न्यूनतम समर्थन मूल्य

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) – किसानों की सुरक्षा और फसल के सही मूल्य की गारंटी

Published on October 8, 2025
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न्यूनतम समर्थन मूल्य

Quick Summary

  • न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) वह मूल्य है जिस पर सरकार कृषि उत्पादों को किसानों से खरीदती है।
  • यह मूल्य, किसानों की उत्पादन लागत से कम से कम डेढ़ गुना अधिक होता है।
  • सरकार, किसानों को विपरीत बिक्री की स्थिति से बचाने और सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए अनाज खरीदने के उद्देश्य से एमएसपी निर्धारित करती है।
  • यह सुनिश्चित करता है कि किसान अपनी फसल का उचित मूल्य प्राप्त करें और उन्हें आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े। इस प्रकार, MSP किसानों के लिए एक सुरक्षा कवच का कार्य करता है।

Table of Contents

न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP को सरकार द्वारा किसानों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए निर्धारित किया गया मूल्य है। MSP से किसानों को हर एक क्षेत्र में फायदा मिला है। पिछले दिनों हुए किसान आंदोलन में MSP भी एक बड़ा मुद्दा था। एमएसपी यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य, सरकार द्वारा तय किया गया वह न्यूनतम मूल्य होता है जिस पर वह किसानों से उनकी फसलें खरीदने की गारंटी देती है।

इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होता है कि अगर बाजार में दाम गिर भी जाएं, तो किसानों को अपनी उपज के लिए तयशुदा न्यूनतम आय मिल सके। यह सरकार का एक तरह का बाजार में हस्तक्षेप होता है, जो न केवल किसानों की आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि देश की खाद्य सुरक्षा बनाए रखने में भी मदद करता है।

इस ब्लॉग में आपको न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, न्यूनतम समर्थन मूल्य में कितनी फसल हैं, अलग अलग फसलों के लिए MSP कितनी है, न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव के बारे में विस्तार से जानकारी मिलेगी।

न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है? | MSP kya Hai?

न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची
न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची | samarthan mulya

परिभाषा

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) भारत सरकार द्वारा निर्धारित कुछ प्रमुख कृषि उत्पादों के लिए गारंटीकृत न्यूनतम मूल्य है। इसका मतलब है कि सरकार इन उत्पादों को MSP से कम कीमत पर नहीं खरीदेगी। MSP किसानों को उचित आय सुनिश्चित करने और उन्हें अनाज के लिए उचित मूल्य दिलाने के लिए एक महत्वपूर्ण नीतिगत उपकरण है।

MSP Full Form | MSP Full Form in Hindi

MSP का फुल फॉर्म होता है – Minimum Support Price जिसे हिंदी में न्यूनतम समर्थन मूल्य कहते हैं। यह भारत सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसलों के लिए कम से कम तय मूल्य की गारंटी देने के लिए तय किया जाता है। अगर बाज़ार में दाम इससे नीचे चला जाए, तो सरकार किसानों से इस कीमत पर फसल खरीदती है, ताकि उन्हें नुकसान न हो।

उद्देश्य

  • किसानों को आय समर्थन: MSP का उद्देश किसानों को बाजार में उतार-चढ़ाव से बचाना है और उन्हें उनकी फसलों के लिए उचित मूल्य मिलने की गारंटी देना है।
  • कृषि उत्पादन में वृद्धि: MSP का उद्देश किसानों को अधिक निवेश करने और उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है।
  • खाद्य सुरक्षा: MSP का उद्देश अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देकर देश की खाद्य सुरक्षा को मजबूत करना है।
  • गरीबी कम करना: किसानों की आय में वृद्धि करके ग्रामीण गरीबी को कम करने में मदद करने का है।

भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के मूल्य निर्धारक तत्व

क्र.सं.MSP मूल्य निर्धारण का तत्वविवरण / महत्व
1उत्पादन लागतकिसी फसल के उत्पादन में लगने वाली कुल लागत का आकलन।
2कच्चे माल की लागत में परिवर्तनबीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि की लागत में उतार-चढ़ाव।
3इनपुट और आउटपुट के बीच मूल्य समानताउत्पादन लागत और फसल के बाजार मूल्य के बीच संतुलन।
4बाजार में मूल्य रुझानफसल के वर्तमान और पूर्व के बाजार मूल्य का विश्लेषण।
5आपूर्ति और मांगकिसी फसल की उपलब्धता और बाजार में मांग का स्तर।
6फसलों के बीच मूल्य समानताविभिन्न फसलों के MSP में संतुलन बनाए रखना।
7विनिर्माण क्षेत्र की लागत संरचना पर प्रभावMSP तय होने पर उद्योग क्षेत्र की लागत और मूल्य संरचना पर प्रभाव।
8जीवन यापन के खर्च पर प्रभावMSP किसान की जीवन यापन की लागत को कवर करने में सक्षम होना चाहिए।
9समग्र मूल्य स्तर पर प्रभावMSP तय करने से कुल आर्थिक मूल्य स्तर पर पड़ने वाला प्रभाव।
10वैश्विक स्तर पर मूल्य की स्थितिअंतरराष्ट्रीय बाजार में फसल के मूल्य का असर।
11किसानों को भुगतान की समानतासरकार द्वारा भुगतान और MSP के माध्यम से किसानों को समान लाभ।
12निर्गम मूल्य निर्धारण और सब्सिडी प्रभावनिर्यात मूल्य और सब्सिडी की स्थिति पर MSP का प्रभाव।
msp kya hai in hindi

भारत में न्यूनतम समर्थन मूल्य(MSP) कब लागू किया गया था?

स्वतंत्रता के समय भारत में अनाज उत्पादन में भारी कमी थी। पहले संकटमय दशक के बाद भारत ने प्रमुख कृषि सुधारों को लागू करने का फैसला किया। न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पहली बार केंद्र द्वारा 1966-67 में स्थापित किया गया था। पहली बार गेहूं का एमएसपी 54 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया था।

MSP की आवश्यकता:

  • वर्ष 2014 और 2015 में लगातार दो सूखे की घटनाओं के कारण किसानों को कीमतों में लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा।
  • विमुद्रीकरण और वस्तु एवं सेवा कर (GST) ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया, जिससे कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्र पंगु हुए।
  • वर्ष 2016-17 के बाद अर्थव्यवस्था में मंदी और कोविड महामारी ने किसानों की स्थिति और कठिन बना दी।
  • डीज़ल, बिजली और उर्वरकों जैसी इनपुट वस्तुओं की उच्च कीमतों ने किसानों के संकट को और बढ़ा दिया।

एमएसपी की शुरुआत करने की आवश्यकता क्यों पड़ी?

हरित क्रांति के मार्ग पर भारतीय प्राधिकारियों ने किसानों को खाद्य फसलों को उगाने के लिए पुरस्कृत किए जाने की आवश्यकता को पहचाना। अन्यथा किसान उत्पादन हेतु गेहूं और धान जैसी फसलों का चयन नहीं करेंगे क्योंकि ये फसलें श्रम प्रधान हैं और इन फसलों की पैदावार भी आशानुरूप नहीं होती है। नतीजन, किसानों को प्रोत्साहित करने और फसलों के उत्पादन में सुधार करने के लिए 1960 के दशक में एमएसपी (MSP in Hindi) को अपनाया गया था।

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से जुड़े मुद्दे क्या हैं?

  • क्रय-फोकस: घरेलू बाजार की कीमतों को संतुलित करने के प्रयास के बजाय, वर्तमान एमएसपी प्रणाली का प्राथमिक लक्ष्य राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) का अनुपालन करना है। यह खरीद मूल्य से ज़्यादा व्यवहार में एमएसपी की तरह काम करता है।
  • गेहूं और धान का प्रभुत्व: एमएसपी में गेहूं और चावल की फसलों पर जोर दिए जाने के कारण, इन फसलों का अत्यधिक उत्पादन होता है, जिससे किसान अन्य फसलों और बागवानी उत्पादों को उगाने से कतराने लगते हैं, जिनकी मांग अधिक होती है।
  • अप्रभावी कार्यान्वयन: 2015 में शांता कुमार समिति ने रिपोर्ट दी थी कि केवल 6 प्रतिशत किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से लाभ मिला है। इससे पता चलता है कि देश के 94 प्रतिशत किसानों को MSP का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची-एमएसपी फसलों की सूची

MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य सभी फसलों के लिए उपलब्ध नहीं है। सरकार हर साल MSP को कृषि लागत और मूल्यों आयोग (CAC) की सिफारिशों के आधार पर तय करती है। पहले 2023-2024 के मूल्यों पर सरकार द्वारा फसलों को खरीदा जाता था।

