शिवाजी महाराज

छत्रपती शिवाजी महाराज की जीवनी और इतिहास

Published on June 6, 2025
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शिवाजी महाराज

Quick Summary

  • शिवाजी महाराज एक महान मराठा योद्धा रहे हैं जिनका जन्म 19 फरवरी, 1630 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के शिवनेरी किले में हुआ था।उनके पिता शाहजी भोंसले, माँ जीजाबाई और बड़े भाई संभाजी भोंसले थे।
  • उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और पश्चिमी घाटों में मुगल साम्राज्य के खिलाफ युद्ध लड़े।
  • शिवाजी ने गुरिल्ला युद्ध और नौसेना रणनीतियों में माहिर थे।
  • उन्होंने राजस्व संग्रह, न्यायिक प्रणाली, और सामाजिक सुधार किए।

Table of Contents

शिवाजी महाराज इतिहास के कई महान राजाओं में से एक हैं। जब भी लोग महान और प्रभावशाली राजाओं के बारे में बात करते हैं, तो उनमें राजा छत्रपति शिवाजी महाराज जी का नाम सबसे ऊपर रखा जाता है। राजा छत्रपति शिवाजी महाराज एक महान मराठा योद्धा रहे हैं, जिनके महान व्यक्तित्व, वीरता, नेतृत्व और दूरदर्शिता के लिए उन्हें सम्मानित किया जाता है। शिवाजी महाराज मराठा साम्राज्य के संस्थापक है। यहां हम छत्रपती शिवाजी महाराज के जीवन के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

शिवाजी महाराज इतिहास | shivaji maharaj history in hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास का सबसे अहम हिस्सा उनके जन्म, परिवार, विवाह, शिक्षा और प्रशिक्षण है।

नाम | Shivaji Maharaj Full Nameशिवाजी शाहजी भोंसले(Shivaji Shahaji Bhonsale)
पिता | Father’s Nameशहाजीराजे भोंसले
माता | Mother’s Nameजीजाबाई
संतान | Offspringsसम्भाजी, राजाराम, राणुबाई आदि।
जन्म | Shivaji Maharaj Birth Date19 फरवरी 1630
शिवनेरी दुर्ग
मृत्यु | Shivaji Maharaj Death Date3 अप्रैल 1680
रायगढ़
समाधि | Grave siteरायगढ़
शासन अवधि | Period of rule6 June 1674 – 4 April 1680
राज्याभिषेक | Coronation6 June 1674
पूर्वाधिकारी | Predecessorशाहजीराजे
उत्तराधिकारी | Successorसम्भाजीराजे
शिवाजी महाराज के बारे में पूरी जानकारी

शिवाजी महाराज का जन्म | chattarpshivaji maharaj history in hindi

  • छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को महाराष्ट्र के पुणे जिले के जुन्नार के पास शिवनेरी किले में हुआ था। उनके जन्म ने एक ऐसी विरासत की शुरुआत की जिसने भारतीय इतिहास की दिशा को आकार दिया।

शिवाजी महाराज का परिवार | शिवाजी महाराज का इतिहास हिंदी में

  • शिवाजी महाराज के पिता शाहजी भोंसले, भोंसले मराठा वंश से थे और बीजापुर की आदिल शाही सल्तनत के एक प्रमुख सैन्य नेता के रूप में कार्यरत थे। उनकी माँ जीजाबाई एक साहसी और प्रभावशाली महिला थीं। वहीं, उनके बड़े भाई संभाजी शाहजी भोंसले ने शुरुआती मराठा अभियानों और प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया। शाहजी की दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते से शिवाजी महाराज के सौतेले भाई थे जिनका नाम वेंकोजी महाराज था। वेंकोजी महाराज ने वर्तमान तमिलनाडु के तंजावुर में मराठा साम्राज्य की स्थापना किया था।

