Quick Summary
न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को सरकार द्वारा किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्धारित किया गया मूल्य है। MSP से किसानों को हर एक क्षेत्र में फायदा मिला है। पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन में MSP भी एक बड़ा मुद्दा था। एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य, सरकार द्वारा तय किया गया वह न्यूनतम मूल्य होता है जिस पर वह किसानों से उनकी फसलें खरीदने की गारंटी देती है।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि अगर बाजार में दाम गिर भी जाएं, तो किसानों को अपनी उपज के लिए तयशुदा न्यूनतम आय मिल सके। यह सरकार का एक तरह का बाजार में हस्तक्षेप होता है, जो न केवल किसानों की आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में भी मदद करता है।
इस ब्लॉग में आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, न्यूनतम समर्थन मूल्य में कितनी फसल हैं, अलग अलग फसलों के लिए MSP कितनी है, न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारत सरकार द्वारा निर्धारित कुछ प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए गारंटीकृत न्यूनतम मूल्य है। इसका मतलब है कि सरकार इन उत्पादों को MSP से कम कीमत पर नहीं खरीदेगी। MSP किसानों को उचित आय सुनिश्चित करने और उन्हें अनाज के लिए उचित मूल्य दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण नीतिगत उपकरण है।
MSP का फुल फॉर्म होता है – Minimum Support Price जिसे हिंदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं। यह भारत सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसलों के लिए कम से कम तय मूल्य की गारंटी देने के लिए तय किया जाता है। अगर बाज़ार में दाम इससे नीचे चला जाए, तो सरकार किसानों से इस कीमत पर फसल खरीदती है, ताकि उन्हें नुकसान न हो।
| क्र.सं. | MSP मूल्य निर्धारण का तत्व | विवरण / महत्व |
|---|---|---|
| 1 | उत्पादन लागत | किसी फसल के उत्पादन में लगने वाली कुल लागत का आकलन। |
| 2 | कच्चे माल की लागत में परिवर्तन | बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि की लागत में उतार-चढ़ाव। |
| 3 | इनपुट और आउटपुट के बीच मूल्य समानता | उत्पादन लागत और फसल के बाजार मूल्य के बीच संतुलन। |
| 4 | बाजार में मूल्य रुझान | फसल के वर्तमान और पूर्व के बाजार मूल्य का विश्लेषण। |
| 5 | आपूर्ति और मांग | किसी फसल की उपलब्धता और बाजार में मांग का स्तर। |
| 6 | फसलों के बीच मूल्य समानता | विभिन्न फसलों के MSP में संतुलन बनाए रखना। |
| 7 | विनिर्माण क्षेत्र की लागत संरचना पर प्रभाव | MSP तय होने पर उद्योग क्षेत्र की लागत और मूल्य संरचना पर प्रभाव। |
| 8 | जीवन यापन के खर्च पर प्रभाव | MSP किसान की जीवन यापन की लागत को कवर करने में सक्षम होना चाहिए। |
| 9 | समग्र मूल्य स्तर पर प्रभाव | MSP तय करने से कुल आर्थिक मूल्य स्तर पर पड़ने वाला प्रभाव। |
| 10 | वैश्विक स्तर पर मूल्य की स्थिति | अंतरराष्ट्रीय बाजार में फसल के मूल्य का असर। |
| 11 | किसानों को भुगतान की समानता | सरकार द्वारा भुगतान और MSP के माध्यम से किसानों को समान लाभ। |
| 12 | निर्गम मूल्य निर्धारण और सब्सिडी प्रभाव | निर्यात मूल्य और सब्सिडी की स्थिति पर MSP का प्रभाव। |
स्वतंत्रता के समय भारत में अनाज उत्पादन में भारी कमी थी। पहले संकटमय दशक के बाद भारत ने प्रमुख कृषि सुधारों को लागू करने का फैसला किया। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पहली बार केंद्र द्वारा 1966-67 में स्थापित किया गया था। पहली बार गेहूं का एमएसपी 54 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था।
