लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय

लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय | Lal Bahadur Shastri ka Jivan Parichay

Published on July 17, 2025
|
1 Min read time
लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय

Quick Summary

यह लेख लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाता है—उनके बचपन, शिक्षा, स्वतंत्रता संग्राम में योगदान, प्रधानमंत्री पद तक का सफर, सादगीपूर्ण जीवन, नैतिक नेतृत्व, “जय जवान जय किसान” नारे की भावना, और रहस्यमयी मृत्यु तक। उनके सिद्धांत, नेतृत्व और विरासत आज भी राष्ट्र के लिए मार्गदर्शक हैं, जो सादगी, सेवा और ईमानदारी का प्रतीक बन चुके हैं।

Table of Contents

Lal bahadur shastri ka jivan parichay भारत के उन महान नेताओं में से एक की कहानी है, जिन्होंने अपने विनम्र स्वभाव, सादगी और दृढ़ नेतृत्व से देश के राजनीतिक, सामाजिक और नैतिक मानकों को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया। यह लेख शास्त्री जी के प्रारंभिक जीवन से लेकर उनके प्रधानमंत्री बनने, स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका, व्यक्तिगत जीवन, मूल्यों और सिद्धांतों से लेकर उनकी रहस्यमयी मृत्यु और अमर विरासत तक की एक संपूर्ण झलक प्रदान करता है। 

आप यहां पढ़ेंगे — 

  • लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी 
  • स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान 
  • प्रधानमंत्री के रूप में उनकी उपलब्धियाँ 
  • व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा 
  • उनके निधन और उससे जुड़ी रहस्यमय घटनाएँ 
  • और अंत में, उनके द्वारा छोड़ी गई प्रेरणात्मक विरासत 

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा | Early Life and Education लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं

Lal bahadur shastri ka jivan parichay भारत के उन महान नेताओं में से एक का परिचय है, जिनकी सादगी, ईमानदारी और दृढ़ निष्ठा ने उन्हें जनप्रिय नेता बनाया। 

जन्म और पारिवारिक पृष्ठभूमि | Birth and Family Background – लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी का प्रारंभिक चरण 

लाल बहादुर शास्त्री का जीवन भारतीय इतिहास का एक ऐसा अध्याय है जो सादगी, दृढ़ निश्चय और नैतिक मूल्यों से भरा हुआ है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय कस्बे में हुआ था, जो न केवल एक सामान्य तिथि है, बल्कि संयोगवश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी जन्मदिवस है। इस तारीख ने जैसे उनके जीवन में नेतृत्व और सत्य के मार्ग पर चलने की नींव पहले से ही तय कर दी थी। 

पारिवारिक पृष्ठभूमि और प्रारंभिक जीवन 

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म एक अत्यंत साधारण, किंतु संस्कारयुक्त परिवार में हुआ था। 

• पिता श्री शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक स्कूल शिक्षक थे, जो अपनी ईमानदारी, परिश्रमशीलता और नैतिक सिद्धांतों के लिए जाने जाते थे। उन्होंने अपने बच्चों को शिक्षा का महत्व समझाया और सदैव उन्हें उच्च आदर्शों की ओर प्रेरित किया। 

• माता श्रीमती रामदुलारी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की, शांत और अनुशासित स्वभाव की महिला थीं। शास्त्री जी के जीवन में संयम, सहनशीलता और नैतिक दृढ़ता के जो गुण परिलक्षित होते हैं, उनकी नींव उनकी माता की सुसंस्कृत परवरिश में निहित थी। 

• पारिवारिक परिस्थितियाँ अत्यंत साधारण थीं। शास्त्री जी के बाल्यकाल में ही पिता का निधन हो गया, जिसके पश्चात उनका पालन-पोषण ननिहाल (मिर्ज़ापुर) में हुआ। इस कठिन समय में उन्होंने आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का निडर होकर सामना किया। 

इन प्रारंभिक संघर्षों ने ही उन्हें मानसिक रूप से दृढ़, आत्मनिर्भर और आत्मसम्मानी बनाया। बाल्यकाल से ही उन्होंने स्वावलंबन और परिश्रम को अपने जीवन के मूल मंत्र के रूप में अपनाया। 

शिक्षा और बौद्धिक विकास | Lal bahadur shastri ka jivan parichay

• शास्त्री जी की प्रारंभिक शिक्षा मिर्ज़ापुर में हुई, जहाँ सीमित संसाधनों और प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद उन्होंने अध्ययन में निरंतर रुचि बनाए रखी। 