शिवाजी महाराज का विवाह | शिवाजी महाराज का इतिहास हिंदी में

  • छत्रपति शिवाजी महाराज ने अपने जीवनकाल में कई विवाह किए थे।
  • साईबाई निंबालकर उनकी पहली पत्नी और उनके सबसे बड़े बेटे संभाजी महाराज की माँ थीं।
  • उनका विवाह 1640 में हुआ था जब वे लगभग 10 वर्ष के थे।
  • सोयराबाई, उनकी दूसरी पत्नी तथा उनके बेटे राजाराम महाराज की माँ थी, जो बाद में संभाजी महाराज के बाद मराठा शासक बने।
  • साईबाई निंबाळकर और सोयराबाई के अलावा, शिवाजी महाराज की अन्य पत्नियाँ और उपपत्नी थीं, जैसा कि उस समय राजघरानों में आम था। इनमें से कुछ विवाह राजनीतिक गठबंधन थे।

शिक्षा और प्रशिक्षण

  • छत्रपति शिवाजी महाराज, जो अपनी रणनीतिक प्रतिभा और प्रशासनिक कौशल के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ऐसी शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त किया जिसने एक नेता के रूप में उनकी क्षमताओं को गहराई से आकार दिया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा उनकी माँ जीजाबाई ने दी। उन्होंने शिवाजी को मराठा विरासत, हिंदू संस्कृति और मूल्यों के बारे में बताया। साथ ही धार्मिक शिक्षा और नैतिक सिद्धांत से भी अवगत कराया।

शिवाजी के पिता कौन थे? उन्हें इतिहास में क्यों याद किया जाता है?

शिवाजी महाराज के पिता का नाम शाहजी भोसले था। वे 17वीं शताब्दी के एक सेनानायक थे।

शाहजी भोसले को क्यों याद किया जाता है?

  • शाहजीराजे भोसले (1594-1664) 17वीं शताब्दी के एक सेनानायक तथा छत्रपति शिवाजी महाराज के पिता थे। उन्होने मराठा साम्राज्य की स्थापना की। शाहजी ने अलग-अलग समय पर अहमदनगर सल्तनत, बीजापुर सल्तनत, और मुगल साम्राज्य में सैन्य सेवाएँ की।
  • शाहजी छापामार युद्ध के आरम्भिक प्रतिपादकों में से हैं। उन्होंने भोंसले परिवार को विशिष्टता प्रदान की। तंजोर, कोल्हापुर, सतारा के देशी राज्य भी भोंसले परिवार की देन हैं।

छत्रपती शिवाजी महाराज का शासनकाल | Reign of Chhatrapati Shivaji Maharaj

 छत्रपती शिवाजी महाराज का शासनकाल
छत्रपती शिवाजी महाराज का शासनकाल

छत्रपती शिवाजी महाराज का शासनकाल 1674 से 1680 तक था। उन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और पश्चिमी घाटों में मुगल साम्राज्य के खिलाफ सफल युद्ध लड़े। उनके शासनकाल में वे महाराष्ट्र के एक प्रमुख और प्रेरणा स्रोत बने। शिवाजी ने 1646 में तोरणा किले पर कब्जा करके स्वराज्य की नींव रखी, जो एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की स्थापना के उनके अभियान की शुरुआत थी।

शिवाजी महाराज के महत्त्वपूर्ण युद्ध | Shivaji Maharaj Battles

छत्रपति शिवाजी ने कई लड़ाइयां लड़ी है और उस लड़ाई में शिवाजी महाराज भाषण भी दिए जो सैनिकों को प्रेरित करते हैं। इस टेबल में उन लड़ाइयों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

