भारत नदियों का देश है, जहां जीवन और संस्कृति नदियों के साथ जुड़ी हुई हैं। यहां नदियों को केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और आर्थिक आधार माना जाता है।
भारतीय संस्कृति और धर्म में नदियों का महत्व प्राचीन काल से ही अत्यंत विशेष रहा है। भारत की नदियां देश की प्राचीन सभ्यताओं का अभिन्न हिस्सा रही हैं। ये नदियां न केवल सिंचाई और पीने के पानी का मुख्य स्रोत हैं, बल्कि सस्ता परिवहन, बिजली उत्पादन और आजीविका का साधन भी प्रदान करती हैं। भारत में कई प्रकार की नदियां बहती हैं, जो देश की समृद्ध नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। इस लेख में 100 नदियों के नाम,भारत में कितनी नदी है, नदी किसे कहते हैं, nadiyon ka mahatva पर प्रकाश डाली गई है।
भारत में बहने वाली प्रमुख नदियों के नाम? | Bharat ki Pramukh Nadiyan
भारत में बहने वाली प्रमुख नदियों के नाम हैं: गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा, ताप्ती, महानदी और कावेरी। इसके अलावा, कुछ अन्य महत्वपूर्ण नदियाँ जो भारत में बहती हैं, वे हैं: सरयू, रामगंगा, कोसी, घाघरा, चंबल, चेनाब, झेलम, दामोदर, बेतवा और पद्मा।
नदी किसे कहते हैं?
नदी एक प्राकृतिक जलधारा है, जो पर्वत, पहाड़ या किसी ऊँचे स्थान से शुरू होकर मैदानों और घाटियों से बहती हुई समुद्र, झील या किसी अन्य जल निकाय में गिरती है। यह जल का सबसे स्थायी और महत्वपूर्ण स्रोत है। नदियाँ न केवल पेयजल और सिंचाई के लिए उपयोगी हैं, बल्कि यह पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने में भी मदद करती हैं।
100 प्रमुख नदियों के नाम | Bharat Mein kul kitni Nadiyan Hain
भारत की 400 नदियों में से यह हैं 100 नदियों के नाम।
गंगा नदी
यमुना नदी
ब्रह्मपुत्र नदी
सतलज नदी
चिनाब नदी
रावी नदी
ब्यास नदी
झेलम नदी
घाघरा नदी
गंडक नदी
कोसी नदी
सोन नदी
महानदी नदी
गोदावरी नदी
कृष्णा नदी
कावेरी नदी
ताप्ती नदी
नर्मदा नदी
पेन्नार नदी
तुंगभद्रा नदी
साबरमती नदी
लूणी नदी
दामोदर नदी
रूपनारायण नदी
हुगली नदी
सुवर्णरेखा नदी
मंदाकिनी नदी
चंबल नदी
बेतवा नदी
केन नदी
शारदा नदी
गोमती नदी
हिंडन नदी
अलकनंदा नदी
भागीरथी नदी
टौंस नदी
खारी नदी
ब्रह्माणी नदी
इरावदी नदी
कपिला नदी
काली सिंध नदी
कुर्मा नदी
सिंध नदी
कर्नाफुली नदी
तीस्ता नदी
तीस्ता नदी
महानंदा नदी
भोगावती नदी
शारदा नदी
मेघना नदी
रूपनारायण नदी
सुवर्णरेखा नदी
वेदावती नदी
कोयना नदी
भीमा नदी
भारद्वती नदी
हेमवती नदी
वंशधारा नदी
इंद्रावती नदी
प्राणहिता नदी
वरदा नदी
किन्नर नदी
पेरियार नदी
काली नदी
सरयू नदी
सरस्वती नदी
रुक्मावती नदी
सर्जू नदी
लखनवी नदी
नेत्रावती नदी
गुंडक नदी
घाघरी नदी
बागमती नदी
दाहा नदी
खासी नदी
हनुमंती नदी
चंद्रभागा नदी
पन्ना नदी
भागा नदी
रामगंगा नदी
सिंधु नदी
अरपा नदी
पार्वती नदी
मनस नदी
बानास नदी
अरवरी नदी
माही नदी
ब्रह्माणी नदी
झरपद नदी
दमन गंगा नदी
मनोरमा नदी
शरावती नदी
सोम नदी
वैगई नदी
वरुणा नदी
मांडवी नदी
माँड नदी
नोय्याल नदी
अड्यार नदी
फेनी नदी
bharat ki nadiyon ke naam | bharat ki pramukh nadiyon ke naam
भारत में कितनी नदी है? | Bharat ki 10 Nadiyon ke Naam
1. हिमालयी नदियाँ
विशेषताएँ– हिमालय से निकलने वाली नदियाँ बर्फ के पिघलने और वर्षा के पानी से साल भर बहती रहती हैं। ये नदियाँ बहाव में तेज होती हैं और अपने साथ मिट्टी, बालू, कंकड़, और अन्य छोटे-छोटे कणों लेकर आती हैं, जिससे उनके आसपास की भूमि अत्यधिक उपजाऊ होती है।
उद्गम स्थल– इन नदियों का स्रोत हिमालय की हिमाच्छादित चोटियाँ हैं।
प्रमुख नदियाँ–
गंगा
यमुना
ब्रह्मपुत्र
सतलज
घाघरा और कोसी
2. प्रायद्वीपीय नदियाँ
