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भारत की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है? यह जानना अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत में कुल 51 चोटियां है, सभी चोटियों की अपनी खुद की विशेषताएं हैं। कंचनजंगा, भारत की सबसे ऊंची चोटी, हिमालय की गोद में स्थित एक अद्वितीय पर्वत है। इसकी ऊंचाई 8,586 मीटर है, जो इसे विश्व की तीसरी सबसे ऊंची चोटी बनाती है। सिक्किम और नेपाल की सीमा पर स्थित यह पर्वत अपनी प्राकृतिक सुंदरता और चुनौतीपूर्ण चढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है।
कंचनजंगा का अर्थ है “पांच खजानों का स्वामी”, जो सोना, चांदी, रत्न, अनाज और पवित्र किताबों का प्रतीक है। यह पर्वत न केवल पर्वतारोहियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र है, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। कंचनजंगा की भव्यता और इसके चारों ओर की अद्वितीय जैव विविधता इसे एक अनमोल धरोहर बनाती है।
इस ब्लॉग में आप भारत की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है, भारत की सबसे ऊंची चोटी कहां है, इसकी ऊंचाई और भारत की सबसे ऊंची चोटी से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में विस्तार से जानेंगे।
भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा है, कंचनजंगा की ऊंचाई 8,586 मीटर (28,169 फिट) है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है और भारत और नेपाल की सीमा पर फैली हुई है। कंचनजंगा अपनी अद्वितीय प्राकृतिक सुंदरता और चुनौतीपूर्ण चढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है। यह चढ़ाई करने वालों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य है।
| # | उच्चतम शिखर का नाम (घटते क्रम में) | ऊंचाई (मीटर) |
| 1 | कंचनजंगा चोटी | 8586 मीटर |
| 2 | नंदा देवी शिखर | 7816 मीटर |
| 3 | कामेट चोटी | 7756 मीटर |
| 4 | साल्टोरो कांगड़ी चोटी | 7742 मीटर |
| 5 | सासेर कांगड़ी चोटी | 7,672 मीटर |
| 6 | मामोस्तोंग कांगड़ी चोटी | 7516 मीटर |
| 7 | रिमो पीक | 7385 मीटर |
| 8 | हार्डोल पीक | 7151 मीटर |
| 9 | चौकम्बा चोटी | 7138 मीटर |
| 10 | त्रिशूल शिखर | 7120 मीटर |
कंचनजंगा चोटी, हिमालय पर्वत श्रृंखला की तीसरी सबसे ऊँची चोटी है, जो भारत और नेपाल की सीमा पर स्थित है। इकंचनजंगा की ऊंचाई 8,586 मीटर है। यह पर्वत सिक्किम में स्थित है और इसकी भौगोलिक विशेषताओं में गहरी घाटियाँ, बर्फ से ढके शिखर, और विविध जैव विविधता शामिल हैं। कंचनजंगा का क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, जहाँ दुर्लभ वनस्पतियाँ और जीव-जंतु पाए जाते हैं। यह क्षेत्र धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
शिखर का नाम | ऊंचाई | |
| मीटर | फिट | |
| कंचनजंगा मुख्य | 8,586 | 28,169 |
| कंचनजंगा पश्चिम (यालुंग कांग) | 8,505 | 27,904 |
| कंचनजंगा दक्षिण | 8,494 | 27,867 |
| कंचनजंगा सेंट्रल | 8,482 | 27,828 |
| कंगबाचेन | 7,903 | 25,928 |
सर्वे ऑफ़ इंडिया के अनुसार, जम्मू और कश्मीर का पूरा राज्य भारत गणराज्य की सीमाओं के भीतर आता है, इससे गिलगित-बाल्टिस्तान और काराकोरम रेंज भारतीय क्षेत्र बन जाते हैं और इस क्षेत्र में स्थित K2 पर्वत भारत की सबसे ऊँची चोटी हो सकती थी।