लड़ाई का नामविवरण
प्रतापगढ़ की लड़ाई, 165910 नवंबर, 1659 को महाराष्ट्र के सतारा शहर के पास प्रतापगढ़ के किले में शिवाजी और आदिलशाही सेनापति अफजल खान की सेनाओं के बीच लड़ाई हुई।
कोल्हापुर की लड़ाई, 165928 दिसंबर, 1659 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के पास शिवाजी और आदिलशाही सेनाओं के बीच लड़ाई हुई।
पावनखिंड की लड़ाई, 166013 जुलाई, 1660 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर के पास विशालगढ़ किले के आसपास के पहाड़ी दर्रे पर मराठा सरदार बाजी प्रभु देशपांडे और आदिलशाह के सिद्दी मसूद के बीच लड़ाई हुई।
चाकन की लड़ाई, 1660मराठा साम्राज्य और मुगल साम्राज्य के बीच वर्ष 1660 में लड़ाई हुई।
उंबरखिंड की लड़ाई, 16612 फरवरी, 1661 को छत्रपति शिवाजी महाराज के अधीन मराठा और मुगलों के करतलब खान के बीच लड़ाई हुई।
सूरत की लूट, 16645 जनवरी, 1664 को गुजरात के सूरत शहर के पास शिवाजी और मुगल कप्तान इनायत खान के बीच लड़ाई हुई।
पुरंदर की लड़ाई, 16651665 में मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ाई हुई।
सिंहगढ़ की लड़ाई, 16704 फरवरी, 1670 को महाराष्ट्र के पुणे शहर के पास सिंहगढ़ के किले पर मराठा शासक शिवाजी के सेनापति तानाजी मालुसरे और मुगल सेना प्रमुख जय सिंह प्रथम के अधीन किलेदार उदयभान राठौड़ ने लड़ाई लड़ी।
कल्याण की लड़ाई, 16831682 और 1683 के बीच लड़ी गई, जिसमें मुगल साम्राज्य के बहादुर खान ने मराठा सेना को हराया और कल्याण पर कब्ज़ा किया।
भूपालगढ़ की लड़ाई, 16791679 में मुगल और मराठा साम्राज्यों के बीच लड़ी गई, जिसमें मुगल ने मराठों को हराया।
संगमनेर की लड़ाई, 16791679 में मुगल साम्राज्य और मराठा साम्राज्य के बीच लड़ाई हुई। यह शिवाजी की आखिरी लड़ाई थी।
शिवाजी महाराज द्वारा लड़ी गयी लड़ाइयाँ और उनका विवरण

छत्रपती शिवाजी महाराज की सैन्य रणनीतियाँ

छत्रपति शिवाजी महाराज अपनी अभिनव सैन्य रणनीतियों के लिए प्रसिद्ध है, जिसकी बदौलत वे बहुत मजबूत विरोधियों के खिलाफ मराठा साम्राज्य की स्थापना और विस्तार करने में सक्षम हुए।

  1. गुरिल्ला युद्ध- शिवाजी और उनकी मराठा सेना गुरिल्ला रणनीति में माहिर थी, जिसमें तेज और आश्चर्यजनक हमले, घात लगाना और हिट-एंड-रन रणनीति शामिल थी।
  1. रणनीतिक किलेबंदी- शिवाज ने क्षेत्रों की रक्षा करने के लिए किलों के रणनीतिक महत्व को पहचाना। उन्होंने रणनीतिक स्थानों पर बड़े पैमाने पर किलों का निर्माण और किलेबंदी की।
  1. नौसेना रणनीति- शिवाजी महाराज तटीय क्षेत्रों और समुद्री व्यापार को नियंत्रित करने के लिए नौसेना शक्ति बनाया। साथ ही उन्होंने एक दुर्जेय नौसेना का निर्माण किया।
  1. सैन्य खुफिया- उन्होंने अपने दुश्मनों के बारे में खुफिया जानकारी इकट्ठा करने पर बहुत जोर दिया। उन्होंने दुश्मन की हरकतों, ताकत और कमजोरियों के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के लिए जासूसों को नियुक्त किया।
  1. प्रौद्योगिकी का अनुकूलन: शिवाजी ने अपनी सेना में आग्नेयास्त्रों, तोपखाने और घुड़सवार सेना को शामिल किया जो पारंपरिक मराठा ताकत को आधुनिक सैन्य तकनीकों के साथ जोड़ा।

शिवाजी की गिरफ्तारी

  • जब शिवाजी वर्ष 1666 में आगरा में मुगल सम्राट से मिलने गए, तो मराठा योद्धा को लगा कि औरंगज़ेब ने उनका अपमान किया है जिससे वे दरबार से बाहर आ गए।
  • जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर बंदी बना लिया गया। शिवाजी और उनके पुत्र का आगरा से भागने की कहानी आज भी प्रामाणिक नहीं है।
  • इसके बाद वर्ष 1670 तक मराठों और मुगलों के बीच शांति बनी रही।
  • मुगलों द्वारा संभाजी को दी गई बरार की जागीर उनसे वापस ले ली गई थी।
  • इसके जवाब में शिवाजी ने चार महीने की छोटी सी अवधि में मुगलों के कई क्षेत्रों पर हमला कर उन्हें वापस ले लिया।
  • शिवाजी ने अपनी सैन्य रणनीति के माध्यम से दक्कन और पश्चिमी भारत में भूमि का एक बड़ा हिस्सा हासिल कर लिया।