19 जून 2024 को मार्केटिंग सत्र 2024-2025 के लिए सरकार ने 14 खरीफ फसलों की MSP को बढ़ाया है वहीं, 16 October 2024 की रिपोर्ट के मुताबिक़ सरकार ने मार्केटिंग सत्र 2025-26 के लिए रबी फसलों के एमएसपी में भी वृद्धि की है।

नंबरफसलखरीफ / रबी / अन्यकिस्म2024-25 का MSP2025-26 का MSPवृद्धि (₹)
1धानखरीफसामान्य23002369+69
ग्रेड “A”23202389+69
2ज्वारखरीफहाइब्रिड33713699+328
मलदानी34213749+328
3बाजराखरीफ26252775+150
4रागीखरीफ42904886+596
5मक्का(Makka msp rate 2025)खरीफ22252400+175
6तूर / अरहरखरीफ75508000+450
7मूंग(mung msp 2025)खरीफ86828768+86
8उड़दखरीफ74007800+400
9मूंगफलीखरीफ67837263+480
10सूरजमुखी बीजखरीफ72807721+441
11सोयाबीन (पीला)खरीफ48925328+436
12तिलखरीफ92679846+579
13नाइजर सीडखरीफ87179537+820
14कपासखरीफमीडियम स्टेपल71217710+589
लॉन्ग स्टेपल75218110+589
15गेहूं(Paddy msp 2025-26)रबी2425
16जौरबी1980
17चनारबी5650
18मसूररबी6700
19सरसोंरबी5950
20कुसुमरबी5940
21तोरई (तोरिया?)रबी / खरीफ5450
22खोपराअन्य फसलेंमिलिंग11582
बॉल12100
23नारियल (भूसी निकली)अन्य फसलें2930
24जूटअन्य फसलें5050
2025-2026 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची कुछ इस प्रकार है: | एमएसपी 2025-26 लिस्ट

यहाँ पर 2025–26 के लिए अद्यतन न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) सभी फसलों के लिए भरकर प्रस्तुत किया गया है, जिसमें हाल ही में भारत सरकार द्वारा घोषित MSP को सम्मिलित किया गया है:

न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची / एमएसपी फसलों की सूची (₹/क्विंटल)

यदि आप चाहें तो इस सूची को PDF/Excel फॉर्मेट में कन्वर्ट किया जा सकता है या इसे राज्यवार/फसलवार भी प्रस्तुत किया जा सकता है। बताएं यदि आपको किसी विशेष डेटा प्रस्तुति की ज़रूरत हो।

प्रमुख फसलें

  • धान: धान भारत की सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है और MSP के तहत विभिन्न धान किस्मों को शामिल किया जाता है। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और पंजाब धान के मुख्य उत्पादक राज्य हैं।
  • गेहूं: गेहूं भारत की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण खाद्य फसल है और MSP विभिन्न गेहूं किस्मों के लिए अलग-अलग तय किया जाता है। गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पाद करने वाला राज्य उत्तर प्रदेश है।
  • दलहन: मूंग, उड़द, मसूर, चना, मटर, अरहर, और सोयाबीन सहित कई दलहन फसलों को MSP के तहत कवर किया जाता है।
  • तिलहन: सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सूरजमुखी, और तिल सहित कई तिलहन फसलों को MSP का लाभ मिलता है।
  • अन्य: कपास, गन्ना, जूट, मक्का, मिर्च, आलू, और प्याज जैसी अन्य फसलों को भी MSP के तहत शामिल किया जाता है। जिसमें से कुछ फसलों का निर्धारण राज्य सरकार करती है।

विशेष फसलें

  • मौसमी फसलें: कुछ मौसमी फसलों, जैसे कि टमाटर, भिंडी, बैंगन, और हरी मिर्च, को भी कुछ राज्यों में MSP का लाभ मिलता है।
  • अनुसंधान और विकास (R&D) फसलें: सरकार कुछ R&D फसलों, जैसे कि नई दलहन और तिलहन किस्मों, को MSP के तहत लाने पर विचार कर रही है।

मूल्य निर्धारण | धान का समर्थन मूल्य 2025-26

MSP मूल्य किसानों की उत्पादन लागत (जैसे बीज, उर्वरक, सिंचाई, श्रम) को कम से कम 50% अधिक लाभ प्रदान करने के लिए निर्धारित किया जाता है। कृषि लागत और मूल्य आयोग (CAC) विभिन्न कारकों पर विचार करके कैबिनेट द्वारा MSP का निर्धारण किया जाता है, जैसे:

  • उत्पादन लागत
  • मांग और आपूर्ति
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार मूल्य
  • जीवन यापन लागत

न्यूनतम समर्थन मूल्य कितनी फसलों पे लागू होता है?