हरित क्रांति के मार्ग पर भारतीय प्राधिकारियों ने किसानों को खाद्य फसलों को उगाने के लिए पुरस्कृत किए जाने की आवश्यकता को पहचाना। अन्यथा किसान उत्पादन हेतु गेहूं और धान जैसी फसलों का चयन नहीं करेंगे क्योंकि ये फसलें श्रम प्रधान हैं और इन फसलों की पैदावार भी आशानुरूप नहीं होती है। नतीजन, किसानों को प्रोत्साहित करने और फसलों के उत्पादन में सुधार करने के लिए 1960 के दशक में एमएसपी (MSP in Hindi) को अपनाया गया था।
MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी फसलों के लिए उपलब्ध नहीं है। सरकार हर साल MSP को कृषि लागत और मूल्यों आयोग (CAC) की सिफारिशों के आधार पर तय करती है। पहले 2023-2024 के मूल्यों पर सरकार द्वारा फसलों को खरीदा जाता था।
19 जून 2024 को मार्केटिंग सत्र 2024-2025 के लिए सरकार ने 14 खरीफ फसलों की MSP को बढ़ाया है वहीं, 16 October 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकार ने मार्केटिंग सत्र 2025-26 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में भी वृद्धि की है।
| नंबर | फसल | खरीफ / रबी / अन्य | किस्म | 2024-25 का MSP | 2025-26 का MSP | वृद्धि (₹) |
|---|---|---|---|---|---|---|
| 1 | धान | खरीफ | सामान्य | 2300 | 2369 | +69 |
| ग्रेड “A” | 2320 | 2389 | +69 | |||
| 2 | ज्वार | खरीफ | हाइब्रिड | 3371 | 3699 | +328 |
| मलदानी | 3421 | 3749 | +328 | |||
| 3 | बाजरा | खरीफ | — | 2625 | 2775 | +150 |
| 4 | रागी | खरीफ | — | 4290 | 4886 | +596 |
| 5 | मक्का(Makka msp rate 2025) | खरीफ | — | 2225 | 2400 | +175 |
| 6 | तूर / अरहर | खरीफ | — | 7550 | 8000 | +450 |
| 7 | मूंग(mung msp 2025) | खरीफ | — | 8682 | 8768 | +86 |
| 8 | उड़द | खरीफ | — | 7400 | 7800 | +400 |
| 9 | मूंगफली | खरीफ | — | 6783 | 7263 | +480 |
| 10 | सूरजमुखी बीज | खरीफ | — | 7280 | 7721 | +441 |
| 11 | सोयाबीन (पीला) | खरीफ | — | 4892 | 5328 | +436 |
| 12 | तिल | खरीफ | — | 9267 | 9846 | +579 |
| 13 | नाइजर सीड | खरीफ | — | 8717 | 9537 | +820 |
| 14 | कपास | खरीफ | मीडियम स्टेपल | 7121 | 7710 | +589 |
| लॉन्ग स्टेपल | 7521 | 8110 | +589 | |||
| 15 | गेहूं(Paddy msp 2025-26) | रबी | — | — | 2425 | — |
| 16 | जौ | रबी | — | — | 1980 | — |
| 17 | चना | रबी | — | — | 5650 | — |
| 18 | मसूर | रबी | — | — | 6700 | — |
| 19 | सरसों | रबी | — | — | 5950 | — |
| 20 | कुसुम | रबी | — | — | 5940 | — |
| 21 | तोरई (तोरिया?) | रबी / खरीफ | — | — | 5450 | — |
| 22 | खोपरा | अन्य फसलें | मिलिंग | — | 11582 | — |
| बॉल | — | 12100 | — | |||
| 23 | नारियल (भूसी निकली) | अन्य फसलें | — | — | 2930 | — |
| 24 | जूट | अन्य फसलें | — | — | 5050 | — |
यहाँ पर 2025–26 के लिए अद्यतन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सभी फसलों के लिए भरकर प्रस्तुत किया गया है, जिसमें हाल ही में भारत सरकार द्वारा घोषित MSP को सम्मिलित किया गया है:
यदि आप चाहें तो इस सूची को PDF/Excel फॉर्मेट में कन्वर्ट किया जा सकता है या इसे राज्यवार/फसलवार भी प्रस्तुत किया जा सकता है। बताएं यदि आपको किसी विशेष डेटा प्रस्तुति की ज़रूरत हो।
MSP मूल्य किसानों की उत्पादन लागत (जैसे बीज, उर्वरक, सिंचाई, श्रम) को कम से कम 50% अधिक लाभ प्रदान करने के लिए निर्धारित किया जाता है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CAC) विभिन्न कारकों पर विचार करके कैबिनेट द्वारा MSP का निर्धारण किया जाता है, जैसे:
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही FCI (Food Corporation of India) किसानों से उनकी फसलें खरीदता है। वर्तमान 2025 में भारत सरकार ने MSP के लिए कुल 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची में रखा है।
| सं. | खाद्यान्न | MSP 2024–25 (₹/क्विंटल) | MSP 2025–26 (₹/क्विंटल) | वृद्धि (₹) |