• तत्पश्चात वे काशी विद्यापीठ, वाराणसी गए, जहाँ से उन्होंने संस्कृत में स्नातक की उपाधि प्राप्त की। यही वह संस्थान था जिसने उन्हें “शास्त्री” की उपाधि प्रदान की, जो आगे चलकर उनके नाम का अभिन्न अंग बन गई। 

लाल बहादुर शास्त्री की बचपन की कहानी एक साधारण बालक के असाधारण संघर्षों की गाथा है। वे जब स्टेशन तक तैरकर स्कूल जाते थे या पैदल मीलों का सफर तय करते थे, तब उन्होंने यह साबित कर दिया कि कठिन परिस्थितियाँ यदि आत्मबल और इच्छा शक्ति के सामने खड़ी हों, तो उन्हें भी झुका दिया जा सकता है। 

उनकी जीवनी न केवल एक राजनेता की है, बल्कि एक आदर्श नागरिक, एक संवेदनशील पुत्र, और एक सिद्धांतवादी व्यक्ति की भी है। स्वतंत्रता संग्राम में कूदने का उनका निर्णय बहुत कम उम्र में लिया गया था। यह दिखाता है कि उनमें राष्ट्र के प्रति समर्पण की भावना बचपन से ही थी। 

• लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं, विशेष रूप से उनके प्रारंभिक संघर्ष, यह दिखाती हैं कि कैसे सीमित संसाधनों वाला एक व्यक्ति भी देश की सर्वोच्च कुर्सी तक पहुँच सकता है। 
• उनकी बचपन की कहानी, युवाओं के लिए यह संदेश देती है कि आत्मबल, शिक्षा और सेवा भाव के साथ कोई भी बाधा पार की जा सकती है। 
• वास्तव में, लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी भारतीय राजनीति में नैतिकता और सादगी का आदर्श प्रस्तुत करती है। 

बचपन की कहानी | Childhood Story of Lal Bahadur Shastri 

Lal bahadur shastri ka jivan parichay केवल एक राजनेता की नहीं, बल्कि संघर्ष और आत्मनिर्भरता की प्रेरणादायक कहानी है। बचपन में पिता के निधन के बाद मिर्जापुर में उनका पालन-पोषण हुआ। गंगा नदी तैरकर स्कूल जाना, सादगी और आत्मसम्मान उनकी पहचान बने। काशी विद्यापीठ से शिक्षा लेकर “शास्त्री” उपाधि पाई। लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी बताती है कि कठिनाइयाँ भी महानता का मार्ग नहीं रोक सकतीं।

स्वतंत्रता संग्राम में योगदान | Contribution to Freedom Struggle 

भारत की आज़ादी के लिए लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने बलिदान दिया। लाल बहादुर शास्त्री भी उनमें से एक थे, जिन्होंने युवावस्था से ही राष्ट्र की सेवा को अपना धर्म बना लिया। 

स्वतंत्रता आंदोलन में भागीदारी | Participation in Freedom Movement 

Lal Bahadur Shastri ka jivan parichay स्वतंत्रता संग्राम में उनके अद्भुत योगदान की कहानी है। 1921 में मात्र 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने असहयोग आंदोलन में भाग लेकर अपनी पढ़ाई छोड़ दी। देश के लिए उनका समर्पण इतना दृढ़ था कि वे कई बार जेल भी गए। उन्होंने सविनय अवज्ञा और भारत छोड़ो आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाई। लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं उनके राष्ट्रप्रेम, अनुशासन और गांधीवादी सिद्धांतों से प्रेरित अहिंसात्मक विरोध की गवाही देती हैं, जहाँ उन्होंने सदैव देशहित को सर्वोपरि रखा। 

लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं | लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी

यह हैं लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं और ऐतिहासिक घटनाएं, जिन्होंने उनके सार्वजनिक जीवन और राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका निभाई। 

