Quick Summary
पशुपालन मतलब (Animal Husbandry) के चार प्रमुख प्रकार हैं, जैसे कि डेरी फार्मिंग, मुर्गी पालन, मछली पालन, मधुमक्खी पालन। इसमें सबसे फायदेमंद बिजनेस में से एक कुक्कुट/ मुर्गी फार्मिंग है, क्योंकि ये कम लागत और बड़े रिटर्न देने वाला बिजनेस है। पोल्ट्री फार्म को कुछ बेसिक चीजों की जरूरत होती है, जैसे पोल्ट्री हाउस या पिंजरा, अनाज, पानी, बिजली, आदि।
पक्षियों को इसलिए पाला जाता है क्योंकि अंडे और मांस प्रोटीन का एक बड़ा सोर्स हैं। यहां तक कि वेस्ट पदार्थ यानी मल का उपयोग भी खाद के रूप में किया जाता है। तो अगर आप भी पोल्ट्री फार्म शुरू करने के बारे में सोच रहें है और उससे जुडी सभी जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो यह लेख अंत तक पढ़िए।
Poultry का अर्थ हिंदी में “कुक्कुट पालन” या “मुर्गी पालन” होता है। यह एक कृषि आधारित व्यवसाय है, जिसमें मुर्गी, बत्तख, टर्की और अन्य पक्षियों को अंडे और मांस उत्पादन के लिए पाला जाता है। पोल्ट्री उद्योग भारत में तेजी से विकसित हो रहा है और रोजगार का एक बड़ा स्रोत बन चुका है।

पोल्ट्री फार्म बिजनेस का मतलब है मुर्गियां, बत्तख, हंस, कबूतर, टर्की आदि जैसे पक्षियों को मांस और अंडे के लिए पालना और ब्रीडिंग कराना। भारत में ज्यादातर मुर्गियाँ बड़ी संख्या में पाली जाती हैं। मुर्गी पालन एक प्रकार का पशुपालन है, जहां मांस और अंडे के लिए मुर्गी और अन्य पक्षियों का पालन किया जाता है। अंडे के लिए पाली जाने वाली मुर्गियों को लेयर्स(Egg Layers) कहते हैं, जबकि मांस के लिए पाली जाने वाली मुर्गियों को ब्रॉयलर(Briolers) कहा जाता है। मुर्गीपालन फार्मिंग सेक्टर का सबसे तेजी से बढ़ने वाला सेक्टर है।
पोल्ट्री फार्म में काम करने की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है:
Step 1 – पोल्ट्री फार्म शुरू करने से पहले आपको ये तय करना जरूरी है की आप क्या बिजनेस करना चाहते है। मांस का प्रोडक्शन, अंडे का प्रोडक्शन, या अंडे और मांस की पैकेजिंग और मार्केटिंग, आदि। अपनी क्षेत्र में मुर्गी पालन और अंडे/मांस की मांग का अध्ययन करें।
Step 2 – पोल्ट्री फार्म लाइसेंस प्राप्त करें – स्थानीय नियमों और कानूनों की जानकारी प्राप्त करें। पोल्ट्री फार्म लाइसेंस पशुपालन विभाग या नगरपालिका द्वारा जारी किया जाता है, जो राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के आधार पर भिन्न होता है। आपको निम्न अनुमतियों की आवश्यकता होगी:
Step 3 – पोल्ट्री फार्म के लिए जगह डिसाइड करें। उस स्थान को फाइनल कर लें, जहां से बिजनेस चलाना आसान हो। मतलब कस्टमर या मार्केट तक पहुंचना आसान हो और ट्रांसपोर्टेशन का भी खर्चा कम लगे।
Step 4 – फिर आपको जरूरत के अनुसार ब्रायलर, लेयर्स या दोनों को खरीद के पालना शुरू करना है। जैसे-जैसे बिजनेस बढ़ता है, आप मांग और प्रॉफिट के आधार पर और पक्षियों को जोड़ सकते हैं।