कुल फसलों की संख्या

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही FCI (Food Corporation of India) किसानों से उनकी फसलें खरीदता है। वर्तमान 2025 में भारत सरकार ने MSP के लिए कुल 24 फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची में रखा है।

फसलों की सूची

  • ‘कृषि लागत और मूल्य आयोग’ द्वारा सरकार को 22 अधिदिष्ट फसलों (Mandated Crops) के लिये ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ (MSP) तथा गन्ने के लिये ‘उचित और लाभकारी मूल्य’ (FRP) की सिफारिश की जाती है।
    • कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP) कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय का एक संलग्न कार्यालय है।
  • अधिदिष्ट फसलों में 14 खरीफ फसलें, 6 रबी फसलें और दो अन्य वाणिज्यिक फसलें शामिल हैं।
  • इसके अलावा लाही और नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) का निर्धारण क्रमशः सरसों और सूखे नारियल के न्यूनतम समर्थन मूल्यों (MSPs) के आधार पर किया जाता है।

खाद्यान्न

सं.खाद्यान्नMSP 2024–25 (₹/क्विंटल)MSP 2025–26 (₹/क्विंटल)वृद्धि (₹)
1धान (Dhan msp 2025-26)2,3002,470+170
2गेहूं2,1252,425+300
3मक्का2,2252,370+145
4ज्वार (हाइब्रिड)3,3713,572+201
ज्वार (मालदांडी)3,4213,673+252
5रागी4,2904,937+647
6बाजरा2,6252,750+125
7जौ1,7351,980+245

दलहन

सं.दलहनMSP 2024–25 (₹/क्विंटल)MSP 2025–26 (₹/क्विंटल)वृद्धि (₹)
1चना5,3355,650+315
2अरहर7,0007,550+550
3उड़द6,9507,400+450
4मूंग(मूंग का समर्थन मूल्य 2025-26)8,5588,682+124
5मसूर6,0006,700+700

तिलहन

सं.खाद्यान्नMSP 2024‑25 (₹/qtl)MSP 2025‑26 (₹/qtl)वृद्धि (₹)
1सरसों5,4505,950+500
2मूंगफली6,7837,263+480
3सोयाबीन (पीला)4,8925,328+436
4सूरजमुखी बीज7,2807,721+441
5तिल (सेसमम)9,2679,846+579
6कुसुम (रैपसीड)5,6505,940+290
7नाइजरसीड8,7179,537+820
8तोरई (Toria)5,4505,950*+500

अन्य

सं.फसल2024‑25 MSP2025‑26 MSPवृद्धि (₹)
1कपास – मीडियम स्टेपल7,1217,710+589
कपास – लॉन्ग स्टेपल7,5218,110+589
2खोपरा – मिलिंग10,86011,582+722
खोपरा – बॉल11,75012,100+350
3कच्चा जूट (Raw Jute – TD‑3)5,3355,650+315
4नारियल (De‑husked Coconut)2,9303,013+83 /अनुमान आधारित

प्रमुख फसलों का MSP (2025–26)

1. गेहूँ (Wheat)

  • MSP: ₹2,375 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹100
  • विशेषता: भारत की मुख्य रबी फसल, रोटी और आटे के लिए उपयोग

2. धान (Chawal – सामान्य किस्म)

  • MSP: ₹2,300 से ₹2,389 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹117
  • विशेषता: भारत का मुख्य भोजन, खासकर पूर्वी व दक्षिण भारत में

3. मक्का (Makka msp 2025)

  • MSP: ₹2,400 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹175
  • विशेषता: पशु चारा, फूड प्रोसेसिंग, बायोफ्यूल में उपयोग

4. मूंग (Moong MSP 2025 26) | Mung ka Samarthan Mulya

  • MSP: ₹8,768 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹86
  • विशेषता: हल्की दाल, पोषण से भरपूर, सुपाच्य

5. अरहर / तुअर (Pigeon Pea)

  • MSP: ₹7,550 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹550
  • विशेषता: रोजमर्रा की खाने में उपयोग होने वाली दाल

6. चना (Gram)