शिवाजी महाराज की प्रमुख उपलब्धियां | Achievements of Shivaji Maharaj

शिवाजी महाराज का इतिहास उनके कई महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ को बताता है, जिनका प्रभाव भारत के इतिहास और संस्कृति पर देखा जा सकता है:

  1. शिवाजी का प्राथमिक लक्ष्य मराठा लोगों के लिए “स्वराज” या स्वशासन स्थापित करना था, जो बाहरी वर्चस्व से मुक्त हो। उन्होंने आदिल शाही सल्तनत और मुगल साम्राज्य के प्रभुत्व को सफलतापूर्वक चुनौती दी, दक्कन क्षेत्र के मध्य में एक स्वतंत्र मराठा साम्राज्य की स्थापना की।
  2. अपने राज्य के क्षेत्र का काफी विस्तार किया, जिससे वर्तमान महाराष्ट्र, कर्नाटक और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों शामिल थे।
  3. शिवाजी महाराज ने तटीय क्षेत्रों और समुद्री व्यापार को सुरक्षित रखने के लिए नौसेना शक्ति का निर्माण किया। उन्होंने एक मजबूत नौसेना बेड़ा विकसित किया, जिसने तटीय किलों को सुरक्षित रखने और दुश्मन के व्यापार मार्गों को रोकने का काम किया।
  4. उन्होंने पुर्तगालियों, जंजीरा के सिद्धियों और अन्य तटीय शक्तियों के खिलाफ सफल नौसैनिक अभियान चलाए, जिससे अरब सागर में मराठा प्रभुत्व स्थापित हुआ।
  5. उन्होंने समुद्री व्यापार को सुरक्षित रखने और नौसैनिक आक्रमणों से बचाव के लिए सिंधुदुर्ग और विजयदुर्ग जैसे कई तटीय किलों की किलेबंदी की।
  6. शिवाजी महाराज ने कुशल शासन के उद्देश्य से कई प्रशासनिक सुधार किए। उन्होंने राजस्व संग्रह की एक ऐसी प्रणाली लागू की जो निष्पक्ष और कुशल थी, जिससे उनके राज्य के अंदर आर्थिक स्थिरता आया।
  7. शिवाजी महाराज ने न्याय और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर आधारित न्यायिक प्रणाली की स्थापना की, जिसमें निष्पक्ष रूप से न्याय करने वाले न्यायाधीश नियुक्त किए।
  8. शिवाजी ने अपने राज्य के अंदर कई समुदायों के बीच सद्भाव को बनाए रखते हुए धार्मिक सहिष्णुता और विविधता को उजागर किया। शिवाजी ने अपने शासन के तहत हिंदुओं, मुसलमानों और अन्य धार्मिक समूहों के अधिकारों और हितों की रक्षा की।

छत्रपती शिवाजी महाराज के भाषण | Speech on Shivaji Maharaj

आज भी लोगों के बीच में शिवाजी महाराज भाषण प्रचलित है। उन भाषण और उद्धरण के बारे में आगे बता रहे हैं।

प्रेरणादायक भाषण

शिवाजी महाराज भाषण “करा धर्माचा, सोडा जीवाचा” (न्याय करो, क्रूरता का त्याग करो) यह नैतिक नेतृत्व के महत्व पर जोर देता है।

उद्धरण

  1. आत्मविश्वास से आत्मनिर्भरता मिलती है।
  2. दृढ़ इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प के साथ, कुछ भी हासिल किया जा सकता है।
  3. सावधान रहने से बहादुर होना बेहतर है।
  4. दुनिया की सबसे बड़ी शक्ति एक महिला की जवानी और सुंदरता है।