Step 5 – अपने बिजनेस को एक अच्छा नाम दें। अगर आप बिजनेस बढ़ाना चाहते हैं तो आप अपनी खुद की वेबसाइट बनाकर या कुछ ऑनलाइन सेलर्स से संपर्क करके इसे ऑनलाइन भी बेच सकते हैं।
Step 6 – मुर्गीपालन बिजनेस में बहुत ज्यादा निवेश की जरूरत नहीं होती है। लेकिन इसके लिए मेंटेनेंस, रॉ मैटेरियल, जगह, पक्षी, कर्मचारी, मुर्गियों का खाना और पानी आदि की जरूरत होती है। आपके पास एक अच्छा फाइनेंशियल प्लान होना चाहिए। आप बैंकों से लोन के लिए भी अप्लाई कर सकते हैं।

मुर्गी पालन के लिए इन्वेस्टमेंट 1,00,000 से शुरू होकर 10,00,000 तक जा सकता है। ये पूरी तरह से मुर्गियों के प्रकार और आप कितना बड़ा बिजनेस करना चाहते हैं, इस पर डिपेंड करता है। आपको पक्षी, पिंजरे, भोजन, जमीन आदि खरीदने के लिए धन की जरूरत होगी और अंडे और मांस की क्वांटिटी के अनुसार आपको भारत में हर साल मुर्गी पालन व्यवसाय से औसत मुनाफा 10-20% के बीच सकता है। कुछ सफल मुर्गी पालन व्यवसाय 30-40% तक का मुनाफा भी कमा सकते हैं।
निवेश –
प्रॉफिट –
बिजनेस में प्रॉफिट आपके निवेश और मेहनत पर निर्भर है। देखा जाए तो मुर्गी फार्म में लगभग 10-12 लाख का प्रति वर्ष का लाभ मिलता है। यूं कहें तो 10-20% का प्रॉफिट मार्जिन है।
| योजना | विवरण | लाभार्थी |
| National Livestock Mission (NLM) | वैज्ञानिक प्रजनन प्रथाओं (scientific breeding practices) और बेहतर फार्म प्रबंधन को बढ़ावा देता है। प्रति परियोजना ₹35 लाख तक का अनुदान प्रदान करता है । | मुर्गी पालन करने वाले किसान, FPOs, कोऑपरेटिवेस (सहकारी समितियां) |
| Sub-Mission on Agriculture Mechanization (SMAM) | मुर्गी पालन उपकरण की लागत पर 40% तक सब्सिडी प्रदान करता है (अधिकतम सब्सिडी राशि ₹10 लाख) | मुर्गी पालन करने वाले किसान, FPOs, कोऑपरेटिवेस (सहकारी समितियां) |
| Animal Husbandry Dairy & Fisheries (AHDF) Schemes | छोटे पोल्ट्री किसानों, महिला उद्यमियों और एससी/एसटी (SC/ST) समुदायों को लक्षित सहायता प्रदान करता है। लाभों में चूजों पर सब्सिडी, चारा, टीकाकरण, बुनियादी ढांचे का विकास, विपणन सहायता (marketing assistance) और प्रशिक्षण कार्यक्रम शामिल हैं। | छोटे पोल्ट्री किसानों, महिला उद्यमियों और एससी/एसटी (SC/ST) समुदाय |

पोल्ट्री फार्म लाइसेंस प्राप्त करने के लिए आवश्यक दस्तावेज:
पोल्ट्री फार्म बिज़नेस(Poultry Farming Business) शुरू करने के लिए पोल्ट्री केज काफी अहम है। चिकेन का स्वास्थ्य काफी हद तक इस पर निर्भर करेगा कि पोल्ट्री केज उनके लिए कितना सुविधाजनक है। 1000 पक्षियों के लिए कम से कम 500 वर्गफीट जगह होनी चाहिए और इसमें पक्षियों के टहलने और नेचुरल लाइट और उचित वेंटिलेशन के लिए 100 वर्गफीट जगह और होने चाहिए।
शेड की चौड़ाई आप कम से कम 30 फीट जरुर रखें और लम्बाई आवश्यकता अनुसार रखें। अगर आपको 1500 वर्गफीट जगह चाहिए तो लम्बाई 50 फीट और चौड़ाई 30 फीट, तब कुल जगह 30X50 = 1500 वर्गफीट.