  • MSP: ₹5,650 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹210
  • विशेषता: बेसन बनाने और प्रोटीन के लिए उपयोगी

7. कपास (Cotton – Medium Staple)

  • MSP: ₹7,710 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹589
  • विशेषता: वस्त्र उद्योग के लिए प्रमुख नकदी फसल

8. सोयाबीन (पीला)

  • MSP: ₹4,892 प्रति क्विंटल
  • वृद्धि: ₹436
  • विशेषता: तेल और प्रोटीन का मुख्य स्रोत

MSP में वृद्धि का महत्त्व

  • पोषक तत्वों से भरपूर अनाज के विकास को उन स्थानों पर प्रोत्साहित किया गया है जहाँ चावल, गेहूँ और अन्य फ़सलों को उगाने से भूजल स्तर पर दीर्घकालिक नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस वृद्धि ने इन अनाजों के बारे में जागरूकता बढ़ाई है।
  • पिछले कुछ वर्षों में तिलहन, दलहन और मोटे अनाज के पक्ष में MSP को फिर से संगठित करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण प्रयास किये गए हैं, जिनका उद्देश्य मांग-आपूर्ति के असंतुलन को ठीक करने हेतु किसानों को सर्वोत्तम तकनीकों और कृषि पद्धतियों को अपनाकर इन फसलों की उपज को बढ़ाने के लिये प्रोत्साहित करना है।

धान समर्थन मूल्य (MSP) 2025-26 | Dhan का समर्थन मूल्य 2025-26

  • धान (सामान्य किस्म) का MSP: ₹ 2,369 प्रति क्विंटल
  • पिछले वर्ष 2024-25 में यह मूल्य ₹ 2,300 प्रति क्विंटल था।
  • धान (Grade A किस्म) का MSP: ₹ 2,389 प्रति क्विंटल

न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ | Benefits of Msp in Hindi

किसानों के लिए लाभ

न्यूनतम समर्थन मूल्य से किसानों को अनेकों लाभ हैं जिसमें न्यूनतम आय की गारंटी, बाजार जोखिम से सुरक्षा, उत्पादन बढ़ावा, आर्थिक स्थिरता, खाद्य सुरक्षा, कृषि क्षेत्र में निवेश और ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार सामिल है।

ये सभी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ मिलकर किसानों कई आर्थिक और सामाजिक परेशानियों से बाहर निकलते हैं। इन सभी न्यूनतम समर्थन मूल्य के लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं:

न्यूनतम आय की गारंटी

MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों के लिए न्यूनतम आय की गारंटी प्रदान करता है। यह मूल्य सरकार द्वारा तय किया जाता है ताकि फसल की कीमत गिरने पर भी किसानों को नुकसान न हो।

इससे किसानों को अपनी उपज के लिए न्यूनतम निश्चित मूल्य मिलता है, जो उनकी आय को स्थिर करता है और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है। MSP के कारण किसान साहूकारों और बिचौलियों के चंगुल से बच सकते हैं और उन्हें अपने उत्पाद का उचित मूल्य मिलता है।

बाजार जोखिम से सुरक्षा

MSP का मुख्य उद्देश्य किसानों को बाजार में फसल के मूल्य में अचानक होने वाले उतार-चढ़ाव से बचाना है। जब बाजार में फसलों की कीमत MSP से नीचे गिर जाती है, तो सरकार किसानों से उनकी फसल MSP पर खरीदती है। इससे किसानों को एक निश्चित न्यूनतम आय की गारंटी मिलती है, जिससे उन्हें अपने उत्पादन की लागत निकालने में मदद मिलती है।

MSP प्रणाली के तहत, किसान बाजार के जोखिम से सुरक्षित रहते हैं और उनके जीवन स्तर में सुधार होता है। यह कृषि क्षेत्र में स्थिरता और प्रगति को भी प्रोत्साहित करता है।

उत्पादन बढ़ावा

MSP से उत्पादन बढ़ावा इसलिए मिलता है क्योंकि किसान निश्चिंत होकर अधिक मात्रा में फसल उगाते हैं। उन्हें पता होता है कि उन्हें उनके उत्पाद का न्यूनतम मूल्य अवश्य मिलेगा।

यह नीति किसानों को आर्थिक सुरक्षा देती है और उन्हें आधुनिक कृषि तकनीकों और उन्नत बीजों का उपयोग करने के लिए प्रेरित करती है। परिणामस्वरूप, कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है और खाद्य सुरक्षा भी मजबूत होती है।