विशेषताएँ– ये नदियाँ भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्र से निकलती हैं और अधिकतर वर्षा पर निर्भर होती हैं। इनका बहाव तेज होता है, और वे गहरी घाटियाँ बनाती हैं। इनमें पानी मौसमी होता है, इसलिए गर्मियों में इनमें जल प्रवाह कम हो जाता है।
उद्गम स्थल– इन नदियों का स्रोत पश्चिमी घाट, पूर्वी घाट और प्रायद्वीपीय पठार हैं।
प्रमुख नदियाँ:
कावेरी
गोदावरी
कृष्णा
नर्मदा
ताप्ती
3. तटीय नदियाँ
विशेषताएँ– ये नदियाँ छोटी और संकरी होती हैं। इनका प्रवाह मुख्यतः मानसून के दौरान अधिक रहता है। ये समुद्र के पास स्थित क्षेत्रों में बहती हैं और अक्सर वहां के निवासियों के लिए जल और आजीविका का मुख्य स्रोत होती हैं।
उद्गम स्थल– इन नदियों का स्रोत पश्चिमी घाट और पूर्वी तटीय मैदान हैं।
उद्गम स्थान: कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के कोडागु जिले के ब्रह्मगिरि पर्वत से होता है।
विशेषताएँ: इसे दक्षिण भारत की जीवनरेखा कहा जाता है। यह सिंचाई, जल आपूर्ति और पनबिजली उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण है।
लंबाई: लगभग 805 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: हेमावती, भवानी, काबिनी, अमरावती।
गोदावरी नदी
उद्गम स्थान: गोदावरी नदी का उद्गम महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर (नासिक) में होता है।
विशेषताएँ: इसे दक्षिण गंगा या ‘दक्षिण भारत की गंगा’ कहा जाता है।
लंबाई: लगभग 1465 किलोमीटर, जो इसे दक्षिण भारत की सबसे लंबी नदी बनाती है।
मुख्य सहायक नदियाँ: प्राणहिता, इंद्रावती, मंजीरा, सबरी।
कृष्णा नदी
उद्गम स्थान: कृष्णा नदी का उद्गम महाराष्ट्र के सतारा जिले में महाबलेश्वर से होता है।
विशेषताएँ: यह दक्षिण भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
लंबाई: लगभग 1400 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: तुंगभद्रा, भीमा, घटप्रभा, कोयना।
नर्मदा नदी
उद्गम स्थान: नर्मदा नदी का उद्गम मध्य प्रदेश के अमरकंटक से होता है।
विशेषताएँ: यह पश्चिम की ओर बहने वाली प्रमुख नदियों में से एक है।
लंबाई: लगभग 1312 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: बंजर, तवा, शेर, हिरण।
पेन्नार नदी
उद्गम स्थान: पेन्नार नदी का उद्गम कर्नाटक के नंदी हिल्स से होता है।
विशेषताएँ: यह आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में जल आपूर्ति और सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण है।
लंबाई: लगभग 597 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: चितरवती, कुमुदवती, जयंती।
पूर्व और पश्चिमी भारत की नदियाँ
नदी का नाम
उद्गम स्थल
गिरने का स्थान
महानदी
छत्तीसगढ़
बंगाल की खाड़ी
दामोदर
झारखंड
हुगली नदी में
रूपनारायण
पश्चिम बंगाल
बंगाल की खाड़ी
लूणी
अरावली, राजस्थान
कच्छ का रण
गोमती
उत्तर प्रदेश
गंगा में मिलती है
पूर्व और पश्चिमी भारत की नदियाँ | bharat ki pramukh nadiyon ke naam
महानदी
उद्गम स्थान: महानदी का उद्गम छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के सिहावा क्षेत्र से होता है।
विशेषताएँ: इसे ‘ओडिशा की जीवनरेखा’ कहा जाता है। यह नदी बाढ़ के लिए भी जानी जाती है।
लंबाई: लगभग 858 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: शिवनाथ, हसदेव, जोंक, तेल, इब।
दामोदर नदी
उद्गम स्थान: दामोदर नदी का उद्गम झारखंड के छोटानागपुर पठार से होता है।
विशेषताएँ: इसे ‘बंगाल का शोक’ कहा जाता था क्योंकि यह पहले बाढ़ के लिए कुख्यात थी।
लंबाई: लगभग 592 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: बराकर, कोनार।
रूपनारायण नदी