शिवाजी महाराज का पूर्ण स्वराज

1674 में, शिवाजी महाराज ने एक स्वतंत्र शासक के रूप में भव्य तरीके से सिंहासन पर बैठने का कार्य किया। उस समय, दबे-कुचले हिंदू समुदाय ने उन्हें अपने महान नेता के रूप में स्वीकार कर लिया। उन्होंने लगभग छह वर्षों तक अपने क्षेत्र का शासन अपने आठ मंत्रियों के मंत्रिमंडल के माध्यम से किया।

छत्रपति शिवाजी महाराज, जो एक समर्पित हिंदू थे और अपने धर्म के रक्षक होने पर गर्व महसूस करते थे, ने एक महत्वपूर्ण आदेश देकर परंपरा को तोड़ने का साहस दिखाया। उन्होंने यह निर्देश दिया कि उनके दो रिश्तेदार, जिन्हें जबरन इस्लाम में परिवर्तित किया गया था, को पुनः हिंदू धर्म में वापस लाया जाए।

यह कदम न केवल उनके धार्मिक विश्वास को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि वे अपने समुदाय के प्रति कितने समर्पित थे। शिवाजी महाराज का यह निर्णय उनके नेतृत्व की महानता और उनके धर्म के प्रति उनकी निष्ठा को उजागर करता है, जिससे उन्होंने अपने समय के हिंदू समाज में एक नई जागरूकता और आत्म-सम्मान की भावना को जन्म दिया।

भले ही ईसाई और मुसलमान दोनों ही अक्सर अपने पंथों को आबादी पर जबरन थोपते रहे, लेकिन उन्होंने दोनों समुदायों की मान्यताओं का सम्मान किया और उनके धार्मिक स्थलों की रक्षा की। हिंदुओं के साथ-साथ कई मुसलमान भी उनकी सेवा में थे। अपने राज्याभिषेक के बाद, उनका सबसे उल्लेखनीय अभियान दक्षिण में था। इस अभियान के दौरान, उन्होंने सुल्तानों के साथ गठबंधन किया और पूरे उपमहाद्वीप पर अपना शासन फैलाने के मुगलों के भव्य डिजाइन को अवरुद्ध कर दिया।

शिवाजी महाराज के प्रमुख किले

अपनी रणनीतिक क्षमता के लिए मशहूर शिवाजी ने अपने शासनकाल में कई किलों का निर्माण करवाया और उन पर कब्जा किया।

1. रायगढ़ किला

रायगढ़ किला ऐतिहासिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह शिवाजी के शासन के दौरान मराठा साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। महाराष्ट्र के सह्याद्री पर्वत में स्थित, रायगढ़ किला प्राकृतिक सुरक्षा प्रदान करता था। यहीं पर 1674 में शिवाजी महाराज का छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक हुआ था, जिसे मराठा इतिहास में महत्वपूर्ण समय माना जाता है।

2. सिंहगढ़ किला

सिंहगढ़ किला, जिसे कोंडाना किला भी कहा जाता है, शिवाजी से जुड़ा एक और प्रमुख किला है। महाराष्ट्र के पुणे के पास स्थित सिंहगढ़ किले का इतिहास यादव वंश से जुड़ा हुआ है। शिवाजी ने 1670 में किले पर फिर से कब्जा किया था, जिसमें उन्होंने अपनी सैन्य कुशलता और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया था।

3. प्रतापगढ़ किला

प्रतापगढ़ किला महाराष्ट्र के महाबलेश्वर के पास स्थित है और यह 1659 में शिवाजी महाराज और अफजल खान के नेतृत्व वाली आदिलशाही सेना के बीच लड़े गए प्रतापगढ़ युद्ध के लिए प्रसिद्ध है। यह किला ऐतिहासिक महत्व रखता है क्योंकि प्रतापगढ़ में शिवाजी की जीत ने उनके सैन्य करियर में एक महत्वपूर्ण मोड़ ला दिया और एक दुर्जेय योद्धा के रूप में उनकी प्रतिष्ठा को मजबूत किया। किले में देवी भवानी माता का एक मंदिर है, जिन्हें शिवाजी पूजते थे।