पोल्ट्री फार्म में बहुत से फायदे और नुकसान हैं। जैसे:
| फायदे | नुकसान |
| आय का स्रोत: मुर्गी पालन व्यवसाय आय का एक अच्छा स्रोत हो सकता है, खासकर यदि इसे कुशलतापूर्वक और बड़े पैमाने पर संचालित किया जाए। | बीमारियों का डर: मुर्गी पालन व्यवसायों को बीमारियों का खतरा होता है, जो बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकता है। |
| ज्यादा डिमांड: मुर्गी पालन मांस और अंडे का उत्पादन करता है, जो दोनों ही महत्वपूर्ण खाद्य पदार्थ हैं। | बाजार में उतार-चढ़ाव: मुर्गी और अंडे की कीमतें अस्थिर हो सकती हैं, जिससे मुनाफे में कमी हो सकती है। |
| बहुत अधिक कैपिटल की आवश्यकता नहीं है: अन्य कृषि व्यवसायों की तुलना में, मुर्गी पालन व्यवसाय को शुरू करने के लिए अपेक्षाकृत कम पूंजी की आवश्यकता होती है। | चारा और अन्य आदानों की लागत: चारा और अन्य आदानों की कीमतें बढ़ने से मुनाफे पर असर पड़ सकता है। |
| तेज़ी से बढ़ने वाला व्यवसाय: मुर्गी पालन व्यवसाय दुनिया भर में तेजी से बढ़ रहा है। | पर्यावरणीय प्रभाव: मुर्गी पालन व्यवसायों का पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जैसे कि जल प्रदूषण और गंध उत्सर्जन। |
| सरकारी सहायता: कुछ सरकारें मुर्गी पालन व्यवसायों को सब्सिडी या अन्य सहायता प्रदान करती हैं। जिसकी वजह से आसान लोन मिल जाता है। | अधिक श्रम की आवश्यकता: मुर्गी पालन व्यवसाय को श्रम-गहन माना जाता है, जिसके लिए नियमित देखभाल और रखरखाव की आवश्यकता होती है। |
| बहुत ज्यादा जगह की जरूरत नहीं है | प्रतिस्पर्धा: मुर्गी पालन व्यवसाय में कम्पटीशन तीव्र हो सकती है, खासकर बड़े पैमाने पर उत्पादकों के साथ। |
| कम मेंटेनेंस की जरूरत होती है | भोजन की कमी: आपको नियमित रूप से और सही मात्रा में खाना खिलाना होगा। अगर ऐसा नियमित रूप से न किया तो मुर्गी को नुक्सान हो सकता है। |
| आसानी से मिल जाता है लाइसेंस | पक्षियों से इंसानों में बीमारी की संभावना |
| निवेश पर फास्ट रिटर्न | पक्षियों की सुरक्षा की ज़िम्मेदारी |

पशु कल्याण संगठन पोल्ट्री फार्मिंग के दौरान अपनाई जाने वाली अमानवीय प्रथाओं की बार-बार आलोचना करते हैं। जीवित मुर्गियों को तंग बैटरी पिंजरों में ट्रकों से ले जाना एक आम दृश्य है। एनिमल आउटलुक जैसी संस्थाएं गुप्त जांचों के जरिए चिकन फार्मों और बूचड़खानों में क्रूरता को उजागर कर चुकी हैं, जिससे पशु अधिकारों की गंभीर अनदेखी सामने आती है।
अंडा देने वाली मुर्गियों के पालन में एक कठोर प्रक्रिया है—नर चूजों को जन्म के तुरंत बाद मार दिया जाता है क्योंकि वे अंडे नहीं देते और मांस उत्पादन के लिए उपयुक्त नहीं होते। इसे रोकने के लिए “इन-ओवो लिंग निर्धारण” तकनीक का विकास हो रहा है, जो अंडों को सेने से पहले नष्ट करने में मदद करती है।
अधिकतर मुर्गियों को वध से पहले इलेक्ट्रिकल वाटर बाथ या कार्बन डाइऑक्साइड से बेहोश किया जाता है। हालांकि, हाल के अध्ययन बताते हैं कि निष्क्रिय गैस या कम वायुमंडलीय दबाव जैसे वैकल्पिक तरीकों से कम दर्दनाक मृत्यु दी जा सकती है।
पंख चोंचने और नरभक्षण रोकने के लिए मुर्गियों की चोंच काट दी जाती है, अक्सर एक दिन की उम्र में ही। यह प्रक्रिया बिना एनेस्थीसिया के की जाती है और दीर्घकालिक दर्द का कारण बन सकती है। वैज्ञानिक शोधों में चोंच कटने के बाद न्यूरोमास जैसे दर्दजनक न्यूरोलॉजिकल लक्षणों का पता चला है।
तेजी से बढ़ोत्तरी और रोग से बचाव के लिए पोल्ट्री फार्मिंग में भारी मात्रा में एंटीबायोटिक्स दी जाती हैं। हालांकि यह उत्पादन को सस्ता बनाता है, लेकिन इससे एंटीबायोटिक प्रतिरोध और मानव स्वास्थ्य पर जोखिम बढ़ता है।