उद्गम स्थान: यह नदी पश्चिम बंगाल में सिंहभूम जिले से निकलती है।
विशेषताएँ: यह गंगा-ब्रह्मपुत्र डेल्टा क्षेत्र में स्थित एक प्रमुख नदी है।
लंबाई: लगभग 240 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: शिलाई, धरानी।
लूणी नदी
उद्गम स्थान: लूणी नदी का उद्गम राजस्थान के अजमेर जिले के अरावली पहाड़ियों में नाग पहाड़ से होता है।
विशेषताएँ: यह पश्चिम भारत की एकमात्र प्रमुख नदी है जो मरुस्थलीय क्षेत्र में बहती है।
लंबाई: लगभग 495 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: जवाई, सूकड़ी, बांडी।
गोमती नदी
उद्गम स्थान: गोमती नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के पिलभित जिले के माधोटांडा क्षेत्र से होता है।
विशेषताएँ: यह गंगा की प्रमुख सहायक नदी है और उत्तर प्रदेश के कई महत्वपूर्ण शहरों से होकर बहती है।
लंबाई: लगभग 900 किलोमीटर।
मुख्य सहायक नदियाँ: सई, चौका, सरायन।
भारत की प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम स्थल
नदी का नाम
उद्गम स्थल
गंगा
गंगोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड
यमुना
यमुनोत्री ग्लेशियर, उत्तराखंड
ब्रह्मपुत्र
मानसरोवर, तिब्बत
गोदावरी
त्र्यंबकेश्वर, महाराष्ट्र
नर्मदा
अमरकंटक, मध्य प्रदेश
भारत की प्रमुख नदियाँ और उनके उद्गम स्थल | bharat ki pramukh nadiyon ke naam
भारत की सबसे लंबी नदी | Bharat ki Sabse Lambi Nadi
भारत की सबसे लंबी नदी है — गंगा नदी
कुल लंबाई: लगभग 2,525 किलोमीटर
भारत में बहने वाली लंबाई: लगभग 2,510 किलोमीटर
उत्पत्ति: उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से (जहाँ इसे भागीरथी कहा जाता है)
मिलन बिंदु: भागीरथी और अलकनंदा नदियाँ मिलकर देवप्रयाग में गंगा बनती हैं।
अंतिम बिंदु: यह पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
नदियों का महत्त्व (Nadiyon ka Mahatva)
नदियाँ किसी भी देश के लिए जीवनरेखा होती हैं, और भारत में नदियों का महत्व (nadiyon ka mahatva)अपार है। भारत की नदियाँ न केवल जल का स्रोत हैं, बल्कि यह देश की कृषि, उद्योग, परिवहन, ऊर्जा उत्पादन और सांस्कृतिक परंपराओं का आधार भी हैं। इनका योगदान हमारे जीवन के हर पहलू में होता है।
1. सिंचाई और जल प्रबंधन
नदियाँ उपजाऊ भूमि को सिंचाई का जल प्रदान करती हैं और भारत की अधिकांश खेती इन्हीं पर निर्भर है। भारतीय किसान नदियों से जल लेकर खेतों में फसलों को सींचते हैं। गंगा, गोदावरी, और कृष्णा जैसी नदियाँ विशेष रूप से कृषि के लिए उपयोगी हैं।
2. आजीविका का स्रोत
नदियाँ लाखों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत हैं।
मछली पालन
पर्यटन
परिवहन
3. पेयजल का स्रोत
नदियाँ पेयजल का प्रमुख स्रोत हैं। लाखों लोगों को नदियों से जल शुद्धिकरण के बाद पीने का पानी मिलता है। गंगा, यमुना, नर्मदा और गोदावरी जैसी नदियाँ बड़ी आबादी को पीने का पानी उपलब्ध कराती हैं।
4. सांस्कृतिक और धार्मिक महत्त्व
भारत की नदियाँ केवल जल का स्रोत नहीं हैं, बल्कि यह सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं का अभिन्न हिस्सा भी हैं।
गंगा नदी- हिंदू धर्म में गंगा को पवित्र माना जाता है। यह “मां गंगा” के रूप में पूजी जाती है और इसके किनारे हरिद्वार, वाराणसी जैसे पवित्र तीर्थस्थल स्थित हैं।
यमुना नदी- भगवान कृष्ण की कथाओं से जुड़ी यमुना नदी का धार्मिक महत्व है।
सरस्वती नदी-ऐतिहासिक और पौराणिक दृष्टि से सरस्वती नदी का विशेष स्थान है।
5. जल विद्युत उत्पादन
भारत में नदियों पर बनाए गए बांध और जलविद्युत परियोजनाएँ ऊर्जा उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नदियों के तेज प्रवाह का उपयोग कर बिजली का उत्पादन पर्यावरण के अनुकूल और सतत विकास को बढ़ावा देता है।
हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाएँ
भारत में जल विद्युत उत्पादन नदियों के तेज प्रवाह का उपयोग कर ऊर्जा उत्पन्न करने का एक प्रमुख साधन है। जल विद्युत परियोजनाओं से ऊर्जा उत्पादन के साथ-साथ सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, और पीने के पानी की आपूर्ति जैसे कई अन्य लाभ भी प्राप्त होते हैं।
भाखड़ा नांगल परियोजना (सतलज नदी)
भाखड़ा नांगल परियोजना हिमाचल प्रदेश और पंजाब की सीमा पर स्थित है और यह सतलज नदी पर बनाई गई है।
विशेषताएँ- यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी और सबसे महत्वपूर्ण जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है। इसमें 225.5 मीटर ऊँचा भाखड़ा बांध शामिल है, जो दुनिया के सबसे ऊँचे गुरुत्वाकर्षण बांधों में से एक है। भाखड़ा नांगल परियोजना की जलविद्युत उत्पादन क्षमता 1,325 मेगावाट है।
लाभ- यह पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों को बिजली प्रदान करती है। परियोजना सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराकर हरित क्रांति में सहायक रही है। यह बाढ़ नियंत्रण और जल संचयन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
हीराकुंड बांध (महानदी)
हीराकुंड बांध ओडिशा के संबलपुर जिले में महानदी पर स्थित है।
विशेषताएँ– यह बांध 25.8 किमी लंबाई के साथ दुनिया के सबसे लंबे मिट्टी के बांधों में से एक है। इसकी जलविद्युत उत्पादन क्षमता लगभग 307.5 मेगावाट है।
लाभ– यह सिंचाई और जल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है, जिससे ओडिशा और आसपास के क्षेत्रों में कृषि को बढ़ावा मिलता है। परियोजना से उत्पन्न बिजली ओडिशा के अलावा छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों को भी आपूर्ति की जाती है। हीराकुंड बांध जल संरक्षण, मछली पालन, और पर्यटन को भी प्रोत्साहित करता है।
भारत की प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना
भारत में कई प्रमुख बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाएं हैं, जो जल संसाधन के उपयोग, सिंचाई, बिजली उत्पादन, बाढ़ नियंत्रण और जल आपूर्ति जैसी जरूरतों को पूरा करती हैं। इनमें से कुछ परियोजनाओं का महत्व और उनके योगदान को विस्तार से समझते हैं।
नाथपा झाकड़ी परियोजना (सतलज नदी)
नाथपा झाकड़ी परियोजना हिमाचल प्रदेश में सतलज नदी पर स्थित है। यह परियोजना भारत की सबसे बड़ी भूमिगत जल विद्युत परियोजनाओं में से एक है और इसकी कुल स्थापित क्षमता 1,500 मेगावाट है।
विवरण- यह परियोजना सतलज जल विद्युत निगम (SJVN) द्वारा संचालित है और हिमालय के कठिन भूभाग में बनाई गई है।
विशेषताएं- इसमें भूमिगत सुरंगें और भूमिगत बिजलीघर शामिल हैं। यह परियोजना बिजली उत्पादन के लिए नदी के पानी का कुशल प्रबंधन करती है।
योगदान- इस परियोजना से उत्पादित बिजली उत्तरी ग्रिड को प्रदान की जाती है, जिससे हिमाचल प्रदेश और आसपास के राज्यों की ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं।
टिहरी बांध (भागीरथी नदी)
उत्तराखंड में स्थित टिहरी बांध भारत के सबसे ऊंचे बांधों में से एक है और भागीरथी नदी पर निर्मित है।
उद्देश्य- यह परियोजना बिजली उत्पादन, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए बनाई गई है।
क्षमता- टिहरी बांध से लगभग 1,000 मेगावाट बिजली उत्पन्न होती है।
महत्व- यह उत्तर भारत के राज्यों को बिजली और जल आपूर्ति करता है, साथ ही गंगा के पानी को नियंत्रित कर बाढ़ से बचाव भी करता है।
सरदार सरोवर बांध (नर्मदा नदी)
गुजरात में नर्मदा नदी पर स्थित सरदार सरोवर बांध एक बहुउद्देशीय परियोजना है।