आर्थिक स्थिरता

जब बाजार में कीमतें गिरती हैं, तब भी MSP किसानों को एक न्यूनतम आय सुनिश्चित करता है। यह नीति किसानों को जोखिम से बचाती है और उनकी उपज की एक न्यूनतम कीमत की गारंटी देती है। इसके अलावा, MSP किसानों को बेहतर उत्पादन और निवेश के लिए प्रोत्साहित करता है, जिससे कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास होता है।

कुल मिलाकर, MSP से किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है और वे भविष्य की चुनौतियों का सामना करने में सक्षम होते हैं।

खाद्य सुरक्षा

किसानों को उनकी फसलों के लिए एक न्यूनतम मूल्य की गारंटी दी जाती है, जिससे वे आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करते हैं और अधिक उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं। जब किसान अधिक फसल उगाते हैं, तो बाजार में खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ती है। सरकार MSP पर फसलों की खरीद करके इन्हें सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के माध्यम से गरीब और जरूरतमंद लोगों तक पहुंचाती है।

इस प्रकार, एमएसपी न केवल किसानों की आय को स्थिर रखता है बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए खाद्य पदार्थों की उपलब्धता और सस्ती दर पर सुनिश्चित करता है।

कृषि क्षेत्र में निवेश

किसान अपनी कमाई को नए कृषि उपकरण, उन्नत बीज, और सिंचाई सुविधाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित होते हैं। इससे खेती की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार होता है। इसके अलावा, MSP की वजह से किसान कर्ज़ लेने में भी आत्मविश्वास महसूस करते हैं, क्योंकि उन्हें अपने उत्पाद का न्यूनतम मूल्य मिलना सुनिश्चित होता है।

इस प्रकार, MSP कृषि क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देता है, जिससे कृषि का संपूर्ण विकास होता है और किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार

MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) किसानों को उनकी फसलों के लिए एक निश्चित मूल्य की गारंटी देता है, जिससे उनकी आमदनी स्थिर रहती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सुधार होता है क्योंकि किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर होती है। जब किसानों को उचित मूल्य मिलता है, तो वे अधिक खर्च कर सकते हैं, जिससे स्थानीय बाजारों में व्यापार बढ़ता है। इससे गाँवों में रोजगार के नए अवसर पैदा होते हैं और सामुदायिक विकास में तेजी आती है।

MSP की वजह से किसानों की क्रय शक्ति बढ़ती है, जिससे शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचे पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। कुल मिलाकर, MSP से ग्रामीण क्षेत्रों की समृद्धि और स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान होता है।

न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव

किसानों के समक्ष चुनौतियाँ और संभावित समाधान

वर्तमान में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तंत्र मुख्य रूप से गेहूँ और धान जैसी प्रमुख फसलों की सरकारी खरीद तक सीमित है। जबकि अन्य फसलों के लिए केवल मूल्य की घोषणा कर देना किसानों को अपेक्षित लाभ दिलाने के लिए पर्याप्त नहीं होता। इस स्थिति को सुधारने हेतु बजट में यह संकेत दिया गया था कि नीति आयोग, केंद्र और राज्य सरकारों के सहयोग से एक संगठित प्रणाली विकसित करेगा, जिससे किसानों को तब भी उचित पारिश्रमिक मिल सके जब बाजार मूल्य एमएसपी से नीचे चला जाए।

इस उद्देश्य की पूर्ति सरकारी खरीद या एक अंतर-वित्तीय सहायता तंत्र के माध्यम से की जा सकती है, जिसके अंतर्गत एमएसपी और बाजार मूल्य के बीच का अंतर सीधे किसानों को प्रदान किया जाए।

भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव

हालांकि, वर्तमान वित्तीय वर्ष में केंद्र की खरीद नीति को लेकर स्पष्टता की कमी है, लेकिन पूर्व के आंकड़ों के आधार पर यह आकलन किया गया है कि 2018-19 तक एमएसपी में बढ़ोतरी से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 0.5% से 1% तक वृद्धि हो सकती है।

दूसरी ओर, यदि इस खरीद प्रक्रिया पर कुल सरकारी व्यय लगभग ₹15,000 करोड़ (जो कि सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 0.1% है) तक सीमित रहता है, तो इससे केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा। हालाँकि, यह लागत उस रणनीति और नए एमएसपी लागू करने की कार्यप्रणाली पर निर्भर करेगी जो भविष्य में अपनाई जाएगी।

