नारी सशक्तिकरण को समर्पित 8 शक्तिशाली किताबें 

ये किताबें सिर्फ़ कहानियाँ नहीं, बल्कि एक आवाज़ हैं। पढ़िए 8 ऐसी किताबें जो हर महिला और पुरुष को पढ़नी चाहिए। 

मलाला यूसुफजई की यह कहानी शिक्षा के लिए एक लड़की की लड़ाई और हिम्मत की मिसाल है। यह बताती है कि एक आवाज़ भी दुनिया बदल सकती है। 

किताब 1 - मैं मलाला हूँ 

चित्रा बनर्जी की यह किताब महाभारत को द्रौपदी की नज़रों से दिखाती है। यह एक स्त्री के स्वाभिमान, संघर्ष और ताकत की कहानी है। 

किताब 2 - द्रौपदी (The Palace of Illusions) 

अमृता प्रीतम द्वारा लिखी यह कहानी भारत-पाकिस्तान बँटवारे के दर्द को एक औरत की आँखों से बयाँ करती है। यह resilience की एक दर्दनाक लेकिन मज़बूत कहानी है। 

किताब 3 - पिंजर

मिशेल ओबामा की यह आत्मकथा बताती है कि कैसे एक आम लड़की अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से दुनिया की सबसे ताकतवर महिलाओं में से एक बनी। 

किताब 4 - बिकमिंग 

चिमामांडा अदिची की यह छोटी सी किताब बहुत सरल शब्दों में समझाती है कि नारीवाद (feminism) का असली मतलब क्या है और यह क्यों ज़रूरी है। 

किताब 5 - हम सभी को नारीवादी होना चाहिए 

दीपा नारायण की यह किताब भारतीय महिलाओं से जुड़े उन मुद्दों पर बात करती है जिन पर अक्सर चुप्पी साध ली जाती है। यह चुप्पी तोड़ने की हिम्मत देती है। 

किताब 6 - चुप (Chup) 

अरुंधति रॉय की यह किताब समाज के बनाए नियमों को चुनौती देने वाली एक महिला की कहानी है, जो अपनी शर्तों पर जीना चाहती है। 

किताब 7 - द गॉड ऑफ़ स्मॉल थिंग्स 

रामधारी सिंह 'दिनकर' की यह रचना कर्ण की कहानी कहती है, लेकिन इसमें कुंती और द्रौपदी जैसे मजबूत महिला किरदारों का चित्रण भी बेहद शक्तिशाली है। 

किताब 8 - रश्मिरथी