|---|---|---|---|---|
| 1 | धान (Dhan msp 2025-26) | 2,300 | 2,470 | +170 |
| 2 | गेहूं | 2,125 | 2,425 | +300 |
| 3 | मक्का | 2,225 | 2,370 | +145 |
| 4 | ज्वार (हाइब्रिड) | 3,371 | 3,572 | +201 |
| ज्वार (मालदांडी) | 3,421 | 3,673 | +252 | |
| 5 | रागी | 4,290 | 4,937 | +647 |
| 6 | बाजरा | 2,625 | 2,750 | +125 |
| 7 | जौ | 1,735 | 1,980 | +245 |
| सं. | दलहन | MSP 2024–25 (₹/क्विंटल) | MSP 2025–26 (₹/क्विंटल) | वृद्धि (₹) |
|---|---|---|---|---|
| 1 | चना | 5,335 | 5,650 | +315 |
| 2 | अरहर | 7,000 | 7,550 | +550 |
| 3 | उड़द | 6,950 | 7,400 | +450 |
| 4 | मूंग(मूंग का समर्थन मूल्य 2025-26) | 8,558 | 8,682 | +124 |
| 5 | मसूर | 6,000 | 6,700 | +700 |
| सं. | खाद्यान्न | MSP 2024‑25 (₹/qtl) | MSP 2025‑26 (₹/qtl) | वृद्धि (₹) |
|---|---|---|---|---|
| 1 | सरसों | 5,450 | 5,950 | +500 |
| 2 | मूंगफली | 6,783 | 7,263 | +480 |
| 3 | सोयाबीन (पीला) | 4,892 | 5,328 | +436 |
| 4 | सूरजमुखी बीज | 7,280 | 7,721 | +441 |
| 5 | तिल (सेसमम) | 9,267 | 9,846 | +579 |
| 6 | कुसुम (रैपसीड) | 5,650 | 5,940 | +290 |
| 7 | नाइजरसीड | 8,717 | 9,537 | +820 |
| 8 | तोरई (Toria) | 5,450 | 5,950* | +500 |
| सं. | फसल | 2024‑25 MSP | 2025‑26 MSP | वृद्धि (₹) |
|---|---|---|---|---|
| 1 | कपास – मीडियम स्टेपल | 7,121 | 7,710 | +589 |
| कपास – लॉन्ग स्टेपल | 7,521 | 8,110 | +589 | |
| 2 | खोपरा – मिलिंग | 10,860 | 11,582 | +722 |
| खोपरा – बॉल | 11,750 | 12,100 | +350 | |
| 3 | कच्चा जूट (Raw Jute – TD‑3) | 5,335 | 5,650 | +315 |
| 4 | नारियल (De‑husked Coconut) | 2,930 | 3,013 | +83 /अनुमान आधारित |
न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को अनेकों लाभ हैं जिसमें न्यूनतम आय की गारंटी, बाजार जोखिम से सुरक्षा, उत्पादन बढ़ावा, आर्थिक स्थिरता, खाद्य सुरक्षा, कृषि क्षेत्र में निवेश और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार सामिल है।
ये सभी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ मिलकर किसानों कई आर्थिक और सामाजिक परेशानियों से बाहर निकलते हैं। इन सभी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं:
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी प्रदान करता है। यह मूल्य सरकार द्वारा तय किया जाता है ताकि फसल की कीमत गिरने पर भी किसानों को नुकसान न हो।
इससे किसानों को अपनी उपज के लिए न्यूनतम निश्चित मूल्य मिलता है, जो उनकी आय को स्थिर करता है और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। MSP के कारण किसान साहूकारों और बिचौलियों के चंगुल से बच सकते हैं और उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिलता है।
MSP का मुख्य उद्देश्य किसानों को बाजार में फसल के मूल्य में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाना है। जब बाजार में फसलों की कीमत MSP से नीचे गिर जाती है, तो सरकार किसानों से उनकी फसल MSP पर खरीदती है। इससे किसानों को एक निश्चित न्यूनतम आय की गारंटी मिलती है, जिससे उन्हें अपने उत्पादन की लागत निकालने में मदद मिलती है।
MSP प्रणाली के तहत, किसान बाजार के जोखिम से सुरक्षित रहते हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। यह कृषि क्षेत्र में स्थिरता और प्रगति को भी प्रोत्साहित करता है।
MSP से उत्पादन बढ़ावा इसलिए मिलता है क्योंकि किसान निश्चिंत होकर अधिक मात्रा में फसल उगाते हैं। उन्हें पता होता है कि उन्हें उनके उत्पाद का न्यूनतम मूल्य अवश्य मिलेगा।
यह नीति किसानों को आर्थिक सुरक्षा देती है और उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है। परिणामस्वरूप, कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होती है।