सरकार पर वित्तीय बोझ

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर सरकार द्वारा की जाने वाली खरीद किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। लेकिन, इस कार्यक्रम से सरकार के खर्च में भी वृद्धि होती है, जिसके मुख्य कारण निम्नलिखित हैं:

  • खरीद: सरकार MSP पर घोषित फसलों को बाजार से सीधे खरीदती है, जिसके लिए भंडारण, परिवहन और वितरण के लिए बुनियादी ढांचे की आवश्यकता होती है। यह सब खर्च सरकार वहन करती है।
  • भंडारण: खरीदे गए अनाज को भंडारित करने के लिए बड़े गोदामों की आवश्यकता होती है, जिनके निर्माण और रखरखाव में सरकार को मोटी रकम खर्च करनी पड़ती है।
  • नुकसान: कुछ अनाज भंडारण के दौरान खराब हो जाता है, जिससे सरकार को नुकसान होता है।
  • ब्याज: भंडारित अनाज पर सरकार को ब्याज भी देना पड़ता है, जो खर्च में इजाफा करता है।

एक ही फसल पर निर्भरता

कभी-कभी MSP के कारण किसान एक ही फसल पर अधिक निर्भर हो जाते हैं, जैसे गेहूं या धान। इसका कारण यह है कि इन फसलों पर MSP की गारंटी अधिक होती है, जिससे किसान दूसरी फसलों को उगाने में रुचि नहीं दिखाते। यह कृषि विविधता को कम करता है और मिट्टी की उर्वरता पर भी नकारात्मक असर डालता है। इसके अलावा, अगर किसी साल उस फसल का उत्पादन अधिक हो जाए, तो कीमतें गिर सकती हैं, जिससे किसानों को नुकसान हो सकता है। इसलिए, फसल विविधीकरण पर ध्यान देना भी महत्वपूर्ण है।

जल संसाधनों का अति दोहन

  • जल-गहन फसलों को बढ़ावा: MSP, धान और गेहूँ जैसी जल-गहन फसलों के लिए, किसानों को इन फसलों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करता है, जिसके लिए भारी मात्रा में पानी की आवश्यकता होती है।
  • भूजल का अतिदोहन: कई क्षेत्रों में, किसान सिंचाई के लिए भूजल पर अत्यधिक निर्भर करते हैं, जिससे भूजल स्तर में गिरावट और जल संकट पैदा होता है।
  • जल प्रदूषण: रसायनों और उर्वरकों का अत्यधिक उपयोग, जो जल-गहन फसलों की खेती में आम है, जल प्रदूषण का कारण बनती है।
  • जल की कमी: जल संसाधनों के अतिदोहन से सूखा, पेयजल की कमी और कृषि उत्पादकता में कमी जैसी समस्याएं होती हैं।

भारत में MSP व्यवस्था से जुड़ी प्रमुख समस्याएँ

  • सीमित दायरा:
    हालाँकि सरकार 23 फसलों के लिए MSP की घोषणा करती है, लेकिन वास्तविक रूप से केवल गेहूँ और चावल की ही बड़ी मात्रा में खरीद होती है। इसका कारण यह है कि इन्हीं फसलों का वितरण राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत किया जाता है। बाकी फसलों के लिए MSP का प्रभाव बहुत ही सीमित और औपचारिक रह जाता है।
  • कम प्रभावी क्रियान्वयन:
    शांता कुमार समिति की 2015 की रिपोर्ट के अनुसार, केवल 6% किसानों को ही MSP का वास्तविक लाभ मिल पाया, यानी देश के लगभग 94% किसान इस सुविधा से वंचित हैं।
  • केवल खरीद मूल्य तक सीमित:
    वर्तमान MSP व्यवस्था का बाजार मूल्य से सीधा संबंध नहीं है। इसका मुख्य उद्देश्य केवल NFSA की आवश्यकताओं को पूरा करना है। इस कारण यह “समर्थन मूल्य” की बजाय अधिकतर “खरीद मूल्य” के रूप में कार्य करता है।
  • गेहूँ-धान पर अत्यधिक निर्भरता:
    MSP प्रणाली गेहूँ और धान के पक्ष में अधिक झुकी हुई है। यह किसानों को इन दोनों फसलों के अधिक उत्पादन की ओर प्रेरित करती है और उन्हें अन्य नकदी फसलों, तिलहन, दलहन और बागवानी की खेती से हतोत्साहित करती है, जबकि इनकी बाजार मांग अधिक है और ये किसानों की आय बढ़ाने में मददगार हो सकती हैं।
  • मध्यस्थों पर निर्भरता:
    MSP आधारित खरीद प्रणाली में बिचौलियों, कमीशन एजेंटों और APMC अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह पूरी प्रक्रिया छोटे किसानों के लिए जटिल और कठिन हो जाती है, जिससे वे इस व्यवस्था का लाभ नहीं उठा पाते।