शिवाजी महाराज की मृत्यु और उत्तराधिकार | Shivaji Maharaj Death

शिवाजी जन्म से लेकर मृत्यु तक कई महान काम किए। कई लोगों को यह पता नहीं है कि उनकी मृत्यु कैसे हुई और उसके बाद क्या हुआ।

छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु

छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु 3 अप्रैल, 1680 को हुई थी। छत्रपती शिवाजी महाराज मृत्यु के समय उम्र में 52 वर्ष के रहे होंगे। उनकी मृत्यु भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। कुछ लोग उनकी मृत्यु का कारण बीमारी को मानते हैं, तो कुछ लोग जहर को कारण मानते हैं।

उत्तराधिकार

शिवाजी ने अपनी मृत्यु से पहले ही अपने सबसे बड़े बेटे संभाजी को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया। इसलिए, शिवाजी के मृत्यु के बाद उनके राजभार का जिम्मा संभाजी महाराज के कंधों पर आ गया था।

शिवाजी महाराज की विरासत

शिवाजी की विरासत की चर्चा आज भी होता है। इन विरासत के बारे में आगे जानते हैं।

  1. प्रेरणा का स्रोत-
    • छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत इतनी थी कि आज भी वे पूरे भारत के लोगों के लिए प्रेरणा का एक माध्यम बने हुए हैं। उनकी विरासत उनके साहस, नेतृत्व कौशल, धर्म के रक्षक, रणनीतिक प्रतिभा और प्रगतिशील प्रशासन की सोच के वजह से था।
  2. संस्कृति और परंपराएँ-
    • शिवाजी की विरासत सांस्कृतिक पहचान और परंपराओं को भी गहराई से प्रभावित करती है। उन्होंने विदेशी प्रभुत्व के दौर में भारतीय संस्कृति और परंपराओं में गर्व की भावना को पुनर्जीवित किया। संस्कृत, मराठी भाषा और स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों ने महाराष्ट्र पर अमिट छाप छोड़ी है।

छत्रपती शिवाजी महाराज के प्रति श्रद्धांजलि

छत्रपती शिवाजी महाराज statue
छत्रपती शिवाजी महाराज statue

छत्रपती शिवाजी महाराज के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए उनके बेटे व अन्य लोगों ने कई स्मारक और मूर्तियां का निर्माण किया।

स्मारक और मूर्तियां

शिवाजी महाराज के स्मारक के रूप में रायगढ़ किला, सिंहगढ़ किला और प्रतापगढ़ किला जैसे उनके द्वारा बनाए। महाराष्ट्र और भारत के कई हिस्सों में शिवाजी की अनेक मूर्तियां बनाई गई है, जो एक योद्धा राजा के रूप में उनकी भूमिका का प्रतीक है। उनके सबसे प्रसिद्ध मूर्तियों में से एक मुंबई में गेटवे ऑफ़ इंडिया के पास शिवाजी की मूर्ति है। शिवाजी को समर्पित पुणे में शिवाजी महाराज संग्रहालय और जुन्नार में शिवनेरी किला है।

सांस्कृतिक उत्सव

शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि देने के लिए सांस्कृतिक उत्सवों और कार्यक्रमों भी आयोजित किए जाते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार उनकी जयंती पर मनाया जाता है, जो महाराष्ट्र का एक महत्वपूर्ण त्योहार है।

शिवाजी महाराज स्टोरी | shivaji maharaj story in hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज भारतीय इतिहास के महान व्यक्तित्व हैं, जिन्हें महाराष्ट्र में उनके साहस, दूरदर्शिता और नेतृत्व के लिए विशेष रूप से सम्मानित किया जाता है। 1630 में पुणे जिले के शिवनेरी किले में जन्मे शिवाजी महाराज एक योद्धा राजा के रूप में प्रसिद्ध हुए, जिन्होंने मुगल साम्राज्य की ताकत को चुनौती दी और पश्चिमी भारत में मराठा साम्राज्य की स्थापना की।

