Quick Summary
लोकसभा और राज्यसभा भारत की संसद के दो प्रमुख सदन हैं। लोकसभा, जिसे जनता का सदन कहा जाता है, निचला सदन है, जबकि राज्यसभा, यानी राज्यों की परिषद, संसद का ऊपरी सदन मानी जाती है।
भारतीय संसद लोकसभा और राज्यसभा से बना एक द्विसदनीय विधानसभा है। राज्य सभा और लोकसभा विधानसभा के सर्वोच्च विधायी निकाय के रूप में काम करते हैं। लोकसभा और राज्यसभा भारतीय संविधान के अंतर्गत कानून बनाने, संविधान संशोधन करने और देश के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श करने के लिए जिम्मेदार हैं।

लोकसभा और राज्यसभा भारतीय संसद के दो महत्वपूर्ण सदन हैं। लोकसभा को निचला सदन कहा जाता है, जबकि राज्यसभा ऊपरी सदन के रूप में जानी जाती है। लोकसभा में वे प्रतिनिधि होते हैं जिन्हें जनता सीधे चुनाव के माध्यम से चुनती है, वहीं राज्यसभा में सदस्य राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा मनोनीत किए जाते हैं। लोकसभा का कार्यकाल पाँच वर्षों का होता है, जबकि राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसमें प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल छह वर्ष का होता है।
लोकसभा की भूमिका और महत्व:
राज्यसभा की भूमिका और महत्व:
लोकसभा और राज्यसभा भारतीय संविधान के दो प्रमुख सदन है लेकिन लोकसभा और राज्यसभा में अंतर भी है जो इस प्रकार है।
| लोकसभा | राज्यसभा |
| लोकसभा के सदस्यों का चयन निर्वाचनों के माध्यम से होता है। | राज्यसभा के सदस्यों का चयन राज्यों की विधानसभा करती है। |
| लोकसभा सदस्य संख्या 552 है। | राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते हैं। |
| लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। | राज्यसभा का कार्यकाल 6 वर्ष का होता है। |
| प्रमुख कार्यक्षेत्र कानून बनाना और सरकारी विधेयकों को पारित करना। | मुख्य कार्यक्षेत्र राज्यों के हित में संसदीय विधेयकों का समीक्षण करना, साझा विषयों पर विचार करना। |
| मुख्य कार्यक्षेत्र संविधान के अनुच्छेद 81 के अधीन है। | मुख्य कार्यक्षेत्र भारतीय संविधान के अनुच्छेद 80 के अंतर्गत है। |
इस तरह इन आधार पर लोकसभा और राज्यसभा में अंतर होते हैं।
लोकसभा और राज्यसभा गठन की प्रक्रिया भारतीय संविधान द्वारा निर्धारित है। यहां मुख्य बिंदुओं को समझाया गया है।
लोकसभा और राज्यसभा दोनों की देश की विधायिका और कानून निर्माण में बड़ी भूमिका हैं। यहां इनके कार्यकाल और कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी दी गई है।

लोकसभा में देश की जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि होते हैं, जिनकी अधिकतम संख्या 550 हो सकती है। राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसमें सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 होती है। राज्यसभा के सदस्य छह वर्षों की अवधि के लिए चुने या मनोनीत किए जाते हैं, और हर दो साल में इसके एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते रहते हैं।
लोकसभा और राज्यसभा का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 79 और 80 के अनुसार हुआ था। लोकसभा का पहला गठन 1952 में हुआ था, जबकि राज्यसभा का पहला गठन 1952-53 में हुआ था। इसके बाद से हर पांच साल में लोकसभा का और हर 6 साल में राज्यसभा का चुनाव होता है और नए सदस्यों का चयन होता है।
राज्यसभा और लोकसभा भारतीय संसद के दो अभिन्न सदन हैं। राज्यसभा में 250 सदस्य हैं जबकि लोकसभा में 552 सदस्य हैं। लोकसभा सदस्य संख्या अधिक होती है। लेकिन अगर बात करें लोकसभा और राज्यसभा में बड़ा कौन है तो राज्यसभा की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। लोकसभा संसद का निचला सदन है और राज्य सभा संसद का उच्च सदन है।
| लोकसभा की शक्तियां | राज्यसभा की शक्तियां |
| लोकसभा भारत के प्रत्येक नागरिक का प्रतिनिधित्व करती है। | राज्यसभा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधित्व करती है। |
| लोकसभा में केंद्र सरकार की निर्णायक भूमिका होती है। | राज्यसभा एक साधारण विधेयक पर प्रस्तावित कानून को रोक सकती है, लेकिन अंततः लोकसभा की सहमति की आवश्यकता होती है। |
| लोकसभा का अध्यक्ष उपराष्ट्रपति होता है। | राज्यसभा का अध्यक्ष राष्ट्रपति होता है। |
आगे जानते हैं की लोकसभा और राज्यसभा के बीच संबंध क्या है।
इस तरह लोकसभा और राज्यसभा के बीच संबंध है जो आपने जाने।
इन दोनों सदनों के बीच पारस्परिक सहयोग और संतुलन की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
निश्चित रूप से भारतीय संसद में दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद) ये दोनों सदन मिलकर भारत की संसद का निर्माण करते हैं।
जानिए लोकसभा और राज्यसभा की सीटें कितनी है।
लोकसभा और राज्यसभा की सीटें एकदूसरे से भिन्न होती है। लोकसभा सदन की सदस्य संख्या 543 है और अधिकतम सदस्य संख्या 552 है राज्यसभा की सीटों की संख्या 250 है।
| योग्यता | लोकसभा | राज्यसभा |
| नागरिकता | भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। | भारतीय नागरिक होना आवश्यक है। |
| उम्र | 25 वर्ष से अधिक | 30 वर्ष से अधिक |
| मतदान अधिकार | सम्मिलित निर्वाचन आयोग के निर्धारित तरीके से मतदान करने का अधिकार | सम्मिलित निर्वाचन आयोग के निर्धारित तरीके से मतदान करने का अधिकार |
| चुनावी प्रवृत्ति | लोकसभा के लिए लोकसभा क्षेत्र से चुनावी प्रवृत्ति | राज्यसभा के लिए राज्यसभा के राज्य से चुनावी प्रवृत्ति |
राज्यसभा के सदस्यों को राज्यसभा सांसद कहा जाता है। राज्यसभा के सदस्यों को विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभा चुनती है। ये सदस्यों के रूप में चयनित होते हैं वे सांसद के रूप में विभागीय विवरणों में उल्लिखित होते हैं।