  • 1930 – नमक सत्याग्रह में भागीदारी:
    लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी शुरुआतों को भी दर्शाती हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में चलाए गए नमक सत्याग्रह में सक्रिय भाग लिया और पहली बार गिरफ्तारी दी, जिससे उनकी राजनीतिक प्रतिबद्धता स्पष्ट हुई।
  • 1937 – नगर बोर्ड सदस्य के रूप में सेवा:
    इस वर्ष वे वाराणसी नगर बोर्ड के सदस्य बने। यह भी लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं हैं, जहाँ उन्होंने प्रशासनिक अनुभव प्राप्त किया, जो आगे चलकर उनके केंद्रीय नेतृत्व में मददगार साबित हुआ।
  • 1942 – भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिगत सक्रियता:
    भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं एक नया मोड़ लेती हैं, जब वे भूमिगत रहकर ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध गतिविधियों में शामिल हुए। वे गिरफ्तार हुए और कई महीनों तक जेल में रहे।
  • 1947 – स्वतंत्रता के बाद उत्तर प्रदेश सरकार में योगदान:
    आज़ादी के बाद वे उत्तर प्रदेश सरकार में संसदीय सचिव और फिर गृह मंत्री बने। इस भूमिका में लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं जनसेवा, अनुशासन और नैतिक प्रशासन के आदर्शों को स्थापित करने वाली बन गईं।

राजनीतिक करियर | Political Career of Lal Bahadur Shastri 

स्वतंत्रता के बाद लाल बहादुर शास्त्री ने भारतीय राजनीति में एक कर्मठ, ईमानदार और संवेदनशील नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कई अहम मंत्रालयों में सेवा दी और अपने कार्य से सार्वजनिक जीवन में उच्च आदर्श स्थापित किए। 

स्वतंत्रता के बाद की भूमिका | Role After Independence 

  • उत्तर प्रदेश में संसदीय सचिव और गृह मंत्री 

भारत की स्वतंत्रता के बाद शास्त्रीजी को उत्तर प्रदेश सरकार में संसदीय सचिव नियुक्त किया गया। इस भूमिका में उन्होंने प्रशासनिक कार्यों की बारीकियों को नजदीक से समझा। इसके बाद वे गृह मंत्री बनाए गए, जहाँ उन्होंने पुलिस व्यवस्था में सुधारों की शुरुआत की। उन्होंने ‘पुलिस को जनता का सेवक’ मानने की सोच को बढ़ावा दिया, जो आज भी एक आदर्श मानी जाती है। 

  • रेल मंत्री के रूप में सेवा: रेल दुर्घटना के बाद इस्तीफा 

1951 में उन्हें केंद्र सरकार में रेल मंत्री बनाया गया। यह पद स्वतंत्र भारत में एक बड़ी जिम्मेदारी थी। उनके कार्यकाल में यात्री सुविधाओं और रेल विस्तार पर जोर दिया गया। लेकिन एक रेल दुर्घटना में कई लोगों की मृत्यु के बाद, उन्होंने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे दिया। यह कदम भारतीय राजनीति में ईमानदारी का प्रतीक बन गया और उनके सिद्धांतों की मिसाल बना। 

प्रधानमंत्री पद | Prime Minister of India 

लाल बहादुर शास्त्री को पं. नेहरू की मृत्यु के बाद भारत का दूसरा प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया। उन्होंने एक कठिन समय में देश की बागडोर संभाली, जब राजनीतिक अस्थिरता और बाहरी खतरे दोनों देश के सामने थे। 

  • 1964 में प्रधानमंत्री नियुक्ति 

पं. नेहरू के निधन के बाद देश असमंजस की स्थिति में था। ऐसे समय में, लाल बहादुर शास्त्री को उनकी ईमानदारी, सादगी और संतुलित दृष्टिकोण के कारण प्रधानमंत्री बनाया गया। वे आम जनता से जुड़े नेता थे और बिना किसी दिखावे के नेतृत्व करने में विश्वास रखते थे। उनके प्रधानमंत्री बनने से देश में स्थिरता का भाव आया। 

  • 1965 के भारत-पाक युद्ध में नेतृत्व 

प्रधानमंत्री बनने के एक वर्ष बाद ही उन्हें युद्ध जैसी गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ा। पाकिस्तान के आक्रमण के जवाब में उन्होंने साहसिक निर्णय लिए और सशस्त्र बलों का मनोबल बढ़ाया। युद्ध के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय एकता और दृढ़ता का परिचय दिया, जिससे भारत की सैन्य और राजनीतिक ताकत वैश्विक मंच पर उजागर हुई। 

  • जय जवान, जय किसान” का नारा 

युद्ध के साथ-साथ देश को खाद्यान्न संकट का भी सामना करना पड़ा। ऐसे समय में शास्त्री जी ने “जय जवान, जय किसान” का नारा दिया, जो सैनिकों की वीरता और किसानों की मेहनत को एक साथ सम्मानित करता था। यह केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय संकल्प बन गया जिसने भारत की आंतरिक ताकत को दर्शाया। 