उद्देश्य- इसका मुख्य उद्देश्य सिंचाई, बिजली उत्पादन और पीने के पानी की आपूर्ति है।
विशेषताएं- यह परियोजना गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लाखों किसानों और घरों को लाभान्वित करती है।
परिणाम- सरदार सरोवर बांध ने सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पानी की उपलब्धता बढ़ाई है और बड़े पैमाने पर हरित क्रांति को संभव बनाया है।
इदमलयार परियोजना (केरल)
केरल में स्थित इदमलयार परियोजना एक बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजना है, जो न केवल जल विद्युत उत्पादन में सहायक है, बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा देती है।
भौगोलिक स्थिति- यह परियोजना केरल की इदमलयार नदी पर बनाई गई है, जो पेरियार नदी की सहायक नदी है।
बिजली उत्पादन- इदमलयार परियोजना में जल विद्युत संयंत्र की क्षमता 75 मेगावाट है। यह संयंत्र केरल राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
सिंचाई- इस परियोजना से क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराया जाता है, जिससे कृषि क्षेत्र को बड़ा लाभ होता है।
पर्यटन- इदमलयार बांध का क्षेत्र अपनी सुंदरता और हरियाली के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बन गया है।
पर्यावरण प्रबंधन- परियोजना ने बाढ़ नियंत्रण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और आसपास के क्षेत्रों में पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में मदद की है।
निष्कर्ष
नदियाँ भारतीय संस्कृति, धर्म और अर्थव्यवस्था का आधार हैं। ये न केवल जल का स्रोत हैं, बल्कि हमारी परंपराओं, सभ्यताओं और आजीविका का केंद्र भी हैं। नदियाँ हमारे लिए केवल भौतिक संसाधन नहीं, बल्कि प्रेरणा का स्रोत भी हैं, जो हमें जीवन के महत्व और प्रकृति के साथ सामंजस्य का पाठ सिखाती हैं। इस ब्लॉग में 100 नदियों के नाम, भारत में कितनी नदी है, नदी किसे कहते हैं, भारत की नदियाँ और nadiyon ka mahatv पर विस्तार से चर्चा की गई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
क्या भारत में 400 नदियां हैं?
भारत में हजारों नदियाँ हैं, लेकिन प्रमुख नदियों की संख्या लगभग 200 है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और ताप्ती प्रमुख नदियों में से हैं।
भारत में कुल कितनी नदियाँ हैं?
भारत में हजारों नदियां हैं, लेकिन प्रमुख नदियों की संख्या लगभग 200 है। गंगा, यमुना, ब्रह्मपुत्र, गोदावरी, कृष्णा, नर्मदा और ताप्ती प्रमुख नदियों में से हैं।
कौन सी दो नदियां उल्टी बहती हैं?
भारत की दो प्रमुख नदियाँ जो उल्टी बहती हैं, वे हैं नर्मदा नदी और ताप्ती नदी। ये नदियाँ पश्चिमी भारत में बहती हैं और ये आमतौर पर अन्य नदियों के मुकाबले समुद्र की ओर नहीं, बल्कि समुद्र से दूर, यानी पश्चिम की ओर बहती हैं।
भारत की 12 प्रसिद्ध नदियां कौन सी हैं?
भारत की 12 प्रमुख नदियाँ गंगा, यमुन, सिंधु, गोमती, नर्मदा, ताप्ती, महाकौशल, कावेरी, कृष्णा, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र और सतलुज हैं। ये नदियाँ भारतीय संस्कृति, कृषि और जल आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
Bharat ki Sabse Badi Nadi kaun si Hai?
गंगा नदी भारत की सबसे लंबी नदी है। कुल लंबाई: लगभग 2,525 किलोमीटर यह उत्तराखंड के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है और बंगाल की खाड़ी में गिरती है। यह भारत के कई राज्यों से होकर बहती है – उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल।
Authored by, Aakriti Jain Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.