जब बाजार में कीमतें गिरती हैं, तब भी MSP किसानों को एक न्यूनतम आय सुनिश्चित करता है। यह नीति किसानों को जोखिम से बचाती है और उनकी उपज की एक न्यूनतम कीमत की गारंटी देती है। इसके अलावा, MSP किसानों को बेहतर उत्पादन और निवेश के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास होता है।
कुल मिलाकर, MSP से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।
किसानों को उनकी फसलों के लिए एक न्यूनतम मूल्य की गारंटी दी जाती है, जिससे वे आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करते हैं और अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। जब किसान अधिक फसल उगाते हैं, तो बाजार में खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ती है। सरकार MSP पर फसलों की खरीद करके इन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीब और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाती है।
इस प्रकार, एमएसपी न केवल किसानों की आय को स्थिर रखता है बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और सस्ती दर पर सुनिश्चित करता है।
किसान अपनी कमाई को नए कृषि उपकरण, उन्नत बीज, और सिंचाई सुविधाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके अलावा, MSP की वजह से किसान कर्ज़ लेने में भी आत्मविश्वास महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें अपने उत्पाद का न्यूनतम मूल्य मिलना सुनिश्चित होता है।
इस प्रकार, MSP कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देता है, जिससे कृषि का संपूर्ण विकास होता है और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।
MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों को उनकी फसलों के लिए एक निश्चित मूल्य की गारंटी देता है, जिससे उनकी आमदनी स्थिर रहती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होता है क्योंकि किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। जब किसानों को उचित मूल्य मिलता है, तो वे अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे स्थानीय बाजारों में व्यापार बढ़ता है। इससे गाँवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और सामुदायिक विकास में तेजी आती है।
MSP की वजह से किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुल मिलाकर, MSP से ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान होता है।
वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तंत्र मुख्य रूप से गेहूँ और धान जैसी प्रमुख फसलों की सरकारी खरीद तक सीमित है। जबकि अन्य फसलों के लिए केवल मूल्य की घोषणा कर देना किसानों को अपेक्षित लाभ दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं होता। इस स्थिति को सुधारने हेतु बजट में यह संकेत दिया गया था कि नीति आयोग, केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से एक संगठित प्रणाली विकसित करेगा, जिससे किसानों को तब भी उचित पारिश्रमिक मिल सके जब बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे चला जाए।
इस उद्देश्य की पूर्ति सरकारी खरीद या एक अंतर-वित्तीय सहायता तंत्र के माध्यम से की जा सकती है, जिसके अंतर्गत एमएसपी और बाजार मूल्य के बीच का अंतर सीधे किसानों को प्रदान किया जाए।
हालांकि, वर्तमान वित्तीय वर्ष में केंद्र की खरीद नीति को लेकर स्पष्टता की कमी है, लेकिन पूर्व के आंकड़ों के आधार पर यह आकलन किया गया है कि 2018-19 तक एमएसपी में बढ़ोतरी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 0.5% से 1% तक वृद्धि हो सकती है।
