य उपकरणों का उपयोग करके खरपतवारों को हटाना।
  • खेत में रोलर चलाकर खरपतवारों को नष्ट करना।
  • फसल के अवशेषों को खेत में छोड़कर खरपतवारों के विकास को रोकना।

जैविक खेती के चुनौतियाँ और समाधान

जैविक खेती की प्रमुख चुनौतियाँ और समाधान
क्रमिककारकचुनौतीसमाधान
1उत्पादकताशुरुआती कम उपजमिट्टी सुधार, जैव उर्वरक, फसल चक्रीकरण
2कीट नियंत्रणरासायनिक कीटनाशकों के बिना कठिनाईजैविक कीटनाशक, परभक्षी कीड़े, रोग प्रतिरोधी किस्में
3खरपतवारश्रम-गहन नियंत्रणमैकेनिकल वीडिंग, मल्चिंग, कवर क्रॉप्स
4प्रमाणीकरणजटिल और महंगी प्रक्रियासरकारी सहायता, सामूहिक प्रमाणीकरण
5बाजारसीमित पहुंचस्थानीय बाजार, ई-कॉमर्स, उपभोक्ता जागरूकता
6लागतउच्च प्रारंभिक लागतसब्सिडी, मूल्य वर्धित उत्पाद, स्थानीय संसाधन
7ज्ञानतकनीकी ज्ञान की कमीप्रशिक्षण, किसान-से-किसान शिक्षण, डिजिटल प्लेटफॉर्म
8जलवायु परिवर्तनअतिरिक्त जोखिमजलवायु-अनुकूल किस्में, जल संरक्षण
9संक्रमण अवधिकठिन परिवर्तनचरणबद्ध योजना, वित्तीय सहायता
10उपभोक्ता धारणाकीमत और दिखावट संबंधी चिंताएंजागरूकता अभियान, गुणवत्ता नियंत्रण.
जैविक खेती के चुनौतियाँ और समाधान

इन चुनौतियों के समाधान से जैविक खेती को बढ़ावा मिल सकता है, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है।

जैविक खेती में उपयोग होने वाली जैविक विधियाँ

  1. जीवामृत:
    यह देसी गाय के गोबर, गोमूत्र, गुड़, बेसन और मिट्टी से तैयार एक जैविक घोल है जो मिट्टी की उर्वरता और फसलों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है।
  2. अग्नास्त्र और ब्रह्मास्त्र:
    ये गोमूत्र व नीम, लहसुन जैसी जड़ी-बूटियों से तैयार की गई जैविक कीटनाशक विधियाँ हैं, जो फसल को नुकसान पहुंचाए बिना कीटों को नियंत्रित करती हैं।
  3. वर्मी कम्पोस्ट:
    केंचुए की सहायता से जैविक कचरे को उच्च गुणवत्ता वाले खाद में बदला जाता है, जिससे मिट्टी को प्राकृतिक पोषण मिलता है।

जैविक खेती से जुड़ी सफल किसान कहानियाँ (संकलन अनुभाग)

  • सुभाष पालेकर (महाराष्ट्र):
    प्राकृतिक खेती के जनक, जिन्होंने शून्य बजट खेती की अवधारणा दी।
  • राकेश कासवान (राजस्थान):
    रासायनिक खेती छोड़ जैविक तरीकों से लाखों की आय प्राप्त की।

भविष्य की दिशाएँ और अनुसंधान प्रस्ताव

1. जीनोमिक्स और जैविक कृषि

  • भविष्य में जीनोमिक्स (Genomics) के उपयोग से ऐसी फसलें विकसित की जा रही हैं जो बिना रासायनिक उर्वरकों के भी अधिक उपज दे सकें।
  • वैज्ञानिक अनुसंधान इस दिशा में हो रहा है कि कैसे सूक्ष्मजीवों (Microbes) और फसलों के जीन को समझकर मिट्टी की उर्वरता को प्राकृतिक रूप से बढ़ाया जाए।
  • इससे जैविक फसल सुधार (Organic Crop Improvement) और कीट-प्रतिरोधी किस्मों के विकास में मदद मिलेगी।

2. सस्टेनेबल इनपुट निर्माण (Sustainable Input Development)

  • आने वाले समय में ध्यान ऐसे जैविक उर्वरक, कंपोस्ट और बायो-पेस्टिसाइड्स पर होगा जो स्थानीय रूप से तैयार हों और पर्यावरण के अनुकूल हों।
  • कृषि अपशिष्ट से जैविक खाद बनाना, वर्मी-कम्पोस्ट यूनिट्स लगाना और बायोचार तकनीक का उपयोग इसमें प्रमुख भूमिका निभाएंगे।
  • इससे किसानों की लागत कम होगी और पर्यावरणीय स्थिरता बनी रहेगी।

3. रिसर्च एवं नवाचार केंद्र (Research and Innovation Centres)

  • सरकार और निजी संस्थान मिलकर जैविक कृषि अनुसंधान केंद्र स्थापित कर रहे हैं, जहाँ मिट्टी स्वास्थ्य, जैविक उर्वरकों, और बीज सुधार पर काम किया जा रहा है।
  • ऐसे केंद्र किसानों को प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता प्रदान करते हैं ताकि वे आधुनिक जैविक तकनीकों को अपनाकर उत्पादकता बढ़ा सकें।
  • उदाहरण के लिए, ICAR और राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (NCOF) इस दिशा में सक्रिय हैं।