लेकिन, आज की स्थिति में, LAC भारत, पाकिस्तान और चीन के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत सीमा है। हालाँकि भारत इस दावे पर विवाद करता है, लेकिन K2 पाकिस्तान के अंतर्गत आता है, क्योंकि LAC को सीमा माना जाता है।
इसलिए कंचनजंगा शिखर (इसका एक किनारा) अब भारत की सबसे ऊँची पर्वत चोटी है।
भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा हिमालय पर्वत श्रृंखला में स्थित है। यह दार्जिलिंग से 74 कि.मी. उत्तर -पश्चिमोत्तर में, भारत और नेपाल की सीमा पर गंगोत्री और यालुंग ग्लेशियरों के बीच स्थित है। कंचनजंगा कहां है, यह जानने के लिए आपको सिक्किम राज्य की ओर देखना होगा, जहाँ यह अद्भुत पर्वत स्थित है। सिक्किम के उत्तर-पश्चिमी भाग में कंचनजंघा का भौगोलिक स्थान बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र धार्मिक, सांस्कृतिक और पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कंचनजंगा कहां है, इस सवाल का जवाब देते हुए, यह जानना दिलचस्प है कि इस पर्वत की ऊँचाई 8,586 मीटर है और यह दुनिया भर के चढ़ाई करने वालों के लिए एक प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।
कंचनजंगा चोटी का इतिहास और महत्व समृद्ध है। यह चोटी प्राचीन काल से ही स्थानीय समुदायों के लिए पूजनीय रही है। सिक्किम और नेपाल के लोगों के लिए यह एक पवित्र स्थान है, और इसे पर्वत देवता के रूप में पूजा जाता है। कंचनजंगा का नाम तिब्बती भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है “पाँच खजाने की बर्फ”। यह पर्वत धार्मिक, सांस्कृतिक, और पारिस्थितिकी की दृष्टि से महत्वपूर्ण है।
20वीं शताब्दी की शुरुआत में यूरोपीय चढ़ाई करने वालों ने इसके शिखर तक पहुँचने का प्रयास किया, लेकिन 25 मई 1955 को जोए ब्राउन और जॉर्ज बैंड द्वारा पहली सफल चढ़ाई की गई। इस ऐतिहासिक चढ़ाई के बाद से कंचनजंगा पर्वतारोहियों के बीच एक चुनौतीपूर्ण गंतव्य के रूप में जाना जाता है। हालांकि, भारत की सबसे ऊंची चोटी को अब भी “अनकबडेन” (अर्थात, “न छूने योग्य”) माना जाता है, क्योंकि स्थानीय मान्यता के अनुसार इसे छूना अपशकुन माना जाता है।
आज, कंचनजंगा न केवल चढ़ाई करने वालों के लिए एक चुनौतीपूर्ण गंतव्य है, बल्कि यह अद्वितीय जैव विविधता और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है। इसका संरक्षण महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह क्षेत्र कई दुर्लभ वनस्पतियों और जीवों का आवास है, जैसे कि “कंचनजंगा पर्वतीय भालू”, “ब्लू शीप”, और “स्नो लेपर्ड”। इस पर्वत के आसपास का इलाका पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील है और इसे संरक्षित करने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं।
कंचनजंगा का सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय महत्व इसे एक विश्व धरोहर स्थल की ओर भी मार्गदर्शन करता है, और इसके आसपास के क्षेत्रों में पर्यटन और संरक्षण के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिशें जारी हैं।
कंचनजंगा की कुल ऊंचाई 8,586 मीटर (28,169 फिट) है।
| भारतीय श्रेणी | भारतीय चोटियों के नाम | वैश्विक श्रेणी | ऊंचाई (मी) | ऊंचाई (फिट) | श्रृंखला | राज्य |
| 1 | कंचनजंघा | 3 | 8,586 | 28,169 | हिमालय | सिक्किम |
| 2 | नन्दा देवी | 23 | 7,816 | 25,643 | गढ़वाल | उत्तराखंड |
