बूढ़ी काकी अपनी बहू-बेटे के साथ रहती हैं, लेकिन भूख से तड़पती हैं। एक दिन स्वादिष्ट पूरियों की खुशबू उन्हें खींच लाती है, पर क्या उन्हें प्यार और सम्मान मिलेगा?
एक गरीब बाप-बेटे की कहानी, जो भूख से तड़पते हैं और मरती हुई पत्नी/माँ के लिए कफ़न खरीदने के बजाय शराब में पैसे उड़ा देते हैं। क्या गरीबी इंसानियत छीन सकती है?