लेखक संदेश (Author’s Message)

जैविक खेती सिर्फ़ खेती का तरीका नहीं, बल्कि मिट्टी, सेहत और भविष्य के प्रति ज़िम्मेदारी है। आज जब रसायनों पर निर्भरता मिट्टी की जान और भोजन की गुणवत्ता दोनों छीन रही है, तब प्राकृतिक संसाधनों, जैविक खादों और स्थानीय जैव-विविधता पर लौटना ही स्थायी समाधान है। किसान तभी सशक्त होंगे जब उत्पादन के साथ मिट्टी का स्वास्थ्य, पानी की बचत और बाज़ार में उचित मूल्य- तीनों साथ चलें। मेरी कोशिश है कि हर किसान सरल तरीकों से ऑर्गेनिक प्रैक्टिस अपनाए: कंपोस्टिंग, फसल चक्र, जैविक कीटनाशक, और प्रमाणन की ओर छोटे-छोटे कदम बढ़ाए। यही कदम खेत को उपजाऊ, भोजन को पौष्टिक और आमदनी को टिकाऊ बनाते हैं।

आकृति जैन

निष्कर्ष

ऑर्गेनिक फार्मिंग यानि जैविक खेती क्या है? ये एक ऐसी कृषि पद्धति है जो पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के प्रति बढ़ती जागरूकता के इस युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यह प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करते हुए गुणवत्तापूर्ण खाद्य उत्पादन पर केंद्रित है। स्थलीय, जलीय और मिश्रित जैसे विभिन्न प्रकार की जैविक खेती विभिन्न परिस्थितियों में अपनाई जाती है। रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का त्याग, मिट्टी की उर्वरता का संरक्षण, और जल संसाधनों का कुशल उपयोग इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं।

जैविक खेती के पर्यावरणीय, स्वास्थ्य और आर्थिक लाभ महत्वपूर्ण हैं, हालांकि शुरुआती कम उत्पादकता, कीट नियंत्रण की कठिनाइयाँ, और बाजार तक सीमित पहुंच जैसी चुनौतियाँ भी हैं। उचित तकनीकों, प्रशिक्षण और सरकारी समर्थन से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। जैविक खेती न केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए स्वस्थ खाद्य उत्पादन सुनिश्चित करती है, बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी कृषि प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

जैविक खेती का क्या अर्थ है?

जैविक खेती कृषि की वह विधा है जिसमें मृदा को स्वस्थ व जीवंत रखते हुए केवल जैव अवशिष्ट, जैविक तथा जीवाणु खाद के प्रयोग से प्रकृति के साथ समन्वय रख कर टिकाऊ फसल उत्पादन किया जाता है।

जैविक खेती के कितने प्रकार होते हैं?

जैविक खेती के प्रकार:
1. एकीकृत जैविक खेती
2. शुद्ध जैविक खेती

जैविक खेती के फायदे और नुकसान क्या हैं?

जैविक खेती के कई फायदे हैं, जैसे कि मृदा की गुणवत्ता में सुधार, पर्यावरण की सुरक्षा, रासायनिक प्रदूषण से मुक्ति और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी। यह कृषि उत्पादन में जैविक तरीकों से बढ़ोतरी करता है, जिससे रासायनिक खादों और कीटनाशकों का उपयोग कम होता है। हालांकि, इसके कुछ नुकसान भी हैं, जैसे उत्पादन की कम दर, अधिक श्रम, और उच्च लागत, जिससे इसे अपनाना महंगा पड़ सकता है।

जैविक खेती का जनक कौन था?

ब्रिटिश वनस्पतिशास्त्री सर अल्बर्ट हॉवर्ड को अक्सर आधुनिक जैविक कृषि का जनक कहा जाता है।

जैविक चिन्ह क्या है?

जैविक चिन्ह एक प्रमाणपत्र है जो यह दर्शाता है कि कोई उत्पाद जैविक तरीके से उत्पादित किया गया है। यह चिन्ह उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि वे प्राकृतिक और स्वस्थ खाद्य उत्पाद खरीद रहे हैं।

जैविक खेती को और किस नाम से जाना जाता है?

इसे कभी-कभी प्राकृतिक खेती (Natural Farming) या हरित खेती के रूप में भी जाना जाता है, विशेष रूप से पारंपरिक संदर्भों में।

जैविक कृषि (Jaivik Krishi) क्या है?

जैविक कृषि एक ऐसी खेती पद्धति है जिसमें रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक और कृत्रिम रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता। इसमें केवल प्राकृतिक खाद, कम्पोस्ट, हरी खाद, गोबर, वर्मी कम्पोस्ट और जैविक कीटनाशक का प्रयोग होता है।

जैविक कृषि के नुकसान क्या हैं?

शुरुआती वर्षों में उत्पादन कम हो सकता है।
अधिक मेहनत और समय की आवश्यकता होती है।
कीट व रोग नियंत्रण कठिन हो सकता है।

जैविक खेती में कौन-कौन सी तकनीकें अपनाई जाती हैं?

जैविक खेती में फसल चक्र, हरी खाद, वर्मी कम्पोस्ट, जैविक कीटनाशक, और प्राकृतिक सिंचाई जैसी तकनीकों का प्रयोग किया जाता है।

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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