| 3 | कामेट | 29 | 7,756 | 25,446 | ||
| 4 | साल्तोरो कांगरी कांगरी/ K10 | 31 | 7,742 | 25,400 | साल्तोरो काराकोरम | जम्मू और कश्मीर |
| 5 | ससेर कांगरी/ K22 | 35 | 7,672 | 25,171 | ससेर काराकोरम | |
| 6 | ममोस्तोंग कांगरी/ K35 | 48 | 7,516 | 24,659 | रिमो काराकोरम | |
| 7 | ससेर कांगरी II E | 49 | 7,513 | 24,649 | ससेर काराकोरम | |
| 8 | ससेर कांगरी III | 51 | 7,495 | 24,590 | ||
| 9 | तेरम कांगरी I | 56 | 7,462 | 24,482 | साल्तोरो काराकोरम | |
| 10 | जोंगसोंग शिखर | 57 | 7,462 | 24,482 | कंचनजंघा हिमालय | सिक्किम |
भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा को विभिन्न नामों से जाना जाता है, जिनमें “कंचनजंघा” और “ऊंचे हिम के पांच खजाने” कंचनजंगा का दूसरा नाम है। इन नामों की उत्पत्ति स्थानीय मान्यताओं और दिव्य चरित्रों से हुई है। कंचनजंगा का अर्थ है “पांच खजाने की बर्फ”, जो इसके पाँच शिखरों को दर्शाता है। यह पर्वत सिक्किम और नेपाल की सीमा पर स्थित है और 8,586 मीटर (28,169 फीट) की ऊंचाई पर है। कंचनजंगा को हिंदू और बौद्ध धर्म में एक पवित्र स्थान माना जाता है, और इसे “धरती के देवता” के रूप में पूजा जाता है। यह पर्वत शिखर अपने शिखरों और बर्फीले दृश्यों के कारण पर्वतारोहियों के लिए एक आकर्षण केंद्र है।
भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंगा का दूसरा नाम इस पर्वत की भव्यता और धार्मिक महत्व को व्यक्त करता है, जिसे स्थानीय लोग पवित्र मानते हैं। कंचनजंगा को स्थानीय भाषा में “पांच खजाने की बर्फ” भी कहा जाता है, जो इसके पांच शिखरों को दर्शाता है। इसे सिक्किम के लोग देवता के रूप में पूजते हैं और तिब्बत में इसे “कांगछेन जोंगा” कहा जाता है, जिसका मतलब है “पांच विशाल खजाने के घर”। इसके शिखर धार्मिक महत्व रखते हैं और इसे पवित्र माना जाता है, जहां चढ़ाई करने वालों से सम्मान और श्रद्धा की उम्मीद की जाती है।
कंचनजंगा न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह हिंदू और बौद्ध धर्म के लिए भी महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा का ऐतिहासिक महत्व प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और स्थानीय मान्यताओं में है, जहाँ इसे पवित्र पर्वत माना जाता है। आधुनिक दृष्टिकोण से, यह पर्वत चढ़ाई करने वालों के लिए आकर्षण का केंद्र है और पर्यावरणीय दृष्टि से महत्वपूर्ण है। इसे 1955 में पहली बार जोए ब्राउन और जॉर्ज बैंड ने सफलतापूर्वक चढ़ा था। आज, यह पर्यटन और वैज्ञानिक अनुसंधान का प्रमुख स्थल है, जहाँ कई लोग इसकी प्राकृतिक सुंदरता और जैव विविधता को देखने आते हैं।
भारत की सबसे ऊंची चोटी कंचनजंघा की पहली सफल पर्वतारोहण 25 मई 1955 को जो ब्राउन और जॉर्ज बैंड द्वारा की गई थी। यह अभियान ब्रिटिश टीम द्वारा आयोजित किया गया था। इस चोटी पर चढ़ाई करना बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है, लेकिन कई चढ़ाई करने वालों ने इसे सफलतापूर्वक पूरा किया है। जिसमें सर्दी के मौसम में पहली चढ़ाई 11 जनवरी 1986 को जेरज़ी कुकुज़्का और क्रिज़्सटॉफ़ विएलिकी भी सामिल हैं। कंचनजंघा की चढ़ाई में प्राकृतिक कठिनाइयों के साथ-साथ मौसम की अत्यधिक विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे यह एक प्रतिष्ठित उपलब्धि बनती है।