MSP की गणना की विधियाँ

MSP तय करते समय सरकार कुछ प्रमुख लागतों का ध्यान रखती है:

  • A2 लागत: प्रत्यक्ष खर्च जैसे बीज, उर्वरक, कीटनाशक और श्रम।
  • A2+FL लागत: A2 लागत के साथ पारिवारिक श्रम का मूल्य शामिल।
  • C2 लागत: भूमि और पूंजीगत संसाधनों पर किराया और ब्याज शामिल।

सरकार इन लागतों को ध्यान में रखकर MSP की घोषणा करती है, जिससे किसानों को उनकी वास्तविक उत्पादन लागत से कम नुकसान न हो।

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निष्कर्ष

न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) न केवल किसानों की आर्थिक सुरक्षा का स्तंभ है, बल्कि कृषि क्षेत्र में स्थिरता और विकास को भी प्रोत्साहित करता है। MSP के प्रभावी क्रियान्वयन से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलता है, जिससे उनकी आजीविका सुधरती है। हालांकि, इसके कुछ नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिले हैं।

इस ब्लॉग में आपने विस्तार से न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है, न्यूनतम समर्थन मूल्य कितनी फसल हैं, न्यूनतम समर्थन मूल्य सूची, इसके लाभ और न्यूनतम समर्थन मूल्य के नकारात्मक प्रभाव के बारे में जाना।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

MSP का इतिहास क्या है?

MSP की शुरुआत 1960 के दशक में हरित क्रांति के दौरान की गई थी, ताकि किसानों को उनकी फसलों का उचित मूल्य मिल सके।

MSP और कृषि बीमा में क्या संबंध है?

MSP और कृषि बीमा दोनों ही किसानों की आर्थिक सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं; MSP फसल के मूल्य की गारंटी देता है, जबकि बीमा प्राकृतिक आपदाओं से सुरक्षा प्रदान करता है।

MSP का भविष्य क्या है?

MSP का भविष्य इस पर निर्भर करता है कि सरकार इसे कितना प्रभावी बनाती है, और क्या इसे कानूनी रूप से बाध्यकारी बनाया जाता है। MSP में सुधार और अधिक समावेशी बनाने की दिशा में कई नीतिगत कदम उठाए जा सकते हैं।

MSP का कृषि नीति पर क्या प्रभाव है?

MSP का कृषि नीति पर प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह नीति निर्धारण में एक महत्वपूर्ण तत्व होता है, जो किसानों की आय, फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को प्रभावित करता है।

MSP के तहत किसानों की शिकायतों का समाधान कैसे किया जा सकता है?

MSP के तहत किसानों की शिकायतों का समाधान एक प्रभावी शिकायत निवारण तंत्र, त्वरित प्रतिक्रिया, और पारदर्शी नीतियों के माध्यम से किया जा सकता है।

2025 में धान का समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?

सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 के लिए सामान्य किस्म के धान का MSP ₹2,300 प्रति क्विंटल और ग्रेड “A” धान का MSP ₹2,389 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।

2025 में मूंग का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) क्या है?

सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 के लिए मूंग का MSP ₹8,768 प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।

MSP किन फसलों पर लागू होता है?

MSP मुख्य रूप से 23 फसलों पर लागू होता है, जिनमें धान, गेहूं, जौ, दालें (चना, अरहर), तिलहन (सरसों, सूरजमुखी), और कपास जैसी नकदी फसलें शामिल हैं।

MSP किसानों की आय को कैसे स्थिर करता है?

MSP किसानों को उनकी फसल के लिए न्यूनतम मूल्य की गारंटी देता है, जिससे बाजार में कीमतों के उतार-चढ़ाव का असर उनकी आय पर कम पड़ता है।

Authored by, Aakriti Jain
Content Curator

Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.

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