शिवाजी का जन्म एक प्रमुख मराठा सेनापति शाहजी भोंसले और जीजाबाई के घर हुआ था। छोटी उम्र से ही शिवाजी ने नेतृत्व के गुण और अपनी मराठा विरासत पर गर्व की गहरी भावना प्रदर्शित की। उन्हें प्रारंभिक सैन्य प्रशिक्षण और शिक्षा मिली, जिसने उन्हें अपने भविष्य के प्रयासों के लिए आवश्यक कौशल से लैस किया।

16 वर्ष की आयु में, शिवाजी ने 1646 में तोरणा किले पर कब्जा करके अपने सैन्य अभियान की शुरुआत की। यह मध्ययुगीन भारत के अशांत राजनीतिक परिदृश्य के बीच एक स्वतंत्र राज्य स्थापित करने के उनके प्रयासों की शुरुआत थी। वर्षों से उन्होंने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण किलों और क्षेत्रों पर कब्जा करके अपने क्षेत्र का विस्तार किया, धीरे-धीरे अपनी शक्ति आधार को मजबूत किया।

शिवाजी का निधन 3 अप्रैल, 1680 को हुआ, उन्होंने अपने पीछे एक शक्तिशाली विरासत छोड़ी जो लाखों लोगों को प्रेरित करती है। उनकी मृत्यु ने उनके प्रभाव को कम नहीं किया। इसके बजाय, इसने भारतीय इतिहास में एक महान व्यक्ति के रूप में उनकी स्थिति को मजबूत किया। उनके पुत्र, संभाजी महाराज, अगले छत्रपति के रूप में उनके उत्तराधिकारी बने, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की विरासत को आगे बढ़ाया।

शिवाजी महाराज और अफज़ल खान की मुठभेड़ – एक ऐतिहासिक युद्ध का वर्णन

बीजापुर सल्तनत, शिवाजी महाराज की बढ़ती ताकत और उनकी सेना से मिली हार से नाखुश थी। उनके पिता और बीजापुर के जागीरदार शाहजी भोसले ने भी शिवाजी के कार्यों को अस्वीकार कर दिया। मुगलों के साथ शांति संधि और युवा अली आदिल शाह द्वितीय के शासन में स्थिरता आने के बाद, बीजापुर की सरकार ने फिर से शिवाजी पर ध्यान केंद्रित किया।

वर्ष 1657 में, बीजापुर ने शिवाजी को पकड़ने के लिए अपने सबसे अनुभवी सेनापति अफज़ल खान को भेजा। इस अभियान के दौरान बीजापुर की सेना ने तुलजा भवानी मंदिर और पंढरपुर में विठोबा मंदिर जैसे हिंदुओं के पवित्र स्थलों को अपवित्र किया, जिससे जनता में आक्रोश बढ़ा।

बीजापुर की सेना द्वारा पीछा किए जाने पर शिवाजी महाराज ने प्रतापगढ़ किले में शरण ली। शिवाजी के कई सहयोगी उन्हें आत्मसमर्पण की सलाह देने लगे, लेकिन शिवाजी ने धैर्य और रणनीति से काम लिया। दोनों सेनाएं कई हफ्तों तक गतिरोध में रहीं—जहाँ शिवाजी बाहर नहीं निकल सकते थे और अफज़ल खान किला जीतने में असमर्थ था क्योंकि उसके पास घेराबंदी के उपकरण नहीं थे।

दो महीने बाद, अफज़ल खान ने बातचीत के बहाने शिवाजी को किले के बाहर मिलने का प्रस्ताव भेजा। 10 नवंबर 1659 को दोनों नेता प्रतापगढ़ किले की तलहटी में एक झोपड़ी में मिले। योजना के अनुसार दोनों केवल तलवार से लैस थे और उनके साथ एक-एक अनुयायी था। शिवाजी को अफज़ल खान की धोखेबाज़ी का अंदेशा था, इसलिए उन्होंने अपने कपड़ों के नीचे कवच, बाएं हाथ में बाघ नख, और दाहिने हाथ में कट्यार छिपा ली।

मुलाकात के दौरान अफज़ल खान ने शिवाजी पर हमला करने की कोशिश की, लेकिन शिवाजी ने अपनी सतर्कता और हथियारों से पलटवार करते हुए उसे मार डाला। इसके बाद शिवाजी ने तोप चलाकर अपनी सेना को हमला करने का संकेत दिया।