कंचनजंगा को बचाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
भारत की पर्वत चोटियाँ न केवल ऊँचाई में अद्वितीय हैं, बल्कि उनके पीछे गहरा भौगोलिक, पारिस्थितिक और सांस्कृतिक महत्व भी छिपा है:
कंचनजंगा, भारत की सबसे ऊंची चोटी, न केवल अपनी ऊंचाई और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इसकी अद्वितीय जैव विविधता और चुनौतीपूर्ण चढ़ाई इसे पर्वतारोहियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षण का केंद्र बनाती है। कंचनजंगा की भव्यता और इसके चारों ओर की अनमोल धरोहर इसे एक अद्वितीय और महत्वपूर्ण पर्वत बनाती है।
इन पर्वतों की महानता सिर्फ उनकी ऊँचाई में नहीं, बल्कि उनकी अद्वितीयता और सुंदरता में भी है। इन्हें देखने से हमें प्रकृति की अद्भुत शक्ति और हमारे देश की प्राकृतिक विविधता का अहसास होता है।
इस ब्लॉग के माध्यम से आपने भारत की सबसे ऊंची चोटी कौन सी है, भारत की सबसे ऊंची चोटी कहां है, भारत की सबसे ऊंची चोटी की ऊंचाई, इसका महत्व, इसकी विशेषताएं के बारे में विस्तार से जाना।
कंचनजंगा पर्वत श्रृंखला पांच प्रमुख शिखरों से मिलकर बनी है, जिनमें कंचनजंगा मुख्य, कंचनजंगा वेस्ट, कंचनजंगा सेंट्रल, कंचनजंगा साउथ और कांगबाचेन शामिल हैं।
कंचनजंगा पर्वत को स्थानीय लिंबू और लेप्चा समुदायों द्वारा पवित्र माना जाता है। वे इसे अपनी देवी कंचनजंगा का निवास मानते हैं और पर्वतारोहियों से उम्मीद की जाती है कि वे अंतिम शिखर से कुछ दूरी पर रुक जाएं ताकि पर्वत का पवित्रता बनी रहे।
कंचनजंगा चोटी पर आरोहण के दौरान मृत्यु दर लगभग 20% है, जो इसे सबसे खतरनाक आठ हज़ारी चोटियों में से एक बनाता है। यहां की कठिनाइयां, ऊँचाई संबंधी बीमारियाँ, और अप्रत्याशित मौसम की स्थिति इसे अत्यधिक चुनौतीपूर्ण बनाते हैं।
शेल्टन कोल कंचनजंगा पर्वत की दो मुख्य चोटियों के बीच स्थित एक उच्च पर्वतीय दर्रा है। यह पर्वतारोहियों के लिए एक महत्वपूर्ण बिंदु है, जहां वे आखिरी कैंप बनाते हैं और अंतिम चढ़ाई की तैयारी करते हैं।
हाँ, कंचनजंगा की चढ़ाई के दौरान गाइड का होना अत्यधिक महत्वपूर्ण है। अनुभवी गाइड स्थानीय भौगोलिक और पर्यावरणीय परिस्थितियों से अच्छी तरह वाकिफ होते हैं और वे पर्वतारोहियों को कठिन मार्गों पर सुरक्षित तरीके से ले जा सकते हैं।
कंचनजंगा पर चढ़ाई का सबसे अच्छा समय अप्रैल से मई और सितंबर से अक्टूबर के बीच होता है। इन महीनों में मौसम अपेक्षाकृत स्थिर होता है और बर्फबारी कम होती है।
जी हाँ, कंचनजंगा क्षेत्र में ट्रेकिंग और पर्वतारोहण के लिए Sikkim Tourism Department से विशेष परमिट लेना आवश्यक होता है। इसके अलावा विदेशी नागरिकों को Inner Line Permit (ILP) की भी आवश्यकता होती है।
Authored by, Aakriti Jain
Content Curator
Aakriti is a writer who finds joy in shaping ideas into words—whether it’s crafting engaging content or weaving stories that resonate. Writing has always been her way of expressing herself to the world. She loves exploring new topics, diving into research, and turning thoughts into something meaningful. For her, there’s something special about the right words coming together—and that’s what keeps her inspired.
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