कुछ पोल्ट्री फीड में रॉक्सार्सोन जैसे आर्सेनिक यौगिक शामिल होते हैं, जो विकास को तेज करते हैं। यह यौगिक पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरा बन सकते हैं, खासकर जब यह चिकन लिवर में जमा हो जाते हैं।
पोल्ट्री मांस में ई. कोली और साल्मोनेला का संक्रमण एक आम समस्या है, जो अधपकी चिकन खाने से गंभीर बीमारियाँ फैला सकता है। हालांकि अच्छी तरह से पकाने पर यह बैक्टीरिया मर सकते हैं, लेकिन प्रोसेसिंग के दौरान साफ-सफाई की कमी से खतरा बना रहता है।
अत्यधिक भीड़भाड़ वाले फार्म्स में एवियन इन्फ्लुएंजा जैसी वायरल बीमारियाँ आसानी से फैल सकती हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि फैक्ट्री फार्मिंग महामारी फैलाने का माध्यम बन सकता है।
मुर्गियों का अपशिष्ट उच्च नाइट्रोजन युक्त होता है, जो अगर सही तरीके से न निपटाया जाए तो मिट्टी और जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकता है। खाद बनाने और जलाने जैसी तकनीकों के इस्तेमाल से इस समस्या को कुछ हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।
बीमार या मृत मुर्गियों के शवों का उचित निपटान ज़रूरी होता है। आम तौर पर इसे दफनाने, जलाने या खाद बनाने के रूप में निपटाया जाता है। इन तरीकों का पर्यावरणीय प्रभाव भी ध्यान में रखना आवश्यक है।
पोल्ट्री फार्मों में कोयोट, लोमड़ी, बाज और सांप जैसे शिकारी अक्सर मुर्गियों के लिए खतरा बनते हैं। किसानों को इनसे सुरक्षा के लिए विशेष उपाय करने पड़ते हैं।
चिकन फार्मों में कार्यरत श्रमिकों को उच्च चोट दर, रेस्पिरेटरी समस्याएं और त्वचा रोगों का सामना करना पड़ता है। खराब वेंटिलेशन, धूल और रोगाणुओं की अधिकता के कारण काम करने की स्थिति कठिन होती है
मुर्गी पालन/पोल्ट्री फार्म एक बहुत ही फायदेमंद बिजनेस है। अगर आप सोचते कि बहुत से लोग ऐसा कर रहे हैं इसलिए आपको ज्यादा कमाने का मौका नहीं मिलेगा लेकिन ये सच नहीं है। अंडे और मांस की डिमांड हमेशा बनी रहेगी। तो ये कारोबार तब ही ख़त्म होगा, जब लोग मांस खाना छोड़ देंगे। अगर आप सही ट्रेनिंग लेते हैं, तो आप बहुत सारा पैसा कमा सकते हैं।
सबसे खास बात सफाई एवं क्वालिटी बनाए रखना है। क्योंकि बर्ड फ्लू जैसी बीमारी के कारण आपका पूरा बिजनेस ठप हो सकता है। साथ ही खराब पानी और अन्य गंदगी की वजह से आस पास के लोगों को भी बीमारियां हो सकती हैं। पशुओं की सही और अच्छी नस्लों का चयन करें। बिजनेस बढ़ता रहे इसके लिए आपको अपने लाइवस्टॉक या पशु -पक्षियों का अच्छे से पालन-पोषण करना चाहिए।
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मध्यम स्तर के पोल्ट्री व्यवसाय के लिए, आवश्यक धनराशि लगभग 1.5 लाख रूपये से 3.5 लाख रूपये के बीच होती है। बड़े पैमाने पर पोल्ट्री फार्म को 7 लाख रुपये के निवेश के साथ शुरू किया जा सकता है।
पोल्ट्री फार्म गांव से 2 से 5 किलोमीटर की दूरी पर होना आदर्श होता है।
– बाजार में सामान्यत: 1 किलो मुर्गे की कीमत ₹150 से ₹250 के बीच होती है, जो नसल और फार्म पर निर्भर करती है।
– अंडे का रेट ₹4 से ₹7 प्रति अंडा (या अधिक) हो सकता है। यह मौसम, गुणवत्ता और आपूर्ति के हिसाब से बदलता रहता है।
– एक अंडा देने वाली मुर्गी लगभग 100-120 ग्राम फीड (चिकन फीड) प्रतिदिन खाती है।
– मांस मुर्गी (ब्रॉयलर) की खुराक अधिक हो सकती है, क्योंकि उन्हें जल्दी वजन बढ़ाने के लिए अधिक आहार की आवश्यकता होती है। ये मुर्गी दिन में लगभग 120-150 ग्राम फीड खाती हैं, और उनका आहार प्रोटीन से भरपूर होता है।
आमतौर पर, अंडा देने की प्रक्रिया 18 से 20 सप्ताह के बीच शुरू होती है, और इसके बाद मुर्गी नियमित रूप से अंडे देना शुरू कर देती है।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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