व्यक्तिगत जीवन | Personal Life 

लाल बहादुर शास्त्री का निजी जीवन भी उनके सादगी और आदर्शों की मिसाल था। वे अपने परिवार के प्रति समर्पित थे और सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ हमेशा खड़े रहे। उनका जीवन मूल्य और सोच देश के लिए प्रेरणा का स्रोत थी। 

विवाह और परिवार | Marriage and Family 

लाल बहादुर शास्त्री ने वर्ष 1928 में ललिता देवी से विवाह किया। दोनों का रिश्ता प्रेम और आदर पर आधारित था। शास्त्री जी ने विवाह के समय दहेज प्रथा का पूरी तरह विरोध किया और अपने परिवार में दहेज न लेने का उदाहरण पेश किया। उन्होंने अपने सामाजिक विचारों को अपने निजी जीवन में भी लागू किया और दहेज के बजाय केवल चरखा और खादी को स्वीकार किया, जो स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक थे। उनका परिवार सादगी और नैतिकता की मिसाल था, जिसने उनके नेतृत्व के गुणों को और मजबूत किया। 

जीवन मूल्य और सिद्धांत | Life Values and Principle 

लाल बहादुर शास्त्री जी का व्यक्तित्व सादगी, ईमानदारी और नैतिकता का जीवंत उदाहरण था। उनके जीवन के प्रमुख मूल्य और सिद्धांत निम्नलिखित हैं: 

  • सादगी का प्रतीक: शास्त्री जी ने हमेशा सरल जीवन जिया। उनकी जीवनशैली में कोई भव्यता नहीं थी, वे सामान्य जन की तरह सहज और विनम्र थे, जो उनकी लोकप्रियता का मुख्य कारण था। 
  • ईमानदारी और नैतिकता: वे हर कार्य में सत्य और न्याय को सर्वोपरि रखते थे। उनके निर्णय पूरी तरह पारदर्शी और नैतिकता से ओतप्रोत होते थे, जिससे लोगों का विश्वास उन्हें बना रहा। 
  • गांधीवादी विचारधारा से प्रेरणा: महात्मा गांधी के अहिंसा और सत्याग्रह के सिद्धांतों ने उनके व्यक्तित्व और राजनीति को गहराई से प्रभावित किया। उन्होंने अपने जीवन में गांधीजी के सिद्धांतों को आत्मसात करते हुए अहिंसात्मक और न्यायपूर्ण संघर्ष को अपनाया। 
  • स्वराज और स्वदेशी में विश्वास: शास्त्री जी ने स्वराज (स्वतंत्रता) और स्वदेशी (देशी उत्पादों को बढ़ावा) को अपनी राजनीतिक और सामाजिक जीवन का आधार बनाया। उन्होंने खादी और चरखा का समर्थन कर यह संदेश दिया कि सच्चा देशभक्त वह है जो देशी वस्तुओं को अपनाए। 
  • नेतृत्व में नैतिकता: प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने अपने नेतृत्व में नैतिकता को प्राथमिकता दी। उनकी नीति और निर्णयों में जनता की भलाई और देशहित हमेशा सर्वोच्च थे। 

इन सभी गुणों के कारण लाल बहादुर शास्त्री न केवल एक सफल राजनेता बने, बल्कि वे एक आदर्श और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के रूप में आज भी याद किए जाते हैं। उनकी सादगी और नैतिकता ने उन्हें जन-जन के दिलों में एक सच्चा नेता बना दिया। 

मृत्यु और विरासत | Death and Legacy 

लाल बहादुर शास्त्री का निधन भारत के राजनीतिक इतिहास में एक दुखद और रहस्यमय घटना थी। उनकी मृत्यु के बावजूद, उनका योगदान और आदर्श आज भी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। शास्त्री जी की विरासत भारतीय राजनीति और समाज में सदैव जीवित रहेगी। 

ताशकंद समझौता और मृत्यु | Tashkent Agreement and Mysterious Death 

  • 1966 में ताशकंद समझौते के बाद रहस्यमय मृत्यु 

जनवरी 1966 में भारत-पाकिस्तान के बीच ताशकंद समझौता हुआ, जिसमें दोनों देशों ने युद्ध विराम पर सहमति जताई। समझौता संपन्न करने के कुछ ही समय बाद, लाल बहादुर शास्त्री ताशकंद में अचानक रहस्यमय परिस्थिति में निधन हो गए। उनकी मौत के कारणों को लेकर आज भी कई सवाल और अटकलें बनी हुई हैं। 

  • मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित 

लाल बहादुर शास्त्री को उनके अद्वितीय साहस, नेतृत्व और देशभक्ति के लिए मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया। यह भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है, जो उनके जीवन और कार्यों की महानता को दर्शाता है। 

विरासत | Legacy of Lal Bahadur Shastri 

Lal bahadur shastri ka jivan parichay राष्ट्रीय एकता और सादगी का प्रतीक माना जाता है। अपने सरल और निष्कपट स्वभाव के कारण वे जनता के दिलों में गहरी छाप छोड़ गए। शास्त्री जी ने अपने जीवन में ईमानदारी, समर्पण और नैतिकता को सर्वोपरि रखा, जिससे वे हर वर्ग के लोगों के लिए आदर्श बने। 

उनकी नीतियाँ और विचार आज भी प्रासंगिक हैं, खासकर उनका दिया हुआ “जय जवान, जय किसान” का नारा, जो देश की रक्षा और कृषि विकास दोनों के महत्व को दर्शाता है। यह नारा आज भी किसानों और जवानों के बीच प्रेरणा का स्रोत है। 

शास्त्री जी के नेतृत्व में भारत ने कठिन समय में साहस और एकजुटता का परिचय दिया, Lal bahadur shastri ka jivan parichay आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत संदेश है। उनकी सोच, आदर्श और कार्यशैली भारत के लोकतंत्र और विकास के लिए सदैव मार्गदर्शक रहेगी। 

निष्कर्ष | Conclusion 

Lal bahadur shastri ka jivan parichay वास्तव में एक प्रेरणादायक गाथा है, जिसमें सादगी, ईमानदारी और निःस्वार्थ नेतृत्व के गुण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। उन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में देश को एकजुट किया—चाहे वह भारत-पाक युद्ध का समय हो या किसानों की समस्याएं। उनके “जय जवान जय किसान” जैसे नारे आज भी जनमानस में गूंजते हैं।लाल बहादुर शास्त्री का जीवन केवल इतिहास नहीं, बल्कि एक ऐसी विरासत है जो हर युवा को नैतिकता, सेवा और आत्मबल के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए एक अमूल्य धरोहर बना रहेगा।

लाल बहादुर शास्त्री की जीवनी 15 से 20 वाक्यों में कैसे लिखें?

लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। बचपन में ही पिता का निधन हो गया, जिसके बाद उनका पालन-पोषण मिर्जापुर में ननिहाल में हुआ। कठिन परिस्थितियों में भी उन्होंने पढ़ाई जारी रखी और काशी विद्यापीठ से “शास्त्री” की उपाधि प्राप्त की। उनका जीवन सादगी, संघर्ष और देशभक्ति का प्रतीक है।

लाल बहादुर शास्त्री का जीवन परिचय क्या है?

Lal bahadur shastri ka jivan parichay एक सादगीपूर्ण, ईमानदार और राष्ट्रभक्त नेता की प्रेरक कहानी है। उनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया और “जय जवान, जय किसान” जैसे प्रभावशाली नारों के माध्यम से देश को एकजुट किया। वे भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने और उनके नेतृत्व में देश ने कठिन समय में साहस दिखाया।


लाल बहादुर शास्त्री का दूसरा नाम क्या था?

लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय नामक स्थान पर हुआ था। उनका मूल नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। उनके पिता, शरद प्रसाद श्रीवास्तव, एक सम्मानित शिक्षक थे, जिनका जीवन शिक्षा और सादगी से जुड़ा हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं क्या हैं?

लाल बहादुर शास्त्री के जीवन की घटनाएं देशभक्ति, सादगी और सेवा की मिसाल हैं। उन्होंने 1921 में असहयोग आंदोलन में भाग लिया, 1930 में नमक सत्याग्रह के दौरान पहली बार जेल गए, और 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भूमिगत रहते हुए आंदोलन को संगठित किया। स्वतंत्रता के बाद वे उत्तर प्रदेश सरकार और फिर केंद्र में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। उनके “जय जवान, जय किसान” जैसे नारे आज भी प्रेरणा देते हैं।

Editor's Recommendations

Authored by, Amay Mathur | Senior Editor

Amay Mathur is a business news reporter at Chegg.com. He previously worked for PCMag, Business Insider, The Messenger, and ZDNET as a reporter and copyeditor. His areas of coverage encompass tech, business, strategy, finance, and even space. He is a Columbia University graduate.