दूसरी ओर, यदि इस खरीद प्रक्रिया पर कुल सरकारी व्यय लगभग ₹15,000 करोड़ (जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.1% है) तक सीमित रहता है, तो इससे केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालाँकि, यह लागत उस रणनीति और नए एमएसपी लागू करने की कार्यप्रणाली पर निर्भर करेगी जो भविष्य में अपनाई जाएगी।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार द्वारा की जाने वाली खरीद किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन, इस कार्यक्रम से सरकार के खर्च में भी वृद्धि होती है, जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:
कभी-कभी MSP के कारण किसान एक ही फसल पर अधिक निर्भर हो जाते हैं, जैसे गेहूं या धान। इसका कारण यह है कि इन फसलों पर MSP की गारंटी अधिक होती है, जिससे किसान दूसरी फसलों को उगाने में रुचि नहीं दिखाते। यह कृषि विविधता को कम करता है और मिट्टी की उर्वरता पर भी नकारात्मक असर डालता है। इसके अलावा, अगर किसी साल उस फसल का उत्पादन अधिक हो जाए, तो कीमतें गिर सकती हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। इसलिए, फसल विविधीकरण पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।
MSP तय करते समय सरकार कुछ प्रमुख लागतों का ध्यान रखती है:
सरकार इन लागतों को ध्यान में रखकर MSP की घोषणा करती है, जिससे किसानों को उनकी वास्तविक उत्पादन लागत से कम नुकसान न हो।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) न केवल किसानों की आर्थिक सुरक्षा का स्तंभ है, बल्कि कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास को भी प्रोत्साहित करता है। MSP के प्रभावी क्रियान्वयन से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलता है, जिससे उनकी आजीविका सुधरती है। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिले हैं।
इस ब्लॉग में आपने विस्तार से न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, न्यूनतम समर्थन मूल्य कितनी फसल हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची, इसके लाभ और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव के बारे में जाना।
MSP की शुरुआत 1960 के दशक में हरित क्रांति के दौरान की गई थी, ताकि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सके।
MSP और कृषि बीमा दोनों ही किसानों की आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं; MSP फसल के मूल्य की गारंटी देता है, जबकि बीमा प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।
MSP का भविष्य इस पर निर्भर करता है कि सरकार इसे कितना प्रभावी बनाती है, और क्या इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाता है। MSP में सुधार और अधिक समावेशी बनाने की दिशा में कई नीतिगत कदम उठाए जा सकते हैं।
MSP का कृषि नीति पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह नीति निर्धारण में एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, जो किसानों की आय, फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है।
MSP के तहत किसानों की शिकायतों का समाधान एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र, त्वरित प्रतिक्रिया, और पारदर्शी नीतियों के माध्यम से किया जा सकता है।
सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 के लिए सामान्य किस्म के धान का MSP ₹2,300 प्रति क्विंटल और ग्रेड “A” धान का MSP ₹2,389 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 के लिए मूंग का MSP ₹8,768 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
MSP मुख्य रूप से 23 फसलों पर लागू होता है, जिनमें धान, गेहूं, जौ, दालें (चना, अरहर), तिलहन (सरसों, सूरजमुखी), और कपास जैसी नकदी फसलें शामिल हैं।
MSP किसानों को उनकी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है, जिससे बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव का असर उनकी आय पर कम पड़ता है।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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