प्रतापगढ़ की लड़ाई में मराठा सेना ने बीजापुर की ताकतवर सेना को decisively पराजित किया। इस युद्ध में बीजापुर के 3,000 से अधिक सैनिक मारे गए, और अफज़ल खान के दो बेटे व कुछ अन्य सरदार बंदी बना लिए गए। विजय के बाद शिवाजी ने मैदान में एक भव्य परेड की और बंदियों को सम्मानपूर्वक भोजन, धन और उपहार देकर मुक्त किया। इस जीत के बाद मराठा योद्धाओं को भी बड़े पुरस्कार प्रदान किए गए।

छत्रपति शिवाजी महाराज का विवाह और उनकी 8 पत्नियाँ – एक वैवाहिक राजनीतिक दृष्टिकोण | shivaji maharaj 8 wife name

छत्रपति शिवाजी महाराज का पहला विवाह 14 मई 1640 को सईबाई निंबाळकर (उर्फ सई भोसले) से लाल महल, पुणे में हुआ था। सईबाई उनकी प्रथम और मुख्य पत्नी थीं और उन्हीं से शिवाजी के उत्तराधिकारी सम्भाजी महाराज का जन्म हुआ।

शिवाजी महाराज ने कुल 8 विवाह किए थे। ये विवाह केवल पारिवारिक नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण थे। इन वैवाहिक संबंधों के माध्यम से शिवाजी ने विभिन्न मराठा सरदारों और शक्तिशाली घरानों को एकजुट किया और मराठा साम्राज्य को संगठित करने में सफलता प्राप्त की।

शिवाजी महाराज की पत्नियों की सूची:

  1. सईबाई निंबाळकर
    संतान: सम्भाजी, रानूबाई, सखूबाई, अंबिकाबाई
    भूमिका: मुख्य पत्नी और उत्तराधिकारी की माता
  2. सोयराबाई मोहिते
    संतान: राजाराम महाराज, दीपाबाई
    विशेषता: मराठा राजनीति में सक्रिय भूमिका
  3. सकवरबाई गायकवाड
      संतान: कमलाबाई
      परिवार: गायकवाड घराना
  4. सगुणाबाई शिर्के
      संतान: राजकुवरबाई
      संबंध: शिर्के सरदार परिवार
  5. पुतलाबाई पालकर
      विशेषता: धार्मिक प्रवृत्ति वाली और शिवाजी की प्रिय पत्नी
  6. काशीबाई जाधव
     जाधव घराने से संबंध
  7. लक्ष्मीबाई विचारे
     सीमित जानकारी उपलब्ध
  8. गुंवांताबाई इंगले
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निष्कर्ष

छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवन गाथा कठिन बाधाओं के विरुद्ध दृढ़ संकल्प और रणनीतिक सोच की जीत का उदाहरण है। शिवाजी महाराज निबंध में सैन्य रणनीति, शासन और सांस्कृतिक पुनरुत्थान में उनके योगदान की गूंज समकालीन भारत में भी सुनाई देती है, जो उन्हें नेतृत्व और देशभक्ति का एक स्थायी प्रतीक बनाती है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

शिवाजी महाराज के माता-पिता कौन थे?

उनके पिता शाहजी भोसले एक मराठा सरदार थे, और माता जीजाबाई धार्मिक और साहसी महिला थीं।

शिवाजी महाराज का पूरा नाम क्या था?

शिवाजी का पूरा नाम शिवाजी शाहजी भोसले था।

शिवाजी महाराज ने किस आयु में अपनी पहली सैन्य विजय प्राप्त की?

उन्होंने 16 वर्ष की आयु में तोरणा किले पर कब्जा करके अपनी पहली सैन्य विजय प्राप्त की।

शिवाजी महाराज के गुरु कौन थे?

शिवाजी के गुरु समर्थ रामदास स्वामी थे, जिन्होंने उन्हें धर्म और राज्य के प्रति प्रेरित किया।

शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना कब की?

उन्होंने 1674 में रायगढ़ में अपनी छत्रपति के रूप में राज्याभिषेक के साथ मराठा साम्राज्य की स्थापना की।

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Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.