लोकसभा
राज्यसभा:
भविष्य में संविधान में आए किसी परिवर्तन से इन संस्थानों की भूमिका और संरचना में भी परिवर्तन आ सकता है। इसमें नागरिकों की अधिक भागीदारी, नए राजनीतिक उद्देश्यों के लिए स्थायी समय समिति और संविधान संशोधनों का भी इस पर असर पड़ सकता है।
भारतीय संविधान के दो प्रमुख संसद लोकसभा और राज्यसभा है। इन दो संसदीय संस्थाओं के माध्यम से भारतीय लोकतंत्र में विधायिका प्रक्रिया चलती है। इस ब्लॉग में आज आपको लोकसभा और राज्यसभा क्या है इसकी पूरी जानकारी प्रदान की गई। साथ ही लोकसभा और राज्यसभा में बड़ा कौन है यह भी बताया गया।
लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 14% के आसपास है, जबकि राज्यसभा में यह आंकड़ा कुछ उच्च हो सकता है क्योंकि राष्ट्रपति और राज्य विधानसभाओं द्वारा नामित सदस्य महिला हो सकते हैं।
लोकसभा और राज्यसभा में प्रश्नकाल (Question Hour) का महत्व बहुत अधिक है, क्योंकि इस दौरान सदस्य सरकार से विभिन्न मुद्दों पर सवाल पूछ सकते हैं। यह सरकार को जवाबदेह ठहराने और जनता के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने का एक महत्वपूर्ण साधन है।
गुप्त मतदान का उपयोग तब किया जाता है जब किसी विवादास्पद मुद्दे पर सदस्यों की स्वतंत्र राय जाननी होती है, या किसी संवेदनशील मामले में वोटिंग होती है, जिसमें सदस्यों पर बाहरी दबाव न हो। यह लोकसभा और राज्यसभा दोनों में हो सकता है।
यदि किसी सदस्य द्वारा असंवैधानिक कृत्य किया जाता है, तो उन्हें सदन से निलंबित किया जा सकता है, या अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू की जा सकती है। यह अध्यक्ष (लोकसभा) या सभापति (राज्यसभा) द्वारा तय किया जाता है।
धारा 356 के तहत राष्ट्रपति किसी राज्य में संविधानिक संकट के कारण राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं। इस निर्णय को संसद के दोनों सदनों (लोकसभा और राज्यसभा) द्वारा अनुमोदित किया जाना आवश्यक है, और इसे पहले लोकसभा में पेश किया जाता है।
लोकसभा और राज्यसभा के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। लोकसभा संसद का निचला सदन है, जबकि राज्यसभा ऊपरी सदन कहलाती है। लोकसभा के सदस्य जनता द्वारा प्रत्यक्ष रूप से चुने जाते हैं और इनकी अधिकतम संख्या 550 होती है, जबकि राज्यसभा में अधिकतम 250 सदस्य होते हैं, जिनमें से अधिकांश राज्यों की विधानसभाओं द्वारा चुने जाते हैं और कुछ को राष्ट्रपति द्वारा नामित किया जाता है।
लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है और इसे भंग किया जा सकता है, जबकि राज्यसभा एक स्थायी सदन है, जिसमें हर दो वर्ष में एक-तिहाई सदस्य सेवानिवृत्त होते हैं। लोकसभा का नेतृत्व अध्यक्ष (Speaker) करते हैं, जबकि राज्यसभा की अध्यक्षता उपराष्ट्रपति करते हैं, जो इसके सभापति होते हैं।
लोकसभा, राज्यसभा से अधिक शक्तिशाली मानी जाती है क्योंकि इसे जनता सीधे चुनती है। धन विधेयक केवल लोकसभा में पेश किया जाता है और सरकार भी लोकसभा के भरोसे चलती है। अगर लोकसभा समर्थन वापस ले ले, तो सरकार गिर सकती है, जबकि राज्यसभा ऐसा नहीं कर सकती।
राज्यसभा में अधिकतम 250 सीटें होती हैं, जिनमें से 233 सदस्य राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से चुने जाते हैं। शेष 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा नामांकित किए जाते हैं।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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